Friday, September 22, 2023

केन-बेतवा लिंक परियोजना में आदिवासियों को किया जा रहा बेघर : अरुण यादव

  • जन आक्रोश यात्रा लेकर पन्ना पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश की भाजपा सरकार पर बोला हमला, भ्रष्टाचार के लगाए आरोप  

स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव

पन्ना। बुंदेलखंड क्षेत्र में कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा लेकर पन्ना पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि केन - बेतवा लिंक परियोजना में आदिवासियों को बेघर किया जा रहा है। अगर विस्थापित करना है तो उन्हें 4 गुना मुआवजा दिया जाए और पंचायत सभा की सहमति ली जाए। उन्होंने कहा कि पन्ना जिला भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है, बांधों के निर्माण में यहाँ भारी भ्रष्टाचार हुआ है। प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तथा प्रदेश के शहर प्रभारी सीपी मित्तल भी मौजूद रहे।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्री यादव ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश में किसान की दुर्गति हो रही है, मंहगाई से महिलायें  बेहाल हैं। पिछले 18 साल के इनके शासन में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है, इसीलिए वे जन आक्रोश यात्रा निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 40% कमीशन का राज था जिसको जनता ने रवाना कर दिया, अब मप्र की बारी है। प्रदेश की भाजपा सरकार में 50 फीसदी के साथ भ्रष्टाचार के मामले में यह देश भर में पहले नंबर पर है। इन बातों को देखते हुए 18 साल में हुए भ्रष्टाचार और कुशासन पर भाजपा को आशीर्वाद नहीं माफी यात्रा निकालनी चाहिए।

बुंदेलखंड क्षेत्र में निकाली जा रही जन आक्रोश यात्रा पर चर्चा करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने बताया कि आगामी 03 अक्टूबर तक जन आक्रोश यात्राएं पूरे मप्र में चलेगी जो 230 विधानसभा कवर करेंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार द्वारा राहुल गांधी जी की पहल पर दिए गए बुंदेलखंड विशेष पैकेज में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। बुंदेलखंड पैकेज से बनाए गए बांध पहली ही बारिश में बह गए। श्री यादव ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके संरक्षण में रेत माफिया फल फूल रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार स्पष्ट बहुमत के साथ प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनने जा रही है।

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Thursday, September 21, 2023

भाजपा को जन आशीर्वाद की जगह निकालना चाहिए क्षमा याचना यात्रा : पप्पू दीक्षित

  • आयोजित प्रेसवार्ता में भाजपा पर लगाया सरकारी तंत्र के दुरूपयोग का आरोप 
  • कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है, पन्ना जिले की तीनों विधान सभा सीटें जीतेंगे हम  

प्रेसवार्ता में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कांग्रेस नेता श्रीकांत दीक्षित। 

पन्ना। भाजपा को जन आशीर्वाद यात्रा की जगह क्षमा याचना यात्रा निकालनी चाहिए। क्योंकि पिछले 18 साल के कुशासन और भ्रष्टाचार से हलाकान जनता इस बार आशीर्वाद देने के मूड़ में बिलकुल नहीं है। आक्रोशित जनता को सिर्फ मौके का इंतजार है, चुनाव में वह पूरा हिसाब चुकता करेगी। यह बात कांग्रेस नेता श्रीकांत पप्पू दीक्षित ने गुरुवार को गल्ला मंडी स्थित अपने कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। पन्ना विधान सभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार पप्पू दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस एकजुट है, जिसे भी पार्टी की टिकट मिलेगी वह चुनाव में जीतेगा।    

उन्होंने कहा कि लगभग 18 साल तक प्रदेश की सत्ता सम्भालने के बाद अब भाजपा जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है। जिसमें सरकारी खजाने और सरकारी तंत्र का खुलेआम दुरूपयोग हो रहा है। सरकारी तंत्र के जरिये दबाव बनाकर जनता को भाजपा के कार्यक्रमों में भीड़ के रूप में उपयोग करने के लिए लाया जा रहा है। कांग्रेस नेता पप्पू दीक्षित ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि अभी हाल में ही गुनौर में मुख्यमंत्री आये थे, उसमें हितग्राहियों के नाम पर ६०० बसें लगाई गयीं और इसमें सवा करोड़ से भी अधिक की राशि सरकारी खजाने से खर्च की गयी। मंच सहित अन्य व्यवस्थाओं पर सरकारी खजाने से करोड़ों रूपये की राशि हर कार्यक्रम में खर्च की जा रही है।  

श्री दीक्षित ने कहा कि पन्ना जिले में इन 18 सालों में विकास की करे तो इस जिले को न तो इंजीनियरिंग कॉलेज मिला, न डायमंड पार्क मिला, न ही मेडिकल कॉलेज, न ही श्रमोदय विद्यालय और न ही ईएसआईसी हॉस्पिटल खुला। बल्कि इन 18 सालों के दौरान जिले में शिक्षा स्वास्थ्य की स्थिति बदतर हो गयी हैं। जिला अस्पताल की स्थिति कई दिनों ऐसी रहती है कि गैस, सर्दी, खांसी की दवाईयां तक नहीं रहतीं। उपचार नहीं मिल पाने की वजह से जिले के गरीब मजदूरों, किसानों को जान गंवानी पड़ रही है। जिले में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि एक ओर सड़कें बनाई जा रहीं हैं। दूसरी ओर सड़कें उखड़ रहीं हैं। इन 18 सालों के दौरान जिले में कई ऐसे गांवों हैं, जहां सड़क सम्पर्क नहीं है। बीमार पड़ने पर सड़क तक पहुंचाने के लिए चारपाई का उपयोग करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रदेश के साथ इस जिले के लोगों से भाजपा किस मुंह से जन आशीर्वाद मांग रही हैं।

श्री दीक्षित ने आरोप लगाते हुए कहा कि जन आशीर्वाद यात्रा में ग्राम पंचायत सचिवों के सहारे भीड़ जुटाकर भाजपा द्वारा माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन जनता सब देख और समझ रही है। आपने प्रश्न उठाते हुए कहा है कि भाजपा को जन आशीर्वाद यात्रा की जगह जनता से क्षमा मांगने के लिए यात्रा निकालनी चाहिए, क्योंकि पन्ना से पहाड़ीखेरा, बृजपुर सड़क मार्ग की जो दुर्दशा है उससे लोगों का जीवन दुश्वार हो गया है। जनता आवागमन अवरुद्ध होने से परेशान है। जबकि भाजपा के नेता हर जगह लोक लुभावन बातें कर रहे हैं। लोगों को जब सांसद और मंत्री मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सकते तो इनको जनता से आशीर्वाद मांगने का कोई हक नहीं है। कांग्रेस नेता श्री दीक्षित ने कहा कि पन्ना विधानसभा क्षेत्र के अंदर निर्दोष लोगों पर पुलिस के फर्जी प्रकरण बनाए जाने का चलन चल गया है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जिनको झूठे मुकदमों में फंसाया गया है।

श्री दीक्षित ने आरोप लगाते हुए कहा कि अजयगढ़ क्षेत्र के प्रत्येक गांव में रोजगार के लिए लोगों ने ट्रेक्टर खरीदकर वैधानिक रूप से रेत का व्यापार एवं परिवहन शुरू किया था, लेकिन बड़ी कम्पनियों को अवैध उत्खनन का अघोषित ठेका देकर केन नदी में भारी अवैध उत्खनन कराया जा रहा है जिससे छोटे व्यवसायियों और स्थानीय लोगों का रोजगार छिन गया। बाहर की कम्पनी ने अवैध उत्खनन कर मोटा मुनाफा कमाया है, इसके लिए जिम्मेदार कौन है। सरकारी कार्यों के निर्माण कार्य, मिनी स्मार्ट सिटी में गड़बड़झाला जैसे सैकड़ों मुद्दे हैं, जिस पर भारतीय जनता पार्टी को हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हुए क्षमा याचना यात्रा निकालनी चाहिए।

पीसीसी मेम्बर श्रीकान्त दीक्षित ने बताया कि गणेश चतुर्थी के पर्व से मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ जन आक्रोश यात्रा कांग्रेस पार्टी द्वारा निकाली जा रही है। पन्ना में 22 सितम्बर को जन आक्रोश यात्रा पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव के नेतृत्व में पहुंच रही है। इस जन आक्रोश यात्रा में जिस तरह से स्वमेव भीड़ जुड़ रही है, उससे यह देखा जा सकता है कि इसको जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस नेता ने कांग्रेसजनों एवं आम जनता से पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री यादव के नेतृत्व में पहुंच रही जन आक्रोश यात्रा में शामिल होने की अपील की है।

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Monday, September 18, 2023

नैसर्गिक ढंग से उगने वाली धान पसही : बाबूलाल दाहिया

डबरों पोखरों में नैसर्गिक ढंग से उगने वाली धान पसही। 

  

किसी परम्परागत देसी किस्म के अनाज की एक पहचान यह भी है कि उसकी उस क्षेत्र में जंगली किस्म भी हो। इस मापदंड में हम धान, कोदो ,तिल और मूँग को बड़े विश्वास के साथ कह सकते हैं कि यह हमारे यही के अनाज होंगे ? क्योंकि इनकी सभी की जंगली प्रजातियां यहां मौजूद हैं।

पसही नैसर्गिक ढंग से डबरों पोखरों में उगती है, और अपना वंश परिवर्धन करती है। हमने देखा है कि 1979 में ऐसा घनघोर सूखा पड़ा कि 8 अगस्त से वर्षा पूरी तरह समाप्त हो गई तो बाद में दिसम्बर लास्ट में ही बारिश हुई थी। जिससे धान और सभी अनाजों के साथ पसही भी हर एक डबरों पोखरों की समाप्त हो गई थी। पर इसके बाबजूद भी वह दो तीन वर्ष में सभी डबरों पोखरों में लहलहा उठी।

क्योंकि उसने अपना बीज सम्बाहक कीचड़ में लोटने वाली भैस को बना रखा है। उसके सेंक़ुर युक्त बीज भैस के पीठ में चिपट जाते हैं,और फिर एक तलाब से दूसरे तलाब एवं डबरों पोखरों में पहुंच जाते हैं। हुआ यह कि वह देशब्यापी सूखे के बाबजूद भी बारह मासी पानी वाले तलाबों में बच रही थी। अस्तु उसका बीज दूसरे वर्ष भैस के माध्यम से पुनः सभी डबरों में चला गया। इसने अपना सुरक्षा कवच भी बड़े- बड़े सघन सेंकुर को बनाया है जिससे जानवर इसे नही खाते।

वह अन्य धानों की तरह एक साथ पकती भी नही, बल्कि नए किल्ले आते जाते हैं और निपस कर बालो में दाने पकते व झड़ते जाते हैं। इस तरह वह प्रकृति से समन्वय बना बिषम परिस्थिति में भी अपने को जीवित किए हुए है।

पसही और भैस के समन्वय से यह भली भांति ज्ञात होता है कि जैव विविधता की दृष्टि से हर एक जीव का रहना जरूरी है। क्योंकि एक न रहा तो दूसरा भी समाप्त हो जायगा। पसही कि तरह ही अन्य जीव जन्तुओं और बनस्पतियों का भी समन्वय है। सभी बनस्पतियों ने अपना कोई न कोई बीज सम्बाहक यजमान बना रखा है। बस अपने आस पास नजर दौड़ाने की आवश्यक्ता है।

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Monday, September 11, 2023

विकास के साथ अपनी प्राचीन धरोहरों, स्थापत्य कला व संस्कृति भी बचाना जरूरी !

  • पन्ना - पहाड़ीखेरा मार्ग पर लक्ष्मीपुर के निकट स्थित यह पुलिया अब नहीं मिलेगी   
  • अपनी अनूठी स्थापत्य कला और बेजोड़ बनावट के चलते अब तक अडिग थी पुलिया

पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर लक्ष्मीपुर के निकट स्थित प्राचीन राजशाही ज़माने की यह पुलिया अब नहीं दिखेगी। 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश का पन्ना जिला ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व की बुंदेली स्थापत्य वाली इमारतों और किलों के लिए भी जाना जाता है। राजशाही ज़माने में यहाँ निर्मित पुल और पुलियाँ तथा अनूठी जल संरचनायें आज भी अपनी अनूठी स्थापत्य कला की द्रष्टि से बेजोड़ हैं और समुचित देखरेख न होने व उपेक्षा के वावजूद भी अपना वजूद कायम किये हुए हैं।  

पन्ना शहर की जीवन रेखा कहे जाने वाले पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर लक्ष्मीपुर के निकट स्थित प्राचीन राजशाही ज़माने की पुलिया भी अनूठी है। चूँकि इस सड़क मार्ग का चौडीकरण सीआरएफ येाजना के तहत किया जा रहा है। इसलिए ऐतिहासिक महत्व वाली इस पुलिया को भी तोडा जा रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि सौ साल से भी अधिक पुरानी इस पुलिया को जेसीबी मशीन से तोड़ने में भी कठिनाई हो रही है। इस सडक मार्ग पर यातायात को सुगम बनाने के लिए इसकी चौडाई 7.50 मीटर की जा रही है ताकि आवागमन सुगम हो और पर्यटन विकास को भी बल मिले। लेकिन विचारणीय बात यह है कि सड़क मार्ग पर निर्मित किये जा रहे पुल व पुलियाँ  क्या गुणवत्ता और मजबूती की दृष्टि से तोड़ी गई पुलिया का मुकाबला कर सकेंगी ? 

लक्ष्मीपुर पैलेस के पहले मानस वट वृक्ष वाले प्रसिद्ध आश्रम के सामने स्थित यह प्राचीन अनूठी पुलिया अब देखने को नहीं मिलेगी। बीते कई दिनों से इस पुलिया को तोड़ने का काम जेसीबी मशीन से किया जा रहा है। पुलिया को तोड़े जाने के द्रश्य की फोटो स्वयंसेवी संस्था समर्थन के रिजनल क्वार्डिनेटर ज्ञानेन्द्र तिवारी ने उपलब्ध कराते हुए बताया कि पुलिया इतनी मजबूत है कि उसे तोडना मुश्किल हो रहा है। मशीन तक के अस्थि पंजर ढीले हो रहे हैं, जेसीबी के पंजे काम नहीं कर रहे। 


श्री तिवारी ने बताया कि बीते रोज जब वे फील्ड से वापस पन्ना लौट रहे थे तो आश्रम के सामने स्थित पुलिया में गड़गड़ाहट की आवाज सुन रूक गया। वहां का नजारा देख हैरत में पड़ गया। पत्थर और चूना गच्ची से निर्मित इस पुलिया की बनावट, स्थापत्य कला और मजबूती देखते ही बनती है। लेकिन सड़क मार्ग का चौड़ीकरण होने के चलते कल तक यह पुलिया गायब हो जाएगी, आपको न मिलेगी। सड़क मार्ग का चौडीकरण और विकास जरूरी है, लेकिन क्या अपनी प्राचीन धरोहरों, स्थापत्य कला व संस्कृति को बचाने के उपाय नहीं खोजे जा सकते ? 

एक शताब्दी से भी अधिक समय से अडिग खड़ा यह पुल जेसीबी मशीन के क्रूर पंजों के हमलों से कराह रहा था। पुलिया से निकल रही आवाजें यह बताने का प्रयास कर रही थीं कि हम कमजोर न थे लेकिन हमारा समय कमजोर है। आज तक हमारे ऊपर से अनगिनत लोग और वाहन गुजरे लेकिन हमने कभी उफ़ नहीं किया, हमेशा ख़ुशी ही मिली। हमें तोड़कर इस जगह अब नई पुलिया बनेगी लेकिन उसे देखने के लिए हम नहीं रहेंगे। 

लक्ष्मीपुर पैलेस का भी है अनूठा इतिहास 


पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग के किनारे स्थित लक्ष्मीपुर पैलेस (फाइल फोटो)  

लक्ष्मीपुर पैलेस का निर्माण तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा रुद्र प्रताप सिंह ने करवाया था। लगभग सवा सौ वर्ष पूर्व निर्मित इस पैलेस में अनेकों वर्षों तक महाराज रुद्र प्रताप सिंह निवास करते रहे हैं। आपने 1870 से लेकर 1893 तक पन्ना राज्य में शासन किया और इस दौरान लक्ष्मीपुर पैलेस सहित पन्ना के सुप्रसिद्ध बलदेव जी मंदिर, गोविंद जी मंदिर, अजयगढ़ की घाटी, राज मंदिर पैलेस तथा सड़कों का निर्माण कराया गया। जानकारों का कहना है कि महाराज रुद्र प्रताप सिंह के शासनकाल में ही पन्ना शहर का नवनिर्माण हुआ। राजाशाही जमाने की इस भव्य और प्राचीन इमारत को राज्य शासन द्वारा वर्ष 1972 के बाद खुली जेल में तब्दील कर दिया गया था। 

खुली जेल बनने के उपरांत लक्ष्मीपुर पैलेस में उस समय के दुर्दांत डकैत मूरत सिंह, मौनी रामसहाय, पूजा बब्बा व शंकर सिंह गिरोह के एक सैकड़ा से भी अधिक डकैत रहते रहे हैं। लक्ष्मीपुर गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं की मूरत सिंह के गैंग में 35 लोग थे, जिनमें लक्ष्मण सिंह, मिच्चू यादव, नत्थू यादव, बब्बू व देवी सिंह मुख्य थे। मौनी रामसहाय गिरोह के मर्दाना विश्वकर्मा, गोविंद सिंह और शंकर सिंह गिरोह के प्रमुख डकैतों में विश्वनाथ सिंह, छोटेलाल व अर्जुन सिंह आदि थे। भय और आतंक के पर्याय बने इन डकैतों ने लक्ष्मीपुर पैलेस में कई साल गुजारे थे। 

बताया जाता है की खुली जेल रही लक्ष्मीपुर पैलेस में उस समय कुल 110 डकैत थे। इन डकैतों ने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी के सामने 31 मई 1972 को देव स्थल जटाशंकर में आत्मसमर्पण किया था। जानकारों का कहना है कि मूरत सिंह का गिरोह सबसे बड़ा था। इस गिरोह के अधिकांश सदस्य रौबदार मूंछे रखते थे, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग खुली जेल लक्ष्मीपुर में आते थे। बताया जाता है की मूरत सिंह पूरे 30 वर्षों तक फरार रहा और इस दौरान इस गिरोह की तूती बोलती रही। 

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Thursday, September 7, 2023

भोपाल में बनेगा सर्वसुविधायुक्त स्टेट मीडिया सेंटर - मुख्यमंत्री श्री चौहान

  • पत्रकारों के उपचार के लिए बढ़ी सहायता राशि, जनसंपर्क विभाग छोटे शहरों और कस्बों के पत्रकारों को दिलवाएगा डिजिटल तकनीक का प्रशिक्षण,मुख्यमंत्री निवास में हुआ पत्रकार समागम, पहली बार एकत्र हुए प्रदेश के प्रमुख नगरों और सभी जिलों के मीडिया प्रतिनिधि, प्रिंट सहित इलेक्ट्रानिक मीडिया और न्यू मीडिया के प्रतिनिधि हुए शामिल, वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर भी पत्रकार समागम में पहुंचे। 

मुख्यमंत्री निवास में पत्रकार समागम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। 

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लोकतंत्र के आधार स्तंभ के रूप में मीडिया प्रतिनिधियों का परिश्रम प्रशंसनीय है। पत्रकार साथी दिन-रात कार्य करते हैं। अनेक कठिनाइयों के बीच वे तथ्यों और समाचारों को जनता तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। यही नहीं सरकार और अन्य सभी के लिए सेतु के रूप में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मीडिया के लिए मेरे मन में बहुत आदर का स्थान है। आज इस पत्रकार समागम में अनेक साथियों से भेंट हो रही है। 

श्री चौहान आज मुख्यमंत्री निवास में पत्रकार समागम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पत्रकार वर्ग के लिए अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। इनमें उपचार सहायता, बीमा योजना, आवास सुविधा, शिक्षा के लिए सुविधा आदि शामिल है। इसके साथ ही जनसंपर्क विभाग छोटे शहरों और कस्बों के पत्रकारों को डिजिटल तकनीक प्रशिक्षण दिलवाने का कार्य भी करेगा। आज हुए पत्रकार समागम में पहली बार राजधानी में प्रदेश के अनेक जिलों के पत्रकार एकत्र हुए।

अत्याधुनिक होगा स्टेट मीडिया सेंटर

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भोपाल के मालवीय नगर में पत्रकार भवन की भूमि वर्तमान में अनुपयोगी है। सभी की इच्छा है कि यहां नया भवन बने। इसे नया स्वरूप दिया जाएगा। नया भवन निर्मित किया जाएगा। नवनिर्मित भवन के साथ ही इसे स्टेट मीडिया सेंटर का दर्जा रहेगा। इसमें सभागार, पुस्तकालय, कैंटीन, सामान्य कक्ष सहित अन्य सुविधाएं होंगी। सेंटर में आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराएंगे।

मीडिया के प्रतिनिधियों से मुख्यमंत्री श्री चौहान ने की आत्मीय चर्चा

आज मुख्यमंत्री निवास में पत्रकार समागम में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, न्यू मीडिया के विभिन्न माध्यमों और सोशल मीडिया के अलग-अलग माध्यमों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। आकाशवाणी, दूरदर्शन से जुड़े प्रतिनिधियों और एफएम चैनल के प्रतिनिधि भी पत्रकार समागम में शामिल हुए। वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर भी पत्रकार समागम में पहुंचे। राजधानी भोपाल सहित प्रमुख नगरों इंदौर, उज्जैन, सागर, रीवा, शहडोल, चंबल, ग्वालियर और नर्मदापुरम सहित सभी संभागों के सभी जिलों के प्रतिनिधि आए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संबोधन के पश्चात मीडिया बंधुओं से आत्मीय भेंट और चर्चा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मीडिया के बंधुओं को दोपहर भोज के लिए आमंत्रित किया और भोजन के पश्चात ही प्रस्थान करने का आग्रह किया। व्रतधारी अतिथियों के लिए फलाहार की भी व्यवस्था की गई थी। पत्रकारों ने मुख्यमंत्री निवास परिसर में नवनिर्मित समत्व भवन और भोज ताल की सुंदरता का भी अवलोकन किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान की महत्वपूर्ण घोषणाएं :

  • राजधानी के पत्रकार भवन की भूमि पर नए भवन का निर्माण किया जाएगा।
  • वर्तमान में भोपाल में दो स्थानों पर पत्रकारों के लिए भूमि आवंटित कर कॉलोनी विकसित की गई है। अन्य नगरों में आज की आवश्यकता के अनुसार पत्रकारों की सोसायटी को भूमि प्रदान करने की कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए विधिवत कदम उठाए जाएंगे। इससे पत्रकार बंधुओं को अपना मकान बनाने के लिए व्यवस्था आसान होगी।
  • बीमा कंपनी द्वारा प्रीमियम राशि में 27 प्रतिशत वृद्धि की गई थी। बढ़ी हुई राशि पत्रकारों को नहीं भरना होगी। राज्य सरकार बढ़ी हुई राशि वहन करेगी। गत वर्ष की तरह ही पत्रकारों को प्रीमियम देना होगा।
  • 65 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ पत्रकारों को बीमा के लिए प्रीमियम राज्य सरकार द्वारा भरा जाएगा। पत्रकारों के जीवनसाथी (पति/पत्नी) के बीमा का प्रीमियम भीराज्य सरकार भरेगी।
  • बीमा योजना की अंतिम तिथि 16 सितंबर से बढ़ाकर 25 सितंबर की जाएगी।
  • अस्वस्थ होने पर पत्रकार बंधु को आर्थिक सहायता के लिए वर्तमान प्रावधान 20 हजार के स्थान पर 40 हजार रूपए किया जाएगा। गंभीर बीमारी की स्थिति में यह 50 हजार के स्थान पर एक लाख रुपये होगा।
  • मध्यप्रदेश के वरिष्ठ एवं बुजुर्ग पत्रकारों को मासिक सम्मान निधि की राशि 10 हजार के स्थान पर 20 हजार रूपए होगी।
  • सम्मान निधि प्राप्त करने वाले पत्रकार के अवसान की स्थिति में परिवार को आठ लाख रूपए की राशि प्रदान की जाएगी।
  • अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को आवास ऋण ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत अधिकतम ऋण की राशि 25 लाख से बढ़ाकर 30 लाख रूपए की जाएगी।
  • अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों के बेटे-बेटियों की शिक्षा के लिए बैंक से ऋण पर उसके ब्याज पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान 5 वर्ष के लिए राज्य सरकार वहन करेगी।
  • मध्यप्रदेश के छोटे शहरों और कस्बों के पत्रकार साथियों की जरूरत के अनुसार उन्हें भोपाल में डिजिटल तकनीक का प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। इसके लिए जनसंपर्क विभाग आवश्यक व्यवस्थाएं करेगा। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का सहयोग भी प्राप्त किया जाएगा।
  • पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए वरिष्ठ पत्रकारों की समिति गठित कर प्राप्त सुझावों पर राज्य शासन द्वारा अमल किया जाएगा।
  • पत्रकार समागम के अवसर पर मुख्यमंत्री और जनसंपर्क विभाग के सचिव  विवेक पोरवाल, आयुक्त जनसंपर्क  मनीष सिंह, जनसंपर्क संचालक  आशुतोष प्रताप सिंह और मुख्यमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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Wednesday, September 6, 2023

औषधीय व पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है देशी तरकारी कचरिया

  • खेतों और मेड़ों में अपने आप उग जाती है इसकी बेल 
  • जुकाम, पित्‍त, कफ, कब्‍ज सहित कई रोगों की है दवा

कचरी या कचरिया एक सुपरिचित तरकारी है जिसे एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर माना जाता है।

।। अरुण सिंह।। 

कचरिया को अगर भारत की देसी सब्जी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। आमतौर पर यह खेतों और मेड़ों में अपने आप उग जाती है और इसकी बेल जहां-तहां फैल जाती है। लेकिन अब इसके पौष्टिक गुणों को देखते हुए देश में इसकी खेती भी की जा रही है और यह आसानी से बाजारों में भी नजर आती है। इसका सेवन शरीर को अपच और कब्ज से दूर रखता है। कचरी को एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भी भरपूर माना जाता है। 

कचरी या कचरिया एक सुपरिचित तरकारी है। मरु प्रदेश में बहुत ज्यादा पैदा होने के कारण इसका एक नाम मरुजा भी है। कचरी का पौधा कुकुरबिटेसी कुल से आता है। आयुर्वेद में कचरी को कर्कटी वर्ग की वनौषधि माना है। कचरी की बेल खीरे जैसी होती है, लेकिन लंबाई में थोड़ी छोटी होती है। कचरी के पत्ते ककड़ी के पत्तों जैसे ही होते हैं। इसकी बेल पर छोटे-छोटे पीले रंग के सुंदर फूल लगते हैं। कचरी को ग्वाले बहुत रुचि से खाते हैं, इसलिए कचरी का एक नाम गोपाल कर्कटी भी पड़ गया है।

जैविक खेती को बढ़ावा देने वाले बघेलखण्ड के कृषक पद्मश्री बाबूलाल दाहिया इस देशी तरकारी के बारे में बताते हैं कि इसे बघेलखण्ड में पेहुटी और कुछ अन्य स्थानों में कचरिया के नाम से जानते हैं। इनको अगर पकने के पहले तोड़ एवं काट कर धूप में सुखा लिया जाय और नमक मसाले तेल के साथ लेट लिया जाय तो इसका बेहतरीन अचार पूरे साल भर खाया जा सकता है। इसे कहीं उगाने की जरूरत नहीं होती ? क्योकि इसने अपना बीज सम्बाहक सदियों से भेड़ ,बकरी, हिरण, चीतल आदि को बना रक्खा है। यू तो इसका कच्चा फल कडबा होता है, किन्तु पकने के बाद फूट, ककड़ी जैसा मीठा। अस्तु भेड़ बकरी इसका पका और अधपका फल चबाकर निगल जाती हैं तथा अपनी मेंगनी के साथ बीज का दूर-दूर तक फैलाव करती हैं।

 श्री दाहिया बताते हैं कि प्राचीन समय में शिकारी लोग मछली पकड़ने वाली वंशी में इसे फसाकर हिरण का शिकार भी करते थे। दरअसल यह हिरण का बहुत प्रिय भोजन है अस्तु शिकारी वंशी में 2 फीट की डोरी बांध उसके दूसरे छोर में बच्चों के गिल्ली डंडा खेलने वाली गिल्ली बांध देते थे और वंशी के नोक में इस पेहुटी के फल को फसा हिरण के रात्रि रखड़ने वाले स्थान में रख देते थे। जब वह फल खाते और वंशी की नोक जीभ में फस जाती तो उसे अलग करने के लिए डोरी में खुर मारते तो उस गिल्ली में खुर भी फस जाता। उसके पश्चात बेचारा हिरण चुपचाप खड़ा रह जाता, जिसे शिकारी पकड़ ले जाते। इस फल का  माड़वारी समुदाय पूजा करता है और इसे बड़े चाव से खाता है।

कचरी को (वानस्पतिक नाम: Cucumis pubescens) संस्कृत में चित्रकला, मृगाक्षी, चिभट मराठी में टकमके रौंदनी, चिभूड़ बांग्ला में वनगोमुक, कुंदुरुकी, फुटी पंजाबी में चिंभड़, मारवाड़ी में काचरी और सेंध, हिंदी में आंचलिकता के आधार पर काचर, सैंध, गुराड़ी, पेंहटा और कचरिया कहा जाता है। कचरी के औषधीय गुणों का वर्णन आयुर्वेदिक ग्रंथों में उपलब्ध है। कचरी के कच्चे हरे सफेद चितकबरे फल बहुत कड़वे होते हैं। पकने पर यही फल पीले पड़ जाते हैं। पकी और अधपकी कचरी से भीनी-भीनी सुगंध आती है। प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रंथ राज निघंटु में कचरी को तिक्तरस वाली, विपाक में अम्ल वातनाशक, पित्तकारक तथा उत्तम रुचिकारक बताया गया है। कचरी को आयुर्वेद में 'मृगाक्षी' कहा जाता है और यह बिगड़े हुए जुकाम, पित्‍त, कफ, कब्‍ज, परमेह सहित कई रोगों में बेहतरीन दवा मानी गई है।

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