Saturday, June 29, 2019

एटीएम बदल कर धोखाधड़ी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफास

  •   पन्ना पुलिस ने किया 5 लाख 90  हजार की धोखाधड़ी का खुलासा
  •   दो आरोपी गिरफ्तार उनके कब्जे से 1 लाख रू. 10 एटीएम कार्ड एवं स्विफ्ट डिजायर    कार बरामद


पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी प्रेसवार्ता में मामले की जानकारी देते हुये।


अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना सहित प्रदेश के अन्य जिलों व दूसरे कई राज्यों में भी एटीएम बदलकर धोखाधड़ी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह का पन्ना पुलिस ने पर्दाफ ाश किया है। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 1 लाख रू., 10 एटीएम कार्ड एवं अपराध में प्रयुक्त डिजायर कार बरामद की है। इन शातिर आरोपियों द्वारा पन्ना जिले के अलावा प्रदेश के अन्य कई जिलों सहित उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली के अलग-अलग स्थानों में वारदात को अंजाम दिया जा चुका है। इस गिरोह ने पन्ना जिले में एक एटीएम कार्ड से 5 लाख 90 हजार रू. निकाले हैं। पीडि़त की शिकायत प्राप्त होने पर पुलिस ने तहकीकात करते हुये दो आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। जिनकी पहचान अनुपम उर्फ सूरज तिवारी 24 वर्ष एवं राहुल यादव पिता घनश्याम यादव 24 वर्ष दोनों निवासी जिला भदोही उ.प्र. के रूप में हुई है। धोखाधड़ी करने में माहिर गिरफ्तार हुये दोनों आरोपियों ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर विगत छ: माह पूर्व पन्ना जिले की नगर पंचायत देवेन्द्रनगर में भृत्य के पद पर पदस्थ जगत ङ्क्षसह घोष का एटीएम बदलकर उनके खाते से 5 लाख 90 हजार रू. निकाल लिये थे।
पुलिस अधीक्षक पन्ना मयंक अवस्थी ने शनिवार को आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि जगत ङ्क्षसह पिता रामङ्क्षसह घोष उम्र 59 वर्ष निवासी ग्राम करहिया पोस्ट डड़वरिया हाल भृत्य नगर पंचायत देवेन्द्रनगर द्वारा देवेन्द्रनगर थाने में शिकायत की गई थी कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसका एटीएम कार्ड बदलकर 18 जनवरी 2019 से लगातार 6 फरवरी 2019 तक उसके स्टेट बैंक खाता क्र. 11400391349 से 5 लाख 90 हजार रू. अलग शहरों के एटीएम से निकाले हैं। शिकायत प्राप्त होने पर 22 फरवरी 2019 को थाना देवेन्द्रनगर में अप.क्र. 40/19 धारा 420 भादंवि 66 (ग),(घ) आईटी एक्ट का कायम किया गया। अपराध की गंभीरता को देखते हुये पुलिस अधीक्षक पन्ना  मयंक अवस्थी द्वारा एक टीम का गठन किया गया। उक्त टीम को निर्देशित किया गया कि लोगों की मेहनत की कमाई से अर्जित रकम को धोखाधड़ी के माध्यम से हड़पने वाले गिरोहो पर पैनी नजर रखें व बैंक-एटीएम के आस-पास सादे कपड़ो में कर्मचारियों को लगाकर इन्हें पकड़ा जाये। आरोपीगणो के सीसीटीव्ही फु टेज को प्रसारित कर एवं फरियादी के बैंक स्टेटमेन्ट के आधार पर पैसे आहरित करने के स्थानों की जानकारी प्रचार-प्रसार करने हेतु सायबर टीम व  टीम प्रभारी को निर्देशित किया गया।

एसपी के निर्देश पर सक्रिय हुई सायबर टीम


पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार गिरोह के दो सदस्य।

मामूली भृत्य के साथ हुई धोखाधड़ी के इस मामले के संबंध में दिशा-निर्देश मिलने पर जिले की सायबर टीम जहां सक्रिय हो गई वहीं टीम प्रभारी द्वारा अपने मुखबिर तंत्र को एक्टिव किया गया। शनिवार 29 जून 2019 को मुखबिर द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि बड़वारा तिराहा के पास कुछ व्यक्ति संदिग्ध अवस्था में सफेद रंग की गाड़ी क्र. यूपी-66व्ही-2526 में बैठे हुये हैं। मुखबिर की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल ही टीम प्रभारी द्वारा उक्त सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उक्त संदिग्ध व्यक्तियों को पकडऩे हेतु टीम को निर्देशित किया गया। तत्काल ही पुलिस द्वारा बड़वारा तिराहा पहुँचकर उक्त कार की घेराबन्दी की गई। पुलिस को देखकर गाड़ी में सवार दोनों व्यक्ति गाड़ी को छोड़कर भागने का प्रयास करने लगे जिन्हें पुलिस टीम द्वारा दबोच लिया गया। उक्त दोनों व्यक्तियों की शक्ल एटीएम से प्राप्त सीसीटीव्ही फु टेज से मेल खा रही थी।  पकड़े गये व्यक्तियों से नाम पता पूछने पर उन्होने अपना नाम अनुपम उर्फ  सूरज तिवारी पिता स्व. राजेश तिवारी उम्र 24 साल निवासी ज्ञानपुर टाउन मोहल्ला थाना ज्ञानपुर जिला भदोही (उ.प्र.) तथा राहुल यादव पिता घनश्याम यादव उम्र 24 साल निवासी मूसी मोहल्ला थाना सिटी कोतवाली भदोही जिला भदोही (उ.प्र.) का होना बताया। दोनों संदिग्धों से कड़ाई से पूछताछ करने पर उनके द्वारा बताया गया कि वो दोनों एवं अन्य साथियों की मदद से एटीएम बूथों में व्यक्तियों का एटीएम कार्ड बदलकर उनके खातों से पैसे निकालने की वारदातों को अंजाम देते रहे हैं।

साथियों के साथ मिलकर पन्ना में की थी वारदात


पुलिस टीम के सक्रिय प्रयासों व सायबर टीम के सहयोग से गिरफ्तार हुये दोनों युवकों ने पूछताछ करने पर बताया कि 18 जनवरी 2019 को हम दोनों अन्य 03 साथी रत्नाकर ङ्क्षसह उर्फ  भोलू निवासी गडौरा जिला भदोही (उ.प्र.), नीलेश उर्फ  रज्जू तिवारी निवासी ज्ञानपुर मुहल्ला जिला भदोही उ.प्र., अंशुमान ङ्क्षसह निवासी शाहदाबाद खपटहा हडिया जिला प्रयागराज ( उ.प्र.) के साथ मिलकर रीवा, सतना होते हुये देवेन्द्रनगर के एटीएम बूथ से जगत ङ्क्षसह नाम के खाताधारक के एटीएम  कार्ड को बदलकर ले गये थे। जिसके खाते से हम लोगों द्वारा कुल 5 लाख 90 हजार रू. देवेन्द्रनगर, पन्ना, छतरपुर, सागर, रेलवे स्टेशन हबीबगंज भोपाल, उज्जैन, फ तेहपुर, इलाहाबाद, संतनगर दिल्ली, भदोही, वाराणसी आदि अलग-अलग स्थानों के एटीएम बूथों से निकाले थे। उक्त पैसा हम लोगों द्वारा आपस में 1-1 लाख रू. बाँट लिया गया था शेष बचा पैसा हम लोगों द्वारा रास्ता में आने-जाने रुकने एवं खाने में खर्च किया था।

आरोपियों से नगदी, एटीएम कार्ड, मोबाइल व कार बरामद


पुलिस अधीक्षक श्री अवस्थी ने जानकारी देते हुये बताया कि अनुपम उर्फ  सूरज तिवारी के कब्जे से कुल 60 हजार रू. नगद, 1 सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर यूपी-66व्ही-2526, अन्य व्यक्तियों के विभिन्न बैंकों के 4 नग एटीएम कार्ड, मोबाइल सिम 4, मोबाइल 3 नग एवं राहुल यादव के कब्जे से कुल 40 हजार रू. नगद, विभिन्न बैंको के 4 एटीएम कार्ड, 1 मोबाइल फ ोन जब्त किये गये हैं। आरोपियों द्वारा बताया गया कि हम लोग अपने सफ र के दौरान बीच-बीच में भीड़भाड़ वाले एटीएम बूथों में घुसकर किसी को रकम निकालने में मदद करने के नाम पर या धक्का देकर एटीएम गिरा देने और सामने वाले का ध्यान विचलित कर एटीएम बदल लेते थे। उक्त व्यक्तियों का पासवर्ड एटीएम बूथ में देख लेते थे बाद में दूसरी जगहों से नगदी रकम निकाल लेते थे। आरोपियों द्वारा पन्ना जिले के अलावा म.प्र. के मैहर, सतना, रीवा, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, भोपाल, उज्जैन, इंदौर एवं अन्य प्रान्तों उ.प्र., राजस्थान, दिल्ली के विभिन्न जिलों में अलग-अलग स्थानों से इस तरीके की वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है। पुलिस अधीक्षक श्री अवस्थी ने बताया कि उक्त आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जाकर पुलिस रिमाण्ड में लेकर अन्य अपराधों के संबंध में पूछताछ की जायेगी। उन्होंने बताया कि पूछताछ करने पर अन्य राज्यों में इनके द्वारा की गई वारदातों के खुलासा होने की संभावना है। पन्ना पुलिस की इस बड़ी कामयाबी पर छतरपुर रेंज के डीआईजी अनिल महेश्वरी ने पुलिस टीम को 20 हजार रू. के पुरूस्कार से पुरूस्कृत करने की घोषणा की है।
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Wednesday, June 26, 2019

अफसरों और नेताओं ने नहीं सुनी तो पहुँचे संकट मोचन के दरबार

  •   पहुँच मार्ग के निर्माण हेतु ग्रामीणों ने हनुमान जी को सौंपा ज्ञापन
  •   गुनौर जनपद का ग्राम हनुमतपुरा बारिश में हो जाता है पहुँच विहीन
  •   समस्या से निजात दिलाने ग्रामीणों ने हनुमान जी से की प्रार्थना




अरुण सिंह,पन्ना। दशकों से बुनियादी और मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे ग्रामवासियों को अब प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं पर भरोसा नहीं है। इनके द्वारा इन भोले-भाले ग्रामीणों का भरोसा इतनी मर्तबे तोड़ा गया है कि अब वे अधिकारियों और नेताओं द्वारा दिये जाने वाले आश्वासनों पर भरोसा करना छोड़ दिया है। ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा और व्यथा वादा खिलाफी करने वाले नेताओं व अधिकारियों को सुनाने के बजाय एक नायाब तरीका ढूँढ़ा है। उन्होंने संकट मोचन हनुमानजी के दरबार में पहुँचकर समस्याओं से निजात दिलाने के लिये न सिर्फ प्रार्थना की अपितु उनको बकायदे एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें ग्राम की समस्याओं का जिक्र किया गया है।

उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले के गुनौर जनपद की ग्राम पंचायत बिल्हा का मजरा हनुमतपुरा व ग्राम पंचायत सरहंजा का मजरा उड़की आज भी पहुँचमार्ग से वंचित हैं। बारिश के मौसम में इन दोनों ही ग्रामों के लोगों का जीवन कष्टप्रद और नारकीय हो जाता है। इसकी वजह यह है कि बारिश होने पर तीन-चार किमी का मार्ग कीचड़ से लथपथ हो जाता है, फलस्वरूप किसी भी तरह के वाहनों से आवागमन संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में कीचड़ भरे रास्ते से पैदल निकलना ही एक मात्र विकल्प बचता है। यही वजह है कि बारिश के मौसम में दोनों ही गाँव एक तरह से पहुँच विहीन हो जाते हैं। विगत कई दशकों से यह मुसीबत झेल रहे ग्रामीणों ने न जाने कितनी बार अपनी समस्यायें आला अफसरों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सुनाईं और समस्याओं के निराकरण हेतु उनसे अनुरोध किया। लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला जो आज तक पूरा नहीं हो सका है। थक हारकर ग्रामीणों ने अब यह तय किया है कि अफसरों और नेताओं के पास जाकर गिड़गिड़ाने के बजाय क्यों न उसके सामने हाँथ जोड़कर प्रार्थना की जाये जो सबके संकट का हरण करने वाले हैं। इसी अभिनव सोच के तहत ग्रामीणों ने संकट मोचन हनुमान जी के दरबार में जाकर हाजरी देकर उनसे समस्याओं का निराकरण कराने की प्रार्थना की है और ज्ञापन सौंपा। अब देखना यह है कि पीडि़तों, वंचितों और भक्तों को हर तरह के संकट से उबारने वाले संकट मोचन बजरंग बली हनुमतपुरा गाँव के लोगों की प्रार्थना सुनकर उन्हें उनकी समस्या से कब तक निजात दिलाते हैं। हनुमतपुरा गाँव के ईश्वर प्रसाद पटेल का कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि अफसरों और नेताओं ने हमारी व्यथा भले ही नहीं सुनी लेकिन हनुमान जी जरूर हमारी समस्या दूर करने के लिये कोई न कोई जतन करेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में ईश्वर प्रसाद पटेल, जय कुमार, प्रितपाल पटेल, महेन्द्र पटेल, जय प्रकाश, शुभम, राजकिशोर, रामभगत, अनुज पटेल, रमाकान्त, मुकेश, धीरू, व नरेश पटेल मुख्य रूप से शामिल रहे।

कीचड़ वाले मार्ग से स्कूल जाते हैं बच्चे


पहुँचमार्ग न बन पाने के कारण सबसे ज्यादा मुसीबत स्कूली बच्चों व बीमार व्यक्तियों की होती है। हनुमतपुरा गाँव के बच्चों को पढऩे के लिये ग्राम पंचायत बिल्हा स्थित माध्यमिक शाला में जाना पड़ता है। जाहिर है कि बारिश के मौसम में जब गाँव का रास्ता कीचड़ से सन जाता है तो बच्चों को भी इसी रास्ते से होकर पैदल स्कूल तक की तकरीबन 3 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। हनुमतपुरा गाँव से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गुनौर की दूरी लगभग 10 किमी है। ऐसी स्थिति में गाँव का कोई व्यक्ति यदि बारिश के मौसम में बीमार पड़ता है तो उसे समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती, जिससे कई मर्तबे बीमार व्यक्ति की असमय मौत तक हो जाती है।
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Monday, June 24, 2019

बुन्देलखण्ड की जीवनरेखा अस्तित्व बचाने कर रही संघर्ष

  •   रेत कारोबारियों ने सदानीरा केन नदी को कर दिया है खोखला
  •   अप्रैल में ही रुक जाता है जल प्रवाह, कई जगह मैदान में हुई तब्दील
  •   केन की अधिकांश सहायक नदियां बन चुकी हैं बरसाती नाला




पन्ना जिले में पण्डवन के पास सूखी पड़ी केन नदी का दृश्य।

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र की जीवनरेखा कही जाने वाली केन नदी को बीते एक दशक में ही रेत कारोबारियों ने इस कदर खोखला कर दिया है कि गर्मी शुरू होते ही मार्च और अप्रैल के महीने में इस सदानीरा नदी की जलधार टूट जाती है। लगभग 427 किमी लम्बी इस नदी के कई हिस्से गर्मी के मौसम में मैदान बन जाते हैं जहां धूल के बबन्डर उठते नजर आते हैं। अविरल बहने वाली स्वच्छ नदियों में शुमार केन की ऐसी दुर्दशा की कल्पना एक-डेढ़ दशक पूर्व शायद ही किसी ने की हो। चिन्ता की बात यह है कि हम अभी भी नहीं चेत रहे, केन नदी से भारी भरकम मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर रेत निकालकर उसका सीना छलनी करने में जुटे हुये हैं। जिससे यह बारहमासी नदी अब बरसाती बन रही है। रही सही कसर नदी के प्रवाह क्षेत्र में बन रहे बड़े बांध पूरी किये दे रहे हैं। इसका दुष्परिणाम केन नदी के तटवर्ती ग्रामों के रहवासियों को भोगना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि केन नदी के तटवर्ती 95 फीसदी ग्रामों के कुयें जल स्तर नीचे खिसकने के कारण जहां सूख चुके हैं, वहीं गर्मी के मौसम में हैण्डपम्पों से भी पानी निकलना बन्द हो जाता है। रेत के अधाधुन्ध उत्खनन से केन नदी का नैसॢगक प्रवाह बाधित होने तथा पानी की मात्रा कम होने से तटवर्ती ग्रामों के मछवारों, मल्लाहों, नदी किनारे खेती करने वाले किसानों की जीवनचर्या पर बुरा असर हुआ है। इतना ही नहीं जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध रही केन नदी में पाई जाने वाली वनस्पतियां जहां नष्ट हो रही हैं वहीं जीव-जन्तुओं और मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के भी नष्ट होने का खतरा मंडराने लगा है। अपने अस्तित्व को बचाने के लिये बीते एक दशक से संघर्ष कर रही इस जीवनदायिनी नदी की पुकार सुनने को कोई तैयार नहीं है। लालची और संवेदनशील रेत कारोबारी तथा निहित स्वार्थों की पूर्ति में रत रहने वाले राजनेताओं व अधिकारियों की सांठगांठ से केन सहित उसकी सहायक नदियों का सुनियोजित तरीके से जिस तरह से गला घोंटा जा रहा है, यह आने वाले समय में भयावह साबित हो सकता है। यह कितनी हास्यास्पद बात है कि एक ओर प्रदेश सरकार द्वारा नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर 15 जून से रेत के उत्खनन पर प्रतिबन्ध के बावजूद केन नदी से बेरोकटोक रेत निकाली जा रही है। पूरी रात रेत से उफनाते तक भरे डम्फर गरजते हुये सड़कों से निकलते हैं, लेकिन जिम्मेदारों को यह दिखाई नहीं देता। रेत से भरे डम्फर जब सड़कों से गुजरते हैं तो उनसे पानी टपकता रहता है जो इस बात का सबूत है कि लोड हुई रेत नदी के प्रवाह क्षेत्र की है।

 केन नदी में होने वाले रेत के अवैध उत्खनन का नजारा। ( फाइल फोटो )


सरकार ने माना 40 नदियों की टूटी जलधार

प्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने बदहाली की ओर अग्रसर हो चुकी नदियों को चिह्नित कर उनको पुनर्जीवन देने के कार्य में रूचि दिखाई है। श्री पटेल का मानना है कि बीते 15 साल में बातें तो खूब हुईं लेकिन किसी ने नदियों की चिन्ता नहीं की। अवैध उत्खनन की खुली टूट देकर नदियों का तंत्र ही समाप्त कर दिया गया। बेतहासा पेड़ काटने की वजह से जड़ों से रिसकर जो पानी नदियों में आता था, वह व्यवस्था खत्म हो गई। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पहले चरण में प्रदेश की 40 नदियों को पुनर्जीवित करने का रोड मैप बनाया है। विभाग ने इस काम में समाज की सहभागिता को फोकस में रखने की रणनीति बनाई है। यह शुभ संकेत है कि देर से सही किन्तु सरकार ने नदियों को बचाने तथा उनके पुनर्जीवन पर रूचि दिखाई है, लेकिन सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि नदियों के नैसॢगक प्रवाह को बाधित करने वाली गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगे। अन्यथा नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना का कोई मतलब नहीं रह जायेगा। भीषण जल संकट, सूखा और बाढ़ की विभीषिका से बचने व आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रखने के लिये हमें प्रकृति, पर्यावरण और नदियों का सम्मान करना सीखना होगा।

मिढ़ासन नदी के पुनर्जीवन में खर्च हुये 20 करोड़, हालात जस के तस


 पुनर्जीवन के नाम पर 20 करोड़ खर्च होने के बाद मिढ़ासन की हालत।

पन्ना जिले से प्रवाहित होने वाली केन नदी की सहायक नदियों में शुमार मिढ़ासन नदी को पुनर्जीवित करने के नाम पर 20 करोड़ रू. खर्च किये जा चुके हैं, फिर भी इस नदी की हालत सुधरने के बजाय और बिगड़ गई है। पहले तो इस नदी में गर्मी के समय कहीं-कहीं गड्ढों में पानी दिख भी जाता था, लेकिन अब तो यह पूरी तरह सूखे मैदान में तब्दील हो जाती है। मालुम हो कि मिढ़ासन नदी को सदानीरा बनाने का संकल्प तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिया था और 10 वर्ष पूर्व बड़े ही धूमधाम के साथ इस अभिनव योजना का शुभारंभ किया था लेकिन भ्रष्ट तंत्र ने योजना की हवा निकाल दी और पुनर्जीवन के नाम पर खर्च की गई राशि कहां और कैसे खर्च हुई, इस बात का आज तक खुलासा नहीं हो सका। मिढ़ासन नदी जस की तस रूखी-सूखी पड़ी है, सिर्फ बारिश होने पर ही यह नदी बहती नजर आती है। इस लिहाज से सदानीरा बनने के बजाय यह नदी बरसाती बनकर रह गई है। केन की ही सहायक पतने नदी अभी सूखे मैदान में तो तब्दील नहीं हुई, लेकिन नदी में हर तरफ गन्दगी और कचरे के ढेर नजर आते हैं। पवई के सुप्रसिद्ध कलेही माता मन्दिर के निकट से प्रवाहित होने वाली इस नदी को स्थानीय युवकों द्वारा अभियान चलाकर साफ सुथरा बनाने की प्रयास किया गया, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
किलकिला नदी। 

            गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है किलकिला                 


प्रणामी धर्मावलंबियों की गंगा कही जाने वाली किलकिला नदी समुचित देखरेख के अभाव और सतत उपेक्षा के चलते गन्दे नाले में तब्दील हो चुकी है। हालात ये हैं कि इस नदी का पानी आचमन तो दूर छूने लायक तक नहीं बचा। नदी के आस-पास भीषण दुर्गन्ध उठती है तथा इसमें जहां-तहां सुअर लोटते हुये नजर आते हैं। गौरतलब है कि पन्ना शहर के नालियों का गन्दा पानी इसी किलकिला नदी में जाकर मिलता है। दुर्गन्धयुक्त नालियों का गन्दा पानी इस नदी में मिलने से नदी का पानी विषाक्त और जहरीला हो गया है। जलकुम्भी ने नदी के प्रवाह क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है, जिसके चलते पवित्र कही जाने वाली यह नदी गन्दगी और कचरे के ढेर में तब्दील हो चुकी है। किलकिला नदी के दोनों किनारों पर सब्जी की खेती होती है। सब्जी उगाने वाले कृषक खेतों में लगी सब्जी फसलों की ङ्क्षसचाई इसी नदी के जहरीले पानी से करते हैं, जिससे यहां उगने वाली सब्जी भी दूषित और जन स्वास्थ्य के लिये खतरनाक हो जाती है।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर 

Friday, June 21, 2019

तेंदुये के हमले से वन्य प्राणी चिकित्सक सहित चार घायल

  •   चिकित्सक की हंथेली में तेंदुये ने गड़ाये दाँत, हुये गहरे जख्म
  •   25 फिट गहरे सूखे कुंये में छिपकर बैठा था तेंदुआ
  •   इसके पहले दो वन कर्मियों सहित तीन को कर चुका था घायल



अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में बड़े पैमाने पर हो रही अनियंत्रित अवैध कटाई के चलते वन्य प्राणियों का रहवास उजड़ रहा है। उनकी प्राकृतिक जिन्दगी में खलल पडऩे से वन्य प्राणी जंगल से निकलकर अब आबादी क्षेत्रों में भी घुसने लगे हैं। जिससे वन्य प्राणियों व मनुष्यों के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है। गत 21 जून गुरुवार को अमानगंज वन परिक्षेत्र के अन्तर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व के बफ र जोन से लगे ग्राम पगरा में जो घटनाक्रम घटित हुआ वह चिन्ता में डालने वाला है। टाइगर रिजर्व के जंगल से भटक कर इस गाँव में पहुँचे एक तेंदुआ ने वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता सहित दो वन सुरक्षा श्रमिकों व एक ग्रामीण को बुरी तरह से घायल कर दिया है। तेंदुये के हमले की इस घटना के बाद से पगरा सहित आसपास के ग्रामों में भय और दहशत का माहौल है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सुबह तेंदुये ने सबसे पहले ग्राम पगरा निवासी रतन पटेल पर हमला बोला और उसे घायल कर पास की झोपड़ी में घुस गया। घटना की खबर फैलते ही मौके पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई जिससे तेंदुआ झोपड़ी से निकलकर गाँव के पास स्थित नाले में पेड़ों के नीचे जा बैठा। इस बीच ग्रामीणों द्वारा वन अधिकारियों को घटना से अवगत कराया गया, फलस्वरूप पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम दोपहर में ग्राम पगरा के लिये रवाना हुई। रेस्क्यू टीम के वहां पहुँचने पर हमलावर तेंदुये को ट्रेंकुलाइज कर पकडऩे का ऑपरेशन शुरू किया गया। लेकिन इसी दौरान गुस्साये तेंदुये ने दो वन सुरक्षा श्रमिकों पर हमला बोल कर उन्हें भी घायल कर दिया। इस हमले के बाद वहां पर अफ रा-तफ री मच गई। तेंदुये के हमले से अब तक 3 लोग घायल हो चुके थे और तेंदुआ आसपास कहीं नजर भी नहीं आ रहा था। जिससे लोग भयभीत और सशंकित थे कि पता नहीं कहां से अचानक निकलकर वह हमला कर दे। ऐसी स्थिति में एहतियाती कदम उठाते हुये गाँव के बच्चों को घरों के भीतर रहने की हिदायत दी गई।

सूखे कुयें में छिपकर बैठा था तेंदुआ

पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम द्वारा गाँव के आस-पास इस हमलावर तेंदुये की खोजबीन की जा रही थी उसी समय तकरीबन 5:30 बजे 20-25 फि ट गहरे एक सूखे कुयें में तेंदुआ बैठा नजर आया। पन्ना टाइगर रिजर्व के बेहद अनुभवी वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता व टीम के अन्य सदस्य कुयें के निकट खड़े होकर तेंदुये को ट्रेंकुलाइज करके बेहोश करने की योजना बना ही रहे थे कि अचानक बिजली की तरह तेंदुआ गहरे कुयें से निकल कर बाहर आया और वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. गुप्ता के ऊपर हमला कर दिया। तेंदुये ने उनकी उनकी गर्दन पकडऩी चाही लेकिन उन्होंने दाहिने हाथ से तेंदुये को धक्का दिया, फलस्वरूप उसने उनके हाथ की हथेली को मुँह में भरकर दाँत गड़ा दिये। टीम के अन्य लोगों के दौडऩे व बचाने पर तेंदुआ वहां से भाग खड़ा हुआ। हथेली में 4 दाँत गडऩे से गहरे जख्म हो गये थे जिससे तेजी से खून निकलने लगा था। आनन-फ ानन डॉ. गुप्ता को जिला चिकित्सालय पन्ना लाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है। तेंदुये के हमले में घायल हुये दोनों वन कर्मियों व ग्रामीण का भी जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। बताया गया है यह हमलावर तेंदुआ जंगल की तरफ  भागा है लेकिन अभी भी पगरा सहित जंगल से लगे ग्रामों में भय और दहशत का माहौल है।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट 

Wednesday, June 19, 2019

पन्ना में सड़क मार्ग के किनारे बाघ ने किया बैल का शिकार

  •   सुबह से दोपहर डेढ़ बजे तक वहीं झाड़ी के नीचे किया विश्राम
  •   सड़क मार्ग से गुजरने वाले सैकड़ों लोगों ने वनराज के किये दर्शन
  •   हाँथियों की मदद से दोपहर बाद वन अमले ने जंगल की ओर खदेड़ा


पन्ना टाईगर रिजर्व का नर बाघ पी-111


 अरुण सिंह,पन्ना। बाघों से आबाद हो चुके म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ दर्शन अब इतना सहज और आसान हो गया है कि लोगों को सड़क मार्ग से गुजरते हुये भी वनराज के दीदार हो जाते हैं। पन्ना-अमानगंज मार्ग पर रमपुरा बैरियर के निकट मुख्य सड़क मार्ग से बमुश्किल 25 मीटर की दूरी पर बाघ पी-111 कई घण्टे तक लेन्टाना की झाडिय़ों के नीचे आराम फरमाता रहा। झाडिय़ों की घनी छाँव में पूरी बेफिक्री के साथ लेटे इस वनराज को सड़क मार्ग से गुजरते हुये देखा जा सकता था। पन्ना टाईगर रिजर्व के इस बाघ ने बीती रात यहीं पर बैल का शिकार किया और उसे भरपेट खाने के बाद बचे हुये किल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सड़क किनारे ही झाडिय़ों के नीचे छाँव में डेरा डाले रहा। मॉनीटरिंग दल द्वारा बाघ को वहां से हटाने का प्रयास जब विफल हो गया तो दोपहर लगभग डेढ़ बजे उसे दो हाँथियों की मदद से जंगल के भीतर अन्दर खदेड़ा गया। तब  तक सड़क मार्ग के किनारे मॉनीटरिंग  दल सहित वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता, सहायक संचालक आर.के. सक्सेना तथा रेंजर लालजी तिवारी पूरे समय मौजूद रहे।

 बाघ की निगरानी के लिये सड़क पर मौजूद वन अमला व अधिकारी ।

उल्लेखनीय है कि नर बाघ पी-111 बांधवगढ़ की बाघिन टी-1 की संतान है। बाघ पुनर्स्थापना  योजना के तहत इस बाघिन को 4 मार्च 2009 को पन्ना टाईगर रिजर्व में लाया गया था। पन्ना की पटरानी के रूप में प्रसिद्ध हुई इस बाघिन ने बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाईगर रिजर्व को फिर से आबाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बाघिन टी. की मेटिंग  बाघ टी-3 के साथ होने के बाद 16 अप्रैल 2010 को रात्रि के समय धुंधवा सेहा में इस बाघिन ने पहली बार 4 शावकों को जन्म दिया था। उन्हीं शावकों में पहला बाघन पी-111 है जो मौजूदा समय 9 वर्ष का होकर पन्ना टाईगर रिजर्व का प्रमुख व सबसे विशालकाय नर बाघ है। लगभग 230 किग्रा वजन वाले इस शानदार बाघ को निकट से देखना बेहद रोमांचकारी अनुभव है, जिसे प्राप्त करने का अवसर बुद्धवार 19 जून  मुझे  मिला। मालुम कि  अपने जन्म के डेढ़ वर्ष बाद ही यह बाघ  अपनी माँ से पृथक होकर तालगाँव पठार पर अपना अलग साम्राज्य कायम किया तथा अपने पिता टी-3 के पूर्व इलाके पर कब्जा जमाया। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत पन्ना टाईगर रिजर्व में जन्मे इस पहले बाघ का जन्म दिवस यहां पर हर साल 16 अप्रैल को बड़े ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। केक काटकर बाघ का जन्म दिवस मनाने की यह अनूठी परम्परा पन्ना टाईगर रिजर्व के तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने शुरू की थी जो अनवरत् जारी है।

ओवर ईटिंग  के कारण कर रहा था विश्राम


 हाँथी धूल फेंककर बाघ को झाड़ी के नीचे से हटाते हुये।
यह पहला अवसर है जब बाघ पी-111 मुख्य सड़क मार्ग के इतने निकट झाड़ी के नीचे लेटा रहा। इस रेडियो कॉलर बाघ की निगरानी करने वाले दल ने बाघ को अन्दर जंगल की तरफ करने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हुये निगरानी दल ने इसकी जानकारी पार्क के वरिष्ठ अधिकारियों को दी। कई घण्टे तक बाघ जब वहां से नहीं उठा तो वन अमले को बाघ की सेहत को लेकर आशंका हुई तथा उनके जेहन में तरह-तरह के सवाल भी उठने लगे कि आखिर इतना शोर-शराबा होने के बावजूद बाघ अपनी जगह से उठ क्यों नहीं रहा? यह आशंका भी हुई कि कहीं किल में तो कोई गड़बड़ नहीं है, जिसे बाघ ने खाया है। इन सारी आशंकाओं का समाधान करने के लिये वन अधिकारियों ने हाँथियों की मदद से बाघ के निकट जाकर स्थिति का जायजा लेने का निर्णय लिया और दो प्रशिक्षित हाँथी मौके पर बुलाये गये।

हाँथी ने सूंड़ से धूल फेंका तो उठ खड़ा हुआ बाघ


दोपहर लगभग 1 बजे दोनों हाँथी झाडिय़ों के नीचे लेटे बाघ के निकट पहुँचे, फिर भी यह बाघ पूरी बेफिक्री से ऐसे लेटा रहा मानो उसके आस-पास कोई है ही नहीं। जब बाघ नहीं उठा तो महावत के संकेत पर हाँथी ने सूंड़ से धूल उठाकर बाघ के ऊपर उछाल दिया, हाँथी की इस गुस्ताखी से नाराज होकर जोरदार दहाड़ के साथ बाघ तेजी से उठ  खड़ा हुआ। मौके की नजाकत को समझते हुये प्रशिक्षित हाँथी तत्काल पीछे हटकर बाघ से दूर हो गया। कुछ ही मिनट के इस रोमांचक घनाक्रम के बाद सारी आशंकाओं का समाधान हो चुका था, वन अधिकारी भी आश्वस्त हो गये थे कि बाघ बिलकुल सामान्य स्थिति में है कोई समस्या नहीं है। मौके पर मौजूद वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि ओवर ईटिंग  के कारण भोजन को पचाने के लिये बाघ इतने लम्बे समय तक यहां लेटा रहा। इसके अलावा पास में ही पड़े बचे हुये किल की सुरक्षा के लिये भी बाघ वहां से हट नहीं रहा था, जो सामान्य और स्वाभाविक बात है।

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रैपुरा वन परिक्षेत्र के जंगल में भी हुई अवैध कटाई


  •   दमोह जिले के शातिर वन अपराधियों ने कटवाये हरे-भरे पेड़
  •  पुलिस की मदद से वन अमले ने दमोह जिले में जब्त की लकड़ी



अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना बफर वन परिक्षेत्र के हरसा बीट के टपकनिया जंगल में बड़े पैमाने पर सागौन वृक्षों की हुई कटाई का मामला अभी शान्त भी नहीं हुआ कि दक्षिण वनमण्डल पन्ना के परिक्षेत्र रैपुरा में जंगल कटने का मामला प्रकाश में आ गया है। बताया जाता है कि पड़ोसी जिला दमोह के हथियार बन्द वन अपराधियों ने सुनियोजित तरीके से ट्रेक्टर-ट्राली लेकर रैपुरा वन परिक्षेत्र के जंगल में हरे-भरे वृक्षों को बेरहमी के साथ कटवाया, जब तक वन अमले को मामले की भनक मिली और वे मौके पर पहुँचे तब तक वन अपराधी लकड़ी लेकर अंधेरे का फायदा उठाते हुये पन्ना जिले की सीमा को पार कर अपने ठिकाने में पहुँच गये।
वन मण्डलाधिकारी दक्षिण वन मण्डल पन्ना कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार गत् 16 जून को बघवार के स्थानीय वन अमले द्वारा रात्रि 10.30 बजे सूचना प्राप्त हुई कि सगौनी बीट में कुछ व्यक्ति जंगल में घुसकर लकड़ी काट रहे हैं और वे लगातार फायरिंग कर रहे हैं। परिक्षेत्र अधिकारी रैपुरा ने प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुये तत्काल थाना रैपुरा स्टाफ व वन अमले के साथ मौके पर पहुँचे व सॄचग की गई। जहां पर बीजा की लकड़ी के ठूँठ व ट्रेक्टर के पहिये के निशान पाये गये जिनका पीछा किया गया। परन्तु दुर्गम रास्ता एवं अंधेरा अधिक होने के कारण अपराधी नहीं मिले। पुन: सुबह जाकर जाँच कार्यवाही की गई व सूक्ष्म जाँच व मुखबिर से जानकारी प्राप्त हुई कि उक्त काटी गई लकड़ी दमोह जिला के महुआडांड़ गई है। सम्पूर्ण प्रकरण की जानकारी से श्रीमती मीना कुमारी मिश्रा, वन मण्डलाधिकारी दक्षिण पन्ना को अवगत कराया व आगे की कार्यवाही हेतु मार्गदर्शन प्राप्त किया। वन परिक्षेत्राधिकारी मोहन्द्रा से सम्पर्क कर उनके स्टाफ के साथ दुर्गम मार्ग व वर्षा होने के बावजूद विषम स्थिति, में छिपाई गई लकड़ी व ट्रेक्टर के समीप पहुँचे जहां पर ट्रेक्टर ट्राली में बीजा की लकड़ी के गोंद के निशान मिले। अवैध कटाई में लिप्त अपराधी प्रकाश पटेल व भारत आदिवासी से पूछताछ की जा रही थी। तभी कुछ दूर स्थित प्रकाश पटेल की झोपड़ी में आरोपियों द्वारा आग लगा दी गई, जिससे जब्ती की कार्यवाही न हो सके। जिसकी सूचना दूरभाष के माध्यम से वन मण्डलाधिकारी दक्षिण पन्ना एवं थाना प्रभारी थाना पटेरा को दी गई व थाना जाकर लिखित रिर्पोट थाना पटेरा में दर्ज कराई गई। वन अधिकारी व अमला पुलिस बल के साथ पुन: जब्ती स्थल पर गये जहां से आरोपियों द्वारा ट्रेक्टर वहां से भगा कर ले जाया गया था व लकड़ी को भी छिपाने की कोशिश में थे। पुलिस बल व वन अमला अधिक मात्रा में पहुँच जाने से भयवश जब्त शुदा लकड़ी को छिपा नहीं सके व जब्ती की कार्यवाही की गई। ऐसी सूचना प्राप्त हुई कि जब्त शुदा लकड़ी लेने व स्टाफ से झगड़ा करने के उद्देश्य से ग्रामवासी रोड पर संगठित हो रहे हैं। वन परिक्षेत्राधिकारी द्वारा सूझबूझ से काम लेते हुये स्टाफ व जब्त शुदा सामग्री को बेलखेड़ी, हिनोती एवं कुम्हारी के रास्ते से रैपुरा सकुशल आ सके। उक्त प्रकरण में लिप्त आरोपियों में से कुछ को पहचाना जा चुका है जिन्हें शीघ्र गिरफ्तार किया जावेगा। उक्त घटना की कार्यवाही कर वन अपराध प्रकरण क्र. 939/05 दिनांक 17 जून को कायम किया गया। कार्यवाही में पुलिस थाना पटेरा, वनमण्डल दमोह, परिक्षेत्राधिकारी मोहन्द्रा व स्टाफ शामिल रहे। परिक्षेत्राधिकारी देवेश गौतम के साथ गोकुल सिंह, उप वनक्षेत्रपाल धीरेन्द्र प्रताप सिंह , वनरक्षक रजनीश चौरसिया, वनरक्षक राकेश खरे, वनरक्षक कु. प्रियंका शर्मा, वनरक्षक प्रेमशंकर सिंह ठाकुर, वनरक्षक सूर्यप्रताप सिंह, वनरक्षक व अन्य परिक्षेत्र स्टाफ व कार्यरत सुरक्षा श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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Monday, June 17, 2019

पन्ना जिले के लिये अभिशाप है केन-बेतवा लिंक परियोजना


  •   जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिव्यारानी सिंह  ने परियोजना का किया विरोध
  •   मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री को दुष्परिणामों से कराया जायेगा अवगत
  •   बाघों से आबाद पन्ना टाइगर रिज़र्व डुबाने नहीं दिया जायेगा 


पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिव्या रानी सिंह 

अरुण सिंह,पन्ना। केन-बेतवा लिंक परियोजना पन्ना जिले के लिये अभिशाप साबित होगी, इसलिये पिछले दो दशकों से विवादों में घिरी इस लिंक परियोजना का न सिर्फ पुरजोर विरोध किया जायेगा अपितु इसके दुष्परिणामों से प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी से मुलाकात कर उन्हें हकीकत से अवगत कराया जायेगा। यह बात जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष श्रीमति दिव्यारानी सिंह  ने आज प्रदेश सरकार के 6 माह पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि परियोजना के डूब क्षेत्र में पन्ना टाईगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा आ रहा है, जिससे बाघों का रहवास न सिर्फ नष्ट हो जायेगा बल्कि पन्ना टाईगर रिजर्व दो हिस्सों में विभाजित हो जायेगा। जिससे वन्य प्राणियों विशेषकर बाघों की मॉनीटरिंग सही ढंग से सम्भव नहीं हो पायेगी।
जिला कांगे्रस अध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया कि पन्ना जिले में वैसे भी पानी की कमी है, भू-जल की स्थिति चिन्ताजनक है। यहां 6सौ फिट गहराई पर भी अपेक्षित पानी नहीं मिलता। यदि केन नदी को एक जगह रोककर उसके नैसर्गिक प्रवाह को बाधित कर दिया गया तो ग्राउण्ड वाटर खत्म हो जायेगा, नतीजतन केन नदी के किनारे बसे ग्रामों में भी लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति बनने पर दर्जनों ग्रामों के लोगों को पलायन करने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि केन नदी ऊपर और बेतवा नीचे है, इसलिये केन का पानी तो बेतवा में चला जायेगा, लेकिन यहां सूखा पडऩे व पानी की जरूरत होने पर बेतवा का पानी केन में नहीं आ सकता। इसलिये यह परियोजना इस अंचल के लिये न्याय संगत नहीं कही जा सकती। जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 10 वर्ष पूर्व पन्ना टाईगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। जिसे बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत एक बार फिर से आबाद किया गया है। अब केन-बेतवा लिंक परियोजना के द्वारा बाघों के इस बसेरा को डुबोने की तैयारी की जा रही है, जिसे पन्ना जिले के लोग किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
मालुम हो कि केन-बेतवा लिंक परियोजना में शामिल केन नदी की कुल लम्बाई 427 किमी है। ढोढऩ में जहां बांध बन रहा है, वहां से केन नदी की डाउन स्ट्रीम की लम्बाई 270 किमी है। बांध में कांक्रीट डेम का हिस्सा 798 मीटर और मिट्टी के बांध की लम्बाई 1233 मी. है। बांध की ऊँचाई 77 मी. है। ढोढऩ बांध से बेतवा नदी में पानी ले जाने वाली ङ्क्षलक कैनाल की लम्बाई 220.624 किमी होगी। बांध का डूब क्षेत्र पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में शामिल है। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में 40 से भी अधिक बाघ हैं, इसके अलावा इस वन क्षेत्र में बड़ी तादाद में दुर्लभ प्रजाति के अनेकों जीव-जन्तु भी हैं। योजना में इस वन क्षेत्र के डूब में आ जाने से बाघों सहित अन्य जीव-जन्तुओं को अपना रहवास छोड़ पलायन करना पड़ेगा। यही वजह है कि पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमी तथा कई समाजसेवी संस्थायें इस विवादित लिंक परियोजना को पर्यावरण के विरूद्ध बताते हुये इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सहित जिले के कांग्रेसजनों ने भी लिंक  परियोजना को विरोध में मुहिम छेडऩे की बात कही है। इस मौके पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिव्यारानी सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता रवीन्द्र शुक्ला, पुष्पेन्द्र सिंह परमार, केशव प्रताप सिंह, मनीष शर्मा, दीपचन्द्र अग्रवाल सहित अनेकों कांग्रेस नेता व पदाधिकारी मौजूद रहे।
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Sunday, June 16, 2019

क्षेत्र संचालक की रिपोर्ट से वन सुरक्षा को लेकर उठे गंभीर सवाल

  •   कई महीनों से खाली पड़ी थी टपकनिया वन सुरक्षा चौकी
  •   सागौन वृक्षों की कटाई के लिये वन अपराधियों को मिला भरपूर अवसर
  •   डिप्टी रेंजर व वन रक्षक के बाद अब अधिकारियों पर भी हो सकती है कार्यवाही




क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व कार्यालय पन्ना।

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में वन्य प्राणियों व जंगल की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुई सागौन वृक्षों की अवैध कटाई का मामला उजागर होने के बाद ड्यूटी से नदारद रहने वाले डिप्टी रेंजर व वन रक्षक को निलंबित किया जा चुका है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुये पीटीआर के आला अधिकारियों पर भी कार्यवाही की गाज गिर सकती है। अवैध कटाई के इस सनसनीखेज मामले पर पीटीआर के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया द्वारा 14 जून को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) को सौंपी गई रिपोर्ट से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने भेजी गई अपनी रिपोर्ट में यह लेख किया है कि पन्ना बफर परिक्षेत्र के टपकनिया जंगल में सागौन वृक्षों की कटाई होने की सूचना उन्हें मुखबिर द्वारा 4 जून 2019 को मिली थी यह सूचना मिलने पर क्षेत्र संचालक द्वारा उडऩदस्ता दल क्र. 2 को अवैध कटाई की जाँच करने के लिये निर्देश दिये। तदुपरान्त उडऩदस्ता दल द्वारा 5 जून को हर्षा बीट के टपकनिया जंगल का जायजा लिया और यहां पर बड़े पैमाने पर सागौन के पेड़ कटने की पुष्टि की। उडऩदस्ता दल द्वारा 5 जून से 10 जून तक टपकनिया के जंगल में हुई अवैध कटाई के ठूँठों की गणना की गई, जिसमें 619 नग ताजे ठूँठ पाये गये। सबसे आश्चर्यजनक और चिन्ता की बात यह है कि इतने व्यापक स्तर पर सागौन वृक्षों की बेरहमी से लम्बे समय तक कटाई होती रही लेकिन इसकी भनक न तो रेंजर कौरव नामदेव को लगी और न ही पीटीआर के आला वन अधिकारियों को जंगल में चल रही विनाशलीला की खबर मिली। इससे साफ जाहिर होता है कि पीटीआर के बफर क्षेत्र में जितना भी जंगल बचा है वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने अपनी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया है कि 8 जून को उप संचालक के साथ जब उन्होंने स्थाई कैम्प टपकनिया का निरीक्षण किया तो वहां एक भी वनकर्मी नहीं मिला, स्थाई कैम्प खाली पाया गया। श्री भदौरिया ने रिपोर्ट में यह भी लेख किया है कि निरीक्षण के दौरान यह ज्ञात हुआ कि कैम्प पर विगत कई माहों से वन कर्मचारी व श्रमिकों ने निवास नहीं किया। वन सुरक्षा कैम्प के लम्बे समय तक खाली पड़े रहने का जंगल की सुरक्षा पर विपरीत असर पड़ा और वन अपराधियों द्वारा इसका फायदा उठाते हुये बेखौफ होकर सागौन वृक्षों का सफाया कराया गया।
गौरतलब है कि पन्ना बफर के हर्षा बीट का टपकनिया जंगल उत्तर वन मण्डल पन्ना की सीमा से लगा हुआ है। यह पूरा क्षेत्र अवैध कटाई को लेकर विगत कई वर्षों से संवेदनशील बना हुआ है। वर्ष 2016 में हर्षा बीट से लगे उत्तर वन मण्डल पन्ना के जंगल में सागौन वृक्षों के बड़े पैमाने पर हुई अवैध कटाई का मामला प्रकाश में आया था। इसके बाद 2018 में भी इस क्षेत्र में अवैध कटाई हुई, जिसको दृष्टिगत रखते हुये स्थाई कैम्प टपकनिया की स्थापना की गई थी, ताकि अवैध कटाई पर प्रभावी अंकुश लग सके। लेकिन जिन वन कर्मचारियों व अधिकारियों पर जंगल को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करना तो दूर महीनों जंगल की तरफ रुख भी नहीं किया। हमेशा सजग और चौकन्ने रहने वाले वन अपराधियों को इसकी जानकारी थी, नतीजतन सुरक्षा विहीन इस जंगल को उन्होंने तबियत से तहस-नहस किया।

क्षेत्र संचालक की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य


 के.एस. भदौरिया क्षेत्र संचालक पन्ना  टाइगर रिज़र्व ।


  •   स्थाई कैम्प टपकनिया विगत कई माहों से बन्द पड़ा रहा एवं कर्मचारियों व श्रमिकों द्वारा कैम्प पर निवास कर सुरक्षा नहीं की गई। फलस्वरूप क्षेत्र में अवैध कटाई हुई। स्थाई कैम्प टपकनिया पर कर्मचारियों व श्रमिकों के निवास न करने के संबंध में परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर एवं सहायक संचालक मड़ला द्वारा उक्त तथ्य की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई। 
  •   स्थाई कैम्प टपकनिया पर कर्मचारी, श्रमिकों का निवास कर वन सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
  •   परिक्षेत्र सहायक झिन्ना विगत 3 माह से अनुपस्थित हैं एवं बीट प्रभारी वन रक्षक द्वारा टपकनिया कैम्प पर निवास नहीं किया गया। परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा उक्त वन क्षेत्र की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया।
  •   पन्ना टाईगर रिजर्व में वन कर्मचारियों द्वारा वायरलेस से प्रतिदिन खैरियत रिपोर्ट वायरलेस कन्ट्रोल रूम पन्ना को प्रदान की जाती है। लेकिन परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर एवं अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन खैरियत दी गई। उक्त वन क्षेत्र में अवैध कटाई की सूचना नहीं दी गई। इस प्रकार कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा कर्तव्य में लापरवाही बरती गई।
  •   प्रभारी परिक्षेत्र सहायक झिन्ना, परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर एवं सहायक संचालक मड़ला द्वारा क्षेत्र में अवैध कटाई पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही अवैध कटाई की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। 
  •   परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर द्वारा माह मई 2019 में रोस्टर के अनुसार बीट निरीक्षण करना सुनिश्चित था किन्तु उनके द्वारा निर्धारित बीट का निरीक्षण नहीं किया गया। परिक्षेत्र सहायक झिन्ना द्वारा मई 2019 में बीट हर्षा का निरीक्षण किया गया किन्तु उनके द्वारा बीट में कोई बृहद स्तर पर कटाई संज्ञान में नहीं ली गई और न ही बीट क्षेत्र में अवैध कटाई की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई।

वन्य प्राणियों पर भी मंडरा रहा खतरा

पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र सहित बफर व उत्तर तथा दक्षिण वन मण्डल पन्ना के जंगलों में विचरण करने वाले वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। मालुम हो कि वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी के चलते बाघ विहीन हो गया था। लेकिन उस समय आर.श्रीनिवास मूर्ति  व विक्रम सिंह परिहार  जैसे वन अधिकारियों ने यहां के सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाते हुये अनुकूल वातावरण बनाया, फलस्वरूप बाघ विहीन हो चुका पन्ना टाईगर रिजर्व एक बार फिर न सिर्फ बाघों से आबाद हो गया अपितु यहां जन्मे बाघ आस-पास के जंगलों में पहुँचकर वहां अपना ठिकाना बना रहे हैं। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में 40 से अधिक बाघ हैं, उसके अनुरूप यहां सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी है। वर्तमान में पन्ना टाईगर रिजर्व में वन क्षेत्रपाल के 8 पद, उप वन क्षेत्रपाल के 5 पद, वनपाल के 36 पद तथा वन रक्षक के 35 पद रिक्त हैं। कर्मचारियों व अधिकारियों की कमी के कारण 6 परिक्षेत्र, 9 परिक्षेत्र सहायक वृत्त एवं 24 बीटें रिक्त हैं। जाहिर है कि ऐसी विकट परिस्थितियों में बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाईगर रिजर्व में एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट 

अभ्युदय प्रोजेक्ट से होगी विकास कार्यों व योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी


  •   जिले के नवागत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने पत्रकारों से विभिन्न मुद्दों पर की रूबरू चर्चा
  •   प्रशासनिक कसावट लाने ग्राम, जनपद व जिला स्तर पर बनाये जायेंगे अभ्युदय दल


पन्ना के नवागत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा। 

अरुण सिंह,पन्ना। विकास के मामले में अत्यधिक पिछड़े पन्ना जिले के लोगों को शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले तथा विकास के कार्यों का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन हो, इसके लिये अभिनव पहल के तहत जिले में अभ्युदय प्रोजेक्ट शुरू किया जायेगा। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने पर जिला से लेकर ग्राम स्तर तक शासकीय योजनाओं व विकास कार्यों की बेहतर ढंग से निगरानी हो सकेगी। यह बात जिले के नवागत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने आज नवीन कलेक्ट्रेट भवन के सभागार में आयोजित पहली प्रेसवार्ता में पत्रकारों से रूबरू चर्चा करते हुये कही। उन्होंने कहा कि शासन की प्राथमिकतायें कलेक्टर की प्राथमिकता होती हैं, लेकिन हर जिले की अपनी अलग समस्यायें व प्राथमिकतायें होती हैं, जिन्हें जानने और समझने के लिये पत्रकारों से चर्चा कर जिले की प्राथमिकतायें तय करेंगे। इसी के अनुरूप कार्य योजना बनाई जायेगी।
कार्यभार गृहण करने के बाद आयोजित हुई इस पहली प्रेसवार्ता में कलेक्टर श्री शर्मा ने बड़ी सहजता के साथ सभी से परिचय प्राप्त किया, तदुपरान्त वार्ता में मौजूद सभी पत्रकारों से उनके विचार व सुझावों को सुना। अपनी तरह की इस अनूठी परिचर्चा व संवाद में कई महत्वपूर्ण मुद्दे सामने आये, जिन्हें कलेक्टर ने अपने संज्ञान में लिया। पत्रकारों ने मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, पर्यटन विकास और अवैध उत्खनन से पर्यावरण को होने वाली अपूर्णीय क्षति पर चर्चा करते हुये अहम सुझाव दिये। कलेक्टर को बताया गया कि पन्ना की पहचान यहां के समृद्ध पर्यावरण, खनिज संपदा और प्राचीन भव्य मन्दिरों से है। यहां नैसर्गिक  संपदा का संरक्षण करते हुये विकास की योजनायें बननी चाहिये। पत्रकारों ने कलेक्टर का ध्यान जिले की बदहाल हो चुकी शैक्षणिक व्यवस्था और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की ओर आकृष्ट करते हुये उन्हें जमीनी हकीकत से न सिर्फ अवगत कराया अपितु समस्या के निदान हेतु सुझाव भी दिये।


कलेक्टर से रूबरू चर्चा करते हुए पन्ना के पत्रकार। 

कलेक्टर श्री शर्मा को पन्ना जिले के प्राचीन जलाशयों की हो रही दुर्दशा की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया गया। उन्हें बताया गया कि जिला मुख्यालय में स्थिति राजाशाही जमाने के प्राचीन जलाशय आज भी यहां के जीवन के आधार हैं। इन्हीं जलाशयों का पानी शहर में पेयजल के लिये प्रदाय किया जाता है। लेकिन समुचित देखरेख के अभाव और उपेक्षा के कारण शहर के ज्यादातर तालाब अतिक्रमण से ग्रसित हैं जिससे उनका वजूद नष्ट हो रहा है। इन जीवनदायी तालाबों को बचाने और संरक्षित करने के लिये ठोस और कारगर पहल जरूरी है। इस अहम मुद्दे पर कलेक्टर ने गंभीरता से चर्चा की और तालाबों को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें संरक्षित करने पर सहमति जताई। पत्रकारों ने यह सुझाव भी दिया कि पन्ना जिले में ईको फ्रेण्डली गतिविधियों को बढ़ावा मिलना चाहिये जिनसे युवाओं को रोजगार के भी अवसर उपलब्ध हो सकें। चूँकि पन्ना की प्राकृतिक आबोहवा आज भी अन्य दूसरे जिलों की तुलना में बेहतर है, जिसे दृष्टिगत रखते हुये पन्ना को शिक्षा के हब के रूप में विकसित करने की दिशा में पहल अपेक्षित है। शिक्षा के लिये यहां का शान्तिपूर्ण वातावरण व पर्यावरण दोनों ही अनुकूल है।

केन नदी का पानी लाया जाये पन्ना


पन्ना शहर की पेयजल समस्या के स्थाई निदान हेतु केन नदी का पानी पन्ना लाने का सुझाव भी दिया गया। प्राचीन तालाबों के अतिक्रमण का शिकार होने तथा उनका पानी दूषित और गन्दा हो जाने के चलते विगत कई वर्षों से गर्मी के मौसम में पन्ना नगरवासियों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। हर मुहल्ले में जगह-जगह बोरवेल खुदवाकर पेयजल की व्यवस्था करना समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि हर साल पानी तेजी से नीचे खिसक रहा है और भू-जल की स्थिति गंभीर है। इन हालातें में यदि केन नदी के पानी को पन्ना लाने के प्रभावी प्रयास हों तो यहां की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है।

रेत का अवैध उत्खनन गंभीर समस्या



जिले में केन सहित उसकी सहायक नदियों में व्यापक पैमाने पर भारी भरकम मशीनों से जिस तरह नियमों को तांक में रखकर रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है, उससे नदियों का वजूद संकट में पड़ गया है। अजयगढ़ क्षेत्र में रेत माफियाओं ने बीते 5 सालों में केन नदी को छलनी कर दिया है, जिससे जलीय जन्तुओं व वनस्पतियों का अस्तित्व जहां खत्म होने की कगार पर है, वहीं केन किनारे के ग्रामों का जल स्तर भी तेजी से नीचे खिसक रहा है। गर्मी के दिनों में इन ग्रामों को भी जल संकट से जूझना पड़ता है। रेत के अवैध उत्खनन से अराजकता तथा ङ्क्षहसा को जहां बढ़ावा मिलता है वहीं इलाके की शान्ति व्यवस्था भी भंग होती है। रेत से शासन को जितना राजस्व मिलता है, उससे कई गुना अधिक लागत वाली सड़कें भारी भरकम रेत से भरे डम्फरों की धमाचौकड़ी से ध्वस्त हो जाती हैं। इस लिहाज से रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन और भण्डारण पर सख्ती से रोक लगनी चाहिये।

निगरानी तंत्र को बनाया जायेगा सशक्त: कलेक्टर

अभ्युदय प्रोजेक्ट के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुये कलेक्टर ने बताया कि इसके माध्यम से निगरानी तंत्र को सशक्त बनाया जायेगा। जिले के अधिकारियों को गाँव डिवाइड करेंगे, कौन अधिकारी किस गाँव में जा रहा है, किसी को इसकी जानकारी नहीं रहेगी, सिर्फ कन्ट्रोल रूम में जानकारी होगी। इसके बेहतर क्रियान्वयन हेतु ग्राम, जनपद व जिला स्तर पर अभ्युदय दल बनाये जायेंगे। क्लेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि पत्रकारों के साथ हुई चर्चा में दीर्घ कालिक महत्व के अनेकों विषय और मुद्दे सामने आये हैं। इनका विश्लेषण करके प्राथमिकतायें तय की जायेंगी। आपने बताया कि विश्लेषण करने के बाद सामने आये मुद्दों को शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म व लाँग टर्म में विभाजित कर उसी के अनुरूप कार्य योजना बनाई जायेगी। इसमें जनप्रतिनिधियों और मीडिया की भूमिका भी अहम रहेगी।
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Saturday, June 15, 2019

सागौन कटाई मामले में डिप्टी रेंजर व वनरक्षक निलंबित

  •   उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व ने की निलंबन की कार्यवाही
  •   वन विभाग की एसटीएफ टीम ने जंगल में हुई क्षति का लिया जायजा



टपकनिया जंगल के निकट स्थित वन विभाग का पेट्रोलिंग कैम्प।

अरुण सिंह, पन्ना। सागौन वृक्षों की बड़े पैमाने पर हुई अवैध कटाई को लेकर इन दिनों पन्ना टाईगर रिजर्व सुॢखयों में बना हुआ है। बीते तकरीबन एक माह के दौरान पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र अन्तर्गत हर्षा बीट के टपकनिया जंगल में 6सौ से भी अधिक सागौन के हरे-भरे वृक्षों को बेरहमी के साथ काटा गया है। मामले का खुलासा होने पर उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व द्वारा तत्काल प्रभाव से हर्षा बीट के वन रक्षक अनिल कुमार प्रजापति व डिप्टी रेंजर गोविन्द दास सौर को निलंबित कर दिया है। इधर प्रदेश के वन मंत्री उमंग ङ्क्षसघार के निर्देश पर वन विभाग की एसटीएफ टीम ने भोपाल से पन्ना पहुँचकर अवैध कटाई से जंगल को हुये नुकसान का जायजा लिया है। प्रदेश स्तरीय यह जाँच टीम अपनी रिपोर्ट आला वन अधिकारियों को सौंपेगी, तदुपरान्त अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही हो सकती है।

जंगल जहां पर सागौन वृक्षों की बेरहमी से कटाई हुई।

उल्लेखनीय है कि पन्ना बफर क्षेत्र के टपकनिया जंगल में जहां सागौन वृक्षों की अवैध कटाई हुई है, वहां से बमुश्किल 2सौ मीटर की दूरी पर वन विभाग का पेट्रोङ्क्षलग कैम्प स्थित है। जाहिर सी बात है कि इस कैम्प में यदि वन कॢमयों की मौजूदगी होती तो इतने बड़े पैमाने पर सागौन वृक्षों की कटाई संभव नहीं थी। जिस तरह से वन माफियाओं ने टपकनिया जंगल के 2-3 किमी के दायरे में जंगल का विनाश किया है, उससे तो यही प्रतीत होता है कि बीते एक माह के दौरान वनरक्षक व डिप्टी रेंजर सहित अन्य कोई भी वन अधिकारी यहां नहीं पहुँचे। तकरीबन एक माह तक वन माफिया जंगल में छाँट-छाँट कर मोटे और कीमती सागौन वृक्षों को कटवाते रहे और पन्ना बफर वन परिक्षेत्र के रेंजर कौरव नामदेव सहित अन्य अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसी से पता चलता है कि वन संरक्षण व सुरक्षा के नाम पर जिम्मेदार लोग किस तरह से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।

जंगल में बिखरी पड़ी हैं वृक्षों की शाखायें


जहां-तहां बिखरी पड़ीं सागौन वृक्षों की शाखायें।

पन्ना बफर क्षेत्र के टपकनिया जंगल में मौजूदा समय न सिर्फ हर तरफ सागौन के ताजे ठूँठ नजर आ रहे हैं अपितु पूरे जंगल में सागौन वृक्षों की मोटी-मोटी शाखायें बिखरी पड़ी हैं। सागौन तस्करों ने पूरे बेफिक्री के साथ न सिर्फ पेड़ काटे अपितु वहीं जंगल में ही शाखाओं की काट-छाँट कर बोगियां बनाकर ले गये। सागौन वृक्षों की छीलन व फैली पड़ी शाखाओं को देखकर सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़े ही सुनियोजित तरीके से कटाई के कार्य को अंजाम दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कटाई में लिप्त ज्यादातर लोग पन्ना से कौटासेहा के रास्ते वहां पहुँचते रहे हैं। जबकि कुछ लोगों के केन नदी पारकर यहां आने के संकेत मिले हैं। सागौन की बोगियां भी इसी मार्ग से ले जाई जाती रही हैं।

वन परिक्षेत्र के अन्य बीटों में भी हुई है कटाई

अवैध सागौन कटाई को लेकर मौजूदा समय पन्ना बफर क्षेत्र की हर्षा बीट पर ही सभी का ध्यान केन्द्रित है, जबकि वन परिक्षेत्र की अन्य दूसरी बीटों की हालत बेहतर नहीं कही जा सकती। सूत्रों के मुताबिक यदि समूचे बफर क्षेत्र के जंगल का सही तरीके से जायजा लिया जाये तो पेड़ कटाई के बेहद चौंकाने वाले और अविश्वसनीय आँकड़े सामने आ सकते हैं। बफर क्षेत्र के अलावा सामान्य वन क्षेत्र में तो सागौन का जंगल खत्म होने की कगार में जा पहुँचा है। पन्ना शहर के निकट कौआसेहा का जंगल पूरी तरह से साफ हो चुका है, यहां अन्य दूसरी प्रजाति के पेड़ों के अलावा सिर्फ गुलचिटार की झाडिय़ां बची हैं, सागौन का पेड़ यहां ढूँढऩे पर भी नहीं मिलेगा। यहीं से होकर लकड़ी तस्कर बफर क्षेत्र के जंगल में पहुँचते हैं और सागौन काटकर बोगियां ठिकाने पर पहुँचा देते हैं। यह सिलसिला अनवरत् रूप से कभी कम तो कभी ज्यादा लेकिन जारी रहता है।

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Friday, June 14, 2019

पन्ना टाईगर रिजर्व के हर्षा बीट में कट गये सागौन के सैकड़ों वृक्ष

  •   बड़े पैमाने पर सुनियोजित ढंग से होती रही कटाई और वन अमले को नहीं लगी भनक
  •   सागौन वृक्षों की अवैध कटाई का खुलासा होने पर मचा हड़कम्प
  •   क्षेत्र संचालक सहित वन अधिकारियों ने जंगल का दौरा कर लिया जायजा
  •   वन परिक्षेत्र पन्ना बफर के टपकनिया जंगल में हर तरफ नजर आ रहे ताजे ठूँठ



पन्ना टाईगर रिजर्व में बफर परिक्षेत्र के हर्षा बीट का प्रवेश द्वार।

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व अन्तर्गत वन परिक्षेत्र पन्ना बफर के हर्षा बीट में बड़े ही सुनियोजित तरीके से बड़े पैमाने पर सागौन वृक्षों की कटाई का बेहद चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। मामले का खुलासा होने पर वन महकमे में हड़कम्प मचा हुआ है। पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में जहां बेरहमी के साथ हरे-भरे सैकड़ों सागौन वृक्षों को काटा गया है, वह इलाका टपकनिया जंगल के नाम से जाना जाता है। टपकनिया के इस जंगल में जिधर भी नजर दौड़ाये, हर तरफ सागौन के ताजे ठूँठ नजर आ रहे हैं। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने बताया कि जानकारी मिलते ही उन्होंने मौके पर पहुँचकर स्थिति का जायजा लिया है। बफर क्षेत्र के इस जंगल में सागौन के कितने वृक्ष कटे हैं, इसका आँकलन कराया जा रहा है।
 उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले के उत्तर वन मण्डल अन्तर्ग उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले के उत्तर वन मण्डल अन्तर्गत विश्रामगंज, देवेन्द्रनगर व धरमपुर वन परिक्षेत्र के जंगल में सागौन वृक्षों की कटाई का सिलसिला वर्षों से चल रहा है, जिस पर प्रभावी अंकुश लगाने में वन अमला नाकाम साबित हुआ है। सुनियोजित तरीके से सागौन वृक्षों की कटाई में लिप्त वन माफियाओं की गिद्ध दृष्टि अब पन्ना टाईगर रिजर्व के सुरक्षित कहे जाने वाले समृद्ध बफर क्षेत्र के जंगल में गई है, जहां उन्होंने बीते एक माह के दौरान बेखौफ होकर जंगल को तहस-नहस किया है और जंगल की सुरक्षा में तैनात अमले को इस विनाश लीला की भनक तक नहीं लगी। सागौन वृक्षों की व्यापक पैमाने पर हुई कटाई के इस खौफनाक नजारे को देखकर वन विभाग के आला अधिकारी भी हैरान हैं। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने प्रभावित वन क्षेत्र का दौरा करने के बाद यह स्वीकार किया है कि जिम्मेदार वन अधिकारियों व सुरक्षा में तैनात रहने वाले वन अमले ने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया। इसी लापरवाही और अनदेखी के कारण ही इतने बड़े पैमाने पर अवैध कटाई संभव हो सकी जो निश्चित ही चिन्ताजनक है। श्री भदौरिया ने बताया कि हर्षा बीट के टपकनिया जंगल के पास ही वन सुरक्षा चौकी है, लेकिन वहां वन कर्मी रहते ही नहीं थे। सबसे ज्यादा चिन्ताजनक बात यह है कि वन परिक्षेत्र अधिकारी व अन्य वन अधिकारियों ने भी इस इलाके का जायजा नहीं लिया। नतीजतन जंगल की कटाई का सिलसिला पिछले कई दिनों से बेरोकटोक अनवरत जारी रहा और किसी को इसकी भनक नहीं लगी। श्री भदौरिया ने कहा कि बफर क्षेत्र के जंगल में सागौन वृक्षों की अवैध कटाई का मामला बेहद गंभीर अपराध है और इसके लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि अवैध कटाई से जंगल को कितनी क्षति हुई है, इसका आँकलन कराया जा रहा है।

बफर क्षेत्र में विचरण कर रहे बाघों पर मंडराया खतरा





पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बाघों की संख्या बढऩे से कई बाघ कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर क्षेत्र के जंगल में विचरण कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर बाघों को रेडियो कॉलर नहीं है, जिससे उनके विचरण क्षेत्र व लोकेशन की जानकारी भी वन अमले को नहीं रहती। ऐसी स्थिति में बफर क्षेत्र के जंगल जहां इतने व्यापक पैमाने पर अवैध कटाई हो रही है, वहां विचरण करने वाले बाघों पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। पार्क सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पन्ना बफर क्षेत्र के जिस इलाके में सागौन वृक्षों की कटाई हुई है वह पूरा इलाका मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के बाघ पुनर्स्थापना  योजना के तहत वर्ष 2009 में पेंच से लाये गये संस्थापक नर बाघ टी-3 का रहवास है। पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना को कामयाबी दिलाने वाले इस नर बाघ को फादर आफ दि पन्ना टाईगर के खिताब से भी नवाजा गया है, क्योंकि पन्ना में जितने भी बाघ हैं सब इसी की संतान हैं। इस लिहाज से टी-3 बाघ पन्ना टाईगर रिजर्व की धरोहर है, लेकिन मौजूदा समय इस बाघ की सुरक्षा भी खतरे में है।

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दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट 


Thursday, June 13, 2019

पन्ना के प्रसिद्ध पाण्डव जल प्रपात में बाघ परिवार का डेरा

  • बाघों की मौजूदगी से पर्यटकों के भ्रमण पर लगी रोक
  •  भीषण गर्मी में भी यहां पर होता है शीतलता का अहसास



अरुण सिंह,पन्ना, 12 जून 19। भीषण तपिश भरी गर्मी से म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में विचरण करने वाले बाघ भी बेहाल हैं। गर्मी के प्रकोप से बचने के लिये शीतलता प्रदान करने वाले स्थलों की तलाश कर वहां आराम फरमा रहे हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित सुप्रसिद्ध पर्यटल स्थल पाण्डव जल प्रपात में भी पिछले 15 दिनों से बाघ परिवार डेरा डाले हुये हैं। यहां पर बाघों की मौजूदगी को देखते हुये पार्क प्रबन्धन ने पर्यटकों के भ्रमण पर रोक लगा दिया है। प्रतिबन्ध लगने के कारण पर्यटक पिछले 15 दिनों से इस सुन्दर जल प्रपात व शीतलता का अहसास कराने वाली प्राचीन गुफाओं का लुत्फ उठाने से वंचित हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर से लगभग 12 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट स्थित पाण्डव जल प्रपात पूरे वर्ष पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुला रहता है। बारिश के दौरान जब पन्ना टाईगर रिजर्व के प्रवेश द्वार पर्यटकों के लिये बन्द हो जाते हैं, उस समय भी पाण्डव जल प्रपात का देशी व विदेशी पर्यटक भरपूर लुत्फ उठाते हैं। लेकिन इस वर्ष पड़ रही प्रचण्ड गर्मी के मौसम में जब पन्ना शहर में तापमान का पारा पिछले रिकार्ड ध्वस्त करते हुये 48 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया है, ऐसे समय पर पाण्डव जल प्रपात के आस-पास व प्राकृतिक गुफाओं में बाघों ने डेरा जमा लिया है। गर्मी में भी शीतलता प्रदान करने वाले इस पर्यटन स्थल में आराम फरमा रहे बाघ परिवार की जिन्दगी में किसी तरह का कोई खलल पैदा न हो तथा उनकी नाराजगी से अप्रिय स्थिति न बने इस बात को दृष्टिगत रखते हुये पर्यटकों के भ्रमण पर रोक लगाया गया है।


                                

क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस.भदौरिया ने बताया कि संस्थापक बाघ टी-3 व बाघिन टी-1 पिछले 15 दिनों से इसी इलाके पर डेरा डाले हैं, जबकि बिना कॉलर का एक नर बाघ भी इसी जल प्रपात के आस-पास मौजूद है। पर्यटक इस बाघ को कन्हैया के नाम से जानते हैं। वन परिक्षेत्राधिकारी मड़ला डी.के. नायक ने बताया कि नर बाघ कन्हैया अत्यधिक निडर है और यदा-कदा वह मुख्य सड़क मार्ग पर भी विचरण करते हुये आ जाता है। पाण्डव जल प्रपात की विशेषता यह है कि यहां कुण्ड में हर समय पानी भरा रहता है तथा भीषण गर्मी के मौसम में भी पहाडिय़ों से पानी झरता है। जिसके कारण भीषण तपिश भरी गर्मी में भी यहां शीतलता का अनुभव होता है। पाण्डव जल प्रपात की प्राचीन गुफाओं के भीतर तो गर्मी का पता ही नहीं चलता। बताया जाता है कि पाण्डवों ने अपने निर्वासन के दौरान यहां काफी वक्त गुजारा था, यही वजह है कि इन गुफाओं को पाण्डव गुफायें कहते हैं। बाघ परिवार दोपहर के समय इन्हीं गुफाओं में प्रचण्ड गर्मी और तपिश से दूर शीतल आबोहवा के बीच आराम फरमाता है।
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Tuesday, June 11, 2019

आदिवासियों के लिए कल्प वृक्ष से कम नहीं है महुआ का पेड़

  •   महुआ फूल व फलों से आदिवासियों को होती है आय
  •   वनोपज संग्रहण व जल संरक्षण पर ग्रामीणों से हुई चर्चा




  अरुण सिंह   

पन्ना। जल, जंगल और जमीन का संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है। बिगड़ते पर्यावरण और तापमान में लगातार हो रही वृद्धि से आम जन जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जल संकट के चलते मौजूदा समय हर तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई है। इन हालातों में जंगल और पानी की महत्ता का अहसास लोगों को होने लगा है। 

जिले के आदिवासी बहुल जंगल से लगे ग्रामों में वनोपज संग्रहण आज भी जीवन का एक मात्र सहारा हैं। आदिवासी समुदाय के लिये महुआ का वृक्ष किसी वरदान से कम नहीं है। इस वृक्ष को आदिवासी समाज कल्प वृक्ष की संज्ञा देता है क्योंकि यह वृक्ष उनकी आय का प्रमुख जरिया है।

उल्लेखनीय है कि महुये का फूल ही नहीं इसके फल और बीज भी बेहद उपयोगी और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। आदिवासी परिवार मार्च से अप्रैल तक महुये का फूल बीनते हैं और जून में इन्हीं गुच्छों में फल लटकने लगते हैं। महुआ के इन फलों से तेल निकाला जाता है। 

औषधीय गुणों से भरपूर महुआ के एक वृक्ष से हर सीजन में औसतन 5 हजार रू. तक की आय हो जाती है। कल्दा पठार के आदिवासियों का यह वृक्ष जीवन का प्रमुख आधार है। पठार के जंगल में महुआ के वृक्ष बहुतायत से पाये जाते हैं। यहां के आदिवासी मार्च से लेकर अप्रैल तक महुआ फूल का संग्रहण करते हैं और जून के महीने में जब महुआ के फल पक जाते हैं तो महुआ बीज (गोही) भी एकत्रित करते हैं। अकेले महुआ फूल और गुली  से ही आदिवासियों का पूरे सालभर गुजारा होता है। 


कल्दा पठार की ही तरह जिले के अन्य दूसरे वन क्षेत्र के ग्रामों में रहने वाले लोगों के लिये भी महुआ के पेड़ आय के प्रमुख साधन हैं। ग्राम पंचायत रहुनिया के ग्राम पाठा में जल व पर्यावरण संरक्षण के संबंध में जब ग्रामीणों से चर्चा की गई तो ग्रामीणों ने जंगल की हो रही बेतहाशा कटाई पर चिन्ता जताते हुये कहा कि पानी का संकट जंगल की कटाई का ही नतीजा है। महुआ के महत्व पर चर्चा करते हुये ग्रामीणो ने अपने अनुभव बताये। 

ग्रामीणों ने बताया कि महुआ के पेड़ में इन दिनों डोरी (गुली) भरपूर लगी हुई है। महुआ के फू ल की खुशबू अभी गई नही कि डोरी की खुशबू आने लगी। इसके फल को खाया भी जा सकता है। डोरी का तेल खाने के काम आता है। इसके अलावा मुहआ की डोरी बेंच कर प्रत्येक परिवार 4 से 5 हजार रू. कमा लेता है। 

पाठा निवासी कल्याण ङ्क्षसह आदिवासी ने बताया कि हमारे खेत में 20 महुआ के पेड़ हैं जिससे हमें सालाना 40 से 50 हजार रू. मिल जाते हैं। इस कृषक ने बताया कि आगे हमें और महुआ एवं फलदार पौधे लगाने हंै। ग्रामीणों ने गाँव में 150 पौधे लगाने एवं उनकी सुरक्षा करने की बात कही। पानी से जूझ रहे ग्रामीणो ने तलैया गहरी करण पर विचार किया और आगे काम करने की बात कही है।

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स्टार समाचार सतना में प्रकाशित आलेख 

Monday, June 10, 2019

धरम सागर तालाब में निकले हैं खतरनाक लोहे के सरिया

  •   जान को खतरा का बोर्ड लगाकर नगर पालिका ने पल्ला झाड़ा 
  •   वर्ष 2016 में गहरीकरण के दौरान हुआ था अधूरा निर्माण कार्य
  •   जानलेवा सरिया बरसात शुरू होते ही फिर डूब जायेंगी पानी में
  •   गत शनिवार को तालाब में डूबने से हुई है 2 बच्चों की मौत


पन्ना का धर्मसागर तालाब मेँ पानी के भीतर नजर आतीं खतरनाक लोहे की सरिया। 

अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना शहर के जीवन का आधार ऐतिहासिक धरम सागर तालाब अब जानलेवा साबित हो रहा है। मदारटुंगा पहाड़ी की तराई में निॢमत झीलनुमा यह प्राचीन जलाशय राजाशाही जमाने से पन्ना शहर की प्यास बुझाता आ रहा है। लेकिन समुचित देखरेख के अभाव व प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह जीवनदायी तालाब खतरनाक हो गया है। गर्मी से राहत पाने के लिये इस तालाब में तैरना व नहाना जान जोखिम में डालने जैसा है। गत शनिवार को इसी तालाब में दो मासूम बालकों की डूबने से मौत हुई है। मालुम हो कि धरम सागर के गहरीकरण का कार्य जन सहयोग से 2016 में किया गया था। गहरीकरण के दौरान खुदाई में तालाब से हजारों डम्फर मिट्टी निकाली गई। तालाब के जीर्ण-शीर्ण हो चुके घाटों के जीर्णोद्धार और रखरखाव का कार्य भी शुरू किया गया। इसी क्रम में धरम सागर तालाब के बाबा घाट में रिटॄनग वॉल के निर्माण का कार्य चल रहा था, दरक रहे घाटों को टूटने से बचाने और तालाब की मेड़ को मजबूत करने के लिये पानी में आरसीसी कंकरीट की वाल बनाई जा रही थी। इसी बीच तेज बारिश शुरू हो गई और 4-5 फिट की निकली जानलेवा खतरनाक लोहे की सरिया काम अधूरा रह जाने के कारण बाहर ही निकली रह गईं जो बारिश होने पर पानी में डूब गईं। लोहे की ये खतरनाक सरिया अब जानलेवा साबित हो रही हैं।
उल्लेखनीय है कि धरमसागर तालाब के गहरीकरण व जीर्णोद्धार का कार्य 3 वर्ष पूर्व कराया गया था उस समय पन्ना नगर के लोगों से लाखों रू. सहयोग राशि भी प्राप्त हुई थी। बताया जाता है कि आम जनता के सहयोग से एकत्रित हुई यह धनराशि जो गहरीकरण के उपरान्त शेष बची थी वह अभी भी पन्ना नगर पालिका के पास जमा है लेकिन इस जमा धनराशि का उपयोग अधूरे पड़े तालाब के निर्माण कार्य को पूरा कराने में नहीं किया गया। नतीजतन तालाब में पानी के अंदर निकली हुई लोहे की सरिया अत्यधिक खतरनाक और जानलेवा हो गई हैं। मौजूदा समय तालाब का बहुत बड़ा हिस्सा सूख चुका है तथा पानी में डूबी रहने वाली लोहे की सरिया भी बाहर निकल आई हैं। यही वह मौका है जब अधूरे पड़े निर्माण कार्य को पूरा कराकर खतरनाक सरियों को ठिकाने लगाया जा सकता है। इसके लिये नगर पालिका प्रशासन को समय रहते ध्यान देना चाहिये। धरमसागर तालाब के जिस घाट में सरिया निकली हैं वहां बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं जिससे हरसमय खतरा बना रहता है।  बरसात शुरू होने के पूर्व तत्काल निर्माण कार्य पूरा कराकर इन सरियों  को खत्म करना जरूरी है, यदि ऐसा नहीं किया गया तो हमेशा खतरा बना रहेगा और कभी भी किसी की जान जा सकती है।

नवागत कलेक्टर को देना होगा ध्यान



जिले के नवागत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को पन्ना के जीवनदायी धरमसागर तालाब के रखरखाव व समुचित देखरेख पर विशेष ध्यान देना होगा। कलेक्टर श्री शर्मा पदभार गृहण करने के बाद जनहित से जुड़े कार्यों में जिस तरह से रुचि दिखाई है तथा प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिये प्रयास किये हैं उससे लोगों में उम्मीद जागी है कि इनके कार्यकाल में यहां अच्छे कार्य होंगे। नगरवासियों ने नवागत कलेक्टर श्री शर्मा का ध्यान धरमसागर तालाब के अधूरे पड़े कार्य की ओर आकृष्ट कराते हुये यह अपेक्षा की है कि वे नगरपालिका या संबंधित एजेंसी को कार्य पूरा करने के निर्देश देंगे। अन्यथा बारिश शुरू होते ही तालाब में निकली सरिया फि र डूब जायेंगी और पन्ना नगर के लोगों की जान पर खतरा बना रहेगा।

बच्चों की मौत को सांसद ने बताया दुखद

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के नवनिर्वाचित सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने तालाब में डूबने से हुई दो बच्चों की असमय मौत पर दुख जताते हुये कहा है कि मेरी संवेदनायें पीडि़त परिवार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि पन्ना के धरमसागर तालाब में घाट से कुछ ही दूरी पर पानी के अंदर निकली लोहे की सरिया अत्यधिक खतरनाक है। इन सरियों के कारण कभी भी और कोई बड़ा हादसा हो सकता है इसलिये कलेक्टर और प्रशासन से मैं तत्काल बात करूंगा कि बरसात शुरू होने से पूर्व ही यह कार्य कराया जाये। सांसद वी.डी. शर्मा ने कहा कि यह निकली हुई सरिया किसी बड़ी घटना को आमंत्रण दे रहे हैं जो चिन्ता का विषय है।
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Wednesday, June 5, 2019

जल संकट के चलते वीरान हुआ पन्ना का छापर गाँव

  • गाँव से पलायन कर 250 लोगों ने 20 किमी दूर ककरहटी में ली शरण
  •  एक सैकड़ा से अधिक ग्रामों में पानी के लिए मची है त्राहि - त्राहि 




अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में भीषण पेयजल संकट के चलते एक सैकड़ा से भी अधिक ग्रामों में पानी के लिये त्राहि-त्राहि मची हुई है। ग्रामीण अंचलों की अधिकांश नल जल योजनायें ठप पड़ी हैं जिससे हालात और बिगड़ रहे हैं। जल स्तर नीचे खिसकने से कुये जहां सूख चुके हैं वही हैण्डपम्पों से पानी की जगह गर्म हवा निकल रही है। हालात इतने खराब हैं कि पेयजल संकट के कारण लोग पलायन करने को विवश हो रहे हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छापर गाँव से ढाई सौ लोग अपना गाँव छोड़कर पलायन कर चुके हैं ग्रामीणों के पलायन का एकमात्र कारण भीषण जल संकट है इस गाँव में पानी की विकराल समस्या के चलते पिछले 3 माह से अधिकांश घरों में ताले लटक रहे गाँव से बड़ी तादाद में लोगों का महानगरों के लिये पलायन करना तो आम बात है लेकिन पानी के लिये पलायन नया आग उगलती गर्मी के बीच पन्ना जिले में जल संकट से उत्पन्न त्रासदी का हाल यह है कि यहां के छात्र ग्राम के लोग जल संकट के कारण 3 माह पहले ही अपना गाँव छोड़कर 20 किमी दूर ककरहटी गाँव में शरण लेने को मजबूर हुये हैं। लगभग वीरान हो चुके इस गाँव में सिर्फ तीन बुजुर्ग और कुछ मवेशी ही अब शेष बचे हैं जो कि जिंदा रहने की जद्दोजहद करते हुये इस चिलचिलाती धूप में 4 किमी दूर से पीने का पानी लाकर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला मुख्यालय के निकट नेशनल हाईवे क्रमांक 39 के किनारे स्थित छापर गाँव से ग्रामीणों के पानी के अभाव में पलायन करने को लेकर समूचा प्रशासन अब तक बेखबर है। आदिवासी बहुल छापर गाँव में पेयजल का इतना विकराल संकट पहली बार निर्मित हुआ है। गाँव के बुजुर्ग बंदी चौधरी का कहना है कि उन्होंने जब से होश संभाला है तब से पहली बार पानी का इतना भीषण संकट अपने गाँव में देखा है। बंदी चौधरी ने बताया कि गर्मी बढऩे के साथ ही जल स्तर लगातार पाताल की ओर खिसकने के कारण 3 माह पूर्व उनके गाँव के अधिकांश लोग गाँव छोड़कर 20 किमी दूर ककरहटी के लिये पलायन कर गये हैं। बंदी को छोड़कर उसके परिवार के अन्य सदस्य भी ककरहतटी में रह रहे हैं । बंदी चौधरी के अलावा छापर में बचे दो अन्य ग्रामीण गेंदालाल चौधरी और बुधवा चौधरी ने बताया कि आग उगलती गर्मी में वे 3 से 4 किमी दूर जनवार गाँव या फि र मोहनगढ़ी से पीने का पानी लाते हैं जब पानी लाने की हिम्मत नहीं रहती तो वे जंगल में स्थित प्राचीन झिरिया का गंदा पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। यह झिरिया भी छापर गाँव की आबादी से लगभग 1 कि मी दूर स्थित है। बंदी चौधरी ने बताया कि छापर गाँव में पेयजल व्यवस्था के लिये 3 हैण्डपम्प और एक प्राचीन कुआं स्थित है लेकिन पिछले तीन-चार माह से जल स्तर नीचे खिसकने के कारण हैण्डपम्प से पानी की जगह गर्म हवा निकल रही है। एकमात्र कुआं का पानी भी समाप्त हो चुका है इसकी तलछट पर कीचड़ बचा है। पानी के अभाव में ग्रामीणों को मजबूर होकर 20 किमी दूर ककरहटी में शरण लेनी पड़ी है। छापर गाँव में भीषण जल संकट व ग्रामीणों के पलायन करने के संबंध में जब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पन्ना के कार्यपालन यंत्री एस.के. जैन से चर्चा की गई तो उन्होंने आश्चर्य जताते हुये कहा कि छापर गाँव से ग्रामीणों का 3 माह पूर्व पानी के अभाव में पलायन करना बेहद गंभीर मामला है। मुझे आपके माध्यम से यह जानकारी मिल रही है क्षेत्र के हमारे सब इंजीनियर और हैण्डपम्प तकनीशियन के संज्ञान में यह मामला अब तक क्यों नहीं आया? मैं उनसे चर्चा करता हूँ और समस्या का तत्परता से समाधान कराता हूँ।

पेयजल संकट को लेकर ग्रामीण कर रहे आंदोलन





जिले के शहरी व ग्रामीण अंचलों में पेयजल संकट दिनों दिन विकराल हो रहा है। पानी के लिये भटकते ग्रामवासी अब आंदोलन करने के लिये मजबूर हो रहे हैं। गुनौर सिली में भीषण जल संकट को देखते हुये स्थानीय लोगों द्वारा पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु आंदोलन शुरू किया गया है।
मालुम हो कि विगत 31 मई को आंदोलनकारियों द्वारा स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से आगाह किया गया था कि यदि 2 दिवस के अंदर पानी की समस्या से निजात नहीं दिलाया गया तो स्थानीय लोग आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ग्रामीणों द्वारा आगाह किये जाने के बावजूद प्रशासन द्वारा स्थानीय लोगों की मांग को गंभीरता से नहीं लिया गया जिस कारण ग्रामवासी आज पानी के लिये आंदोलित हो गये।
आंदोलनकारियों ने क्षेत्रीय विधायक सहित प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि पानी की समस्या पर न तो स्थानीय विधायक का ध्यान है न ही प्रदेश सरकार का सब केवल तबादला उद्योग में व्यस्त हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस भीषण गर्मी में लोग पानी के लिये हैरान और परेशान हैं फिर भी प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा, प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। आंदोलनकारियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर आरोप लगाते हुये कहा कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। जनता एक-एक बूँद पानी को तरस रही है और स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी एसी में बैठकर मौज कर रहे हंै। आंदोलनकारियों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुये कहा कि यदि हमारी समस्याओं का त्वरित निराकरण नहीं हुआ तो हम उग्र आंदोलन के लिये मजबूर होंगे जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी प्रशासन की होगी। आंदोलन में प्रमुख रूप से मलखान ङ्क्षसह बैस,राजेंद्र चौबे, बृजेश प्रताप ङ्क्षसह,ब्रजेन्द्र खम्परिया,विजय चौबे, चंदन सपेरा, डॉ. अजीत पाठक, बृजेश तिवारी, धर्मेंद्र अवधिया, सोनू पाठक, नीलेश द्विवेदी, पंकज दुबे, पुष्पेंद्र पटेल, बिटानू पटेल, संकुल गुप्ता, मंजू विश्वकर्मा, सत्येंद्र द्विवेदी, डॉ. टी.के. मालिक, नारी शक्ति उर्मिला नामदेव, कुमुदनी खरे, उर्मिला लखेरा, अनीता नामदेव, प्रेमा गुप्ता सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।
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Tuesday, June 4, 2019

विवादों के चलते अधर में लटका पन्ना का रूंज बांध

  •   270 करोड़ रू. की लागत वाले इस बांध से 39 ग्रामों को मिलना है लाभ
  •   डूब में आ रही कृषि भूमि का मुआवजा न मिलने से ग्रामीण कर रहे विरोध
  •   प्रभावित हो रहे ग्रामीणों के विरोध से बांध का निर्माण कार्य रुका




अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 15 किमी दूर पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर रूंज नदी के प्रवाह
क्षेत्र में 269.79 करोड़ रू. की लागत वाली रूंज मध्यम ङ्क्षसचाई परियोजना का कार्य विवादों के चलते अधर में लटग गया है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही तथा मनमर्जीपूर्ण तरीके से कराये गये सर्वे तथा राजस्व विभाग के साथ बेहतर तालमेल व समन्वय के अभाव में डूब क्षेत्र में आने वाली कृषि भूमि का मुआवजा सभी प्रभावित किसानों को अभी तक प्रदान नहीं किया जा सका है। मुआवजा वितरण से पहले ही बांध के निर्माण का कार्य प्रारम्भ कर दिये जाने का ग्रामीणों द्वारा पुरजोर विरोध करने से अप्रिय स्थिति निॢमत हुई है, जिससे बांध के निर्माण का कार्य रोकना पड़ा है। इस बांध के निर्माण में अब तक 6762.90 लाख रू. खर्च किये जा चुके हैं। रूंज बांध के निर्माण का कार्य अधर में लटकने से जिम्मेदार अधिकारियों की नियत व मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जल संसाधन विभाग पन्ना द्वारा जिले में अब तक जितने भी बांधों का निर्माण कराया गया है, सभी किन्हीं न किन्हीं कारणों से विवादों के घेरे में आ रहे हैं। कहीं वन भूमि तो कहीं मुआवजा वितरण को लेकर विवाद है, कई जगह गुुणवत्ता विहीन कार्य को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे हैं। बीते 10 वर्षों के दौरान जल संसाधन विभाग द्वारा पन्ना जिले में आधा सैकड़ा से भी अधिक ङ्क्षसचाई जलाशयों व बांधों का निर्माण कराया गया है। पन्ना को पंजाब बनाने का नारा देकर यहां अरबों रू. की लागत से निर्मित सिंचाई परियोजनाओं में अधिकांश अनुपयोगी बनी हुई हैं। अपनी खामियों को छिपाने के लिये अनुपयोगी सिंचाई परियोजनाओं से कागजों पर सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि में फर्जी सिंचाई  दर्शाई जा रही है। मनमानी और लापरवाही का यह आलम है कि विगत 5 वर्ष पूर्व पहली बारिश में ही फूटा भितरी मुटमुरू बांध अभी तक नहीं सुधारा जा सका है। जिससे प्रभावित किसानों को ङ्क्षसचाई सुविधा मिलना तो दूर उनकी उपजाऊ कृषि भूमि डूब क्षेत्र में आने से खुशहाली बदहाली में तब्दील हो गई है। सिरस्वाहा, भिलसांय, पहाड़ीखेरा, सकरिया व जनकपुर सहित ऐसे अनेकों ङ्क्षसचाई जलाशय हैं, जिनसे अपेक्षित लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा।

शुरू से विवादों में घिरा था रूंज बांध





जिले के पन्ना विधानसभा क्षेत्र में अजयगढ़ विकासखण्ड अन्तर्गत विश्रामगंज में निर्माणाधीन रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना शुरूआती चरण से ही विवादों में घिरी रही है। इस योजना की प्रशासकीय स्वीकृति म.प्र. शासन जल संसाधन विभाग भोपाल के आदेश क्र. आर-993/2011/मध्यम/31/649/भोपाल दिनांक 22-7-2011 के द्वारा 269.79 करोड़ रू. एवं रूपांकित ङ्क्षसचाई क्षमता खरीफ 2750 तथा रबी 9800 हेक्टेयर कुल 12550 हेक्टेयर की विभागीय मद में प्रदान की गई है। इस परियोजना के पूर्ण होने पर 39 ग्रामों को सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होना है। कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग पन्ना जे.के. ठाकुर ने बताया कि परियोजना के अन्तर्गत भू-अर्जन की राशि कलेक्टर पन्ना को 2974.00 लाख रू. जमा किया जा चुका है। श्री ठाकुर के मुताबिक राजस्व विभाग का मुआवजा वितरण सहित अन्य कार्यों में अपेक्षित सहयोग न मिलने से विवाद की स्थिति बनी हुई है, परिणाम स्वरूप बांध के निर्माण का कार्य बाधित हुआ है।

डूब क्षेत्र के आधे किसानों को नहीं मिला मुआवजा


रूंज बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले 7 ग्रामों के कुल 807 किसानों में लगभग 4 सौ किसानों को अभी तक मुआवजा की राशि नहीं मिली। डूब क्षेत्र में विश्रामगंज, पाण्डेपुरवा, मझपुरवा, बंगलन, लौकहापुरवा, बलरामपुर व छिरयाई गाँव आ रहे हैं। पाण्डेपुरवा निवासी सत्येन्द्र पाण्डे ने बताया कि चेन्नई की कम्पनी मे. एल. एण्ड टी. द्वारा बांध का निर्माण कार्य कराया जा रहा था। पाण्डेपुरवा के चारों तरफ बांध का मलबा डाल दिया गया है तथा कैम्प बनाया गया है जिससे ग्रामीणों का जहां आवागमन बाधित हुआ है वहीं ब्लास्टिंग होने से धूल के गुबार उठने व घरों में पत्थर के टुकड़े गिरने से ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया था। आपने बताया कि ग्राम को विस्थापित होना है अभी तक पैसा मिल नहीं। विस्थापन किये बिना ही बांध का काम शुरू कर दिया गया जो अनुचित है।

अब विस्थापन होने पर ही शुरू होगा काम


ग्रामवासियों का कहना है कि पूरा मुआवजा वितरित होने तथा विस्थापन के बाद ही अब बांध के निर्माण का कार्य शुरू हो पायेगा। कार्य स्थल में लगातार होने वाली ब्लास्टिंग  और डस्ट उडऩे से ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही थी, जिसका पुरजोर विरोध होने पर निर्माता कम्पनी को काम रोकना पड़ा है। राजाराम कौंदर, हरिलाल कौंदर, दशरथ गौंड़ तथा लखनपाल ने जानकारी देते हुये बताया कि कम्पनी द्वारा बांध के निर्माण में गुणवत्ता को अनदेखा किया जा रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक निर्माण कार्य में नदी की ही बलुई चट्टानों की गिट्टी उपयोग में लाई जा रही है, जबकि बांध में ग्रेनाइट की गिट्टी उपयोग में लानी चाहिये। ग्रामवासियों ने बताया कि निर्माता कम्पनी द्वारा नदी किनारे क्रेशर लगा दिया गया है, जहां नदी की ही बलुई चट्टानों से गिट्टी तैयार की जाती है। यह गिट्टी गुणवत्ता की दृष्टि से ग्रेनाइट के मुकाबले ठीक नहीं है। जल संसाधन विभाग के तकनीकी अधिकारी गुणवत्ता के निर्धारित मापदण्डों को क्यों अनदेखा कर रहे हैं, यह आश्चर्यजनक है।

इनका कहना है...

0  डूब क्षेत्र में आने वाले किसानों को मुआवजा वितरित करने के लिये भू-अर्जन की राशि कलेक्टर पन्ना को 2974 लाख रू. जमा किया जा चुका है। मुआवजा वितरण में राजस्व विभाग का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा, जिससे विवाद की स्थिति बनी और बांध के निर्माण का कार्य बाधित हुआ।
जे.के. ठाकुर, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग पन्ना