Wednesday, January 30, 2019

अकोला गेट से पन्ना बफर क्षेत्र में शुरू हुआ पर्यटन

  •   क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने फीता काटकर किया शुभारम्भ
  •   पहले दिन पत्रकारों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने जंगल भ्रमण का लिया लुत्फ
  •   सांभर, चीतल, नीलगाय सहित विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का किया दीदार


अकोला गेट में फीता काटते हुये क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया।

 अरुण सिंह  
 
पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से महज 16 किमी. की दूरी पर स्थित पन्ना बफर क्षेत्र के अकोला गेट से पर्यटन शुरू हो गया है। बुधवार 30 जनवरी को सुबह क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक विधि विधान के साथ फीता काटकर पर्यटन से जुड़ी इस अभिनव गतिविधि का शुभारंभ किया। 

पहले दिन जिले के पत्रकारों सहित बड़ी संख्या में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण में रूचि रखने वाले लोगों ने जंगल की निराली दुनिया का लुत्फ उठाया। अकोला गेट से पर्यटन शुरू होने पर आस-पास स्थित ग्रामों के लोगों में भी  अभूतपूर्व उत्साह देखा गया। ग्रामीणों को उम्मीद है कि बफर क्षेत्र में पर्यटन शुरू होने से जंगल की कटाई सहित शिकार की घटनाओं पर जहां अंकुश लगेगा, वहीं पर्यटकों के आने से रोजी-रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

उदघाटन के बाद  गेट में मौजूद हांथी जंगल में अंदर प्रवेश करते हुये।

इस अनूठी और नई गतिविधि के शुरू होने के अवसर पर बुधवार को अकोला गेट के पास उत्सवी माहौल देखने को मिला। प्रवेश द्वार के दोनों तरफ पन्ना टाईगर रिजर्व के हांथी खड़े हुये थे, जिससे वहां का नजारा बेहद आकर्षक और अनूठा नजर आ रहा था। निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने नारियल फोड़कर फीता काटा और वहाँ मौजूद लोगों ने करतल ध्वनि से इसका स्वागत किया। 

प्रवेश द्वार के निकट ही  पार्क प्रबन्धन द्वारा सभी आगन्तुकों के लिये चाय-नाश्ते का भी इंतजाम किया गया था जिसका आनन्द लेने के बाद सभी लोग जिप्सियों में सवार होकर जंगल की सैर के लिये निकल पड़े। चूंकि पहले दिन बफर क्षेत्र का भ्रमण नि:शुल्क था, इसलिये बड़ी संख्या में लोग पहुँचे थे। एक जिप्सी में पत्रकारों का दल था, जिन्होंने बड़ी उत्सुकता के साथ पूरे वन क्षेत्र का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर जैसे वन्य प्राणियों के अलावा विभिन्न प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षियों के भी दर्शन हुये।

भ्रमण के दौरान जंगल की  निराली दुनिया का लुत्फ उठाता पत्रकार दल।

गौरतलब है कि पन्ना बफर क्षेत्र के इस जंगल में एक नर बाघ ने अपना रहवास बना लिया है, जिससे यहां बाघ के दीदार की भी संभावना रहती है। इसके अलावा सड़क के उस पार पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से भी बाघ परिवार चहल कदमी करते हुये बफर क्षेत्र में आ जाते हैं। जिससे इस नये क्षेत्र में भी पर्यटकों का आकर्षण आने वाले समय में बढ़ेगा इसकी पूरी संभावना है, जिसका लाभ निश्चित रूप से आस-पास स्थित ग्रामों के रहवासियों को भी मिलेगा। 
चूंकि अभी तक बफर क्षेत्र के इस जंगल की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद नहीं थी, इसलिये अधिकांश वन क्षेत्र उजड़ा हुआ है। पूरे इलाके में सैकड़ों की संख्या में मवेशी चरते हुये नजर आते हैं। अब यहां पर्यटन शुरू होने पर जहाँ सुरक्षा इंतजाम पुख्ता होंगे, वहीं पर्यटकों की आवाजाही होने से अवैध वन कटाई पर भी रोक लगेगी, जिससे कुछ ही वर्षों में उजाड़ सा दिखने वाला यह जंगल भी हरा-भरा और समृद्ध हो सकता है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुये यहां पर्यटन शुरू किया गया है।

आकर्षण का केन्द्र बनेंगे कई स्थल


अकोला के जंगल में स्थित बिड़वानी नाला जहां चट्टानों पर बने हैं शैल चित्र।

बफर क्षेत्र के इस जंगल में ऐसे कई प्राकृतिक मनोरम स्थल हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनेंगे। आकोला बफर क्षेत्र में ही एक ऐसा ही स्थल बिडवानी नाला है। यहां की प्राकृतिक संरचना तो अनूठी है ही, बिड़वानी नाला भी रहस्य से परिपूर्ण है। इस नाले में एक स्थान पर जमीन के भीतर से पानी स्वमेव निकलता है। यह जल श्रोत नैसर्गिक  है जहां से बारहों महीने अनवरत् पानी निकलता रहता है। जिसके चलते बिड़वानी नाला गर्मियों  में भी पानी से लवरेज बना रहता है। 
पानी की उपलब्धता के कारण यहां बड़ी संख्या में वन्यजीव आते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इस प्राकृतिक जल श्रोत के निकट ही चट्टान की शेल्टर है जहां पर हजारों वर्ष पुराने शैल चित्र भी बने हुये हैं। यहाँ की भौगोलिक स्थिति व जल श्रोत को दृष्टिगत रखते हुये ऐसा प्रतीत होता है कि हजारों वर्ष पूर्व यहां पर आदि मानवों का भी रहवास रहा है। इन्हीं लोगों ने चट्टानों पर प्राकृतिक रंगों से चित्र बनाये होंगे जो आज भी यहां विद्यमान हैं।

जंगल में सुरक्षा हेतु बनाये गये 6 अस्थाई कैम्प व निगरानी टॉवर 



 वन कर्मी  निगरानी करते हुये। 

पन्ना बफर क्षेत्र में जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पृथक-पृथक स्थनों पर 6 अस्थाई कैम्प बनाये गये हैं,इसके अलावा दो पक्के स्थाई निगरानी टॉवर भी हैं, जहां चौबीसों घण्टे वनकर्मी तैनात रहकर अपने इलाके में चौकस नजर रखते हैं। पन्ना बफर क्षेत्र के वन परिक्षेत्राधिकारी लालजी तिवारी ने बताया कि पूर्व में यह पूरा क्षेत्र वन कटाई व शिकार के लिये बदनाम रहा है। यहां पर्यटन शुरू करने से पूर्व हमने रैकी करके ऐसे संवेदनशील स्थलों को चिह्नित किया जहां शिकार होते थे। 
इन सभी स्थलों पर अस्थाई कैम्प  बनाये गये हैं जिससे अब शिकार पर प्रभावी रोक लगी है। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि अकोला बफर क्षेत्र में पर्यटन शुरू होने से कोर क्षेत्र में पर्यटन का दवाब कुछ कम होगा तथा इस क्षेत्र का बिगड़ा वन आने वाले कुछ ही वर्षों में बेहतर हो जायेगा। श्री भदौरिया ने कहा कि स्थिति का अध्ययन करने के बाद आने वाले समय में यहां नाइट सफारी शुरू करने की भी योजना है।

00000

Tuesday, January 29, 2019

पन्ना सर्किट हाऊस में रहा कांग्रेसियों का जमावड़ा

  •   केन्द्रीय पर्यवेक्षक के समक्ष एक दर्जन से भी अधिक नेताओं ने की दावेदारी
  •   लोकसभा का चुनाव लडऩे कांग्रेस नेत्रियों ने भी दिखाया दम


 केन्द्रीय पर्यवेक्षक सुधांशु त्रिपाठी कांग्रेस नेताओं से चर्चा करते हुये।
अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं में गजब का उत्साह दिखने लगा है। बीते 15 सालों तक जो लोक पार्टी के कार्यक्रमों व धरना प्रदर्शनों में दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आते थे, सरकार बनने के बाद से वे भी अचानक सक्रिय हो गये हैं। इतना ही नहीं इस तरह के नेता बकायदे अब अपनी दावेदारी जताते हुये टिकट की माँग भी करने लगे हैं। ऐसा ही नजारा सोमवार को सर्किट  हाऊस पन्ना में देखने को मिला। यहां कांग्रेस के केन्द्रीय पर्यवेक्षक सुधांशु त्रिपाठी लोकसभा चुनाव के लिये क्षेत्र क नेताओं व कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के लिये आये हुये थे।

 सर्किट  हाऊस पन्ना में कांग्रेसियों के जमावड़े का दृश्य।

उल्लेखनीय है कि खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में तीन जिलों की 8 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें पन्ना जिले की पन्ना, पवई व गुनौर, छतरपुर जिले की चन्दला व राजनगर तथा कटनी जिले की मुड़वारा, बहोरीबन्द तथा विजयराघवगढ़ विधानसभा शामिल हैं। जाहिर है कि लोकसभा के लिये दावेदारी जताने के लिये तीनों जिलों के कांग्रेस नेताओं का सर्किट हाऊस में जमावड़ा रहा। कुछ नेताओं ने तो अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिये केन्द्रीय पर्यवेक्षक के समक्ष शक्ति प्रदर्शन भी किया। शक्ति प्रदर्शन करने वाले नेताओं में छतरपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज त्रिवेदी प्रमुख हैं। लोकसभा के लिये अपनी दावेदारी पेश करने वाले नेताओं में पन्ना से जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति दिव्यारानी सिंह, पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता रवीन्द्र शुक्ला, शारदा पाठक, वीरेन्द्र द्विवेदी, अनुराधा शेंडके, भरत मिलन पाण्डेय, श्रीमति मीना यादव, अजयवीर सिंह , राघवेन्द्र सिंह मुन्ना राजा, पुष्पेन्द्र सिंह परमार, संजय पटेल, धीरज तिवारी प्रमुख हैं। जबकि छतरपुर जिले से मनोज त्रिवेदी व कटनी जिले से पद्मा शुक्ला पूर्व विधायक, सौरभ सिंह  व बृजेन्द्र मिश्रा ने अपनी दावेदारी पेश की है। इस रायशुमारी के दौरान लोकसभा का चुनाव लड़ चुके पूर्व प्रत्याशी राजा पटेरिया व पवई क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव हार चुके पूर्व मंत्री मुकेश नायक के समर्थकों ने भी अपने नेताओं के लिये दावेदारी पेश की। दावेदारी पेश करने का सिलसिला सुबह 11 बजे से शुरू हुआ जो देर शाम तक चलता रहा। इस दौरान  सर्किट हाऊस में राजनैतिक सरगर्मी उफान पर रही तथा पूरे परिसर व सड़क मार्ग पर वाहनों की कतारें लगी रहीं। जानकारों का कहना है कि बीते 15 सालों में पहली बार कांग्रेसियों  में ऐसा उत्साह दिखाई दिया है।
00000

पन्ना बफर क्षेत्र में पर्यटन हेतु खुलेगा अकोला गेट

  •   पन्नावासियों द्वारा लम्बे समय से की जा रही थी माँग
  •   पर्यटक अब बफर क्षेत्र के जंगल में भी कर सकेंगे भ्रमण
  •   पहले दिन 30 जनवरी को रहेगा प्रवेश नि:शुल्क


 पन्ना बफर क्षेत्र का अकोला प्रवेश द्वार जहां से पर्यटक भ्रमण हेतु जा सकेंगे। 
 अरुण सिंह द्वारा -
पन्ना, 29 जनवरी 2019। म.प्र. के पन्ना जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिय पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा एक नई शुरूआत की जा रही है। पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से लगे बफर जोन के जंगल में 30 जनवरी से पर्यटक भ्रमण कर सकेंगे। इसके लिये पन्ना-अमानगंज मार्ग पर स्थित अकोला गेट पर्यटकों के लिये खोला जा रहा है, जिसकी पूरी तैयारी की जा चुकी है। अकोला गेट से भ्रमण हेतु पहले दिन बुधवार 30 जनवरी को सभी के लिये प्रवेश नि:शुल्क रखा गया है।
इस अभिनव पहल के बारे में जानकारी देते हुये क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने बताया कि पन्ना के लोग विगत लम्बे समय से अकोला गेट से पर्यटन शुरू किये जाने की माँग कर रहे थे। बीते माह भोपाल से उच्च अधिकारियों के पन्ना आने पर भी अकोला गेट शुरू करने का मामला उठाया गया था। जिसे दृष्टिगत रखते हुये यहां से पर्यटन शुरू करने का निर्णय लिया गया है। श्री भदौरिया ने बताया कि सुबह 6 बजे से 11 बजे तक और शाम को 3 बजे से 6 बजे तक पर्यटक बफर जोन के जंगल का भ्रमण कर वन्य प्राणियों का दीदार कर सकेंगे। आपके मुताबिक अकोला गेट से पर्यटन शुरू होने पर यहां मवेशियों और ग्रामीणों के प्रवेश पर रोक लगेगी, जिससे यहां जैविक दवाब कम होगा। ऐसा होने पर बफरजोन के इस जंगल में जैव विविधता बढेगी और वनों का घनत्व भी बढ़ेगा। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि अकोला गेट से पर्यटन बढऩे पर इसका लाभ स्थानीय लोगों को भी मिलेगा। इतना ही नहीं क्षेत्र में वन्य प्राणियों की सुरक्षा और वन्य प्राणी प्रबंधन का कार्य बेहतर ढंग से संभव होगा, जिससे वन क्षेत्र में वन्य प्राणियों का रहवास विकसित होगा। आपने बताया कि अकोला बफर जोन में पर्यटन से जो भी आय होगी, उसका उपयोग वन्य प्राणी प्रबंधन में किया जायेगा। श्री भदौरिया ने कहा कि अकोला गेट शुरू करने को लेकर पूर्व में जो गतिरोध उत्पन्न हुये थे, उनका निराकरण कर लिया गया है। अब यहां से पर्यटन शुरू करने पर किसी भी तरह का कोई गतिरोध व समस्या नहीं होगी।

पर्यटन का उप संचालक ने किया था विरोध

मालुम हो कि अकोला गेट से पर्यटन शुरू किय जाने की योजना का पन्ना टाईगर रिजर्व की डिप्टी डायरेक्टर वासु कनौजिया ने पुरजोर विरोध किया था। इस तेज तर्रार वन अधिकारी ने क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया के इस निर्णय का न सिर्फ विरोध किया था अपितु उन्होंने मामले की शिकायत एनटीसीए से भी की थी। उनका कहना था कि पन्ना टाईगर रिजर्व में मौजूदा समय 42 से भी अधिक बाघ हैं जो कोर और बफर क्षेत्र में स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश बाघों का विचरण क्षेत्र पन्ना कोर के साथ ही बफर क्षेत्र के अकोला, अमझिरिया, बांधी, बराछ व झलाई बीटों में रहता है। यह पूरा इलाका बाघों के नजरिये से काफी संवेदनशील क्षेत्र है, ऐसी स्थिति में इस बफर क्षेत्र को पर्यटन जोन बनाया जाना उचित नहीं होगा।

कोर जैसी करनी है बफर की सुरक्षा: भदौरिया


क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया
पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में जिस तरह की सुरक्षा व्यवसा है ठीक वैसी ही व्यवस्था बफर क्षेत्र में भी करने की योजना है, जिस पर हमने अमल शुरू कर दिया है। क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बताया कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा शिकार की घटनाओं में प्रभावी रोक लगाने के लिये बफर क्षेत्र में 54 नये कैम्प शुरू किये हैं। वनकर्मियों की कमी को देखते हुये इन कैम्पों में समिति के लोगों का उपयोग किया जा रहा है। शिकार की बढ़ती घटनाओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराये जाने पर क्षेत्र संचालक ने कहा कि पहले भी शिकार की घटनायें होती थीं, लेकिन पता नहीं चलता था। अब मामले न सिर्फ प्रकाश में आ रहे हैं अपितु पकड़े भी जा रहे हैं।
00000

बुनियादी सुविधाओं से वंचित है छापर गाँव



  •   गरीब आदिवासियों के घरों तक नहीं पहुँची बिजली
  •   ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू हुईं जिला कांग्रेस अध्यक्ष
  •   आदिवासियों से कहा गाँव की समस्याओं का होगा निराकरण



छापर गाँव के आदिवासियों से चर्चा करते हुये कांग्रेस अध्यक्ष दिव्या रानी साथ में कांग्रेसजन ।
अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से महज 7 किमी दूर स्थित हरिजन आदिवासी बहुल छोटा सा गाँव छापर आज भी मूलभूत और बुनियाी सुविधाओं से वंचित है। भीषण गरीबी और असुविधाओं के बीच रह रहे यहां के आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व पेयजल जैसी सुविधा मिलना तो दूर उनके घरों तक बिजली भी नहीं पहुँच पाई है। ऐसी स्थिति में दिन ढलते ही पूरा गाँव अंधेरे के आगोश में खो जाता है। रात्रि के समय इस गाँव के गरीब आदिवासी लकड़ी जलाकर उसकी ही रोशनी में खाना पीना करते हैं।
उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर के बेहद निकट स्थित छापर गाँव की दयनीय हालत की जानकारी मिलने पर जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष श्रीमति दिव्यारानी सिंह अन्य पार्टी पदाधिकारियों के साथ इस गाँव में पहुँची। यहां उन्होंने गाँव के आदिवासियों से रूबरू चर्चा कर उनकी समस्याओं को सुना। छापर गाँव के लोग जिला कांग्रेस अध्यक्ष को अपने बीच पाकर बेहद उत्साहित हुये और उन्होंने अपनी पीड़ा और तकलीफ एक-एक करके उनके सामने बयां की। ग्रामीणों ने बताया कि शासन की योजनाओं का लाभ भी उन्हीं नहीं मिल पाता, प्रभावशाली व दबंग लोग भी उन्हें परेशान करते हैं। आदिवासी महिलाओं ने अपने झोपड़ीनुमा घरों की ओर इशारा करते हुये बताया कि वे इस गाँव में पिछले 40 वर्षों से भी अधिक समय से रह रहे हैं, लेकिन अभी तक दूसरे गाँवों की तरह हमारे गाँव में बिजली नहीं पहुँची।
ग्रामीणों से रूबरू चर्चा के उपरान्त श्रीमति दिव्यारानी सिंह  ने विद्युत मण्डल के वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर उन्हें छापर गाँव की समस्या से अवगत कराया और कहा कि इस गाँव तक विद्युत लाइन पहुँचाने के लिये आवश्यक पहल की जाये ताकि ग्रामवासियों को अंधेरे से निजात मिल सके। गाँव के चौकीदार बुद्धूलाल को बीटगार्ड द्वारा हटाये जाने की जानकारी मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष ने इस संबंध में वन अधिकारियों से बात की, जिस पर उन्होंने आश्वस्त किया कि बुद्धूलाल को चौकीदार के पद पर पुन: रख लिया जायेगा। कांग्रेसजनों ने छापर गाँव की समस्याओं के संबंध में कलेक्टर पन्ना मनोज खत्री से भी चर्चा की, फलस्वरूप उन्होंने समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया। छापर गाँव के इस दौरे में जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिव्यारानी के साथ जिला पंचायत सदस्य व प्रवक्त केशव प्रताप सिंह, संगठन प्रभारी मनीष शर्मा, महामंत्री दीपचन्द्र अग्रवाल, जुबेर खान, सलीम खान सहित अन्य कार्यकर्ता शामिल रहे।
00000

Monday, January 28, 2019

डेढ़ वर्ष से वन विभाग की कैद में हैं दो बैल

  •   अपने मालिक के अपराध की सजा भुगत रहे निरीह बेजुवान
  •   वन भूमि पर खेती करने वाले परिवारों से वनकर्मियों ने किया था जब्त


परिक्षेत्र सहायक पहाड़ीखेरा के कार्यालय परिसर में डेढ़ वर्षों से  कैद बैलों की जोड़ी का द्रश्य। फोटो - अरुण सिंह 

 पन्ना। बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना जिले में पिछले डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय से दो बैल वन विभाग की कैद में हैं। वे अपने मालिकों द्वारा किये गये वन अपराध की अघोषित सजा काट रहे हैं। छोटे से आँगन वाले तंग कमरे में रहने को मजबूर इन मूक पशुओं की हालत अत्यंत ही दयनीय है। इनकी  बेबसी और बदहाली किसी को भी बेचैन कर सकती है। चार दिवारी के अंदर लम्बे समय से कैद होने के कारण बाहरी सम्पर्क से पूरी तरह कट चुके दोनों बैल आजाद होने के लिये हर पल छटपटा रहे हैं। लेकिन, उन लोगों ने इनकी अब तक कोई सुध नहीं ली जिनके कारण इन्हें कैद होना पड़ा। पशु मालिक के मुँह मोडऩे से बद्तर स्थिति में रहने और रुखा-सूखा खाने को मजबूर इन बैलों के पास जब भी कोई पहुँचता है तो वे उसे अपना मुक्तिदाता मानकर आशा भरी निगाहों से उसके पास आ जाते हैं। लेकिन, इन्हें हर बार निराशा हाथ लगती है। लम्बे इंतजार के बाद दोनों बैलों के वन विभाग की कैद से आजाद होने का एक अवसर आया है बशर्ते सोमवार 28 जनवरी को होने वाली नीलामी में कोई इन्हें खरीद ले।

वन भूमि की जुताई करते पकड़े थे बैल

पन्ना जिले के उत्तर वनमंडल की देवेन्द्रनगर रेंज में आने वाले पहाड़ीखेरा सर्किल अंतर्गत फू टी झिर नामक स्थान पर वन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में बारिश के समय पौधरोपण कार्य कराया था। जिसके कुछ ही दिन बाद आस-पास के आदिवासी परिवारों ने वहाँ अतिक्रमण कर पौधारोपण को नष्ट करने लिये वन भूमि की हल से जुताई कर दी। वन विभाग के अमले ने अवैध कब्जाधारियों को प्लांटेशन से खदेड़ते हुये उनके खिलाफ वन अपराध का प्रकरण कायम किया और हल खींचने रहे दोनों बैलों को मौके से पकड़ कर अपनी अभिरक्षा ले लिया। तभी से दोनों बैल पहाड़ीखेरा में स्थित वन विभाग के परिक्षेत्र सहायक के कार्यालय परिसर में स्थित एक छोटे से आँगन वाले पुराने खण्डहरनुमा कमरे में कैद हैं। रेंजर सुरेन्द्र शेण्डे ने बताया कि बैलों को छुड़ाने के लिये उनके मालिक (पालक) ने कोई प्रयास नहीं किया। जबकि, मैदानी कर्मचारियों ने पशुपालक परिवार से इस संबंध में कई बार चर्चा की। अपने ही बैलों के प्रति पशु मालिक के उपेक्षापूर्ण बर्ताव को देखते हुये इन्हें राजसात कर नीलाम करने तक अपने पास सुरक्षित रखने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था इस प्रक्रिया में निश्चित ही काफी  समय लगा है।

वनकर्मियों ने नहीं की समुचित देखभाल

डेढ़ वर्ष से कैद बैलों के साथ वन विभाग के अमले ने भी अच्छा बर्ताव नहीं किया। परिक्षेत्र सहायक समेत अधीनस्थ कर्मचारी इन्हें स्वयं की गलती से निर्मित समस्या मानते हैं। इसलिये, बैलों की देखभाल को लेकर इन्हें कोई सरोकार नहीं है। इन मूक पशुओं की बदहाली का पता पिछले दिनों तब चला जब पन्ना के पत्रकारों की एक टीम पहाड़ीखेरा के भ्रमण पर पहुँची। वहाँ परिक्षेत्र सहायक पहाड़ीखेरा के कार्यालय परिसर में स्थित खण्डरनुमा कमरे को खुलवाकर जब देखा तो दोनों बैल आँगन के एक कोने में रखे सूखे  प्याँर को खा रहे थे। इनके लिये भूसा-पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी। बैलों को इतने दिनों तक भोजन के नाम पर मुफ्त में मिला रुखा-सूखा प्याँर खिलाकर उनके साथ क्रूरता की गई। उधर कमरे में हर तरफ  बिखरे गोबर-मूत्र को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वहाँ कई महीनों से सफाई नहीं हुई है। मजेदार बात यह रही कि पत्रकार जब कार्यालय परिसर में ही स्थित वन विभाग के रेस्ट हाउस पहुँचे तो वहाँ कमरों में तीन सुरक्षा श्रमिक आराम फरमाते हुये मिले। इससे जाहिर है कि तीन-तीन सुरक्षा श्रमिक तैनात होने के बाद भी बैलों का जानबूझकर ख्याल नहीं रखा गया।

अब पीछा छुड़ाने में जुटा वन विभाग

बैलों की दुर्दशा को पत्रकारों के द्वारा पिछले दिनों अपने कैमरों में कैद करने के बाद उत्तर वन मंडल के अधिकारियों को यह एहसास हो गया था कि इनकी देखभाल में बरती गई लापरवाही के मुद्दे पर वह घिर सकते हैं, इसलिये डेढ़ साल बाद आनन-फानन में बैलों की नीलामी की तिथि घोषित कर दी गई। मालुम हो कि लम्बे समय से सीमित जगह में कैद रहने और खाने-पीने के कोई व्यवस्था न होने से दोनों बैल अब किसी उपयोग के लायक नहीं बचे हैं। बाहरी सम्पर्क पूरी तरह कटा होने तथा छोटे से स्थान में रहने से इनके शरीर काफी  हद तक जकड़ चुके हैं। इसलिये नीलामी में कोई इन्हें खरीदेगा इस बात की उम्मीद न के बराबर है। वन विभाग के अमले का भी यही मानना है। लेकिन,  इन बैलों से हरहाल में पीछा छुड़ाने का मन बना चुके अधिकारी इस स्थिति में अपने लोगों के नाम पर न्यूनतम बोली लगाकर इन्हें स्वछन्द विचरण के लिये छोड़ सकते हैं । अब देखना यह है कि डेढ़ वर्ष से कैद दोनों बैलों को खरीदने के लिये सोमवार को कोई वाकई सामने आता है या फिर वन अमले की योजनानुसार नीलाम होने पर ही उन्हें आजादी मिलेगी।
00000

Sunday, January 27, 2019

पन्ना जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस



  •   मुख्य समारोह में कलेक्टर ने ध्वजारोहण कर ली परेड की सलामी
  •   नौनिहालों ने प्रस्तुत की आकर्षक पीटी और सांस्कृतिक कार्यक्रम


 ध्वजारोहण के उपरान्त परेड की सलामी लेते हुये मुख्य अतिथि साथ में पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह ।

 पन्ना। जिले में गणतंत्र दिवस धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। जिला मुख्यालय पन्ना में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन स्थानीय पुलिस परेड मैदान में आयोजित किया गया। यहां आयोजित मुख्य समारोह में कलेक्टर मनोज खत्री द्वारा ध्वजारोहण किया गया। ध्वजारोहण के उपरांत परेड की सलामी तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के प्रदेश की जनता के नाम संदेश वाचन किया गया। मंच से ही मुख्य अतिथियों द्वारा रंग-बिरंगे गुब्बारे आसमान में छोड़े गये। गुब्बारों के साथ गणतंत्र दिवस 2019 का स्लोगन लगाया गया था जो बहुत ही आकर्षक लग रहा था।
समारोह में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति करते बच्चे।

राष्ट्रगान, मार्चपास्ट के आयोजन के उपरांत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं लोकतंत्र के प्रहरियों का सम्मान शाल, श्रीफ ल भेंट किया गया। इसके उपरांत विपरित मौसम के बाद भी नौनिहालों द्वारा आकर्षक पीटी का प्रदर्शन किया गया। इसके उपरांत आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। बच्चों के जज्बे को वहां उपस्थित सभी ने सलाम किया। बच्चों द्वारा खराब मौसम होने के उपरांत भी अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का दिल जीत लिया। इस अवसर पर एक हजार छात्र-छात्राओं द्वारा एक साथ पीटी का प्रदर्शन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति शुरू की गई इनमें टेलेन्ट पब्लिक स्कूल, लिस्यु आनन्द, महर्षि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शा. उत्कृष्ट आरपी. स्कूल, नेशनल पब्लिक स्कूल, शा. मॉडल उच्चतर माध्यमिक स्कूल पन्ना के साथ चिल्ड्रन पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी। सभी प्रस्तुतियां राष्ट्रभक्ति जनचेतना से ओतप्रोत रहीं। इस अवसर पर विभिन्न विभागों द्वारा शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की झांकी का प्रदर्शन किया। इसमें जिला पंचायत, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग, पशु चिकित्सा सेवायें विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, उद्यानिकी, जिला शिक्षा केन्द्र आदि विभागों की आकर्षक झांकिया निकाली गई।
जिला पंचायत द्वारा बनवाई गई आकर्षक  झांकी का दृश्य।

कार्यक्रम के समापन अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों एवं संस्थाओं को पुरूस्कृत किया गया। जिला पुलिस बल से नेहा पवार को प्रथम एवं एसएएफ  दल से सब इंस्पेक्टर निवास ङ्क्षसह द्वितीय, जूनियर डिवीजन एनसीसी, शा. मनहर कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की सार्जेन्ट प्रियंका सिंगरौल को प्रथम, जेडीजेडब्ल्यू, महारानी दुर्गा राज्यलक्ष्मी मंदिर विद्यालय के सार्जेन्ट को सुमित पटेल को द्वितीय, शा. मनहर कन्या उमावि के रेडक्रास गल्र्स की दल नायक अंजना कुशवाहा को तृतीय पुरूस्कार दिया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में जूनियर वर्ग से लिस्यु आनन्द उमावि को प्रथम, महर्षि उमावि को द्वितीय तथा टेलेन्ट पब्लिक स्कूल को तृतीय पुरूस्कार प्राप्त हुआ। इसी प्रकार सीनियर वर्ग में शा. उत्कृष्ट उमावि. पन्ना को प्रथम, नेशनल पब्लिक स्कूल पन्ना को द्वितीय तथा शा. मॉडल उमावि पन्ना को तृतीय पुरूस्कार दिया गया। मनमोहक प्रदर्शन के लिये चिल्ड्रन पब्लिक स्कूल के बच्चों को भी पुरूस्कृत किया गया। झांकियों में जिला पंचायत को प्रथम, जिला शिक्षा केन्द्र को द्वितीय तथा किसान कल्याण विभाग को तृतीय पुरूस्कार दिया गया। पीटी प्रदर्शन के लिये जिला शिक्षा अधिकारी कमल ङ्क्षसह कुशवाहा को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में जिला मुख्यालय के सभी अधिकारी, पूर्व विधायक, जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक के साथ बड़ी संख्या में आमजन एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन प्रो. बी. श्रीवास्तव, व्याख्याता प्रमोद अवस्थी तथा अध्यापिका मीना मिश्रा द्वारा किया गया।

गणतंत्र दिवस की संध्या पर आयोजित हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम 


समारोह में अपनी  प्रस्तुतियां देते लोक कलाकार 
 गणतंत्र दिवस की संध्या पर स्थानीय छत्रसाल पार्क नगरपालिका परिषद में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों के साथ सागर एवं छतरपुर से आये लोक कलाकारों द्वारा राष्ट्रभक्ति एवं लोक संस्कृति पर आधारित मनोरंजक प्रस्तुतियां दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ कलेक्टर मनोज खत्री, कांग्रेस की जिला अध्यक्ष श्रीमती दिव्यारानी एवं अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन एवं मॉ वीणापाणी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम के प्रथम चरण में छतरपुर से आये दल की श्रीमती नीलम तिवारी एवं उनके दल द्वारा लोक गीतों की प्रस्तुति की गई। इस दल से राम ङ्क्षसह द्वारा बुन्देली भाषा में राष्ट्रभक्ति गीत प्रस्तुत किया गया। वहीं नीलम तिवारी ने बुन्देली लागुरियां गीत की प्रस्तुति दी। वहीं दूसरे चरण में सागर से आये राजेश चौरसिया के दल की बालिकाओं ने नौरता बुन्देली लोक नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अशोक चतुर्वेदी द्वारा विनम्र आभार प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर नगरपालिका अध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा, पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे, पूर्व जिला पंचायत सदस्य केशव राजा, जनप्रतिनिधि, पत्रकारगण, गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।
00000

Thursday, January 24, 2019

पन्ना जिले में कहीं बारिश तो कहीं गिरे ओले

  •   मौसम के बदले मिजाज से फिर लौटी ठण्ड
  •   बारिश होने से रबी फसलों को होगा फायदा



अरुण सिंह,पन्ना। मौसम का मिजाज बदलने से एक बार फिर ठण्ड बढऩे के आसार दिखने लगे हैं। मंगलवार की रात व बुधवार को दिन में कहीं बारिश तो कहीं ओले गिरने की खबरें मिली हैं। पूरे दिन  आसमान में बादल मंडराते रहे, दोपहर में कुछ समय के लिये सूर्यदेव के दर्शन जरूर हुये लेकिन जल्दी ही वे फिर से बादलों की ओट में छिप गये। कल रात व आज दिन में रुक-रुककर हुई बारिश से किसानों के चेहरे खिले हुये हैं, क्योंकि यह अमृत वर्षा रबी फसलों के लिये फायदेमंद है। जिले के अमानगंज व पवई तहसील अंतर्गत सुनवानी, गढ़ीकरहिया, उड़ला,सिरसी पटना,रैगवां,सूरजपुरवा,सिमरा,कोढ़ी, व खलोन सहित अन्य कई ग्रामों में बारिश के साथ ओले गिरने की भी खबर है।

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अल्प वर्षा के कारण रबी फसलों की बोवनी लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाई है। जिन किसानों के खेतों में सिचाई की सुविधा थी उन्होंने तो बोवनी की थी, लेकिन जहां सिचाई सुविधा नहीं है वे खेत खाली पड़े हैं। ठण्ड के इस मौसम में बारिश होने पर रबी फसल को काफी फायदा होगा। लेकिन जिले के जिन क्षेत्रों में बारिश के साथ ओले गिरे हैं वहां फसलों को नुकसान भी होगा। अमानगंज क्षेत्र के जिन ग्रामों में बेर के आकार वाले ओलों की बौछार हुई है, उससे फसलों को कितना नुकसान हुआ है, अभी इसकी रिपोर्ट नहीं मिली लेकिन अंचलवासियों का कहना है कि चना,सरसों व मसूर की फसल को क्षति ज्यादा है। मौसम के इस बदले हुये मिजाज का असर जिला मुख्यालय पन्ना में भी है। बीती रात यहां रिमझिम बारिश हुई लेकिन आज सुबह कुछ देर तक तेज बारिश भी हुई है। चारों तरफ धुन्ध छाई है, जिससे ठण्ड बढऩे के आसार नजर आ रहे हैं। गुरुवार की रात पन्ना शहर में बारिश तो नहीं हुई लेकिन सुबह घाना कोहरा जरूर चाय रहा। सुबह 9 बजे भी कोहरा की स्थिति यह रही कि सड़क में आवागमन मुश्किल हो रहा था। कोहरा के कारण सड़क में निकट के वाहन भी ठीक से नजर नहीं आ रहे थे।

नायब तहसीलदार ने क्षति का लिया जायजा 

अमानगंज व पवई क्षेत्र के जिन ग्रामों में बारिश के साथ ओलों की बौछार हुई है वहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है। ओलों से चना, मसूर,सरसों व अन्य दलहनी फसलों को नुकसान हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने के लिए नायब तहसीलदार ने इलाके का दौरा कर पीड़ित किसानों से भी चर्चा की है। किसानों ने ओला से हुई क्षति का सर्वे कराकर मुआवजा दिलाने की मांग की है।  

Wednesday, January 23, 2019

डायमण्ड सिटी पन्ना में बने डायमण्ड पार्क

  • रत्नगर्भा धरती को उसका नैसर्गिक हक दिलाने हो पहल

  • प्रकृति प्रदत्त सौगातों का जिले की प्रगति में हो उपयोग 

पन्ना की खदानों से निकले हीरों का द्रश्य। 
अरुण सिंह, पन्ना। पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में बेशकीमती हीरों का अकूत भण्डार मौजूद है, फिर भी यहां के लोग गरीब और फटेहाल हैं।  जिन इलाकों में विकास की संभावनायें न्यून हैं, वहां तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन विकास की विपुल संभावनाओं के बावजूद पन्ना जिला पिछड़ा और बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज बना हुआ है।  यदि प्रकृति प्रदत्त सौगातों का ही इस जिले की प्रगति व विकास में रचनात्मक उपयोग हो तो यह पिछड़ा क्षेत्र भी विकसित व यहां के वाशिंदे खुशहाल हो सकते हैं। प्रकृति के अनुपम सौगातों से समृद्ध बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में लगभग एक हजार वर्ग किमी. क्षेत्र में हीरा धारित पट्टी का विस्तार है, जहां बेशकीमती हीरा पाया जाता है।  इस चमकीले और कीमती रत्न की उपलब्धता के कारण ही यहां की धरती को रत्नगर्भा कहा जाता है, सदियों से हीरा ही पन्ना जिले की पहचान है।  फिर भी इस रत्नगर्भा धरती को उसका नैसर्गिक हक दिलाने के लिए आज तक कोई सार्थक पहल नहीं हुई. जिस धरती की कोख से उत्तम किस्म का बेशकीमती हीरा निकलता है, उसकी पहचान को बरकरार रखने के लिए पन्ना में डायमण्ड पार्क का निर्माण कराया जाना चाहिए. पन्ना शहर के हीरा व्यवसायी व यहां के वाशिंदे विगत डेढ़-दो दशक से यह पुरजोर मांग करते आ रहे हैं कि पन्ना शहर में डायमण्ड पार्क का निर्माण कराया जाय, लेकिन सक्षम नेतृत्व के अभाव में यहां की यह नैसर्गिक मांग भी पूरी नहीं हो सकी हैं।  यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को अपनी उपलब्धि बताते रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि आवश्यकताओं की पूर्ति कोई उपलब्धि नहीं है, इसके लिए विशेष पहल व प्रयास करना पड़ता है।  विकास के नाम पर यहां अभी तक जो कुछ हुआ व सामान्य वितरण प्रणाली के तहत स्वमेव हुआ, इसमें किसी जनप्रतिनिधि की निजी उपलब्धि व प्रयास नहीं है।

यहाँ  मिल चुके हैं अनेकों नायब हीरे

अपने हीरे के साथ मजदूर मोतीलाल

 विचारणीय है कि जब कुदरत ने ही इस धरती को रत्नगर्भा बनाया है तो फिर इस धरती के साथ नाइंसाफी करना कितना उचित है. इस क्षेत्र का नैसर्गिक हक छीनकर इन्दौर व भोपाल को दे दिया जाय यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है।पन्ना जिले की जनता को भी यह बात समझनी होगी कि अपना हक यदि मांगने से न मिले तो छीनने की भी तैयारी दिखानी होगी. आगामी होने वाले लोकसभा चुनाव में भी डायमण्ड पार्क का निर्माण प्रमुख मुद्दा बने, इसके लिए भी वातावरण बनाना पडेगा, तभी राजनीतिक दल व प्रत्याशी पन्ना जिले के विकास व यहां के हितों के प्रति गंभीरता दिखायेेंगे, अन्यथा हमेशा की तरह इस जिले के लोग छले जाते रहेेंगे।पन्ना शहर में डायमण्ड पार्क का निर्माण उसका स्वाभाविक हक है, क्यों कि यहां पर सर्वोत्तम किस्म का हीरा निकलता है. यहां पर हीरा पारखियों व हीरा कटिंग व पालिसिंग के कार्य में दक्ष लोगों की भरमार है। पन्ना शहर के चार सौ से भी अधिक कारीगर जो हीरा कटिंग व पालिसिंग के कार्य में पारंगत हैं वे काम न मिलने के कारण मजबूरी में यहां से पलायन कर मुम्बई व सूरत के कारखानों व फर्मों में काम कर रहे हैं।  यदि पन्ना शहर में सुव्यवस्थित तरीके से डायमण्ड पार्क का निर्माण करा दिया जाय तो यहां के हुनरमंद कारीगरों व पारखियों को काम की तलाश में पलायन नहीं करना पड़ेगा।  डायमण्ड पार्क बनने से यहां पर हीरा कटिंग व पॉलिसिंग की जहां कई बड़ी - बड़ी यूनिटें लग जायेंगी वहीं डायमण्ड ज्वेलरी के सुसज्जित शो रूम शहर के आकर्षण को चार चांद लगा देंगे।  यहां की खदानों से निकलने वाले हीरों की चोरी छिपे बिक्री व स्मगलिंग पर भी जहां रोक लगेगी वहीं तुआदारों (हीरा धारक) को भी उनके हीरे की अच्छी कीमत मिल सकेगी. डायमण्ड पार्क बनने से यहां पर न सिर्फ हीरे का व्यवसाय फले फूलेगा बल्कि पन्ना शहर देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भी बनेगा।  विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो की निकटता का भी पूरा लाभ मिल सकेगा।
म.प्र. के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में अब तक अनेकों नायाब और बेशकीमती हीरे मिल चुके हैं। यहॉँ की उथली हीरा खदान से विगत दो माह पूर्व  42.59 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा एक गरीब मजदूर को मिला था जिसे खुली नीलामी में बिक्री  लिए रखा गया था । यह हीरा 6 लाख रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 55 लाख रू. में बिका है, जिसे  झांसी उ.प्र. के निवासी राहुल अग्रवाल ने खरीदा है। पन्ना जिले के इतिहास में अब तक का यह सबसे कीमती हीरा दो माह पूर्व 9 अक्टूबर को गरीब मजदूर मोतीलाल प्रजापति को मिला था। हीरा बिकने के साथ ही यह मजदूर अब करोड़पति बन गया है। पन्ना की रत्नगर्भा धरती ने इस गरीब मजदूर को नये साल का अविस्मरणीय तोहफा दिया है, जो लम्बे समय तक याद रहेगा।
00000

Monday, January 21, 2019

हालात न सुधरे तो इतिहास बन जायेंगे यहां के नदी, पहाड़ व जंगल

  • अनियंत्रित उत्खनन से तबाह हो रहा कल्दा पठार का नैसर्गिक जीवन 
  • खनिज व वन संपदा का भण्डार फिर भी आदिवासी बेबस व लाचार 

कल्दा पठार के जंगल में विशाल वट वृक्ष का द्रश्य। फोटो - अरुण सिंह 

 अरुण  सिंह  

पन्ना।  हरी - भरी वादियों और खूबसूरत घने जंगलों से समृद्ध रहा पन्ना जिले का कल्दा पठार धीरे - धीरे अपनी पहचान खो रहा है। इस इलाके में खनिज व वन संपदा का विपुल भण्डार है, फिर भी यहां निवास करने वाले आदिवासी बेबस, लाचार और गरीब - गुरवा हैं। राजनीतिक रसूखवाले लोग सरकारी मानकों की अनदेखी कर मनमा।ने तरीके से उत्खनन करके करोडों कमाते हैं और यहां रहने वाले आदिवासी बद्हाली का दंश झेलने को मजबूर हैं। यदि यही आलम रहा तो यहां नदी, पहाड़ व जंगल इतिहास बन जायेंगे।

उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी. दूर समुद्र तल से तकरीबन दो हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित कल्दा पठार को पन्ना जिले का पचमढ़ी कहा जाता है। लगभग पांच सौ वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले इस पठार में अधिसंख्य आबादी आदिवासियों की है। जिनका जीवन पूरी तरह से जंगल व वनोपज पर ही निर्भर है। प्रकृति के सानिद्ध में नैसर्गिक जीवन जीते हुए यहां के आदिवासी सदियों से जंगल को अपनी इबादतगाह मानते रहे हैं। लेकिन तथाकथित विकास व उत्खनन से जुड़े लोगों की दखलंदाजी बढऩे से यहां के रहवासियों का इबादतगाह तेजी से उजड़ रहा है। 

अवैध व अनियंत्रित उत्खनन तथा जंगल की कटाई से पठार के नैसर्गिक सौन्दर्य पर भी ग्रहण लगने लगा है। वनों की अवैध कटाई तथा अधाधुंध उत्खनन से यहां प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली वनौषधियां व हरीतिमा तिरोहित हो रही है। आश्चर्य की बात है कि राजनीतिक दलों में बड़े ओहदों पर बैठे लोग जो गरीबों और आदिवासियों के कल्याण का दम भरते हैं उन्हें उजड़ते जंगल व गायब होते पहाड़ नजर नहीं आते, जिनके बिना यहां के आदिवासियों का जीवन संभव नहीं है।




कल्दा पठार का जंगल व यहां की हरी - भरी वादियां आदिवासियों की जिंदगी है, उनको उनकी जिंदगी से बेदखल किया जाना घोर अन्याय ही नहीं अपराध भी है। जंगल की अवैध कटाई व अधाधुंध उत्खनन आदिवासियों के नैसर्गिक जीवन व उनकी संस्कृति पर हमला है, जिसे रोका जाना चाहिए। कल्दा पठार के आदिवासियों  ने बताया कि यदि बाहरी लोगों की दखलंदाजी बंद हो जाय तो हम यहां जंगल में खुशहाल जीवन जी सकते हैं। इन्होंने बताया कि पठार के जंंगल से यहां के वाशिंदों को इतना वनोपज मिल जाता है कि जिन्दगी बिना बाधा व परेशानी के चल जाती है। 

यहां महुआ, अचार, आंवला, हर्र व बहेरा जैसे वनोपज प्रचुरता में पाया जाता है। श्यामगिरी, रामपुर, मैनहा, धौखान, पिपरिया, जैतीपुरा, टीकुलपोंडी भोपार, कुसमी, झिरिया व डोंडी में ही 50 ट्रक से भी अधिक महुआ का संग्रहण हो जाता है। इसके अलावा अचार व महुआ गोही से भी आदिवासियों को अच्छी आय हो जाती है। अमदरा, मैहर, कल्दा, पवई व सलेहा के व्यापारी आदिवासियों से वनोपज खरीद लेते हैं।

वनकर्मियों ने बताया  कि कल्दा पठार के श्यामगिरी का बांस पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध रहा है। यहां का जंगली बांस सालिड बैम्बू कहलाता था, जिसकी बहुत मांग थी। कागज इन्डस्ट्री ने इस बांस को बहुत पसंद किया और बड़े पैमाने पर इस बांस की सप्लाई कागज मिलों को हुई जिससे बांस का जंगल खत्म हो गया। कल्दा पठार के खत्म हो चुके ठोस बांस को फिर से पुर्नजीवित करने का प्रयास भी  किया गया लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इस क्षेत्र की वन संपदा व पर्यावरण  सुरक्षा को लेकर चिंतित लोगो का कहना है कि  पठार के जंगल को लोक संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए, ताकि यहां की वन संपदा व प्राकृतिक वैभव सुरक्षित रह सके।

शहद के उत्पादन में हुई भारी कमी 


कल्दा पठार के घने मिश्रित वनों में प्रचुर मात्रा में तकरीबन सौ कुन्टल शहद का उत्पादन होता था, लेकिन विगत कुछ वर्षों से यहां के जंगलों की मधुमक्खियां नाटकीय ढंग से लुप्त हो रही हैं। नतीजतन शहद के उत्पादन में भारी कमी आई, अब बामुश्किल 20  - 25  कुन्टल शहद का ही उत्पादन हो पा रहा है। मधु मक्खियों का तेजी से लुप्त होना इस बात का संकेत है कि यहां विकास के नाम पर विनाश हो रहा है। 
पर्यावरण को बेहतर बनाने तथा वनस्पतियों के वजूद को कायम रखने में मधुमक्खियों का अहम योगदान होता है। मधुमक्खियां सिर्फ शहद का ही संग्रह नहीं करतीं अपितु वे अपने साथ फूलों के परागकण दूसरे फूलों तक पहुंचाकर वनस्पतियों को उगने में सहायता पहुंचाती हैं। मधुमक्खियों के लुप्त होने के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख मोबाइल टावर हैं। इनसे आने - जाने वाली तरंगों के कारण मधु मक्खियां अपनी दिशा ढूंढने की क्षमता खो रही हैं।

00000

मेला देखने मायके आई नव विवाहिता हुई लापता



  •   पत्नी की तलाश में दर-दर भटक रहा युवक
  •   पन्ना जिले के पहाड़ीखेरा पुलिस चौकी क्षेत्र की घटना 



 पुलिस चौकी में अपने साथी के साथ बैठा रामदीन।

अरुण सिंह,पन्ना। मकर संक्रांति के पर्व पर मेला देखने के लिये ससुराल से अपने मायके आई 20 वर्षीय नव विवाहिता रहस्मय तरीके से लापता हो गई। विवाहिता के अचानक लापता होने पर उसका पति, माता-पिता सहित अन्य परिजन अत्यंत चिंतित और परेशान हैं। गुमशुदगी की यह घटना मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के पुलिस थाना बृजपुर अंतर्गत आने वाले पहाड़ीखेरा चौकी क्षेत्र की है। अपनी पत्नी की तलाश में पिछले कई दिनों से दर-दर भटक रहे रामदीन कोल की हालत विक्षिप्त जैसी हो गई है। नजदीकी रिश्तेदारी से लेकर सभी संभावित स्थानों पर खोजबीन कर थकहार चुके रामदीन ने पत्नी की तलाश के लिये पहाड़ीखेरा चौकी पुलिस से गुहार लगाई है। रामदीन ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी आरती बहुत अच्छी थी और उसे बहुत प्रेम करती थी। वह इस तरह अचानक उसे छोड़कर क्यों चली गई यह उसे खुद समझ में नहीं आ रहा है। इस घटनाक्रम पर चौकी पुलिस ने फि लहाल गुमइंसान का प्रकरण कायम किया है। मामला नवविवाहिता से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने इसे संवेदनशीलता से लिया है। पड़ोसी जिलों के पुलिस थानों को लापता आरती कोल 20 वर्ष की अपने-अपने क्षेत्र में खोजबीन हेतु उसके हुलिया, कद-काठी की जानकारी के साथ उसका पासपोर्ट साईज का फोटो भी भेजा है। इधर, पहाड़ीखेरा और बृजपुर पुलिस ने भी अपने स्तर पर तलाश शुरू कर दी है।

डेढ़ वर्ष पूर्व हुआ था विवाह 

लापता नवविवाहिता  आरती। 

पड़ोसी जिला सतना के ग्राम इटवां बमुरहा निवासी रामदीन कोल पुत्र नत्थू कोल 27 वर्ष ने पुलिस को बताया कि डेढ़ वर्ष पूर्व ग्राम भसूड़ा निवासी निवासी आरती के साथ उसका विवाह हुआ था। पेशे से राजमिस्त्री रामदीन काम के सिलसिले में कुछ समय से चित्रकूट में रह रहा था जबकि पत्नी आरती कोल उसके माता-पिता के साथ गाँव में रहती थी। कुछ दिन पूर्व मकर संक्रांति पर्व पर पटपरनाथ का मेला देखने के लिये आरती ससुराल से अपने मायके ग्राम भसूड़ा आई थी। मेला देखने के बाद आरती अपने घर गई और फि र अगले दिन 15 जनवरी की सुबह वह अचानक रहस्मय तरीके से लापता हो गई। जब इस अप्रत्याशित घटना की सूचना रामदीन को दी गई तो वह इसे मजाक समझा। लेकिन, जब सास-ससुर से बात हुई तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। बिना किसी देरी के चित्रकूट से भागा-दौड़ा वह भसूड़ा पहुँचा और फि र पूरी जानकारी प्राप्त कर गाँव में अपने माता-पिता को इसकी सूचना दी।
अपने स्तर पत्नी की तलाश करके थकहार चुके रामदीन ने पहाड़ीखेरा चौकी पुलिस से मदद माँगी है। शनिवार 19 जनवरी को आरती की फ़ोटो लेकर पहाड़ीखेरा पहुँचे रामदीन ने पुलिस को बताया कि हम दोनों के बीच जब सबकुछ अच्छा चल रहा था तो अचानक ऐसा क्या हुआ, जो उसकी पत्नी उसे बगैर कुछ बताये अचानक गायब हो गई। उल्लेखनीय है कि डेढ़ वर्ष के वैवाहिक जीवन के बाद भी इनकी कोई संतान नहीं है। बहरहाल, नवविवाहिता के लापता होने के मामले की प्रारंभिक पुलिस जाँच में यह साफ  नहीं हो पाया है कि आरती कोल अपनी मर्जी से किसी के साथ गई है या फि र कोई उसे अगवा कर ले गया है।
00000

Sunday, January 20, 2019

पन्ना रेन्ज की नर्सरी से चंदन के पेड़ कटे


  • चौकीदार की मौजूदगी में अज्ञात बदमाशों ने काटे पेड़ 



पन्ना रेन्ज के निकट स्थित नर्सरी जहां से चंदन के पेड़ कटे।

अरुण सिंह,पन्ना।  जंगल की सुरक्षा करने में वन विभाग का अमला नाकाम साबित हो रहा है। आलम यह है कि रेन्ज आफिस से लगी वन विभाग की नर्सरी के पेड़ भी सुरक्षित नहीं हैं। बीती रात पन्ना रेन्ज की संजय नर्सरी से अज्ञात बदमाश चंदन के दो पेड़ काटकर ले गये और वन अमला तमाशबीन बना रहा। मालुम हो कि घटना के समय नर्सरी का चौकीदार वहीं मौजूद था, लेकिन बदमाशों को पेड़ काटने से रोकने में नाकाम रहा।
नर्सरी में तैनात चौकीदार ने बताया कि रात में हथियारबंद बदमाश आये हुये थे, जिन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी भी दी और चंदन के दो पेड़ आरी से काटकर ले गये। बदमाशों के डर से मैने रातभर कमरे का दरवाजा नहीं खोला। सुबह उठकर मैने जब देखा तो चंदन के पेड़ गायब थे। नर्सरी से चंदन के पेड़ कट जाने की सूचना मैनें उच्च अधिकारियों को दे दी है। मामले के संबंध में जब वन परिक्षेत्राधिकारी पन्ना कौशलेन्द्र पाण्डेय से पूछा गया तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुये कहा कि चंदन के पेड़ चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। आपने बताया कि पन्ना रेन्ज से लगी नर्सरी है, जहां चौकीदार था, लेकिन रात में वहां हथियारबंद बदमाश आ गये। ऐसी स्थिति में चौकीदार पेड़ों की सुरक्षा कैसे करता? सवाल यह है कि वन विभाग का अमला जब नर्सरी के पेड़ों को ही नहीं बचा पा रहा तो खुले जंगल में लगे सागौन व अन्य दूसरी प्रजाति के वृक्षों को कैसे बचा पायेगा? जिस तरह से इन दिनों जंगल की बेरहमी से कटाई हो रही है तथा शिकार की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है, उससे तो यही प्रतीत होता है कि जिले में न तो अब जंगल सुरक्षित हैं और न ही वन्य प्राणी, शिकारियों के निशाने में एक बार फिर पन्ना के बाघ आ चुके हैं। यदि समय रहते वन विभाग नहीं चेता तो जंगल उजडऩे के साथ-साथ यहां आबाद हुये बाघों के भरे पूरे संसार को उजड़ते देर नहीं लगेगी।

 मौके से बरामद काटे गये पेड़ों की शाखायें।

00000

Saturday, January 19, 2019

शरीर बस की सीट पर और सिर कटकर नीचे गिरा



  •   पन्ना शहर में घटित हुआ विचलित कर देने वाला भयावह हादसा
  •   चलती बस में बुजुर्ग महिला का सिर विद्युत पोल से टकराया
  •   सड़क पर कटी गर्दन गिरते ही बस में कचा कोहराम
  •   दामाद के साथ सतना से छतरपुर जा रही थी वृद्धा



पन्ना। यात्री बस में सवार एक बुजुर्ग महिला का सिर विद्युत पोल से टकराने पर पूरा शरीर बस की सीट पर रह गया और सिर कटकर सड़क पर नीचे जा गिरा। विचलित कर देने वाला यह भयावह हादसा शुक्रवार को दोपहर लगभग 2:30 बजे पन्ना में साइंस कॉलिज के पास घटित हुआ। सतना से छतरपुर की ओर जा रही बस में सवार बुजुर्ग महिला की गर्दन एक ही झटके में धड़ से अलग हो गई। साइंस कॉलिज के सामने पलक झपकते घटित हुये इस हृदय विदारक हादसे के बाद यात्री बस मेें कोहराम मच गया। सड़क में कटी हुई गर्दन के गिरते ही आस-पास मौजूद लोग कुछ पल के लिये अवाक रह गये।
हादसे के तुरंत बाद ही वहाँ भारी भीड़ जमा हो गई। मृतिका की पहचान आशारानी खरे पत्नी शिवनारायण खरे 60 वर्ष निवासी ग्राम गुघवारा थाना बक्स्वाहा जिला छतरपुर के रूप में हुई है। बताया गया है कि वह अपने दामाद प्रदीप खरे निवासी सीधी के साथ छतरपुर जाने के के लिये सतना से अम्बे ट्रेवल्स की रीवा-हरपालपुर बस क्र. एमपी-19पी-1856 में सवार हुई थी। शुक्रवार 18 जनवरी को  दोपहर करीब 2:35  बजे बस जब पन्ना पहुँची तो जी मिचलाने पर आशारानी खरे ने खिड़की के पास बैठने की इच्छा जताई। मालुम हो कि मृतिका बीच में बैठी हुई थी। जैसे ही वह सीट बदलकर खिड़की के पास बैठी कुछ ही क्षणों में यह भयावह हादसा घटित हो गया। पलभर में आँखों के सामने किसी की इस तरह से मौत हो सकती है इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। बस में सवार यात्री अवाक और अचंभित थे कि आखिर यह सब कैसे हो गया। बताते हैं कि चलती हुई बस की खिड़की से महिला ने अपनी गर्दन बाहर निकाल ली। इसी दौरान साइंस कॉलिज के सामने एक वाहन को ओवरटेक करने के दौरान सड़क किनारे लगे  विद्युत पोल से वृद्धा आशारानी खरे का सिर टकराने की जोरदार आवाज के साथ उनकी गर्दन कटकर नीचे गिर गई। इस हादसे के बाद बस के अंदर बैठे और आस-पास मौजूद रहे लोग कुछ पल के लिये अवाक रह गये। हादसे की सूचना मिलने पर तुरंत मौके पर पहुँची कोतवाली पुलिस द्वारा मृतिका के धड़ और सिर को उठाकर पोस्टमार्टम के लिये ले जाया गया। पुलिस ने बस को जब्त कर लिया है तथा बस के फरार चालक की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। लोगों का कहना है कि बस चालक द्वारा वाहन को पोल के काफी नजदीक से ओवरटेक किया गया जिससे यह हादसा हुआ। सड़क हादसे में सास के दुखांत की सूचना प्रदीप खरे द्वारा परिजनों और पुलिस को दी गई। कोतवाली थाना पुलिस द्वारा मर्ग कायम कर फरार अज्ञात बस चालक के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने की कार्रवाई की जा रही है।
00000

Friday, January 18, 2019

अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद का पन्ना से रहा है नाता

  •   पाण्डव जल प्रपात में हुई थी क्रांतिकारियों की बैठक
  •   ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष का यहां पर हुआ था शंखनाद 


पन्ना शहर के निकट स्थित पाण्डव जल प्रपात जहां पर क्रांतिकारियों की बैठक हुई थी। 

अरुण सिंह,पन्ना। महान क्रान्तिकारी अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद का बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले से भी गहरा नाता रहा है। पन्ना जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर स्थित प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर ऐतिहासिक स्थल पाण्डव जल प्रपात भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के महान क्रांतिकारी अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की स्मृतियों को संजोये हुये है। 4 सितम्बर 1929 को इसी स्थान पर अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद ने एक दर्जन से भी अधिक क्रांतिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष का आहृवान किया गया था और देश को आजाद कराने का संकल्प लिया गया था।
 शहीद चन्द्रशेखर आजाद।

इस ऐतिहासिक तथ्य का खुलासा जहां  इतिहासकारों ने किया है, वहीं  इस संबंध में सन 1978 में प्रकाशित पुस्तक उत्सर्ग के लेखक दशरथ जैन ने भी लिखा है। इस पुस्तक में यह जिक्र किया गया है कि नौगांव स्थित एजेंसी की एक सीआईडी रिपोर्ट के अनुसार 4 सितम्बर 1929 को छतरपुर से पन्ना जाने वाले मार्ग पर केन नदी के उस पार पाण्डव प्रपात नामक वनाच्छादित स्थल पर चन्द्रशेखर आजाद की अध्यक्षता में क्रांतिकारियों की बैठक हुई थी, जिसका आयोजन पं. रामसहाय तिवारी ने किया था। इस बैठक में नारायणदास खरे, प्रेम नारायण, बिहारीलाल व जयनारायण सहित 13 क्रांतिकारियों ने भाग लिया था। उक्त सीआईडी रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक का उद्देश्य ब्रिटिश हुकूमत को उखाड फेंकना तथा शासन के शीर्षस्थ अधिकारियों की हत्या कर देना था। इस बैठक की सूचना पन्ना दरबार को प्रभुदयाल नामक चरवाहे द्वारा दी गई थी।
भारत के स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े ऐतिहासिक महत्व का यह मनोरम स्थल अब पन्ना टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत है। यहां 30 मीटर की ऊंचाई से प्रपात का पानी गिरकर रमणीक माहौल बनाता है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि पौराणिक पाण्डवों ने इस प्रपात के किनारे बनी गुफाओं में कुछ समय तक निवास किया था। इसी के आधार पर इस प्रपात का नाम पाण्डव प्रपात पड़ा। बारिश के मौसम में जब पन्ना टाइगर रिजर्व के प्रवेश द्वार पर्यटकों के लिये बंद हो जाते हैं, उस समय भी यह प्रपात देशी व विदेशी पर्यटकों के लिये खुला रहता है। यहां के अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारने हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं।
00000

Thursday, January 17, 2019

नौ वर्ष की उम्र में किया था वनराज का शिकार

  • तीन बाघ एक साथ मारने पर हुआ हृदय परिवर्तन
  • पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह के जीवन की रोचक दास्तान


 शिकार किये गये तीन बाघों के पास  बैठे 15 वर्षीय लोकेन्द्र सिंह।  

अरुण सिंह, पन्ना। राजाशाही जमाने में पन्ना रियासत के जंगल जैव विविधता से परिपूर्ण व बाघों से आबाद थे। बताया जाता है कि एक शदी पूर्व यहां के जंगलों में पांच सौ से भी अधिक बाघ विचरण करते थे, यही वजह है कि इस इलाके को बाघों की धरती भी कहा जाता रहा है। उस समय रियासत के पूरे जंगल को तत्कालीन पन्ना नरेशों द्वारा शिकार खेलने के लिए संरक्षित रखा गया था। यहां के जंगल में राजा के अलावा वनराज का शिकार करने की इजाजत किसी को भी नहीं थी।
उल्लेखनीय है कि राजाशाही खत्म होने के बाद आबादी का दबाव जंगलों पर बढ़ता गया, फलस्वरूप जंगल सिकुड़ते चले गये और इसी के साथ जंगल की शान कहे जाने वाले वनराज भी गायब होते गये। वन्य प्रांणी संरक्षण अधिनियम लागू होने के पूर्व तक जंगल में बाघ का शिकार करना बड़े ही गर्व की बात मानी जाती रही है। पन्ना राजघराने के सदस्य पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह जब महज नौ वर्ष के थे, तब उन्होंने एक बाघ को मार गिराया था। पांच साल बाद जब लोकेन्द्र सिंह 15 वर्ष के हुए तो उन्होंने सन् 1960 में पटोरी नामक स्थान पर तीन बाघों को एक साथ मौत की नींद सुला दिया। इस बाघ परिवार का सफाया करने के बाद 15 वर्ष के इस राजकुमार ने बड़े ही गर्व के साथ शिकार किये गये बाघों के पास बैठकर हांथ में बन्दूक लिए फोटो भी खिंचाई. लेकिन शिकार की इस घटना ने बालक लोकेन्द्र सिंह को विचलित कर दिया और उनकी जिन्दगी के नये अध्याय  का श्रीगणेश हो गया।
शिकार के शौकीन रहे लोकेन्द्र सिंह का हृदय परिवर्तन होने पर उन्होंने यह कसम खा ली कि अब कभी बाघ का शिकार नहीं करूंगा। उन्होंने वन व पर्यावरण को सुरक्षा तथा बाघों के संरक्षण को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। इसी सोच के चलते लोकेन्द्र सिंह की पहल से पन्ना में सर्वप्रथम गंगऊ सेंचुरी बनी, बाद में 1981 में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण हुआ। वर्ष 1994 में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाया गया. लेकिन टाइगर रिजर्व बनने के बाद भी यहां बाघों की दुनिया आबाद होने के बजाय सिमटती चली गई। हालत यहां तक जा पहुंची कि वर्ष 2009 में बाघों की यह धरती बाघ विहीन हो गई। पूरे देश व दुनिया में किरकिरी होने पर यहां बाघ पुर्नस्थापना योजना शुरू हुई, जिसके चमत्कारिक परिणाम देखने को मिले। अब पन्ना का यह जंगल बाघों से आबाद है, और यहां तीन दर्जन  से अधिक नर व मादा बाघ विचरण कर रहे हैं।

बाघ बचे भी तो रहेंगे कहां ? 


पन्ना टाइगर रिज़र्व के एक बार फिर बाघों से आबाद होने पर पर्यावरण व  वन्यजीव प्रेमी जहाँ प्रशन्न हैं वहीँ बाघों की आबाद हो चुकी इस दुनिया की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर चिंतित भी हैं। इसकी वजह यह है कि अब यहाँ आर श्रीनिवास मूर्ति जैसे ईमानदार और जुनूनी वन अधिकारी नहीं हैं जिनके नेतृत्व व अथक मेहनत से यहाँ बाघों का नया संसार आबाद हुआ है। मौजूदा समय तेजी से जहाँ जंगल कट रहा है, वहीँ शिकार की घटनाएं भी बढ़ी हैं। शातिर शिकारियों से बाघों की सुरक्षा करने के साथ जंगल बचाना भी जरुरी है। जंगल की अपनी एक अलग दुनिया व व्यवस्था होती है। यहां पाये जाने वाले जीव - जन्तु एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। लेकिन जंगलों को तेजी से नष्ट किया जा रहा है, ऐसे में अगर बाघ बचा भी लिये गये तो उनके रहने की जगह कहां होगी ? असली चुनौती बाघ नहीं, उस पूरे तंत्र को बचाना है जहां बाघों को जीवन के अनुकूल जगह मिल सके।

00

Wednesday, January 16, 2019

पन्ना के जंगल में हुआ था अफ्रीकन बब्बर शेर का शिकार

  • तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा यादवेन्द्र सिंह जू देव ने मारा था 
  • राजमहल के दरबार हाल में बब्बर शेर की ममी आज भी मौजूद 


  । अरुण सिंह ।।
   
पन्ना। टाइगर स्टेट कहे जाने वाले म.प्र. के पन्ना जिले में आजादी से पूर्व तक सैकड़ों की संख्या में बाघ मौजूद थे। शिकार करने के शौकीन तत्कालीन पन्ना नरेशों द्वारा उस जमाने में विशिष्ट अंग्रेज मेहमानों व दूसरी रियासतों के राजाओं के साथ बाघों का शिकार भी किया जाता रहा है। वन्य जीवों में सबसे ज्यादा बलशाली और अपनी शाही चाल के कारण आकर्षण का केन्द्र रहने वाले बाघ के संरक्षण की दिशा में भी राजाशाही जमाने में ठोस प्रयास किये जाते रहे हैं, यही वजह है कि पन्ना को बेशकीमती हीरों के साथ - साथ बाघों की धरती के नाम से भी जाना जाता था।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन पन्ना नरेशों द्वारा पन्ना के जंगलों में सैकडों बाघ मारे गये, लेकिन इस तथ्य से बहुत ही कम लोग वाकिफ होंगे कि 84 वर्ष पूर्व पन्ना के सरकोहा जंगल में एक अफ्रीकन बब्बर शेर का भी शिकार हुआ था। अफ्रीका के जंगल में पाये जाने वाले इस बब्बर शेर को तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा यादवेन्द्र सिंह जू देव ने 1929 में मारा था। पन्ना राजमहल के दरबार हाल में यह बब्बर शेर आज भी सुरक्षित है इस शेर की खाल में मशाला भरकर उसे इस अंदाज में रखवाया गया है कि देखने पर लगता है मानो वह दहाडने वाला है। 

यह अफ्रीकन बब्बर शेर पन्ना के जंगल में कैसे पहुंचा, इसकी बहुत ही रोचक और दिलचस्प दास्तान है. पन्ना राजघराने के सदस्य पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बब्बर शेर शिवपुरी के जंगल में विचरण करते हुए पन्ना पहुंचा था। तत्कालीन ग्वालियर महाराजा ने 1924 में अफ्रीका से बब्बर शेर के तीन जोड़े मंगवाये थे जो समुद्री रास्ते से होते हुए बम्बई के बन्दरगाह में उतरे थे। बन्दरगाह से इन मेल व फीमेल बब्बर शेरों को शिवपुरी लाया गया और उन्हें जंगल में प्राकृतिक रूप से विचरण करने के लिए छोड़ दिया गया ताकि उनकी वंश वृद्धि हो सके। 

महाराजा ग्वालियर द्वारा शिवपुरी के जंगल में छुड़वाये गये इन्हीं बब्बर शेरों में से एक विचरण करते हुए पन्ना के जंगल में आ पहुंचा था। सरकोहा के जंगल में पन्ना रियासत के वनरखा ने जब इस विचित्र बलशाली वन्य जीव की दहाड़ सुनी और जमीन में उसके पंजे के निशान देखे तो उसने तत्काल इसकी सूचना महाराजा यादवेन्द्र सिंह को दी। 

इस वनरखा ने महाराजा को बताया कि उसने सरकोहा के शहीदन जंगल में एक ऐसे शेर के पंजे देखे हैं, जिसके पांव के पीछे बड़े - बड़े बाल हैं, इसके पंजे तो देशी शेर के पंजों जैसे ही हैं, परन्तु पंजे के पीछे हिस्से में बालों के घिसटने के चिन्ह भी बनते हैं वनरखा से इस अदभुत  शेर के बारे में सुनकर महाराजा यादवेन्द्र सिंह को भी आश्चर्य हुआ और वे पंजों के निशान देखने तत्काल जंगल रवाना हो गये। उन्होंने जंगल में जब खुद अपनी आंखों से पंजों के निशान देखे तो वे अचंभित रह गये। क्यों कि इसके पूर्व कभी भी वे ऐसे शेर के पंजे नहीं देखे थे। 

महाराजा यादवेन्द्र  सिंह ने उसी समय यह निश्चय किया कि इस विचित्र जानवर को मारना है। वे अपने दोनों पुत्र नरेन्द्र  सिंह व पुष्पेन्द्र सिंह को लेकर सरकोहा के जंगल में शिकार खेलने गये। जंगल में हाका कराया गया  फलस्वरूप अफ्रीकन शेर जैसे ही नजर आया महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने उसके ऊपर गोली चला दी और  वह वहीं पर ढ़ेर हो गया। इस बब्बर शेर के निकट जब महाराजा पहुंचे तो उन्हें बहुत पछतावा हुआ।

 लोकेन्द्र सिंह ने बताया कि यदि वे इस अफ्रीकन शेर को न मारते तो पन्ना में शेर की एक ऐसी नश्ल  तैयार हो सकती थी जो पूरे विश्व में नहीं है। भारतीय बब्बर शेर व अफ्रीकन बब्बर शेर की मिश्रित  नश्ल तैयार हो जाती जो दुनिया में कहीं नहीं है। यह कैसे संभव हो पाता इसकी जानकारी देते हुए  लोकेन्द्र सिंह ने बताया कि उस  समय पन्ना शहर के निकट लक्ष्मीपुर रोड पर रामबाग में महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने पन्ना रियासत का चिडिय़ा घर बनवाया था। उस चिडिय़ा घर में जामनगर गुजरात  के जंगल से लाये गये एक जोड़ा भारतीय बब्बर शेर रखे गये थे 

ये बब्बर शेर महाराजा यादवेन्द्र सिंह की जब भाव नगर गुजरात में शादी हुई तो वर्ष 1919 में महाराजा भाव सिंह ने दहेज में अन्य चीजों के साथ दिया था। दहेज में मिले इन भारतीय बब्बर शेरों के जोड़े को महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने रामबाग के चिडिय़ाघर में रखवाया था। वन्य जीवों विशेषकर बाघों के संरक्षण में रूचि रखने वाले राजपरिवार के सदस्य लोकेन्द्र सिंह ने बताया कि बाघों में सूंघन की क्षमता गजब की होती है. इसी क्षमता के कारण शिवपुरी के जंगल में मौजूद अफ्रीकन बब्बर शेर को पन्ना के चिडिय़ा घर में मौजूद भारतीय बब्बर शेरनी के होने का आभास हुआ होगा और वह शेरनी की तलाश में शिवपुरी से पन्ना आ पहुंचा।

शिवपुरी से पन्ना के जंगल में आया यह नर बब्बर शेर रामबाग स्थित चिडिय़ाघर से लगभग 3 किमी. दूर सरकोहा के जंगल में मिला। जहां महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने अनजाने में उसे मार डाला। इस घटना से सीख लेकर पन्ना नरेश महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने महाराजा मार्तण्ड सिंह रीवा को अपनी गलती का एहसास कराया, नतीजतन सफेद शावक के मिलने पर उससे सफेद शेेरों की वंश वृद्धि की गई। बताया जाता है कि सफेद शेर मोहन द्वारा अपने जीवन काल में तीन शेरनियों के साथ संसर्ग कर 34 शावकों को जन्म दिया और अपनी आयु पूर्ण कर विश्व विख्यात सफेद शेरों के जन्म दाता मोहन ने दिसम्बर 1969 में दम तोड़ दिया।

00000



Tuesday, January 15, 2019

उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया मकर संक्रांति का पर्व

  •   धार्मिक महत्व के स्थलों व नदियों के किनारे रही  मेलों की धूम
  •   शहर के प्रमुख मन्दिरों में दिनभर चला पूजा-पाठ का दौर




। अरुण सिंह 

पन्ना। मन्दिरों के शहर पन्ना सहित पूरे जिले में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही  धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। सूर्य स्नान के पर्व मकर संक्रान्ति पर जिले में कई धर्मस्थलों, नदियों व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों पर मेला आयोजन की परंपरा है। यह मेले लोगों को सांस्कृतिक विरासत के दर्शन कराने के अतिरिक्त मनोरंजन व मेल मिलाप के अवसर भी उपलब्ध कराते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व पर आज नगर के मंदिरों में भी दिनभर पूजा पाठ का दौरा चला। भगवान जुगुल किशोर जी मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया। भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया गया।
उल्लेखनीय है कि मकर संक्रान्ति के अवसर पर पन्ना जिले में कई स्थानों पर मेला भरता है। जिले में मेलों की एक पूरी श्रंखला आयोजित होती है। जिसमें सारंगधर, पण्डवन, गंगा झिरिया, अजयगढ़ के अजयपाल व चौमुखनाथ के मेले खास अहमियत रखते हैं। जो पवित्र कुण्डों, नदियों व देव स्थलों पर लगते हैं। इन स्थानों पर परंपरानुसार इस वर्ष फिर मेले आयोजित किये गये, जिसकी समूचे जिले में धूम हैं। जिला मुख्यालय के निकट स्थित सारंगधर में भी हर वर्ष विशाल मेला भरता है। मकर संक्रान्ति पर्व से शुरू होने वाला यह मेला कई दिन तक चलता है। आज मेले के पहले दिन आसपास के ग्रामों से हजारों की संख्या में ग्रामीण व जिला मुख्यालय पन्ना से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे और सारंग मंदिर में दर्शन किए।

सारंगधर आश्रम का मेला


भगवान श्रीराम के परम भक्त मुनि सुतीक्षण की पावन तपस्थली व भगवान राम के वनवास के साक्षी सारंगधर मेले में मकर संक्रान्ति मेले के प्रति लोगों में सदा से ही उत्साह रहा है। जिला मुख्यालय पन्ना का सबसे निकटतम मेला होने के कारण यहां ग्रामीण ही नहीं शहरी लोग भी अपने परिजनों के साथ पहुंचते हैं। पन्ना से बृजपुर मार्ग पर महज 18 किमी दूर इस स्थल पर आज मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह वही स्थल है जहां प्रभु श्रीराम ने पृथ्वी को निसचर विहीन करने का प्रंण किया था।

पण्डवन मेला

मकर संक्राति पर्व का सबसे बड़ा मेला पण्डवन मेला ही है जो जिला मुख्यालय से 48 किमी दूर अमानगंज के निकट स्थित पण्डवन ग्राम में लगता है। सात नदियों के संगम पर आयोजित होने वाले इस मेले के प्रति ग्रामीण व शहरी दोंनो तरह के लोगों के लिए खासा आकर्षक का केन्द्र है। यह मेला मकर संक्राति से प्रारंभ होकर दस दिन तक चलता रहता है। यहां केन नदी का मनोरम दृश्य व पत्थरों का कटाव देखते ही बनता है।

गंगा झिरिया मेला

पन्ना- कटनी मार्ग पर पवई से शाहनगर के बीच स्थित टिकरिया के निकट वन प्रांत में गंगा झिरिया नाम का यह सुरम्य व प्राचीन धार्मिक स्थल मौजूद है। गंगा झिरिया नाम का कुण्ड यहां स्थित है। जिसके पानी में तमाम चमत्कारिक गुण हैं। यह पानी भी कभी सूखता नहीं है। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां भी विशाल मेला भरता है।

अजयपाल किला का मेला

जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर स्थित अजयगढ़ में अजयपाल पहाड़ी पर मकर संक्रांति में मेला लगता है। यह पहाड़ प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व के स्थलों से परिपूर्ण है। पहाड़ी पर एक प्राचीन दुर्ग स्थित है। कहते हैं कि यह दुर्ग चंदेल राजाओं के बनवाये खजुराहो के मंदिरों से भी पुराने हैं। इस मेले में भी अजयगढ़ सहित आस-पास के ग्रामीण अंचलों से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।

चौमुख नाथ महादेव


जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित सलेहा कस्बे के निकट चर्तुमुखी शिव मंदिर व प्राचीन सरोवर स्थित है। जिसे चौमुखनाथ के नाम से लोग जानते हैं। शिव के ज्योर्तिलिंगों में गिने जाने वाले भगवान चौमुखनाथ महादेव के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। मकर संक्रान्ति पर्व पर धार्मिक महïत्व के इस प्राचीन स्थल पर भी मेला भरता है ।
000000000

Saturday, January 12, 2019

बाघों में होती है अचंभित कर देने वाली नैसर्गिक क्षमता

  • प्राकृतिक आपदाओं का उन्हें हो जाता है आभास 



अरुण सिंह,पन्ना। वन्य जीवों विशेषकर बाघों में अचंभित कर देने वाली नैसर्गिक क्षमता होती है जिससे उन्हें होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का काफी पहले ही आभास हो जाता है। वर्षों तक वन्य प्रांणियों के निकट रहकर उनकी जीवन चर्या का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने भी इस बात की पुष्टि की है। विशेषज्ञों के मुताबिक कई पक्षियों को मौसम के बारे में पूर्वाभास हो जाता है, जो एकदम सटीक होता है।
उल्लेखनीय  है कि कुदरत के साथ वन्य प्रांणियों व पक्षियों की लयबद्धता इतनी गहन होती है कि उन्हें आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का आभास महीनों पूर्व हो जाता है। भविष्य में होने वाली प्राकृतिक उथल - पुथल व अनहोनी तथा मौसम को दृष्टिगत रखते हुए वन्य जीव व पक्षी अपनी जीवनचर्या का निर्धारण करते हैं। पशु पक्षियों में अंतर्निहित यह नैसर्गिक क्षमता विस्मय विमुग्ध करने वाली है, क्यों कि इतनी वैज्ञानिक प्रगति व ज्ञान के बावजूद मनुष्य अभी भी प्राकृतिक आपदाओं व मौसम के बारे में सटीक आकलन कर पाने में सक्षम नहीं है। वन व वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में कई दशक तक सक्रिय रहे सेवा निवृत्त वन अधिकारी मारूती चितम्पगी ने एक गर्भवती बाघिन का कई महीने तक गहनता के साथ अध्ययन किया तो बड़े ही आश्चर्य जनक व चौकाने वाले तथ्य उजागर हुए।
उनके मुताबिक गर्भवती बाघिन की ट्रेकिंग के दौरान उन्होंने देखा कि डायोस्कोरिया प्रजाति के एक पौधे का कंद बाघिन ने अपना गर्भपात करने के लिए खाया। इस कंद का उपयोग आदिवासी महिलाएं भी इसी उद्देश्य के लिए करती हैं। बाघिन ने इस पौधे का कंद इसलिए खाया क्यों कि कुदरती क्षमता से उसे यह आभास हो गया था कि अगले साल सूखा पड़ेगा। इन परिस्थितियों में जन्म लेने वाले शावकों को भोजन जुटाने व उनके पालन - पोषण में कठिनाई होगी। आश्चर्य की बात यह है कि बाघिन का अनुमान सच साबित हुआ और उस साल भीषण सूखा पड़ा। यदि हम प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ न करें व वन्य जीवों की कुदरती क्षमताओं से सीख लें तो प्राकृतिक आपदाओं से बच सकते हैं। लेकिन विकास की अंधी होड़ और प्रकृति के साथ बैर का भाव हमें निरन्तर तबाही की ओर लिए जा रहा है। फिर भी हम अपनी गलतियों को सुधारने के लिए तैयार नहीं हैं।

हर जीव होता है अद्भुत 

पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्रांणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता का कहना है कि चींटी से लेकर हांथी तक प्रत्येक जीव में कुदरती क्षमता होती है, जिससे उन्हें प्राकृतिक आपदाओं का आभास हो जाता है। यही वजह है कि वन्य जीव प्राकृतिक आपदाओं से अपने कुनबे को बचा लेते हैं। बारिश कैसी होगी इसका अनुमान पक्षियों के घोसलों को देखकर लगाया जा सकता है।
000000

Thursday, January 10, 2019

हीरा खदान की आड़ में हो रही थी हथियारों की तस्करी

  •  दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पकड़ा अंतर्राज्यीय हथियार तस्कर
  •   हीरा खदान क्षेत्र में छिपाकर रखे गये 5 देशी पिस्टल बरामद


 पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपी तथा उसके कब्जे से बरामद हुये हथियार।

पन्ना। बेशकीमती हीरों के लिये प्रसिद्ध म.प्र. के पन्ना जिले में गंभीर किस्म के खतरनाक अपराधियों का जाल फैल रहा है। चिन्ता की बात तो यह है कि जिले की पुलिस इन अपराधिक गतिविधियों से अनजान बनी हुई है। जिले में हीरा खदान की आड़ में हथियारों की तस्करी का धन्धा चल रहा था, जिसकी भनक पन्ना पुलिस को नहीं थी। मामले का खुलासा तब हुआ जब मंगलवार की सुबह दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने पन्ना में दबिश देकर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी होने के बाद पन्ना पुलिस भी सक्रिय हुई और आरोपी से जब पूछतांछ की गई तब यह सनसनीखेज खुलासा हुआ। पन्ना के आगरा मुहल्ला निवासी आरोपी हमीद पिता जमील खान 58 वर्ष हीरा खदान की आड़ में हथियारों की खरीद फरोख्त का काम करता था।
इस सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुये पुलिस अधीक्षक पन्ना विवेक सिंह  ने आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि आरोपी का नेटवर्क मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों से लेकर प्रदेश के बाहर भी फैले होने की सूचना है। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से 5 देशी पिस्टल बरामद कर पूछतांछ शुरू कर दी है, पूछतांछ में और भी खुलासे की संभावना व्यक्त की जा रही है। पुलिस अधीक्षक श्री सिंह  ने बताया कि 8 जनवरी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने सूचना दी थी कि 13 सितम्बर 2018 को स्पेशल सेल दिल्ली में दर्ज अपराध क्र. 111/18 के आरोपी के कब्जे से भारी मात्रा में अवैध हथियार पकड़े गये थे। उक्त गिरफ्तार आरोपी के तार पन्ना सहित अन्य शहरों से जुड़े होना बताया गया था।
उक्त सूचना पर पुलिस अधीक्षक पन्ना के निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पन्ना बी.के.एस परिहार के मार्गदर्शन में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम एवं पन्ना पुलिस टीम ने संयुक्त रूप से कार्यवाही करते हुये संदेही से पूँछताछ की गई। पूँछताछ पर संदेही द्वारा अपना नाम हमीद पिता जमील खान उम्र 58 वर्ष निवासी आगरा मोहल्ला का होना बताया। आरोपी ने पुलिस की पूँछताछ पर बताया कि मैं खरगौन तरफ  से देशी पिस्टल मँगवाकर बेचता हूँ । सरकोहा जंगल के नाला में मैं फर्जी रूप से हीरा खदान लगाया हूँ वहीं पर पिस्टल छिपाकर रखा हूँ। आरोपी द्वारा बताये गये स्थान पर पहुँचकर सर्च करने पर संयुक्त पुलिस टीम को नाला के किनारे झाडी के बीच से एक काले रंग का थैला दिखा जिसे खोलकर देखा तो उक्त थैले में 5 नग देशी पिस्टल मिले । उक्त अवैध 5 नग देशी पिस्टल को पुलिस द्वारा जब्त कर आरोपी को गिरफ्तार किया जाकर थाना कोतवाली पन्ना में अप.क्र. 21/19 धारा 25,27 आम्र्स एक्ट का कायम किया जाकर विवेचना में लिया गया है। संयुक्त पुलिस टीम द्वारा आरोपी के अन्य ठिकानो पर भी छापामार कार्यवाही की गई। आरोपी उक्त हथियारों को प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर से खरीदता एवं बेचता था। पूँछताछ पर आरोपी द्वारा उत्तरप्रदेश एवं म.प्र. के अवैध हथियार तस्करों के ठिकाने भी बताये हैं। इन ठिकानों पर पुलिस टीम भेजकर कार्यवाही की जा रही है।



00000

सारंगधर जहां पर होती है अलौकिक अनुभूति

  • औषधीय गुणों से परिपूर्ण है यहां के कुण्ड का जल 
  • इस मनोरम स्थल का पर्यटन स्थल के रूप में हो विकास 


प्राकृतिक व धार्मिक महत्त्व के स्थल सारंगधर का प्रवेश द्वार। 

अरुण सिंह, पन्ना। प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ - साथ यदि किसी स्थान पर आध्यात्मिक शांति की भी प्रगाढ़ता से अनुभूति होती है तो ऐसे स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है. पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी. दूरी पर स्थित सारंगधर एक ऐसा ही स्थान है, जहां पहुंचने पर हर किसी को आत्मिक शांति तो मिलती ही है, व्यक्ति को अपने भीतर की छिपी आध्यात्मिक क्षमताओं व शक्ति का भी अहसास होता है.

किसी समय प्राचीन ऋषियों और मुनियों की तपोस्थली रहा यह स्थान आज भी आध्यात्मिक ऊर्जा तरंगों से आविष्ट है. धनुषाकार पहाड़ी से घिरा यह स्थान जिसे सुतीक्षण मुनि के आश्रम के नाम से जाना जाता है. पहाड़ी के आकार की वजह से इसे सारंगधर भी कहा जाता है. यहां के बारे में एक किवदंती यह भी है कि वन गमन के समय भगवान राम इस आश्रम से होते हुए चित्रकूट गये थे. कहा जाता है कि आश्रम के निकट ही ऋषि - मुनिया की हड्डियों का ढेर देखकर भगवान राम अत्यधिक द्रवित हुए और वहीं पर अपनी भुजा उठाकर यह प्रतिज्ञा की वे पृथ्वी को निशाचरों से विहीन कर देंगे. सुतीक्ष्ण मुनि की इस तपोस्थली में अक्षय वट के नीचे बैठकर कुछ क्षण गुजारना अपने आप में एक अलौकिक अनुभव होता है. यहां पास में एक कुण्ड भी विद्यमान है. जहां अज्ञात प्राकृतिक श्रोतों से हमेशा कंचन जल प्रवाहित होता रहता है. इस जल में अनेकों औषधीय गुण हैं. जो कोई इस जल का सेवन करता है उसे पेट के विकारों व चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती है. सारंगधर की हरी - भरी पहाडिय़ों में औषधीय पौधे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. दूर -दूर से वैद्य औषधीय पौधों की तलाश में इस स्थान पर आते हैं. आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि सारंगधर की पहाडिय़ों में पाये जाने वाले औषधीय पौधों की वही तासीर रहती है जो हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में पाये जाने वाले औषधीय पौधों की होती है. इस खूबी के कारण भी सारंगधर का विशेष महत्व है. यहां पर हर वर्ष मकर संक्रान्ति के समय विशाल मेले का भी आयोजन होता है. जिसमें दूर - दूर से लोग आते हैं. सारंगधर पहाड़ी के नीचे मैदान में तत्कालीन नरेश महाराजा हरवंश राय ने 1846 में भगवान श्रीराम जानकी का यहां पर भव्य मंदिर भी बनवाया था जो आज भी विद्यमान है. मंदिर में विराजे भगवान की नयनाभिराम छवि के दर्शनों हेतु दूर - दूर से से लोग यहां आते हैं. इस मंदिर के अलावा सारंगधर स्थान में 52 छोटे - बड़े मंदिर भी मौजूद हैं. कुछ वर्ष पूर्व यहां पर शिव के बारह अवतारों की विधिवत स्थापना की गई है, जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है. क्षेत्र के लोगों की इस तपोस्थली के प्रति अगाध श्रद्धा है. फलस्वरूप इस स्थल के विकास व यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य को बरकरार रखने के प्रति आसपास के ग्रामवासी काफी सजग रहते हैं. ग्राम पंचायत अहिरगवां के अन्तर्गत आने वाले इस धर्म स्थल को यदि पर्यटन के नक्शे में जोड़ दिया जाये तो यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है.