- रत्नगर्भा धरती में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद
- प्रकृति के अनुपम सौगातों का विकास की दिशा में हो उपयोग
पन्ना। भव्य प्राचीन मंदिरों और हीरा की खदानों के लिये प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में प्रकृति ने सृजन के विविध रूपों को जिस तरह से प्रकट किया है वह मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। पहली बार जो कोई भी यहाँ आता है, इस रत्नगर्भा धरती के अतुलनीय सौन्दर्य को निहारकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। लेकिन प्रकृति के अनुपम सौगातों का पन्ना के विकास की दिशा में रचनात्मक उपयोग नहीं हो सका। पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद होने के बावजूद अभी तक यह जिला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र नहीं बन सका है।
यहां प्राचीन भव्य मन्दिरों के अलावा ऐतिहासिक महत्व के स्थलों, खूबसूरत जल प्रपातों व प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण मनोरम स्थलों की भरमार है। इनका समुचित ढंग से प्रचार-प्रसार न होने के कारण देशी व विदेशी पर्यटक इस जिले की खूबियों से अनभिज्ञ हैं। यही वजह है कि पर्यटकों को आकर्षित करने की खूबियों के बावजूद पन्ना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका। देर से ही सही लेकिन अब पन्ना के नवागत कलेक्टर हरजिंदर सिंह ने विशेष रूचि प्रदर्शित करते हुए जिस तरह से आते ही सकारात्मक पहल शुरू की है, उससे मन्दिरों के शहर पन्ना को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की उम्मीद जागी है।
उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड का नियाग्रा कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में स्थित बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात की खूबसूरती निहारने के लिए ग्लास ब्रिज का निर्माण किया जाएगा। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के अधिकारियों द्वारा पन्ना के सर्किट हाउस में पर्यटन निगम की टीम के साथ बैठक कर बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात और आसपास के क्षेत्र का पर्यटन बढ़ाने के उद्देश्य से बनाये प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की गई। जिला पुरातत्व, पर्यटन और संस्कृति परिषद पन्ना के सदस्य के रूप में शामिल आबकारी उप निरीक्षक मुकेश पाण्डेय द्वारा भी बैठक में आवश्यक सुझाव दिए गए।
मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम की तकनीकी टीम द्वारा बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात पहुँचकर वास्तविक स्थिति और लोकेशन का अध्ययन और सर्वे किया गया। वास्तुविद सतीश कालान्तरे ने बताया कि बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात के आसपास फिलहाल सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना हमेशा बनी रहती है। इसलिए बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात के चारों तरफ सुरक्षा के लिए रेलिंग लगाई जाएगी। रेलिंग भी इस तरीके से लगाई जाएगी कि स्थान की खूबसूरती भी बनी रहे और सुरक्षा भी। बृहस्पति कुण्ड आश्रम की तरफ एक मजबूत ग्लास ब्रिज बनाया जाएगा, जिस पर चढ़कर पर्यटक जलप्रपात के ठीक सामने खड़े होकर जलप्रपात की खूबसूरती को निहार सकेंगे। यह देश का दूसरा और मध्यप्रदेश का पहला ग्लास ब्रिज होगा।
कार्यपालन यंत्री श्री चौरसिया ने बताया कि जलप्रपात के आसपास लोगो को धूप-बारिश से बचने के लिए पैगोडा डिजाइन के विश्राम स्थल भी बनाये जाएंगे। दिनों-दिन पर्यटकों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए समुचित संख्या में प्रसाधन गृह और एक बड़ी पार्किंग की भी व्यवस्था होगी। जलप्रपात के पास खाली पड़े चट्टानी मैदान में खूबसूरत लैंडस्केप और उद्यान विकसित किया जाएगा। इस क्षेत्र के महत्व और जानकारी को दर्शाते हुए कई सूचना पट्ट लगाए जाएंगे। बृहस्पति कुण्ड क्षेत्र को विकसित करने का कार्य कई चरणों मे पूर्ण होगा। पहले चरण में जलप्रपात के चारों तरफ सुरक्षा रेलिंग, ग्लास ब्रिज, विश्राम स्थल, पार्किंग, प्रसाधन गृह, कैफेटेरिया आदि का निर्माण होगा। दूसरे चरण में जलप्रपात के नीचे की तरफ स्टॉप डैम बनाकर नौकायन और एडवेंचर गतिविधियों की व्यवस्था भी की जाएगी।
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