Thursday, October 31, 2019

संकल्प दिवस के रूप में मनाई गई स्व. इन्दिरा जी की पुण्यतिथि

  •   राष्ट्र के विकास के लिये समय के साथ प्राथमिकतायें निर्धारित होती हैं: कलेक्टर
  •  हमें इन्दिरा जी व सरदार पटेल के आदर्शो पर चलना चाहिये: श्रीमती दिव्यारानी



पन्ना। स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी की पुण्यतिथि को राष्ट्रीय संकल्प दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय एकता दौड़ के साथ हुआ। स्थानीय छत्रसाल पार्क से एकता दौड़ का शुभारंभ कर छत्रसाल महाविद्यालय कलाभवन में समाप्त होकर सभा के रूप में बदल गई। छत्रसाल पार्क से दौड़ का शुभारंभ जनप्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से हरी झण्डी दिखाकर किया। दौड़ के समापन स्थल छत्रसाल महाविद्यालय में आयोजित सभा का शुभारंभ माँ सरस्वती, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी एवं स्व. श्री वल्लभ भाई पटेल के चित्र के समक्ष जनप्रतिनिधियों द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण कर किया गया।
इस अवसर पर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्व. सरदार वल्लभ भाई पटेल एवं स्व. इन्दिरा गांधी दोनों ही महान व्यक्तित्व के धनी रहे हैं। इन्होंने देश को एक महान और प्रतिभाशाली देश बनाने के लिये कार्य किया। स्व. इन्दिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी जिन्होंने देश को आगे बढ़ाने में अविस्मणीय कार्य किया है। कलेक्टर श्री शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से अपेक्षा करते हुये कहा कि हमें देश को प्रतिभा सम्पन्न देश बनाने के लिये दिवास्वप्न देखना चाहिये और उन्हें कार्य रूप में पर्णित करने के लिये प्रयास करने चाहिये।
कार्यक्रम में उपस्थितों को सम्बोधित करते हुये श्रीमती दिव्यारानी ने कहा कि इन दोनों नेताओं ने देश के लिये अनेकों अविस्मणीय कार्य किये हैं। स्व. इन्दिरा गांधी ने देश की अखण्डता को बनाये रखने के लिये अपने प्राणों की कुर्वानी दी थी। उनका कहना था कि मेरे शरीर का कतरा-कतरा देश के लिये है। उन्होंने उपस्थित बच्चों से कहा कि हमें पॉलीथिन के उपयोग को बन्द करना है पर्यावरण की रक्षा के लिये सभी को पेड़ लगाना है। पानी और बिजली को भी हम बचायें।


कार्यक्रम में पूर्व विधायक श्रीकान्त दुबे, जिला पंचायत सदस्य केशव प्रताप सिंह , मनीष मिश्रा, मनीष शर्मा, शिवजीत सिंह(भैयाराजा) आदि ने सम्बोधित कर स्व. इन्दिरा गांधी एवं स्व. वल्लभ भाई पटेल के जीवन वृतान्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुये उनके आदर्शो पर चलने की बात कही। सम्पन्न हुये इस कार्यक्रम में जनप्रतिनिधि, अधिकारी, गणमान्य नागरिक, पत्रकार, महाविद्यालय स्टाफ के साथ बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।
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मत छीनो बच्चे से उसका स्वर्ग

  • आखिर कहाँ चली जाती है बच्चे की निर्दोषिता, आंखों की ताजगी व सरलता ?



हर बच्चा स्वर्ग में पैदा होता है। फिर हम उसे भुलाने की कोशिश करते हैं। फिर हम उसे अपने नर्क की दीक्षा देते हैं। उस दीक्षा को हम संस्कार कहते, संस्कृति कहते, समाज कहते, धर्म कहते। हमने बड़े प्यारे नाम रखे हैं उस दीक्षा के। दीक्षा का मूल सार इतना है कि बच्चे से उसका स्वर्ग छीन लो। उसकी सरलता छीन लो। उसका निर्दोष भाव छीन लो। उसकी आंखों की ताजगी छीन लो। उसके चित्त का जो दर्पण जैसा निश्छल रूप है, उसे नष्ट कर दो भर दो कूड़े करकट से।
बच्चा पैदा होता है तो न हिंदू होता है, न मुसलमान, न ईसाई, न जैन। बनाओ उसे जल्दी हिंदू, मुसलमान, जैन, ईसाई, बौद्ध। कहीं देर न हो जाए! उसे कुछ पता नहीं होता क्या बुरा, क्या भला। जल्दी उसे सिखाओ कि उसे बुरे भले का पता हो जाए! उसे कुछ पता नहीं है भविष्य का, अतीत का। उसे समय की भाषा सिखाओ! उसे अतीत की याददाश्तें सिखाओ, उसे भविष्य की आकांक्षाएं दो। उसे कुछ पता नहीं है कि महत्वाकाक्षी होना चाहिए। उसे दौड़ में लगाओ। उससे कहो  तुझे प्रथम आना है। उसे सिखाओ कि दूसरों की गर्दन काटनी है। उसे सिखाओ कि अपने जीने के लिए यह बिलकुल जरूरी है कि दूसरों की गर्दन काटी जाएं। उसे सिखाओ कि दूसरों के सिरों की सीढ़िया बनाओ और चढ़ते जाओ। उसे सीढ़ी चढ़ना सिखाओ। कहां पहुंचेगा, यह कुछ पता नहीं है, कोई कभी उस सीढ़ी से कहीं पहुंचा है, इसका भी पता नहीं है, मगर चढ़ते जाओ और चढ़ते जाओ। धन तो और धन, पद तो और पद। और की दीक्षा हम देते हैं। और की दीक्षा नर्क की दीक्षा है।
जितना है, उससे तृप्त मत होना। जो पास हो, उसकी फिक्र मत करना, जो दूर है, उसकी फिक्र करना। जो मिले, उसको भूल जाना, जो न मिले, उसके सपने देखना। और क्या नर्क है! असंतोष नर्क है। संतोष स्वर्ग है। जो है, बहुत है, जो है, बहुत खूब है, जो है, बहुत से ज्यादा है, जरूरत से ज्यादा है। और की जहा आकांक्षा नहीं है, जो मिला है उससे जो अनुगृहीत है, वह स्वर्ग में है। हर बच्चा स्वर्ग में है। इसलिए तुम देखते हो, कोई बच्चा कुरूप नहीं होता। सब बच्चे सुंदर होते हैं। स्वर्ग में कोई कुरूप कैसे हो सकता है? सब बच्चे सुंदर पैदा हो जाते हैं। सुंदर ही पैदा होते हैं। फिर धीरे-धीरे कुरूप होने लगते हैं। फिर हिंदू , फिर मुसलमान, फिर ईसाई फिर हजार तरह के अहंकार और हजार तरह की सीमाएं और हजार तरह के बंधन और उनका चित्त संकीर्ण होता है, संकीर्ण होता जाता है। फिर एक कारागृह रह जाता है। फिर सभी लोग कुरूप हो जाते हैं। उस कुरूपता का नाम नर्क है।
@ ओशो ❤

Wednesday, October 30, 2019

अजयगढ़ क्षेत्र में चल रहा रेत का अवैध कारोबार

  •   उदयपुर की बन्द पड़ी खदान से भी निकाली जा रही है रेत
  •   माफियाओं ने रेत की निकासी हेतु जेसीबी से बनवाया मार्ग



अजयगढ़/पन्ना। जिले के अजयगढ़ क्षेत्र में रेत का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर फिर शुरू हो गया है। बन्द पड़ी रेत खदानों से बिना अनुमति और मंजूरी के धड़ल्ले के साथ रेत निकाली जा रही है। उदयपुर रेत खदान वैधानिक रूप से दो वर्ष पूर्व शिवा कारपोरेशन होशंगाबाद ने सरेंडर कर दिया था और इसकी रॉयलटी जमा करना बन्द कर दिया था। दो वर्षों से यह रेत खदान वैधानिक रूप से बन्द थी इसके बावजूद इस बन्द पड़ी रेत खदान से रेत निकलती रही है। इस खदान से चोरी करके अवैध रूप से रेत निकालने का सिलसिला पिछले वर्ष भी पूरे वर्ष चलता रहा। परंतु इस बार दबंग रेत माफियाओं ने नियम कानून को तांक में रखकर यहां वैधानिक खदान की तर्ज पर रेत निकालना शुरू कर दिया है। अवैध कारोबार में लिप्त लोगों द्वारा बकायदे  गांव से लेकर नदी तक के रास्ते की मरम्मत कराकर जेसीबी मशीनों के उपयोग से बारिश में खराब हुये रास्ते को दुरुस्त किया गया है।

दीपावली के समय यह सारा काम रेत माफिया करते रहे और दोज के मूहर्त में यहां से पाँच छ: ट्रक रेत की बिक्री भी की, जिसके अवशेष मौके पर हैं। रात दिन नदी से ट्रैक्टरों के माध्यम से यह रेत निकालते हंै और ट्रक के पहुँच मार्ग पर एकत्रित करते हैं। रात होते ही ट्रक व डम्फरो में यह भरकर बेंचने के लिये गंतव्य स्थान की ओर रवाना हो जाते हैं। इतना सब होने के बाद भी पुलिस व राजस्व तथा खनिज विभाग अंजान बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि उदयपुर खदान से रेत चोरी की शिकायतें नहीं आई, शिकायतों पर कई बार कार्यवाही भी की गई है। परंतु इस बार जिस दबंगई से इन रेत माफियाओं ने काम करना शुरू किया है, उससे ऐसा लगता है कि इन्हें शासन और प्रशासन का कोई भय नहीं है। जबरदस्ती किसानों के खेतों पर ट्रेक्टरों द्वारा रेत डाल देते है। किसानों के मना करने पर यह लड़ाई झगड़ा करने पर आमादा हो जाते हैं। रात होते ही रेत के काले कारोबार का खेल शुरू होता है। रात को 9-10 बजे के बाद से सुबह 5 बजे तक यह रेत माफिया जगह-जगह से रेत चोरी कर ट्रको में भरवाकर बेंचते हैं।
ऐसा उदयपुर भर में नहीं हो रहा है, यह तुरकातरी, बरकोला, मुहाना व उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुये बिहरपुरवा, चाँदीपाठी, भीना, खरौनी, रामनयी, सभी स्थानों से प्रतिदिन सैकड़ो की तादाद में ट्रक भरकर पन्ना, देवेंद्रनगर,नागौद, सतना एवं उत्तर प्रदेश को जाते हंै। अभी उदयपुर में ही देवी मन्दिर के समीप एवं नदी के रास्ते के खेतों पर कई ट्रक रेत एकत्रित कर ली है। यहां से विक्रय भी की जा रही है। जिनके निजी खेतों से होकर नदी तक का रास्ता बनाया गया है, उनके खिलाफ प्रशासन क्यों सख्त कार्यवाही नहीं करता।
निजी खेत वाले स्वयं रेत की चोरी करते हैं व दूसरे ट्रेक्टर वालों से प्रति चक्कर के हिसाब से पैसा भी वसूल करते हैं। अगर इन निजी खेत मालिकों के खिलाफ कार्यवाही हो तो वे अपने खेतों से रास्ता बनाने के लिये सहमत न हों परिणामस्वरूप उदयपुर की रेत चोरी रोकी जा सकती है।
इनका कहना...
0  आपके द्वारा मुझे अवगत कराया गया है। मैं राजस्व अमले को भेजकर इसकी तस्दीक करवाऊँगा। सही पाये जाने पर इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी व अवैध उत्खनन परिवहन कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। रेत का कारोबार वैधानिक रूप से शासन की मंशा मुताबिक ही होगा।
एस.के. गुप्ता, एसडीएम अजयगढ़
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Tuesday, October 29, 2019

पन्ना में नहीं थम रहा वन्य प्राणियों के शिकार का सिलसिला

  •   दक्षिण वन मण्डल के शाहनगर रेन्ज में मिला मादा तेन्दुआ का शव
  •   फंदा से शिकार किये जाने की जताई जा रही है आशंका


जंगल में मिला मादा तेन्दुआ का शव।

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना जिले में वन्य प्राणियों के शिकार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। जिले के दक्षिण वन मण्डल अन्तर्गत शाहनगर वन परिक्षेत्र के टिकरिया बीट में ब्रीडिंग क्षमता वाली मादा तेन्दुआ का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है। तेन्दुये के शव को देखकर ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इसकी मौत फंदा में फँसने के कारण हुई है। जबकि वन महकमे के अधिकारी इसे प्राकृतिक मौत बता रहे हंै। वन अधिकारियों के मुताबिक मृत पाये गये मादा तेन्दुये के शरीर पर किसी भी तरह का कोई जख्म व निशान नहीं है तथा शरीर के नाखून, दाँत सहित सभी अंग सुरक्षित हैं। जाहिर है कि इस 5-6 वर्षीय मादा तेन्दुआ का किसी वन्य प्राणी से संघर्ष नहीं हुआ, फिर उसकी मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई यह रहस्य बना हुआ है। एक पूर्ण स्वस्थ युवा मादा तेन्दुुआ की अचानक हुई मौत को वन अधिकारी प्राकृतिक किन कारणों और संकेतों के आधार पर बता रहे हैं, यह भी अपने आप में एक सवाल है जिसका जवाब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मिल सकेगा।

 स्थिति का जायजा लेने पहुँची डीएफओ व मौके पर मौजूद वन कर्मी।
उल्लेखनीय है कि जिले का दक्षिण वन मण्डल मौजूदा समय अवैध उत्खनन, वनों की कटाई व शिकार को लेकर चर्चाओं में है। इसके पूर्व भी यहां पर तेन्दुआ, भालू सहित अन्य वन्य प्राणियों के शिकार की कई घटनायें हो चुकी हैं। जिससे साफ जाहिर है कि इस पूरे वन क्षेत्र में शातिर शिकारियों का जाल फैला हुआ है और मौका मिलते ही वे शिकार की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। शिकार के ज्यादातर मामलों का पता ही नहीं चल पाता, यदा कदा जब कोई बड़ा वन्य प्राणी फंदे में या विद्युत करंट की चपेट में आ जाता है और शिकारी उसे ठिकाने नहीं लगा पाते, तभी मामले का खुलासा हो पाता है। इसके पूर्व विद्युत करंट से तेन्दुआ और भालू के शिकार की घटनायें हो चुकी हैं। इस मादा तेन्दुये की मौत कैसे हुई अभी इस बात की प्रमाणिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई, लेकिन वन अधिकारियों के इस दावे पर कि मादा तेन्दुये की प्राकृतिक मौत हुई है, कोई यकीन नहीं कर रहा।

वन्य प्राणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे

जिले के उत्तर व दक्षिण दोनों ही वन मण्डलों में वन्य प्राणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। ज्यादा वन परिक्षेत्रों में ऐसे रेन्ज आफीसर पदस्थ हैं, जिनकी रूचि न तो वनों के संरक्षण में है और न ही वन्य प्राणियों की निगरानी व सुरक्षा में, उनका पूरा ध्यान बजट को ठिकाने लगाने में ही लगा रहता है। ज्यादातर वन अपराधों पर भी कार्यवाही नहीं होती, रफ-दफा कर दिया जाता है। यही वजह है कि वन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जहां अवैध उत्खनन हो रहा है, वहीं जंगल भी कट रहा है। इस लापरवाही और लचर सुरक्षा इंतजामों का फायदा इलाके में सक्रिय शिकारी उठा रहे हैं। सबसे ज्यादा चिन्ता अब बाघों की सुरक्षा को लेकर है, क्योंकि पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बाघों की संख्या बढऩे से कई बाघ कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर सामान्य वन क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। यदि सामान्य वन क्षेत्र में निगरानी तंत्र सजग और चौकस नहीं हुआ तथा विचरण कर रहे बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो तेन्दुआ व दूसरे वन्य प्राणियों की तरह बाघ भी शिकारियों के फंदे में फँस सकते हैं। समय रहते आला वन अधिकारियों को इन खामियों की तरफ ध्यान देना चाहिये।

इनका कहना है...

0  मादा तेन्दुआ की नेचुरल डेथ होना प्रतीत हो रहा है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही इसकी मौत की वजह का खुलासा हो पायेगा। रेन्ज आफीसर को घटना के हर पहलू की बारीकी से जाँच करने के निर्देश दिये हैं। 
मीना कुमारी मिश्रा, डीएफओ दक्षिण वन मण्डल पन्ना


Monday, October 28, 2019

पुराने ज़माने वाली गाँव की दिवाली : एक संस्मरण


                 

            ज दीपावली है। मुझे जहाँ तक स्मरण है मैं 1950 से हर साल दीपावली मनाता आ रहा हूं। उस समय मैं 7 साल  का था। हमारे उस जमाने मे आज जैसे बम्म पटाखे छुरछुरी नहीं थे, पर पडाके हम भी फोड़ते थे।  इसके लिए हमारे साथी  खोखले बांस की एक पोगड़ी बनाकर  क्यांच नामक पौधे के फल को उस बॉस के खोल में डालते और एक अन्य सीधी लकड़ी को जैसे ही पिचकारी की तरह उसे ठेलते तो उस पोगड़ी से बड़े जोर से पडाक की आवाज निकलती। उस स्वनिर्मित यंत्र से निकली पडाक की आवाज में जो आनंद या उल्लास की अनुभूति  होती वह बाद में किसी भी बम्म पटाखे में नहीं दिखी।
           जब अन्दर दीप जल जाते तो बाहर हम लोग अंड बिजोरा ,, जट्रोफा,, के बीज की गिरी को किसी तार या लकड़ी में पिरो लेते और उसे जलाते तो एक के बाद एक वह घण्टो  प्रकाश देता रहता। मेरा ख्याल है कि शहर वालो ने उसी की नकल में बम्म, पटाखे, छुरछुरी आदि बनाया होगा। मैं स्कूल में दाखिला ले चुका था पर दशहरा से दीपावली तक उन दिनों 28 दिन की फसली छुट्टी होती, जिसमें हम लोग धान की गहाई और ज्वार की तकाई में परिवार की मदद करते ,गाय बैलो को खरिक ले जाते और हम उम्र साथियो के साथ खूब मौज मस्ती करते। मुझे उन दिनों का गाँव के तमाम कुटीर उद्यमियों का ब्यावसायिक ताना बाना देख ऐसा लगता है कि होली और दीवाली पूरी तरह कृषक संस्कृति उपजे  नई फसल आने के आनन्द उल्लास के त्योहार हैं।
           मेरे परिवार में उस समय माता पिता, बड़े भाई भाभी और 1 मुझसे बड़ी बहन इस तरह 6 सदस्य ही थे।
किन्तु  दो गाय एवं 4 बैल थे । और वह सब उन दिनों की संस्कृति में हमारे परिवार के सदस्य जैसे ही थे। मुझे वह दीपावली इसलिए याद है कि उस दिन सब के घर दिया जले थे और सभी लोगो के गाय बैल उस दीपावली के दूसरे दिन गेरू से रगे सींग तथा मोहरा सिगोटी पहन कर खरिक गए थे । पर न तो हमारे यहां दीप जले थे न  ही हमारे गाय बैलो की सींग  रगी गई थी। मैंने घर आकर माँ से इसका कारण पूछा तो उनने बताया कि ,, दिवाली के दिन तुम्हारे काका  का बछड़ा मर गया था इसलिए दीवाली हमारे यहां खुनहाव मानी जाती है। ,,बाद में घर की पोताई झराई दीपक जलाने आदि की रस्म एकादसी को पूरी हुई थी। पर कितना सम्मान था उन दिनों गाय बछड़ो का कि चाचा के घर भी बछड़ा मर जाए तो त्योहार खुनहाव। दूसरे दिन पिता जी एक टोकने में अनाज लेकर बैठ गए थे और जितने भी गाँव के वरगा वाले उद्दमी आये थे सभी को खुशी - खुशी  निर्धारित मात्रा में अनाज दिया था। इस अनाज देने की त्योहारी  रस्म को पेनी कहा जाता था। पर जब मैंने बड़े भइया से इसका मतलब पूछा तो उनने उसे दारू पीने का त्योहारी उपहार बताया था।किन्तु न तो खरिक में अब वह गेरू से रंगी चंगी गाय दिखती न मोहरा सिगोटी से अलंकृत बैल। उन सहायक उद्यमियों और कृषक पुत्रो ने भी उस पुराने अलाभकारी उद्यम और खेती को जी का जंजाल समझ भोपाल इंदौर ,गुजरात मुम्बई का रास्ता पकड़ चुके हैं।
क्योकि गाँव का अर्थशास्त्र एक दश टोका की बाल्टी की तरह है कि गाँव का पैसा बिभिन्न रास्ते से शहर रूपी कुएं में ही केंद्रित हो रहा है।
                अलबत्ता जब गाँव के यह सभी करतूती त्योहारों में घर आते हैं तो उनके द्वारा लाये गये शहर के बम्म पटाखे रंग बिरंगी मूर्तियां झालरे आदि की भरमार और चटक मटक अवश्य गाँव मे दिखने लगती है।पर वस्तुतः गाँव मे वह आत्मनिर्भरता की ठोसाई नहीं है । सब कुछ दिखावटी है।क्यों कि अब अपना हिंदुस्तान गाँव में नहीं शहर में बसता है और शहर का लाया ही तरह - तरह का जहर खाता है।
@ बाबूलाल दाहिया

Sunday, October 27, 2019

भीतर का अंधेरा बाहर के दीयों से नहीं कटता



’देखते हो, दीवाली हम मनाते हैं अमावस की रात! बधाई देते हो,वह हमारे धोखे की कथा है।’
आदमी एक अंधेरा है। आदमी है अमावस की रात। और दीवाली तुम बाहर कितनी ही मनाओ, भीतर का अंधेरा बाहर के दीयों से कटता नहीं, कटेगा नहीं। धोखे तुम अपने को कितने ही दो, पछताओगे अंततः। ’देखते हो, दीवाली हम मनाते हैं अमावस की रात! बधाई देते हो,वह हमारे धोखे की कथा है।’ रात है अमावस की, दीयों की पंक्तियां जला लेते हैं। पर दीये तो होंगे बाहर। दीये तो भीतर नहीं जा सकते। बाहर की कोई प्रकाश की किरण भीतर प्रवेश नहीं कर सकती। भीतर की अमावस तो भीतर अमावस ही रहती है। बाहर की पूर्णिमा कितनी ही बनाओ, तुम तो भीतर जानते ही रहोगे कि बुझे हुए दीपक हो। तुम तो भीतर रोते ही रहोगे। तुम्हारी सब मुस्कुराहटें भी तुम्हारे आंसुओं को छुपाने में असमर्थ हैं। और छुपा भी लें तो सार क्या? मिटाने में निश्चित असमर्थ हैं।
धोखे छोड़ो! इस सीधे सत्य को स्वीकार करो कि तुम बुझे हुए दीपक हो। होने की जरूरत नहीं है। होना तुम्हारी नियति भी नहीं है। ऐसा होना ही चाहिए, ऐसा कोई भाग्य का विधान नहीं है। अपने ही कारण तुम बुझे हुए हो। अपने ही कारण चांद नहीं उगा। अपने ही कारण भीतर प्रकाश नहीं जगा। कहां भूल हो गई है? कहां चूक हो गई है?

हमारी सारी जीवन-ऊर्जा बाहर की तरफ यात्रा कर रही है। इस बहिर्यात्रा में ही हम भीतर अंधेरे में पड़े हैं। यह ऊर्जा भीतर की तरफ लौटे तो यही ऊर्जा प्रकाश बनेगी। यह ऊर्जा ही प्रकाश है।

तुम्हारा सारा प्रकाश बाहर पड़ रहा है..वृक्षों पर, पर्वतों पर, पहाड़ों पर, लोगों पर। लेकिन तुम एक अपने पर अपनी रोशनी नहीं डालते। सबको देख लेते हो अपने प्रति अंधे रह जाते हो। और सबको देखने से क्या होगा? जिसने अपने को न देखा, उसने कुछ भी न देखा।

आज के सूत्र तुम्हारे भीतर का दीया कैसे जले, सच्ची दीवाली कैसे पैदा हो, कैसे तुम भीतर चांद बनो, कैसे तुम्हारे भीतर चांदनी का जन्म हो..उसके सूत्र हैं। बड़े मधु-भरे! सुंदर ने बहुत प्यारे वचन कहे हैं, पर आज के सूत्रों का कोई मुकाबला नहीं है। बहुत रस-भरे हैं, पीओगे तो जी उठोगे। ध्यान धरोगे इन पर, संभल जाओगे। डुबकी मारोगे इनमें, तो तुम जैसे हो वैसे मिट जाओगेय और तुम्हें जैसा होना चाहिए वैसे प्रकट हो जाओगे।

है दिल मैं दिलदार।

जिसको तुम खोज रहे हो, तुम्हारे भीतर बैठा है। तुम्हारी खोज के कारण ही तुम उसे नहीं पा रहे हो। तुम दौड़े चले जाते हो। सारी दिशाओं में खोजते हो, थकते हो, गिरते हो। हर बार जीवन कब्र में समाप्त हो जाता है। जीवन से मिलन नहीं हो पाता। और जिसे तुम खोजने चले हो, जिस मालिक को तुम खोजने चले हो, उस मालिक ने तुम्हारे घर में बसेरा किया हुआ है। तुम जिसे खोजने चले हो, वह अतिथि नहीं है, आतिथेय है। खोजनेवाले में ही छिपा है। वह जो गंतव्य है, कहीं दूर नहीं, कहीं भिन्न नहीं, गंता की आंतरिक अवस्था है।

है दिल मैं दिलदार सही अंखियां उलटि करि ताहि चितइए।

लेकिन अगर उसे देखना हो, अगर उसके प्रति चौतन्य से भरना हो तो आंखें उलटाना सीखना पड़े। आंख उलटाना ही ध्यान है। ध्यान साधारणतया दृश्य से जुड़ा है। ऐसा मत सोचना कि तुम्हारे पास ध्यान नहीं है। तुम्हारे पास ध्यान है..उतना ही जितना बुद्धों के पास। रत्ती भर कम नहीं। परमात्मा किसी को कम औरज्यादा देता नहीं। उसके बादल सब पर बराबर बरसते हैं। उसका सूरज सबके लिए उगता है। उसकी आंखों में न कोई छोटा है न कोई बड़ा है। ऐसा मत सोचना कि कृष्ण को कुछ ज्यादा दिया था, कि बुद्ध को कुछ ज्यादा दिया था, कि सुंदरदास को जरूर कुछ ज्यादा दे दिया होगा..कि ये रोशन हुए, कि ये जगमगाए। न खुद जगमगाए, बल्कि इनकी जगमगाहट से और भी लोग जगमगाए। दीयों से दीये जलते चले गए। ज्योति से ज्योति जले! जरूर इन्हें कुछ ज्यादा दे दिया होगा छिपा करय हमें दिया नहीं, हम क्या करें? नहींय ऐसा मत सोचना।

परमात्मा की तरफ से प्रत्येक को बराबर मिला है। रत्ती भर भेद नहीं। फिर हम अंधेरे में क्यों हैं? फिर कोई बुद्ध रोशन हो जाता है और हम बुद्धू के बुद्धू क्यों रह जाते हैं। हमें जो मिला है, हमने उसे गलत से जोड़ा है। जैसे कोई सरिता मरुस्थल में खो जाए, जल तो लाए बहुत हिमालय से और मरुस्थल में खो जाए..ऐसी हमारी जीवन-ऊर्जा मरुस्थल में खोई जा रही है। बाहर विस्तार है मरुस्थल का।

ध्यान तुम्हारे पास उतना ही है जितना मेरे पास। लेकिन तुमने ध्यान वस्तुओं पर लगाया है। तुमने ध्यान किसी विषय पर लगाया है। तुम्हारा ध्यान हमेशा किसी चीज पर अटका है। चीजों को गिर जाने दो..चीजों को हट जाने दो। विषय वस्तु से मुत्त हो जाओ, मात्र ध्यान को रह जाने दो, निरालंब! और आंख भीतर मुड़ जाती है।

निरालंब ध्यान का नाम समाधि। आलंबन से भरे ध्यान का नाम संसार। जब तक आलंबन है तब तक तुम बाहर जाओगे, क्योंकि आलंबन बाहर है। जब आलंबन नहीं तब तुम भीतर आओगे। कोई उपाय ही न बचा तो तुम्हें भीतर आना ही होगा। ध्यान को कहीं ठहरना ही होगा। बाहर न ठहराओगे तो अपने-आप सहज सरलता से ध्यान लौट आता है।

पुराने दिनों में जब समुद्र की लोग यात्रा करते थे और यंत्र नहीं थे जानने के, पहचानने के लिए नक्शे नहीं थे, कि हम भूमि के करीब पहुंच गए या नहीं। तो वे एक प्रयोग करते थे। हर जहाज पर कबूतर पाल कर रखते थे। कबूतरों को छोड़ देते थे। अगर कबूतर न लौटते तो इसका मतलब, जमीन करीब है। उन्होंने कहीं वृक्ष पा लिए होंगे, भूमि पा ली होगी, कोई आलंबन मिल गया होगा, अब लौटने की कोई जरूरत नहीं है। अगर कबूतर लौट आते तो उसका अर्थ है कि जमीन करीब नहीं है, .जमीन अभी दूर है। कबूतर को कहीं बैठना तो होगा, कहीं बसना तो होगा। अगर बाहर कोई सहारा मिल जाएगा तो वह फिकर छोड़ देगा जहाज की। ऐसे थक गया होगा जहाज पर बैठ-बैठे। पानी और पानी और पानी३! मिल गई होगी हरियाली, अटक गया होगा। लेकिन अगर कोई भूमि न मिले तो क्या करेगा? लौटना ही होगा, लौट आएगा वापिस।

ऐसा ही हमारा चित्त है। जब तक हम उसे बाहर भूमि दिए जाते हैं, तब तक भीतर नहीं लौटता। किसी का धन में अटका है, किसी का प्रतिष्ठा में अटका है, किसी का वस्तुओं में अटका है, किसी का संबंधों में अटका है..लेकिन मन जब तक बाहर अटका है तब तक भीतर नहीें लौटेगा। इसलिए सारे ज्ञानी कहते हैंरू बाहर से तादात्म्य छोड़ो। मन को बाहर मत अटकाओ। बाहर से सारे सेतु काट दो। और तब अचानक एक प्रकांड ऊर्जा घर की तरफ वापिस लौटती हैय जैसे गंगा वापिस लौट पड़े गंगोत्री में, ऐसी आंदोलनकारी घटना घटती है। तुम्हारी ही ऊर्जा जब तुम्हारे ऊपर वापिस लौटती है, रोशन हो जाते हो तुम। इसी से दूसरी चीजें रोशन हो रही थीं।
@ओशो

Saturday, October 26, 2019

जघन्य हत्या की घटना से पन्ना जिले के सिमरिया में तनाव

  •   धनतेरस की शाम भीड़ भरे बाजार में गाड़ी से कुचलकर की गई हत्या
  •   बच्चों को लेकर दो पक्षों के बीच शुरू हुआ था विवाद
  •  घटना के बाद से सिमरिया कस्बा पुलिस छावनी में तब्दील
  •   मामले में पुलिस ने अब तक 7 आरोपियों को किया गिरफ्तार


घटना के बाद सिमरिया थाने में शांति व्यवस्था कायम रखने के सम्बन्ध में चर्चा करते आला अधिकारी। 

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना जिला अन्तर्गत सिमरिया थाना क्षेत्र में धनतेरस के दिन शाम को भीड़ भरे बाजार में हुई हत्या की जघन्य घटना के बाद से अंचल में तनाव है। बच्चों को लेकर दो पक्षों के बीच शुरू हुये विवाद में बड़ों के आ जाने से स्थिति बिगड़ गई और मामूली विवाद खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया। इस बीच सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में जनपद सदस्य राम सिंह बुन्देला 45 वर्ष निवासी महाराजगंज को बोलेरो जीप से बुरी तरह कुचलकर उनकी हत्या कर दी गई। हत्या की इस सनसनीखेज वारदात के बाद सिमरिया में बवाल मच गया तथा स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई। घटना की खबर लगते ही पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी तुरन्त मौके पर पहुँच गये तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिये जिले के सभी थाना क्षेत्रों सहित पड़ोसी जिलों से भी पुलिस बल सिमरिया बुला लिया गया। मामले में पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है तथा सिमरिया कस्बा घटना के दूसरे दिन भी पुलिस छावनी में तब्दील है।

मृतक का पन्ना में हुआ पोस्टमार्टम



बोलेरो जीप से बुरी तरह कुचले जाने के बाद जनपद सदस्य राम सिंह को गंभीर स्थिति में पन्ना जिला चिकित्सालय लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शनिवार को जिला चिकित्सालय पन्ना में ही मृतक जनपद सदस्य का पोस्टमार्टम हुआ, तदुपरान्त शव अन्तिम संस्कार के लिये परिजनों को सौंप दिया गया। उधर सिमरिया में भारी तनाव को देखते हुये बड़ी संख्या में पुलिस बल की जहां तैनाती की गई है, वहीं डीआईजी छतरपुर अनिल माहेश्वरी सहित कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा व आला अधिकारी सिमरिया में ही डेरा डाले हुये हैं। पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने बताया कि हत्या की वारदात में शामिल आरोपियों के खिलाफ 302 का मामला दर्ज कर लिया गया है तथा मामले में 7 लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। उन्होंने क्षेत्र व जिले के लोगों से शान्ति और सद्भाव बनाये रखने की अपील की है।

शनिवार की सुबह हुई आगजनी

धनतेरस की शाम भीड़ भरे बाजार में हत्या की हुई सनसनीखेज वारदात के बाद से ही सिमरिया में हालात बिगडऩे का अंदेशा जताया जा रहा था। लेकिन पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी, एडिशनल एसपी श्री परिहार सहित भारी तादाद में पुलिस बल की मौजूदगी के चलते रात में स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में रही। घटना के दूसरे दिन शनिवार को सुबह स्थिति बिगड़ी ओर आक्रोशित लोगों ने सड़क किनारे की गुमटियों में आग लगा दी। आग भड़कने पर पुलिस बल तत्काल मौके पर पहुँचकर आग बुझाया और सड़कों पर फ्लैग मार्च किया। तनाव के चलते बाजार व दुकानें जहां बन्द हैं वहीं लोग त्यौहार के इस मौके पर अपने घरों में कैद होकर रहने को मजबूर हैं।

भरे बाजार में कैसे हुई वारदात, उठ रहे सवाल



घटना दिनांक को धनतेरस होने के कारण पूरा बाजार सजा हुआ था, लोग खरीददारी करने के लिये बड़ी संख्या में घरों से निकलकर बाजार में थे। इसी समय भीड़ भरे बाजार में यह खौफनाक वारदात हुई, जिसमें मृतक जनपद सदस्य राम सिंह को आरोपियों द्वारा बोलेरो गाड़ी से बेरहमी के साथ कुचला गया। बताया गया है कि आरोपी द्वारा तेज रफ्तार से जीप दौड़ाकर भरे बाजार में लाई गई जिससे वहां भगदड़ मच गई। गनीमत यह रही कि बाजार में खरीदी कर रहे अन्य लोग बोलेरो की चपेट में नहीं आये, अन्यथा कई निर्दोष लोगों को भी अपनी जान गँवानी पड़ती। जिस जगह पर यह वारदात घटित हुई तथा विवाद हुआ, वहां से पुलिस थाना सिमरिया ज्यादा दूर नहीं है। फिर भी त्यौहार के मौके पर शान्ति व्यवस्था छिन्न-भिन्न करने वाली यह घटना हो गई। जिससे पुलिस व्यवस्था व पुलिस की मुस्तैदी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की हुई बैठक



जिले की सिमरिया तहसील मुख्यालय में आपसी विवाद को लेकर हुई घटना के संबंध में जिला कलेक्टर एवं पुलिस प्रशासन द्वारा सिमरिया थाना में शान्ति समिति बैठक आयोजित की गई। बैठक मेें नगर के गणमान्य एवं सभी समुदायों के प्रबुद्ध नागरिकगण शामिल हुये। बैठक में जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई। बैठक में उपस्थित लोगों से क्षेत्र में शान्ति व्यवस्था कायम रखने के लिये उठाये जा रहे कदमों के संबंध में जानकारी दी गई। इस अवसर पर डीआईजी पुलिस छतरपुर अनिल माहेश्वरी ने कहा कि आप लोग सोशल मीडिया में अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता हमेशा शान्तिप्रिय रही है। कभी भी कोई इस तरह की घटना नहीं घटी। भविष्य में भी सभी लोग मिलजुलकर त्यौहार मनायेंगे। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के बाहर से आकर अशान्ति फैलाने वाले लोगों पर कठोर कार्यवाही की जायेगी। इस प्रकार सोशल मीडिया में अफवाह फैलाने वाले लोगों को बक्शा नहीं जायेगा।

सभी लोग भाईचारे के साथ त्यौहार मनायें: कलेक्टर

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने उपस्थितों को सम्बोधित करते हुये कहा कि क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की हर तरह की कार्यवाही की गई है। सभी लोग आपस में मिलकर त्यौहार मनायें। अपने-अपने व्यवसाय प्रारंभ कर दें। किसी भी व्यक्ति को किसी तरह की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है। पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा व्यवस्था का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों द्वारा क्षेत्र में शान्ति भंग करने का प्रयास किया गया है उन सभी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी। आगामी दिनों में क्षेत्र में सुरक्षा के लिये आवश्यक पुलिस बल तैनात किया गया है। किसी भी तरह की शिकायत होने पर पुलिस में सूचना दें। तुरन्त कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि अफवाह फैलाने वालों को वक्शा नहीं जायेगा। जिन लोगों द्वारा सोशल मीडिया का दुरूपयोग किया जा रहा है उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।
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Friday, October 25, 2019

धनतेरस पर देर रात तक गुलजार रहा पन्ना का बाजार

  •   ऑटोमोबाइल सेक्टर में हुआ लाखों का कारोबार 
  •   बर्तन व ज्वेलरी की दुकानों पर रही सर्वाधिक भीड़ 



 अरुण सिंह,पन्ना। धनतेरस का पर्व आज बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर शहर के कटरा व बड़ा बाजार में बर्तनों, इलेक्ट्रानिक सामानों व आभूषणों की जमकर खरीददारी हुई। देर रात तक ग्राहकों की चहल-कदमी व खरीददारी से बाजार गुलजार रहा। पन्ना शहर में आज बर्तन, आभूषण, इलेक्ट्रानिक सामान व आटो मोबाइल सेक्टर में मंदी के बावजूद लाखों रू. का कारोबार हुआ।
उल्लेखनीय है कि धनतेरस पर आज नगर में जगह-जगह पर दुकानों को आकर्षक तरीके से सजाया गया था। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के संचालकों ने प्रतिष्ठान के बाहर चबूतरों में सामान को आकर्षक तरीके से सजाया। धनतेरस के कारण आज बाजार में त्यौहारी खरीददारी का जोर रहा। ग्राहकों ने दुकानों में जाकर जमकर खरीददारी की। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस को कुछ न कुछ खरीदने से सालभर धन की प्राप्ति होती रहती है। इसी मान्यता के चलते धनतेरस में खरीदी करने की परम्परा है। जिसका पालन आमतौर पर सभी लोग अपनी हैसियत के मुताबिक करते हैं। बर्तन इलेक्ट्रानिक, वाहन आदि ट्रेडों के व्यापारी इस दिन का न केवल साल भर इंतजार करते हैं बल्कि अच्छे व्यापार की आशा से उस दिन अपनी दुकान में अधिक से अधिक माल रखने की तैयारी भी करते है। आज नगर में दिन भर खासी चहल पहल देखी गई। नगर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र बड़ा बाजार के आसपास लगी दुकानों में शाम को मेले जैसा माहौल रहा। नगर के ज्वेलरी व बर्तन की दुकानों में बड़ी संख्या में लोग खरीदारी करने पहुंचे।
मालुम हो कि धनतेरस के दिन से 5 दिवसीय दीपावली महोत्सव प्रारंभ हो जाता है। धनतेरस को खरीदी गई सामग्री का विशेष महत्व होता है। इसलिये आज के दिन सभी लोग बाजार से कुछ न कुछ जरूर खरीदते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुये व्यापारियों द्वारा खरीददारों को अपने प्रतिष्ठानों की ओर आकर्षित करने के लिये दुकानों को विशेष प्रकार से सजाया गया है। आकर्षक लाइटिंग के साथ विक्रय के लिये रखे गये सामान को कतारबद्घ तरीके से रखा गया है। बाजार में दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ-साथ ज्वेलरी की दुकानों में भी आकर्षक लाइटिंग की व्यवस्था की गई है। ग्राहकों को लुभाने के लिये व्यवसायियों द्वारा धनतेरस के मौके पर तरह-तरह की स्कीमें भी लागू की गई हैं। बर्तनों से लेकर इलेक्ट्रानिक सामान व आटो मोबाइल सेक्टर में भी खरीदी पर इनाम व डिस्काउण्ट दिये जाने की व्यवस्था की गई थी ताकि अधिक से अधिक ग्राहक दुकान में आकर खरीददारी करें। नई-नई स्कीमों के कारण बाजार में आज भारी रौनक और मेले जैसा माहौल रहा।

धनतेरस पर हुई धनवंतरी की पूजा

धनतेरस के अवसर पर आज भगवान धनवंतरी की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की गई। धन के देवता भगवान कुबेर की भी पूजा अर्चना लोगों ने अपने-अपने घरों में की। इसके अलावा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी परम्परा अनुसार पूजा अर्चना की गई। आज धनतेरस के दिन से धन की देवी लक्ष्मी जी का आवाहन घरों में दीप जलाकर करने का रिवाज है। दिन ढलने के साथ ही आज लोगों के घरों में दीपक जगमगाने लगे थे।

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Thursday, October 24, 2019

भयभीत और डरा हुआ व्यक्ति था हिटलर


हिटलर अपने कन्धे पर हाथ किसी को भी नहीं छुआ सकता है.
इसीलिए शादी भी नहीं की. कम से कम पत्नी को तो छुआना ही पड़ेगा. शादी से डरता रहा कि शादी की, तो पत्नी तो कम से कम कमरे में सोएगी. लेकिन भरोसा क्या है कि पत्नी रात में गरदन न दबा दे! हिटलर दिखता होगा बहुत बहादुर आदमी!
ये बहादुर आदमी सब दिखते हैं. ये सब बहादुरी बिलकुल ऊपरी है, भीतर बहुत डरे हुए आदमी हैं.
हिटलर किसी से ज़्यादा दोस्ती नहीं करता था. क्योंकि दोस्त के कारण, जो सुरक्षा है, जो व्यवस्था है, वो टूट जाती है. दोस्तों के पास बीच के फ़ासले टूट जाते हैं. हिटलर के कन्धे पर कोई हाथ नहीं रख सकता था. हिमलर या गोयबल्स भी नहीं. कन्धे पर हाथ कोई भी नहीं रख सकता है. एक फ़ासला चाहिए, एक दूरी चाहिए. कन्धे पर हाथ रखने वाला आदमी ख़तरनाक हो सकता है. गरदन पास ही है, कन्धे से बहुत दूर नहीं है.
एक औरत हिटलर को बहुत प्रेम करती रही. लेकिन भयभीत लोग कहीं प्रेम कर सकते हैं? हिटलर उसे टालता रहा, टालता रहा, टालता रहा. आप जानकर हैरान होंगे, मरने के दो दिन पहले, जब मौत पक्की हो गई, जब बर्लिन पर बम गिरने लगे, तो हिटलर जिस तलघर में छिपा हुआ था, उसके सामने दुश्मन की गोलियाँ गिरने लगीं, और दुश्मन के पैरों की आवाज़ बाहर सुनाई देने लगी, द्वार पर युद्ध होने लगा, और जब हिटलर को पक्का हो गया कि मौत निश्‍चित है, अब मरने से बचने का कोई उपाय नहीं है, तो उसने पहला काम ये किया कि एक मित्र को भेजा और कहा कि, “जाओ, आधी रात को उस औरत को ले आओ. कहीं कोई पादरी सोया-जगा मिल जाए, उसे उठा लाओ, शादी कर लूँ.” मित्रों ने कहा, “ये कोई समय है शादी करने का?” हिटलर ने कहा, “अब कोई भय नहीं है, अब कोई भी मेरे निकट हो सकता है, अब मौत बहुत निकट है. अब मौत ही क़रीब आ गई है, तब किसी को भी निकट लिया जा सकता है.”
दो घण्टे पहले हिटलर ने शादी की तलघर में! सिर्फ़ मरने के दो घण्टे पहले!
तो पुरोहित और सेक्रेटरी को बुलाया था. उनकी समझ के बाहर हो गया कि, “ये शादी किसलिए हो रही है? इसका प्रयोजन क्या है? हिटलर होश में नहीं है.” पुरोहित ने किसी तरह शादी करवा दी है. और दो घण्टे बाद उन्होंने ज़हर खाकर सुहागरात मना ली है और गोली मार ली है, दोनों ने! ये आदमी मरते वक़्त तक विवाह भी नहीं कर सका, क्योंकि दूसरे आदमी का साथ रहना, पास लेना ख़तरनाक हो सकता है.
दुनिया के जिन बड़े बहादुरों की कहानियाँ हम इतिहास में पढ़ते हैं, बड़ी झूठी हैं. अगर दुनिया के बहादुरों के भीतरी मन में उतरा जा सके तो वहाँ भयभीत आदमी मिलेगा.
@ओशो

Tuesday, October 22, 2019

कोतवाली एवं यातायात पुलिस ने रेत से भरे 13 ओवरलोड ट्रकों पर की कार्यवाही

  •   क्षमता से अधिक रेत पाये जाने पर 80 हजार रूपये समन शुल्क की हुई वसूली
  •   पुलिस की इस ताबड़तोड़ कार्यवाही से रेत कारोबारियों में हड़कम्प



अरुण सिंह,पन्ना। रेत के अवैध परिवहन तथा क्षमता से अधिक रेत भरे ओवरलोड ट्रक व डम्फरों के खिलाफ कोतवाली एवं यातायात पुलिस द्वारा मंगलवार को ताबड़तोड़ कार्यवाही की गई। पुलिस द्वारा 13 ओवरलोड ट्रकों व डम्फरों को पकड़कर उनसे 80 हजार रू. सम्मन शुल्क वसूल किया गया है। मालुम हो कि पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी द्वारा ओवरलोड वाहनों पर कार्यवाही हेतु सम्पूर्ण जिले को निर्देशित किया गया है इसी कड़ी में आज सुबह करीब 3 से 4 बजे के बीच यह बड़ी कार्यवाही की गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना प्रभारी यातायात एवं कोतवाली अरविन्द कुजूर को सूचना प्राप्त हुई कि रेत से भरे ओवरलोड ट्रक एवं डम्फर अजयगढ़ तरफ से पन्ना की ओर आ रहे हैं। उक्त सूचना की जानकारी अरविन्द कुजूर द्वारा पुलिस अधीक्षक एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को दी गई एवं वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में यातायात एवं कोतवाली की संयुक्त टीम बनाकर उक्त सूचना की तस्दीक हेतु रवाना हुये। मांझा बेरियल से दहलान चौकी तक रेत से ओवरलोड ट्रक एवं डम्फर मिले  जिनमें क्षमता से अधिक रेत भरी हुई थी। कुल 13 ट्रक एवं डम्फर पकड़ाये गये जिनमें  कुछ सतना  एवं कुछ पन्ना के हंै, जिनका तौल कांटा द्वारा तौल कराई गई तो सभी 13 ट्रक एवं डम्फरों में क्षमता से अधिक रेत होना पाया गया। सभी 13 ट्रकों पर चालानी कार्यवाही की गई जिसमें करीब 80 हजार रू. का सम्मन शुल्क वसूल किया गया। उक्त कार्यवाही में थाना प्रभारी अरविंद कुजूर, सहायक उपनिरीक्षक जी पी तिवारी, प्रधान आरक्षक रामकृष्ण पांडे, सज्जन प्रसाद, आरक्षक वृषकेतु रावत, सर्वेंन्द्र कुमार, राजेश सिंह एवं यातायात से सुनील पांडे, उमाशंकर सिंह , विक्रम बागले, सुनील मिश्रा का सराहनीय योगदान रहा।

  • अजयगढ़ पुलिस ने भी पकड़े ओवरलोड ट्रक सहित एलएनटी मशीन



पन्ना पुलिस की तर्ज पर ही अजयगढ़ थाना पुलिस ने भी रेत का अवैध परिवहन कर रहे ट्रक व ट्रेक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की है। कार्यवाही के दौरान पुलिस ने एक एलएनटी मशीन भी जब्त की है। मालुम हो कि क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन थमने का नाम नही ले रहा है। जितना प्रशासन सख्ती बरत रहा है, रेत माफिया उतनी ही चालाकी से अवैध उत्खनन परिवहन करने से बाज नहीं आ रहे।


क्षेत्र में रेत के अवैध परिवहन से संबंधित जानकारी मिलने पर नगर निरीक्षक डी.के. ङ्क्षसह ने अजयगढ़ क्षेत्र में रेत निकलने के रास्तों पर टीम लगाई, जिस पर रात्रि में हाइवा क्र. एमपी-35एचए-0317, एमपी-19जीए-2635, एमपी-35एचए-0471, एमपी-35एचए-0435, एमपी-35एचए-0389, एमपी-एचए-0402 क्षमता से अधिक रेत भरे हुये डम्परो से 25 हजार रू. का जुर्माना वसूल किया गया। मुखबिर की सूचना के आधार पर एक पावर ट्रैक ट्रेक्टर एमपी-35एए-7086 एवं स्वराज ट्रेक्टर बिना नम्बर का अवैध रेत परिवहन करते पाये जाने पर दोनों ट्रेक्टर जब्त किये गये। दोनों ट्रेक्टरों के प्रकरण कायम कर खनिज विभाग को सौप दिये गये। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुये जिगनी में राजस्व एवं पुलिस द्वारा कार्यवाही करते हुये थाना प्रभारी डी.के. सिंह ने राजस्व टीम के साथ जिगनी से सुबह 4 बजे एक एलएनटी द्वारा ट्रक में भरकर अवैध परिवहन किया जा रहा था। जिसकी सूचना पर तहसीलदार एवं चंदौरा चौकी प्रभारी पुलिस टीम के साथ सूचना की तस्दीक कर मौके पर पहँुच गये। जहां पर एक ट्रक क्र. यूपी-71टी-6375 अवैध रूप से भरा मिला। मौके पर एक एलएनटी अवैध रेत भरते मिली। एलएनटी का चालक पुलिस को देखकर भागने का प्रयास करने लगा जिसे हमराही बल की मदद से पकड़ा गया। ट्रक योगेश सिंह निवासी मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के कब्जे से रेत से भरे ट्रक एवं एक एलएनटी मशीन को पकड़कर चंदौरा चौकी में रखा गया। इस कार्यवाही में तहसीलदार अजयगढ़, नगर निरीक्षक डी.के.सिंह, उपनिरीक्षक सुशील शुक्ला, मनोज त्रिपाठी, खेमचंद्र, मिलन, राकेश बघेल सहित राजस्व पुलिस अमला साथ रहा।
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पन्ना में बाघ पुनर्स्थापना की 10वीं वर्षगांठ पर मनेगा जश्न

  •   कामयाबी के इस भव्य समारोह में पन्नावासियों की भी हो भागीदारी
  •   पार्क प्रबन्धन को राजमाता दिलहर कुमारी ने सौंपा पत्र
  •   हर साल 5 नवम्बर को मनाई जाती है बाघ पुनर्स्थापना की वर्षगांठ




अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना के एक दशक पूरे होने पर कामयाबी का जश्न मनाने और भव्य कार्यक्रम आयोजित किये जाने को लेकर पन्नावासी उत्साहित हैं। मालुम हो कि हर साल 5 नवम्बर को बाघ पुनर्स्थापना योजना की वर्षगांठ मनाई जाती है। इस यादगार दिन को मनाये जाने की खास वजह यह है कि 5 नवम्बर को ही पेंच टाईगर रिजर्व से उस नर बाघ को पन्ना लाया गया था, जिसने बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाईगर रिजर्व को फिर से गुलजार कर दिया है। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में आधा सैकड़ा से भी अधिक बाघ हो चुके हैं, जिनमें अधिकांश इसी नर बाघ टी-3 की ही सन्तान हैं। बाघ पुनर्स्थापना योजना की कामयाबी में किसी न किसी रूप में अपना योगदान देने वाले लोगों की यह मंशा है कि पन्ना को फिर से आबाद कर उसे गौरव प्रदान करने वाले बाघ टी-3 के सम्मान में 5 नवम्बर को बृहद व भव्य कार्यक्रम आयोजित हो, जिसमें पन्नावासी भी शामिल हों।
इस संबंध में राजमाता दिलहर कुमारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के कार्यालय में जाकर पार्क प्रबन्धन का ध्यान आकृष्ट कराते हुये पत्र सौंपा है। राजमाता का कहना है कि पन्ना में बाघ पुनर्स्थापना योजना को शानदार कामयाबी इसलिये मिली क्योंकि पन्नावासियों ने अपने खोये गौरव को पुन: हासिल करने के लिये हर तरह की कुर्बानी देने को तत्पर रहे। यही वजह है कि उस समय तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति  द्वारा जन समर्थन से बाघ संरक्षण का नारा दिया गया जो कालान्तर में चरितार्थ हुआ। पन्ना टाईगर रिजर्व के संदर्भ में यह नारा आने वाले समय में भी अर्थपूर्ण और कारगर बना रहे, इसके लिये जनता की भागीदारी जरूरी है।
पत्र के माध्यम से क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया का ध्यान आकृष्ट कराते हुये 29 सितम्बर की बैठक का हवाला दिया गया है, जिसमें यह तय हुआ था कि 5 नवम्बर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम के संबंध में फ्रैंड्स ऑफ पन्ना के सदस्यों को जानकारी दी जायेगी। राजमाता ने अफसोस जताया कि पार्क प्रबन्धन की ओर से आज दिनांक तक इस संबंध में कोई भी जानकारी साझा नहीं की गई। उन्होंने प्रबन्धन का ध्यान आकृष्ट कराते हुये याद दिलाया कि पन्ना में उजड़ चुका बाघों का संसार फिर से आबाद हो सका, इसके पीछे पन्ना के लोगों का सहयोग व सक्रिय सहभागिता मुख्य वजह है। जिसे दृष्टिगत रखते हुये कामयाबी के दशक का जश्न सबकी भागीदारी में भव्यता के साथ हो, ऐसी हमारी मंशा है। पत्र सौंपने वालों में राजमाता दिलहर कुमारी के साथ राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य हनमंत सिंह , पत्रकार अरूण सिंह  व समाजसेवी एवं अधिवक्ता अंकित शर्मा मुख्य रूप से शामिल रहे।
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dainik jagran news 


चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार ने साबित किया : उपवास भी एक औषधि


                                     

चिकित्सा (मेडिसन) के लिए साल 2019 का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के विलियम जी कायलिन जूनियर, सर पीटर जे रैटक्लिफ और ग्रेग एल सेमेंजा को संयुक्त रूप से दिया गया है। यह सम्मान तीनों वैज्ञानिकों को कोशिकाओं के काम करने के तरीके तथा ऑक्सीजन उपलब्धता के ग्रहण करने को लेकर किए गये खोज के लिए दिया जा रहा है। तीनों वैज्ञानिकों को कोशिकाओं में जीवन और ऑक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा। नोबेल असेंबली ने कहा, इस  साल के नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने जीवन की सबसे आवश्यक प्रक्रियाओं में से एक का पता लगाया है। उन्होंने हमे यह समझने का आधार दिया कि ऑक्सीजन का स्तर सेलुलर चयापचय और शारीरिक कार्यों को कैसे प्रभावित करता है। उनकी खोजों ने एनीमिया, कैंसर और कई अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए नई रणनीतियों पर काम करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
भारत में उपवास का प्राचीन समय से ही अत्यधिक धार्मिक महत्त्व रहा है। विभिन्न अवसरों व विशेष पर्वों पर यहाँ उपवास करने की परम्परा आज भी कायम है। लेकिन चिकित्सा और स्वास्थ्य की द्रष्टि से भी उपवास कितना अर्थपूर्ण है, यह चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिकों की नई खोज ने साबित किया है।  अगर कोई व्यक्ति साल भर में कम से कम 20 दिन 10 घण्टे बिना खाये पिये रहता है, तो  उसे कैंसर होने की संभावना 90 फीसदी कम होती है। क्योकि जब शरीर भूखा होता है, तो शरीर उन सेल्स को नष्ट करने लगता है जिनसे कैंसर होता है। इस सोच को इस वर्ष, चिकित्सा का नोबल पुरस्कार मिला है।
इस सोच का नाम ऑटोफैगी है,आटोफैगी एक नेचुरल डिफेंस है, जो शरीर के जिंदा रहने में मदद करता है। ये शरीर को बिना खाने के रहने में मदद करता है, साथ ही बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करता है। ऑटोफैगी प्रॉसेज के नाकाम होने के कारण ही इंसान में बुढ़ापा और पागलपन जैसी चीजें बढ़ती हैं।
हजारों साल पहले से पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में चिकित्सा के तीन रूप शारीरिक,मानसिक,आध्यात्मिक  के रूप में आयुर्वेद से आज तक शरीर के प्रकृति के अनुसार चिकित्सा सिद्धांत लंघन  का प्रयोग रोगी का रोग को खत्म करने में प्रयोग हो रहा है। यही आध्यात्मिक मानसिक चिकित्सा हमारे यहाँ इसे व्रत रहना कहते हैं।
अर्थात उपवास भी औषधि है।

वैज्ञानिकों के बारे में

विलियम जी केलिन जूनियर
 विलियम जी केलिन जूनियर का जन्म साल 1957 में न्यूयॉर्क में हुआ था. उन्होंने दरहम के ड्यूक यूनिवर्सिटी से एमडी की डिग्री हासिल की।
सर पीटर जे रैटक्लिफ
 सर पीटर जे रैटक्लिफ का जन्म इंग्लैंड में साल 1954 में हुआ था. उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से मेडिसिन की पढ़ाई की. उन्होंने ऑक्सफोर्ड से नेफ्रोलॉजी में ट्रेनिंग हासिल की है।
ग्रेग एल सेमेंजा
 ग्रेग एल सेमेंजा का जन्म न्यूयॉर्क में साल 1956 में हुआ था. उन्होंने बॉस्टन में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बॉयोलॉजी में बीए की डिग्री हासिल की. उन्होंने पेन्सिवेनिया यूनिवर्सिटी से एमडी तथा पीएचडी की डिग्री हासिल की है।
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Monday, October 21, 2019

पन्ना जिले के देवेन्द्रनगर का लापता छात्र सूरत में मिला

  •   स्कूल में मोबाइल पकड़े जाने पर घर में बिना बताये भागा था छात्र
  •   अचानक लापता होने पर अपहरण की जताई जा रही थी आशंका


सूरत से लौटा 11 वीं का छात्र साथ में पुलिस बल। 

अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना जिले के देवेन्द्रनगर कस्बा निवासी 16 वर्षीय एक छात्र स्कूल में मोबाइल पकड़े जाने पर परिजनों द्वारा डाँटे जाने के भय से घर में बिना बताये भागकर सूरत पहुँच गया। छात्र के अचानक लापता होने से परिवार में हड़कम्प मच गया। अपहरण होने की आशंका के चलते मामले की रिपोर्ट देवेन्द्रनगर थाने में दर्ज कराई गई। लेकिन छात्र के अचानक लापता होने की असल वजह का जब खुलासा हुआ तो परिजन भी दंग रह गये। मामूली सी बात को लेकर कोई छात्र इस तरह से नासमझीपूर्ण कदम उठाकर परिजनों को मुसीबत में डालने के साथ-साथ पुलिस को भी परेशान कर सकता है इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। जब छात्र को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने सूरत रेलवे स्टेशन से अपने पिता को फोन किया तब जाकर छात्र के लापता होने की वजह का खुलासा हुआ।
उल्लेखनीय है कि गत 14 अक्टूबर  को फरियादी गणेश प्रसाद पटेल पिता रामकिशुन पटेल निवासी ग्राम टेढ़ा हाल निवास जीरो मॉडल स्कूल रोड देवेन्द्रनगर ने पुलिस थाना में आकर रिपोर्ट दर्ज कराई कि 14 अक्टूबर को धु्रव कुमार पटेल उम्र 16 साल जो लिस्यू आनन्द स्कूल पन्ना में कक्षा 11 वीं में पढ़ता था, वह लापता है। छात्र घर से सुबह करीब साढ़े 6 बजे स्कूल जाने के लिये पन्ना गया था जो शाम तक वापस नहीं आया। जब स्कूल में पता किया गया तो ज्ञात हुआ कि छात्र स्कूल नहीं आया है, रिश्तेदारों व परिचितों के यहां पता किया गया लेकिन वहां भी नहीं मिला, इन परिस्थितियों में परिजनों को अपहरण की आंशका हुई। फरियादी की रिपोर्ट पर थाना पर अपराध क्र. 253/19 धारा 363 भादवि का पंजीबद्ध किया गया। मामले की गम्भीरता को देखते हुये पुलिस अधीक्षक पन्ना मयंक अवस्थी द्वारा थाना प्रभारी देवेन्द्रनगर उपनिरीक्षक घनश्याम मिश्रा को निर्देशित किया गया। थाना प्रभारी द्वारा लिस्यू आनन्द स्कूल पन्ना से पता किया गया तो ज्ञात हुआ कि 20 सितम्बर को परीक्षा के दौरान अपह्रत बालक के पास में मोबाइल मिला था जिसे उसके पिता गणेश प्रसाद पटेल को बुलाकर लड़के से प्राप्त मोबाइल वापस कर भविष्य में मोबाइल नही लाने के लिये समझाया गया था। उसी दिन के बाद से अपह्रत बालक ध्रुव पटेल स्कूल नहीं गया था। लापता हुये छात्र का 15 अक्टूबर को एक अज्ञात मोबाइल नम्बर से अपने पापा को रात्रि करीब 9 बजे फोन किया गया कि मैं सूरत रेलवे स्टेशन में हूँ। यह सूचना फरियादी द्वारा तुरन्त थाना प्रभारी को दी गई। तब तत्काल सायबर सेल आरक्षक आशीष अवस्थी को उक्त मोबाइल नम्बर की लोकेशन ट्रेस की गई जो उक्त मोबाइल की लोकेशन सूरत में होना पाई गई, जिसकी सूचना तत्काल सूरत जीआरपी को दी गई। फलस्वरूप सूरत जीआरपी की मदद से छात्र को कब्जे में लिया गया। उससे पूंछतांछ करने पर उसने बताया कि स्कूल में मोबाइल पकड़े जाने के बाद से वह तनाव में था जिसकी वजह से बिना बताये घर से भागकर सूरत चला गया। उपरोक्त कार्यवाही में उपनिरीक्षक घनश्याम मिश्रा थाना प्रभारी, सउनि राकेश सिंह  बघेल,आर.धीरेंद्र सिंह व साइबर आर.आशीष अवस्थी का सराहनीय योगदान रहा।

अवैध कट्टा के साथ युवक हुआ गिरफ्तार


आरोपी युवक से अवैध कट्टा जब्त करते थाना प्रभारी अरविन्द कुजूर

पन्ना पुलिस द्वारा चलाये जा रहे चेकिंग अभियान के दौरान एक संदिग्ध मोटरसाइकिल सवार युवक की तलाशी लिये जाने पर उसके पास 12 बोर का कट्टा व कारतूस बरामद हुआ है। मालुम हो कि जिले में पुलिस अधीक्षक द्वारा अवैध शस्त्र रखने वालों के खिलाफ  सख्त कार्यवाही करने हेतु निर्देश दिये गये हैं जिसके परिपालन में जिले के सभी थाना क्षेत्रों में अभियान चलाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि थाना प्रभारी अरविन्द कुजूर द्वारा सत्यम पैलेस तिराहे पर जब चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था उसी समय एक एमपी-16 पासिंग साइन मोटरसाइकिल अमानगंज रोड तरफ  से आती दिखी, जिसे रोका गया। पुलिस द्वारा रोके जाने पर मोटरसाइकिल सवार युवक तेज गति से भागने लगा, जिसका पीछा कर पुलिस ने मोटरसाइकिल सवार को पकड़ लिया। मोटरसाइकिल सवार युवक संदिग्ध अवस्था में दिखा जिसका नाम पूछे जाने पर उसने अपना नाम संदीप गौतम परिहार मार्केट सागर रोड का होना बताया। युवक की तलाशी लिये जाने पर तलाशी के दौरान एक 12 बोर का बड़ा कट्टा एवं एक 12 बोर का कारतूस भी मिला जिसे जब्त कर अपने कब्जे में पुलिस ने लिया। आरोपी को गिरफ्तार कर कोतवाली लाया गया और अपराध  धारा 25-27 आम्र्स एक्ट का होने से अपराध कायम कर आरोपी को न्यायालय पेश किया गया। उक्त कार्यवाही में थाना प्रभारी कोतवाली एवं यातायात अरविन्द कुजुर, सहायक उपनिरीक्षक जी.पी. तिवारी, प्रधान आरक्षक सज्जन सिंह, रामकृष्ण पाण्डे, वृषकेतु रावत, सर्वेन्द्र कुमार, सुनील पाण्डे, उमाशंकर, विक्रम बागले व सुनील मिश्रा का सराहनीय योगदान रहा।
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Saturday, October 19, 2019

पर्यावरण एवं जैव विविधता की रक्षा का छात्र - छात्राओं ने लिया संकल्प

  •   डाइट पन्ना में जैव विविधता क्विज प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
  •   प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को किया गया पुरूस्कृत



अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. जैव विविधता बोर्ड भोपाल एवं लोक शिक्षण संचालनालय म.प्र. भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में पूरे म.प्र. में जैव विविधता क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पन्ना में जैव विविधता क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें पन्ना जिले के सभी विकासखण्ड पन्ना,  गुनौर, अजयगढ़, शाहनगर, पवई की टीमों ने भाग लिया। प्रात: 10 बजे से 12 बजे तक लिखित परीक्षा का आयोजन श्रीमती साधना अवस्थी मॉडल स्कूल प्राचार्य की देखरेख में सम्पन्न हुई।
प्रतियोगिता आयोजन के बाद म.प्र. राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराई गई सीडी ओवरहेड प्रोजेक्टर से समस्त प्रतिभागियों को दिखाई गई। समस्त प्रतिभागियों ने पर्यावरण एवं जैव विविधता की रक्षा के लिये कार्य करने का संकल्प एवं दीपावली के पावन पर्व पर पटाखे न फ ोडऩे की शपथ ली। पटाखों के कारण पर्यावरण बहुत अधिक प्रदूषित होता है। शपथ ग्रहण समारोह में नरेश यादव वनमण्डलाधिकारी उत्तर पन्ना, कैलाश सोनी प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी, श्रीमती अंजुली श्रीवास्तव, श्रीमती मीना मिश्रा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। चंद्रभान सेन द्वारा हम होंगे कामयाब गीत का सस्वर गायन किया गया। जिसमें सभी प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और प्रसन्नता व्यक्त किया। लिखित परीक्षा का मूल्यांकन कार्य श्रीमती निशा जैन प्राचार्य उत्कृष्ट उ.मा.वि. पन्ना प्रभारी अधिकारी द्वारा किया गया। जिसमें से 7 टीमों का चयन किया गया। चयनित टीमों में क्विज मास्टर प्रमोद अवस्थी द्वारा बखूबी मल्टीमीडिया क्विज का शुभारंभ किया गया। जिसमें स्कोरर के रुप में अजय गुप्ता व्याख्याता एवं संजय शर्मा की उल्लेखनीय भूमिका रही। 7 टीमों के 7 राउण्डों के बाद अंकों के आधार पर सर्वाधिक अंक रेनवो पब्लिक हाई स्कूल देवेन्द्रनगर द्वारा प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया गया। द्वितीय स्थान पर महर्षि विद्या मन्दिर पन्ना और तीसरे स्थान पर माडल स्कूल अजयगढ़ रहा।
पुरूष्कार वितरण समारोह में वनमण्डाधिकारी उत्तर पन्ना, जिला शिक्षा अधिकारी, योजना अधिकारी, प्राचार्य, मनीष मिश्रा एवं सुनील अवस्थी उपस्थित रहे। उपस्थित अतिथियों द्वारा माँ वाणी, माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर पुरूस्कार वितरण समारोह का शुभारंभ किया। विजेता प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय का 3000, 2100 एवं 1500 के चेक वितरित किये गये। विजेता सदस्यों को पदक वितरित किये गये। शेष सहभागी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये। जैव विविधता कार्यक्रम को सफ ल बनाने में नरेश यादव, के.के. सोनी, श्रीमती मीना मिश्रा, अजय गुप्ता, संजय शर्मा, चंदभान सेन, श्रीमती विभा गुलाटी, शिवमोहन लोध, बसंत यादव, दिनेश कुमार अवस्थी, रूद्र प्रताप चंद्रपुरिया, हरी नारायण पाण्डेय, नरेश पटेल, श्रीमती विमलेश अग्रवाल वन विभाग की ओर से आर.ओ पन्ना एवं वन विभाग की ओर से भरत धर्मराज का भी विशेष सहयोग रहा। प्रमोद अवस्थी द्वारा आभार व्यक्त करते हुये उपस्थित प्रतिभागियों के माता-पिता एवं अभिभावकों का भी आभार व्यक्त किया गया जिन्होंने बच्चों को नवीन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये भेजा।
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सकारात्मक पहल और प्रयास से पन्ना बनेगा पर्यटन स्थल

  •   जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद: कलेक्टर
  •   पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये उठाये जा रहे हैं कदम
  •   यहां के प्राचीन मन्दिरों व मनोरम स्थलों का प्रचार-प्रसार जरूरी


पन्ना जिले में सलेहा के निकट अगस्त्य ऋषि के आश्रम में स्थित प्राचीन मन्दिर। 

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद होने के बावजूद अभी तक यह जिला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र नहीं बन सका है। यहां प्राचीन भव्य मन्दिरों के अलावा ऐतिहासिक महत्व के स्थलों, खूबसूरत जल प्रपातों व प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण मनोरम स्थलों की भरमार है। इनका समुचित ढंग से प्रचार-प्रसार न होने के कारण देशी व विदेशी पर्यटक इस जिले की खूबियों से अनभिज्ञ हैं। यही वजह है कि पर्यटकों को आकर्षित  करने की खूबियों के बावजूद पन्ना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका। देर से ही सही लेकिन अब इस ओर शासन और प्रशासन ने सकारात्मक पहल शुरू की है। जिले के प्रशासनिक मुखिया कर्मवीर शर्मा ने पर्यटन विकास की दिशा में प्रभावी और सार्थक कदम उठाये हैं जिससे मन्दिरों के शहर पन्ना को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की उम्मीद जागी है।


उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला विन्ध्य की ऊँची-नीची पर्वत श्रंखलाओं पर बसा हुआ हैै। जिले की सीमायें हरी-भरी, मनमोहक वादियों से आच्छादित हैं। सीमा में प्रवेश होते ही कलकल निनाद करती नदियां, झरझर के स्वर बिखेरते प्रपात एवं पक्षियों की चहचहाट सप्तस्वर लहरियां बिखेर देती हैं। तब ऐसा प्रतीत होता है कि मार्गों के दोनों तरफ  वृक्षों की टहनियां हवा में लहराकर आगंतुकों का स्वागत कर रही हैं। यहां के मन्दिर लोगों को अनायाश ही अपनी ओर खींच लेते हैं जो भी मन्दिर परिसर में पहुँच जाता है वह इन मन्दिरों की स्थापत्य कला व भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। इतना ही नहीं इस जिले मेें अनेकानेक प्राकृतिक स्थल, धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक इमारतें और विश्व प्रसिद्ध हीरा की खदानें स्थित हैं। यहां की प्रकृति और इमारतें सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुये हैं। वनवास के दौरान मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम पन्ना जिले से होकर गुजरे थे, जिसके चिह्न यहां आज भी मौजूद हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 16 किमी दूर सुतीक्षण आश्रम तथा सलेहा के निकट स्थित अगस्त ऋषि आश्रम भगवान राम के वन पथ गमन की यादों को अपने जेहन में आज भी संजोये हुये है। धार्मिक  महत्व के इन प्राचीन स्थलों का यदि योजनाबद्ध तरीके से विकास किया जाये तो ये स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। इस पुण्य भूमि में अनेकों ऋषि मुनियों ने भी अपने जीवन का लम्बा समय बिताया है, जिसके चलते इस भूमि को यदि तपोभूमि कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है।
मालुम हो कि पन्ना जिला मुख्यालय सड़क मार्ग से छतरपुर एवं सतना के मध्य लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित है। इस खूबसूरत शहर में अनेकानेक भव्य और प्राचीन मन्दिर हैं। जिनमें श्री जुगल किशोर, श्री बल्दाऊ जी, श्री प्राणनाथ जी, श्री रामजानकी, श्री जगदीश स्वामी मन्दिर आदि प्रमुख मन्दिर हैं। मन्दिरों में मध्यकालीन शिल्प की छटा दिखाई देती है। इसके अलावा जिले की सीमा में अनेक पर्यटन महत्व के स्थल हैं। इन स्थलों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट कराने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में जिले में वॉक फेस्टिवल का आयोजन किया गया। वॉक फेस्टिबल का शुभारंभ 12 अक्टूबर से किया गया है। इसके प्रथम चरण में पन्ना नगर में स्थित ऐतिहासिक भवन महेन्द्र भवन से इसका शुभारंभ किया गया। इसके उपरांत महेन्द्र भवन से कमला बाई तालाब मार्ग में पडऩे वाले मन्दिरों का भ्रमण करने के साथ-साथ हीरे की उथली खदानों का भ्रमण एवं अध्ययन कराया गया। आज जिले के पुरावैभव से परिचित कराने के लिये हिन्दूपत महल में स्थित पुरातत्व संग्रहालय का भ्रमण कराया गया। यह वॉक फेस्टिवल 20 अक्टूबर को बृहस्पति कुण्ड में कराया जायेगा। वॉक फेस्टिवल कार्यक्रम के तहत 10 नवम्बर तक लोगों को जिले के प्राकृतिक, धार्मिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक महत्व के स्थलों का भ्रमण कराकर लोगों को उनके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी जायेगी। वॉक फेस्टिवल में आम नागरिकों के साथ स्कूल-कॉलिजों के बच्चे भाग ले रहे हैं।
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Friday, October 18, 2019

मनोविज्ञान : अतीत के संबंध में ज्यादा विचार आयें तो समझ लेना कि बूढ़े हो गये


मनोवैज्ञानिक कहते हैं जिस दिन से तुम अतीत के संबंध में ज्यादा विचार करने लगो, समझ लेना कि बूढ़े हो गए। बुढ़ापे की यह मनोवैज्ञानिक परिभाषा है। जिस दिन से तुम्हें अतीत के ज्यादा विचार आने लगें और तुम पीछे की बातें करने लगो, कि वे दिन, अब क्या रखा है, अब दुनिया वह दुनिया न रही!
बच्चे भविष्य में देखते हैं और बूढ़े अतीत में देखते हैं। बूढ़ा आदमी बैठकर अपनी आरामकुर्सी पर सोचा करता है, वे दिन जब वह डिप्टी कलेक्टर था! अहह! क्या दिन थे वे भी साहबियत के! जहां से निकल जाओ, वहीं नमस्कार-नमस्कार हो जाता था! सब याद आते हैं वे दिन, बड़े इत्र सुगंध से भरे। सम्मान, सत्कार, डालियां सजी हुई आती थीं। आम के मौसम में आम चले आ रहे हैं। दिन थे मौज के!
आगे देखे भी तो क्या? आगे देखने को कुछ है नहीं। आगे तो सब सन्नाटा है। मौत की पगध्वनि सुनाई पड़ रही है। मौत को देखना कौन चाहता है!
पीछे की सोचता है कि क्या दिन थे! रुपए का बत्तीस सेर दूध मिलता था, सोलह सेर घी मिलता था, अहा!. ..अब फिर से स्वाद और चटखारे ले लेता है। दिल बाग-बाग हो जाता है। फिर सुगंध आने लगती है पुराने दिनों की। ऐसे अपने को भरमाए रखता है। बूढ़ा अतीत में जीता है।
अमरीका का एक बहुत बड़ा न्यायशास्त्री पेरिस गया था। पचास साल पहले भी वे पेरिस आए थे, पतिकृपत्नी दोनों, हनीमून मनाने आए थे। पचास साल बाद एक जिज्ञासा फिर मन में उठी कि मरने के पहले एक बार पेरिस और देख लें। क्योंकि पेरिस में जो देखा था पचास साल पहले, फिर वैसा कहीं न देखने मिला! पचास साल बादकृबूढ़े हो गए हैं अब वेयपति अस्सी साल का है, पत्नी पचहत्तर साल की है जिंदगी बह गई, गंगा की धार में बहुत पानी बह गया है पचास साल लंबा वक्त होता है, पचास साल बाद पेरिस आए, बहुत चौंका बूढ़ा! उसने अपनी पत्नी से कहा कि अब पेरिस वैसा पेरिस नहीं मालूम होता! वह बात नहीं रही अब! पत्नी हंसने लगी और उसने कहा, पेरिस तो अब भी पेरिस है, जरा नए - नए जोड़ों की नजरों से देखो हम बूढ़े हो गए हैं। अब हम हम नहीं हैं। पेरिस तो अब भी पेरिस है। जो सुहागरात मनाने आए हैं, उनसे पूछो। अब हम पचास साल जीकर आए हैं, हमारे पास कुछ भी नहीं बचा आगे जीने को, अब जीने को भी क्या है?
मगर फिर भी उन्होंने कोशिश की कि एक बार फिर से पुनरुज्जीवित कर लें। उसी होटल में ठहरे जिस होटल में पचास साल पहले ठहरे थे, उसी कमरे को मांगा कि चाहे जो कीमत लगे। खाली करवाना पड़ा, दूसरा यात्री उसमें ठहरा था,लेकिन उसको रिश्वत देकर खाली करवाया कि हम आए ही इसीलिए हैं, उसी कमरे में ठहरेंगे। उसी खिड़की से दृश्य देखेंगे। वही भोजन, वही समय। रात जब दोनों सोने के करीब आए तो पत्नी ने कहा कि और तुम भूल गएय उस रात तुमने मुझे किस तरह आलिंगनबद्ध करके चूमा था? कमरा तो वही है, चूमोगे नहीं? उसने कहा, अब नहीं मानती तो ठीक है! अभी आया। उसने कहा, कहां जाते हो? तो उसने कहा कि बाथरूम। बाथरूम किसलिए जाते हो? उसने कहा, दांत तो ले आऊं? दांत तो बाथरूम में रख आया हूं। अब पचास साल बीत गए, अब दांत भी अपने न रहे, अब दांत भी सब उधार हो गए, अब ये पोपले सज्जन दांत लगाकर फिर चुंबन लेने जा रहे हैं! यह चुंबन वही होगा? यह कैसे वही हो सकता है! यह सिर्फ अभिनय होगा। थोथा, बासा, मुर्दा। लेकिन लोग अतीत में जीने की चेष्टा करते हैं।
बूढ़े अतीत में जीते हैं।
युवावस्था का मनोवैज्ञानिक अर्थ होता है वर्तमान में जीना। शुद्ध वर्तमान में जीना।
हमारा युवक भी पीछे देखता है। वह भी कहता है, बचपन के दिन बड़े सुंदर थे। हमारा युवक भी भविष्य में देखता है। वह सोचता है, अगले साल बढ़ती होगी,बड़ी नौकरी मिलेगी। हमारा युवक भी कहां युवक होता है?ठीक-ठीक आध्यात्मिक अर्थों में युवा नहीं होता। कटा-कटा होता है। आधा अतीत, आधा भविष्य। थोड़ा पीछे, थोड़ा आगे। बंटा-बंटा होता है। खंडित होता है। इसलिए बेचौन भी होता है। उसमें तनाव भी होता है बहुत।
बुद्ध जैसे व्यक्ति, कबीर,नानक,पलटू जैसे व्यक्ति शुद्ध वर्तमान में जीते हैं। न कोई अतीत है, न पीछे की कोई याद है। धूल-धवांस इकट्ठी ही नहीं करते ऐसे लोग। न कोई भविष्य है, न भविष्य की कोई चिंता है। कूड़ा-करकट में रस ही नहीं लेते ऐसे लोग।
यह क्षण, बस यह शुद्ध क्षण पर्याप्त है। इस क्षण के आर-पार कुछ भी नहीं है। इस क्षण में डुबकी मारते हैं,वही समाधि है। शुद्ध वर्तमान में डूब जाना समाधि है।
अतीत में रहना मन में रहना भविष्य में रहना मन में रहना।
ये मन के रहने के ढंग हैं, अतीत और भविष्य।
वर्तमान में, शुद्ध वर्तमान में डूब जाना...जरा एक क्षण को अनुभव करो! जैसे बस यही क्षण है। मैं हूं, तुम हो, ये वृक्ष हैं, ये पक्षियों की चहचहाहट है, ये सन्नाटा हैय बस यह क्षणमात्र, अपनी परिपूर्ण शुद्धता में, न पीछे की कोई याद है, न आगे का कोई हिसाब है, स्मृति छूट गई, फिर इस अंतराल में शाश्वत की प्रतीति होने लगेगी। यही अंतराल समाधि है।
-ओशो

Thursday, October 17, 2019

पन्ना के प्रमुख तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करने की पहल शुरू

  •    आगामी 10 वर्षों की पेयजल आवश्यकता को ध्यान में रखकर बनेगी  योजना
  •    पेयजल की आपूर्ति  करने वाले तीन तालाबों का कलेक्टर ने किया निरीक्षण
  •    किलकिला फीडर नहर का कार्य शीघ्र प्रारंभ कराने अधिकारियों को दिये निर्देश




। अरुण सिंह 

पन्ना। शहर को पेयजल उपलब्ध कराने वाले प्राचीन जलाशयों धरम सागर, निरपत सागर एवं लोकपाल सागर को अतिक्रमण से मुक्त कर उनके संरक्षण और सौंदर्यीकरण की पहल शुरू की गई है।  पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा अधिकारियों के साथ मौके पर जाकर गुरुवार को निरीक्षण किया गया। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ किलकिला फीडर का सबसे पहले जायजा लिया। उन्होंने किलकिला फीडर की नहर का निरीक्षण करने के उपरान्त निर्देश दिये कि नहर का कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाये। 

नहर का जितना भी खुला भाग है उसका निर्माण कार्य प्रथम चरण में कर लिया जाये। उन्होंने इस अवसर पर कार्यपालन यंत्री जल संसाधन बी.एल. दादौरिया, मुख्य नगरपालिका अधिकारी एवं तकनीकी अधिकारियों को निर्देश दिये कि नगर को आगामी 10 वर्षो की पेयजल आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुये तालाबों के जल भण्डारण की कार्ययोजना बनाई जाये। इसके अलावा ग्रीष्मकाल में तालाबों के जल स्तर के नीचे जाने पर तालाबों में जल भण्डारण किये जाने की कार्ययोजना बनायें।


धरम सागर तालाब का निरीक्षण करने के उपरान्त कलेक्टर ने निर्देश दिये कि तालाब में दूषित पानी न आये इसके लिये जरूरी कार्यवाही की जाये। तालाब में जल भण्डारण क्षमता बढ़ाये जाने एवं जल संरक्षण क्षेत्र से पर्याप्त जल आ सके इसके संबंध में कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी जाये। उन्होंने धरम सागर तालाब के पीछे स्थित मुक्ति धाम को विकसित करने के साथ आकर्षक बनाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने यह भी कहा कि मुक्तिधाम में सुविधाओं का विकास किया जाये। 

उन्होंने निरपत सागर तालाब का निरीक्षण करते हुये कहा कि तालाब से कृषि की सिंचाई के लिये पानी का उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित किया जाये। तालाब की भण्डारण क्षमता को बढ़ाया जाये। जिससे नगर को लम्बे समय तक जल की आपूर्ति की जा सके। तालाब पर जलशोधन यंत्र स्थापित करने की कार्ययोजना बनाई जाये। ग्रीष्मकाल में इस तालाब के खाली होने पर इसमें जल के पुनर्भण्डारण के लिये कार्ययोजना बनाई जाये। तालाब की भूमि एवं जल संग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण चिन्हित कर हटाने की कार्यवाही की जाये। 

उन्होंने लोकपाल सागर तालाब का निरीक्षण करते हुये कहा कि तालाब में अधिक से अधिक पानी आ सके इसके लिये किलकिला फीडर नहर के अलावा अन्य उपायों पर भी विचार किया जाये। यदि वर्तमान क्षमता से अधिक जल भण्डारण के लिये मिल सकता है तो इस तालाब की भी जल भण्डारण क्षमता को बढ़ाये जाने की कार्ययोजना तैयार की जाये। 

कलेक्टर श्री शर्मा द्वारा किलकिला फीडर की नहर एवं तालाबों के निरीक्षण के दौरान निर्देश दिये गये कि तालाबों के जल संग्रहण क्षेत्रों एवं भण्डारण क्षेत्रों में अतिक्रमण हो तो उसे हटाने की कार्यवाही की जाये। जिससे तालाबों में वर्षा के मौसम में सम्पूर्ण क्षमता के साथ तालाबों को भरा जा सके। आगामी एक सप्ताह के अन्दर कार्ययोजनायें तैयार कर प्रस्तुत की जायें। जिससे शासन को स्वीकृति एवं बजट आबंटन के लिये लिखा जा सके।

जीवन का आधार हैं प्राचीन तालाब

राजाशाही जमाने में निॢमत पन्ना शहर के तीनों प्रमुख तालाब नगरवासियों के जीवन का आधार हैं। इन्हीं तालाबों से नगर में पेयजल की आपूॢत होती है। लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के चलते अतिक्रमण का जाल फैलने से इन उपयोगी तालाबों का मूल स्वरूप तहस-नहस हो गया है। शहर के निकट सॢकट हाऊस वाली पहाड़ी की तलहटी में स्थित प्राचीन धरमसागर तालाब भी बुरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है। इस तालाब के सौन्दर्यीकरण व इसे अतिक्रमण मुक्त करने के लिये अनेकों बार प्रयास हुये लेकिन दृढ़़ इच्छा शक्ति के अभाव में कामयाब नहीं हुये। 

कुछ दशकों पूर्व तक जिस तालाब में अथाह कंचन जल भरा रहता था और इस पानी से नगरवासियों की प्यास बुझती थी वह उपयोगी धरमसागर तालाब न सिर्फ अतिक्रमण से ग्रसित है अपितु उसमें गन्दगी भी पहुँच रही है। कमोवेश यही स्थिति लोकपाल सागर व निरपत सागर तालाब की भी है। जिले के प्रशासनिक मुखिया ने इन प्राचीन धरोहरों के संरक्षण व उन्हें अतिक्रमण मुक्त करने के लिये शुरू की गई पहल निश्चित ही सराहनीय है। लेकिन यह पहल अंजाम तक पहुँचे नगरवासी इसकी कामना करते हैं ताकि शहर को पेयजल संकट से निजात मिल सके।

मिनी स्मार्ट सिटी योजना के तहत मन्दिरों का होगा सौन्दर्यीकरण



 मिली स्मार्ट सिटी योजना के तहत पन्ना शहर के प्रमुख मन्दिरों का सौन्दर्यीकरण कराया जायेगा। नगर के 5 मन्दिरों में होने वाले सौन्दर्यीकरण एवं सुविधा विकास के कार्यो के संबंध में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा श्री जुगल किशोर मन्दिर का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्देश दिये कि मन्दिर के सामने स्थापित दुकानों को हटाया जाये। जिससे मन्दिर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। 

मन्दिर के सामने की ओर मुख्य मार्ग का अतिक्रमण हटाकर दुपहिया वाहन पाॄकग व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये। उन्होंने कहा कि मन्दिर की दीवारों को जिस कलर से पोता जाये उसी कलर से मन्दिर के चारों ओर के मकानों को पोता जाये। जिससे मन्दिरों के आस-पास और मन्दिर को आकर्षक बनाया जा सके। मन्दिर के बाउण्ड्रीवाल पर भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से संबंधित चित्रों का चित्रांकन किया जाये। मन्दिर परिसर में जो भी निर्माण कार्य किया जाये। वह पूरी तरह से व्यवस्थित एवं भविष्य को दृष्टिगत रखते हुये कराया जाये। उन्होंने मिनी स्मार्ट सिटी योजना के तकनीकी अधिकारियों को निर्देश दिये कि मन्दिर सौन्दर्यीकरण से संबंधित कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत करें।

  जिले में मौजूद हैं पर्यटन विकास की अपार संभावनायें: कलेक्टर

 भव्य विशाल मन्दिरों, खूबसूरत जंगल और खनिज सम्पदा से समृद्ध पन्ना जिले में पर्यटन विकास की अपार संभावनायें मौजूद हैं। इन संभावनाओं को साकार रूप देने तथा पन्ना को पर्यटक जिला बनाने के लिये लोगों को आगे आना चाहिये। यह बात पर्यटन एवं इतिहास की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों की आयोजित बैठक में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कही। बैठक में चर्चा के दौरान कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि जिले में विशाल एवं भव्य मन्दिर हैं इसके अलावा ऐतिहासिक इमारतें, प्राकृतिक स्थल एवं हीरा उत्खनन, रॉक पेन्टिंग आदि के क्षेत्र पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये पर्याप्त हैं। इन सब की जानकारी एकत्र कर पर्यटकों को पहुँचाने की आवश्यकता है। इस सबके लिये जिले के प्रबुद्धजनों को आगे आना चाहिये। 

मेरे द्वारा प्रशासनिक स्तर पर निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इस संबंध में पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों के साथ भी बैठक आयोजित कर चर्चा की गई है। उनके द्वारा इसके लिये आवश्यक सहयोग प्रदान किया जायेगा। जानकारियां एकत्र कर एक सचित्र पुस्तक तैयार की जानी है। जिससे इसे प्रदेश के पर्यटन स्थलों तक पहुंचाया जाये। इस पुस्तक से जानकारी प्राप्त कर पर्यटक धीरे-धीरे पन्ना जिले में आना प्रारंभ हो जायेंगे। पर्यटन को बढ़ावा मिलने से जिले में व्यवसाय बढ़ेगा। आगे चलकर लोग यहां पर व्यवसाय के रूप में पर्यटन को अपनायेंगे। जिससे जिले का नाम ही नही विकास भी होगा।

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Wednesday, October 16, 2019

पन्ना में 224 नग हीरों की हो रही नीलामी

  •   नीलामी में 29.46 एवं 18.13 कैरेट वजन का हीरा भी शामिल
  •   भारी सुरक्षा के बीच हीरा कारोबारी लगा रहे बोली



अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की उथली हीरा खदानों से प्राप्त हुये 300 कैरेट से भी अधिक 224 नग हीरों की भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नवीन कलेक्ट्रेट भवन में नीलामी हो रही है। हीरों की इस नीलामी में पन्ना के अलावा बाहर से आये हीरा कारोबारी भी भाग लेकर बोली लगा रहे हैं। नीलामी में रखे गये 29.46 कैरेट एवं 18.13 कैरेट वजन वाले दो बेशकीमती हीरे आकर्षण का केन्द्र बने हुये हैं। इनके अलावा भी नीलामी में जेम क्वालिटी वाले अन्य कई बड़े हीरे हैं जिनकी कीमत लाखों में है।
हीरा अधिकारी पन्ना आर.के. पाण्डेय ने जानकारी देते हुये बताया कि नीलामी में 309.57 कैरेट के कुल 224 नग हीरे रखे गये हैं। इनमें जेम क्वालिटी (उज्जवल किस्म) वाले कई बड़े हीरे भी शामिल हैं। इन कीमती हीरों को खरीदने के लिये हीरा कारोबारियों में होड़ मची हुई है। बताया गया है कि नीलामी में आधा सैकड़ा से भी अधिक हीरा व्यवसायी भाग ले रहे हैं। सुबह के समय हीरा व्यवसायी नीलामी में रखे गये हीरों की जाँच परख करते हैं और दोपहर बाद इनकी नीलामी शुरू होती है। नीलामी में रखे गये हीरों की उच्चतम बोली लगाने वालेे व्यवसायी (बोलीदार) को अन्तिम निर्णय के तुरन्त बाद नीलामी राशि का 20 प्रतिशत जमा करना होता है। हीरा नीलामी की शेष राशि 30 दिन में अनिवार्य रूप से जमा करनी होती है।
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नवीन कलेक्ट्रेट मार्ग के निर्माण में कटेंगे हरे-भरे वृक्ष

  •   परिसर में रोपित पौधे बचे नहीं और फलते-फूलते पेड़ कटाने को तत्पर
  •   सड़क निर्माण हेतु सुगम विकल्प के रहते क्यों काटे जायें पेड़ ?
  •   प्रशासन की नियत और मंशा पर पर्यावरण प्रेमियों ने उठाये सवाल


हरे - भरे वृक्षों से अच्छादित मार्ग जहाँ से होकर सड़क बननी है।  

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना में करोड़ों रू. की लागत से निर्मित  नवीन कलेक्ट्रेट भवन को शुरू हुये तकरीबन एक वर्ष होने को है फिर भी अभी तक यहां पहुँचने के लिये सुगम पक्का मार्ग नहीं बन सका है। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान ने आनन-फानन विधानसभा चुनाव से पहले नवीन कलेक्ट्रेट भवन का उद्घाटन कर दिया था। इस भव्य समारोह के आयोजन में पानी की तरह पैसा खर्च करके भारी भीड़ जुटार्ई गई थी, लेकिन सड़क मार्ग का निर्माण नहीं कराया गया। अब महीनों बाद प्रशासन को सड़क निर्माण की सुध तब आई जब बारिश के समय लोगों का यहां पहुँचना मुश्किल होने लगा। सड़क निर्माण में भी समझदारी दिखाने के बजाय जो मार्ग निर्धारित किया गया है, उसमें दर्जनों की संख्या में हरे-भरे वृक्षों को धराशायी करना पड़ेगा। जबकि कुछ ही दूरी पर बिना एक भी वृक्ष काटे सड़क मार्ग का विकल्प मौजूद है। लेकिन आला अधिकारियों को यह मार्ग इसलिये रास नहीं आ रहा क्योंकि उस मार्ग पर व्यय थोड़ा अधिक आना है। हरे-भरे पेड़ कट जायें, इसकी कोई चिन्ता नहीं है लेकिन पैसा ज्यादा खर्च न हो जाये इसकी फिक्र है।
गौरतलब है कि नवीन कलेक्ट्रेट परिसर में आला अधिकारियों ओर नेताओं द्वारा महीनों पूर्व जो पौधे रोपित किये गये थे, उनमें एक भी पौधा मौजूदा समय जीवित नहीं है। जिन जगहों पर पौधे रोपित कर फोटो खिंचाई  गई थीं, वहां सिर्फ नाम लिखी तख्तियां नजर आ रही हैं। अब यहां सवाल यह उठता है कि जो लोग रोपित किये गये पौधों को सुरक्षित नहीं रख सकते उन्हें यह हक भी नहीं है कि वे हरे-भरे वृक्षों की बलि चढ़ायें। जब नवीन कलेक्ट्रेट भवन के लिये मुख्य सड़क मार्ग से सुगम रास्ता मौजूद है तो फिर एक सुरक्षित और सुन्दर मैदान से सड़क क्यों बनाई जा रही है, जहां सैकड़ों की संख्या में पेड़ लगे हुये हैं। जिला प्रशासन के इस अदूरदर्शी व पर्यावरण विरोधी निर्णय की शहर के प्रबुद्ध नागरिकों व पर्यावरण प्रेमियों द्वारा आलोचना की जा रही है तथा यह आगृह भी किया जा रहा है कि प्रशासन अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे।
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Tuesday, October 15, 2019

चिकित्सक जगा रहा पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की अलख

  •  बीमारियों से मुक्त, हरा-भरा और स्वच्छ शहर बनाने शुरू की मुहिम
  •  प्रतिदिन साइकिल से भ्रमण कर आमजन व युवाओं को कर रहे प्रेरित


चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. अरुण जैन  

अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना शहर के सर्वाधिक प्रतिष्ठित चिकित्सकों में शुमार डॉ. अरुण जैन ने मन्दिरों के शहर पन्ना को बीमारियों से मुक्त, हरा-भरा और स्वच्छ शहर बनाने की मुहिम शुरू की है। इसके लिये उन्होंने बेहद सुगम और अनूठा तरीका इजाद किया है। विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. जैन ने शहर में कहीं भी जाने के लिये अब कार की जगह साइकिल का उपयोग करना शुरू किया है। इतना ही नहींं उन्होंने साइकिल के सामने एक तख्ती भी लगा रखी है जिसमें हेल्थी पन्ना ग्रीन पन्ना और क्लीन पन्ना लिखा हुआ है। साइकिल से शहर भ्रमण के दौरान प्रतिदिन आप लोगों से सम्पर्क कर उन्हें पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की महत्ता से अवगत भी करा रहे हैं। एक प्रतिष्ठित चिकित्सक की इस अनूठी पहल का असर नगरवासियों विशेषकर युवाओं में दिखने लगा है तथा लोग इस मुहिम से जुडऩे भी लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि प्राचीन सुंदर भव्य मन्दिरों, जंगल हरे-भरे पहाड़ व खनिज सम्पदा से समृद्ध पन्ना व यहां के रहवासियों का मंगल प्रकृति प्रदत्त इन सौगातों का संरक्षण करने से ही हो सकता है। लेकिन बीते कुछ दशकों से जिस तरह अधाधुंध अवैध कटाई होने से तेजी के साथ जंगल उजड़े हैं तथा अनियंत्रित उत्खनन से केन ऐसी निर्मल सदानीरा जीवनदायिनी नदी का सीना छलनी हुआ है उससे इस खूबसूरत शहर सहित समूचे पन्ना लैण्डस्केप में संकट के बादल मंडराने लगे हैं। केन नदी के किनारे स्थित जिन ग्रामों में लोगों को कभी पेयजल संकट का सामना नहींं करना पड़ा वहां भी अब गर्मियों में जलस्तर नीचे खिसकने से कुंआ और हैण्डपम्प सूखने लगे हैं। यह स्थिति एक चेतावनी है कि यदि हम प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया और नदियों के नैसर्गिक प्रवाह को बाधित करने का प्रयास किया तो आने वाला भविष्य खुशहाल और मंगलमय नहीं हो सकता। नई पीढ़ी को बेहतर भविष्य देने के लिये हमें हमे पर्यावरण संरक्षण और स्वछता पर ध्यान देना ही होगा।
डॉ. जैन का कहना है कि यह कितनी चिंताजनक बात है कि 25-30 वर्ष के युवक भी डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। युवावस्था में इन बीमारियों से ग्रसित होने का सीधा सा अर्थ है कि हमारी जीवन चर्या और खानपान ठीक व सम्यक नहीं है जिसमें सुधार जरूरी है। स्वस्थ व तनाव मुक्त जीवन के लिये सकारात्मक सोच के साथ बेहतर जीवनशैली अपनाना होगा, इसके लिये स्वच्छ, सुन्दर और हरा-भरा  परिवेश बेहद उपयोगी है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुये मैंने हेल्दी पन्ना ग्रीन पन्ना और क्लीन पन्ना की मुहिम शुरू की है। डॉ. जैन ने बताया कि चिकित्सक होने के नाते प्रतिदिन अनेकों मरीजों से उनका मिलना होता है, गंभीर बीमारियों से ग्रसित युवाओं को देखकर उनके मन में यह ख्याल आया और वह अकेले ही बेहतर कल के निर्माण हेतु पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का संदेश देने निकल पड़े। आपने बड़े ही उत्साह के साथ बताया कि उनकी इस पहल का अनेकों लोगों ने न सिर्फ  स्वागत किया है अपितु जागरूकता अभियान से जुडऩे के लिये अपनी इच्छा भी जताई है। इससे उम्मीद बढ़ी है कि निश्चित ही हम अपने मकसद में कामयाब होंगे और पन्ना को स्वस्थ, सुन्दर व हरा-भरा  बनाने में सफल होंगे।
                                                           
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