Wednesday, May 13, 2020

लॉक डॉउन में आराम फरमाने बाघिन को पसंद आ रहा रेस्ट हाउस

  • रेस्ट हाउस के पोर्च में बाघिन करती है घंटों विश्राम 
  • तालगांव स्थित रेस्ट हाउस में दिखता है अदभुत नजारा 


पन्ना टाइगर रिजर्व के तालगांव स्थित वन विभाग के निरीक्षण कुटीर (रेस्ट हाउस) में आराम फरमाती बाघिन पी- 213  

अरुण सिंह,पन्ना।
कोरोना वायरस के इस दौर में लॉक डाउन होने से जंगल में इंसानी हस्तक्षेप कम हुआ है, जिसका असर साफ नजर आने लगा है। प्रकृति ने जहां खुद को संवारना शुरू कर दिया है, वहीं वन्य प्राणी भी इंसानों की आवाजाही व दखल बंद होने से उन इलाकों में भी बेखौफ होकर विचरण कर रहे हैं जहां इंसानों ने कब्जा किया है। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की एक बाघिन को वन विभाग का रेस्ट हाउस इतना पसंद आ रहा है कि वह आये दिन यहां पर आराम फरमाने के लिए पहुंच जाती है। यह बाघिन रेस्ट हाउस के पोर्च में घंटों विश्राम करती है।
 पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस.भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि बाघिन पी- 213 वन परिक्षेत्र पन्ना के तालगांव स्थित वन विभाग के निरीक्षण कुटीर (रेस्ट हाउस) में अक्सर पहुंच जाती है और यहां घंटों विश्राम करती है। मालूम हो कि तकरीबन एक दशक पूर्व तक यहां पर तालगांव नाम की बड़ी बस्ती थी। टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में होने के कारण अब इस गांव का व्यवस्थापन हो चुका है, फलस्वरूप इस गांव के खेत बेहतरीन ग्रास लैंड में तब्दील हो चुके हैं। तालगांव के इस विशाल ग्रास लैंड में सैकड़ों की संख्या में चीतल, सांभर व नीलगाय झुंड में नजर आते हैं। इन शाकाहारी वन्य जीवों की बड़ी तादाद में मौजूदगी के चलते यहां कई बाघों का भी आवागमन बना रहता है। बाघिन पी- 213 ने तो इस इलाके को अपना ठिकाना ही बना लिया है।
 गौरतलब है कि बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत कान्हा टाइगर रिजर्व से पन्ना लाई गई बाघिन टी-2 ने अक्टूबर 2010 में बाघिन पी- 213 को इसी वन परिक्षेत्र में जन्म दिया था। लगभग 14 माह की उम्र में बाघिन पी-213 अपनी मां से पृथक होकर मां के आधे क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया था। पन्ना की इस बाघिन ने जो लगभग 10 वर्ष की हो चुकी है उसने यहां नन्हे शावकों को जन्म देकर बाघों के संसार को आबाद करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तालगांव ग्रास लैंड में एक अति प्राचीन तालाब भी है, जिसका उपयोग व्यवस्थापन से पूर्व ग्रामवासी अपने निस्तार व खेतों की सिंचाई के लिए करते थे। मौजूदा समय तालगांव का यह प्राचीन तालाब गर्मी के मौसम में वन्य प्राणियों की प्यास बुझाता है। दिन ढलने के बाद ग्रास लैंड का नजारा विश्मय विमुग्ध कर देने वाला हो जाता है। इस तालाब में सैकड़ों की संख्या में वन्य प्राणी पानी पीने आते हैं और वहीं ग्रास लैंड में वृक्षों के नीचे विश्राम करते हैं। अंधेरा होने पर इस पूरे ग्रास लैंड में वन्य प्राणियों की आंखें इस तरह टिमटिमाती हैं मानो जंगल में हजारों दीपक जल रहे हों या फिर आकाश के तारे नीचे उतर कर पूरे जंगल में छिटक गये हों। यह यह अदभुत दृश्य देखने का अवसर जिन्हें भी मिलता है वे यह नजारा देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए तालगांव ग्रास लैंड के समीप एक निरीक्षण कुटीर का निर्माण कराया गया था, जिसमें अधिकारी व कर्मचारी निरीक्षण के दौरान आराम व रात्रि विश्राम कर सकें। लेकिन यह निरीक्षण कुटीर अब बाघिन पी- 213 को इतना रास आने लगी है कि वह किसी भी समय बेखौफ होकर यहां आकर इस तरह विश्राम करती है जैसे यह कुटीर उसी के लिए बनी है। बाघिन के आने पर वन कर्मचारी उसके विश्राम में जरा भी खलल पैदा नहीं करते, फलस्वरुप बाघिन अपनी मर्जी के मुताबिक यहां आराम फरमाती है। विशेष बात यह है कि आस-पास वन कर्मियों की मौजूदगी के बावजूद बाघिन निश्चिंत होकर बैठी रहती है तथा किसी को कोई क्षति नहीं पहुंचाती।
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