- देखने में बेहद आकर्षक हाईब्रीड टमाटर सब्जी बाजार में 5 से 10 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि देशी चेरी टमाटर 40 रुपये किलो बिकता है। इसकी वजह चेरी टमाटर का स्वाद है जो हाईब्रीड टमाटर में नहीं मिलता। कहा जाता है कि टमाटर और आलू हमारे देश की सब्जी नहीं है लेकिन चेरी टमाटर प्राकृतिक रूप से इस देश की मिट्टी व आबोहवा में ही पनपा है।
।। बाबूलाल दाहिया ।।
प्रायः यह सुनिश्चित है कि टमाटर और आलू हमारे देश की सब्जी नहीं है। यह दोनों अग्रेजो के आने के बाद ही भारत में आये और यहां की प्रमुख सब्जी का स्थान ले लिया। शायद यही कारण है कि आयुर्वेद ग्रन्थों में इनका कहीं उल्लेख नहीं पाया जाता। सब से बड़ा ऐतिहासिक उदाहरण तो (आईने अकबरी) है। कहते हैं 1555 में जब बादशाह हुमायु दोबारा बादशाह बने और अपने सरदारों एवं रिआया को भोज दिया उसमें सभी तरह की तरकारियां लौकी, भिंडी, करेला, परवल, गिलकी, कद्दू, घुइयां, बरवटी आदि राधी गई। किन्तु यह (टोमैटो-पोटैटो) उन सब्जियों मे शामिल नहीं है। इससे सिद्ध है कि तम्बाकू की तरह इन्हें भी अंग्रेज अपने साथ लाए जो बाद में समूचे देश की लोकप्रिय सब्जी बन गए।
किन्तु यह समूचे उत्तर और मध्य भारत में नैसर्गिक ढंग से उगने वाला जंगली टमाटर चेरी जिसे कहीं मारू कहीं भेजरा तो कहीं टमटरी भी कहा जाता है, क्या यह भी अग्रेजों द्वारा लाया गया होगा ? या यह पहले से इसी तरह उगता रहा होगा ? यह विद्वानों के लिए विचारणीय बात है। क्योकि इसका चरित्र उन बड़े टमाटरों से अलग सा लग रहा है।
व्यावसायिक रूप से लगाये जाने वाले कई तरह के टमाटर हैं। कुछ देश में हरित क्रांति आने के पहले के टमाटर हैं जो खाने में खट्टापन लिए जायकेदार हैं । अस्तु उन्हें देसी टमाटर कहा जाता है, तो कुछ हाईब्रीड भी हैं। यह हाईब्रीड देखने मे तो आकर्षक हैं किन्तु स्वाद में दो कौड़ी के भी नहीं। लेकिन बाजार इन्ही से पटा रहता है। इन दोनों से अलग एक वह चेरी य जंगली टमाटर भी है, जिसमें खाद, बीज, निराई, सिचाई, कीटनाशक आदि किसी में कुछ भी पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं। बस तोड़िए और चटनी य सब्जी में उपयोग कीजिए।
न तो उसमें पत्ती सिकुड़न रोग लगता है, न कोई कीट ब्याधि ? वह अपने आप गाँव, घरों के आस पास बिखरे कूड़े करकट, खेतो की मेड़ो य बगीचे, सार्वजनिक स्थानों में जमेगा और सितम्बर से पकना शुरू होगा तो अप्रैल तक मुफ्त में सब्जियां खिलाएगा, जिसमें किसी का स्वामित्व भी नहीं। चाहे जो तोड़ता खाता रहे ? और पत्ते में ऐसा कषैलापन कि मजाल क्या कि कोई पशु मुँह भी मार सके ? किन्तु यदि इसके दो चार फल भी उस स्वाद रहित हाईब्रीड टमाटर के सब्जी में डाल दिया जाय तो उसे भी इसका खट्टापन स्वादिष्ट बना दे।
लेकिन इसका हम मनुष्यो का मात्र स्वार्थ का ही नाता है। इसके वंश परिवर्धन के लिए बीज फैलाने का काम तो चिड़ियां करती हैं। शायद इसीलिए उनके अनुरूप उसने अपने फल का आकार छोटा रखा है।
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