- सामुदायिक पहल से जल स्रोतों का हो रहा प्रबंधन
- सामुदायिक सहभागिता से ही आयेगा स्थायित्व
पन्ना। स्वयंसेवी संस्था समर्थन स्थानीय सरकार अर्थात ग्राम सभा के मजबूती से लोकतंत्र की स्थापना पर विश्वास करती है। स्थानीय सामुदाय एवं लोगो की क्षमता बढ़ेगी,ज्ञान बढ़ेगा तो व्यावस्था मजबूत होगी। मध्यप्रदेश में पंचायतराज एवं ग्राम स्वाराज अधिनियम के मूल में ग्राम स्वाराज की अवधारण को लोग ही मूर्तरूप एवं विश्वास के साथ अपना सकते हैं। अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायत शसक्त इकाई के रूप में काम कर रही है।
सामुदाय की अपेक्षा के अनुरूप पंचायत समय-समय पर खरी भी उतरी हैं। लेकिन सामुदाय का सहयोग आज भी आपेक्षित है। संस्था लगातर इस बात के लिये पंचायत एवं ग्राम सभा एवं स्थानीय संगठनो से अपील कर रही है कि अपने पुराने जलस्रोतो को सुरक्षित रखें, वे हमारी धरोहर एवं प्यास बुझााने वाले स्रोत हैं।
संस्था की सोच है कि हमारी पुरानी संरचनाए जैसे कुऑं, बाउड़ी, झरने, नदी, तलाब, बीहर, चोपड़ा, हैन्डपम्प जो बन चुके हैं, उसमें हमारी पहचान जुड़ी है, उसका संरक्षण सामुदाय एवं पंचायत मिलकर करे। संस्था ने ये पहल 40 ग्राम में शुरू किया है, मामूली रकम में ही सुधार होने से ग्राम पंचायते भी आगे आ रही हैं। वाटर बाडी रिपेयर से पानी शुद्ध मिलेगा, जल त टिकाउ होगा, बीमारी नहीं होगी ।
ग्राम पंचायत दिया, रानीगंजपुरा, जरधोवा, सुन्दरा सहित लगभग 52 गांव में जल स्रोत के सरंक्षण एवं निरंतरता के लिये ग्राम सभा में प्रसताव डालकर क्रियान्यन चालू कर दिया गया है। ग्रामीण कहते हैं जो कुआं एवं बाउली बनी थी, वो किसी न किसी समाज की थी जो पूर्वजो की याद भी दिलाती है। उसका संरक्षण करना हमारा स्वयं का दायित्व है।
जल धरोहरें हमारी विरासत हैं। समर्थन के कार्यकर्ता आशीष विश्वास, कमल, चाली, जलमित्र लगातर समझाते हैं। पानी के बिना हमारा जीवन सूना है,पानी पर हम हमेशा आत्मनिर्भर रहे हैं। इसकी सुरक्षा समाज एवं हम लोग मिलकर करेंगे।
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