Saturday, October 17, 2020

पन्ना के जंगल में 40 वर्ष पूर्व मिला था दुर्लभ वन भैंसा

  •   रैपुरा क्षेत्र के रूपझिर गांव के पास दिखा था यह वन्य प्राणी 
  •  पन्ना तक कहां से व कैसे पहुंचा, यह अभी भी है एक बड़ा रहस्य 

विलुप्ति की कगार में पहुँच चुका जंगली भैंसा। 

। अरुण सिंह 

पन्ना। जंगल के राजा बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में 40 वर्ष पूर्व दुर्लभ प्रजाति का जंगली भैंसा देखा गया था। यह वन भैंसा जिले के रैपुरा क्षेत्र अंतर्गत रुपझिर गांव के पास नजर आया था, जिसे गोली मारकर किसी ने घायल कर दिया था। बुरी तरह से जख्मी और लहूलुहान इस वन भैंसा का स्थानीय पशु चिकित्सक द्वारा इलाज भी किया गया था। 

विलुप्त होने की कगार में पहुंच चुके दुर्लभ वन भैंसा के पन्ना में देखे जाने की रिपोर्ट पहली बार 1979 में जनरल ऑफ द वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी आफ इंडिया की पत्रिका चीतल में प्रकाशित हुई थी। वन महकमे के तत्कालीन उप संरक्षक (वन्य जीव) एस.एम. हसन को  पन्ना के जंगल में वन भैंसा की मौजूदगी के बारे में जब पता चला तो वे लंबी दूरी तय करके न सिर्फ यहां पहुंचे थे अपितु उन्होंने इस भारी-भरकम दुर्लभ वन भैंसा की तस्वीर भी खींची थी। वन भैंसा पन्ना में कहां से व कैसे पहुंचा यह अभी भी एक रहस्य है। 

वह वन भैंसा जो 40 वर्ष पूर्व पन्ना के जंगल में मिला था। 

उल्लेखनीय है कि एक सदी पहले तक पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में बड़ी तादाद में पाया जाने वाला जंगली भैंसा अब केवल भारत, नेपाल, बर्मा और थाईलैंड में ही पाया जाता है। मध्य भारत में इसकी मौजूदगी छत्तीसगढ़ में रायपुर संभाग व बस्तर में नाममात्र को है। छत्तीसगढ़ में जंगली भैंसे को राज्य पशु का दर्जा हासिल है, बावजूद इसके यहां पर इनकी संख्या एक दर्जन से भी कम है, यही वजह है कि वन भैंसों की वंश वृद्धि के लिए उन्हें यहां सुरक्षित घेरे में रखकर प्रजनन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। 

बताया जाता है कि दो दशक पूर्व जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था, उस समय यहां के जंगलों में 60 से अधिक वन भैंसे थे। लेकिन अब उनकी संख्या घटकर 10 के करीब पहुंच गई है। किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि राज्य पशु वन भैंसा छत्तीसगढ़ के जंगलों से इस तरह गायब हो जायेगा। मालूम हो कि बाघ व हांथी जैसे वन्यजीवों की तरह भैंसा भी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 का जानवर है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने वन भैंसा को लुप्तप्राय प्रजाति की श्रेणी में रखा है। 

विशेषज्ञों ने भी की थी पन्ना में वन भैंसा की पुष्टि 

प्राचीन विन्ध्य पर्वत श्रंखला में स्थित मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का जंगल हमेशा से बाघ, तेंदुआ, भालू , सोनकुत्ता, भेडय़िा, चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंगा सहित विभिन्न प्रजाति के वन्य जीवों का रहवास स्थल रहा है। रंग बिरंगे पक्षियों की यहां तकरीबन 200 से भी अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। जिनमें राष्ट्रीय पक्षी मोर व मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी दूधराज शामिल हैं। 

यहां के शुष्क पर्णपाती वन में जंगली भैंसा का मिलना अविश्वसनीय व आश्चर्यचकित कर देने वाली घटना थी। वन अधिकारी एस.एम. हसन ने पन्ना में वन भैंसा के मिलने का जिक्र करते हुए कहा था कि वर्ष 1979 में गंगऊ अभ्यारण्य के सर्वेक्षण के दौरान इस क्षेत्र में वन भैंसा के होने की जानकारी मिली थी। 

मालुम हो कि इस अभ्यारण्य के एक बड़े हिस्से को वर्ष 1981 में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था। पन्ना में मिले वन भैंसे की पुष्टि जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के निदेशक साथ ही एशिया और प्रशांत के लिए बीएनएचएस और यूएनईपी कार्यालय के विशेषज्ञों ने भी की थी।

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