Thursday, August 27, 2020

पन्ना के बडौर निवासी श्यामलिया गौंड की सिलीकोसिस से मौत

  • इस लाइलाज बीमारी से अब तक हो चुकी है 25 मजदूरों की मौत 

 बीमारी से काल कवलित ग्राम बडौर निवासी श्यामलिया गौंड।  

अरुण सिंह,पन्ना। फेफड़ों की लाइलाज बीमारी सिलीकोसिस से मध्यप्रदेश के जिले में फिर एक पत्थर खदान मजदूर की मौत हुई है। जिला मुख्यालय पन्ना के नजदीकी ग्राम बडौर निवासी श्यामलिया गौंड लम्बे समय से सिलीकोसिस बीमारी से पीडित था, जिसने  गुरुवार 27 अगस्त को अपरान्ह अन्तिम साँस ली। पत्थर खदान मजदूरों की समस्याओं को लेकर संघर्ष करने वाले समाजसेवी यूसुफ बेग ने बताया कि वर्ष 2010-11 में हॉलेण्ड से आये डॉ व्ही मुरली नें श्यामलिया गौंड की जॉच कर सिलीकोसिस होने की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद बुन्देलखण्ड मैडिकल कालेज की टीम ने सघन जॉचकर सिलीकोसिस बीमारी से ग्रसित होने की पुष्टि की थी। तभी से श्यामलिया गौंड जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे थे जिनकी आज मौत हो गई ।

उल्लेखनीय है कि सिलिकोसिस फेफड़ों की एक लाइलाज बीमारी है, जो धूल में मौजूद मुक्त सिलिका के कणों को अंतरूश्वसन करने के कारण होती है। यह बीमारी होने के बाद इसमें सुधार होने की संभावना नहीं रहती मगर इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह रोग सिलिका मिश्रित धूल के संपर्क के कारण होता है। इसलिए व्यक्ति जितने लम्बे समय तक सिलिका मिश्रित धूल के संपर्क में रहता है, उतना ही अधिक इस रोग के चपेट में आता है। ऐसा तभी होता है जब उनका कार्य स्थल ऐसा हो, जहाँ पर उन्हें चट्टानों को तोड़ना हो, रेत एकत्रित करना हो, पत्थर, अयस्क आदि को तोड़ना या बारीक चुरा करना शामिल होता है। इन सभी कार्यों में सिलिका उत्सर्जित होती है। समाजसेवी यूसुफ बेग ने बताया कि वर्ष 2010-11 में पत्थर खदान मजदूर संघ नें इन्विरानिक्स ट्रस्ट दिल्ली के सहयोग से पन्ना जिले के पत्थर खदान मजदूरों की जाँच कराई थी जिसमें 162 मजदूरों के सिलीकोसिस बीमारी से पीड़ित होने की पुष्टि की गई थी। अधिकृत तौर पर बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज सागर और जिला चिकित्सालय पन्ना ने 39 मजदूरों को सिलीकोसिस पीडित माना है।  इन चिन्हित मजदूरों में से अब तक  25 सिलीकोसिस पीडित मजदूरों की मौत हो चुकी है । 11 मजदूरों को मृत्यु उपरान्त उनके परिवारो को मानव अधिकार आयोग के निर्देशन में 3-3 लाख रू की सहायता राशि भी मिली है । मध्स प्रदेश में एक सिलीकोसिस पुनर्वास नीति बनाई गई थी लेकिन अभी तक उसे लागू नहीं किया गया । जिले में कोई भी डाक्टर सिलीकोसिस जॉच स्पेस्लिस्ट नहीं है और न ही जॉच और उपचार की व्यवस्था है। यूसुफ बेग बताते हैं कि पन्ना जिले में  हीरा, पत्थर एवं क्रेशर गिट्टी के खनन क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों में सिलीकोसिस बीमारी है । पन्ना जिले के ग्राम बडौर, पन्ना, मडैयन, दरेरा, मनौर, माझा, गॉधीग्राम, सुनारा, जनकपुर, तिलगवॉ, खजरी कुडार, कल्याणपुर, पुरूषोत्तमपुर, मानशनगर, जरधोबा, मनकी, जरूआपुर, पटी, जमुनहाई में सिलीकोसिस का प्रकोप है।

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Wednesday, August 26, 2020

पन्ना जिले में प्रतिदिन रात्रि 10 बजे से प्रातः 5 बजे तक रहेगा कर्फ्यू

  •  कोरोना वायरस के संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए आदेश जारी
  •  प्रत्येक सप्ताह में रविवार के दिन यथावत रहेगा लॉकडाउन

अरुण सिंह,पन्ना। कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम, लोक स्वास्थ्य एवं जनहित को दृष्टिगत रखते हुए दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी संजय कुमार मिश्र द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये हैं। यह आदेश पन्ना जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा के अन्तर्गत लागू होंगे। इस आदेश के तहत जिले में प्रतिदिन रात्रि 10 बजे से प्रातः 05 बजे तक रात्रिकालीन कर्फ्यू रहेगा। इसी प्रकार प्रत्येक सप्ताह में रविवार को लॉकडाउन रहेगा। 

जारी किए गए प्रतिबंधात्मक आदेश के तहत कोई भी धार्मिक कार्यध्त्यौहार का आयोजन सार्वजनिक स्थलों पर नही किया जाएगा। कोई भी धार्मिक जुलूस या रैली नही निकाली जाएगी। सार्वजनिक स्थानों पर किसी प्रकार की मूर्ति, झांकी आदि की स्थापना नही की जाएगी। सभी संबंधितों से अपेक्षा की गयी है कि वे अपने अपने घरों में पूजाध्उपासना करें। धार्मिक उपासना स्थलों पर कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक उपाय करते हुए एक समय में 5 व्यक्ति से अधिक इकट्ठे न हों। उपासना स्थलों में फेस कव्हर, सोशल डिस्टेंसिंग का कडाई से पालन किया जाए। विवाह समारोहों में 20 मेहमानों से अधिक शामिल नही हो सकेंगे। इनमें वर एवं वधु पक्ष के अधिकतम 10-10 व्यक्ति सम्मिलित हो सकेंगे। इसी प्रकार अन्य पारिवारिक कार्यक्रम जन्मदिन, सालगिरह आदि समारोह में 10 व्यक्तियों से अधिक लोग शामिल नही हो सकेंगे। इस आदेश की अवहेलना करने वालों की जानकारी कन्ट्रोल रूम, पुलिस प्रशासन, स्थानीय प्रशासन को दी जा सकती है। इसी प्रकार अंतिम संस्कार से संबंधित कार्यक्रमों में अधिकतम 20 व्यक्ति सम्मिलित हो सकेंगे। पन्ना जिले की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक सप्ताह में रविवार को लॉकडाउन रहेगा। इसमें शासकीय कर्मचारी एवं शासकीय कार्य तथा कोरोना नियंत्रण में लगे लोगों को मुक्त रखा गया है। मेडिकल इमरजेन्सी एवं दूध की दुकानों को छोडकर समस्त दुकानें व्यापारिकध्व्यवसायिक एवं निजी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। जिले में रात्रिकालीन कर्फ्यू प्रतिदिन रात्रि 10 बजे से प्रातः 05 बजे तक लागू रहेगा। इसमें मेडिकल इमरजेन्सी को छोडकर बिना अनुमति बाहर निकलना प्रतिबंधित होगा। 

शासकीय या निजी संस्था में कोविड पॉजिटिव व्यक्ति पाए जाने पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रसारित प्रोटोकाल अनुसार कार्यवाही की जाएगी। शासन द्वारा दुकानों एवं हेयर कटिंग सैलून के लिए जारी दिशानिर्देश का पालन करना अनिवार्य होगा। कोविड-19 प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय निर्देश एवं समय समय पर शासन द्वारा जारी दिशानिर्देशों तथा जारी किए गए इस प्रतिबंधात्मक आदेश का पालन न करने वालों यथा शादी विवाह (20), निजी कार्यक्रम (10), अन्त्येष्टि कार्यक्रम (20) में निर्धारित संख्या से अधिक लोगों के भाग लेने पर संबंधित के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51-60 एवं अन्य उपयुक्त प्रावधानों के अन्तर्गत जुर्माने सहित दण्ड की कार्यवाही की जाएगी। स्थानीय परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य, केन्द्र सरकार तथा निजी कार्यालयोंध्निजी प्रतिष्ठानों को 50 प्रतिशत कर्मचारी क्षमता के साथ संचालित किया जाएगा। शासकीय कार्यालयों में अधिकारियों की उपस्थिति शत प्रतिशत रहेगी। राजस्व अर्जित करने वाले कार्यालय जब तक अन्यथा स्थिति निर्मित नही होती सामान्य रूप से खोले जाएंगे। बारिश के मौसम में नदी, नाले, वाटरफॉल और जहां पर अत्याधिक बारिश में दुर्घटना की संभावना है वह क्षेत्र प्रतिबंधित रहेंगे।

यह आदेश पन्ना जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा के अन्तर्गत जनसामान्य के जानमाल की सुरक्षा, लोक स्वास्थ्य एवं लोकहित में तथा भविष्य में लोक शांति भंग होने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। जिले में निवासरत प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिशः तामील कराया जाना संभव नही होने से अतः दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के अन्तर्गत एक पक्षीय रूप से पारित किया जाता है। इस आदेश का प्रचार-प्रसार सभी विभाग अपने संसाधनों से सुनिश्चित करेंगे। इस आदेश की अवहेलना करने के दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध दण्ड संहिता की धारा 188 तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51-60 के तहत कार्यवाही की जाएगी। यह आदेश जारी होने के दिनांक से 15 सितंबर 2020 तक प्रभावशील रहेगा। 

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रिश्वत लेते हुए पवई हल्का पटवारी गिरफ्तार

  •   अतिक्रमण का केस ख़ारिज करवाने के लिये मांगे थे एक लाख 
  •   पहली क़िस्त के 25 हजार रु. के साथ लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा 

फरियादी विकास जैन स्थानीय पत्रकारों से चर्चा करते हुये। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पवई हल्का पटवारी राजेंद्र सोनी को लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने बुद्धवार 26 अगस्त को अपरान्ह  रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। पटवारी जमीनी विवाद का निपटारा कराने के एवज में फरियादी से रिश्वत की मांग की थी। लोकायुक्त सागर के निरीक्षक अभिषेक वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय बस स्टैंड के समीप स्थित भूमि पर फरियादी विकास जैन द्वारा बाउंड्री वाल का निर्माण कराये जाने पर तहसीलदार और पटवारी ने कुछ समय पूर्व उनके विरुद्ध शासकीय भूमि में अतिक्रमण करने का केस दर्ज किया था। उक्त केस तहसीलदार के न्यायालय में विचाराधीन है। कथित तौर पर इसे खारिज करने के एवज में एक लाख रुपये की मांग विकास जैन से पटवारी राजेंद्र सोनी के द्वारा की गई थी। विकास जैन ने इसकी लिखित शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की थी। फलस्वरूप योजना के मुताबिक रिश्वत की प्रथम किस्त के रूप में आज 25 हजार रुपये की राशि विकास जैन के द्वारा पटवारी आवास में पहुंचकर पटवारी को जब दी गई, उसी समय लोकायुक्त पुलिस की टीम ने दबिश देकर उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मामले में आरोपी पटवारी ने अपने आप को निर्दोष बताते हुए कहा है कि उसे साजिश के तहत फसाया जा रहा है। लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम द्वारा इस मामले में पटवारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की गई है।

मामले से पटवारी संघ के अभियान को लगा धक्का 

भ्रष्टाचार और काम करने के एवज में रिश्वत मांगे जाने की वृत्ति के खिलाफ पटवारी संघ ने हाल ही में श् न खायेंगे और न खाने देंगे श् अभियान की शुरुआत की थी। इस अनूठे अभियान की सभी ने मुक्त कंठ से सराहना भी की थी। लेकिन यह अभियान जोर पकड़ता और पटवारियों के प्रति आम जनता की सोच में बदलाव आता इसके पूर्व ही यह अप्रिय घटनाक्रम हो गया। जिससे पटवारी संघ द्वारा शुरू किये गये अभियान को निश्चित ही धक्का पहुंचा है। अभियान की शुरुआत करते हुए पटवारी संघ के अध्यक्ष ने कहा था कि अधिकारियों व शासन का पटवारी वर्ग के प्रति सोच बदले, इसके लिए जागरूकता अभियान जरुरी है। उन्होंने बड़े ही बेबाक ढंग से यह भी कहा था कि  आज भी कोई काम न होने पर उच्च अधिकारियों से लेकर आम आदमी तक के मन में यही धारणा रहती है कि पटवारी को पर्याप्त रिश्वत नहीं दी इसलिए काम नहीं हुआ, सभी के मन में पटवारी ही दोषी रहता है। इस अभियान में संघ अपने बैनर तले निम्न क्रियाकलाप करने का संकल्प लिया था। इस मौके पर बड़ी संख्या में पटवारी शामिल हुये थे। कार्यक्रम में कहा गया था कि संघ ऑडियो, वीडियो, पंपलेट ,रैली आदि  के माध्यम से लोगों को जागरूक करें कि एक भी पैसा न अधिकारियों को दी जाए न पटवारी को। शासन की निर्धारित फीस जहां आवश्यक हो बतलाया जाये। यह भी बताया जाये कि यदि कोई आवेदक वकील के माध्यम से अपना काम कराना चाहता है तो उसे भी न  अधिकारियों के नाम का पैसा दिया जाये न  पटवारी के नाम का पैसा दिया जाये। संघ का यह मानना था कि यही मौका है जब संघ और पटवारी आम जनमानस में अपनी छवि सुधार सकता है। उस वक्त हमें कृषकों का भी सहयोग मिलेगा।संघ तब अपनी जायज मांगों जैसे ग्रेड पे ,ओहर वर्क लोड ,अपर्याप्त संसाधन जैसी मांगों को शासन के सामने रखेगा तब सरकार को हमारी बातों के प्रति ज्यादा संजीदा होना पड़ेगा।  उस वक्त हम आम लोगों का सहयोग भी प्राप्त कर पायेंगे और लोग मन से हमारे साथ में होंगे।

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प्राकृतिक झरनों के लिए प्रसिद्ध पन्ना में अनूठा है बृहस्पति कुंड

  • प्रकृति की अनुपम सौगातों के चलते यहाँ पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद
  • नवागत कलेक्टर की पहल से प्राकृतिक मनोरम स्थलों के विकास की जागी उम्मीद


पन्ना से 35 किमी. दूर स्थित बृहस्पति कुंड का मनोरम द्रश्य। 

।।अरुण सिंह,पन्ना।।

भव्य प्राचीन मंदिरों और हीरा की खदानों के लिये प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में प्रकृति ने सृजन के विविध रूपों को जिस तरह से प्रकट किया है वह  मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। पहली बार जो कोई भी यहाँ आता है, इस रत्नगर्भा धरती के अतुलनीय सौन्दर्य को निहारकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। लेकिन प्रकृति के अनुपम सौगातों का पन्ना के विकास की दिशा में रचनात्मक उपयोग नहीं हो सका। पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद होने के बावजूद अभी तक यह जिला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र नहीं बन सका है। यहां प्राचीन भव्य मन्दिरों के अलावा ऐतिहासिक महत्व के स्थलों, खूबसूरत जल प्रपातों व प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण मनोरम स्थलों की भरमार है। इनका समुचित ढंग से प्रचार-प्रसार न होने के कारण देशी व विदेशी पर्यटक इस जिले की खूबियों से अनभिज्ञ हैं। यही वजह है कि पर्यटकों को आकर्षित  करने की खूबियों के बावजूद पन्ना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका। देर से ही सही लेकिन अब पन्ना के नवागत कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने विशेष रूचि प्रदर्शित करते हुए जिस तरह से आते ही सकारात्मक पहल शुरू की है उससे मन्दिरों के शहर पन्ना को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की उम्मीद जागी है।


 पन्ना के नवागत कलेक्टर संजय कुमार मिश्र प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारते हुये। 

 उल्लेखनीय है कि पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्र मंगलवार 25 अगस्त को जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 35 किमी. दूर स्थित  प्राकृतिक एवं धार्मिक महत्त्व के स्थल बृहस्पति कुंड का भ्रमण कर कुंड के संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई है। मौके पर उपस्थित लोगों ने बताया कि कुंड का ऊपरी हिस्सा पन्ना जिले की राजस्व सीमा एवं निचला हिस्सा सतना जिले की राजस्व सीमा में आता है। यह स्थान श्री राम वन गमन मार्ग का हिस्सा है इसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह मनोरम स्थान मानसून पर्यटन का बहुत ही आकर्षक स्थल है। कलेक्टर श्री मिश्र ने मौके पर उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिए कि संबंधित भूमि के नक्शे प्रस्तुत करें। सतना जिले के इस क्षेत्र में पदस्थ पटवारी को भी बुलाया जाये, दोनों लोग समन्वयं बनाकर इस भूमि को पन्ना जिले मे शामिल कराने का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें। कुंड से संबंधित जानकारी का विस्तार पूर्वक बोर्डं तैयार करा कर लगाया जाये साथ ही इसके आसपास के अन्य पर्यटक स्थलों की जानकारी अंकित की जाये। जिससे कुंड देखने आने वाले लोगों का अन्य प्राकृतिक धार्मिक ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंचना सुनिश्चित हो सके। उन्होंने निर्देश दिए की ग्राम पंचायत यहां पर साफ - सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके अलावा यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जायें। कलेक्टर ने  गजना-धरमपुर-पहाड़ीखेरा मार्ग में स्थित रिपटा का अवलोकन किया और यहां पर संकेतक बोर्ड लगाने के निर्देश दिये ताकि कोई दुर्घटना  घटित न  हो। उन्होंने मौके पर उपस्थित ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री को निर्देश दिये कि मार्ग  निर्माण एवं पुलिया निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें।

ज्वालामुखी कृत बृहस्पति कुंड का दिलकश है नजारा

बाघिन नदी के प्रवाह क्षेत्र पर बना ज्वालामुखी कृत बृहस्पति कुंड का नजारा दिलकश और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। मानसून सीजन में घोड़े के नाल की आकृति में जब बाघिन नदी इठलाते हुये गहरी घाटी में गिरती है, तब जो द्रश्य निर्मित होता है और उसे देखकर जिस तरह की अनुभूति होती है उसे बयां कर पाना कठिन है। बृहस्पति कुंड जलप्रपात का क्षेत्र प्राकृतिक रूप से तो मनभावन है ही यह धार्मिक-पौराणिक, ऐतिहासिक और आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है  । एक कथा अनुसार देवगुरु बृहस्पति ने यहां पर यज्ञ किया था । ऋषि मुनियों के अनेक आश्रम भी यहाँ रहे हैं। त्रेता युग में भगवान राम अपने चित्रकूट वनवास काल में सीता और लक्ष्मण के साथ यहाँ ऋषि-मुनियों के दर्शन करने आये थे । यहाँ की गुफाओं और चट्टानों पर आदिमानवों द्वारा हजारों साल पहले बनाये गये शैलचित्र आज भी मौजूद हैं। अधिकांश शैलचित्रों में शिकार , आदिमानवों की तत्कालीन गतिविधियाँ और वन्य जीवों के चित्र हैं। आर्थिक महत्व के रूप में इस जलप्रपात के आसपास हीरे की खदानें भी हैं जहाँ बड़ी संख्या में लोग अपनी किस्मत चमकाने की मंशा से बेशकीमती हीरों की तलाश करते हैं। मालुम हो कि पन्ना के निकट मझगंवा से लेकर पहाड़ीखेरा तक हीरा धारित पट्टी है जहाँ किम्बरलाइट चट्टाने बहुतायत में पाई जाती हैं, जिनमें हीरे मिलते हैं।

अवैध उत्खनन से नष्ट हो रहा प्राकृतिक सौन्दर्य

 

बृहस्पति कुण्ड के आसपास जंगल में चलती हैं हीरा की खदानें। 

जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 35  किमी दूर पहाड़ीखेरा के निकट स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थल बृहस्पति कुण्ड वीरान हो रहा है। रत्नगर्भा बाघिन नदी इसी कुण्ड पर गिरती है। फलस्वरूप इस नदी के प्रवाह क्षेत्र में कई किमी की लम्बाई में बेशकीमती हीरे निकलते हैं। इन्हीं हीरों की खोज में यहां पर सैकडों की संख्या में अवैध हीरा की खदानें चल रही हैं, जिससे इलाके का जंगल उजड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इस गहरे कुण्ड में अनेकों प्राचीन गुफायें भी स्थित हैं। बताया जाता है कि इन गुफाओं के भीतर ऋषि मुनि तपस्या में लीन रहा करते थे। बृहस्पति कुण्ड के पास विद्यमान आश्रम भी इंगित करता है कि किसी समय यह इलाका प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ धार्मिक आस्था का केन्द्र भी रहा है। मकर संक्रान्ति के अवसर पर इस स्थल में एक विशाल मेला भी भरता है। लेकिन अवैध उत्खनन व जंगल की हो रही अधाधुंध कटाई से इस पुरातात्विक महत्व वाले मनोरम स्थल की रौनक गायब हो रही है। जानकारों का कहना है कि बृहस्पति कुण्ड के जंगल में दुर्लभ किस्म की आयुर्वेेदिक जड़ी बूटियां प्राकृतिक रूप में प्रचुरता से पाई जाती हैं। इन जड़ी . बूटियों की खोज में आयुर्वेद के ज्ञाता व वैद्य यहां दूर . दूर से आते हैं। प्रकृति व पर्यावरण के संरक्षण में रूचि रखने वाले लोग इस अनूठे कुण्ड की दुर्दशा को देख आहत हैं। उनका कहना है कि यदि इस स्थल के संरक्षण हेतु प्रभावी कदम न उठाये गये तो आने वाले कुछ वर्षों में यह पूरा इलाका वीरान हो जायेगा। वृहस्पति कुण्ड के आसपास पाई जाने वाली जड़ी बूटियां भी जंगल की अधाधुंध कटाई व उत्खनन से विलुप्त हो जायेंगी। इस संबंध में जब खनिज विभाग से पूंछा जाता है तो उनका साफ कहना रहता है कि बृहस्पति कुण्ड के जंगल में पट्टे की हीरा खदानें नहीं चलतीं। इस क्षेत्र में जो भी खदानें चलती हैं वे अवैध हैं, लेकिन वन क्षेत्र होने के कारण इस संबंध में हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। जिले के वन अधिकारियों का कहना होता है कि यह पूरा इलाका जहां हीरा की खदानें चलती हैं वह सतना जिले में आता है। इस विचित्र भौगोलिक स्थिति के कारण यहां धड़ल्ले से अवैध खदानें चलती हैं और कोई कुछ कहने वाला नहीं है।

पन्ना में मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा

  

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। 

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत 5 वर्ष पूर्व पन्ना प्रवास के दौरान यह घोषणा की थी कि पन्ना शहर के आस-पास स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थलों व जल प्रपातों का विकास कर यहां मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्रयास किये जायेंगे ताकि बारिश के मौसम में जब पन्ना टाईगर रिजर्व के गेट पर्यटकों के भ्रमण हेतु बंद हो जायें, उस समय भी पर्यटक यहां आकर प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनन्द ले सकें। इससे यहां पर रोजगार  के नये अवसरों का जहां सृजन होगा, वहीं मन्दिरों के शहर पन्ना को एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री जी की इस सोच व घोषणा की पन्नावासियों ने सराहना की थी, लेकिन 5 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल व प्रयास नहीं हुये। मालुम हो कि पन्ना शहर के आस-पास 10 किमी के दायरे में प्राकृतिक व ऐतिहासिक महत्व के ऐसे अनेकों स्थल व जल प्रपात हैं, जिनको यदि पर्यटकों की दृष्टि से विकसित कर दिया जाये तो ये स्थल आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से 10 किमी. की दूरी पर सड़क मार्ग के निकट स्थित लखनपुर सेहा का घना जंगल तथा ऊँची मीनार जैसा नजर आने वाला यहां का मशरूम राक देखने जैसा है। गौरतलब है कि पन्ना जिले को प्रकृति ने अनुपम सौगातों से नवाजा है। यहां के हरे-भरे घने जंगल, अनूठे जल प्रपात व गहरे सेहे देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं कि यहां इतना सब है फिर भी यह इलाका उपेक्षित और पिछड़ा क्यों है? पन्ना शहर में जहां प्राचीन भव्य व विशाल मन्दिर हैं वहीं इस जिले में ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की भी भरमार है। प्रकृति तो जैसे यहां अपने बेहद सुन्दर रूप में प्रकट हुई है। यदि इन सभी खूबियों का सही ढंग से क्षेत्र के विकास व जन कल्याण में रचनात्मक उपयोग हो तो इस पूरे इलाके का कायाकल्प हो सकता है। पन्ना शहर के बेहद निकट स्थित लखनपुर का सेहा एक ऐसा स्थान है जो इस जिले को पर्यटन के क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान दिलाने की क्षमता रखता है। लखनपुर सेहा के अलावा पन्ना शहर के ही निकट गौर का चौपड़ा, खजरी कुड़ार गाँव के पास चरही, कौआ सेहा, बृहस्पति कुण्ड सहित अनेकों स्थल हैं जो उपेक्षित पड़े हैं। यदि इन मनोरम स्थलों को विकसित किया जाकर सही तरीके से प्रस्तुत किया जाये तो पर्यटक यहां खिंचे चले आयेंगे। इन सभी स्थलों को चिह्नित करते हुये वहां तक सुगम मार्ग व बुनियादी सुविधायें यदि उपलब्ध करा दी जायें तो ये स्थल बारिश के मौसम में पर्यटकों से गुलजार हो सकते हैं।

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Tuesday, August 25, 2020

दवाओं की खोज के साथ नई बीमारियां भी आविष्कृत हुईं

  •  दवाइयां बढ़ें, तो बीमारियां कम होनी चाहिए,पर हो उल्टा रहा 
  • सुरक्षा में रहने वाले लोग हो जाते हैं सर्वाधिक असुरक्षित 


आज जमीन पर जितनी दवाएं हैं, कभी भी नहीं थीं। लेकिन बीमारियां कम नहीं हुईं। बीमारियां बढ़ गई हैं। सच तो यह है कि नई-नई मौलिक बीमारियां पैदा हो गईं, जो कभी भी नहीं थीं। हमने दवाओं का ही आविष्कार नहीं किया, हमने बीमारियां भी आविष्कृत की हैं। क्या होगा कारण ?’

 ’दवाइयां बढ़ें, तो बीमारियां कम होनी चाहिए, यह सीधा तर्क है। दवाइयां बढ़ें, तो बीमारियां बढ़नी चाहिए, यह क्या है? यह कौन सा नियम काम कर रहा है?’

’असल में, जैसे ही दवा बढ़ती है, वैसे ही आपके बीमार होने की क्षमता बढ़ जाती है। भरोसा अपने पर नहीं रह जाता, दवा पर हो जाता है। बीमारी से फिर आपको नहीं लड़ना है, दवा को लड़ना है। आप बाहर हो गए। और जब दवा बीमारी से लड़ कर बीमारी को दबा देती है, तब भी आपका अपना रेसिस्टेंस, अपना प्रतिरोध नहीं बढ़ता। आपकी अपनी शक्ति नहीं बढ़ती। बल्कि जितना ही आप दवा का उपयोग करते जाते हैं, उतना ही बीमारी से आपकी लड़ने की क्षमता रोज कम होती चली जाती है। दवा बीमारी से लड़ती है, आप बीमारी से नहीं लड़ते। आप रोज कमजोर होते जाते हैं। आप जितने कमजोर होते हैं, उतनी और भी बड़ी मात्रा की दवा जरूरी हो जाती है। जितनी बड़ी मात्रा की दवा जरूरी हो जाती है, आपकी कमजोरी की खबर देती है। उतनी बड़ी बीमारी आपके द्वार पर खड़ी हो जाती है। यह सिलसिला जारी रहता है। यह लड़ाई दवा और बीमारी के बीच है, आप इसके बाहर हैं। आप सिर्फ क्षेत्र हैं, कुरुक्षेत्र, वहां कौरव और पांडव लड़ते हैं। वहां बीमारियों के जर्म्स और दवाइयों के जर्म्स लड़ते हैं। आप कुरुक्षेत्र हैं। आप पिटते हैं दोनों से। बीमारियां मारती हैं आपको; कुछ बचा-खुचा होता है, दवाइयां मारती हैं आपको। लेकिन दवा इतना ही करती है कि मरने नहीं देती, बीमारी के लिए आपको जिंदा रखती है। दवाओं और बीमारियों के बीच कहीं कोई अंतर-संबंध है।’

’अगर हम लाओत्से से पूछें, तो लाओत्से कहेगा कि जिस दिन दुनिया में कोई दवा न होगी, उसी दिन बीमारी मिट सकती हैं। लेकिन यह बात हमारी समझ में न आएगी। क्योंकि लाओत्से का तर्क ही कुछ और है। वह यह कहता है, कोई दवा न हो, तो बीमारी से तुम्हें लड़ना पड़ेगा। तुम्हारी शक्ति जगेगी। दवा का भरोसा खुद पर भरोसा कम करवाता जाता है। हम देख सकते हैं कि किस भांति हमारे शरीर दवाओं से भर गए हैं। लेकिन कोई उपाय नहीं है। क्योंकि पूरा तर्क...। इसे हम ऐसा समझें। जितनी हम सुरक्षा में हो जाते हैं, उतने असुरक्षित हो जाते हैं।

#ताओं उपनिषद-प्र-40’

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Monday, August 24, 2020

बाघों का कुनबा बढ़ने से हो रही आपसी संघर्ष की घटनायें

  •   समस्या से निपटने बफर क्षेत्र को बनाना होगा बाघों के अनुकूल
  •  बिगड़े वनों के सुधार व संरक्षण पर देना होगा ज्यादा ध्यान

नन्हे शावकों के साथ आराम फरमाती बाघिन। 

अरुण सिंह,पन्ना। समृद्ध और जीवंत जंगल में ही बाघों का रहवास होता है, बाघ की मौजूदगी जंगल के बेहतर स्वास्थ्य का परिचायक है। मध्यप्रदेश में पन्ना जिले का जंगल आदिकाल से बाघों का प्रिय रहवास स्थल रहा है, लेकिन तेजी से मानव आबादी बढ़ने के साथ ही बाघों के लिए कभी अनुकूल रहे वन क्षेत्रों में दखलंदाजी व मानवीय गतिविधियां शुरू हो गई। जंगल कटने से बाघों के आशियाना उजड़ने लगे और हालात यह हुए कि एक सीमित वन क्षेत्र में बाघों का ठिकाना सिमट गया। चूंकि बाघ एक ऐसा वन्य प्राणी है जो अपनी टेरिटरी बनाकर रहता है। इस नैसर्गिक स्वभाव के कारण जब किसी सीमित वन क्षेत्र में बाघों के कुनबे का विस्तार होता है तो टेरिटरी के लिए उनके बीच आपसी संघर्ष शुरू हो जाता है। पन्ना टाइगर रिजर्व की स्थिति भी अब कुछ ऐसी ही निर्मित हो गई है।

 उल्लेखनीय है कि 576 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले पन्ना टाइगर रिजर्व में बीते 10 वर्षो के दौरान बाघों के कुनबे का तेजी से विस्तार हुआ है। विगत 10 वर्ष पूर्व यहां का जंगल बाघों से विहीन हो गया था लेकिन बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता के चलते अल्प समय में ही पन्ना टाइगर रिजर्व बाघों से आबाद हो गया। अब तो आलम यह है कि यहां बाघों की संख्या कोर क्षेत्र की धारण क्षमता से अधिक हो गई है। इसका परिणाम यह हुआ कि जंगल में अच्छे इलाके पर कब्जा जमाने के लिए यहां के वयस्क नर बाघों के बीच खूनी संघर्ष शुरू हो गया है, जिसमें अब तक कई बाघों की मौत हो चुकी है। वन्य प्राणी विशेषज्ञों का यह मानना है कि बाघों के बीच होने वाली यह टेरिटोरियल फाइट नैसर्गिक है, इसे कम करने का एक ही उपाय है कि कोर क्षेत्र के अतिरिक्त बाघों को बफर क्षेत्र के जंगल में अनुकूल माहौल व सुरक्षा दी जाये ताकि वे यहां अपना इलाका निर्धारित कर सकें।

 बफर क्षेत्र का प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती

 

निगरानी कैम्प में वनकर्मियों को खाद्य सामग्री प्रदान करते क्षेत्र संचालक। 

पन्ना टाइगर रिजर्व के अतिरिक्त बाघों को कोर क्षेत्र के चारों तरफ 1021.97 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले बफर के जंगल को सुरक्षित और संरक्षित करते हुए बाघों के अनुकूल बनाना मौजूदा समय पार्क प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि इस दिशा में दूरदर्शिता दिखाते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस.भदौरिया ने विगत 2 वर्ष पूर्व ही पहल शुरू कर दी थी। उन्होंने भविष्य की जरूरतों व बाघों के रहवास  को लेकर आने वाली समस्याओं का पूर्वानुमान लगाते हुए अकोला बफर क्षेत्र के बिगड़े वन को सुरक्षित करने की पहल की थी, जिसके अच्छे नतीजे दिखने लगे हैं। यह क्षेत्र झाड़ियों और पेड़-पौधों से न सिर्फ हरा - भरा हो गया है अपितु बाघों का नया ठिकाना भी बन चुका है। कोर क्षेत्र में हो रहे आपसी संघर्ष को देखते हुए अकोला बफर की तर्ज पर दूसरे वन क्षेत्रों को भी इसी तरह बाघों के लिए अनुकूल बनाने की पहल करनी होगी। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया बताते हैं कि जनभागीदारी से बाघ संरक्षण की सोच को उन्होंने जमीनी स्तर पर मूर्त रूप देने का प्रयास किया है। इसके लिए वन क्षेत्रों से लगे ग्रामों में जहां जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, वहीं ग्रामीणों को जंगल के महत्व व लाभों की जानकारी देकर उन्हें सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आपने बताया कि बफर क्षेत्र में कोर जैसा प्रबंधन व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में निगरानी कैम्प बनाये गये हैं जहां वनकर्मी रहकर जंगल की सुरक्षा के साथ-साथ वन्य प्राणियों की गतिविधियों पर भी नजर रखते हैं।

बाघिन टी-2 ने सातवीं बार दिया शावकों को जन्म 

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन टी-2 ने सातवीं बार शावकों को जन्म दिया है। दिल को सुकून देने वाली यह खबर उस समय आई है जब आपसी संघर्ष के चलते हुई बाघों की मौत को लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व चर्चा में है।  बताया जा रहा है कि पन्ना की सफलतम रानी कही जाने वाली इस बाघिन ने करीब 9 माह पहले 3 शावकों को जन्म दिया था। कुछ दिन बाद से तीसरा शावक वनकर्मियों को बाघिन के साथ नजर नहीं आ रहा था। जंगल में लगे कैमरों में भी बाघिन 2 शावकों के साथ नजर आ रही थी। इससे तीसरे शावक के साथ अनहोनी की अटकलें लगाईं जा रहीं थी। लेकिन पिछले दिनों टाइगर रिजर्व के गश्ती दल को बाघिन अपने तीसरे शावक के साथ अठखेलियां करती नजर आई है। गश्तीदल ने बाघिन और उसके शावकों का वीडियो बनाकर अधिकारियों को दिखाया है। उन्होंने भी    बाघिन की पहचान टी-2 के रूप में की है। मालुम हो कि पन्ना के बाघों का एक तिहाई कुनबा बाघिन टी-2 का ही है, यही वजह है कि इसे पन्ना की सफलतम रानी कहा जाता है। 

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Saturday, August 22, 2020

आदिवासी से कीमती हीरा हड़पने वाले आरोपी गिरफ्तार

 

आदिवासी से हीरा हड़पने वाले आरोपी साथ में पुलिसकर्मी।  

अरुण सिंह,पन्ना। हीरा खदानों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में एक गरीब आदिवासी से लगभग 8 लाख रुपये कीमत का हीरा छलपूर्वक हड़पने वाले दो आरोपियों को पन्ना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। फरियादी राम विश्वास गौड़ निवासी ग्राम खिरवा थाना बृजपुर ने बताया कि तीन-चार माह पूर्व खेत में काम करते समय उसकी बहन ममता गोंड को हीरा मिला था। इस हीरा को नियमानुसार मुझे हीरा कार्यालय में जमा कराना था, लेकिन पन्ना निवासी छोटू जड़िया मुझसे यह कह कर हीरा ले लिया कि वह इसे जमा कराकर उसको रसीद दे देगा। छोटू जड़िया पर भरोसा करके मैंने हीरा दे दिया लेकिन उसने हीरा जमा नहीं किया।

 मामले की जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने बताया कि 40 वर्षीय राम विश्वास गोंड ने गत 21 अगस्त को बृजपुर थाने में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। फरियादी की रिपोर्ट पर थाने में धारा 379, 420 भादवि का मामला कायम कर विवेचना में लिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने एक टीम का गठन किया जिसने त्वरित कार्यवाही करते हुए शनिवार 22 अगस्त को बायपास रोड पन्ना से आरोपी छोटू जड़िया व उसके साथी शुभम जैन को धर दबोचा। पुलिस द्वारा पूछताछ किए जाने पर छोटू जड़िया ने बताया कि शुभम जैन के साथ मिलकर उसने छल पूर्वक राम विश्वास से 3 कैरेट 29 सेन्ट वजन का हीरा हड़पा है। इस हीरे की अनुमानित कीमत लगभग 8 लाख रूपये है। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से हीरा बरामद कर लिया है।

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पन्ना में 90 एवं 85 साल के बुजुर्ग दम्पत्ति ने दी कोरोना को मात

  • अब तक 217 कोरोना पॉजिटिव मरीजों में 200 मरीज हो चुके हैं स्वस्थ
  • पन्ना जिले में अभी तक नहीं हुई किसी कोरोना पॉजिटिव मरीज की मृत्यु

कोरोना को मात देने वाले 90 एवं 85 साल के बुजुर्ग दम्पत्ति का स्वागत करते स्वास्थ्य कर्मचारी। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना पॉजिटिव 90 एवं 85 साल के बुजुर्ग दम्पत्ति ने कोरोना को मात दी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि पन्ना जिले में कोविड बीमारी को लेकर शुरूआत से बनाई गई योजना के अनुसार बेहतर प्रबंधन के चलते अब तक की स्थिति सामान्य बनी हुई है, इसी क्रम में 22 अगस्त 2020 को डेडीकेटेड कोविड हेल्थ सेन्टर जिला चिकित्सालय पन्ना में भर्ती 90 एवं 85 साल के कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग दम्पत्ति कोरोना को मात देकर स्वस्थ होने के उपरांत कोविड हेल्थ सेंटर से डिस्चार्ज कर होम आईसोलेट कर दिये गये हैं। जिले में शनिवार 22 अगस्त को 4 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। अब तक कुल 217 कोरोना पॉजिटिव प्रकरण पाये जा चुके हैं, जिनमें से  200 पॉजिटिव मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर अपने घर वापिस जा चुके हैं। इस तरह से मौजूदा समय जिले में कोविड-19 के एक्टिव पुष्ट केसों की संख्या 17 है। 

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तिवारी ने बताया कि जिले में कोविड मरीजों के प्रबंधन हेतु कुल 08 कोविड केयर सेन्टर एवं 02 डेडीकेटेड कोविड हेल्थ सेन्टर निर्धारित किये गये हैं। जिले में गुनौर, पवई, अजयगढ़ सहित जिला मुख्यालय पर चिन्हित किए गये 08 कोविड केयर सेन्टर में 450 आईसोलेशन बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध है तथा निर्धारित 02 डेडीकेटेड कोविड हेल्थ सेन्टर में 75 सेन्ट्रल ऑक्सीजन सप्लाई युक्त बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध है। जिनमें अब तक डीसीएचसी जिला चिकित्सालय पन्ना में 22, सीसीसी जिला चिकित्सालय पन्ना में 41, सीसीसी अजयगढ़ में 42, सीसीसी मॉडल स्कूल पन्ना में 82 एवं सीसीसी पवई में 28 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती कर उनको आवश्यक उपचार, भोजन, दूध, फल इत्यादि प्रदाय कर प्रबंधन किया गया है। इसके अतिरिक्त गंभीर लक्षण वाले 02 पॉजिटिव मरीजों को सागर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था, जिनका जिले से लगातार फॉलोअप किया गया एवं वर्तमान में वह भी स्वस्थ होकर वापिस घर जा चुके हैं। जिले में जिला मुख्यालय एवं ब्लाक, तहसील स्तर पर कुल 08 फीवर क्लीनिक की स्थापना की गई है, जहां पर सर्दी, जुकाम एवं बुखार के अब तक 4271 मरीजों को देखा गया है जिनमें से 2198 संदिग्ध व्यक्तियों के सैम्पल कलेक्ट किये गये हैं।   

आपने बताया कि जिले में अब तक कोरोना के 10790 सैम्पलों की जांच कराई जा चुकी है, जिनमें कुल 215 कोरोना पॉजिटिव प्रकरणों की पुष्टि हुई है तथा शेष 02 प्रकरण अन्य जिलों व राज्यों में पॉजिटिव पाये गये हैं। प्रदेश में वर्तमान में पॉजिटिविटी दर 4.37 है, जबकि पन्ना जिले की पॉजिटिविटी दर 2.12 है, जो कि प्रदेश की पॉजिटिविटी दर से कम है। इसी प्रकार प्रदेश का रिकव्हरी दर 75.4 है, जबकि पन्ना जिले का रिकव्हरी दर 93.26 है, जो कि प्रदेश के अनुपात से काफी अधिक है। प्रदेश में मृत्यु की दर 2.4 है, जबकि पन्ना जिले में आज दिनांक तक किसी भी कोरोना पॉजिटिव मरीज की मृत्यु नही हुई है। जो कि हमारे जिले के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला सहित प्रदेश में मात्र 04 जिले ही ऐसे हैं, जहां एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु अब तक नही हुई है। जिसको देखते हुए हमारा मुख्य उद्देश्य यही है कि जिले में मरीजों का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जाये, जिससे मृत्यु को रोका जा सके। प्रदेश में अब तक कोविड-19 बीमारी से हुई मृत्यु के प्रकरणों में देखने में पाया गया है कि कुल मृत्यु में से 90 प्रतिशत मरीज Co-Morbidities से संबंधित बीमारियों से पूर्व से पीड़ित थे। जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि Co-Morbidities से पीड़ित व्यक्तियों में कोविड-19 बीमारी के कारण मृत्यु होने की ज्यादा आशंका है। जिसको देखते हुए इसके लिए जिले में विशेष अभियान के तहत आशा,एएनएम द्वारा घर-घर सर्वे कर बीपी, डायबिटीज, टीबी, अस्थमा एवं हृदय रोग से संबंधित व्यक्तियों को चिन्हांकित कर उनको तत्काल आवश्यक उपचार प्रदाय करने के निर्देश दिये गये हैं। जिससे उनमें कोविड बीमारी के संक्रमण होने पर मृत्यु की संभावना को रोका जा सके। 

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गृहमंत्री ने ‘’पॉक्‍सो एक्‍ट - अन्‍वेषण एवं विचारण’’ पुस्तक का किया विमोचन

 

 ‘’पॉक्‍सो एक्‍ट - अन्‍वेषण एवं विचारण’’ पुस्तक का विमोचन करते गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा ।

   अरुण सिंह,पन्ना।  म.प्र. लोक अभियोजन द्वारा राजधानी भोपाल में पुस्‍तक विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। पन्‍ना जिला के मीडिया सेल प्रभारी ऋषिकांत द्विवेदी ने बताया गया कि कार्यक्रम में ‘’पॉक्‍सो एक्‍ट - अनुसंधान एवं विचारण’’ विषय पर लिखी गई पुस्‍तक का विमोचन  गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा द्वारा किया गया। यह पुस्‍तक  पुरूषोत्‍तम शर्मा महानिदेशकध्संचालक लोक अभियोजन म.प्र. एवं सुश्री सीमा शर्मा म.प्र. राज्‍य समन्‍वयक पॉक्‍सो एक्‍टध् एडीपीओ रतलाम द्वारा लिखी गई है। कार्यक्रम में म.प्र. के गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा  मुख्‍य अतिथि एवं अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव गृह विभाग म.प्र. शासन डॉ. राजेश कुमार राजोरा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में म.प्र. लोक अभियोजन के वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री मौसमी तिवारी प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी लोक अभियोजन, एवं सुश्री सीमा शर्मा राज्‍य समन्‍वयक पॉक्‍सो एक्‍ट मध्‍यप्रदेश द्वारा किया गया। 

पुस्‍तक का विमोचन करते हुए मुख्‍य अतिथि गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा  द्वारा इस पुस्‍तक को लिखने के लिए पुरूषोत्‍तम शर्मा एवं सुश्री सीमा शर्मा को बधाई दी गई, साथ ही उन्‍होंने लॉकडाउन के कठिन समय में ऐसे संवेदनशील विषय पर पुस्‍तक लेखन का कार्य करने के लिए श्री शर्मा की प्रशंसा की। पुस्‍तक के विषय में उन्‍होंने कहां कि इस पुस्‍तक से मध्‍य प्रदेश ही नहीं वरन् समूचे देश को लाभ मिलेगा।

 लैंगिक शोषण के अपराधियों को मिलेगी कड़ी सजा - गृहमंत्री

गृहमंत्री ने इस अवसर पर बोलते हुए कहां कि म.प्र. सरकार नौनिहालों के विरूद्ध हो रहे किसी भी प्रकार के लैंगिक शोषण को बर्दाश्‍त नही करेगी और ऐसे घृणित अपराधों को करने वाले अपराधियों को कडी से कडी सजा दिलाने हेतु म.प्र. सरकार प्रतिबद्ध है। स्‍वयं को गोरान्वित महसूस करते हुए  गृहमंत्री ने कहां कि मैं एक ऐसे विभाग का पालक मंत्री हूं जो मानवता के विरूद्ध हो रहे सबसे घृणित अपराधों के विरूद्ध अपनी पूरी क्षमता और उर्जा के साथ प्रदेश का प्रतिनिधित्‍व कर रहा है। एक ऐसा विभाग जिसका नाम संपूर्ण भारत में बालकों के विरूद्ध लैंगिक शोषण के अपराधों में सर्वाधिक फांसी की सजा कराने के लिए ‘’ वर्ल्‍ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन ‘’ में दर्ज किया गया है। उन्‍होंने म.प्र. लोक अभियोजन विभाग को और अधिक मजबूत और सुदृढ करने हेतु आश्‍वस्‍त किया।

           बच्‍चे देश का भविष्‍य, उनकी सुरक्षा सरकार व समाज दोनों की जिम्‍मेदारी 

इस अवसर पर अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव, म.प्र. गृह विभाग डॉ. राजेश कुमार राजोरा ने कहां कि बच्‍चे हमारे देश का भविष्‍य है इसलिए उनकी सुरक्षा और विकास सरकार और समाज दोनेां की जिम्‍मेदारी है। उन्‍होंने लॉकडाउन  के समय में यह पुस्‍तक लिखे जाने पर प्रशंसा व्‍यक्‍त करते हुए पुरूषोत्‍तम शर्मा एवं सुश्री सीमा शर्मा जी को बधाई दी और कहां कि निश्चित ही यह पुस्‍तक प्रदेश और देश के कई अभियोजकों, वकीलों के साथ ही आम आदमी के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होगी।

           लैंगिक उत्‍पीडन के शिकार  बालक-बालिकाओं को पुस्‍तक सम‍र्पित

 महानिदेशकध्संचालक लोक अभियोजन म.प्र.पुरूषोत्‍तम शर्मा ने ‘’पाक्‍सो एक्‍ट - अनुसंधान एवं विचारण ‘’ पुस्‍तक के विषय में बताते हुए कहां कि बच्‍चों पर हो रहे लैंगिक अत्‍याचारों की घटनाएं मुझे कचोट रही थी और यही इस पुस्‍तक को मूर्त रूप देने की प्रेरणा बनी। इस अवसर मैं हमारी राज्‍य समन्‍वयक पॉक्‍सो एक्‍टध् एडीपीओ सुश्री सीमा शर्मा को धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने लॉकडाउन के समय में अपनी पूरी निष्‍ठा से पुस्‍तक में मेरा सहयोग किया। श्री शर्मा ने बताया कि यह  पुस्‍तक दो महत्‍वपूर्ण विषयों पर केंद्रित है। प्रथम बच्‍चों के विरूद्ध होने वाले लैंगिक अपराधों के संबंध में विधिक प्रावधानों, प्रक्रिया और उनके अनुपालन के संबंध में उल्‍लेख है तथा द्वितीय, अन्‍वेषण और विचारण के लिए एक संक्षिप्‍त मार्गदर्शिका उपलब्‍ध कराने से संबंधित है। साथ ही यह पुस्‍तक कई अध्‍यायों मे विभाजित है जिसमें कुछ अध्‍याय अन्‍वेषण एजेंसी के लिए उपयोगी हैं। एक अध्‍याय चिकित्‍सक समुदाय के लिए, कुछ अध्‍याय चिकित्‍सक बालकों के कल्‍याण और काउंसलिंग संस्‍थाओं के लिए और कुछ अध्‍याय अभियोजक अधिकारियों के लिए उपयोगी रहेंगे। इस पुस्‍तक में सुश्री सीमा शर्मा के अभियोजन संचालन के ज्ञान तथा कौशल का सार तथा अपने पुलिस करियर के समस्‍त अनुसंधान अनुभव के सार तथा माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय एवं माननीय उच्‍च न्‍यायालय के न्‍याय निर्णय एवं अन्‍य केस स्‍टडी के माध्‍यम से यह पुस्‍तक लिखने का प्रयास किया गया है।

 बालकों के प्रति बढते लैंगिक शोषण के अपराधों पर चिंतित होते हुए श्री शर्मा ने कहां कि ऐसे अपराधियों को कडी से कडी सजा कराने की आवश्‍यकता है और ऐसे अपराधों में सजा का प्रतिशत भी बढाने की जरूरत है। इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए मेरे द्वारा सुश्री सीमा शर्मा एडीपीओ को म.प्र. राज्‍य समन्‍वयक पॉक्‍सो एक्‍ट नियुक्‍त किया गया है। जिनके कुशल नेतृत्‍व में ऐसे अपराधों में कडी से कडी सजा कराई जा कर सजा का प्रतिशत बढाया जा सकेगा। अंत में श्री शर्मा द्वारा यह पुस्‍तक लैंगिक उत्‍पीडन के शिकार अबोध बालक-बालिकाओं को समर्पित की गई। सुश्री सीमा शर्मा द्वारा पुस्‍तक लेखन हेतु प्रेरणा एवं मार्गदर्शन हेतु  संचालक पुरूषोत्‍तम शर्मा जी का आभार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि पॉक्‍सो से संबंधित समस्‍त बातों पर उचित समीक्षा उपरांत सभी पहलूओं को समाहित करने का प्रयास किया‍ है। पुस्‍तक विमोचन अवसर पर जिला अभियोजन अधिकारी भोपाल राजेन्‍द्र उपाध्‍याय, सहायक संचालक  अमित शुक्‍ला,  उदयभान रघुवंशी,  लोकेन्‍द्र द्विवेदी, मीडिया सेल प्रभारी भोपाल  मनोज त्रिपाठी एडीपीओ  बिहारी सिंह बघेल प्रमुख रूप से उपस्थित रहें। कार्यक्रम के अंत में सुश्री मौसमी तिवारी प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी लोक अभियोजन  द्वारा सभी अतिथियों, अधिकारियों एवं उपस्थित पत्रकारों का आभार प्रकट किया गया।

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Friday, August 21, 2020

झमाझम बारिश के बीच अधीक्षण यंत्री ने देखा बरबीरा बांध

  • भारी बारिश की चेतावनी के चलते सिंचाई विभाग हुआ अलर्ट 
  •  उठे सवालों पर अधीक्षण यंत्री ने कहा सुरक्षित है बरबीरा बांध

पन्ना जिले के बरबीरा बांध का निरीक्षण करते अधीक्षण यंत्री। 

अरुण सिंह,पन्ना। बुंदेलखंड क्षेत्र के कई जिलों में पिछले दो दिनों से झमाझम बारिश हो रही है, जिससे नदी व नाले उफान पर हैं। सागर संभाग के जिलों में भी भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है, जिसे देखते हुए सिंचाई विभाग के अधिकारी नवनिर्मित सिंचाई जलाशयों व बांधों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट हो गये हैं। शुक्रवार 21 अगस्त को अधीक्षण यंत्री छतरपुर राम सिंह कुशवाह ने पन्ना जिले का दौरा किया। उन्होंने जल संसाधन विभाग पन्ना के कार्यपालन यंत्री बी.एल. दादोरिया के साथ झमाझम बारिश के बीच बरबीरा बांध का जायजा लिया तथा मौके पर मौजूद एसडीओ व सब इंजीनियर को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

 उल्लेखनीय है कि  जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 25 किलोमीटर दूर बराछ गांव के निकट बरबीरा नाला पर बीते वर्ष बांध का निर्माण कराया गया था जो इस वर्ष लबालब भरा हुआ है। झमाझम हो रही बारिश के चलते अपनी पूरी क्षमता के अनुरूप लबालब भरने के बाद विगत कई दिनों से इस बांध का पानी ओवरफ्लो होकर बेस्ट बीयर से निकल रहा है। जिसे देखते हुए यह चर्चा होने लगी कि बरवीरा बांध में दरारें आ चुकी हैं और वह फूट सकता है। बांध की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाये जा रहे थे। अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग छतरपुर ने शुक्रवार को इस बांध का मौके पर जाकर निरीक्षण करने के बाद पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि बराछ गांव के पास बना बरबीरा बांध गुणवत्ता के निर्धारित मापदंडों के अनुरूप बना है तथा भारी बारिश व बांध के लबालब भरने के बावजूद वह पूरी तरह सुरक्षित है। 

अधीक्षण यंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि पूर्व में यहां अतिवृष्टि के चलते चूंकि बांध टूट चुके हैं इसलिए जब भी अधिक बारिश होती है तो नवनिर्मित बांधों को लेकर सवाल उठने लगते हैं। उन्होंने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि अच्छे कार्यों पर भी तथ्यों को बिना जांचे परखे सवाल खड़े किए जाते हैं। श्री कुशवाह ने बरबीरा बांध को न सिर्फ सुरक्षित बताया अपितु यह भी कहा कि यह पन्ना जिले के बेहतरीन बांधों में से एक है। जिसका लाभ अंचल कि किसानों को इस वर्ष रबी सीजन में मिला है। फसलों की सिंचाई होने से इस वर्ष गेहूं की जहां बंपर पैदावार हुई है वही तकरीबन 6-7 सौ एकड़ में धान की फसल भी लगाई गई है। कार्यपालन यंत्री श्री दादौरिया ने बताया कि बराछ से गौरा तक साढे पांच किलोमीटर लंबी नहर है जिससे बराछ सहित शिवराजपुर, डोभा व गौरा गांव के किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है।

बांध में कहीं दरार नहीं सिर्फ रेन कट

बरबीरा बांध का निरीक्षण करने के उपरांत अधीक्षण यंत्री श्री कुशवाह ने बताया कि इस बांध में कहीं भी दरार नहीं है सिर्फ रेन कट हैं जो तेज बारिश में होते ही हैं। इन रेन कट से बांध को कोई खतरा नहीं है। बारिश रुकने पर इनको मिट्टी से भर दिया जाएगा। अंदर की तरफ बांध में पिचिंग है सिर्फ बाहर की तरफ ढाल में कहीं-कहीं रेन कट हैं जिसको लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। आपने बताया कि गत वर्ष भी इस बांध में पानी भर चुका है और इस वर्ष यह अपनी पूरी क्षमता के अनुरूप भरा है। अधीक्षण यंत्री ने बताया कि नाला बेड से पानी की क्षमता 13 मीटर लगभग 40 फीट है। कार्यपालन यंत्री बी.एल. दादौरिया ने बताया कि भारी बारिश की चेतावनी को दृष्टिगत रखते हुए जिले के सभी बांधों की निगरानी बढ़ा दी गई है।

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Wednesday, August 19, 2020

पुराना पन्ना में विकसित होगा नया साप्ताहिक हाट बाजार

  • चिन्हित भूमि पर लगभग 450 दुकानदारों के बैठने की होगी व्यवस्था
  • हाट बाजार निर्माण हेतु प्रस्ताव तैयार करने कलेक्टर ने दिये निर्देश 

नवीन साप्ताहिक हाट बाजार के लिये स्थल निरीक्षण करते कलेक्टर साथ में अधिकारी। 

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना में वाहन पार्किंग सहित अन्य जरुरी सुविधाओं से युक्त्त साप्ताहिक हाट बाजार की आवश्यकता को द्रष्टिगत रखते हुये पुराना पन्ना में साप्ताहिक हाट बाजार विकसित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने नगरवासियों और साप्ताहिक रविवारीय बाजार में आने वाले दुकानदारों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए पुराने पन्ना में हाट बाजार निर्माण के लिए भूमि चिन्हित की है। चिन्हित की गयी भूमि पर लगभग 450 दुकानदारों के बैठने की व्यवस्था, लगभग 150 ठेली लगाने की व्यवस्था के लिए हाट बाजार निर्माण करने के लिए आरईएस एवं नगरपालिका को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये हैं। 

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में लगने वाला साप्ताहिक रविवारीय बाजार नगर के अन्दर लगने के कारण आने-जाने का मार्ग अवरूद्ध होने के साथ स्थान की संर्कीणता के कारण व्यापारियों एवं ग्राहकों को कठिनाई का सामना करना पडता है। वहीं नगरवासियों को बाजार वाले दिन वाहन से आने जाने में असुविधा का सामना करना पडता है। वर्तमान के बाजार स्थल पर वाहन पार्किंग की व्यवस्था भी उपलब्ध नही है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए नये स्थान पर साप्ताहिक हाट बाजार लगाने के लिए निर्माण कार्य कराया जाना प्रस्तावित है। जो आगे आने वाले समय में भी नगरवासियों के लिए उपयुक्त रहेगा। यह भूमि बडी देवी मंदिर के पीछे चयनित की गयी है। इस स्थान पर तीन ओर से पहुंचने के लिए मार्ग पूर्व से बने हुए हैं। बाहर से परिवहन कर सब्जी, फल आदि लाने के लिए वायपास मार्ग की सुविधा है। इसी प्रकार बाजार में आने वाले नगरवासियों के लिए भी पूर्व से निर्मित मार्ग उपलब्ध हैं। इस हाट बाजार के बनने से व्यापारियों एवं नगरवासियों को सुविधा मुहैया हो सकेगी। उन्होंने आईईएस एवं नगरपालिका के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि हाट बाजार का प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र प्रस्तुत करें। कलेक्टर श्री शर्मा ने नगरवासियों एवं वाहनो के आवागमन की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए नवीन बस स्टैण्ड बनाये जाने के लिए वायपास पर भूमि का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने तहसीलदार प्रेमनारायण सिंह, सुश्री दिव्या जैन, हल्का पटवारी को निर्देश दिए कि वायपास पर स्थित कचरा प्रसंस्करण एवं गौ सदन के पीछे राजस्व की भूमि का सीमांकन करने के साथ चिन्हित भूमि की जानकारी उपलब्ध करायें। जिससे नवीन बस स्टैण्ड बनाने का प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा जा सके। 

किलकिला कुण्ड में लगेगी सुरक्षा रैलिंग

किलकिला नदी के कुण्ड प्रपात का अवलोकन करते कलेक्टर, यहीं पर बनेगा स्टॉप डेम।  

कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा ने नगर से होकर प्रवाहित होने वाली किलकिला नदी के कुण्ड प्रपात का अवलोकन किया। वर्तमान में नदी में बरसाती पानी के तेज बहाव एवं कुण्ड में प्रपात बनाने वाले स्थल का निरीक्षण किया। यहां पर उन्होंने कुण्ड की गहराई एवं नदी के प्रवाह को दृष्टिगत रखते हुए नगरपालिका को निर्देश दिए कि प्रवाहित क्षेत्र में कुण्ड के ऊपर रैलिंग लगाई जाए जिससे किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। वर्तमान में इस स्थान पर दुर्घटना संभावित क्षेत्र घोषित कर प्रवाह स्थल के आसपास न जाने के निर्देश का सूचना पटल लगाया गया है। इसके साथ ही इस स्थान पर पुलिस बल या नगर सैनिक लगाये गये हैं। जिससे दुर्घटना संभावित क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति प्रवेश न कर सके। आगामी आने वाले समय में इस स्थान पर रैलिंग लगाये जाने से दुर्घटना की संभावना खत्म हो   जायेगी। 

नदी के पानी को संरक्षित करने बनेगा स्टाप डेम 

कलेक्टर श्री  शर्मा ने नदी में बहकर जाने वाले बरसाती पानी को संरक्षित करने के लिए आरईएसध्जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि नदी के प्रवाह क्षेत्र एवं घाटों का सर्वे कर स्टाप डेम बनाये जाने का प्रस्ताव तैयार करें। सर्वे में इस बात का ध्यान रखा जाए कि स्टाप डेम बनने पर नदी के किनारे स्थित किसी भी तरह की सम्पत्ति को हानि न हो। इस नदी पर स्टाप डेम बन जाने पर जहां एक ओर क्षेत्र का जल स्तर ऊपर उठेगा वहीं गर्मी के दिनों में जानवरों को पीने के लिए पानी और नदी के किनारे खेती करने वाले किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने मौके पर उपस्थित आरईएसध्सिंचाई, नगरपालिका के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसका प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें। 

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Tuesday, August 18, 2020

बहुप्रतिक्षित किलकिला फीडर परियोजना को मिली प्रशासकीय स्वीकृति

  •  6 करोड रूपये की लागत वाली परियोजना का शीघ्र ही प्रारंभ होगा कार्य
  •  परियोजना के मूर्तरूप लेने पर भरेगें लोकपाल सागर एवं धरम सागर तालाब

किलकिला फीडर का अवलोकन करते कलेक्टर श्री शर्मा साथ में कार्यपालन यंत्री बी.एल. दादौरिया। 

अरुण सिंह,पन्ना। शहर के जीवनदायी दो प्राचीन जलाशयों को बारिश के मौसम में लबालब भरने के लिये विगत लम्बे समय से किलकिला फीडर को पुनः चालू कराने की मांग की जा रही थी। पिछले लगभग 4 दशकों में इस बावत कई बार प्रयास भी किये गये किन्तु कोई ठोस प्रगति नही हुई। लेकिन अब स्थानीय मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह एवं सांसद बी.डी. शर्मा के सक्रिय प्रयासों से बहुप्रतिक्षित किलकिला फीडर परियोजना के मूर्तरूप लेने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मालुम हो कि जिला मुख्यालय पन्ना स्थित प्राचीन लोकपाल सागर एवं धरम सागर तालाब से पन्ना नगर को जहाँ पेयजल की आपूर्ति होती है वहीँ खेतों में फसलों की सिंचाई भी की जाती है। अल्प वर्षा होने की स्थिति में आमतौर पर ये दोनों प्राचीन तालाब अपनी क्षमता के अनुरूप भर नहीं पाते जिससे गर्मियों में पन्ना नगरवासियों को जहाँ पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है वहीँ किसानों को भी सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। परियोजना के मूर्तरूप लेने पर इस समस्या का निराकरण हो जायेगा। 

उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर के इन दोनों प्राचीन तालाबों को भरने के लिए किलकिला फीडर नाम से स्टेट समय में नहर बनाई गयी थी। परन्तु कालांतर में रख रखाव के अभाव एवं अतिक्रमण के कारण यह नहर बंद हो गयी थी। वर्तमान में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने जनभावना एवं मीडिया के द्वारा उठाये गये मुद्दे को ध्यान में रखते हुए पानी की समस्या का निराकरण करने के लिए इस काम को गंभीरता से लिया। उन्होंने इस पूरे कार्य का सर्वे कराया। स्टीमेट बनवाकर एसई, सीई एवं ईएनसी जल संसाधन विभाग से स्वीकृत कराकर प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया। कार्य में निरंतरता बनाए रखने के लिए बीएमएस फंड से राशि स्वीकृत कर कार्य शुरू कराया गया। कार्य के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए  मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह एवं  सांसद  बी.डी. शर्मा द्वारा प्रयास किये गये। इस महत्वपूर्ण मुद्दे को मंत्री श्री सिंह ने उठाते हुए स्वयं जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, जल संसाधन मंत्री से चर्चा की गयी। जिसके परिणाम स्वरूप राज्य शासन से इस बहुप्रतिक्षित परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। इस परियोजना में लगभग 6 करोड रूपये की लागत आयेगी। विभाग शीघ्र ही इस परियोजना के लिए निविदाएं आमंत्रित कर कार्य प्रारंभ करेगा। जल संसाधन विभाग पन्ना के कार्यपालन यंत्री बी.एल. दादौरिया ने बताया कि किलकिला फीडर का कुछ कार्य कराया गया है। अब इस परियोजना के लिए  राज्य शासन से प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त होने पर नहर निर्माण सहित अन्य कार्य पूरे हो सकेंगे। आपने बताया कि इस वर्ष तो नहीं लेकिन आगामी वर्ष से किलकिला फीडर के द्वारा पन्ना के दोनों बड़े तालाबों को बारिश के पानी से भरा जा सकेगा। 

जिले में अब तक 670.8 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

अधीक्षक भू-अभिलेख ने बताया कि पन्ना जिले की औसत वर्षा 1176.4 मि.मी. है। जिसमें जिले में गत 01 जून से अब तक 670.8 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गयी है। अभी तक वर्षामापी केन्द्र पन्ना में 803.7 मि.मी., गुनौर में 786.7 मि.मी., पवई में 724.0 मि.मी., शाहनगर में 524.1 मि.मी. तथा अजयगढ में 515.6 मि.मी. वर्षा दर्ज की गयी है। गत वर्ष इसी अवधि पन्ना में 463.2 मि.मी., गुनौर में 373.5 मि.मी., पवई में 773.6 मि.मी., शाहनगर में 483.3 मि.मी. एवं अजयगढ में 525.3 मि.मी. वर्षा दर्ज की गयी है। उन्होंने बताया कि 18 अगस्त 2020 को जिले की औसत वर्षा 11.8 मि.मी. दर्ज की गयी है। जिसमें वर्षामापी केन्द्र गुनौर में 4.0 मि.मी., पवई में 40.2 मि.मी. तथा शाहनगर में 12.2 मि.मी. वर्षा दर्ज की गयी है।

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रेंजर की मौत के सदमे से उबर नहीं पा रहे वनकर्मी

  •   घटना से दुःखी लोगों ने जताई संवेदना, कर रहे आर्थिक मदद
  •  हाथी के हमले में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए थे रेंजर बी.आर. भगत


हांथी के हमले में असमय काल कवलित होने वाले रेंज आफीसर बी.आर. भगत। 

अरुण सिंह,पन्ना। 

जंगल में ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले 52 वर्षीय रेंज ऑफिसर बी.आर. भगत की शहादत जिन परिस्थितियों में हुई है, उससे पन्ना टाइगर रिजर्व के वन कर्मियों को गहरा आघात पहुंचा है। घटना के चार दिन गुजर जाने के बाद भी वनकर्मी सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। इस दर्दनाक हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। देश भर से वन महकमे के लोग व वन्यजीव प्रेमी जहां शोक संवेदना जता रहे हैं वहीं अनेकों लोग पीड़ित परिजनों को आर्थिक मदद के लिए भी आगे आये हैं। मालूम हो कि राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के ठीक एक दिन पूर्व 14 अगस्त को दोपहर टाइगर सर्चिंग के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व के नर हाथी रामबहादुर ने कर्तव्यनिष्ठ वन अधिकारी बी.आर. भगत को दांत से दबा कर मार दिया था। हाथी ने ऐसा क्यों और किन कारणों के चलते किया, यह एक रहस्य है जिसे समझ पाना आसान नहीं है। वजह जो भी हो लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व ने एक होनहार, मेहनती और कर्तव्यनिष्ठ वन अधिकारी को खो दिया है जिसकी भरपाई संभव नहीं है।उल्लेखनीय है कि दिल दहला देने वाला यह दर्दनाक हादसा उस समय हुआ है जब पन्ना टाइगर रिजर्व तमाम तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है। बीते 7 माह के दौरान यहां 5 बाघों की मौत हुई है, जिसको लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व की निगरानी व्यवस्था व प्रबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं। मामले की गूंज प्रदेश स्तर तक होने पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) जे.एस. चौहान हकीकत जानने पिछले दिनों पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा भी किया था। लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि श्री चौहान के जाते ही फिर एक वयस्क बाघ की आपसी संघर्ष में मौत हो गई और उसका शव तीसरे दिन केन नदी में बहते हुए मिला। इस मामले को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर चल ही रहा था कि हाथी के हमले में पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता रेंज में विगत 8 वर्षों से पदस्थ रहे वन परिक्षेत्र अधिकारी बी.आर. भगत शहीद हो गये। इस तरह लगातार हो रही घटनाओं से पन्ना टाइगर रिजर्व सुर्खियों में बना हुआ है जिसका असर यहां के आला अधिकारियों व मैदानी कर्मचारियों पर भी पड़ा है। हालात यह हैं कि अधिकारी जहां तनाव में हैं वहीं चुनौतियों और समस्याओं से जूझने वाले मैदानी वनकर्मी व महावत भी सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं।


कैसा है हांथी रामबहादुर का इतिहास



पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदा समय 14 हाथियों का एक भरा पूरा कुनबा है। इन प्रशिक्षित हाथियों का उपयोग जंगल की सुरक्षा व निगरानी तथा बाघों की सर्चिंग में किया जाता है। बारिश के मौसम में जब जंगली रास्तों पर वाहन चलाना संभव नहीं होता तथा पहाड़ी नालों पर भी पानी रहता है उस समय दुर्गम क्षेत्रों में हाथियों से ही जंगल और वन्य प्राणियों की निगरानी होती है। जहां तक हाथी रामबहादुर की बात है तो यह टाइगर सर्चिंग व निगरानी के लिहाज से बेहद उपयोगी और काबिल माना जाता है लेकिन इसका मिजाज थोड़ा आक्रामक है। यह हाथी लगभग 20 वर्ष पूर्व 1 सितंबर 2001 को संजय टाइगर रिजर्व से पन्ना लाया गया था। उस समय हाथी रामबहादुर के साथ हथिनी गंगावती तथा उसकी बेटी मोहनकली भी यहां आई थी। तकरीबन 50 - 55 वर्ष के नर हाथी रामबहादुर ने पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे उम्रदराज हथनी वत्सला को मद के दौरान वर्ष 2003 में बुरी तरह से घायल कर दिया था। अथक प्रयासों व लंबे समय तक चले उपचार के बाद किसी तरह वत्सला के प्राण बचे थे। लेकिन 5 साल बाद फिर इसी हाथी ने 2008 में वत्सला पर हमला कर उसे घायल कर दिया और यह बुजुर्ग हथिनी एक बार फिर मौत को चकमा देकर बच गई। अत्यधिक उम्र दराज (100 वर्ष से अधिक) होने के कारण हथनी वत्सला अब हाथी कैंप में विशेष देखरेख के बीच रहती है।


  वन योद्धाओं का बढ़ाना होगा मनोबल 



निगरानी कैम्प में ड्यूटी पर तैनात वन कर्मचारी। 

विकट से विकट परिस्थितियों और हालातों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले प्रथम पंक्ति के वन योद्धाओं का मनोबल बढ़ाने तथा उनमें उत्साह और ऊर्जा का संचार करने के लिए प्रबंधन को हर संभव प्रयास करना होगा। सुख सुविधाओं से दूर जंगल के दुर्गम इलाकों में स्थित निगरानी कैंपों में रहकर ये वन कर्मी चौबीसों घंटे जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। लेकिन यह जानकर बेहद अफसोस हुआ कि जान जोखिम में डालकर जंगल की रखवाली करने वाले छोटे कर्मचारियों को विगत 4 माह से वेतन नहीं मिली। मानवीय दृष्टि से सोचें कि भूखे पेट भजन भी नहीं होता तो फिर इन वन कर्मियों से जंगल की चौबीसों घंटे निगरानी व सुरक्षा की उम्मीद भला कैसे की जा सकती है? निगरानी और सुरक्षा का कार्य टीम भावना और समन्वय से होता है। पन्ना टाइगर रिजर्व के मैदानी वन कर्मियों में जिस तरह का उत्साह और टीम भावना के साथ काम करने का जुनून व जज्बा 10 वर्ष पूर्व था, उसमें कमी आई है। इस कमी को दूर करने की जरूरत है ताकि वनकर्मी तनाव मुक्त रहकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें। हां एक बात और यह कि जो लोग काम करते हैं गलतियां भी उन्हीं से होती हैं जो स्वाभाविक है। लेकिन हमें गलतियों को ढकने और छिपाने में अपनी उर्जा लगाने के बजाय गलतियों से सीख लेने का साहस भी दिखाना होगा ताकि उसी गलती की पुनरावृत्ति न हो। गलतियों को ढकना और उसे छिपाने के लिए काल्पनिक थ्योरी बनाना पतन का कारण बनता है। हमें 2008-2009 भूलना नहीं चाहिये क्योंकि पन्ना टाइगर रिज़र्व यह त्राशदी भोग चुका है।

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Sunday, August 16, 2020

पन्ना में फिर मिले 17 कोरोना पॉजिटिव मरीज

  • जिले में अब कुल संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर हुई 197 
  • आरईएस कार्यालय में तीन कर्मचारी मिले कोरोना पॉजिटिव

कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने लगा है। शनिवार को देर रात्रि जो रिपोर्ट प्राप्त हुई है उसमें 17 नये कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। अब जिले में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 197 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग की जारी रिपोर्ट के अनुसार जो 229  सैंपल की रिपोर्ट आई है उनमें 17 संक्रमित पाये गये हैं, जिसमें पन्ना विकासखंड अंतर्गत गोल्ही मुड़िया गांव में एक साथ 10 लोग पॉजिटिव पाये गये। संक्रमितों में 90, 85 तथा 65 वर्षीय उम्रदराज व्यक्ति भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त आरईएस कार्यालय में तीन लोग पॉजिटिव मिले हैं जिनमें एक 44 वर्षीय कर्मचारी, 39 वर्षीय युवक एवं 50 वर्षीय पुरुष कर्मचारी की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। इसी तरह अजयगढ़ के परनिया पुरवा में 40 वर्षीय पुरुष, अमानगंज क्षेत्र के डोभा गांव में 13 वर्षीय युवक और पवई के चिकला गांव में 32 वर्षीय पुरुष की रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव मिली है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि जिले में अब तक कुल 196 पुष्ट मरीज पाये जा चुके हैं, जिनमें 138 मरीजों के स्वस्थ होकर कोविड संस्था से डिस्चार्ज होने के उपरांत जिले में कोविड-19 के एक्टिव पुष्ट मरीजों की संख्या 58 है। आपने बताया कि जिन क्षेत्रों में पॉजिटिव मरीज मिले हैं उनको कन्टेनमेंट जोन घोषित कर संक्रमण के नियंत्रण हेतु आवश्यक कारवाही जिला प्रशासन के समन्वय से की जा रही है। जिला प्रशासन ने आम लोगों से अपील की है कि यदि काम नहीं है तो घरों से बाहर न निकलें तथा शासन की गाइडलाइन का पालन करें। मास्क अवश्य लगाएं तथा समय-समय पर सैनेटाइजर का उपयोग करें या  साबुन से हांथ धोयें ताकि इस महामारी के  संक्रमण से बचाव हो सके। 

 सहयोग से सुरक्षा अभियान का शुभारंभ, भरे गये शपथ पत्र


सहयोग से सुरक्षा अभियान के शुभारंभ अवसर पर शपथ दिलाते हुये कलेक्टर श्री शर्मा। 

ध्वजारोहण कार्यक्रम एवं राज्य स्तरीय स्वतंत्रता समारोह का प्रसारण देखने के उपरांत मौके पर उपस्थित सभी अधिकारियों, कर्मचारियों ने सहयोग से ही सुरक्षा अभियान के तहत शपथ ग्रहण की। इस अवसर पर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा कार्यक्रम में उपस्थितों को शपथ दिलाई गयी। मौके पर कलेक्टर श्री शर्मा एवं पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी द्वारा शपथ पत्र भरे गये। इसके साथ ही अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा भी शपथ पत्र भरने का सिलसिला जारी हो गया। शपथ में देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पावन पर्व पर लोगों द्वारा शपथ ली गयी कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए स्वयं तथा अपने क्षेत्र के लोगों को मुह पर मास्क, दुपट्टा, रूमाल या कपडा बांधकर घर से बाहर निकलने, घर के बाहर आपस में 2 गज की दूरी रखने एवं बार-बार साबुन और पानी से हांथों को धोने के लिए प्रेरित करूंगा। कोरोना को लेकर किसी से कोई बुरा व्यवहार या भेदभाव न करते हुए सभी के साथ प्रेम और सहयोग का व्यवहार करूंगा। कोरोना से युद्ध में जो हमारी ढाल हैं जैसे डॉक्टर, नर्स, अस्पताल कर्मी, पुलिस, सफाई कर्मी, मैदानी कार्यकर्ता आदि का मैं हमेशा उनका सहयोग, समर्थन और सम्मान करूंगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 महामारी के संकट से निपटने के लिए हम सभी को एक साथ मिलकर प्रयास करने होंगे। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए मास्क लगाना, 2 गज की दूरी बनाए रखना, हांथों को बार बार साबुन से धोकर साफ रखना एवं अनावश्यक घरों से बाहर न निकलकर इस महामारी को हराने में प्रशाासन का सहयोग करेंगे ऐसा करने पर पन्ना जीतेगा और कोरोना हारेगा। 

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Friday, August 14, 2020

बाघों की सुरक्षा के लिए शहीद हो गये रेंजर बी.आर. भगत

  •  पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी राम बहादुर ने दांतों से दबाकर मारा 
  •  कर्मठ वन अधिकारी की मौत की खबर से वन महकमे में हड़कंप 
  •  टाइगर रिजर्व के हिनौता वन परिक्षेत्र में 7 वर्षों से थे पदस्थ 

पन्ना टाइगर रिजर्व के कर्मठ वन परिक्षेत्राधिकारी बी. आर. भगत। (फाइल फोटो)  

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की सर्चिंग के दौरान अचानक गुस्साए हाथी ने हिनौता वन परिक्षेत्र के रेंजर बीआर भगत को दांतो से दबा दिया, जिससे उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। बेहद कर्मठ और इमानदार छवि वाले इस वन अधिकारी की ऐसी मौत से पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों व कर्मचारियों को गहरा सदमा लगा है। मौत की खबर के बाद से कार्यालय और जंगल में सन्नाटा पसरा है। क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि हमारे होनहार वन अधिकारी ने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए शहादत दी है ।


जंगल में सर्चिंग और निगरानी करता हांथियों का दल। 

 उल्लेखनीय है कि विगत 7 अगस्त को आपसी संघर्ष में नर बाघ पी-123 की मौत हो गई थी, जिसका शव तीसरे दिन केन नदी में बहता हुआ मिला था। बाघों के बीच हुई इस लड़ाई में दूसरा बाघ भी जख्मी हुआ है, जिसकी तलाश की जा रही है। इसी बाघ की सर्चिंग तथा बाघिन पी-433 की तलाश करने के दौरान शुक्रवार को दोपहर जंगल में यह दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई। मिली जानकारी के मुताबिक हांथी रामबहादुर के ऊपर रेंजर अमर सिंह तथा महावत सवार थे। रेंजर बी. आर. भगत नीचे थे, वे जैसे ही हांथी के निकट पहुंचे और वायरलेस सेट अमर सिंह को देने लगे उसी समय न जाने क्यों अचानक हांथी भड़क उठा और श्री भगत को गिराकर बाहर निकले दांतों से दबा दिया। जब तक महावत समझ पाता और हांथी को रोकने का प्रयास करता तब तक रेंजर श्री भगत मरणासन्न स्थिति में पहुँच चुके थे। आनन् फानन उनको नजदीकी मझगंवा स्थित स्वास्थ्य केंद्र लाया गया जहाँ चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि रेंज ऑफिसर बी.आर. भगत विगत लगभग 7 वर्षों से हिनौता रेंज में पदस्थ थे। अपने दायित्वों के निर्वहन में हमेशा तत्पर रहने वाले श्री भगत की इस रेंज में तैनाती से हम निश्चिंत रहते थे, कभी किसी भी तरह की शिकायत इस रेंज में नहीं मिली।  ऐसे होनहार और कर्मठ रेंजर को हमने आज खो दिया है, जिससे हर कोई दुखी है। आपने बताया कि रेंजर श्री भगत मूलतः छत्तीसगढ़ के निवासी हैं, घटना की जानकारी उनके परिजनों को दे दी गई है तथा वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है। श्री भदौरिया ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के हांथी राम बहादुर ने इस दुखद घटना को अंजाम दिया है। सीने में अत्यधिक दबाव के कारण रेंजर श्री भगत की मौत हुई है।

वन्य प्राणी संरक्षण के लिये थे समर्पित 

अत्यधिक मिलनसार और विनम्र स्वभाव वाले रेंजर बी.आर. भगत वन्य प्राणी संरक्षण कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे। हमेशा टीम भावना से कार्य करने वाले श्री भगत अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से मित्रवत व्यवहार करते थे यही वजह है कि वे सबके चहेते रहे हैं। चुनौती पूर्ण समय में वे जंगल में एक लेवर की भांति काम में जुट जाते थे, रेंजर पद का अहंकार उनमें जरा भी नहीं था। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों को आबाद कराने के साहसिक और चुनौती भरे अभियान में रेंजर श्री भगत की अहम् भूमिका रही है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे होनहार वन अधिकारी की ड्यूटी के दौरान हुई मौत ने यह साबित कर दिया है कि जंगल में अपने दायित्व का निर्वहन करने वाला वन कर्मी हो या अधिकारी हमेशा मौत उसके आसपास मंडराती रहती है। 

शहीद वन अधिकारी को मिले सम्मान 

पन्ना टाइगर रिजर्व के पूर्व क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने कर्त्तव्य निभाते हुये अपने प्राणों की आहुति देने वाले रेंज ऑफिसर बी. आर. भगत को सर्वोच्च सम्मान प्रदान करने का राज्य सरकार से अनुरोध किया है। मालुम हो कि श्री भगत वर्ष 2012 में पन्ना टाइगर रिजर्व का हिस्सा बने थे। तत्कालीन क्षेत्र संचालक श्री मूर्ति की ऊर्जावान टीम के आप एक अहम किरदार रहे हैं। घटना की खबर मिलने पर श्री मूर्ति ने गहन दुःख प्रकट करते हुए कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद कराने में श्री भगत का जो योगदान रहा है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। 

 श्री भगत के निधन पर मुख्यमंत्री ने जताया शोक 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पन्ना टाइगर रिज़र्व में हांथी के हमले से रेंजर बी. आर. भगत के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुये उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्री चौहान ने ट्वीट कर कहा टाइगर ट्रेकिंग के दौरान हिनौता रेंज के रेंज आफीसर बीआर भगत की हांथी के हमले से हुए निधन की सूचना मिली। उन्होंने कर्तव्यों का पालन करते हुये अपने प्राण न्योछावर किये। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और ईश्वर से उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने की कामना करता हूँ। 

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Wednesday, August 12, 2020

कृष्ण भक्तों का वृन्दावन है पन्ना का जुगुल किशोर मंदिर

  •  धूमधाम के साथ आज मनाया जायेगा भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 
  •  जन्मोत्सव पर बिजली की लड़ियों से जगमगा रहा जुगुल किशोर मंदिर  

मंदिरों के शहर पन्ना में स्थित श्री जुगल किशोर जी का मंदिर। 

अरुण सिंह,पन्ना। कृष्ण भक्तों के लिये बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना में स्थित श्री जुगुल किशोरजी का मंदिर वृन्दावन से कम नहीं है। यह अनूठा मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। मंदिर में विराजे राधा कृष्ण की जोड़ी के अलौकिक दर्शनों के लिये प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन कोरोना संकट के इस दौर में के लिये बंद कर दिये गये हैं। कहा जाता है कि सदियों पुराने इस भव्य मंदिर में जब भगवान श्री कृष्ण की अलौकिक प्रतिमा प्रतिष्ठित कराई गई थी उस समय श्री कृष्ण की मुरलिया में बेशकीमती हीरे जड़े गये थे। इसको लेकर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में यह भजन हर किसी की जुबान में रहता है कि पन्ना के जुगुल किशोर मुरलिया में हीरा जड़े हैं। पन्ना के इस प्राचीन और जन आस्था के केन्द्र जुगुल किशोरजी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम और अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर्व मनाने के लिये जोर शोर के साथ तैयारियां चल रही हैं, लेकिन इस वर्ष श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। 

उल्लेखनीय है कि जन्माष्टमी पर्व को देखते हुये श्री जुगुल किशोर मंदिर को जहां आकर्षक ढंग से सजाया गया है वहीं मंदिर परिसर के चारों ओर साफ-सफाई, पुताई कर मंदिर को स्वच्छ व सुन्दर बनाया गया है। रात्रि के समय मंदिर की सुन्दरता में चार चांद लगाने के लियें विद्युत लडिय़ां भी लगाई गई हैं। मंदिर में 12 अगस्त को रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण जी का जन्म बड़े धूमधाम तरीके से मनाया जायेगा। इस जन्मोत्सव को लेकर मंदिर समिति एवं जिला प्रशासन की ओर से व्यवस्थायें की गई हैं। वहीं पुलिस बल भी सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी संख्या में मौजूद रहेगा। कोरोना संकट के बावजूद भी जन्माष्टमी पर्व को लेकर लोगों में भारी उत्साह है, जन्माष्टमी की एक-दूसरे को बधाई देकर अपनी आस्था और उत्साह का इजहार कर रहे हैं। बताया जाता है कि जुगुल किशोरजी मंदिर का निर्माण  तत्कालीन पन्ना नरेश हिन्दूपत द्वारा कराया गया था। समूचे बुन्देलखण्ड में यह मंदिर कृष्ण भक्तों की आस्था का केन्द्र है। इसे बुन्देलखण्ड के वृन्दावन की संज्ञा दी जाती है।

 जन्माष्टमी पर्व का होगा लाइव प्रसारण 



श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का आयोजन श्री किशोर जी मंदिर से 12 एवं 13 अगस्त 2020 को लाइव प्रसारण स्थानीय केवल नेटवर्क पीएचएन पर होगा। इसे घरों पर रहकर टीव्ही एवं पीएचएन की फेसबुक आईडी पर भी देखा जा सकता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का लाइव प्रसारण एनआईसी की बेवसाईट पर भी किया जाएगा। इसके अलावा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के कार्यक्रम को श्री किशोर जी मंदिर के बाहर एलईडी के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा। श्रद्धालुगण चेहरे पर मास्क लगाकर आपस में सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों को अपनाते हुए एलईडी में हो रहे प्रसारण को देख सकेंगे। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा जिले के निवासियों एवं बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा है कि सभी लोग अपने घरों पर रहकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व को मनायेँ। जिले में भीड इकट्ठा न हो इसलिए शासन के निर्देशानुसार धारा 144 पूर्व से ही लगी हुई है। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव के लिए आवश्यक है कि सभी लोग त्यौहारों को घरों पर ही मनाएं। किसी भी धार्मिक स्थल अथवा सार्वजनिक स्थल पर कोई भी आयोजन न करें।

 मंदिर में 1करोड़ की लागत से बनेगा सत्संग शेड 


जन आस्था के केन्द्र श्री जुगुल किशोरजी मंदिर में लगभग 1करोड़ की लागत से बहुप्रतीक्षित सार्वजनिक सत्संग शेड का निर्माण अब जल्द शुरू होने वाला है। इस हेतु क्षेत्रीय सांसद बी. डी. शर्मा ने सांसद निधि से 25 लाख रुपये की राशि दी है और  मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने भी राशि देने की घोषणा की है। शेष राशि जनसहयोग और मंदिर के फण्ड से जुटाई जायेगी। कुछ दिन पूर्व कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने अपनी टीम के साथ मंदिर का भ्रमण कर कार्य योजना बनाई थी,जिसे मूर्त रूप दिया जा रहा है। इस सम्बन्ध में मिली जानकारी के अनुसार मन्दिर में जिन कामो को लिया जा रहा है उनमें 24 गुणे 48 मीटर का भव्य डोमनुमा शेड का निर्माण जिसमें पुराने शेड को भी शामिल किया जायेगा। इस शेड की लगभग 20 फ़ीट की हाइट होगी। माइक और प्रकाश की भी पर्याप्त व्यवस्था होगी। सत्संग हाल मे जाने का प्रथक गेट बनाया जायेगा, जो अभी बन्द पड़ा है। मुख्य मंदिर की भी सजावट और रंग रोगन का कार्य किया जायेगा। नवीन सीसीटीवी कैमरा और लाइव प्रसारण के लिए भविष्य मे एक स्थायी एलईडी बाहर लगाई जायेगी। मंदिरो की दिवालो को भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित पेंटिंग से सजाया जायेगा। मंदिर की वेबसाइड का प्रचार प्रसार किया जावेगा ताकि लोग दूसरे शहर से भी दर्शन कर सकें। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने बताया कि टेंडर की प्रक्रिया भी की जा चुकी है जल्द ही काम शुरू होगा।

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Tuesday, August 11, 2020

पन्ना टाइगर रिजर्व में 13 नर व 29 मादा बाघ

  •  बेहतर सेक्स रेसियो के बावजूद आखिर क्यों हो रहा संघर्ष 
  •  बीते साढे 7 माह में यहां पर हो चुकी है 5 बाघों की मौत

पन्ना टाइगर रिज़र्व का हिनौता प्रवेश द्वार। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व विगत कुछ महीनों से बाघों की आकस्मिक मौतों को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। बाघों की मौत तथा उनके बीच आपसी संघर्ष होने की वजह के संबंध में वन अधिकारियों व विशेषज्ञों का भिन्न-भिन्न मत है। कोई यह तर्क देता है कि चूंकि बाघ अपनी टेरिटरी बनाकर रहने वाला प्राणी है, इसलिए इलाके में आधिपत्य को लेकर इनके बीच आपसी संघर्ष होता है। जब कि कुछ लोग संघर्ष के लिए सेक्स रेसियो में असंतुलन को जिम्मेदार ठहराते हैं। मामला जो भी हो लेकिन यह भी सच है कि बीते साढे सात माह के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व में 5 बाघों की मौत हुई है। इनमें एक रेडियो कॉलर युक्त बाघिन भी शामिल है।

 इस वाद विवाद और सुर्खियों के बीच पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने नर व मादा बाघों की संख्या के संबंध में अधिकृत आंकड़ा जारी करते हुए इस बात को सिरे से नकारा है कि सेक्स रेसियो (बाघिनो की संख्या) कम होने के कारण आपसी संघर्ष हो रहा है। उन्होंने विगत 3 वर्षों के आंकड़े जारी करते हुए वयस्क व अर्द्धवयस्क बाघों की जानकारी मीडिया से साझा की है। आपने बताया कि मॉनिटरिंग के तहत कैमरा ट्रैप से प्राप्त परिणामों के आधार पर वर्ष 2017-18 में 23 बाघ, वर्ष 2018-19 में 30 बाघ तथा 2019-20 में 42 बाघों की उपस्थिति दर्ज हुई है। आपने नर व मादा बाघों के अनुपात का भी खुलासा किया और बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदा समय 13 नर व 29 मादा बाघ हैं। इस अनुपात के तहत एक नर बाघ के पीछे दो से अधिक बाघिन हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में धारण क्षमता से अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं। जाहिर है कि श्री भदौरिया बाघों के बीच आपसी संघर्ष की वजह टेरिटोरियल फाइट मान रहे हैं। 

यहां गौरतलब बात यह है कि हर बाघ का अपना एक निश्चित क्षेत्र होता है, नर बाघ की टेरिटरी बड़ी व मादा की नर की तुलना में छोटी होती है। एक नर बाघ की टेरिटरी में दो से तीन बघिनें रह सकती हैं। अगर नर व मादा बाघ के अनुपात की बात करें तो सबसे आदर्श स्थित 1:3 की मानी जाती है। यानि कि एक नर बाघ के पीछे तीन बाघिन होनी चाहिये। इस लिहाज से देखें तो जारी आंकड़ों के मुताबिक पन्ना में सेक्स रेसियो संतोषजनक स्थिति में है। लेकिन फिर वही सवाल कि आखिर बाघों के बीच जानलेवा संघर्ष क्यों नहीं थम पा रहा ? मालूम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र 542 वर्ग किलोमीटर है जबकि बफर का इलाका लगभग 1000 वर्ग किलोमीटर है। पार्क प्रबंधन के मुताबिक कोर क्षेत्र में लगभग 39 बाघ व बफर क्षेत्र में 3 बाघों ने अपना इलाका निर्धारित किया हुआ है। अब यहां सवाल उठता है कि कोर क्षेत्र की अधिकतम धारण क्षमता कितनी है तथा यहां पर क्षमता से अधिक कितने बाघ हैं, जिनकी मौजूदगी से खलल पैदा हो रहा है। इस संबंध में गहन छानबीन, अध्ययन के साथ-साथ यह जानना भी जरूरी है कि कोर क्षेत्र में किस बाघ और बाघिन का इलाका (टेरिटरी)  कितना है।

 इस बात का भी यहां उल्लेख करना जरूरी है जंगल में उसी का वजूद कायम रह पाता है जो शक्तिशाली और मजबूत होता है। यह तथ्य बाघों पर भी लागू होता है। जाहिर है कि कमजोर बाघ टेरिटरी बनाने के लिए संघर्ष में मारे जाते हैं जिसे प्राकृतिक घटना मान लिया जाता है। आम तौर पर कम उम्र के अथवा कमजोर बाघ आपसी संघर्ष से बचने के लिए कोर क्षेत्र से बाहर के इलाकों में चले जाते हैं। लेकिन बफर क्षेत्र का प्रबंधन और मॉनिटरिंग व्यवस्था कोर के स्तर की नहीं होती, ऐसी स्थिति में यहां विचरण करने वाले बाघों की सुरक्षा हर समय खतरे में रहती है। चूंकि पन्ना में बाघों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है इसलिए बफर क्षेत्र के बिगड़े हुए इलाकों को बाघों के अनुरूप विकसित और संरक्षित किया जाना जरुरी है। ताकि पन्ना के बाघों की बढ़ने वाली संख्या बफर क्षेत्र में अपने इलाके का निर्धारण कर सुरक्षित माहौल में रह सकें। 

मैटिंग के दौरान हुआ था पी-431 व पी-123 के बीच संघर्ष 

वन परीक्षेत्र गहरी घाट अंतर्गत सकरा नामक स्थान में केन नदी के किनारे मैटिंग के दौरान ही नर बाघ पी-431 व पी -123 के बीच भीषण युद्ध हुआ था, जिसमें पी-123 की मौत हुई। इस बाघ का सिर विहीन शव 9 अगस्त की शाम पठाई कैंप के पास केन नदी में उतराता हुआ मिला था। जिसका पोस्टमार्टम व दाह संस्कार दूसरे दिन 10 अगस्त को हुआ। इस बाघ की मौत के संबंध में पन्ना टाइगर रिज़र्व कार्यालय द्वारा जारी प्रेस नोट में लेख किया गया है कि बीट झालर में सकरा के पास नदी किनारे जब बाघिन टी-6 एवं नर बाघ पी-431 मैटिंग में थे उसी समय वहां पर नर बाघ पी-123 पहुंच गया तदुपरांत दोनों बाघों में लड़ाई हुई। अब यह लड़ाई किस बात को लेकर और क्यों हुई इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है। बाघिन टी-6 के लिए दोनों बाघों में खतरनाक द्वंद हुआ, जिसमें पी-123 की मौत हुई है।

अब तक कई बाघों को मार चुका है पी-431 

आठ वर्ष के वयस्क नर बाघ पी-123 को बहुत ही आक्रामक तरीके से मौत के मुंह में ढकेलने वाला बाघ पी-431 अब खतरनाक हो चुका है। इसने अब तक कई बाघों को मौत के घाट उतारा है। टाइगर रिज़र्व के अधिकारी भी दबी जुबान से यह स्वीकार कर रहे हैं कि  बाघ पी-123 के अलावा कम से कम दो और बाघों को इसी ने मारा है। किलर के रूप में बदनाम हो चुके इस बाघ के खौफ का यह आलम है कि कमजोर बाघ इसके आसपास फटकने से भी कतराने लगे हैं। मैदानी वन कर्मियों ने इस आक्रामक और खतरनाक हो चुके बाघ की तस्वीर ली है जिससे उसके शरीर में आपसी संघर्ष के निशान साफ दिखते हैं। इस तरह के हालात क्यों बने हैं इस पर पार्क प्रबंधन को गौर करना चाहिये। 

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Monday, August 10, 2020

बाघिन के लिये हुये संघर्ष में 8 वर्ष के नर बाघ की मौत

  •  गहरी घाट रेंज में केन नदी के किनारे हुआ था जानलेवा संघर्ष 
  •  मृत बाघ का शव तीसरे दिन पठाई कैम्प के पास तैरता हुआ मिला 

मृत बाघ  पी-123 के जीवित अवस्था का चित्र। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन को लेकर दो नर बाघों के बीच हुये भीषण संघर्ष में 8 वर्ष के युवा बाघ की मौत हो गई है। मृत बाघ का शव हिनौता रेन्ज के गंगऊ बीट में पठाई कैम्प के पास केन नदी में उतराता हुआ मिला है। मामले के संबंध में जानकारी देते हुये क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने बताया कि तीन दिन पूर्व 7अगस्त को सुबह दो मेल टाइगरो पी-431 व पी-123 के बीच बाघिन के साथ मेटिंग को लेकर लड़ाई हुई थी जिसमें युवा बाघ पी- 123 बुरी तरह से घायल हो गया था। लड़ाई में घायल हुये इस बाघ की वन कर्मियों व अधिकारियों द्वारा केन नदी में नाव से सघन तलाशी की गई। लेकिन बाघ नदी में कहीं नहीं मिला। श्री भदौरिया ने बताया कि गहरे पानी में बाघ का शव डूब गया था। चौबीस घण्टे के बाद शव जब पानी में उतरा कर बहने लगा, तब घटना स्थल से लगभग 8 किमी. दूर पठाई कैम्प के पास रविवार 9 अगस्त की शाम बाघ का शव नदी में तैरता हुआ मिला। रात्रि हो जाने के कारण बाघ का पोस्टमार्टम सोमवार को क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया व उप संचालक श्री जरांडे की उपस्थिति में वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। 

 क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व श्री भदौरिया ने बताया कि 7 अगस्त को प्रातः परिक्षेत्र गहरी घाट के बीट झालर के सकरा में नदी के किनारे बाघ पी-431 एवं बाघिन टी-6 मेंटिंग में थे, तभी वहां पर नर बाघ पी -123 पहुंच गया। दूसरे नर बाघ पी- 123 के पहुंचने पर बाघ पी-431 आक्रामक हो गया। फलस्वरूप दोनों बाघों के बीच संघर्ष होने पर नर बाघ पी-123 को जान गवानी पड़ी। वनरक्षक  दिलीप सिंह द्वारा दोनों बाघों की लड़ाई देखकर तत्काल हाथी कसवा कर मौके पर पहुंचने की तैयारी की गई तथा वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत कराया गया। सूचना प्राप्त होते ही क्षेत्र संचालक, उप संचालक व सहायक संचालक सहित परिक्षेत्र अधिकारी एवं वन्य प्राणी चिकित्सक मौके पर पहुंचे।  मौके पर नर बाघ  पी-431 एवं बाघिन टी-6 पाए गए, किंतु तीसरे बाघ  का पता नहीं चला।  तीसरे बाघ के न दिखने पर घटनास्थल के आसपास जंगलों में सर्चिंग की गई साथ ही नाव से नदी क्षेत्र में गश्ती की गई तथा जाल डालकर घटनास्थल के आसपास नदी में खोजा गया किंतु बाघ नहीं मिला। रविवार 9 अगस्त को शाम के समय नदी में तैरता हुआ बाघ का शव मिला जिसकी सूचना तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई।  सूचना प्राप्त होते ही तत्काल उप संचालक एवं अन्य स्टाफ मौके पर पहुंचे। नर बाघ पी-123 एवं नर बाघ पी-431 के बीच काफी संघर्ष हुआ था तथा आपसी संघर्ष में घायल होने के कारण नर बाघ पी -123 मृत होने के पश्चात पानी में सकरा से बहकर करीब 8 किलोमीटर दूर हिनौता क्षेत्र के पठाई  कैंप के पास  नदी में तैरता हुआ पहुँच गया। पानी में रहने के कारण बाघ का शव फूल  चुका था तथा उसका सर नहीं था।  संभवतः पानी के अंदर मगरमच्छों के द्वारा खा लिया गया होगा। नर बाघ की आपसी संघर्ष में हुई मृत्यु की सूचना दूरभाष द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक मध्य प्रदेश एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को दी गई।  रात्रि होने के कारण प्रातः पोस्टमार्टम का निर्णय लिया गया, आज 10 अगस्त सोमवार को प्रातः मौके पर जाकर मृत बाघ का पोस्टमार्टम डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता वन्य प्राणी चिकित्सक पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा किया गया।  पोस्टमार्टम के दौरान ही नर बाघ पी -123 के रूप में बाघ की पहचान की गई। पोस्टमार्टम में बाघों के बीच आपसी संघर्ष के निशान मृत बाघ के शव पर पाए गए हैं।  बाघ की विसरा आदि  के सैंपल लिए गए।  पोस्टमार्टम उपरांत समस्त की उपस्थिति में मृत बाघ का अंतिम संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर बाघ की मृत्यु आपसी संघर्ष में होना पाया गया है।

बाघ के सिर का मगरमच्छों ने किया भक्षण


पठाई कैम्प के पास केन नदी के किनारे पड़ा मृत बाघ पी-123 का सिर विहीन शव। 

रविवार को शाम मृत बाघ का शव जब पठाई कैम्प के पास केन नदी में उतराता हुआ मिला, तो वन कर्मियों ने नाव के सहारे बाघ को रस्सी से बांधकर किनारे पर लाया गया। मृत बाघ का शरीर सुरक्षित था लेकिन उसका सिर गर्दन से गायब था। ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि बाघ के सिर का मगरमच्छों ने भक्षण कर लिया है। जिस जगह नदी में बाघ का शव उतराता मिला है वहां नदी काफी गहरी है तथा बड़ी तादाद में मगरमच्छ भी पाये जाते हैं। रविवार की रात मृत बाघ की निगरानी करने वाले वन कर्मियों ने बताया कि बाघ के शव को कीटाणुओं से बचाने के लिये उसके शव को नदी के किनारे पानी में रखा गया था। रात्रि में कई मर्तबे मगरमच्छ ने बाघ के शव को घसीटने का प्रयास किया लेकिन वनकर्मियों ने लम्बी लकड़ी से भगा दिया। 

नर बाघों की तुलना में मादाओं की संख्या कम 

पन्ना टाइगर रिजर्व में नर बाघों की तुलना में मादाओं की संख्या कम है जो संघर्ष का कारण बन रहा है। जानकारों के मुताबिक नर बाघ की टेरिटरी में तीन से लेकर चार बाघिनों का रहवास होता है। ऐसी स्थिति में जब नर व मादा बाघों की संख्या का संतुलन बिगड़ता है तो मादा पर आधिपत्य के लिये नर बाघों के बीच संघर्ष शुरू हो जाता है। पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदा समय यही हो रहा है, टेरिटोरियल फाइट की जगह नर बाघों के बीच बाघिनों के लिये जानलेवा लड़ाई होने लगी है। इस लड़ाई में कमजोर बाघ को अपनी जान तक गवानी पड़ जाती है। निश्चित ही यह नर बाघों के लिहाज से चिंताजनक बात है लेकिन इस स्थित को तब तक टाला नहीं जा सकता जब तक प्राकृतिक रूप से बाघों का सेक्स रेसियो संतुलित नहीं हो जाता। वर्ष 2009 के पूर्व भी पन्ना टाइगर रिजर्व सेक्स रेसियो की समस्या से ग्रसित था परिणाम स्वरुप जो हालात बने थे वे जगजाहिर हैं। इसकी फिर से यहाँ पर पुनरावृत्ति न हो इस दिशा में सार्थक और कारगर प्रयास होने चाहिये।   

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