- कोरोना काल की बंदिशों के बाद मध्य प्रदेश में वन्यजीव पर्यटन ने अब रफ्तार पकड़ ली है। पर्यटन बढऩे से संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। मध्य प्रदेश में 10 लाख से अधिक पर्यटक राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों का भ्रमण करते हैं, जिससे शासन को 30 करोड़ से अधिक राजस्व व ग्रामीणों को रोजगार मिलता है।
पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल में लम्बी छलांग लगाता बाघ। फोटो - अजित सिंह |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। वन्य जीव पर्यटन से जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है। पर्यटकों के आने से वन क्षेत्र के आसपास स्थित गांव के लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलते हैं। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं कि मध्य प्रदेश में हर साल 10 लाख से अधिक पर्यटक राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों का भ्रमण करते हैं, जिनसे प्रवेश शुल्क के रूप में 30 करोड़ रुपये से भी अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। पन्ना टाइगर रिजर्व ने वर्ष 2020-21 में लगभग 1.5 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है जिसके अब बढऩे की उम्मीद है।
क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि भारत में वन्य जीव पर्यटन आमतौर पर टाइगर पर्यटन का पर्याय बन चुका है। जिन बाघ अभयारण्यों व राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों के दर्शन अधिक होते हैं वहां पर्यटकों की संख्या भी अधिक होती है। टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या से ही काफी हद तक पर्यटकों का रुझान निर्धारित होता है। इस लिहाज से मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का बीता एक दशक उतार-चढ़ाव और चुनौतियों से परिपूर्ण रहा है। वर्ष 2009 में पन्ना के जंगल से बाघ पूरी तरह खत्म हो गए। बाघ विहीन यहां का जंगल शोक गीत में तब्दील हो गया। जाहिर है इसका असर पर्यटन पर पड़ा, पर्यटकों ने भी पन्ना टाइगर रिजर्व से मुंह मोड़ लिया।
उत्तम कुमार शर्मा, क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिज़र्व। |
इसी के साथ ही यहां मार्च 2009 में बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने की कवायद शुरू होती है। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पहली बाघिन पन्ना लाई गई। इसके बाद कान्हा टाइगर रिजर्व से दूसरी बाघिन व पेंच टाइगर रिजर्व से एक नर बाघ यहां आता है। उस समय प्रबंधन का पूरा ध्यान पर्यटन के बजाय बाघों की वंश वृद्धि व संरक्षण पर था। बाघ पुनर्स्थापना योजना को पन्ना में चमत्कारिक सफलता मिली और पन्ना पन्ना टाइगर रिजर्व एक बार फिर बाघों से आबाद हो गया। मौजूदा समय यहां 70 से अधिक बाघ हैं, जिनमें वयस्क बाघों की संख्या लगभग 46 व शावकों की संख्या 20 से अधिक है।
पन्ना की ओर अब बढ़ रहा पर्यटकों का रुझान
बाघों की संख्या लगातार बढऩे तथा साइटिंग होने से पर्यटकों का रुझान अब पन्ना टाइगर रिजर्व की ओर बढ़ा है। पन्ना टाइगर रिजर्व की एक खूबी यह भी है कि यहां वन्य प्राणियों व बाघ के दर्शन के साथ-साथ पर्यटक खूबसूरत नजारों का भी लुत्फ उठाते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में पांडव फॉल, केन घडय़िाल अभयारण्य और रनेह फाल जैसे दर्शनीय स्थल हैं। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पीटीआर के कोर क्षेत्र (576.13 वर्ग किमी.) के 17 फ़ीसदी हिस्से में ही पर्यटकों को भ्रमण की इजाजत है। दिशा निर्देशों का पालन करते हुए पर्यटक निश्चित समय सीमा पर सूर्योदय व सूर्यास्त के बीच अनुमति प्राप्त वाहनों से भ्रमण कर सकते हैं। श्री शर्मा बताते हैं कि कोर जोन में प्रतिदिन अधिकतम 85 वाहनों को प्रवेश दिया जा सकता है।
जंगल में रास्ता पार करते बाघ को निहारते पर्यटक। |
कोर जोन के अलावा अकोला व झिन्ना बफर भी पर्यटकों के लिए खोले गए हैं। क्षेत्र संचालक बताते हैं कि बफर में पूरे वर्ष पर्यटन की अनुमति है। दोनों बफर जोन में नाइट सफारी भी रात 9:30 तक की जा सकती है। कोर जोन में वाहनों के प्रवेश की संख्या सीमित होने के कारण पर्यटकों का रुझान बफर क्षेत्र में बढ़ा है। अकोला बफर में बाघों की अच्छी खासी संख्या है, जिससे यहां अमूमन रोज ही पर्यटकों को बाघ के दर्शन हो जाते हैं।
पर्यटन से अर्थव्यवस्था ऐसे होती है मजबूत
एक अध्ययन का हवाला देते हुए क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि प्रवेश शुल्क के रूप में पन्ना टाइगर रिजर्व को तकरीबन 1.67 करोड रुपए का राजस्व प्रतिवर्ष प्राप्त होता है। जबकि ईकोटूरिज्म द्वारा हर साल लगभग 21 करोड़ की अर्थव्यवस्था उत्पन्न होती है। इसमें होटल किराए के अलावा उत्पन्न होने वाले 5 लाख से अधिक मानव दिवस शामिल है। क्षेत्र संचालक ने आगे बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व की परिधि के कम से कम 8 गांव के लगभग 1800 लोग इको टूरिज्म से उत्पन्न पर्यटन व्यवसाय में कार्यरत हैं। इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानीय 700 से अधिक लोग दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत हैं। पर्यटक गाइड पुनीत शर्मा ने बताया कि इको टूरिज्म के उद्देश्य से पन्ना टाइगर रिजर्व में 91 गाइड व 58 जिप्सी पंजीकृत हैं। इनमें अधिकांश जिप्सी ड्राइवर व गाइड पीटीआर की परिधि में स्थित गांव के निवासी हैं। श्री शर्मा बताते हैं कि पर्यटन से ग्रामीणों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिलने से वे अब वन्य प्राणी संरक्षण में रुचि लेने लगे हैं। जनसमर्थन से बाघ संरक्षण की सोच पन्ना में चरितार्थ हो रही है।
पन्ना टाइगर रिजर्व बन चुका है पन्ना की पहचान
बाघों से आबाद हो चुका पन्ना टाइगर रिजर्व अब पन्ना जिले की पहचान बन चुका है। स्थानीय विधायक व प्रदेश शासन के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि देश के 51 टाइगर रिजर्व में यह इकलौता टाइगर रिजर्व है जिसे शहर के नाम से जाना जाता है। आपने कहा कि पन्नावासियों ने अब पन्ना टाइगर रिजर्व को अपना लिया है। हमें अब इसी से रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना होगा।
पन्ना टाइगर रिज़र्व में परिवार के साथ भ्रमण हेतु आये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। |
खनिज मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पन्ना ने शून्य से यहां तक का सफर तय किया है, जो अपने आप में एक मिसाल है। आज पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र में हर कहीं बाघ स्वच्छन्द रुप से विचरण कर रहे हैं। बाघों की मौजूदगी से पन्ना का आकर्षण बढ़ा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी परिवार सहित यहां आकर प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। खनिज मंत्री श्री सिंह कहते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व से यहां के लोगों को रोजी रोजगार कैसे मिले, इस दिशा में सोचने व काम करने की जरूरत है। आपने पन्ना- अमानगंज मार्ग पर स्थित रमपुरा गेट पर्यटन हेतु खोले जाने की आवश्यकता बताई और कहा कि वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बुनियादी व मूलभूत सुविधा मिले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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