- मच्छर से फैलने वाले वाहक जनित रोग डेंगू व चिकुनगुनिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी
पन्ना। वर्षाकाल में जगह-जगह पानी इकट्ठा हो जाने से उनमें मच्छरों की उत्पत्ति व वृद्धि होती है। ये मच्छर रोगी व्यक्ति को काटने पर संक्रमित हो जाते हैं व इन संक्रमित मच्छर के काटने से मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया रोग का प्रसार होता है। मलेरिया बुखार से ग्रसित रोगियों को ठंड लगकर बुखार आना, सिरदर्द, भूख न लगना सामान्य लक्षण हैं।
डेंगू बुखार में 104 फेरेनहाइट से अधिक तेज बुखार, शरीर पर लाल चकत्ते, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, आंखे घुमाने में दर्द शुरुआत की दशा के सामान्य लक्षण है। गंभीर स्थिति में मुंह, नाक और आंतों से खून आना, पेट दर्द, उल्टी होना और आंखों में खून उतरना प्लेटलेट्स में अत्यधिक गिरावट होना जैसे लक्षण होते हैं। चिकुनगुनिया बुखार में उंगलियों और हाथ-पैर के जोड़ों में तेज दर्द, सिर दर्द, हल्का बुखार बना रहना, त्वचा में चकत्ते होना सामान्य लक्षण है। जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय द्वारा डेंगू व चिकुनगुनिया से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। मच्छर से फैलने वाले वाहक जनित रोग मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों से सुरक्षा के लिए मच्छरों से बचाव व नियंत्रण के लिए जनभागीदारी के साथ जनजागृति होना भी आवश्यक है।
इसी तरह डेंगू व चिकुनगुनिया बुखार टाईगर/एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन में सक्रिय रहता है। बीमारी फैलाने वाले मच्छर घरों में नमी वाले अंधेरे स्थान में विश्राम करते हैं एवं साफ व रूके पानी में पनपते हैं, जो कि घरों में व आसपास पानी से भरे पात्र जैसे-गमले, टंकी, टायर, मटके, कूलर, टूटा-फूटा कबाड़ में भरे पानी, नल, हैण्डपप व कुएं के आसपास पानी में मच्छर अपने अण्डे देते हैं व 7 से 8 दिन में अंडे से मच्छर बनने का जीवनचक्र पूर्ण हो जाता है। इसलिए पानी से भरे बर्तन, टंकियों आदि का पानी सप्ताह में बदलते रहना चाहिए और कुएं, हैण्डपंप, नल के आसपास पानी एकत्र न होने दें। उन्हें मिट्टी से भराव करायें या पानी की निकासी कराकर मच्छरों की उत्पत्ति स्थल को नष्ट करें व मच्छरों के लार्वा नहीं पनपने दें।
मच्छरों से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। पूरे आस्तीन के कपड़े पहनें। मच्छर भगाने वाली क्रीम या क्वाइल का उपयोग करें। नीम की पत्ती का धुंआ करना भी कारगर उपाय है। डेंगू, चिकुनगुनिया की जांच जिला चिकित्सालय में निःशुल्क उपलब्ध है। प्रारंभिक अवस्था में बीमारी का पता चल जाने पर इन बीमारियों का इलाज आसानी से हो सकता है। इसलिए बीमारी के लक्षण दिखने पर शीघ्र स्वास्थ्य केन्द्र में निःशुल्क जांच करवाकर चिकित्सक के परामर्श से पूर्ण उपचार लेना चाहिए।
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