- क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने फीता काटकर किया शुभारम्भ
- पहले दिन पत्रकारों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने जंगल भ्रमण का लिया लुत्फ
- सांभर, चीतल, नीलगाय सहित विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का किया दीदार
अकोला गेट में फीता काटते हुये क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से महज 16 किमी. की दूरी पर स्थित पन्ना बफर क्षेत्र के अकोला गेट से पर्यटन शुरू हो गया है। बुधवार 30 जनवरी को सुबह क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक विधि विधान के साथ फीता काटकर पर्यटन से जुड़ी इस अभिनव गतिविधि का शुभारंभ किया।
पहले दिन जिले के पत्रकारों सहित बड़ी संख्या में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण में रूचि रखने वाले लोगों ने जंगल की निराली दुनिया का लुत्फ उठाया। अकोला गेट से पर्यटन शुरू होने पर आस-पास स्थित ग्रामों के लोगों में भी अभूतपूर्व उत्साह देखा गया। ग्रामीणों को उम्मीद है कि बफर क्षेत्र में पर्यटन शुरू होने से जंगल की कटाई सहित शिकार की घटनाओं पर जहां अंकुश लगेगा, वहीं पर्यटकों के आने से रोजी-रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
इस अनूठी और नई गतिविधि के शुरू होने के अवसर पर बुधवार को अकोला गेट के पास उत्सवी माहौल देखने को मिला। प्रवेश द्वार के दोनों तरफ पन्ना टाईगर रिजर्व के हांथी खड़े हुये थे, जिससे वहां का नजारा बेहद आकर्षक और अनूठा नजर आ रहा था। निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने नारियल फोड़कर फीता काटा और वहाँ मौजूद लोगों ने करतल ध्वनि से इसका स्वागत किया।
उदघाटन के बाद गेट में मौजूद हांथी जंगल में अंदर प्रवेश करते हुये। |
इस अनूठी और नई गतिविधि के शुरू होने के अवसर पर बुधवार को अकोला गेट के पास उत्सवी माहौल देखने को मिला। प्रवेश द्वार के दोनों तरफ पन्ना टाईगर रिजर्व के हांथी खड़े हुये थे, जिससे वहां का नजारा बेहद आकर्षक और अनूठा नजर आ रहा था। निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने नारियल फोड़कर फीता काटा और वहाँ मौजूद लोगों ने करतल ध्वनि से इसका स्वागत किया।
प्रवेश द्वार के निकट ही पार्क प्रबन्धन द्वारा सभी आगन्तुकों के लिये चाय-नाश्ते का भी इंतजाम किया गया था जिसका आनन्द लेने के बाद सभी लोग जिप्सियों में सवार होकर जंगल की सैर के लिये निकल पड़े। चूंकि पहले दिन बफर क्षेत्र का भ्रमण नि:शुल्क था, इसलिये बड़ी संख्या में लोग पहुँचे थे। एक जिप्सी में पत्रकारों का दल था, जिन्होंने बड़ी उत्सुकता के साथ पूरे वन क्षेत्र का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर जैसे वन्य प्राणियों के अलावा विभिन्न प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षियों के भी दर्शन हुये।
भ्रमण के दौरान जंगल की निराली दुनिया का लुत्फ उठाता पत्रकार दल। |
गौरतलब है कि पन्ना बफर क्षेत्र के इस जंगल में एक नर बाघ ने अपना रहवास बना लिया है, जिससे यहां बाघ के दीदार की भी संभावना रहती है। इसके अलावा सड़क के उस पार पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से भी बाघ परिवार चहल कदमी करते हुये बफर क्षेत्र में आ जाते हैं। जिससे इस नये क्षेत्र में भी पर्यटकों का आकर्षण आने वाले समय में बढ़ेगा इसकी पूरी संभावना है, जिसका लाभ निश्चित रूप से आस-पास स्थित ग्रामों के रहवासियों को भी मिलेगा।
चूंकि अभी तक बफर क्षेत्र के इस जंगल की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद नहीं थी, इसलिये अधिकांश वन क्षेत्र उजड़ा हुआ है। पूरे इलाके में सैकड़ों की संख्या में मवेशी चरते हुये नजर आते हैं। अब यहां पर्यटन शुरू होने पर जहाँ सुरक्षा इंतजाम पुख्ता होंगे, वहीं पर्यटकों की आवाजाही होने से अवैध वन कटाई पर भी रोक लगेगी, जिससे कुछ ही वर्षों में उजाड़ सा दिखने वाला यह जंगल भी हरा-भरा और समृद्ध हो सकता है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुये यहां पर्यटन शुरू किया गया है।
आकर्षण का केन्द्र बनेंगे कई स्थल
अकोला के जंगल में स्थित बिड़वानी नाला जहां चट्टानों पर बने हैं शैल चित्र। |
बफर क्षेत्र के इस जंगल में ऐसे कई प्राकृतिक मनोरम स्थल हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनेंगे। आकोला बफर क्षेत्र में ही एक ऐसा ही स्थल बिडवानी नाला है। यहां की प्राकृतिक संरचना तो अनूठी है ही, बिड़वानी नाला भी रहस्य से परिपूर्ण है। इस नाले में एक स्थान पर जमीन के भीतर से पानी स्वमेव निकलता है। यह जल श्रोत नैसर्गिक है जहां से बारहों महीने अनवरत् पानी निकलता रहता है। जिसके चलते बिड़वानी नाला गर्मियों में भी पानी से लवरेज बना रहता है।
पानी की उपलब्धता के कारण यहां बड़ी संख्या में वन्यजीव आते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इस प्राकृतिक जल श्रोत के निकट ही चट्टान की शेल्टर है जहां पर हजारों वर्ष पुराने शैल चित्र भी बने हुये हैं। यहाँ की भौगोलिक स्थिति व जल श्रोत को दृष्टिगत रखते हुये ऐसा प्रतीत होता है कि हजारों वर्ष पूर्व यहां पर आदि मानवों का भी रहवास रहा है। इन्हीं लोगों ने चट्टानों पर प्राकृतिक रंगों से चित्र बनाये होंगे जो आज भी यहां विद्यमान हैं।
जंगल में सुरक्षा हेतु बनाये गये 6 अस्थाई कैम्प व निगरानी टॉवर
वन कर्मी निगरानी करते हुये। |
पन्ना बफर क्षेत्र में जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पृथक-पृथक स्थनों पर 6 अस्थाई कैम्प बनाये गये हैं,इसके अलावा दो पक्के स्थाई निगरानी टॉवर भी हैं, जहां चौबीसों घण्टे वनकर्मी तैनात रहकर अपने इलाके में चौकस नजर रखते हैं। पन्ना बफर क्षेत्र के वन परिक्षेत्राधिकारी लालजी तिवारी ने बताया कि पूर्व में यह पूरा क्षेत्र वन कटाई व शिकार के लिये बदनाम रहा है। यहां पर्यटन शुरू करने से पूर्व हमने रैकी करके ऐसे संवेदनशील स्थलों को चिह्नित किया जहां शिकार होते थे।
इन सभी स्थलों पर अस्थाई कैम्प बनाये गये हैं जिससे अब शिकार पर प्रभावी रोक लगी है। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि अकोला बफर क्षेत्र में पर्यटन शुरू होने से कोर क्षेत्र में पर्यटन का दवाब कुछ कम होगा तथा इस क्षेत्र का बिगड़ा वन आने वाले कुछ ही वर्षों में बेहतर हो जायेगा। श्री भदौरिया ने कहा कि स्थिति का अध्ययन करने के बाद आने वाले समय में यहां नाइट सफारी शुरू करने की भी योजना है।
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