Monday, August 26, 2024

राम पथ गमन स्थल के साथ श्री कृष्ण पाथेय भी विकसित किए जाएंगे - मुख्यमंत्री

  • भगवान श्री कृष्ण ने हमें धर्म के मार्ग पर चलने का दिया है संदेश 
  • श्री जुगल किशोर मंदिर में श्री कृष्ण पर्व कार्यक्रम में हुए शामिल 


पन्ना। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भगवान श्री कृष्ण ने हमें धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश दिया है। श्री कृष्ण ने 11 साल की उम्र में शिक्षा का महत्व बतलाया और कर्म के आधार पर शिक्षा का पाठ भी पढ़ाया है। हमारा सनातन धर्म अद्भुत है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव जन्माष्टमी पर्व की पूर्व संध्या पर पन्ना के श्री जुगल किशोर मंदिर परिसर में संस्कृति विभाग के श्री कृष्ण पर्व के कार्यक्रम में शामिल हुए और भगवान श्री जुगल किशोर के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने प्रदेश की जनता के सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना भी की। साथ ही मंदिर परिसर में भगवान श्री कृष्ण के जीवन प्रसंग से जुड़े प्रसंगों का बाल कलाकारों द्वारा प्रदर्शित झांकी का अवलोकन भी किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आमजन जन्माष्टमी उत्सव आनंद और उल्लास के साथ मनाएं और कृष्ण भगवान के जीवन का स्मरण करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में धार्मिक स्थलों का विकास कर नया स्वरूप दिया जा रहा है। साथ ही बेहतर शिक्षा के लिए नवीन शिक्षा नीति लागू की गई है। देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में इस नीति को लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति में धार्मिक शिक्षा पर भी जोर दिया गया है। इससे निश्चित ही सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। पाठ्यक्रम में राम, कृष्ण के पाठ को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पन्ना के सर्वांगीण विकास के लिए हरसंभव मदद की जाएगी। छतरपुर में गत दिवस हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कानून का पालन करना सबके लिए बराबर है। किसी भी हालत में कानून तोड़ने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे लोगों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।


मुख्यमंत्री ने पन्ना की धरती को रत्नगर्भा बताया। साथ ही कहा कि बुन्देलखण्ड वीरता का परिचायक है। उन्होंने धार्मिक नगरी पन्ना के मंदिरों के ऐतिहासिक महत्व का वर्णन करते हुए भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख किया। मध्यप्रदेश के प्रत्येक नगरीय निकायों में गीता भवन की स्थापना की बात भी कही। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सहित पन्ना जिले में भगवान राम के आगमन से जुड़े स्थलों को विकसित करने के साथ ही श्री कृष्ण से जुड़े स्थलों को भी तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा। सभी उपस्थितजनों को जन्माष्टमी और हरछठ पर्व की शुभकामनाएं दीं। 

मुख्यमंत्री ने भगवान श्री बल्देव जी के दर्शन भी किए। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव का अतिथियों द्वारा जुगल किशोर का चित्र और श्री बल्दाऊ जी का हल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर आत्मीय स्वागत किया गया। साथ ही बुन्देलखण्ड की पगड़ी भी पहनाई गई। लाड़ली बहनों ने रक्षा सूत्र की टोकरी भेंट कर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। श्री कृष्ण पर्व के दो दिवसीय कार्यक्रम का मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर कलाकारों द्वारा आकर्षक नृत्य एवं लोक गायन की प्रस्तुति दी गई। कलाकारों का सम्मान भी किया गया।

सांसद एवं विधायक ने विकास कार्यों के संबंध में रखी मांग

श्री कृष्ण पर्व में उपस्थित सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। सांसद श्री शर्मा ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को गुड गवर्नेंस का पर्याय बताया और जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर पन्ना आगमन पर मुख्यमंत्री का आभार जताया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री जुगल किशोर के आशीर्वाद से पन्ना विकास की राह पर अग्रसर है। यहां एशिया का सबसे बढ़िया डायमण्ड पाया जाता है। एनएमडीसी हीरा खदान से पन्ना की विशेष पहचान है। पर्यटन के क्षेत्र में भी पन्ना टाइगर रिजर्व पर्यटकों की पहली पसंद है। उन्होंने पन्ना को मेडिकल एवं एग्रीकल्चर कॉलेज सहित आयुर्वेद अस्पताल की सौगात मिलने पर खुशी जताई। साथ ही 2100 करोड़ रूपए की लागत से मड़ला से पन्ना तक 21 किलोमीटर लंबाई के बनने वाले एलीवेटेड रोड के बारे में जानकारी दी। सकरिया हवाई पट्टी के विस्तार सहित रेल कनेक्टीविटी की उपलब्धता से पन्ना के चहुंमुखी विकास की उम्मीद जताई। सांसद ने मुख्यमंत्री से श्री जुगल किशोर लोक के बजट में वृद्धि की मांग की।

पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि पन्ना जिला छोटा होने के बावजूद धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से बड़ा जिला है। मंदिरों व झीलों की नगरी के रूप में पहचान स्थापित कर चुके पन्ना का जुगल किशोर मंदिर वृंदावन मंदिर का छोटा स्वरूप है। उन्होंने संस्कृति विभाग के कैलेण्डर में यहां के चार बड़े पर्वों को स्थान देने की मांग रखी। साथ ही धार्मिक क्षेत्र में विस्तार से रोजगार की संभावना के बारे में भी अवगत कराया। इंजीनियरिंग कॉलेज सहित रिंग रोड, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट तथा चंदेलकालीन तालाबों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में सार्थक प्रयास की बात कही।

कार्यक्रम में पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल, वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार सहित विधायकगण प्रहलाद सिंह लोधी, डॉ. राजेश वर्मा, ललिता यादव एवं अरविन्द पटेरिया, जिला पंचायत अध्यक्ष मीना राजे, उपाध्यक्ष संतोष सिंह यादव, नपाध्यक्ष मीना पाण्डेय, उपाध्यक्ष आशा गुप्ता तथा अन्य जनप्रतिनिधि, सतानंद गौतम, रविराज सिंह यादव, विष्णु पाण्डेय, बृजेन्द्र मिश्रा, जयप्रकाश चतुर्वेदी, रामऔतार पाठक, उमेश शुक्ला, आशुतोष महदेले, चन्द्रभान गौतम, शारदा पाठक, मुकेश सिंह चौधरी एवं संभागायुक्त डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत, पुलिस महानिरीक्षक प्रमोद वर्मा, कलेक्टर सुरेश कुमार, जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय, प्रभारी पुलिस अधीक्षक आरती सिंह, अपर कलेक्टर नीलाम्बर मिश्र एवं अन्य अधिकारीगण तथा बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक व नगरवासी भी उपस्थित रहे।

 पन्ना सहित प्रदेश के 16 स्थानों पर हो रहा है श्री कृष्ण पर्व का आयोजन  




मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर भोपाल सहित मध्यप्रदेश के 16 स्थानों पर श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन किया जा रहा है। पन्ना के श्री जुगल किशोर मंदिर प्रांगण में चल रहे दो दिवसीय समारोह की अंतिम सभा सोमवार को सजी, जिसमें सागर के नदीम राईन और साथी कलाकारों ने बधाई लोकनृत्य की प्रस्तुति दी। अगली कड़ी में भोपाल की लता मुंशी और साथी कलाकारों ने नृत्य नाटिका श्रीकृष्ण की प्रस्तुति दी तो मथुरा के हेमंत बृजवासी और साथी कलाकारों ने भक्ति संगीत के रस की धारा में श्रोताओं को भिगो दिया।

नदीम के 16 सदस्यीय दल ने बधाई लोकनृत्य पेश किया। बुन्देलखण्ड अंचल में जन्म विवाह और तीज-त्यौहारों पर बधाई नृत्य किया जाता है। मनौती पूरी हो जाने पर देवी-देवताओं के द्वार पर बधाई नृत्य होता है। इस नृत्य में स्त्रियाँ और पुरुष दोनों ही उमंग से भरकर नृत्य करते हैं। बूढ़ी स्त्रियाँ कुटुम्ब में नाती-पोतों के जन्म पर अपने वंश की वृद्धि के हर्ष से भरकर घर के आंगन में बधाई नाचने लगते हैं। नेग न्यौछावर बांटती हैं। मंच पर जब बधाई नृत्य समूह के रूप में प्रस्तुत होता है, तो इसमें गीत भी गाये जाते हैं। बधाई के नर्तक, चेहरे के उल्लास, पद संचालन, देह की लचक और रंगारंग वेशभूषा से दर्शकों का मन मोह लेते हैं। इस नृत्य में ढपला, टिमकी, रमतूला और बांसुरी आदि वाद्य प्रयुक्त होते हैं।

अगली कड़ी में हेमंत बृजवासी ने अपनी मधुर आवाज में भक्ति गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने राधे-राधे कीर्तन से अपनी प्रस्तुति का आगाज किया। अरज सुनो मोरी...गीत गाकर उन्होंने श्रोताओं को अपने साथ जोड़ लिया तो किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए...गीत गाकर फिजाओं में भक्ति रस के रंग घोल दिए। काली कमली वाला मेरा यार है...और मस्ती में रंग मस्ताने हो गए, श्याम तेरे नाम के दीवाने...और कजरारे तेरे मोटे मोटे नैन...जैसे गीतों के साथ श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। 

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Friday, August 23, 2024

हरछठ अब नजदीक है लगा लिया अनुमान, वंशकार के टोकनी की सज गईं दुकान

    


।। बाबूलाल दाहिया ।।

दो दिन पहले कजलियों का त्यौहार था और अब शीघ्र ही हरछठ ( हलषष्ठी ) भी आयेगा। क्योंकि वंशकार समुदाय अपना कुड़वारा बनाने का काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया है। कुड़वारा वस्तुतः एक साथ पूजा में उपयुक्त 7  छोटी-छोटी बाँस की टोकनी का एक समूह होता है, जिनमें भुने हुए 7 अनाजों का लावा, महुआ की डोभरी एवं भैंस का दही रखकर हरछठ के दिन महिलाएं पूजा करती हैं।

हमारे देश में अनेक धर्म और उन धर्मो के अन्दर अनेक जातियां है। कुछ जातियों के नाम तो उनके जातीय कर्मो के कारण ही पड़ गए थे, जैसे सोने का कार्य करने वाली जाति का नाम स्वर्णकार, लोहे का काम करने वाली जाति लोहार, घड़ा बनाने वाली कुम्भकार, चमड़े का कार्य करने वाली चर्मकार, तेल निकालने वाली तेली एवं कपड़े बुनने वाली जाति तंतुवाय या बुनकर आदि - आदि। पर कुछ जातियां ऐसी भी हैं जिनका नाम पेड़ पौधों बनष्पतियों से सम्बंधित भी हैं। ऐसी दो जातियां हमारे विन्ध्य क्षेत्र में मसहूर हैं। वह है खैर नामक पेड़ से कत्था बनाने वाली जाति खैरवार और बांस के विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने वाली वंशकार जाति।

आज से 40-45 साल पहले जब मैं बघेली का शब्दकोष तैयार कर रहा था, तो मुझे इस तरह के कार्य करने वाले तमाम लोगों के कार्य स्थल में जाना पड़ा था। मैंने घूम- घूम कर उनके उपकरणों और तैयार सामग्रियों का जब सर्वेक्षण जैसा काम किया था तो अकेले वंशकार जाति द्वारा निर्मित ही 30-35 प्रकार के बांस के उत्पाद या बर्तन मिले थे। आप किसी सामान्य वंशकार का घर देखिए तो गाँव से अलग किसी किनारे के भाग में मात्र एक दो झोपड़ा सामने खुली हुई हवादार कार्यशाला और साधारण सा रहन सहन। कुछ रखे हुए बांस, कुछ उसके बने अधबने बर्तन और आस-पास फैला बांस का छीलन, यही वंशकार के घर की पहचान है। किन्तु जब एक कला पारखी की दृष्टि से उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं में कलात्मकता देखिये, तो आश्चर्य चकित हुए बिना नही रहेंगे।

अगर हम यहां की सामुदायिक संरचना देखें, तो हमारे यहां चार तरह का समुदाय था। 1- शासक वर्ग, 2 - ब्यापारी वर्ग 3- वस्तु निर्माता वर्ग और 4- इह लोक में रहकर भी हमेशा पूर्व जन्म, परलोकवाद का सब्ज बाग दिखाने वाला पुरोहित वर्ग। पर अगर गहराई से देखा जाय तो देश के समस्त विकास की धुरी ही इन तमाम वस्तु निर्माता शिल्पी और मेहनतकस जातियों के हाथ में रही। एक तरफ तो वह बिना किसी बाहरी तकनीकी सुबिधाओं के खुद वैज्ञानिक या  इंजीनियर की दोहरी भूमिका में अपने उपकरण तैयार करते थे, तो दूसरी तरफ शिल्पी की भूमिका में अपनी कलात्मकता पूर्ण वस्तुएं भी बनाते थे। पर जैसा सम्मान इन तमाम शिल्पी जातियों को मिलना चाहिए वह कभी नहीं मिला ? यही कारण है कि भारत आज भी इंजीनियरिंग के मामले में सभी विकासशील देशों से पीछे है।

काश ! गांव के इन तमाम रिसर्च करने वालों को इनकी कला का सही समय पर सही सम्मान मिला होता तो शायद आज भारत इंजीनियरिंग में दुनिया का सिरमौर होता। अलबत्ता प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री बी.बी. सिंह जी जब मध्यप्रदेश बैम्बू मिशन के डायरेक्टर थे, तब अवश्य बाँस की अनेक वस्तुएं बनाने के प्रशिक्षण आयोजित हुए थे। एक प्रशिक्षण शाला सतना के सोनवर्षा में भी थी, जहां बाँस की सैकड़ों प्रकार की वस्तुएं बनती थीं।

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Thursday, August 22, 2024

मुख्यमंत्री 25 अगस्त को पन्ना आयेंगे, हलषष्ठी कार्यक्रम में होंगे शामिल

 


पन्ना। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार 25 अगस्त को पन्ना आ रहे हैं। वे यहाँ सुप्रसिद्ध बलदाऊ जी मंदिर में आयोजित होने वाले हलषष्ठी कार्यक्रम में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारी व अन्य व्यवस्थाओं के संबंध में गुरूवार को संभागायुक्त डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत ने पुलिस महानिरीक्षक प्रमोद वर्मा के साथ कार्यक्रम स्थल का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। 

कमिश्नर एवं आईजी ने शहर के पुलिस लाइन स्थित हेलीपैड स्थल एवं श्री जुगल किशोर मंदिर व श्री बल्देव मंदिर पहुंचकर निरीक्षण किया। इस दौरान आवागमन एवं यातायात व्यवस्था सहित सुरक्षा व पार्किंग व्यवस्था इत्यादि के संबंध में चर्चा की। इस दौरान पुलिस उप महानिरीक्षक छतरपुर रेंज ललित शाक्यवार, कलेक्टर सुरेश कुमार, पुलिस अधीक्षक सांई कृष्ण एस थोटा सहित संबंधित विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहे। मालूम हो कि पन्ना नगर का श्री बलदेव जी मंदिर देश के विशिष्ट मंदिरों में से है। इसको देखने दूर-दूर से प्रतिवर्ष हजारों यात्री आते हैं। महाराजा रूद्र प्रताप पन्ना राज्य के दसवें नरेश थे। उन्हें स्थापत्य कला में विशेष अभिरूचि थी। उन्होंने ही इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। 

जन्माष्टमी पर्व के लिए शासन ने जारी किए दिशा-निर्देश

 हलषष्ठी पर्व के दूसरे दिन 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिये आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिये हैं। निर्देश अनुसार जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों और उनसे जुड़े स्थलों पर आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों की साफ-सफाई कार्य एवं सांस्कृतिक कार्यकमों का आयोजन किया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा एवं मित्रता के प्रसंग तथा जीवन दर्शन के साथ भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, योग आदि पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम सभी शासकीय-अशासकीय स्कूल व कॉलेज में आयोजित कराये जाएंगे। 

जन्माष्टमी पर्व को दृष्टिगत रखते हुए शास्त्र सम्मत मंदिर निर्माण के स्थापत्य एवं उनकी विशेषताओं से अधिक से अधिक लोगो को अवगत कराया जाएगा। इसके साथ ही हमारे गौरवशाली इतिहास के प्रसंगो, कथानकों, आख्यानों से सभी वर्गों को अवगत कराने के लिये भी समुचित कार्यवाही की जाएगी।

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Tuesday, August 20, 2024

गांवों में क्यों बोई जाती हैं कजलियां, आखिर क्या है राज ?

 



 ।। बाबूलाल दाहिया ।।

कजलियां का पर्व ग्रामीण इलाकों में राखी के दूसरे दिन मानाने की परंपरा है, जिसमें खेतों से लाई गई मिट्टी को बर्तनों में भरकर उसमें गेहूं बोएं जाते हैं। उन गेंहू के बीजों में रक्षा बंधन के दिन तक गोबर की खाद और पानी दिया जाता है और देखभाल की जाती है। यह प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा पर्व है। लेकिन इस पर्व को मानाने के पीछे की असल वजह क्या हो सकती है, यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि हमारे पुरखों की सोच कितनी तर्कसंगत व वैज्ञानिक रही होगी।  

प्राचीन समय में कजलियों के बोने के पीछे शायद बीज परीक्षण का लॉजिक रहा होगा कि "हमारे घर का बीज  कैसा है ? उसमें कोई फफूंद या रोग तो नहीं लगा है ?"  परन्तु बाद में उसका वैज्ञानिक पक्ष तो पीछे छूट गया और परम्परा आंगें हो गई।

यह हमारे घर की कजलियां हैं जो पूरी तरह फफूंद रहित परिपुष्ट लगती हैं। इनमें एक विशेषता यह भी है कि यह हमारे परम्परागत अनाज बीजों की हैं। कुछ समय पश्चात इन्हें तालाब में ले जाकर विसर्जित कर दिया जायगा। और फिर एक रश्म होगी हमारे एकता और भाईचारे की। जब गांव के युवक और किशोर घर- घर जाकर अपने बड़े बूढ़ों के संमुख कजलियां प्रस्तुत कर के चरण स्पर्श करेंगे और उनसे आशिर्वाद लेंगे। 

उधर ससुराल से आईं बहन बेटियां भी घर- घर जाकर अपनी बड़ी बूढ़ी चाची, ताई एवं सखी सहेलियों से भेंट करेंगी, जिनसे भेंट करने की मनमें कब से कजलियों का इंतजार रहा होगा ? मुझे अपनी गांव की इस संस्कृति पर नाज है कि यह अपने अंदर कितना बड़ा भाईचारा और एकता समेट कर चलतीं थी।

  

पन्ना जिले में धूमधाम से मनाया गया कजलियां उत्सव 

मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा में बागै नदी के तट पर बसे पन्ना जिले के ऐतिहासिक एवं धार्मिक ग्राम खोरा में हर त्यौहार बड़े  ही धूमधाम से एवं हर्षोल्लाह से मनाए जाते हैं। लेकिन बात जब पारंपरिक कजलियां उत्सव की आती है तो बुजुर्गों, युवाओं और महिलाओं से लेकर बच्चों तक में खुशी और उत्साह देखते ही बनता है। 

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबंधन के दूसरे दिन 20 अगस्त 2024 को कजलियां उत्सव बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लाह से मनाया गया। सैकड़ों युवा, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे बागै नदी में पहुंचे, जहां कजलियां खोंट कर एवं नौका विहार उपरांत एक दूसरे को कजलियां भेंट कर एकता प्रेम भाईचारा एवं खुशहाली की शुभकामनाएं दी। सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन हर वर्ष इसी प्रकार किया जाता है।

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Wednesday, August 14, 2024

आजादी के रंग खाकी के संग, पुलिस बैण्ड ने दीं मनमोहक प्रस्तुतियां

गाँधी चौक में पुलिस बैण्ड पन्ना मनमोहक प्रस्तुतियां देते हुए। 

पन्ना।  पुलिस बैण्ड पन्ना द्वारा "आजादी के रंग खाकी के संग" अभियान के तहत् पन्ना शहर के मुख्य चौराहो पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी गईं। मालूम हो कि मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य मे 9 अगस्त से 15 अगस्त तक "आजादी के रंग खाकी के संग" अभियान चलाया जा रहा है। 

आजादी के रंग खाकी के संग अभियान का उद्देश्य देशवासियों को देश भक्ति की भावना से जोड़ना और उन्हें देश की आजादी के महत्व के बारे में जागरूक करना है। आजादी के इस महापर्व को पन्ना पुलिस द्वारा बड़े ही उमंग एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक पन्ना साईं कृष्ण एस. थोटा के निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पन्ना श्रीमती आरती सिंह के मार्गदर्शन मे पन्ना जिले मे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।  

इसी क्रम में मंगलवार 13-08-24 को पन्ना शहर के मुख्य चौराहा गाँधी चौक में पन्ना पुलिस बैण्ड द्वारा भिन्न-भिन्न देशभक्ति धुनो पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई। उक्त पुलिस बैण्ड मे जिला पुलिस बल एवं विशेष सशस्त्र बल से प्र.आर. गजेन्द्र बेन, हसन खान, बृजेश सेन, रघुराज धुर्वे, आर. जयहिंद सिंह, सोहन भिलाला, योगेन्द्र शैलेन्द्र, विनोद,भूपेन्द्र, अंजनी, विनोद कुमार, अनित, राहुल शर्मा, राजेश मोर्य,महेश टिकरिया आदि कर्मचारी शामिल रहे।

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Tuesday, August 13, 2024

बनहरीखुर्द गांव में ग्रामीणो ने पौधरोपण कर लिया सुरक्षा का संकल्प

  • "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत वैदिक मंत्रोचार पूजा विधि से किया पौधरोपण 
  • जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मीनाराजे ने कहा पंच 'ज' आधारित विकास होगा टिकाऊ 

पन्ना जिले के बनहरीखुर्द गांव में पौधरोपण के लिए उत्साहित ग्रामीणों का नजारा। 

पन्ना। बनहरीखुर्द गांव में ग्रामीणो ने सामूहिक रूप से पौधरोपण कर उनकी सुरक्षा का भी संकल्प लिया है। हम सब प्रकृति के हिस्से हैं, हमारा वजूद इसी से जुड़ा हुआ है। यदि सभी पेड़ों को नष्ट कर दिया जाय तो इसी के साथ ही पृथ्वी से समूचा जीवन भी तिरोहित हो जायेगा। एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत वैदिक मंत्रोचार पूजा विधि से यहाँ जिस तरह से पौधरोपण किया गया है, उससे अन्य दूसरे गाँव के लोगों को भी प्रेरणा लेना चाहिए। 

यह सर्व विदित है कि कोरोना के समय हमने प्रकृति की अहमियत को कितनी गहराई से महसूस किया है। हमारे लिए ऑक्सीजन कितना जरूरी है, यह भी हमने जाना है। हम ऑक्सीजन अंदर लेते हैं और पेड़ ऑक्सीजन छोड़ते हैं। हम कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं, पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड अंदर लेते हैं। इसलिए जब हम जंगल में या पेड़ों के बीच होते हैं तो ज्यादा जीवंत और तनावमुक्त होते हैं। इसकी वजह यह है क्योंकि वहां ज्यादा ऑक्सीजन है, चारों तरफ जीवन धड़क रहा है, ज्यादा जीवंतता है।

एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत जिस गाँव ने अनुकरणीय पहल की है वह विन्ध्याचल पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा पन्ना जिले का आदिवासी बाहुल्य ग्राम बनहरीखुर्द हनुमतपुर ग्राम पंचायत का आश्रित गांव है। जनपद अजयगढ से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। रिलायंस फाउन्डेसन, समर्थन संस्था एवं ग्राम पंचायत के संयुक्त तत्वाधान में पौधारोपण कार्य ज्ज्एक पेंड मां के नाम ज्ज् में सैकड़ो माताओ, बहनों एवं भाईयो ने भाग लिया तथा रक्षासूत्र बांधकर रोपित पौधो की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली। जनपद पंचायत अजयगढ़ से पंचायत समन्वय अधिकारी नवल किशोर पटेल, सचिव ग्राम पंचायत विद्वाबाई अहिरवार कार्यक्रम में उपस्थित रहे।  

जिला पंचायत पन्ना की अध्यक्ष श्रीमती मीनाराजे व अन्य पौधरोपण करते हुए। 

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला पंचायत पन्ना की अध्यक्ष श्रीमती मीनाराजे एवं कार्यक्रम की अध्यक्ष श्रीमती भन्नू बाई कोदर सरपंच हनुमतपुर ने समुदाय की भागीदारी एवं पंचायत मित्रो, जल मित्रो के कार्य की सराहना की। पौधारापेण की तैयारी को देखा और अपने उद्बोधन में कहा की हमारी सस्कृति में जल,जगल,जमीन,जानवर एवं जन महत्वपूर्ण है, ग्राम के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। टिकाऊ विकास का आधार ज्ज्पंच जज्ज् से ही होगा। कृषि समिति के अध्यक्ष जिला पंचायत सदस्य संतोष यादव ने कहा की प्राकृतिक खेती से हमारा शरीर निरोगी होगा, सबको अपनाना चाहिये सरकार सहयोग भी कर रही है। युवा दिवस आज मनाया जा रहा है देश की आधी आबादी युवा है जिससे विकास की संभावना है। 

समाज सेवी पुष्पराज सिंह परमार ने कहा की समर्थन संस्था के प्रयास जमीनी हैं, सैकड़ो युवा इस बात के गवाह हैं। पौधारोपण की तैयारी एवं ग्रामीणो का जन सहयोग बहुत ही सराहनीय है। पौधारोपण से ज्यादा उसकी सुरक्षा की आवश्यकता है जो यहां पर देखने को मिल रही हैं। ग्रामीणो ने खेती के लिये बिजली की समस्या बताई , अध्यक्ष महोदया ने टान्सफारमर लगवाने की बात कही है।  कार्यक्रम में रिलायंस फाउन्डेसन के जिला परियोजना प्रबंधक नीरज कुशवाहा, तकनीकी सलाहकार प्रदीप तिवारी, समर्थन के बरिष्ठ साथी आशीष विश्वास ने बताया कि जल को बचाना एवं पौधा लगाना एक दूसरे के पूरक हैं,  एक के बिना दूसरा हो ही नही सकता। 

जिला समन्वयक प्रदीप पिड़िहा ने पौधारोपण की सुरक्षा एवं रखरखाव की अपील ग्रामीणो से की। समर्थन टीम से फरीदा बी, मीत पटेल, विनीत द्विवेदी दीपक चौधरी, लखन लाल शर्मा, विकास मिश्रा एवं कार्यक्रम का संचालन ज्ञानेन्द्र तिवारी ने किया। कार्यक्रम में अटल भू जल के सेंक्टर प्रभारी भरत मिश्रा, साहिव सिंह चंन्देल ने भागीदारी की। गांव के विशेष सहयोगी हुकुमसिंह, सरजू प्रसाद,मलखान सिंह, चिरौंजीलाल, सज्जी कोदर, भारत सिंह, जगीसिंह, लखन शिवरहे,राजेन्द्र समस्त ग्रामवासियो ने सहयोग किया। पंचायत ने दैनिक देखभाल की जिम्मेदारी सरजू प्रसाद कोदर को सौपी एवं सभी ग्रमीणो ने पौधो के पालन-पोषण की शपथ ली है।

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Friday, August 9, 2024

आदिवासी दिवस पर एक आल्हा गीत

    


 ।। बाबूलाल दाहिया ।। 


  भारत का जो मूल निवासी,

           वही आदिवासी कहलाय।

हिन्दू मुस्लिम और इसाई,

          सबसे ही वह अलग दिखाय।।


पूरी तरह प्रकृति पूजक है,

         वही पुराना उसका धर्म।

  रहे घने जंगल के भीतर,

         प्रकृति सुरक्षा का बस कर्म।।


जल जंगल जमीन का सच्चा,

             संरक्षक है यही समाज।

उतनी ही अधिग्रहण करे वह,

            जितनी उसे जरूरत आज।।


धरती के सीमित संसाधन,

         का वह करता है उपयोग।

रहे यथारथ जीव जगत सब, 

          अवधारणा समझ लें लोग।।


जंगल उसके लिए सदा था,

        साझे का एक भोजन कोस।  

लेता सिर्फ जरूरत भरका,

         रखता उसे पाल अरु पोस।।


सभी जगह थी सामूहिकता,

        पूजा अरु अखेट जो कर्म।

गीत और संगीत नृत्य सब,

           दिखे एकता का ही मर्म।।


 जहाँ निवास आदिवासी का,

           वे वन हरे भरे हरिआँय।

 गैर आदिवासी पग धरतय,

           सभी ओर बस ठूठ दिखाय ।।


 नही गया दिल्ली कलकत्ता,

         कभी किसी को लूटन हेत।

 रहा मस्त अपने जंगल में, 

          घूम  नदी  वन पर्वत  खेत।।


 मची हुई उसके संसाधन,

          की अब सभी ओर से लूट। 

वन पहाड़ सब में निगाह है,

             कोई नही रहे हैं छूट।।


बड़े बड़े बंधान बध रहे,

          जहाँ रहा नैसर्गिक बास।

धन कुबेर सब लूट रहे हैं,

           जगह रही जो उनकी खास।।


 ठगा ठगा महसूस कर रहा,

           आज आदिवासी समुदाय।

 उसका जो असली संसाधन।

           उसको कोइ न रहा बचाय।। 


 नाम रखे अब  कुछ वनवासी,

          आदिवासियत को ही छीन।

 बांध रहे अपने खूंटे में,

            चालबाज जो परम प्रबीन।। 


कुछ तो मूत रहे सिर ऊपर,

            अपना रुतबा रहे बघार।

जैसे लोकतंत्र में उसका,

           नही कोई मौलिक अधिकार।।


जहाँ  विरोध किया थोड़ा भी,

           नाम नक्सली तब पड़ जाय।

अपने ही नैसर्गिक भू में, 

          दमन चक्र फिर पड़े दिखाय।।


तरह तरह की विकट समस्या।

        आज दिख रही चारों ओर। 

बचा रहे उसका संसाधन,

          ऐसा कोइ न दिखता ठौर।।


 नव अगस्त उसका यह दिन है,

          इससे हम सब करें बिचार।

 भारत भू के प्रथम नागरिक,

          के क्या हैं समझें अधिकार।।

रामलोटन कुशवाहा को मिलेगा एमपी राज्य जैवविविधता का प्रथम पुरस्कार

  • तीन लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार हेतु हुआ चयन 
  • एक सतत संघर्ष का नाम है राम लोटन कुशवाहा

              

तुमड़ी मैन के नाम से प्रसिद्ध साधारण से ग्रामीण वैद्य रामलोटन कुशवाहा। 

।। बाबूलाल दाहिया ।।

विंध्य सहित समूचे मध्यप्रदेश के लिए एक बहुत ही सुखद समाचार मिला है। वह यह कि हमारे अजीज साथी  राम लोटन कुशवाहा को मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा 3 लाख रुपये के प्रथम जैव विविधता पुरस्कार हेतु चुना गया है। इसके दो वर्ष पहले भी अपने मन की बात में प्रधान मंत्री जी उनके कार्यो की प्रशंसा कर चुके हैं।

65 वर्षीय रामलोटन कुशवाहा कोई हाई फाई व्यक्ति नहीं बल्कि मात्र दूसरी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त एक साधारण से ग्रामीण वैद्य हैं, जो जड़ी बूटियों से साधारण चिकित्सा करते हैं। परन्तु उनके इरादे उच्चकोटि के हैं। उनका निवास विस्तृत परसमनिया पठार के ठीक तलहटी में पिथौरावाद ग्राम की नई बस्ती में है और पर्यावरण जैव विविधता संरक्षण में विगत 25 वर्षो से काम करने वाली एक संस्था (सर्जना सामाजिक सांस्कृतिक एवं साहित्यिक मंच) के उपाध्यक्ष हैं।

जंगल तो अनेक लोग जाते हैं, पर उसे देखने का नजरिया अलग- अलग होता है। रामलोटन ने महसूस किया कि " जब मैं 10-12 वर्ष पहले परसमनिया पठार के जंगल में जड़ी बूटियों की तलाश में जाता था, तो वह आस-पास ही मिल जाती थीं। पर अब धीरे-धीरे समाप्त सी होती जा रही हैं ? विलुप्तता की यदि यही गति रही तो कुछ वर्ष में तो वह कहीं खोजने में भी नही मिलेंगी। अस्तु वे अपनी छोटी सी वाटिका में उनके बीजों कन्दों आदि को उगाने लगे। वर्ष 2017 में जब मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के तत्कालीन मेम्वर सेक्रेट्री श्री आर.श्रीनिवास मूर्ति जी एक पांच सदस्यीय टीम को मध्य प्रदेश के 40 जिलों में परम्परागत बीज बचाओ यात्रा में भेजा तो उस दल के एक सदस्य रामलोटन भी हो गए।

परन्तु वहां भी उनकी निगाह जड़ी बूटियों और दुर्लभ प्रकार के सब्जी बीजों पर ही हुआ करती थी। उनने उस यात्रा में इतनी लौकी की अलग-अलग किस्में एकत्र किया कि हमारे साथी जगदीश सिंह यादव, नीलेश कपूर एवं शैलेश सिंह उनका नाम ही (तुमड़ी मेन) रख लिया था। परन्तु तुमड़ी भर नही आज उनकी बगिया में अनेक पेड़ पौधे बनस्पतियों कन्दों की भी अलग-अलग किस्में हैं। यही कारण है कि उनके लिए एक बघेली कहावत ही बन गई है कि- "जउन कहउं न मिलय व राम लोटन के बगिया म मिल जई।" 

इतना ही नही उनके बगिया में देश विदेश के लोग तो आते ही हैं पर जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव श्री सुधीर कुमार, डॉ. एस.पी.रयाल, डॉ राम गोपाल सोनी, श्री आर.श्रीनिवास मूर्ति, पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव श्री बी.एम.एस. राठौर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री बी.बी.सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री चितरंजन त्यागी एवं undp, gef, sgp के कंट्री प्रोग्राम मैनेजर श्री प्रभजोत सोढ़ी नई दिल्ली आदि देश प्रदेश की अनेक हस्तियां भी पधार चुकी हैं।

श्री रामलोटन कुशवाहा को इस उपलब्धि हेतु कोटिशः बधाई एवं शुभकामनाएं।

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Thursday, August 8, 2024

किसानों का एक एयर कंडिश्नर आवास घोपा !


।। बाबूलाल दाहिया ।।

जी हां यह किसानों का एयर कंडिश्नर आवास घोंपा है। कहीं-कहीं लोग इसे मैरा या (छतुरा ) भी कहते हैं। प्राचीन समय में जब गांव के समीप जंगल हुआ करते थे, तब प्रायः हर खेत में यह घोपा बनाना पड़ता था। एक ही किसान कई-कई घोंपा बनाता। क्योकि अक्सर धान एवं ज्वार के खेत में जंगली सुअर एवं चना अरहर की फसल को सांभर,चीतल, हिरण आकर उजाड़ देते थे।

यह तो जमीन में रखा हुआ है जो दिन में खेत ताकने, वही भोजन बनाने वा ग्रहस्ती का सामान रखने के लिए उपयुक्त है। किन्तु रात्रि की बसाई के लिए इसे  लकड़ी की लगभग 5 हाथ लम्बी 4 थून्ही में टगाकर वहीं खाट भी बांध दी जाती थी। ताकि कोई जंगली जानवर बसने वाले ब्यक्ति के ऊपर आक्रमण न कर सके। इसकी एक मर्यादा थी कि बाघ, तेंदुआ, गुलबाघ आदि हिंसक जन्तु इसमें बसे हुए ब्यक्ति पर कभी आक्रमण नहीं करते थे। हो सकता है उनके पुरखे इस फिदरती मनुष्य के फिदरत से डरते रहे हों, जिसका भय उनके गुण सूत्र में पहले से ही फीड हो कि  " यह मनुष्य हमें इसमें फंसाकर कही बन्द करने के लिए तो नहीं लगा रखा ?"

इसमें एक विशेषता और थी कि यहाँ बसने वाले को न तो गर्मी में गर्मी महसूस होती थी न ठंडी में ठंडी। हमने युवावस्था में इसमें खूब बसाई की है, क्योकि आज से 40-50 साल पहले बिना तकाई किए खेती बच ही नहीं सकती थी। एक खेत में बड़े भइया बसने जाते और एक खेत में हम। साथ ही कभी-कभी तीसरे खेत में एक माह के लिए तकवाह भी लगाना पड़ता।

इसे बनाने की तकनीक भी बड़ी सरल थी। मकोय य सिरकिंन नामक बेल वाले 7-7 फीट लम्बे छड़नुमा 8 डंठल काट उनके दोनों सिरे गोल घेरे में गड़ा दिए जाते। और एक-एक फीट के अंतराल से दूसरे चार-पांच डंठलों की बाती बांध दी जाती बस घोंपे का ढांचा तैयार। रही बात छबाई के लिए कांश नामक घास की तो वह वहीं खेत में ही उग आता था। बस 14-15 पूरा काट कर घोपा की छबाई कर ली जाती।

पर अब तो ऐसा जमाना आगया हैं कि न तो गाँव के आस पास जंगल बचा न कोई वन्य जीव। इसलिए यह अब किसानों के वस्तुओं के संग्रहालय में आदिम पुरखों का पुरावशेष बनाकर संरक्षण की स्थिति में पहुँच चुका है।

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Tuesday, August 6, 2024

पन्ना में किसान को खेत में मिला बेशकीमती हीरा


पन्ना। डायमंड सिटी के नाम से प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में आज ग्राम जरुआपुर के किसान दिलीप मिस्त्री को 16.10 कैरेट वजन वाला जेम क्वालिटी का बेशकीमती हीरा मिला है। बीते एक पखवाड़े में पन्ना की उथली खदान से मिला यह दूसरा बड़ा हीरा है। जेम क्वालिटी वाले इस हीरे की अनुमानित कीमत 75 लाख रुपये से भी अधिक बताई जा रही है।

हीरा कार्यालय पन्ना के हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि किसान दिलीप मिस्त्री ने विगत पांच माह पूर्व फरवरी में अपनी निजी कृषि भूमि में हीरा खदान का पट्टा बनवाया था। उसकी इसी खदान से यह बेशकीमती हीरा निकला है जो उज्जवल किस्म (जेम क्वालिटी) का है। इस क्वालिटी का हीरा सबसे अच्छा माना जाता है। हीरा अधिकारी पन्ना रवि पटेल ने बताया कि हीरा धारक  किसान दिलीप मिस्त्री ने आज जिला मुख्यालय में संयुक्त कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में इस हीरा को जमा करा दिया है। आगामी होने वाली नीलामी में 16.10 कैरेट वजन वाले जेम क्वालिटी के इस हीरे को बिक्री के लिए रखा जायेगा। 

हीरा धारक दिलीप मिस्त्री ने बताया कि निजी कृषि भूमि में इस खदान को तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर लगाई थी, इसके लिए फरवरी में हीरा कार्यालय से पट्टा बनवाया था। पांच माह तक हम लोगों ने खदान में कड़ी मेहनत की, फलस्वरूप आज उन्हें चमचमाता हीरा मिला है। हीरा मिलने के बाद से दिलीप मिस्त्री सहित उसके सहयोगियों के घरों में जश्न का माहौल है। दिलीप मिस्त्री ने बताया कि नीलामी में हीरे की बिक्री होने के बाद उसे जो भी पैसा मिलेगा उसका उपयोग खेती के सुधार व घर बनवाने में करूँगा। किसान के मुताबिक इसके पूर्व भी उसे खेत की खदान में हीरा मिल चुके हैं जिन्हे नियमानुसार हीरा कार्यालय में जमा कराया था। पहली बार उसे जेम क्वालिटी का इतना बड़ा हीरा मिला है जिससे वह खुश है। 



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Friday, August 2, 2024

हथिनी केनकली ने दिया मादा बच्चे को जन्म

  •  नन्हे मेहमान के आने से पन्ना टाइगर रिजर्व में खुशी का माहौल 
  •  पन्ना में वनराज के साथ-साथ बढ़ रहा है हाथियों का भी कुनबा

पन्ना टाइगर रिज़र्व की हथिनी केनकली अपने नन्हे शिशु के साथ।  

पन्ना। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में हथिनी केनकली (17 वर्ष) ने 2 अगस्त की रात लगभग 2.30 बजे एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया है। यहां हाथियों के कुनबे में एक नये और नन्हे मेहमान के आ जाने से खुशी का माहौल है। हथिनी केनकली का यह दूसरा बच्चा है। इस नन्हे मेहमान के आ जाने से पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों का कुनबा बढ़कर 19 हो गया है। मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिज़र्व में 5 नर व 14 मादा हांथियों का कुनबा है। हांथियों के इस कुनबे में दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला भी शामिल है, जो पन्ना टाइगर रिज़र्व के लिये किसी धरोहर से कम नहीं है। 

पन्ना टाइगर रिजर्व की क्षेत्र संचालक ने जानकारी देते हुए आज बताया कि हथनी केनकली ने 2 अगस्त की रात 2.30 बजे हांथी कैम्प हिनौता में मादा बच्चे को जन्म दिया है। इस मादा बच्चे का पिता पन्ना टाइगर रिजर्व का हांथी गणेश है। नवजात शिशु का वजन 90.5 किलोग्राम है तथा हथनी व बच्चा दोनों पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। प्रसव के उपरांत हथिनी व बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण पन्ना टाइगर रिज़र्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया जा रहा है। 

वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. गुप्ता ने बताया कि हथिनी व उसके नन्हे शिशु की समुचित देखरेख तथा विशेष भोजन की व्यवस्था की जा रही है। हथिनी को दलिया, गुड, गन्ना तथा शुद्ध घी से निर्मित लड्डू खिलाये जा रहे हैं ताकि नन्हे शिशु को पर्याप्त दूध मिल सके। हथनी व उसके शिशु की देखरेख व निगरानी के लिए स्टाफ की तैनाती की गई है। गौरतलब है कि पन्ना टाईगर रिजर्व में वनराज व गजराज दोनों के ही कुनबे में वृद्धि हो रही है, जो निश्चित ही प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से एक शुभ संकेत है।

बच्चे के साथ हथिनी केनकली की वीडियो क्लिप -


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