Friday, August 25, 2023

जल प्रबंधन का मॉडल बना आदिवासी गांव पल्थरा, एक एक बूंद पानी का हो रहा उपयोग

  • घने जंगल के बीच स्थित छोटा सा आदिवासी गांव पल्थरा स्वच्छता और जल प्रबंधन का मॉडल विलेज बन चुका है। इस गांव के हर घर में किचन गार्डन है, जहां नहाने धोने वाले पानी का उपयोग होता है। अतिरिक्त पानी गांव में निर्मित हौदी (टैंक) में इकट्ठा होता रहता है, जिसे मवेशी पीते हैं।

पन्ना से 27 किलोमीटर दूर लगभग डेढ़ सौ की आबादी वाला पल्थरा गांव रहुनिया पंचायत में आता है। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना (मध्यप्रदेश)। हमारे घर में नहानी बन गई है, अब हम वहीं नहाते और कपड़ा धोते हैं। यह पानी बहकर बर्बाद नहीं होता, पाइप से होकर बगिया में चला जाता है। घर की बगिया (गृह वाटिका) में भटा, मिर्च और टमाटर लगे हैं, जिससे सब्जी खरीदनी नहीं पड़ती। पल्थरा गांव की 60 वर्षीय सहजरानी गोंड बड़े उत्साह के साथ अपनी बगिया को दिखाते हुए बताती हैं कि अब बहुत अच्छा हो गया है। हमारे गांव में गंदगी और कीचड़ कहीं नहीं दिखेगा, पहले के मुकाबले गांव बहुत सुधर गया है।

जिला मुख्यालय पन्ना से 27 किलोमीटर दूर लगभग डेढ़ सौ की आबादी वाला पल्थरा गांव रहुनिया पंचायत में आता है। इस पंचायत में पल्थरा के अलावा पाठा, गुड़हा, पाली व गुजार गांव भी आते हैं। सभी गांव जंगल से लगे हैं तथा यहां रहने वाले अधिसंख्य लोग आदिवासी हैं। डेढ़ दो दशक पूर्व तक इन ग्रामों तक पहुंचने के लिए ना तो सड़क मार्ग था और ना ही आवागमन के साधन, जंगली रास्ते से होकर लोगों को पैदल या दो पहिया वाहन से जाना पड़ता था। लेकिन अब पक्की सड़क बन गई है तथा आदिवासियों के बच्चों में शिक्षा के प्रति भी रुझान बढ़ा है। पल्थरा गांव में 32 आदिवासी परिवार रहते हैं, इन परिवारों के शत प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं। गांव में प्राथमिक शाला के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र भी है।



जनक सिंह गोंड 67 वर्ष ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत घरों में नल लगने के बाद गांव में स्वच्छता और पानी के प्रबंधन पर समाजसेवी संस्था समर्थन के सहयोग से चार माह पूर्व काम शुरू हुआ। इस काम में गांव के लोगों ने भी रुचि ली और सहयोग भी किया। इसका परिणाम यह हुआ कि अब नल से आने वाले पानी की बिल्कुल भी बर्बादी नहीं होती। गंदे पानी को साफ करने की व्यवस्था है ताकि इस पानी का उपयोग सब्जी भाजी की सिंचाई में हो सके। जनक सिंह बताते हैं कि पहले जब नल नहीं था तो हैंडपंप से पानी लेते थे। उस समय जल प्रबंधन की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे गंदा पानी जहां तहां बहकर गंदगी और कीचड़ करता था। इससे जहां बीमारियां फैलती थीं वहीं वातावरण भी दूषित रहता था। लेकिन अब हमारा गांव बदल गया है, कहीं भी गंदगी और कीचड़ नहीं दिखेगा। गांव के लोगों की सोच में भी बदलाव आया है, अब हर कोई अपने बच्चों को पढाने में खासा रुचि ले रहे हैं। बड़े गर्व के साथ जनक सिंह ने बताया कि उनकी बेटी हीरा सिंह गोंड बी.ए. की पढ़ाई पन्ना से पूरी कर अब बी.एड. कर रही है। हीरा सिंह से प्रेरित होकर अब गांव की दूसरी बच्चियां भी ऊंची कक्षाओं की पढ़ाई पन्ना में करने लगी हैं।

ग्रे वॉटर क्या है और कैसे हो रहा इसका प्रबंधन

स्वच्छता व जल प्रबंधन के विशेषज्ञ तथा पल्थरा गांव में समर्थन संस्था के सलाहकार रहे राजकुमार मिश्रा ने बताया कि शौचालय को छोड़कर घरों में नहाने, कपड़ा धोने व अन्य उपयोग से जो पानी निकलता है उसे ही ग्रे वॉटर या गंदला पानी कहते हैं। पल्थरा गांव में इसी पानी को साफ कर उसका पुनः उपयोग सुनिश्चित किया गया है। श्री मिश्र बताते हैं कि भारत सरकार भी चाहती है कि ग्रे वॉटर का प्रबंध हो। लगभग 32 परिवारों वाले इस छोटे से गांव पल्थरा में ग्रे वॉटर प्रबंधन का काम समुदाय के सहयोग से बीते तीन-चार माह में पूरा किया गया है। इसके पूर्व गांव में 80 फ़ीसदी पानी बर्बाद होता था, जिससे कीचड़ और गंदगी होती थी। गांव के लोग जहां पर नहाते व कपड़े धोते थे, वहां और हैंडपंप के आसपास पानी फैलने से कीचड़ मचा रहता था। यही कीचड़ युक्त गंदा पानी मवेशी पीते थे, पूरा वातावरण दूषित और नारकीय था। इस बर्बाद होने वाले पानी का प्रबंध होने से अब एक-एक बूंद पानी का उपयोग सुनिश्चित हुआ है।


समर्थन टीम व पल्थरा गांव के लोग जिनके प्रयासों से ग्रे वाटर प्रबंधन का कार्य सफल हुआ। 

राजकुमार मिश्रा व समाजसेवी संस्था समर्थन के रीजनल कोऑर्डिनेटर ज्ञानेंद्र तिवारी ने मुझे पल्थरा गांव का भ्रमण कराकर जल प्रबंधन के कार्य का अवलोकन कराया। अब इस गांव के हर घर में नहानी (स्नान घर) बनी है। यहां नहाने और कपड़े धोने से निकलने वाला गंदा पानी सिल्ट चेंबर में जाकर साफ होता है और गृह वाटिका में पहुंचता है। अतिरिक्त पानी पाइप लाइन के माध्यम से हौदी (टैंक) में पहुंच जाता है। सभी घरों की नहानी तथा गांव के दो हैंडपंपों को हौदी से जोड़ा गया है, जहां अतिरिक्त पानी एकत्रित होता रहता है। अब गांव के मवेशी इसी हौदी में भरे पानी को पीते हैं। इस हौदी के भरने पर वहीं पास में एक और टैंक बना है, जिसमें पानी पहुंच जाता है। इस टैंक में ग्राम वासियों ने कमल के फूल लगा दिए हैं, जिससे कीचड़ व गंदगी के बजाय यहां की रौनक व सुंदरता और बढ़ गई है।

पल्थरा प्रदेश का इकलौता गांव जहां ग्रे वाटर का प्रबंधन हुआ

मध्य प्रदेश के कई जिलों में स्वच्छता और जल प्रबंधन का काम करने वाले राजकुमार मिश्र ने बताया कि पूरे प्रदेश में ऐसा कोई भी गांव नहीं है जहां ग्रे वाटर प्रबंधन हेतु निर्धारित पूरे ट्रीटमेंट हुए हों। राजकुमार मिश्र ने बताया कि ग्रे वाटर प्रबंधन के तीन सिद्धांत हैं, जिसे थ्री आर कहते हैं। इसमें रिड्यूस यानी पानी का कम से कम उपयोग, रियूज यानी कि गंदे पानी को साफ करके उसका पुनः उपयोग तथा तीसरा सिद्धांत बचा पानी जिसका उपयोग ना हो सके उसे रिचार्ज कर दिया जाए। पल्थरा गांव में रिचार्ज की नौबत नहीं आ रही, पूरा का पूरा पानी उपयोग हो रहा है।

                            


गुलाब सिंह गोंड 60 वर्ष ने बताया कि नहाने और कपड़े धोने में बर्बाद होने वाले पानी के प्रबंधन का यह कम चार माह में पूरा हुआ है। गर्मियों में पूरे 4 माह तक राजकुमार मिश्रा जी हमारे गांव में ही रहकर काम कराया है। गुलाब सिंह बताते हैं कि मैं अपने घर का एक कमरा जिसमें भूसा भरा रहता था, उसे खाली करके साफ किया, यहीं पर चार माह मिश्रा जी रहे। इस दौरान गांव के लोगों ने इनका पूरा ध्यान रखा और काम में भी भरपूर सहयोग किया। समर्थन के रीजनल कोऑर्डिनेटर ज्ञानेंद्र तिवारी बताते हैं कि पल्थरा गांव के लोगों को संस्था द्वारा ग्रे वॉटर प्रबंधन का प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि जल प्रबंधन का काम बिना किसी रूकावट के संचालित होता रहे।

ज्ञानेंद्र तिवारी ने बताया कि समर्थन संस्था के निर्देशक डॉक्टर योगेश कुमार ने भी गांव का विजिट किया तथा टीम को मार्गदर्शन दिया। पूरी प्रक्रिया में पल्थरा गांव के सभी पुरुषों, महिलाओं व बच्चों की भी भागीदारी रही है।  आपने बताया कि ग्रे वाटर प्रबंधन कार्य समर्थन ने WHH से किया है। इस कार्य में कुल व्यय 603823 रुपये हुआ, जिसमें ग्रामीणों (समुदाय) की भागीदारी 94,252 रुपये (श्रम व सामग्री) तथा 509571 समर्थन संस्था ने व्यय किया। इस तरह से समर्थन के ईमानदार प्रयासों व सामुदायिक सक्रिय भागीदारी से पन्ना जिले का यह छोटा सा आदिवासी गांव अब ग्रे वॉटर प्रबंधन के मामले में मॉडल विलेज बन गया है।

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