Tuesday, August 31, 2021

क्या आप इस मडुए को पहचानते हैं ?


जी हां यह मडुआ है जिसे इसके बादामी रंग के अनुरूप दक्षिण भारत मे रांगी भी कहा जाता है। लेकिन गोल घेरे में पाँचो उगलियों की आकृति में वाल आने के कारण अंग्रेजी वालो ने जथा गुण तथा नाम इस मोटे अनाज का नाम ही "फिंगर मिलेट" कर दिया।

वैसे इसका मूल निवास युगांडा माना जाता है। शुरू-शुरू में उन आफ्रीकन वासियों ने  इसे जानवरों को आकर्षित करने के लिए घास के रूप में ही चिन्हित कर के उगाना शुरू किया होगा, जिससे जानवर चरने के लिए आए और वह अपने रहवासों के पास ही उनका शिकार कर सके ?  क्यों कि जब तक दाने नहीं आते इसकी घास जानवरों के लिए बहुत आकर्षक और स्वादिष्ट होती है। पर बाद में यह अनाज के रूप में भी चिन्हित कर लिया गया होगा और वर्तमान में तो यह रोटी और भात दोनों के काम आता है।

बहरहाल लगभग चार हजार वर्षों से इस मोटे और प्रचुर मात्रा में आयरन केल्सियम एवं औषधीय गुण वाले अनाज की उपस्थिति के प्रमाण भारत में भी मिले हैं और तमिलनाडु का यह प्रमुख भोजन है।  पर बंगलौर एवं हैदराबाद में भी इसका मीठा एवं नमकीन हलवा हमें खिलाया गया था। मुझे याद है कि आजादी के पहले इसे हमारे बघेलखण्ड में भी बोया जाता था और गुथे हुए सघन दानों के कारण मेडिया कहा जाता था। पर अब चलन से बाहर है।

इन मोटे अनाजों में औषधीय गुण तो थे ही, पर सब से बड़ी विशेषता यह थी कि यह अकाल दुर्भिक्ष के समय मनुष्य और चिड़ियों के प्राण रक्षक सच्चे साथी भी थे । क्योंकि एक तो यह कम वर्षा के बावजूद भी सूखा सहन करते शीघ्र ही पक कर भोजन की आपूर्ति करते थे, पर दूसरा गुण यह था कि यदि इन्हें सौ पचास ग्राम की मात्रा में भी खा लिया जाय तो दिन भर भूख नही सताती थी। लेकिन इनको सूखा खाया भी तो नहीं जा सकता था? इनके लिए दो हिस्सा कोई जंगली भाजी, तरकारी या दाल, दूध, मट्ठे की ब्यवस्था पहले करनी पड़ती थी। लेकिन समय बदला और हमने इन सब के उपकारों को भुला दिया।

अब इसके खेती की नई तकनीक आ गई है, जिसे अपना कर यदि 10 प्रतिशत इसके आटे को गेहूं के साथ मिलाकर खाया जाय तो भोजन में पर्याप्त केल्सियम एवं आयरन की आपूर्ति में यह सहायक बन सकता है। कुछ लोग 80-10-10 के अनुपात में गेंहू, चना और रांगी के आटे की रोटियां खाने भी लगे हैं। पिछले वर्ष से हमने कई मोटे अनाजो के साथ इसकी खेती भी शुरू कराई है। इसे हल्की से हल्की जमीन में 1 गुणे 1 फीट की दूरी में उगाया जा सकता है। बोया तो इस साल भी है पर अधिक वर्षा के कारण फसल फिलहाल कुछ खराब सी है।

मडुआ के फायदे

  • मोटापा घटाने के लिए डाईटिंग के दौरान रागी मंडुआ आटे फायदेमंद है। मंडुआ रागी में फैट की मात्रा कम होती है। साथ में एमिनो अम्ल और रेशे बुहु मात्रा में होते हैं।
  • रागी मंडुआ में 80 प्रतिशत कैल्श्यिम की मात्रा पाई जाती है। रागी / मंडआ हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस होने से बचाने में सहायक है।
  • मंडुआ डायबिटीज पीड़िता के लिए उत्तम अनाज माना गया है। रागी मंडुआ में रिच फाईबर युक्त और शुगर फ्री अनाज है।
  • रागी मंडुआ में आयरन रिच मात्रा में मौजूद हैं। मंडुआ/रागी के आटे की रोटी और पत्तेदार हरी सब्जी लगातार 15-20 दिन मात्र खाने से रक्त की कमी तुरन्त दूर हो जाती है।
  • रक्तचाप बढ़ने पर नियंत्रण का काम करता हैं। रक्त चाप नियत्रंण करने के लिए रोज रागी मंडुआ की रोटी खायें। फिर 1 गिलास नींबू रस पानी पीयें। मंडुआ रागी और नींबू रक्तचाव समस्या को ठीक करने सहायक है।
  • माताओं में दूध की कमी होने पर रोज मंडुआ रोटी साग खाने से समस्या दूर हो जाती है। मंडुआ रोटी, हरी साग, अंगूर, दूध, फल खूब खायें। इससे माताओं में फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, विटामिनस मिनरलस की पूर्ति आसानी हो जाती है। रागी मंडुवा एक तरह से नेचुरल टॉनिक का काम करता है।
  • रागी - मंडआ खाने से पेट की गैस कब्ज की समस्या कम करने में सहायक और पाचन शक्ति सुचारू करने में सहायक है। रागी - मंडआ जल्दी पाचने वाला निरोग अनाज है।

@बाबूलाल दाहिया

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Monday, August 30, 2021

टाइगर रिजर्व घूमना हुआ मंहगा, पर्यटकों को चुकानी होगी दोगुनी राशि

  • आगामी 1 अक्टूबर से मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुल जाएंगे। लेकिन मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए टाइगर रिजर्व घूमना और बाघों का दीदार करना अब आसान नहीं होगा। वाइल्डलाइफ टूरिज्म से राजस्व बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने प्रवेश शुल्क में इजाफा किया है। 

पन्ना टाइगर रिजर्व में रास्ता पार कर रहे बाघ को निहारते पर्यटक। (फाइल फोटो) 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना ( मध्यप्रदेश )। प्रकृति के सानिध्य में रहकर वन्य प्राणियों खासकर बाघों का दीदार करने की इच्छा रखने वाले लोगों को यह खबर मायूस कर सकती है। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के सभी छह टाइगर रिजर्व में आगामी 1 अक्टूबर से पर्यटन सीजन शुरू होने पर प्रवेश शुल्क में इजाफा हुआ है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) मध्यप्रदेश आलोक कुमार ने विधिवत आदेश जारी कर टाइगर रिजर्व में प्रवेश शुल्क पूर्व की तुलना में भारतीय पर्यटकों के लिए दो गुना तथा विदेशी पर्यटकों के लिए चार गुना कर दिया है।

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया कि प्रीमियम दिवस यानी अवकाश के दिनों में प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में प्रवेश शुल्क बढ़ाया गया है। पूर्व में देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए एक जिप्सी (6 पर्यटक) का शुल्क 1500 रुपये था, जिसे बढ़ाकर प्रीमियम दिवस पर भारतीय पर्यटकों के लिए 3000 तथा विदेशी पर्यटकों के लिए 6000 रुपये निर्धारित किया गया है। जबकि सामान्य दिनों में यह राशि भारतीयों के लिए 2400 तथा विदेशियों के लिए 4800 रुपये होगी। जिप्सी का किराया पूर्ववत 2500 रुपये व गाइड चार्ज 480 रुपये रहेगा। श्री शर्मा ने बताया कि बफर क्षेत्र में प्रवेश शुल्क यथावत है, यहां कोई वृद्धि नहीं की गई।


आपने बताया कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से बफर क्षेत्र में पर्यटन बढ़ेगा। जिससे कोर क्षेत्र में पर्यटकों का जो दबाव बढ़ रहा था, उसमें कमी आएगी। मालूम हो कि बफर में सफर (ट्रैवल इन बफर) योजना के तहत मानसून सीजन में पहली बार प्रदेश में 80 से अधिक बाघों वाले क्षेत्रों को पर्यटन के लिए खोला गया था। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर सहित हरसा बफर में मानसून पर्यटन उत्साहजनक रहा है। अकोला बफर में बाघों की अच्छी साइटिंग होने से यहां का आकर्षण बढ़ा है तथा पर्यटक निरंतर यहां आ रहे हैं। आपने कहा कि अकोला की ही तर्ज पर दूसरे ऐसे वन क्षेत्र जहां बाघों का रहवास है, वहां पर्यटन शुरू किया जायेगा।

अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गया वाइल्डलाइफ टूरिज्म 

पर्यटन व्यवसाय से जुड़े श्यामेन्द्र सिंह उर्फ़ बिन्नी राजा प्रदेश सरकार के इस निर्णय से नाखुश हैं। वे गांव कनेक्शन को बताते हैं कि कोरोना के चलते जब अर्थव्यवस्था नाजुक दौर में है, उस समय यकायक इस तरह से शुल्क में वृद्धि करना ठीक नहीं है। इससे पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव होगा। श्री सिंह ने कहा कि शुल्क में वृद्धि धीरे-धीरे करना चाहिए, यह समय तो बिल्कुल उचित नहीं है। जिन लोगों ने बुकिंग कर ली है, उनका तो पूरा बजट ही बिगड़ जाएगा। प्रवेश शुल्क में जिस तरह से वृद्धि की गई है, उससे तो अब वाइल्डलाइफ टूरिज्म सिर्फ अमीरों के लिए रह गया है। मध्यम वर्ग के लोग तो टाइगर रिजर्व भ्रमण की बात अब सोच भी नहीं सकते। क्योंकि भारतीय पर्यटकों के लिए सिर्फ एक ट्रिप का खर्च 6 हजार रुपये आयेगा।

जंगल में पक्षियों की पहचान करते बाल टूरिस्ट। 

श्यामेन्द्र सिंह बताते हैं कि कोविड-19 के कारण पिछले एक-डेढ़ साल से खजुराहो के होटल खाली पड़े हैं, रखरखाव का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है। मंडला स्थित रिसॉर्ट जो पन्ना टाइगर रिजर्व के पर्यटन पर आश्रित हैं, वे भी सूने पड़े हैं। ऐसी स्थिति में प्रवेश शुल्क बढ़ाए जाने का निर्णय किसी के भी हित में नहीं है। इससे न तो जिप्सी संचालकों को कोई लाभ होगा और ना ही गाइडों का हित होगा। आपने कहा कि प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व पिछड़े इलाकों में हैं, जहां ज्यादा आबादी आदिवासियों की है। इनकी रोजी रोटी पर्यटन से ही चलती है, जो प्रभावित होगी। उनका कहना है कि टाइगर रिजर्व प्रकृति की पाठशाला हैं। सरकार को राजस्व देने के लिए ये नहीं बनाये गये। इनका मुख्य उद्देश्य लोगों को शिक्षित और जागरूक कर उन्हें वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील बनाना है ताकि संरक्षण में आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

शुल्क वृद्धि से निराश हैं टूरिस्ट गाइड 

टाइगर रिजर्व के भ्रमण हेतु प्रवेश शुल्क बढऩे से टूरिस्ट गाइड भी निराश और मायूस हैं। उत्कृष्ट टूरिस्ट गाइड का पुरस्कार प्राप्त कर चुके मनोज कुमार द्विवेदी ने गांव कनेक्शन को बताया कि सिर्फ प्रवेश शुल्क में वृद्धि की गई है, जिप्सी का किराया व गाइडों को मिलने वाली राशि यथावत है, उसमें कोई वृद्धि नहीं हुई। जाहिर है कि प्रवेश शुल्क बढऩे से पर्यटकों की संख्या घटेगी, जिसका असर जिप्सी चालकों और गाइडों पर पड़ेगा। यह सभी स्थानीय लोग हैं, जिनकी रोजी-रोटी पर्यटन से ही चलती है। श्री द्विवेदी कहते हैं कि दो रेट होने से कन्फ्यूजन भी पैदा होगा, अब हम पर्यटकों को रेट नहीं बता पाएंगे। वे बताते हैं कि आमतौर पर कामकाजी लोग छुट्टी के समय ही घूमने आते हैं और उस समय रेट दोगुना कर दिया गया है। यह ऐसा समय है जब कोरोना के कारण विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे, तब शुल्क बढ़ाने के बजाय पर्यटकों को प्रोत्साहित करने के लिए ऑफर देना चाहिए, लेकिन उल्टा हो गया। इससे स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं होगा।  गाइड पुनीत शर्मा भी शुल्क वृद्धि के इस निर्णय से हैरान हैं और कहते हैं कि जब पर्यटक ही नहीं आएंगे तो हमारी रोजी रोटी कैसे चलेगी ?

पन्ना में बाघ बढ़ रहे लेकिन विदेशी पर्यटक घटे 

टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। मौजूदा समय यहां के जंगलों में 70 से अधिक बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं। तकरीबन 1598 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले पन्ना टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र 576 वर्ग किलोमीटर व बफर क्षेत्र 1022 वर्ग किलोमीटर है। अभी हाल ही में यहां पर विलुप्त प्राय फिशिंग कैट के रहवास की भी पुष्टि हुई है। चूंकि बीते दो सालों से कोरोना के चलते विदेशी पर्यटकों की संख्या एकदम घट गई है, ऐसी स्थिति में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी भारतीय पर्यटकों पर ही टिकी है। यदि इनकी संख्या में गिरावट आई तो इसका असर स्थानीय लोगों पर पड़ेगा। 


पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का भ्रमण करने वाले पर्यटकों पर यदि नजर डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2018-19 में 28931 भारतीय व 6548 विदेशी पर्यटक आये। जबकि 2019-20 में यहां 23938 भारतीय व 4963 विदेशी मेहमानों ने भ्रमण किया। वर्ष 2020-21 में भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़कर 32588 हो गई, जबकि विदेशी पर्यटकों का आंकड़ा दो अंकों में सिमटकर सिर्फ 48 रह गया। जाहिर है कि जब विदेशी पर्यटक आ नहीं रहे तो शासन का राजस्व कैसे बढ़ेगा ? हां, शुल्क वृद्धि से भारतीय पर्यटकों की जेब जरूर ढीली होगी।

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Saturday, August 28, 2021

पन्ना के बलदाऊ जी मंदिर में धूमधाम से मनाया गया हलधर का जन्मोत्सव

  • कोविड के चलते जन्मोत्सव में शामिल नहीं हो सके श्रद्धालु 
  • मंदिर परिसर में भारी संख्या में तैनात रहा पुलिस बल 

 मंदिरों के शहर पन्ना स्थित बल्देव जी का भव्य मंदिर। 

।। अरुण सिंह ।।  

पन्ना। भव्य प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में स्थित सुप्रसिद्ध बलदाऊ जी मंदिर में शनिवार को आज दोपहर ठीक 12 बजे हलधर जी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का भव्य और अनूठा मंदिर पन्ना शहर में स्थित हैं। शनिवार हलछठ के दिन इसी विश्व प्रसिद्ध बल्देव जी के मंदिर में भगवान बलराम का जन्मोत्सव परम्परागत ढंग से मनाया गया। 

इस मौके पर मंदिर को बड़े ही आकर्षक ढंग़ से सजाया गया था। हर साल हरछठ पर्व पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ बलदाऊ जी की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ते थे, लेकिन कोविड-19 के चलते जन्मोत्सव में श्रद्धालु शामिल नहीं हो सके। बड़ी संख्या में लोग पहुंचे जरूर थे लेकिन मंदिर में तैनात पुलिस बल व अधिकारियों ने उन्हें मंदिर में अंदर प्रवेश करने से रोक दिया, जिससे श्रद्धालु नाखुश दिखे।    

दिन को दोपहर 12 बजे राजपरिवार के सदस्यों, प्रशासनिक अधिकारियों तथा मंदिर समिति के सदस्यों की मौजूदगी में हलधर का जन्मोत्सव धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। जैंसे ही घड़ी की सुईयों ने 12 बजने का संकेत दिया हलधर के जयकारों से बलदाऊ मंदिर गूंज उठा। मंदिर के गर्भग्रह में परम्परागत तरीके से जन्म संस्कार, आरती तथा भगवान के जन्म दर्शन हुये।

जन्मोत्सव उपरांत महिलाओं ने गाये बधाई गीत


 भगवान बलदाऊ जी की मनमोहक झांकी के दर्शन।

पन्ना के ऐतिहासिक बलदाऊ जी मंदिर में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ गई थी, जिसमें महिलाओं की संख्या सर्वाधिक देखी गई। दोपहर के 12 बजते ही जैसे ही बलदाऊ जी का जन्मोत्सव सम्पन्न हुआ तो वहां उपस्थित महिलाओं ने बधाई गीत गाने शुरू कर दिये, जिससे मंदिर प्रांगण का वातावरण और भी धार्मिक हो गया। महिलाओं ने व्रत रखकर भगवान बल्देव जी की पूजा करके परिवार व समाज की खुशहाली की माँग की गई। महिलायें इस दिन व्रत रखकर पुत्र के दीर्घायु होने की कामना के साथ हलछठ की पूजा करती हैं। मंदिर में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं को हलछठ की पूजा के लिये आवश्यक व्यवस्थायें मंदिर समिति द्वारा की गई थी। भगवान के जन्मोत्सव के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।

पूर्व और पश्चिम की स्थापत्य का अनूठा संगम है यह मन्दिर 

पवित्र नगरी पन्ना में स्थिति श्री बल्देव जी मन्दिर की निराली छटा आज देखते ही बनती है। इस विशाल और भव्य मन्दिर का निर्माण तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा रूद्रप्रताप सिंह ने लगभग 145 वर्ष पूर्व सन् 1876 में करवाया था। यह मन्दिर पूर्व और पश्चिम की स्थापत्य कला का अनूठा संगम है। बाहर से देखने पर यह मन्दिर लन्दन के प्रसिद्ध सेन्टपॉल चर्च का प्रतिरूप नजर आता है। इस मन्दिर की स्थापत्य कला और अनुपम सौन्दर्य को निहारकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण की सोलह कलाओं के प्रतीक मन्दिर निर्माण में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। मन्दिर में प्रवेश हेतु 16 सोपान सीढ़ी, 16 झरोखे, 16 लघु गुम्बद व 16 स्तम्भ पर विशाल मण्डप है। मन्दिर का शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित है। महाराजा रूद्रप्रताप सिंह को कृषि से अत्यधिक लगाव था, इसलिये उन्होंने हलधर भगवान श्री बल्देव जी की नयनाभिराम कृष्णवर्णी प्रतिमा मन्दिर के गर्भग्रह में प्रतिष्ठित कराई थी। यह अनूठा मन्दिर राज्य की पुरातात्विक धरोहर में शामिल किया गया है।

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Friday, August 27, 2021

किसान को खेत में मिला 6.47 कैरेट वजन का उज्ज्वल हीरा

  • ग्राम जरुआपुर निवासी प्रकाश मजूमदार की चमकी किस्मत 
  • हीरा कार्यालय में किसान ने आज विधिवत जमा कराया हीरा 



पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती ने आज एक किसान को लखपति बना दिया है। किसान को उसके खेत में उज्ज्वल किस्म वाला 6.47 कैरेट वजन का हीरा मिला है। इस हीरे को नियमानुसार हीरा कार्यालय पन्ना में जमा करा दिया गया है। 

हीरा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम जरुआपुर निवासी प्रकाश मजूमदार ने 24 मार्च 21 को अपनी निजी भूमि में खदान हेतु हीरा उत्खनन पट्टा बनवाया था। हीरा उत्खनन हेतु 8 बाई 8 का पट्टा मिलने पर कृषक प्रकाश मजूमदार ने खदान खोदकर हीरों की तलाश शुरू की, फलस्वरूप उसकी किस्मत ने साथ दिया और उसे आज कीमती हीरा मिल गया। हीरा मिलने की ख़ुशी किसान के चेहरे पर साफ दिख रही थी। हीरा कार्यालय के हीरा पारखी ने बताया कि ग्राम जरुआपुर में मिला हीरा जेम क्वालिटी (उज्ज्वल किस्म) का है, जिसकी नीलामी में अच्छी कीमत मिलेगी। हीरे की अनुमानित कीमत पूंछे जाने पर आपने कहा कि कीमत नहीं बताई जा सकती।  

उल्लेखनीय है कि हीरा खदानों के लिए प्रसिद्ध पन्ना जिले में हीरा धारित शासकीय राजस्व भूमि बहुत कम है। जो भूमि है वहां अधिकांशत: उत्खनन हो चुका है। ऐसी स्थिति में हीरों की तलाश में रूचि रखने वाले लोग अपनी निजी भूमि पर उत्खनन पट्टा बनवाकर खदान लगाते हैं। ग्राम जरुआपुर में चलने वाली ज्यादातर खदानें निजी भूमि पर ही चल रही हैं। हीरा अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि इस हीरे को आगामी होने वाली नीलामी में रखा जायेगा। नीलामी में हीरा बिकने पर शासन की रायल्टी काटने के बाद शेष राशि हीरा धारक को प्रदान की जाएगी। 

खेत में मिला है यह हीरा जिसे जमा कराया गया, देखें वीडियो - 



 

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बड़ेगाँव-बिरवाही , कूकुर मरगा आबा जाही

  •   दोहरी मानसिकता में जीने वालों के लिए यह कहानी एक नसीहत                      

                   


विन्ध्य प्रदेश में अनेक कहावतें हैं। यूँ तो यह कहावत सतना जिले की सीमा से जुड़े हुए पन्ना जिला वाले भू भाग की है। पर इन कहावतों को किसी भौगोलिक सीमा में बांध कर नहीं रखा जा सकता। यह बगैर हाथ पाँव एक गाँव से दूसरे गांव, एक जिले से दूसरा जिला होती इसी तरह अंनत यात्रा करती रहती हैं। यही कारण है कि यह बघेलखण्ड बुन्देलखण्ड दोनो क्षेत्रों में एक जैसी प्रचलित है।

बड़ागाँव जहॉ देवेंद्र नगर के थोड़ा आगे है वहीं बिरबाही  देवेद्रनगर के दक्षिण पश्चिम के कोने में ककरहटी के समीप एक छोटा सा गाँव है। इसकी अंतरकथा सिर्फ इतनी है कि एक कुत्ता दोनों गाँव घूमता रहा पर उसे भोजन कहीं नसीब नहीं हुआ। किन्तु उसकी मनोदशा स्थिर रह कर काम न करने वालों को शिक्षा बहुत बड़ी दे जाती है।

अक्सर देखा जाता है कि आबारा कुत्ते कभी - कभी एक गाँव से दूसरे गांव भी पहुच जाते हैं। कथा के अनुसार एक कुत्ता ने अनुभव किया कि " बिरबाही गाँव में भागवत कथा के भंडारे की गहमा-गहमी तो है, पर उसकी पंगत 4 बजे शाम के पहले तो उठेगी नहीं ? किन्तु समीपी बड़ेगाँव में झमा झम बैंड बजने की आवाज आ रही थी। लगता है वहां बरात आई है ?

हो सकता है वहाँ की पंगत उठने वाली होगी इसलिए, क्यों न बड़ेगाँव की बारात की जूठी पत्तलें पहले खाई जाए ?" उसने दौड़ लगाई और कुछ समय बाद ही बड़ागाँव पहुच गया। "पर यह क्या ? यहां तो अभी पंगत का ऊस बॉस ही नही है ? इससे पहले तो बिरबाही की भंडारे की पंगत ही उठ जायगी, इसलिए यहाँ इन्तजार करना ब्यर्थ है। "

कुत्ता पुन: दौड़ लगाता वापस आ गया  पर यहाँ आकर देखा कि बिरबाही गाँव की पंगत तो उठ चुकी थी व गाँव के सारे आबारा कुत्ते जूठी फेंकी गई पत्तलों का भोजन चट कर चुके थे। कुत्ते को भारी पष्चाताप हुआ कि वह ब्यर्थ में क्यों बड़ागाँव गया ?  मुझसे तो अच्छे यह मरियल और खजहे कुत्ते रहे, जो यहीं पत्तलों के इंतजार में बैठे रहे ?

पर क्या करुं ? भूख के मारे बुरा हाल है। और यहां की पूड़ी खीर आदि तो यह खजहे मरियल कुत्ते ही चट कर गये इसलिए अब खाना तो बड़ेगाँव में ही मिलेगा।"

वह फिर वहां से बड़ेगाँव की ओर भगा, पर एक कोस का रास्ता तय करते उसे देर हो गई। अबकी बार भूख के मारे तेज दौड़ भी नहीं सकता था। किन्तु जब बड़ागाँव पहुचा तब तक पंगत उठ चुकने के कारण वहां के कुत्ते भी पत्तलों का दाना- दाना चाट चुके थे। और कुत्ते की असफल दौड़ धूप पर कहावत बन गई  कि---

बड़ेगाँव बिरवाही , कूकुर मरगा आबा जाही।

इस तरह दोहरी मानसिकता में जीने वालों के लिए यह कथा एक अच्छी  नसीहत है।

@बाबूलाल दाहिया

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Thursday, August 26, 2021

राष्ट्रकवि किसी समाज के नहीं राष्ट्र की धरोहर : मंत्री

  •  इंद्रपुरी कॉलोनी स्थित पार्क में स्थापित होगी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा 
  •  प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने पूरे विधि विधान से किया भूमिपूजन

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा स्थापित करने हेतु आयोजित भूमिपूजन कार्यक्रम को सम्बोधित करते मंत्री श्री सिंह। 
।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त समूचे राष्ट्र की धरोहर हैं, उनके विशाल व्यक्तित्व और योगदान को किसी समाज तक सीमित नहीं किया जा सकता। यह बात आज इंद्रपुरी कॉलोनी स्थित पार्क में उनकी प्रतिमा स्थापित किए जाने हेतु आयोजित भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कही।

उन्होंने कहा की मैथिली शरण जी की कविताओं को हमने बचपन से ही पढ़ा है और प्रेरणा ली है। आजादी के आंदोलन में गुप्त जी ने बढ़ चढ़कर भाग लिया तथा अपनी लेखनी से समाज को जगाने और प्रेरित करने का काम किया। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व तथा देश और समाज के लिए उनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्रकवि के सम्मान से विभूषित किया। ऐसे व्यक्तित्व की प्रतिमा शहर में स्थापित हो, यह गर्व की बात है। निश्चित ही इस अभिनव पहल से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी तथा वे राष्ट्रकवि के अनूठे व्यक्तित्व से भी परिचित होंगे। 

खनिज मंत्री ने बताया कि गहोई समाज के लोगों ने उनसे  भेंटकर जब यह जानकारी दी कि राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त जी की प्रतिमा दो साल से रखी है, लेकिन उसे स्थापित करने की अनुमति नहीं मिल रही। यह जानकर मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने कहा कि अब यह हमारा काम है कि राष्ट्र कवि की प्रतिमा स्थापित हो। मुझे खुशी है कि आज यह अवसर भी आ गया जब हम प्रतिमा स्थापना के लिए भूमि पूजन कर रहे हैं। आज से यह पार्क राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त पार्क के नाम से जाना जाएगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि खनिज मंत्री श्री सिंह का गहोई समाज द्वारा आत्मीय स्वागत किया गया। इस मौके पर राजेश गुप्ता, डॉ रविशंकर मोदी, रमेश खैरहा, आशा गुप्ता, श्रीमती शोभा खैरहा, उर्मिला खैरहा, गौरी शंकर गुप्ता, मनोज केसरवानी सहित जिला पंचायत अध्यक्ष रवि राज यादव, जयप्रकाश चतुर्वेदी, विष्णु पांडे, पत्रकार व गहोई समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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Wednesday, August 25, 2021

हीरों का तिलस्मी संसार, उजड़ते जंगल और बर्बाद होते परिवार

  • बेशकीमती हीरो के लिए देश और दुनिया में विख्यात मध्यप्रदेश का पन्ना जिला जिसे समृद्धि के शिखर पर होना चाहिए वह अत्यधिक पिछड़ा और फटेहाल है। यहां की खदानों में यदा-कदा जिन्हें हीरा मिलता है उनकी कहानी तो चर्चित होती है, लेकिन इन खदानों में हीरों की तलाश करके बर्बाद हुए परिवारों की कहानी कोई नहीं जानता।

कल्याणपुर गांव के पास पटी बजरिया हीरा खदान क्षेत्र का नजारा, यहां अपनी किस्मत चमकाने सैकड़ों लोग करते हैं हीरों की तलाश।

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना ( मध्यप्रदेश )। हरे-भरे जंगल के नीचे जमीन में हीरों के भंडार को लेकर इन दिनों मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का बक्सवाहा जंगल चर्चा में है। छतरपुर के पड़ोस में ही पन्ना जिला है, जो हीरा खदानों के लिए जाना जाता है। यहां की धरती में भी हीरों का अकूत भंडार है, जिसका उत्खनन तकरीबन 300 सालों से किया जा रहा है। इस लिहाज से पन्ना जिले की रतनगर्भा धरती में निवास करने वाले लोगों को समृद्धि के शिखर पर होना चाहिए था। लेकिन यहां के हालात व हकीकत ठीक उलट है। भीषण गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण, पलायन और सिलिकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी इस जिले के गरीब आदिवासियों व मजदूरों की नियति बन चुकी है। पन्ना में हीरों की चमकीली दुनिया का यह सच क्या झकझोरने वाला नहीं है ? जैव विविधता से परिपूर्ण बक्सवाहा के समृद्ध जंगल को उजाड़ कर वहां हीरा खदान शुरू करने से पूर्व क्या पन्ना जिले के हालात पर गौर करना व इससे सबक लेना जरूरी नहीं है ?

हीरा खदान में जिंदगी खराब हो गई, बहुत पापी काम है यह। बब्बू गोंड़ 60 वर्ष निवासी कल्याणपुर ने बताया कि कई साल तक उन्होंने हीरा खदान लगाई, लेकिन हीरा मिलना तो दूर देखने तक को नहीं मिला। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित कल्याणपुर गांव में अधिसंख्य आबादी आदिवासियों की है। इस गांव के पास ही पटी बजरिया हीरा खदान क्षेत्र है, जहां अपनी किस्मत चमकाने हीरों की तलाश में दूर-दूर से लोग आते हैं। मजे की बात तो यह है कि जिस गांव में हीरा की यह खदान है जहां सैकड़ों लोग खदान खोदने आते हैं, उस गांव के लोग गरीबी में अपना जीवन बसर कर रहे हैं। हीरों की चमक इस गांव में कहीं भी नजर नहीं आती। गांव के आदिवासी हीरा खदान में या जहां काम मिला मजदूरी करते हैं तथा महिलाएं जंगल से लकड़ी लाकर शहर में जाकर बेंचती हैं। इसी से इन गरीब आदिवासियों का गुजारा चलता है।

कल्याणपुर गांव का बब्बू गोंड़ जिसने कई साल खदान लगाई, लेकिन हीरा नहीं मिला। हीरों की धरती में फटेहाल जीवन जीने को मजबूर।

बीते रोज  हम रिमझिम बारिश के बीच जब कल्याणपुर (पटी बजरिया) हीरा खदान क्षेत्र में पहुँचे, तो गांव में अपने घर के सामने बब्बू गोंड़ बैठे हुए थे। हम वहां रुके और बारिश से मोबाइल को बचाने के लिए उनसे एक छोटी पॉलीथिन की पन्नी ली। इसी दौरान उन्होंने हीरा खदान खोदने का अपना कटु अनुभव हमसे साझा किया। बब्बू गोंड़ के घर से सीधे हम खदान क्षेत्र में पहुंचे तो वहां का नजारा देख हैरान रह गये। जहां तक नजर जाती हर तरफ पत्थर की गोल बटैयों के ढेर जिन्हें ग्रामवासी लुढयाई खोदारा बोलते हैं, दिख रही थी। इलाके में आसपास यहां आज भी वन क्षेत्र है, इसलिए कभी न कभी इस खदान क्षेत्र में भी जंगल रहा होगा। लेकिन अब यहां जंगल तो क्या झाडियां तक नहीं बचीं सिर्फ बटैयों के ढ़ेर हैं।

हीरा खदान क्षेत्र जहां खुदाई के बाद अब सिर्फ पत्थर की बटैंया नजर आती हैं।

पत्थर के इन ढेरों में ही हीरों की तलाश में आए हुए लोग झोपड़ी बनाकर रहते हैं। बरसाती से कवर अपनी झोपड़ी के भीतर बैठे हल्के विश्वकर्मा 37 वर्ष निवासी चंदला जिला छतरपुर ने बताया कि पटी बजरिया हीरा खदान का बहुत नाम सुना था कि यहां हीरा मिलता है, इसलिए आए हैं। अब ऊपर वाले की मेहरबानी होगी तो हमारी भी किस्मत चमक जाएगी। इसके पहले कभी हीरा खदान लगाई है, यह पूछे जाने पर आपने बताया कि 17-18 वर्ष पहले खिन्नी घाट में खदान लगाई थी लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। इनके ठीक बाजू में शंकर लाल द्विवेदी 60 वर्ष की झोपड़ी है, ये भी चंदला छतरपुर से यहां पर हीरों की तलाश में आए हैं। इसके पहले भी इन्होंने खदान लगाई है लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया फलस्वरूप हीरों की तलाश जारी है।

हीरा खदान ने कर्ज में डुबाया, बिक गई जमीन


खदान से निकली हीरा धारित चाल (ककरु) की मिट्टी धोते हुए मजदूर। 

हीरा खदान लगाने और पलक झपकते रंक से राजा बनने की लालसा या कहें नशा कितना खतरनाक और मुसीबत में डालने वाला हो सकता है, इसका जीता जागता उदाहरण पास के ही गांव जनकपुर के निवासी 70 वर्षीय खेलाईं साहू हैं। इनकी कहानी हीरों की चमकीली दुनिया के स्याह पक्ष को बखूबी उजागर करती है। इनके बारे में जब हमें पता चला तो पटी बजरिया हीरा खदान क्षेत्र से सीधे हम जनकपुर पहुंचे। हमसे चर्चा करते हुए खेलाईं साहू ने बताया कि उन्होंने 20-22 वर्ष की उम्र में ही खदान लगाना शुरू कर दिया था और पूरे 50 साल तक खदान लगाई, लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा। वे आगे बताते हैं कि हीरा पाने के लालच में उन्होंने अपनी 4 एकड़ खेती की जमीन भी बेच डाली फिर भी हीरा नहीं मिला। उन्हें सिर्फ तीन छोटी रेजें ( हीरे के कंण ) मिली थीं, जो डेढ़ सौ रुपये, तेरह सौ रुपये तथा 240 रुपये में बिकी थीं।

इतना सब होने के बाद भी खेलाईं साहू नहीं चेते और अपनी किस्मत चमकाने के लिए हीरों की तलाश को जारी रखा। इसका परिणाम यह हुआ कि वे कर्ज में डूबते चले गए, उनके ऊपर 10 लाख रुपये का कर्ज हो गया। वे बताते हैं कि इस कर्ज को चुकाने के लिए उन्होंने मुख्य सड़क मार्ग के किनारे स्थित अपनी पैतृक जमीन भी 16 लाख रुपए में बेच दी, जिसकी मौजूदा समय कीमत लगभग एक करोड़ है। श्री साहू बताते हैं कि हीरा पाने की लालच में वे इस कदर अंधे थे कि उन्हें हर समय सिर्फ हीरा ही दिखता था। उन्हें यही लगता था कि शायद अब मिल जाये। आपने बताया कि उन्होंने गजरी, जनकपुर, पुखरी, हर्रा चौकी, बरम की खुईयां, नरेंद्रपुर, पटी बजरिया, सरकोहा व रुंज नदी में हीरा खदान लगाई और कर्ज चुकाने के बाद जो पैसा बचा था उसे भी खदानों में झोंक दिया।

अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा, बुढ़ापे में पति-पत्नी वृद्धावस्था पेंशन के सहारे जिंदगी गुजार रहे हैं। खेलाईं ने बताया कि उनके चार लड़के व चार लड़कियां हैं, सभी की शादी हो चुकी है सिर्फ एक लड़के की नहीं हुई जो 22 वर्ष का है। सभी लड़के अलग रहते हैं कोई मदद नहीं करता। अब बुढ़ापे में अपनी की गई गलतियों को याद करके पछताता हूँ।

70 किलोमीटर क्षेत्र में है हीरा धारित पट्टी का विस्तार


हीरा खदान क्षेत्र में इस तरह झोपड़ी बनाकर रहते हैं, हीरों की तलाश में बाहर से आने वाले लोग।  

पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किलोमीटर क्षेत्र में है, जो मझगवां से लेकर पहाड़ीखेरा तक फैली हुई है। हीरे के प्राथमिक स्रोतों में मझगवां किंबरलाइट पाइप एवं हिनौता किंबरलाइट पाइप पन्ना जिले में ही स्थित है। यह हीरा उत्पादन का प्राथमिक स्रोत है जो पन्ना शहर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां अत्याधुनिक संयंत्र के माध्यम से हीरों के उत्खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा संचालित किया जाता रहा है। मौजूदा समय उत्खनन हेतु पर्यावरण की अनुमति अवधि समाप्त हो जाने के कारण यह खदान 1 जनवरी 21 से बंद है, जिसे पुन: शुरू कराने के लिए प्रयास हो रहे हैं।

दो सर्किल में दिए जा रहे उथली हीरा खदानों के पट्टे

पन्ना स्थित हीरा कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में पन्ना और इटवां सर्किल में निजी और शासकीय भूमि में हीरा खदानों के पट्टे जारी किए जा रहे हैं। पन्ना सर्किल में दहलान चौकी, सकरिया चौपड़ा, सरकोहा, कृष्णा कल्याणपुर (पटी), राधापुर व जनकपुर। जबकि इटवां सर्किल में हजारा मुड्ढा, किटहा, रमखिरिया, बगीचा, हजारा, और भरका आदि क्षेत्र शामिल हैं। हीरा अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि वर्ष 2020 में 633 उत्खनन पट्टे बनाए गए थे, जबकि वर्ष 2021 में जुलाई माह तक 542 पट्टे बनाए जा चुके हैं। हीरा खदान पट्टा के लिए इच्छुक व्यक्ति को जिला हीरा कार्यालय में दो सौ रुपये के चालान के साथ आवेदन करना होता है। तदुपरांत चाहे गए क्षेत्र में 8 बाय 8 मीटर क्षेत्र में उत्खनन पट्टा प्रदान कर दिया जाता है। खदान में हीरा प्राप्त होने पर नियमानुसार उसे हीरा कार्यालय में जमा किए जाने का प्रावधान है। इन हीरों की खुली नीलामी होती है, हीरा बिकने पर निर्धारित खनिज राजस्व काटकर शेष राशि संबंधित व्यक्ति को प्रदान की जाती है।

सैकड़ों की संख्या में चल रही हैं अवैध खदानें


बृहस्पति कुंड का वह वन क्षेत्र जहां पर सैकड़ों की संख्या में हीरा की अवैध खदानें चलती हैं। 

वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद से अधिकांश हीरा धारित क्षेत्र वन सीमा के भीतर आ जाने के कारण वहां पर वैधानिक रूप से हीरों का उत्खनन बंद हो गया है। चूंकि हीरों की उपलब्धता वाली शासकीय राजस्व भूमि बहुत ही कम है, इसलिए निजी पट्टे की भूमि व वन क्षेत्र में ही अधिकांश खदानें चलती हैं। वन व पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले समाजसेवी इंद्रभान सिंह बुंदेला बताते हैं कि हीरा धारित पट्टी से होकर प्रवाहित होने वाली तीन नदियों किलकिला, रुंज व बाघिन नदी के प्रवाह क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अवैध हीरा खदानें चलती हैं। जिससे जंगल उजडऩे के साथ-साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है।

श्री बुंदेला बताते हैं कि वन क्षेत्र में चलने वाली अवैध हीरा खदानों को रोकने के लिए वन अमले द्वारा जब दबिश दी जाती है, तो टकराव के हालात बनते हैं। बीते साल उत्तर वन मंडल पन्ना अंतर्गत बिश्रमगंज वन परिक्षेत्र के रहुनिया बीट में चल रही अवैध हीरा खदान को रोकने जब वन अमला मौके पर पहुंचा, तो खनन माफियाओं ने वन अमले पर हमला बोल दिया था। जिसमें डिप्टी रेंजर सहित चार वनरक्षक घायल हो गए थे। अवैध खदानों के मामले में बृजपुर क्षेत्र सबसे आगे है। यहां बृहस्पति कुंड के प्रवाह क्षेत्र में बड़ी संख्या में अवैध खदानें संचालित होती हैं। यह इलाका अत्यधिक दुर्गम व सैकड़ों फिट की गहराई में है। यहीं पर बाघिन नदी गिरती है, जिससे बेहद मनोरम प्रपात निर्मित होता है। लेकिन अवैध उत्खनन से यहां का नैसर्गिक सौंदर्य उजड़ रहा है।

चमकदार हीरों का चलता है काला कारोबार



पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती से निकलने वाले चमकदार हीरों का काला कारोबार भी धड़ल्ले से चलता है। अवैध हीरा खदानों से प्राप्त होने वाले हीरों सहित वैध खदानों के भी ज्यादातर हीरे चोरी-छिपे बेच दिए जाते हैं। जिससे शासन को जहां राजस्व की हानि होती है, वहीं हीरों से जुड़े अपराधों में भी वृद्धि होती है। हीरों के इस अवैध कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाने में हीरा कार्यालय नाकाम साबित हो रहा है। नाम जाहिर न करने की शर्त पर हीरा कार्यालय के एक कर्मचारी ने बताया कि विभाग में स्टाफ ना के बराबर हैं। जिससे हीरा खदानों की मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है।

खदानों पर नजर रखकर प्राप्त हीरों को जमा करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले हवलदारों की संख्या पूर्व में 32 से 34 हुआ करती थी, जो अब सिर्फ तीन है। अगले महीने एक हवलदार रिटायर हो जाएगा, फलस्वरुप सिर्फ 2 बचेंगे। अब दो हवलदार 5 सौ से भी अधिक खदानों पर कैसे नजर रखेंगे ? हीरा कार्यालय में सिर्फ एक बाबू है, जबकि हीरा इंस्पेक्टर एक भी नहीं हैं। तीन हीरा इंस्पेक्टर थे जो रिटायर हो चुके हैं।

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Tuesday, August 24, 2021

पन्ना में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के साथ पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

  • मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह एवं क्षेत्रीय सांसद  बी.डी. शर्मा ने विभिन्न विकास कार्यों का किया लोकार्पण एवं भूमि पूजन



पन्ना। प्रदेश के खनिज साधन एवं श्रम विभाग मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह एवं क्षेत्रीय सांसद  बी.डी. शर्मा द्वारा जिले के भ्रमण के दौरान पन्ना नगर मुख्यालय में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने संयुक्त रूप से दो विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमि पूजन किया। इस अवसर पर मंत्री श्री सिंह ने कहा कि नगर के सर्वांगीण विकास के लिये कार्य करने के प्रयास किये जा रहे हैं। वहीं सांसद श्री शर्मा ने कहा कि जिले में शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।

इस अवसर पर मंत्री श्री सिंह ने अपने उदबोधन में कहा कि क्षेत्र के साथ नगर के विकास के लिये कार्य किये जा रहे हैं। उसी क्रम में आज विभिन्न कार्यो का लोकार्पण एवं भूमि पूजन किया गया है। नगर की लम्बे समय से चली आ रही मांग आज पूर्ण हो गई है। आज श्री जगन्नाथ स्वामी टाउन हॉल ऑडिटोरियम का कार्य पूर्ण हो गया है। इससे नगर के लोगों को विभिन्न तरह के आयोजनों के लिये सुविधा मिल सकेगी। बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिये अध्ययन केन्द्र प्रारम्भ हो चुका है। वार्ड क्र-03 की नालियों का पानी की निकासी के लिये श्मशान घाट से पोष्ट ऑफिस तक कल्वर्ट नाला निर्माण, धरमसागर तालाब में रिंग रोड निर्माण, शासकीय अयुर्वेद पंच कर्म चिकित्सालय, एनएमडीसी कॉलोनी में 100 विस्तर का कोविड अस्पताल स्थापित किये जाने के कार्य का भूमि पूजन किया गया है।

मंत्री श्री सिंह ने कहा कि नगर में प्राचीन तालाब होने के बाद भी अल्प वर्षा के कारण पेयजल की समस्या को दूर करने के लिये कार्य किया जायेगा। नगर में मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास मद से स्टेडियम निर्माण के साथ अन्य विकास कार्यो के लिये मुख्यमंत्री जी से राशि की मांग की गयी है। नगर में शीघ्र ही ओपन जिम स्थापित किये जायेंगे। वन एवं राजस्व भूमि के विवाद को निराकृत करने के लिये कार्यवाही की जायेगी। जिससे यहॉ के लोगो को रोजगार मिल सके।

इस अवसर पर क्षेत्रीय सांसद श्री शर्मा ने कहा कि जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज, श्रम विद्यालय आदि की स्थापना के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये कार्य किया जायेगा। कालींजर केा जोडने वाली नेशनल हाईवे की स्वीकृति प्राप्त हेा गयी है, रेलवे का काम प्रगति पर है। उन्होंने अपील करते हुये कहा कि नगर को स्वच्छ एवं साफ सुथरा बना कर नगर का नाम रोशन करें। पन्ना में स्वास्थ्य संबंधी सभी संसाधन विकसित किये जा रहे है। जिससे यहॉ के लोगो को सभी तरह की स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध हो सकें। कलेक्टर संजय कुमार मिश्र द्वारा इस अवसर पर बताया गया कि पन्ना अध्ययन केन्द्र की स्थापना माध्यमिक शाला टिकुरिया पुराना भवन में की गई है। यहॉ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिये अध्ययन समाग्री एवं मार्गदर्शन की व्यवस्था है।

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Monday, August 23, 2021

पन्ना में भगवान परशुराम का बनेगा भव्य मंदिर

  •  महाराज सागर तालाब के पास पूरे विधि विधान से हुआ भूमिपूजन 
  •  मंदिर निर्माण के लिए अरुण दीक्षित ने किया है निजी भूमि का दान

मंदिर निर्माण का भूमिपूजन करते हुए मुख्य अतिथि सांसद बिष्णुदत्त शर्मा व अन्य।  

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। मंदिरों के शहर पन्ना में भगवान परशुराम का भव्य मंदिर बनेगा, जिसका भूमि पूजन सोमवार 23 अगस्त को पूरे विधि विधान के साथ संपन्न हुआ। इस बहुप्रतीक्षित मंदिर के निर्माण हेतु पन्ना निवासी अरुण दीक्षित जी ने महाराज सागर तालाब के निकट बायपास मार्ग के किनारे स्थित अपनी निजी भूमि दान में दी है। मुख्य अतिथि सांसद विष्णु दत्त शर्मा व पंडित राम दुलारे पाठक की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश शासन के मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह व विजय राघौगढ़ विधायक संजय पाठक भी मौजूद रहे।

 भूमि पूजन के उपरांत आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए सांसद श्री शर्मा ने कहा कि मंदिर श्रद्धा और आस्था के केंद्र होते हैं, इसलिए मंदिर के निर्माण में कितना खर्च होगा इसकी चिंता नहीं करना चाहिए। श्रद्धा और आस्था का केंद्र भव्य और दिव्य होना चाहिए और यह तभी संभव है जब इसके निर्माण में सबकी भागीदारी हो। आपने कहा कि मंदिर का निर्माण कोई सामान्य काम नहीं है और सबसे महत्वपूर्ण बात भूमि का दान है। श्री शर्मा ने मंदिर के लिए भूमि दान करने वाले अरुण दीक्षित का मंच पर साल व श्रीफल से सम्मान भी किया। 

सांसद श्री शर्मा ने पन्ना जिले के लोगों की सराहना करते हुए कहा कि यहां जिस तरह का अपनापन मिलता है ऐसा और कहीं नहीं मिलता। यह क्षेत्र ऐसा है जहां काम करने की बहुत संभावनाएं हैं। आपने कहा कि ब्राह्मण समाज हमेशा से समाज को दिशा देने का काम करता रहा है। हमें ही यह तय करना है कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि मंदिर की प्रतिष्ठा तभी होती है जब उसके निर्माण में समाज के एक एक व्यक्ति का योगदान होता है। मंदिर के निर्माण का खर्च मंच में बैठे लोगों में से कोई भी उठा सकता है, लेकिन जब सब के योगदान से मंदिर बनेगा तो लोगों का भावनात्मक जुड़ाव होगा। उन्होंने समाज के लोगों से कहा कि वे समाज के प्रतिभावान बच्चों की मदद के लिए योजना बनाएं ताकि प्रतिभाशाली बच्चों की पढ़ाई आर्थिक अभाव से बाधित न हो।


भूमिपूजन के उपरांत आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथि। 

 प्रदेश के खनिज मंत्री व स्थानीय विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। आपने कहा कि मंदिर के निर्माण में योगदान हेतु जो निर्देश मिलेगा हम उसे पूरा करेंगे। खनिज मंत्री ने विजय राघौगढ़ विधायक संजय पाठक की सराहना करते हुए कहा कि प्रतिभाओं की मदद कर उन्हें आगे बढ़ाने में आपके द्वारा जिस तरह प्रयास किया जा रहा है, वह स्वागत योग्य है।

 श्री सिंह ने कहा कि पन्ना के विकास व सुविधाओं के विस्तार हेतु हरसंभव प्रयास हो रहे हैं। हमारा प्रयास है कि आगामी सितंबर माह में मुख्यमंत्री जी पन्ना आयें। आपने कहा कि पन्ना शहर के लिए पेयजल की आपूर्ति हेतु तालाबों के अलावा अन्य दूसरे विकल्प भी तलाशने होंगे। मुख्यमंत्री जी के पन्ना आने पर पेयजल सहित अन्य विकास कार्यों के संबंध में चर्चा होगी।

पन्ना देवभूमि है, जिधर देखो वहीं मंदिर : संजय पाठक 

पन्ना कोई मामूली शहर नहीं है, यह देवभूमि है। यहां जिधर नजर डालो उधर भव्य और विशाल मंदिर नजर आते हैं। अद्भुत और अनूठे मंदिर हैं यहां, जहां जाकर दर्शन मात्र से ताकत और ऊर्जा मिलती है। यह बात विजय राघौगढ़ विधायक संजय पाठक ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि हम जिस समाज में जन्म लेते हैं, उसका ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है। यदि ऐसा न किया तो लोग यही कहते हैं कि जो अपनी समाज का सगा नहीं हुआ वह किसका सगा होगा।

 उन्होंने कहा कि हम चुनाव सब के सहयोग से जीतते हैं, इसलिए जनप्रतिनिधि को अपने समाज के साथ-साथ दूसरे समाज के लोगों के हितों व कल्याण के काम भी  करना चाहिए। श्री पाठक ने सांसद शर्मा व खनिज मंत्री के बाबत कुछ रोचक बातें भी बताईं, जिसका उपस्थित लोगों ने लुत्फ लिया। आपने कहा कि पंडित कभी गरीब नहीं होता, क्योंकि जो समाज को दिशा और ज्ञान देता है वह भला गरीब कैसे हो सकता है। कार्यक्रम में पूर्व नपा अध्यक्ष श्रीमती शारदा पाठक, राम गोपाल तिवारी, रवींद्र शुक्ला, श्रीकांत दीक्षित, प्रमोद पाठक, मुरारीलाल थापक, बबलू पाठक, विष्णु पांडे, जय प्रकाश चतुर्वेदी, बृजमहन तिवारी, कलेक्टर पन्ना संजय कुमार मिश्रा, पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीणा सहित जिले भर से आए विप्र समाज के गणमान्य जन सैकड़ों की संख्या में शामिल रहे।

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Wednesday, August 18, 2021

लोहिया-जेपी के सपनों का विन्ध्यप्रदेश, विश्व में गूँजी थी दमन की कथा !

"एक दस्तावेजी ऐतिहासिक बुलेटिन जिसे प्रत्येक विन्ध्यवासी को पढ़ना और साझा करना चाहिए..! जब जयप्रकाश, लोहिया और अशोक मेहता ने विन्ध्य के दमन का मुद्दा विश्व के सामने रखा..और जनक्रान्ति का आवाहन किया"....!



                                                                                                                          

।। जयराम शुक्ल ।।

विन्ध्यप्रदेश आज जिंदा होता तो अगले 4 अप्रैल को हम सब उसकी हीरक जयंती मनाने की तैयारी कर रहे होते। अब सिर्फ स्मरण का विषय मात्र है। मध्यप्रदेश में विलय के फरमान के साथ ही आठ वर्षीय अबोध शिशु विन्ध्यप्रदेश को अकारण मृत्युदंड दे दिया गया। जयप्रकाश नारायण, डा. राममनोहर लोहिया, अशोक मेहता जैसे दिग्गज समाजवादी नेताओं ने विन्ध्यप्रदेश के भविष्य का आँकलन पहले ही कर लिया था, इसलिए उन्होंने विन्ध्यभूमि की अस्मिता बचाने के लिए तीसरे विकल्प जनक्रांति का आवाहन किया था।

1950 में विन्ध्यप्रदेश को तोड़ने का जोरदार षणयंत्र किया गया। 28 दिसम्बर 1950 के दिन डा. लोहिया ने रीवा की एक जनसभा में विन्ध्य को बचाने के लिए प्राणों के हद तक जाने का ऐलान किया। उनके बंबई लौटते ही विन्ध्यवासियों का विशाल जनसमूह सड़कों पर उतर आया। 2 जनवरी 1950 के दिन..तत्कालीन निरंकुश प्रशासन ने दिल्ली के निर्देश पर हर हाल में आंदोलन को दमन करने की ठानी। लाठीचार्ज से सैकड़ों के हाथपांव तोड़ने के बाद कलेक्टर ने फायरिंग के आदेश दिए। इस गोलीचालन में अजीज, गंगा और चिंताली तीन युवा शहीद हो गए। गोली लगने से दर्जनों घायल हुए और बाद में अपंगता की जिंदगी जी।                      

                                                                    
इस घटना को समाजवादी नेताओं ने विश्व की क्रूरतम घटनाओं में से एक कहा। समाजवादी पार्टी ने बंबई से एक वक्तव्य देश के लिए जारी किया। हम यहां वह बुलेटिन और उसका मुद्रित रूप प्रस्तुत कर रहे हैं। यह बुलेटिन  तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष शिवानंदजी की आर्काइव में सुरक्षित है और मुझतक उनके सुपुत्र डा. पीएन   श्रीवास्तव के मार्फत पहुँची है। देश और विन्ध्यप्रदेश की तत्कालीन परिस्थिति, एक प्रदेश को तोड़ने का षड़यंत्र और दुरभिसंधि के तथ्य-कथ्य इस बुलेटिन को पढ़कर ही समझे जा सकते हैं.. 4 अप्रैल विन्ध्यप्रदेश दिवस के अवसर पर इसे हर उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए जिसकी आहत आकांक्षाओं में विन्ध्यप्रदेश अब भी धड़क रहा है।

(बुलेटिन का मुद्रित तर्जुमा)

-"विन्ध्य प्रदेश की समस्या पर समाजवादी नेताओं का वक्तव्य"

   बंबई 4 जनवरी 1950 


साथी जयप्रकाश नारायण प्रधानमंत्री समाजवादी पार्टी, साथी अशोक मेहता प्रधानमंत्री हिन्द मजदूर सभा और साथी राममनोहर लोहिया सभापति हिन्द किसान पंचायत ने निम्न वक्तव्य दिया है।

         ..कम से कम जहाँ तक टेलीफोन और तार का संबंध है, सरकार ने रीवा पर पर्दा डाल दिया है। अंतिम खबर 2 जनवरी के दोपहर की है जिसमें 4 मरे 25  से अधिक घायल और 250 गिरफ्तार बताए गए हैं। 2 जनवरी की रात को इलाहाबाद से टेलीफोन में बताया गया कि गिरफ्तारियां और मरने वालों की संख्या बढ़ गई और विन्ध्य के बहुत से हिस्सों में मार्शल ला के हालात हैं। यह स्पष्ट है कि रोमांचकारी घटनाएं घट रही हैं।

विन्ध्यप्रदेश का प्रश्न साधारण है। उस हिस्से में पार्लियामेंट के लिए कोई चुनाव नहीं हुए। करीब दो साल से भारत सरकार और कांग्रेस की तानाशाही चल रही है। उन्होंने प्रांत का निर्माण किया और मिनिस्ट्री नामजद की। इन नामजद लोगों को उन्होंने अलग किया और फिर इन्हीं में से कुछ को भारतीय पार्लियामेंट में प्रतिनिधित्व करने के लिए नामजद किया। और अब इस प्रांत के विलियन और विभाजन के निर्णय पर पहुंचे हैं।

यदि दिल्ली के लोगों का पिछला इतिहास बेशर्मी के साथ भ्रष्टाचार और अयोग्यता का रहा है तो भारत सरकार की विन्ध्य के पड़ोसी सरकारों के साथ हाल ही की बैठकें हद दर्जे की गुटबंदी का परिचय देती हैं जैसे की जनता बिक्री की सामग्री हो जिसके लिए पड़ोसी लड़ रहे हों। दो सालों से बराबर सोशलिस्ट पार्टी और किसान पंचायत ने बार बार यह कहा है कि शताब्दियों से इकट्ठे हुए कूड़े की एक मात्र दवा बालिग मताधिकार के अनुसार चुनाव हैं। विन्ध्य के तोड़े जाने के अभी के प्रश्न पर भी चुनाव की माँग की गई जिससे कि प्रांत की जनता के प्रतिनिधि उसके भविष्य का निर्णय कर सकें।  किंतु परिस्थिति गिरती ही गई और स्वतंत्र भारत की सरकार ने पुरानी रियासतों की जनता के साथ वैसे ही तानाशाही का बर्ताव किया है जैसा कि अँगेज सरकार  किया करती थी और अब एक विस्फोट हो गया। हमें यह याद रखना चाहिए कि किसान पंचायत और समाजवादी पार्टी ने पहले भी किसानों की बेदखली के खिलाफ मोर्चा लिया था जिसमें बहुत सी गिरफ्तारियां और निर्वासन भी हुए थे किंतु सफलता अंत में उन्हीं की रही।

प्रजातंत्र और तानाशाही का यह साधारण प्रश्न जो कि इतनी नृशंसता के साथ विन्ध्य में उठाया गया है पुरानी रियासतों की तमाम जनता पर बराबर असर रखता है। मध्यप्रांत, उड़ीसा और बांबे की धारा सभाओं में एक बहुत ही भद्दे तरीक़े से विलीन रियासतों की जनता के प्रतिनिधि नामजद किए गए हैं। एक नामजद मिनिस्ट्री राजस्थान में काम चला रही है जिसने कि सुआना के हत्याकांड में एक शांत जन समूह से 20 जानें भेंट ली।

विन्ध्य की समस्या हमारे सामने एक महान देशव्यापक प्रश्न उपस्थित करती है। भारत आज एक बहुत बड़ा गरीबों का घर है जिसमें गरीबी और निराशा से कुचले हुए अरमानों वाले निवासियों से दासता या मृत्यु के बीच चुनाव करने के लिए कहा जाता है। कृषि और व्यापार की समस्याओं को हल करने में अपनी हार न मानते हुए सरकार जनता को गोलियों का भोजन दे रही है। राष्ट्र की नींव मजबूत करने के बहाने वे गरीबी की नींव मजबूत कर रहे हैं।

भारत की जनता जो दो वर्ष पहले एक विदेशी शासन को फेकने की शक्ति रखती थी निकट भविष्य में अवश्य उसी ताकत को प्राप्त करेगी। विन्ध्य कृषि और व्यापार की समस्याओं को सुलझाते हुए अपनी जनता की तकलीफों को दूर करना चाहता है।  जब तक कि सरकार रीवा हत्याकांड के प्रति जिम्मेदार अधिकारियों को मुअत्तिल नहीं करती, एक कानूनी जाँच नहीं बैठाती, क्रूर शासन का अंत और चुनाव का निर्णय नहीं करती, विन्ध्य की आग शांत नहीं हो सकती, वह अवश्य फैलेगी।

"सारे संसार के समक्ष विन्ध्य की समस्या एक महान प्रश्न उपस्थित करती है कि या तो वह अपनी दीन-हीन दशा में संतोष किए बैठा रहे या उसको सुधारने के लिए हिंसात्मक जनक्रांति का सहारा ले"।

लोगों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि शांतिमय परिवर्तन के तीसरे मार्ग का अनुसरण करने की ही वजह से यह विन्ध्य  रक्तरंजित है।

हम 15 जनवरी को तमाम भारतवर्ष में विन्ध्यदिवस मनाने का आवाहन करते हैं जिसमें कि जुलूस निकाले जांय, सभाएं की जांय तथा विन्ध्य के आंदोलन और पीड़ितों के लिए धन इकट्ठा किया जाय। राममनोहर लोहिया जिन्होंने 28 दिसम्बर को रीवा म्युनिसिपल कमेटी के द्वारा संचालित एक महती सभा में विन्ध्य की समस्या पर प्रकाश डाला था 6 जनवरी की बांबे मेल से रीवा के लिए रवाना हो रहे हैं।"

समाजवादी पार्टी रीवा (वि.प्र.)

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Saturday, August 14, 2021

चोरियों व नकबजनी में शामिल शातिर चोर गिरोह के 5 सदस्य गिरफ्तार

  • आरोपियों के कब्जे से 08 किलो चाँदी, 58 ग्राम सोने के आभूषण, नगद 15700 रूपये एवं 02 भरतल बंदूक कीमती करीब 30 हजार रूपये कुल कीमत लगभग  09 लाख 07 हजार रूपये का हुआ बरामद। मामले के 03 आरोपी फरार हैं जिनकी तलाश की जा रही है। 

अंत्तर्राज्यीय चोर गिरोह द्वारा घटित वारदातों की जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक तथा बरामद सामग्री। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में अलग-अलग थानों क्षेत्रों में चोरी और नकबजनी की वारदातों को अंजाम देने वाले अंत्तर्राज्यीय चोर गिरोह के 05 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से पुलिस द्वारा 08 किलो चाँदी, 58 ग्राम सोने के आभूषण, नगद 15700 रूपये सहित 02 भरतल बंदूक कीमती करीब 30 हजार रूपये कुल कीमत लगभग  09 लाख 07 हजार रूपये का सामान बरामद किया गया है। इस शातिर गिरोह के तीन आरोपी फरार हैं जिनकी सरगर्मी से पुलिस द्वारा तलाश की जा रही है। 

पुलिस अधीक्षक पन्ना ने आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि  जिले में हाल में हुई चोरियों की वारदातों को गंभीरता से लेते हुये चोरियों के अपराधों के खुलासे एवं आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु अनुविभागीय अधिकारी पुलिस अजयगढ़  बी.एस.परिहार के मार्गदर्शन एवं थाना प्रभारी अजयगढ़ निरीक्षक अरविन्द कुजूर के नेतृत्व में पुलिस टीम गठित की गई थी। पुलिस टीम में थाना प्रभारी धरमपुर उनि सुधीर बैगी एवं पुलिस सायबर सेल टीम पन्ना को शामिल किया गया ।  पुलिस टीम को चोरियों का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार करने हेतु निर्देशित किया गया। पुलिस अधीक्षक पन्ना द्वारा दिये गये निर्देशों का उक्त पुलिस टीम द्वारा पालन करते हुये पूर्व में इस तरीके की वारदातों को अंजाम देने वाले संदिग्ध व्यक्तियों को चिन्हित किया जाकर उनके बारे में जानकारी एकत्रित करते हुये चिन्हित व्यक्तियो की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी गयी। आरोपियों की पतारसी एवं गिरफ्तारी हेतु पुलिस टीम द्वारा अपने मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया जाकर पुलिस सायबर सेल से जानकारी लेते हुये मामलों के खुलासा एवं आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किये गये। 

शुक्रवार 13 अगस्त को थाना प्रभारी अजयगढ़ को मुखबिर द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि चोरी व नकबजनी की घटनाओ में शामिल संदिग्ध व्यक्ति चोरी करने के उद्देश्य से ग्राम पिस्टा में एक घर में छिपे हुये हैं। थाना प्रभारी अजयगढ़ द्वारा मुखबिर सूचना को आधार मानते हुये सायबर सेल से जानकारी लेकर मुखबिर के बताये स्थान ग्राम पिस्टा पहुँचकर घर की घेराबन्दी की गई। पुलिस को देखकर 05 संदिग्ध व्यक्ति घर से निकल कर भागने लगे, जिन्हे पुलिस टीम द्वारा पुलिस अभिरक्षा में लिया जाकर पूँछताछ की गई। कड़ाई से पूँछताछ किये जाने पर इन्होंने 03 अन्य साथियों के साथ मिलकर चोरी करने की वारदातों को कबूल किया। 

आरोपियों के कब्जे से बरामद हुई भरतल दो बंदूखें। 

आरोपियों ने पन्ना जिले के विभिन्न थानों में दर्ज अपराधो में से थाना अजयगढ़ के अप.क्र. 46/21, 51/21, 64/21, 154/21, 345/21, 377/21, 358/21, थाना धरमपुर के अप.क्र. 145/20, 127/21, 163/21, थाना कोतवाली पन्ना के अप.क्र. 587/21, थाना अमानगंज के अप.क्र. 188/21, 399/21, 68/21, थाना सिमरिया के अप.क्र. 260/21, 253/21, 298/21, 266/21, थाना शाहनगर के अप.क्र. 32/21, 81/21, 83/21 एवं थाना देवेन्द्रनगर के अप.क्र. 266/21 में फरियादियों के घर व दुकानों पर चोरी करने की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया। आरोपियों को गिरफ्तार किया जाकर शनिवार 14/08/21 को न्यायालय में पेश किया गया। मामले में 03 अन्य आरोपी फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी के बाद पूँछताछ पर पन्ना जिले के अलावा टीकमगढ़, छतरपुर, विदिशा एवं म.प्र. के बाहर अन्य राज्यों में आरोपियों द्वारा चोरी की घटनाओं में खुलासा होने की संभावना है।

आरोपीगण वारदात को इस तरह देते थे अंजाम 

 घटना में शामिल आरोपी मूलत: गाँव-गाँव जाकर फेरी लगाकर खेल तमाशा दिखाकर सामान बेंचते हैं। ये गुदना रचने का काम करने के दौरान गाँव की रैकी करके चोरी करने के लिये घरों को चिन्हित कर लेते हैं। इन लोगों के साथ कुछ स्थानीय व्यक्ति भी शामिल हैं जो इन लोगों को गाँव की रैकी करके चोरी करवाने हेतु बुलाकर योजनाबद्ध तरीके से चोरी की घटना को अंजाम देते हैं।

उक्त सम्पूर्ण कार्यवाही में थाना प्रभारी अजयगढ़ निरीक्षक अरविन्द कुजूर, थाना प्रभारी धरमपुर उनि सुधीर बैगी, सायबर सेल पन्ना से प्र.आर. नीरज रैकवार, राहुल सिंह बघेल , आर. आशीष अवस्थी, धर्मेन्द्र सिंह राजावत, राहुल पाण्डेय, थाना अजयगढ से आर. आइमात सेन का विशेष योगदान रहा। इनके अलावा उनि अनिल सिंह राजपूत, उनि एम.पी. दाहिया, सउनि राजेन्द्र नामदेव, प्र.आर. वृषकेतु रावत, सन्तोष तोमर, आर. सर्वेन्द्र , नरेन्द्र, भूरी सिंह , सुशील मिश्रा , प्रेमनारायण एवं धीरेन्द्र सिंह का भी सराहनीय योगदान रहा।

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फिशिंग कैट : बिल्ली जो पानी में करती है शिकार

  •  पन्ना टाइगर रिजर्व में है इसका प्राकृतिक रहवास  
  •  कैमरा ट्रैप में कैद हुई मछली खाने वाली यह बिल्ली 

मछली खाने वाली बिल्ली फिशिंग कैट।   ( फोटो - इंटरनेट से साभार  )

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना । बड़ी बिल्ली बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में फिशिंग कैट ( मछली खाने वाली बिल्ली ) भी पाई जाती है। पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी के आसपास विलुप्त हो रही फिशिंग कैट का प्राकृतिक आवास है। मछली खाने वाली यह दुर्लभ बिल्ली पहली बार यहां कैमरा ट्रैप में कैद हुई है। पन्ना टाइगर रिजर्व के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से 13 अगस्त को फिशिंग कैट की फोटो जारी की गई है। जिसमें लिखा गया है "पन्ना टाइगर रिजर्व के सिर में एक और ताज" पहली बार पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट की फोटो मिली, जो खुशी की बात है।

फिशिंग कैट यानी मछली का शिकार करने वाली बिल्ली, जिसकी तादाद तेजी से घट रही है। भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत फिशिंग कैट का शिकार किया जाना प्रतिबंधित है। फिशिंग कैट को लुप्तप्राय श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट का फोटोग्राफिक प्रमाण मिलने पर खुशी का इजहार करते हुए क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि निश्चित ही यह नेशनल खबर है। मध्य भारत के पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास की पुष्टि अपने आप में बड़ी बात है।

पन्ना टाइगर रिज़र्व का ट्वीट। 

क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने कहा कि तेजी से विलुप्त हो रही फिशिंग कैट की पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदगी के प्रमाण मिलने पर अब अनेकों जीव विज्ञानी जो फिशिंग कैट पर रिसर्च व अध्ययन में रुचि रखते हैं, वे यहां आकर अध्ययन कर सकेंगे। आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में वन्य प्राणियों के विचरण क्षेत्र व उनकी मौजूदगी के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कैमरे लगाए गए हैं। हमारा प्रयास है कि पार्क के उन इलाकों को भी कवर किया जाए, जहां अभी तक कैमरे नहीं लगाए जा सके। श्री शर्मा ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच से केन नदी प्रवाहित होती है, इसलिए फिशिंग कैट के यहां होने की संभावना जताई जा रही थी। आर्द्रभूमि में रहने वाली इस बिल्ली का मुख्य भोजन मछली होता है, इसीलिए इसका नाम फिशिंग कैट पड़ा है। 

पूरे मध्य भारत में यह पहला फोटोग्राफिक साक्ष्य 

समूचे मध्यप्रदेश में फिशिंग कैट का इसके पहले कहीं भी फोटोग्राफिक साक्ष्य मिलने का कोई प्रमाण नहीं है। पन्ना टाइगर रिजर्व में पहली बार इस दुर्लभ बिल्ली की फोटो कैमरा ट्रैप में कैद हुई है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया कि ऑल इंडिया टाइगर सेंसस के दौरान डब्ल्यू आईआई व पीटीआर द्वारा लगाए गए कैमरा ट्रैप में 11 जनवरी 2019 को फिशिंग कैट की फोटो कैप्चर हुई थी। 

श्री शर्मा से यह पूछे जाने पर कि 2 वर्ष से भी अधिक का समय गुजर जाने के बाद 13 अगस्त 2021 को यह महत्वपूर्ण फोटो उजागर की गई इसकी वजह क्या है ? इस सवाल के जवाब में श्री शर्मा ने बताया कि टाईगर सेंसस में सैकड़ों कैमरे लगते हैं, जिनमें विभिन्न वन्य प्राणियों की हजारों फोटो कैप्चर होती हैं। कैमरों में कैप्चर हुई सभी तस्वीरों को एनालाइज (छांटने) करने में काफी वक्त लगता है। कौन सी फोटो किस वन्य प्राणी व प्रजाति की है, इसकी पुष्टि होने पर ही अधिकृत रूप से जानकारी प्रसारित की जाती है। 

क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि पूरे मध्यप्रदेश में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास व मौजूदगी के चूंकि कोई प्रमाण नहीं थे, इसलिए पन्ना टाइगर रिजर्व में कैद हुई फोटो का गहन परीक्षण किया जाना जरूरी था। छानबीन के उपरांत ही यह घोषणा की गई। आपने बताया कि वर्ष 2013-14 में फिशिंग कैट का फोटोग्राफिक प्रमाण रणथंभौर में दर्ज हुआ था। मध्य भारत में पहली बार पन्ना टाइगर रिजर्व में इसकी मौजूदगी का साक्ष्य मिला है, जो प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

पूर्व में भी दिखी लेकिन फोटो पहली बार मिला

पन्ना टाइगर रिजर्व के मध्य से तकरीबन 55 किलोमीटर तक प्रवाहित होने वाली के नदी के आसपास फिशिंग कैट की मौजूदगी के संकेत पूर्व में भी मिले हैं। लेकिन फोटोग्राफिक प्रमाण पहली बार मिला है। मध्य प्रदेश वन्य प्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य व वन्यजीव प्रेमी श्यामेन्द्र सिंह (बिन्नी राजा) ने बताया कि वर्षो पूर्व उन्होंने केन नदी के किनारे पीपरटोला के ग्रास लैंड में काफी दूर से फिशिंग कैट को देखा था। लेकिन इसकी फोटो ले पाने में सफलता नहीं मिली। अब चूंकि कैमरा ट्रैप से इसकी फोटो ली जा चुकी है, इसलिए पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास की पुष्टि हो गई है। आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व में मगरा डबरी से लेकर पीपरटोला तक का इलाका फिशिंग कैट के लिए अनुकूल है। यहां केन में जहां पर्याप्त मछलियां हैं, वहीं यहां की आबोहवा और वातावरण भी मछली खाने वाली बिल्ली के अनुकूल है। श्री सिंह ने बताया कि फिशिंग कैट शारीरिक रूप से सामान्य घरेलू बिल्लियों की तुलना में दोगुनी आकार की होती है।

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Friday, August 13, 2021

खतरों और चुनौतियों के बीच जंगल में कैसे होती है मानसून गस्त ?

  • बारिश के मौसम में जब देश के सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद हो जाते हैं। उस समय घने जंगल, दुर्गम पहाड़ों, गहरे सेहों और नदी नालों के बीच वन कर्मी पैदल गस्त करते हैं। इस दौरान उन्हें हर पल खतरों और चुनौतियों से जूझना पड़ता है। इन विषम परिस्थितियों में भी वे वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहते हैं।

टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में पैदल गस्त करते रेंजर व साथ में वन कर्मी। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना । मानसून सीजन में जब जंगल हरा- भरा और घना होता है, उस समय नदी नालों में पानी आ जाने व वन मार्गों पर कीचड़ हो जाने से वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती है। इस मौसम में जंगल व वन्य प्राणियों विशेषकर बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसा जंगल जहाँ तक़रीबन 65 बाघ अपने लिए शिकार की खोज में निरंतर विचरण करते हों, वहाँ बारिश के मौसम में पैदल गस्त करना आसान नहीं है। लेकिन सुरक्षा में तैनात रहने वाले वन कर्मियों को इन कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए ज्यादातर पैदल ही गस्त करना पड़ता है। बारिश के 3 माह वन योद्धाओं के लिए परीक्षा की घड़ी होती है। क्योंकि इस सीजन में जंगल माफियाओं के साथ-साथ शिकारियों की भी सक्रियता बढ़ जाती है।

टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में जहां बाघों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है, वहां बारिश शुरू होते ही सभी बाघ अभ्यारण्यों में मानसून अलर्ट रहता है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि मानसून सीजन में पैदल चलने पर जोर दिया जाता है। इसकी वजह का खुलासा करते हुए आपने बताया कि बारिश के मौसम में जंगल हरा-भरा और घना हो जाता है, जिससे जंगल की विजिबिलिटी    ( जंगल में दूर तक दिखना ) बहुत पुअर हो जाती है। ऐसी स्थिति में पैदल चल कर ही जंगल का जायजा लिया जा सकता है।

 पन्ना टाइगर रिजर्व के संवेदनशील इलाकों में पैदल गस्त के संबंध में मैदानी वन कर्मियों को दिशा निर्देश देते हुए क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा। 

बारिश के मौसम में पानी की उपलब्धता हर जगह होती है, इसलिए वन्य प्राणी पूरे इलाके में विचरण करते हैं। जिसके चलते उनकी मॉनिटरिंग कठिन हो    जाती है। जबकि गर्मियों में जब जल स्रोत सीमित होते हैं, उस समय उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना आसान होता है। क्षेत्र संचालक आगे बताते हैं कि मानसून गस्ती में वन कर्मी लाठी-डंडा लेकर समूह में निकलते हैं। क्योंकि इस समय सबसे ज्यादा खतरा भालू और जहरीले सांपों से रहता है। पन्ना टाइगर रिजर्व में चूंकि भालुओं की संख्या काफी है, इसलिए गस्ती के दौरान सतर्कता बेहद जरूरी रहती है।

हाथी करते हैं बाघों की निगरानी


बारिश के मौसम में दुर्गम इलाकों पर हाथी इस तरह गस्त कर जंगल की निगरानी करते हैं। 


मानसून सीजन में बाघों की निगरानी व जंगल की सुरक्षा का दायित्व हाथी बखूबी निभाते हैं। टाइगर रिजर्व के पहुंच विहीन क्षेत्रों में जहां नदी नालों के कारण मैदानी वन अमला नहीं पहुंच पाता, ऐसे इलाकों में टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षित हाथी मुस्तैदी के साथ गस्त करते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि मानसून गस्ती में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हाथियों की होती है। जहां पर वन अमला पैदल नहीं पहुंच सकता, वहां हाथी पहुंचते हैं। हाथियों की मदद से टाइगर रिजर्व के बेहद संवेदनशील इलाकों में भी गस्त संभव हो जाती है।

पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों का भरा-पूरा कुनबा है, जिसमें 15 सदस्य हैं। लेकिन मानसून गस्त में नर हाथी रामबहादुर सहित मोहनकली, अनारकली, रूपकली, अनंती, प्रहलाद, वन्या व केनकली का उपयोग किया जा रहा है। महावत बुद्धराम यादव ने बताया कि बारिश में जब रास्तों पर वाहन नहीं चल पाते, तो दुर्गम इलाकों में हाथियों से गस्त की जाती है। टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षित हाथी पहाडियों, नालों व ऊंची घास वाले इलाकों में सघन गस्त कर जंगल की कटाई, अवैध प्रवेश व शिकारियों पर जहां प्रभावी रोक लगाते हैं, वहीं बाघ की लोकेशन भी पता करते हैं।

महावत सुर्रे आदिवासी ने बताया कि वन क्षेत्र में शिकारियों व लकड़ी चोरों की आहट मिलने पर हथनी अनारकली व रूपकली उस दिशा में पत्थर बरसाने लगती हैं। जब दोनों हथिनी अपनी सूंड से पत्थर मारती हैं तो शिकारी जान बचाकर भागने को मजबूर हो जाते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों के इस अनूठे संसार में सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला है, जो 100 वर्ष की आयु पार कर चुकी है। हाथियों के इस परिवार में सबसे छोटी सदस्य मादा शिशु है, जिसे बीते साल 18 सितंबर 20 को हथिनी रूप कली ने जन्म दिया है।

कैम्पों में तैनात रहते हैं वन कर्मी

पन्ना टाइगर रिजर्व के 542 वर्ग किलोमीटर में फैले कोर क्षेत्र तथा 1021 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए 142 पेट्रोलिंग कैंप, 47 निगरानी कैम्प तथा 83 स्थाई कैंप हैं, जहां वन कर्मी तैनात रहते हैं। सबसे ज्यादा कठिनाई अस्थाई कैंपों में तैनात कर्मचारियों को होती है, ये कैंप लकड़ी व घास-फूस से बनाए गए हैं। वन कर्मी बताते हैं कि बारिश के मौसम में बड़े-बड़े जंगली चूहे कैंप में घुसकर खाने की सामग्री चट कर देते हैं। बारिश के कारण लकड़ी गीली रहती है, फलस्वरूप खाना बनाने में भी काफी कठिनाई होती है। इसके अलावा रात के समय हर वक्त जहरीले सांपों का भी खतरा बना रहता है। सूर्यास्त होते ही जंगल में खतरे की घंटी बज जाती है।


बफर क्षेत्र के जंगल में प्रशिक्षित डॉग की मदद से शिकारियों की खोजबीन करते वन कर्मी व सुरक्षा श्रमिक। 

खतरों के बीच इन कैंपों में तैनात रहकर व पैदल गस्त कर वन्य प्राणियों की सुरक्षा करने वाले एक वन कर्मी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि बफर क्षेत्र के जंगल में पशुपालक मवेशी चराने घुस आते हैं। जिन पर चौकस नजर रखनी पड़ती है। पशुपालक रात के अंधेरे में भी अपने मवेशियों को ढूंढने जंगल में चले जाते हैं, जिससे वन्य प्राणियों विशेषकर भालू के हमले का खतरा बना रहता है।

बीते माह हमले में चरवाहे की हो चुकी है मौत

बंदिशों के बावजूद वन क्षेत्र से लगे ग्रामों के पशुपालक अपने मवेशी चरने के लिए जंगल में छोड़ देते हैं। रात्रि के समय जब वे मवेशियों को ढूंढने जंगल में जाते हैं, तो उनकी जान को भी खतरा रहता है। बीते माह 20 जुलाई को बगौंहा बीट के जंगल में 55 वर्षीय चरवाहे हरदास अहिरवार के ऊपर भालू ने उस समय हमला कर दिया था, जब वह अपनी भैंसों को ढूंढने जंगल में गया था। इस हमले में चरवाहे की मौके पर ही मौत हो गई थी।

वन्य प्राणियों द्वारा हमला करने की ऐसी घटनाओं से मानव व वन्य प्राणियों के बीच टकराव की भी स्थिति बनती है, जिसे रोकना वन कर्मियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। मानसून सीजन में जंगल की पहाडय़िों से अनेकों जलप्रपात निर्मित होते हैं। इसके अलावा जंगल में कई जगह धार्मिक महत्व के स्थल भी हैं, जहां पिकनिक मनाने भी लोग पहुंचते हैं। ऐसे लोगों पर भी वन कर्मियों को चौकस नजर रखनी पड़ती है।

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Thursday, August 12, 2021

पन्ना जिले में कोरोना ने फिर से दी दस्तक

  •  दो दिनों में 9 वर्षीय बालक सहित मिले 7 कोरोना पॉजिटिव मरीज
  •  कोरोना गाइडलाईन की अनदेखी और लापरवाही पड़ सकती है भारी 



।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना की वापसी फिर शुरू हो गई है। बीते दो दिनों में कोरोना के सात मरीज मिले हैं, जिनमें एक 9 वर्ष का बालक भी शामिल है। मौजूदा समय जिस तरह से कोरोना गाइडलाईन की अनदेखी और लापरवाही बरती जा रही है, वह भारी पड़ सकती है।  

मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार को जिले में आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट में एक महिला तथा रैपिड एंटीजन किट से हुई जांच में एक महिला तथा एक पुरुष कोरोना संक्रमित पाए गए थे। मंगलवार को मिले तीन मरीजों के साथ ही जिले में कोरोना ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। दूसरे ही दिन बुधवार को पन्ना जिले में 4 नए कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। कोरोना के जो 4 नए मामले सामने आए हैं, उनमें अजयगढ़ विकासखंड मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 5 में रहने वाला एक 9 वर्ष का बालक शामिल है। 9 वर्षीय बालक के कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद अब उस तीसरी लहर को लेकर आशंका जताई जा रही है। जिसमें बच्चों के कोरोना की चपेट में आने की बात कही जा रही थी। 

बुद्धवार 11 अगस्त को जिले में कोरोना संक्रमण के जो 4 नए मामले सामने आए हैं, उससे जिले में 2 दिन के अंदर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 7 हो गई है। सामने आए 4 नए मरीजों में अजयगढ़ निवासी 9 वर्षीय बालक के अलावा पन्ना के राजा बाबू कॉलोनी निवासी दो व्यक्ति तथा एनएमडीसी निवासी एक व्यक्ति शामिल है। अजयगढ़ में संक्रमित पाए गए 9 वर्षीय बालक को स्वास्थ्य उपचार निगरानी के लिए अजयगढ़ सीएचसी में बनाए गए पृथक वार्ड में रखा गया है। अजयगढ़  विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी केपी राजपूत ने बताया कि पॉजिटिव पाए गए बालक की स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। सुरक्षा की दृष्टि से बच्चे को अस्पताल में रखा गया है तथा उसकी मां को भी कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए रहने की अनुमति दी गई है। पन्ना शहर में पाए गए दो कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों तथा एनएमडीसी में पाए गए एक कोरोना संक्रमित मरीजों को जिला चिकित्सालय स्थित कोविड-19 वार्ड में रखा गया है। बताया गया है कि तीनों कोरोना पॉजिटिव मरीजों के स्वास्थ्य की स्थिति सामान्य है।


जिला चिकित्सालय पन्ना के कोविड वार्ड में सेवाएं देने वाले चिकित्सक ने बताया कि जिले में मौजूदा समय कोरोना के पुष्ट केस दो हैं, जबकि अन्य 5 सस्पेक्टेड मरीजों को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। मालुम हो कि तीन दिन पूर्व ही जिले के कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने ट्वीट करके ख़ुशी का इजहार किया था कि पन्ना जिला अब पूरी तरह से कोरोना मुक्त है। जिले में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं हैं। लेकिन इस खुशखबरी के तीन दिन बाद ही कोरोना ने दस्तक देकर यह चेतावनी दे दी है कि लापरवाही और अनदेखी करने पर स्थिति बिगड़ने में देर नहीं लगेगी। जिले में दो दिन के दौरान सात कोरोना के मरीज सामने आने के बाद स्वास्थ महकमें सहित प्रशासन की चिंता को बढ़ा दिया है।

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Wednesday, August 11, 2021

समुदाय की सक्रिय सहभागिता ग्राम सभाओं में जरुरी

  •   सहभागिता को बढ़ावा देने समर्थन चला रही है जागरूकता अभियान 
  •   "कोविड से बचाव व आजीविका के अवसर" हो ग्राम सभा का ऐजेंडा

स्वयं सेवी संस्था समर्थन के कार्यकर्ता ग्रामीणों को समझाते हुए। 

पन्ना। आगामी 15 अगस्त को पंचायतों में होने वाली अनिवार्य ग्राम सभा में समुदाय की सक्रिय सहभागिता को बढावा देने के लिए जिले में कार्यरत स्वयं सेवी संस्था समर्थन द्वारा ग्राम स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। स्थानीय सुशासन को मजबूती प्रदान करने व ग्राम विकास में सबकी सहभागिता को बढावा देने के उद्देष्य से पंचायती राज में ग्राम सभाओं का प्रावधान किया गया है। ग्राम पंचायते इन्ही ग्राम सभाओं के माध्यम से योजना निर्माण, पात्रता व हितग्राही चयन की प्रक्रिया को अंतिम रूप प्रदान करती हैं।

कोविड महामारी के प्रकोप के कारण ग्रामों में अजीविका से जुडी नई चुनौतियां खडी हुई हैं। जहा एक ओर आपदा प्रबंधन को बेहतर करने व ग्रामों को कोविड के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए पंचायतों को समुदाय के सहयोग की आवष्यकता है। वहीं ग्रामीण आजीविका जिसका महत्वपूर्ण अंग कृषि व कृषि से जुडे व्यवसाय क्षेत्र जैसे दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, सब्जी उत्पादन में समुदाय की निर्भरता और बढ गई है। प्रवास पर जाने वाले श्रमिक जो अपनी वार्षिक आय का एक बडा भाग महानगरों में मजदूरी कर कमाते थे, वह बंद पडा है। ऐसे में पंचायतों को 11वी अनुसूची में प्रदत्त दायित्वों में से एक कृषि व कृषि संबंधित क्षेत्र विकास पर गम्भीरता से विचार करने की आवष्यकता है।

इन मुद्दों में सहभागी चर्चा के माध्यम से निर्णय लेने व आगामी योजना निर्माण के उद्देष्य से संस्था द्वारा लोगों को ग्राम सभाओं में सहभागिता करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अभियान में संस्था के जमीनी कार्यकर्ता व ग्राम स्तर के स्वैच्छिक कार्यकर्ता मेाहल्ला बैठकों, शपथ, दीवाल लेखन व घर-घर सम्पर्क जैसी गतिवधियों से कोविड की परिस्थियों को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त शारीरिक दूरी के साथ मास्क का उपयोग करते हुए ग्राम सभाओं में सहभागिता के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

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Tuesday, August 10, 2021

वह देशी अनाज जो आपदाकाल में करता था जीवन की रक्षा !

    

खेत में लहलहाती काकुन की बालियां। 

जी हां, यह लम्बी लम्बी लटक रही बालियां काकुन की हैं। जिसे कहीं-कहीं कांग भी कहा जाता है। इसकी गिनती माइनर मिलट् यानी कि मोटे अनाजों  में है। डेढ़ माह में पक कर तैयार हो जाने वाला यह बेहद पौष्टिक अनाज आपदा काल में जीवनदाई साबित होता था। लेकिन अब इस देसी अनाज काकुन की खेती करना हम भूल गए हैं। देसी धान की दो सैकड़ा से भी अधिक किस्मों का संरक्षण करने वाले पद्मश्री बाबूलाल दहिया जी ने काकुन की खूबियों और महत्ता के बारे में रोचक जानकारी साझा की है।

 वे बताते हैं कि वैसे बाल्यावस्था में काकुन को जब मैने देखा तक नहीं था, तब से इसे जानता हूं। और वह इसलिए कि मेरी माँ किसी गंगातीर की चिड़िया की एक बड़ी ही मार्मिक कहानी सुनाया करती थी, जिसे उसके खेत की काकुन खाने पर किसी भाट ने पकड़ लिया था। और अपने घर लिए जा रहा था तो रास्ते में जो भी राहगीर निकलते वह उससे छुड़वाने की प्रार्थना करती।

किन्तु चिड़िया को अपनी चिंता नही थी, बल्कि उसे चिंता अपने छोटे-छोटे नोनिहाल बच्चों की थी। जो उसके चुग्गा न खिलाने पर भूखों मर जायेंगे। उस पर एक गीत था कि -

ओ अमुक भाई!

मैं भाट के खायव काकुन ,

मोहि भाट धरे लइजाय।

गंगा तीर बसेरा ,

मोर रोय मरे गहदेला।

रंग चु चु।

पता नही शायद फिर कोई राजा वहीं से निकले और जब उसने उनसे भी प्रार्थना की, तो राजा ने चिड़िया को छुड़वा दिया था।  जो ठीक से याद नहीं है। पर तब से काकुन अपनी परिचित सी बन गई थी।1967 में जब देश में  घनधोर अकाल पड़ा और वर्षा आधारित सारी खेती सूख गई तो 1968 में तुरंत फसल उगाने के उद्देश्य से हमने अपने उचहन खेत में इसे बोया था। तो फिर डेढ़ माह में ही पक जाने वाली इस काकुन का भात तब तक  खाते रहे थे, जब तक धान की नई फसल नहीं आ गई थी ?

इन मोटे अनाजों की एक  विशेषता यह भी थी कि यदि इनको कम मात्रा में भी खा लिया जाय तब भी जल्दी से भूख नहीं लगती थी। इसलिये अकाल दुर्भिक्ष के समय हमारे बाप पुरखों को जीवित बनाये रखने में इनका बहुत बड़ा श्रेय है। इसका 100 ग्राम चावल भी तभी खाया जा सकता है, जब दो गुना सब्जी, दाल य दूध, मठ्ठा कुछ न कुछ अवश्य हो ?

इस हिसाब से भी भोजन को यह काफी पौष्टिक बना देती थी।

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Saturday, August 7, 2021

पन्ना पुलिस ने जप्त किया 50 किलोग्राम अवैध गाँजा

  • एक शिफ्ट डिजायर कार सहित दो तस्कर गिरफ्तार
  • पवई थाना क्षेत्रान्तर्गत चाँदा घाटी के नीचे का मामला 

आरोपियों की कार से जप्त किया गया गांजा, साथ में पुलिस बल।  

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पुलिस ने गाँजा तस्करों के विरूद्ध बड़ी कार्यवाही की है। पुलिस ने 50 किलोग्राम अवैध गाँजा सहित एक शिफ्ट डिजायर कार जप्त कर दो गाँजा तस्करों को भी गिरफ्तार किया है। जप्त गांजा की अनुमानित कीमत 9,71,800 रूपये बताई गई है। पुलिस ने गांजा व कार सहित कुल 16 लाख रुपये कीमत की सामग्री जप्त की है।

पुलिस सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि मादक पदार्थों की बिक्री एवं परिवहन करने वाले आरोपियों की धरपकड़ हेतु पन्ना जिले में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। थाना प्रभारी पवई निरीक्षक डी.के. सिंह को मुखबिर द्वारा 6 अगस्त को सूचना दी गई कि एक सफेद रंग की शिफ्ट डिजायर कार में कुछ लोग अवैध गाँजा परिवहन कर बिक्री हेतु लिये जा रहे हैं। थाना प्रभारी पवई द्वारा तत्काल मुखबिर सूचना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को बताई गई। सूचना की जानकारी प्राप्त होने पर पुलिस अधीक्षक पन्ना द्वारा तत्काल पुलिस टीम को कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया। 

पुलिस टीम द्वारा पुलिस अधीक्षक पन्ना के निर्देशानुसार थाना पवई क्षेत्रान्तर्गत्त चाँदा घाटी के नीचे गोसदन के पास कटनी पन्ना रोड पर मुखबिर की सूचना पर घेरा बंदी कर एक सफेद रंग की शिफ्ट डिजायर कार क्रमांक सी जी 04 एच बी 5363 को रोककर कार की तलाशी ली गई। जिसमें अवैध रूप से गांजा रखा पाया गया। पुलिस द्वारा तत्काल कार में मौजूद दोनों तस्करों को हिरासत में लेकर उपरोक्त शिफ्ट डिजायर कार के पीछे की सीट एंव डिग्गी के बीच में मादक पदार्थ गांजा रखने हेतु प्रथक से बनाई गई जगह पर पैकिटो में रखा हुआ करीब 50 किलो ग्राम गांजा बरामद किया जिसकी कीमती करीब 9,71,800 रूपये है। 

शिफ्ट डिजायर कार कीमती करीब 6,00,000 रूपये तथा दोनो आरोपियों के पास से मिले दो मोबाईल कीमती करीब 10000 रूपये तथा आरोपी के पास से बरामद नगदी 10000 रूपये सहित कुल मशरूका कीमती करीब 16,00,000 रूपये आरोपियों के कब्जे से जप्त हुआ। आरोपी गणो के विरूद्ध अपराध धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट का अपराध प्रमाणित पाये जाने पर उपरोक्त सामग्री जप्त कर दोनो आरोपियों को मौके से गिरफ्तार किया गया है। जिन्हे आज 7 अगस्त 21 को न्यायालय पन्ना के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। 

उपरोक्त कार्यवाही में निरीक्षक डी के सिंह थाना प्रभारी पवई , उनि अभिषेक पाण्डेय थाना प्रभारी देवेन्द्रनगर, उनि रवि सिंह जादौन थाना शाहनगर, थाना पवई से उप निरीक्षक एच आर उपाध्याय , सउनि0 जगदीश सिंह, प्रआर नागेन्द्र, कृष्णकांत ,आर. बच्चू सिह , आर. वीरेन्द्र खरे, आर. सुखेन्द्र सिह , आर. चालक अमृत सिह , आर.  सलीम खान , आर. दीपक मिश्रा , सैनिक पूरन सिंह सहित थाना के महिला बल एवं सायबर सेल पन्ना से प्रआर नीरज रैकवार , राहुल सिंह बघेल, आशीष अवस्थी ,धर्मेन्द्र सिंह राजावत एवं राहुल पाण्डेय का विशेष योगदान रहा है। इस कार्यवाही में शामिल टीम को पुलिस अधीक्षक द्वारा पुरूस्कृत किये जाने की घोषणा की गई है।

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