Wednesday, July 29, 2020

पन्ना में अनूठे अंदाज में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस

  •  पहले केक काटा फिर बाघों की मौत पर जताया विरोध 
  •  पन्ना परिवर्तन मंच ने प्रदर्शन कर पार्क प्रबंधन को चेताया 


पन्ना परिवर्तन मंच से जुड़े लोग पन्ना टाइगर रिज़र्व कार्यालय परिसर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुये। 

अरुण सिंह,पन्ना। बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता को लेकर देश और दुनिया में ख्यातिलब्ध हो चुके मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में बीते एक माह के दौरान दो बाघों व एक तेंदुआ की हुई संदिग्ध मौत का मामला सुर्ख़ियों में बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के दो दिन पूर्व टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में एक 5 वर्ष के नर बाघ का कई दिन पुराना सड़ा-गला शव मिला था, जिसको लेकर पन्नावासियों व पर्यावरण प्रेमियों ने टाइगर रिज़र्व की निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुये चिंता जाहिर की है। पन्ना के बाघों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण प्रेमियों की इस चिंता का असर आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर भी दिखाई दिया। पर्यावरण व बाघ संरक्षण तथा पन्ना के रचनात्मक विकास के लिये समर्पित पन्ना विकास मंच से जुड़े लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर केक काटकर बाघों के संरक्षण का जहाँ संकल्प लिया वहीँ दो बाघों की मौत पर असंतोष प्रकट करते हुये शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी किया।
उल्लेखनीय है कि बाघों के संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने की मंशा से हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाने का फैसला साल 2010 में सेंट पिट्सबर्ग बाघ समिट में लिया गया था क्योंकि तब जंगली बाघ विलुप्त होने के कगार पर थे। पर्यावरणविदों का मानना है कि जब हम बाघ की रक्षा करते हैं तो हम पूरे परिस्थितिकी तंत्र को भी बचाते हैं। यही वजह है कि भारत में बाघ को राष्ट्रीय पशु का दर्जा मिला हुआ है। बाघ देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि तथा धीरज का प्रतीक है। आदिकाल से पन्ना बाघों की धरती रही है, यहाँ के समृद्ध घने जंगलों में स्वच्छंद रूप से बाघ विचरण करते रहे हैं। लेकिन तेजी से मानव आबादी बढ़ने के साथ ही जंगलों पर दबाव बढ़ा जिसका असर बाघों के रहवास और जिंदगी पर पड़ने लगा। मानव आबादी के दबाव से बाघों व वन्य प्राणियों को बचाने के लिये पन्ना टाइगर रिज़र्व की स्थापना हुई। दुर्भाग्य से जिन लोगों पर बाघों व वन्य प्राणियों के सुरक्षा की जवाबदारी थी उन्होंने अपने दायित्यों के निर्वहन में लापरवाही की, फलस्वरूप वर्ष 2009 में पन्ना बाघ विहीन हो गया। उस समय राष्ट्रीय स्तर पर पन्ना टाइगर रिज़र्व की खूब किरकिरी व आलोचना हुई। इसके बाद बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिज़र्व को फिर से आबाद करने के लिये पन्ना  बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई। योजना के तहत पहली संस्थापक बाघिन टी-1 बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व से 4 मार्च 2009 को पन्ना लाई गई। इसके बाद कान्हा से बाघिन टी-2 व पेंच टाइगर रिज़र्व से नर बाघ टी-3 को पन्ना लाया गया। बाघिन टी-1 और नर बाघ टी-3 के संसर्ग से 16 अप्रैल 2010 को नन्हे शावकों का जन्म हुआ और पन्ना टाइगर रिज़र्व गुलजार हो गया। बाघों की वंशवृद्धि का यह सिलसिला निरंतर जारी रहा, नतीजतन पन्ना का जंगल बाघों से फिर आबाद हो गया। सफलता की इस कहानी ने देश और दुनिया के लोगों को आकृष्ट किया, दुनिया भर से वन्य जीव प्रेमी व वन अधिकारी बाघ संरक्षण का गुर सीखने पन्ना आने लगे। लेकिन दुनिया को बाघ संरक्षण की राह दिखाने वाला पन्ना टाइगर रिज़र्व इन दिनों बाघों की हो रही मौतों को लेकर चर्चा में है, जिससे पन्ना के बाघों से प्यार करने वाले लोग चिंतित हैं।

  बाघों की हो रही मौत पर सवाल उठना स्वभाविक: हनुमंत सिंह                              


पत्रकारों से चर्चा करते हुये मध्यप्रदेश वन्यप्राणी संरक्षण बोर्ड के पूर्व सदस्य हनुमत प्रताप सिंह। 
बाघों के लिए दुनियां भर में विख्यात पन्ना टाइगर रिजर्व में आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर मायूसी देखी जा रही है। यहां दो दिन पूर्व हुई बाघ की मौत से पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता नाराज हैं। आज पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डारेक्टर कार्यालय के बाहर जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर पहले तो केक काटा और फिर बाघों की मौत पर नाराजगी जताते हुए प्रर्दशन किया। इस दौरान पन्ना परिवर्तन एवं विकास मंच के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमी एकत्र हुए। यहां विधिवत बाघ संरक्षण के लिए पोस्टर लेकर प्रर्दशन किया गया। इस मौके पर पर्यावरणविद एवं पूर्व मध्यप्रदेश वन्यप्राणी संरक्षण बोर्ड के मेंबर हनुमत प्रताप सिंह ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस है। इस मौके पर हम सब जमा हुए हैं। आज के दिन जो उत्साह पन्ना के लोगों में होता है, वह नजर नहीं आ रहा है। पन्ना में बाघों की लगातार संदिग्ध मौत हो रही है। ऐसे में लगता है कि पार्क को बसाने के लिए जो मेहनत प्रबंधन और स्थानीय लोगों ने की है, बेकार हो जायेगी। पिछले माह पी-213 की मौत हुई थी, यह बाघिन एक मात्र ऐसी बाघिन थी, जिसे वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून ने प्रमाणित किया था कि उक्त बाघिन में पन्ना के जींस है। पार्क प्रबंधन बाघों की निगरानी का दावा करता है, लेकिन बाघ की मौत के कई दिनों बाद उसका सड़ा-गला शव मिलता है, ऐसे में सवाल उठना स्वभाविक है। विगत दिनों मिले बाघ के शव को देखें तो उसके विसरा की जांच करना भी मुश्किल है, ऐसे हालात चिंता जनक है। पन्ना परिवर्तन मंच के सचिव अंकित शर्मा ने कहा कि पार्क को पुनः बसाने पन्ना के लोगों ने अपने क्षेत्र के विकास की बलि दी है, इसके बाद भी यदि बाघों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है, तो इसके लिए प्रबंधन जिम्मेदार है। उन्होंने बाघों की हो रही मौत की जांच कराते हुए इसमें दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष मृगेन्द्र सिंह गहरवार ने कहा कि पन्ना वासियों के सहयोग से बाघ पुर्नस्थापना योजना सफल हुई, लेकिन इन दिनों प्रबंधन बाघ संरक्षण के प्रति संवेदनषील नहीं नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हम पुनः 2008 की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान अरूण सिंह, हनुमत प्रताप सिंह, अंकित शर्मा, धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, मार्तण्ड देव बुंदेला, अजेन्द्र सिंह बुंदेला, बबलू यादव, मृगेन्द्र सिंह गहरवार, रेहान मोहम्मद, पीसी यादव, भूपेन्द्र सिंह परमार, जगतपाल सिंह, नृपेन्द्र सिंह, संजय यादव, फैज खान, भारतेन्द्र बुंदेला, फैयाज खान, आषीष खरे, सतेन्द्र राज, रोहित सेन, षिवा श्रीवास्तव, छोटू लखेरा सहित सामाजिक कार्यकर्ता एवं पन्ना परिवर्तन मंच के सदस्य उपस्थित रहे।
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Tuesday, July 28, 2020

पन्ना के श्री अवध बिहारी जू मंदिर प्रकरण में महत्वपूर्ण फैसला

  •  दानपत्र के आधार पर मालिक घोषित करने की अपील को न्यायालय ने किया निरस्त 
  •  मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्तियां बहुमूल्य धरोहर, प्रहरकालों में बदलती हैं अपना स्वरूप



पन्ना शहर के सुप्रसिद्ध श्री अवध बिहारी जू मंदिर की नयनाभिराम झांकी। 

अरुण सिंह,पन्ना। शहर के सुप्रसिद्ध प्राचीन श्री अवध बिहारी जू मंदिर कटरा बाजार के संबंध में अपर जिला न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। धार्मिक जन आस्था से जुड़े इस मामले में न्यायलय का फैसला आने से बहुमूल्य धरोहर अब सुरक्षित हो गई है। मालुम हो कि केशरी प्रसाद गोस्वामी बगैरह द्वारा भगवान की सम्पत्ति को स्वयं की सम्पत्ति बताकर कब्जा प्राप्त के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पन्ना श्री अनुराग द्विवेदी के न्यायालय में अपील की गयी थी। मंदिर शासन संधारित होने के कारण इसका प्रबंधन कलेक्टर के पास था।
अपील निरस्त होने के उपरांत केशरी प्रसाद गोस्वामी द्वारा शासन के विरूद्ध जिला न्यायालय में अपील प्रस्तुत की गयी। जिसमें 20 मार्च 2014 व्यवहार न्यायालय द्वारा निरस्त अपील संबंधी निर्णय को इस आशय पर चुनौती दी गयी कि उनका लम्बे समय से इस सम्पत्ति पर कब्जा है एवं कथाकथित दानपत्र के आधार पर स्वयं को मालिक घोषित करने की अपील का निवेदन किया गया। यह प्रकरण माननीय न्यायालय में लंबित रहा। प्रकरण में अपर जिला न्यायाधीश श्री अनुराग द्विवेदी द्वारा प्रतिदिन सुनवाई करते हुए उपरोक्त तथ्यों को सिरे से नकारते हुए अपील को निरस्त कर दिया। ज्ञातव्य हो कि उपरोक्त मंदिर शहर के मध्य स्थित है। जिसकी कीमत आज लगभग करोडो रूपये में होगी। इस प्रकरण में न्यायालय के समक्ष शासकीय अधिवक्ता  किशोर श्रीवास्तव द्वारा प्रखरता पूर्वक पैरवी की गई  तथा न्यायालय को छोटे से लेकर बडे बिन्दुओं तक अवगत कराया गया। इस पर अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अपने निर्णय में इस बात का उल्लेख किया गया कि उक्त भूमि किसी भी प्रकार से केशरी प्रसाद गोस्वामी बगैरह की नही है और उन्हें किसी प्रकार का स्वत्व किसी भी दस्तावेज से प्राप्त नहीं होता। न्यायालय के इस महत्वपूर्ण निर्णय से शासन की बहुमूल्य धरोहर सुरक्षित हुई है। प्रकरण में वर्तमान कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के संज्ञान में शासकीय अधिवक्ता द्वारा जब समीक्षा के दौरान जानकारी लाई गई तो उनके द्वारा लगातार इस प्रकरण में शासकीय अभिभाषक एवं शासन के पक्ष के प्रभारी अधिकारी को लगातार शासन हित में अपना पक्ष उचित रीति से एवं प्रभावी ढंग से रखने हेतु प्रेरित किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप शासन की बहुमूल्य सम्पत्ति बची रही। उक्त मन्दिर में किवदंतियां हैं कि मन्दिर करीब 100 साल से भी अधिक पुराना होगा और उसकी मूर्तियां प्रहरकालों में अपना स्वरूप बदलती रहती हैं। इस प्राचीन मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्तियां पन्ना जिले की बहुमूल्य धरोहर भी हैं। शासन की ओर से  व्यवहार न्यायालय एवं अपील न्यायालय अपर जिला न्यायालय में लगातार प्रकरण को सूक्ष्मता से अध्ययन करते हुए पैरवी किशोर श्रीवास्तव शासकीय अधिवक्ता के द्वारा की गई।
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Monday, July 27, 2020

पन्ना में 5 वर्ष के नर बाघ की संदिग्ध मौत

  •  ठीक एक माह पूर्व 27 जून को मिला था बाघिन का कंकाल
  •  थमने का नाम नहीं ले रहा बाघों की मौत का सिलसिला

       
पन्ना टाइगर रिज़र्व में मिले बाघ के शव का दृश्य। 
                            ।।अरुण सिंह।।  
पन्ना,27 जुलाई 20।  मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में आज फिर एक 5 वर्ष के नर बाघ का सडा-गला कंकाल मिला है। इसके ठीक एक माह पूर्व 27 जून 20 को रेडियो कॉलर युक्त बाघिन पी-213 का कंकाल मिला था। एक माह के भीतर यहाँ दो बाघों की संदिग्ध मौत हो चुकी है जिससे पार्क प्रबंधन में खलबली मची हुई है। युवा नर बाघ की मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई पार्क प्रबंधन स्पष्ट रूप से कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं है। पूर्व की ही तरह यह आशंका जताई गई है कि आपसी संघर्ष में मौत हुई होगी। लेकिन लगातार जिस तरह से यहाँ बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा उससे निगरानी व्यवस्था को लेकर जहाँ सवाल उठ रहे हैं, वहीँ यह आशंका भी जताई जाने लगी है कि बाघों से आबाद हो चुका पन्ना टाइगर रिज़र्व कहीं फिर 2009 की ओर तो अग्रसर नहीं हो रहा ?
युवा बाघ की संदिग्ध मौत के संबंध में जानकारी देते हुए क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि गहरीघाट रेंज के बीट मझौली कक्ष क्रमांक पी-511 में 5 वर्ष की आयु वाले नर बाघ का 4 - 5 दिन पुराना शव मिला है।आज बीट गार्ड जब गस्त पर गया तो दुर्गन्ध आने पर खोजबीन की, तब उसे बुरी तरह से सड़ चुका बाघ का शव नजर आया। कोर क्षेत्र में बाघ की संदिग्ध मौत होने की खबर मिलते ही क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया सहित उप संचालक श्री जरांडे, वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता व वन अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि कोर क्षेत्र में बाघों की संख्या क्षमता से अधिक 39 के लगभग है, जिससे आपसी संघर्ष की घटनायें बढ़ी हैं। युवा नर बाघ की मौत इसी संघर्ष का नतीजा है। श्री भदौरिया के मुताबिक मौके पर खरोंच के निशान व पग मार्क भी मिले हैं।

निगरानी व्यवस्था पर उठ रहे सवाल 

पन्ना टाइगर रिजर्व में जिस तरह से बाघों की संदिग्ध मौतें हो रही हैं, उससे यहाँ की निगरानी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बीते एक साल के दौरान जिन बाघों की मौत हुई है, सभी के शव सड़ी - गली स्थिति में मिले हैं। रेडियो कॉलर वाली बाघिन पी-213 जिसकी निगरानी चौबीसों घण्टे होती रही है उसकी मौत की भनक निगरानी दल कई दिन बाद शव के सड जाने पर लगी। यही स्थिति इस नर बाघ के मामले में भी देखी गई, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं लेकिन उनका जवाब नहीं है।

मादा तेंदुआ की भी हुई है संदिग्ध मौत 

  युवा नर बाघ की संदिग्ध मौत के एक दिन पूर्व रविवार को बीट दक्षिण बांधी पन्ना कोर के रमपुरा बीट के निकट एक मादा तेंदुआ का भी संदिग्ध हालत में सड़ा गला शव मिला था, जिसे रविवार को ही मौके पर जला दिया गया। इस तेंदुआ से किसी दूसरे वन्यजीव का संघर्ष होने के भी कोई प्रमाण मौके पर नहीं मिले।  चूँकि यह कोर क्षेत्र है इसलिए शिकार की संभावना भी बहुत कम है ऐसी स्थिति में अब यह आशंका जताई जा रही है कि किसी अज्ञात बीमारी की चपेट में आकर तो इन वन्य प्राणियों की मौत नहीं हो रही? मामला जो भी हो लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व की स्थिति मौजूदा समय सामान्य नहीं कही जा सकती।

 जांच के लिए बाघ का भेजा गया सैंपल 

क्षेत्र संचालक के एस भदौरिया ने बताया कि मृत नर बाघ का पोस्टमार्टम पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता द्वारा आज मौके पर किया गया तथा जांच के लिए सैंपल लिए गए हैं।  पोस्टमार्टम के बाद मौके पर ही वन अधिकारियों की मौजूदगी में बाघ के शव को जला दिया गया है।  श्री भदौरिया ने बताया कि बीमारी से मौत की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट आने पर मौत की वजह का खुलासा हो सकेगा।
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Saturday, July 25, 2020

फलों के राजा आम की खुशबू से मंहकेंगे खेत और खलिहान

  • पचमढ़ी से आये कलमी आम के पौधों का किया जायेगा रोपण 
  • उद्यानिकी विभाग द्वारा 40 हजार कलमी आम पौधे मंगाये गये 
  • पन्ना की उद्यान रोपणी जनकपुर में आ चुके हैं 3450 पौधे


पन्ना में रोपण के लिए शासकीय उद्यान पचमढ़ी से मंगवाये गये कलमी आम के पौधे।  

अरुण सिंह,पन्ना।
अमृत तुल्य आँवले के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में खेत और खलिहान अब फलों के राजा आम की खुशबू से भी मंहकेंगे। इसके लिए मनरेगा योजनांतर्गत शासकीय उद्यान पचमढ़ी से पन्ना उद्यानिकी विभाग द्वारा 40 हजार कलमी आम के पौधे मंगाये गये हैं। सहायक संचालक उद्यान महेन्द्र मोहन भट्ट ने बताया कि 24 जुलाई को शासकीय उद्यान रोपणी जनकपुर में 3450 पौधे आ चुके हैं। जिन किसानों के पास पर्याप्त निजी जमीन है वे अतिरिक्त आय अर्जित करने के साथ - साथ पर्यावरण को संतुलित रखने में अपना योगदान दे सकते हैं।  मनरेगा योजना द्वारा सार्वजनिक के साथ निजी जमीन पर भी इस साल व्यापक पौधरोपण किया जायेगा। निजी जमीन पर पौधे लगाने वाले जमीन मालिकों को विभाग द्वारा पूरी सुविधा भी दी जायेगी।

पन्ना की शासकीय उद्यान रोपणी जनकपुर का निरीक्षण करते मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत   

उल्लेखनीय है कि प्रदेश शासन ने कोरोना संक्रमण के दौरान लघु एवं सीमांत किसानों के लिये कृषि व उद्यानिकी की फल पौधरोपण की नई योजना प्रारंभ की है। किसान अपने खेत में फलदार पौधे लगायेंगे। जिसमें 3 वर्ष तक का खर्च का भुगतान मनरेगा योजना अन्तर्गत किया जायेगा। जब फल निकलेंगे तो उसका पूरा फायदा किसान को ही होगा। निजी व प्रदाय पट्टों की भूमि में योजना के तहत पौधा रोपण किया जा सकता है। सहायक संचालक उद्यान श्री भट्ट ने बताया कि शासकीय उद्यान पचमढ़ी से उद्यानिकी विभाग पन्ना द्वारा अच्छी प्रजाति वाले 40 हजार ग्राफ्टेड कलमी आम के पौधे मंगाये गये हैं, जिनका रोपण योजनाबद्ध तरीके से कराया जायेगा। मालुम हो कि ग्राफ्टिंग विधि से पौधा तैयार करने के लिये सबसे पहले गुठली से बीजू पौधा तैयार किया जाता है। यह पौधा तीन महीने में तीन फीट का हो जाता है। इसके बाद तने के ऊपरी भाग को तोड़ दिया जाता है, इससे उसमें कई शाखाएं निकल जाती हैं। बार-बार तोड़ने पर शाखाओं की संख्या बढ़ती जाती है। चार माह होने पर सभी शाखाओं में अलग-अलग वेराइटी के पेड़ से कोपल की इसमें ग्राफ्टिंग की जाती है। "वी" शेप में बीजू और दूसरे पेड़ की कोपल को बांध दिया जाता है। एक साल में पौधा तैयार हो जाता है।

सहायक संचालक उद्यान ने बताया कि किसान चाहें तो इस साल मानसून में अपनी जमीन में पौधरोपण करा सकते हैं। इसके लिए मनरेगा योजना द्वारा किसानों को मुफ्त पौधा दिया जायेगा। किसान अपनी इच्छा अनुसार पौधे लगा सकते हैं। निजी जमीन पर पौधे लगाने वालों को फायदा यह होगा कि पौधों की सुरक्षा के लिए मनरेगा योजना के तहत जमीन मालिक को रोपित पौधों की संख्या के मुताबिक राशि भी प्रदान की जायेगी। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अशोक चतुर्वेदी, परियोजना अधिकारी संजय सिंह परिहार ने शासकीय उद्यान रोपणी जनकपुर पहुँचकर पचमढ़ी से आये कलमी आम के पौधों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री बालागुरू ने निर्देश दिए कि किसानों को उच्च किस्म के कलमी पौधे जैसे लगड़ा, दशहरी, बाम्बेग्रीन, सुंदरजा की उपलब्धता कराई जाये तथा किसानों के खेतों तक पौधे पहुंचा कर शीघ्र उनका रोपण कराया जाये। श्री भट्ट ने बताया कि पन्ना जिले में 1490 कृषकों का मनरेगा के तहत चयन किया गया है। जिसमें से आम 44829 पौधे, अमरूद 37166, आंवला 27943, नीबू 22777 इस तरह कुल पौध संख्या 132715 रोपित किये जायेंगे। आपने बताया कि अच्छी किस्म वाले आम के पौधों का इतनी संख्या में पौध रोपण पहली बार हो रहा है। इन रोपित होने वाले पौधों के तैयार होने पर कुछ ही वर्षों में पन्ना बेहतरीन किस्म के मीठे और रसीले आमों के लिए भी पहचाना जायेगा।
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Tuesday, July 21, 2020

जिले के कंटेनमेंट क्षेत्रों का कलेक्टर ने किया निरीक्षण

  • क्षेत्र के शत प्रतिशत लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने दिये निर्देश 
  • रूंझ बांध परियोजना का कार्य आगामी सात दिनों तक रहेगा बन्द 


कन्टेनमेन्ट क्षेत्र में व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए  कलेक्टर कर्मवीर शर्मा। 

अरुण सिंह,पन्ना। जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों जहां कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति पाए गए हैं उन क्षेत्रों को कन्टेनमेन्ट क्षेत्र घोषित किया गया है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने इन क्षेत्रों का आकस्मिक निरीक्षण कर क्षेत्र में कार्य कर रहे शासकीय अमले को आवश्यक निर्देश दिये हैं। रूंझ बांध परियोजना जहाँ 4 कोरोना पॉजिटिव मिले थे वहां  आगामी सात दिनों तक कार्य बन्द रखने के निर्देश कलेक्टर ने कंपनी के अधिकारीयों को दिये हैं।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर द्वारा नगर के वार्ड क्रमांक 17 रानीगंज मोहल्ले में स्थापित कन्टेनमेंट क्षेत्र का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान मौके पर उपस्थित आरआरटी दल के सदस्यों से अब तक किए गए सर्वे कार्य एवं स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी प्राप्त कर निर्देश दिये कि क्षेत्र से लगे पहाडकोठी बस्ती एवं श्री बल्देव जी मंदिर तक की आबादी का डोर-टू-डोर सर्वे कर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करें। इसी प्रकार उन्होंने वार्ड क्रमांक 11 आगरा मोहल्ला का निरीक्षण कर आरआरटी दल के सदस्यों से चर्चा कर शत प्रतिशत परिवारों का सर्वे कर स्वास्थ्य परीक्षण करने के निर्देश दिए। उन्होंने मौके पर उपस्थित मुख्य नगरपालिका अधिकारी से दोनों कन्टेनमेंट क्षेत्रों का सेनेटाइज करने की जानकारी लेने के साथ निर्देश दिए कि क्षेत्र में समय समय पर दवा का छिडकाव कराकर सेनेटाइज्ड करने के साथ साफ सफाई की व्यवस्था करें।
ग्रामीण क्षेत्रों में उन्होंने अजयगढ विकासखण्ड में निर्माणाधीन रूंझ बांध परियोजना में लगे कर्मचारियों एवं मजदूरों का मौके पर निरीक्षण किया। कार्य स्थल पर उपस्थित बांध बनाने वाली कम्पनी के कर्मचारियों को निर्देश दिए कि आगामी सात दिनों तक परियोजना का कार्य पूरी तरह बंद रखा जाए। जो भी मजदूर व कर्मचारी इस परियोजना में कार्य कर रहे हैं उनकी कालोनी में वे सभी घरों पर रहें। कोई भी व्यक्ति बाहर न घूमें। सभी लोग मास्क का उपयोग करें। मौके पर उपस्थित आरआरटी दल के सदस्यों से सर्वे एवं लिए गए नमूनों के संबंध में चर्चा करते हुए निर्देश दिए कि परियोजना से लगे ग्राम पाण्डेयपुरवा में रह रहे परिवारों का भी सर्वे किया जाए। इसके उपरांत उन्होंने ग्राम सिंहपुर के कन्टेनमेंट क्षेत्र का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान आरआरटी दल के सदस्यों को निर्देश दिए कि शत प्रतिशत व्यक्तियों का सर्वे किया जाए। कोरोना संभावित व्यक्तियों के नमूने लें। उन्होंने निर्देश दिए कि कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों के सम्पर्क वाले व्यक्तियों के आवागमन संबंधी जानकारी एकत्र की जाए। जिससे उनके यात्रा की जानकारी मिल सके।
उन्होंने कन्टेनमेंट क्षेत्र के निरीक्षण के दौरान ड्यूटी पर लगे अधिकारी, कर्मचारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक क्षेत्र के शत प्रतिशत परिवारों का सर्वे करें। सर्वे में सर्दी, जुखाम, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, गंभीर बीमारियों से पीडित व्यक्तियों, बुजुर्गो, गर्भवती महिलाओं का सर्वे कर पृथक पृथक जानकारी तैयार करें। इन सभी व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी अनिवार्य रूप से किया जाए। आवश्यकता होने पर नमूने लेकर जांच के लिए जिला स्तरीय लैब को भेजें। कन्टेनमेंट क्षेत्र के लोगों को घर से बाहर निकलना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इन परिवारों को आवश्यक सामग्री दूध, सब्जी, किराना समान आदि पहुंचाने के लिए एक-एक व्यक्ति निश्चित किया जाए। केवल वही व्यक्ति इस क्षेत्र में जाकर आवश्यक वस्तुएं पहुंचाएगा। इन क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से मास्क लगाने की हिदायत दी जाए।
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पन्ना की रत्नगर्भा धरती से फिर निकला नायाब हीरा

  •  श्रमिक आनंदी लाल व उसके साथियों ने निजी भूमि पर लिया था खदान का पट्टा 
  •  सरकोहा स्थित रानीपुर खदान में मिला है 10.69 कैरेट वजन का उज्जवल हीरा


हीरा दिखाते हुये साझीदार शिवकुमार उर्फ़ पप्पू यादव साथ में अन्य साथी। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती से फिर एक 10.69  कैरेट वजन का बेशकीमती हीरा मिला है। उज्जवल किस्म ( जेम क्वालिटी ) वाला यह नायाब हीरा धाम मोहल्ला पन्ना निवासी अनंदीलाल कुशवाहा व उसके साझीदार साथियों को मिला है। अपने साथियों के साथ मजदूर अनंदीलाल रानीपुर स्थित खदान में विगत 6 माह से हीरा खोज रहा था। मंगलवार को जब उसे कंकड़ पत्थरों के बीच 10.69 कैरेट वजन का चमकदार बड़ा हीरा मिला तो वह खुशी से झूम उठा। अनंदीलाल और उसके साथियों ने नवीन कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय पहुंचकर इस बेशकीमती हीरा को जमा करा दिया है। इस हीरा को देखने के लिये पन्ना के हीरा कार्यालय में आज मीडियाकर्मियों सहित आम लोगों की भी भीड़ लगी रही। हीरा पारखियों द्वारा 10.69 कैरेट के इस  हीरे की अनुमानित कीमत 5 लाख रुपये प्रति कैरेट से अधिक आंकी है, इस लिहाज से हीरे की कीमत लगभग 50 लाख रुपये बताई जा रही है। हीरा जमा करने के बाद अनंदीलाल और उसके साथियों ने कहा कि हीरा के रूप में उन्हें धरती माता का आशीर्वाद मिला है।

पन्ना की खदान में मिला हीरा 
गौरतलब है कि पलक झपकते ही रंक से राजा बनने का चमत्कार यदि कहीं घटित होता है तो वह रत्नगर्भा पन्ना जिले की धरती है। इस धरती की यह खूबी है कि अचानक ही यहां पर कब किसकी किस्मत चमक जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही कुछ 21 जुलाई मंगलवार की सुबह पन्ना शहर के निवासी अनंदीलाल कुशवाहा व उसके अन्य 8 साथियों की जिन्दगी में घटित हुआ है। सरकोहा क्षेत्र के रानीपुर स्थित निजी भूमि वाली इस हीरा खदान के मुख्य साझीदार शिवकुमार उर्फ़ पप्पू यादव ने बताया कि जैसे ही खदान में उन्हें हीरा मिला, हम सब लोग हीरा लेकर सीधे हीरा कार्यालय आ गये। हीरा अधिकारी आर. के. पाण्डेय ने बताया कि लंबे समय बाद यह बड़ा हीरा मिला है, जिसे विधिवत जमा करा दिया गया है।  अब इसको नीलामी में रखा जाएगा और जो भी कीमत मिलेगी रॉयल्टी और टैक्स काटकर संपूर्ण राशि मजदूर को दी जायेगी। रानीपुर की खदान में आनंदीलाल ने हीरा खदान लगा रखी थी, इससे पहले एक रेज भी जमा की थी और आज हीरा मिला है जो विधिवत जमा कर लिया गया है।


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Sunday, July 19, 2020

बदमाशों ने विस्फोटक से एटीएम को उड़ाया, लाखों रू. लूटकर हुये फरार

  •  पन्ना जिले के सिमरिया थाना अंतर्गत मुख्य बाजार की घटना
  •   कट्टे की नोक पर एटीएम के चौकीदार को बनाया गया था बंधक
  •  सनसनीखेज वारदात के बाद से इलाके में दहशत का माहौल 
  •  नकाबपोश शातिर बदमाशों की पुलिस द्वारा की जा रही है तलाश   


सिमरिया क़स्बा स्थित वह एटीएम जहाँ बदमाशों ने विस्फोट करके की है लूट की वारदात। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में दो अज्ञात नकाबपोश बदमाशों ने बीती रात बड़े ही दुस्साहसिक अंदाज में विस्फोटक से स्टेट बैंक के एटीएम को ध्वस्त कर लाखों रुपये की लूट की सनसनीखेज वारदात को अंजाम देकर फरार हो गये। इस खतरनाक वारदात के बाद से इलाके में दहशत का माहौल है। सिमरिया के पुराने बस स्टैंड स्थित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित पन्ना की शाखा सिमरिया के नीचे लगे भारतीय स्टेट बैंक के एटीएम को जब रात में बदमाशों द्वारा डायनामाइट से उड़ाया गया तो धमाका इतना जोर से हुआ कि एटीएम के परखच्चे उड गये और दूर दूर तक एटीएम में लगे काँच के टुकडे फैल गये। सिमरिया क़स्बा के मुख्य बाजार में स्थित स्टेट बैंक के एटीएम में तैनात गार्ड के सीने पर कट्टा तानकर बदमाशों ने इस वारदात को अंजाम दिया और लाखों रुपये समेटकर मोटर साईकिल से फरार हो गये।
सिमरिया पुलिस थाना के नजदीक हुई लूट की इस अप्रत्याशित वारदात के बाद से स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस थाना से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर इतना तेज धमाका होने के बाद भी रात्रिकालीन ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मी सोते रहे। घटनास्थल के समीप ही पुलिस के डायल-100 वाहन का प्वाइंट निर्धारित है लेकिन वारदात के समय वह रात्रि गश्त पर गई थी। मौका पाकर अज्ञात शातिर बदमाश लूटपाट कर बाइक से भाग निकलने में सफल रहे।एटीएम लूट की घटना की जानकारी मिलने पर पन्ना पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने रविवार को सिमरिया पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया। लूट की पूरी वारदात सीसीटीव्ही कैमरों में कैद हुई है। एटीएम के गार्ड सुखेन्द्र चौधरी के द्वारा लुटेरों के कद-काठी के सम्बंध में दी गई जानकारी और सीसीटीव्ही कैमरों के फुटेज के आधार पर पुलिस अज्ञात बदमाशों का सुराग लगाने में जुटी है।

जल्दबाजी में बदमाशों से एटीएम में छूटे कुछ रुपये। 

पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्टेट बैंक के एटीएम को विस्फोट से उड़ाकर रुपए लुटने की वारदात में प्रोफेशनल अपराधी शामिल हैं। उनके द्वारा पूरी वारदात महज 15 मिनिट के अंदर अंजाम दिया गया है। आपने बताया कि इसी तरह की घटनाएं पड़ोसी जिला दमोह, गैसाबाद और सतना के अमरपाटन में सामने आई हैं। आपने कहा कि इन सभी घटनाओं के पैटर्न को देखते हुए इसमें एक ही गैंग का हाथ होने की सम्भावना है। फिलहाल पुलिस की प्रारम्भिक जांच में यह साफ़ नहीं हो सका कि एटीएम में रखे कुल कितने रुपयों की लूट हुई है। अपुष्ट जानकारी के अनुसार एक दिन पूर्व एटीएम में 23 लाख रुपये डाले गये थे। पुलिस की फोरेंसिक टीम को जांच के दौरान क्षतिग्रस्त एटीएम में कुछ रुपये मिले हैं। इस तरह एटीएम से आहरित राशि और मौके पर मिले रुपयों की गणना के बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की बात कही जा रही है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस बारदात को एक चुनौती के रूप में लिया जा रहा है और अपराधी कितने भी शातिर हों उनकी गिरफ्तारी बहुत जल्द कर ली जाएगी। स्थानीय पत्रकारों ने जब उनसे सवाल किया कि थाना सिमरिया से चंद कदम की दूरी पर स्थित एटीएम में अपराधियों द्वारा इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया परंतु स्थानीय पुलिस घटना घटित करने वाली आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार नहीं कर पाई, क्या यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह नहीं है? इसके जवाब में पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस पूरी घटना की बिंदुवार जांच कराई जा रही है, घटना में दोषी कोई भी हो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। स्थानीय लोगों के मुताबिक यदि पुलिस गस्त एवं रोड पेट्रोलिंग वाहन दौड़ रहा होता तो निश्चित रूप से एटीएम को लूटने वाले लुटेरे रात्रि में ही पुलिस के हत्थे लग जाते। मगर जिले में पुलिस बल की कमी के चलते रात्रि में रोड पेट्रोलिंग गस्त नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से शातिर अपराधी वारदात को बेखौफ होकर अंजाम दे रहे हैं। विस्फोटक से एटीएम को उड़ाकर लूट की हुई इस सनसनीखेज वारदात को आईजी अनिल शर्मा ने भी गंभीरता से लिया है तथा घटना स्थल का जायजा लेकर पुलिस अधिकारीयों को निर्देश दिये हैं।

आईजी अनिल शर्मा ने पन्ना में पुलिस अधिकारियों की ली बैठक


पन्ना में पुलिस अधिकारीयों की बैठक लेते हुए आईजी अनिल शर्मा। 

एटीएम लूटकाण्ड को देखते हुये सागर आईजी अनिल शर्मा रविवार को पन्ना पहुंचे और पुलिस अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने अधिकारियों को गुण्डों और बदमाशो पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये। लॉकडाउन खुलने के पश्चात बढ़ रहे अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए आईजी ने कहा कि गुण्डों बदमाशों में पुलिस का ख़ौफ नजर नहीं आ रहा है, अतः इनको चिन्हित कर प्रभावी नियंत्रण हेतु अभियान चलाया जाये।  उनके विरुद्ध एनएसए , जिला बदर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की जाये और उनके अवैध कृत्यों पर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। लूट, राहजनी,चोरी , भू माफिया, रेत माफिया,चिटफंड कंपनी, ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे अपराधों पर नियंत्रण हेतु प्रभावी कार्यवाही की जाये ताकि जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़े। बैठक में पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बीकेएस परिहार सहित जिले के पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।
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Thursday, July 16, 2020

जंगली मशरूम (बोंडी) से चल रही आदिवासियों की आजीविका

  •  पन्ना में दो सौ रुपये किलो मिल रही पोषण से भरपूर यह जंगली सब्जी
  •  स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक और औषधीय गुणों से होती है भरपूर 


सड़क किनारे बेचने के लिये जंगली मशरूम (बोंडी) लेकर बैठे गांव के बच्चे। 

। अरुण सिंह 

पन्ना। घने जंगलों से आच्छादित मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में इन दिनों जंगली मशरूम (बोंडी) आदिवासी परिवारों की आजीविका का सहारा बना हुआ है। बारिश के मौसम में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली यह जंगली सब्जी अपने पौष्टिक गुणों और स्वाद के कारण दो सौ से लेकर तीन सौ रुपये किलो तक बिकती है। 

कोरोना काल में जब रोजी रोजगार पर हर तरफ संकट के बादल मंडरा रहे हैं, ऐसे आड़े वक़्त में जंगल ही गरीब आदिवासियों का सहारा बने हुये हैं। जंगल में बारिश के समय पाई जाने वाली इस मशरूम को बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बोंडी कहते हैं जो सावन भादों में बादल गरजने के बाद बामी से निकलते हैं। खाने में अत्यधिक स्वादिस्ट और पौष्टिक होने के कारण इस जंगली सब्जी की खासी मांग रहती है।

आदिवासी बहुल इलाकों व ग्रामों में कुपोषण सहित अन्य समस्याओं पर सक्रियता से काम करने वाले समाजसेवी यूसुफ बेग ने बताया कि जंगल से लगे ग्रामों में निवास करने वाले आदिवासी इन दिनों जंगली मशरूम (बोंडी) का संग्रह करने में जुटे रहते हैं। आपने बताया कि आज सुबह ग्राम बडौर जाते वक्त एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना मझगवॉ रोड पर ग्राम दरेरा - मडैयन के बीच कुछ बच्चे जंगली मशरूम लेकर सड़क किनारे बेंचने के लिये बैठे थे। वहीँ पास ही सीताराम गौंड तथा उसका पूरा परिवार बोंडी लिये सडक के किनारे बैठे मिले। सीताराम की पत्नी ने बताया कि कल आठ सौ रूपये की बोंडी बेंची हैं। 

इस आदिवासी महिला ने बताया कि इन्ही जंगलों से मिलने वाली चीजों से परिवार की आजीविका चलती है। सीताराम गौंड ने बताया कि जंगल से बोंडी एकत्र कर प्रतिदिन यहाँ पर आकर हम बेंचते हैं। सड़क से गुजरने वाले शहर के लोग खरीद लेते हैं। उसने बताया कि ये बोंडी 200 रूपये किलो या 50 रूपये मूठा तक बिक जाती है और जो बच जाती है उसे हम सपरिवार खा लेते हैं।

जंगली मशरूम (बोंडी) एकत्रित करने के बाद सुस्ताता सीताराम गौंड का परिवार। 

जानकारों का कहना है कि मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन, विटामिन डी, सेलेनियम और जिंक से भरपूर मशरूम का इस्तेमाल कई दवाइयां बनाने के लिये किया जाता है। मशरूम में मौजूद पौषक तत्व शरीर को कई खतरनाक बीमारियों से बचा कर रखते हैं। इसके अलावा इसका सेवन इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। यहां कहा जाता है कि कुपोषित बच्‍चे को बोड़ा उबालकर पिलाने से वह स्‍वस्‍थ्‍य हो जाते हैं। 

इसके स्वाद ने मांसाहारी व शाकाहारी सभी को अपना दीवाना बना रखा है। इसमें प्रचूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन पाया जाता है। देश की सबसे महंगी सब्जियों में शुमार इससे हार्ट और ब्‍लड प्रेशर के लिए दवा बनाई जाती है। इसमें कैलोरी कम होती है, इस कारण अपने स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखने वाले लोग इसे आराम से खाते हैं। 

बोंडी का जायका इतना लजीज होता है कि ये चिकेन और मटन के स्वाद को भी पीछे छोड़ देता है। 
इसलिये सावन के महीने में जब ज्यादातर लोग नॉनवेज नहीं खाते, इसकी मांग बढ़ जाती है। यहाँ यह बताना जरुरी है कि जंगली मशरूम का उपयोग करने में सावधानी भी रखना चाहिये क्योंकि इनकी कई किस्में जहरीली होती हैं जो कभी - कभी खाने पर जानलेवा भी साबित होती हैं।

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Wednesday, July 15, 2020

चिकित्सक जो गरीबों के लिये किसी फरिश्ता से कम नहीं

  • न जाने कितने गंभीर हृदय रोगियों को डॉ.लहरी ने मौत के मुँह से बचाया 
  • स्वाभिमानी और अपने पेशे के प्रति समर्पित इस महापुरुष को आप भी जानें 



उन्हें किसी भी दिन शहर के अन्नपूर्णा होटल में पच्चीस रुपए की थाली का खाना खाते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही वह आज भी बीएचयू में अपनी चिकित्सा सेवा निःशुल्क जारी रखे हुए हैं। डॉ लहरी को आज भी एक हाथ में बैग, दूसरे में काली छतरी लिए हुए पैदल घर या बीएचयू हास्पिटल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है। लोगों का निःशुल्क इलाज करने वाले बीएचयू के जाने-माने कार्डियोथोरेसिक सर्जन पद्म श्री डॉ. टी.के. लहरी (डॉ तपन कुमार लहरी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके घर पर जाकर मिलने से इनकार कर दिया है। योगी को वाराणसी की जिन प्रमुख हस्तियों से मुलाकात करनी थी, उनमें एक नाम डॉ टीके लहरी का भी था। मुलाकात कराने के लिए अपने घर पहुंचने वाले अफसरों से डॉ लहरी ने कहा कि मुख्यमंत्री को मिलना है तो वह मेरे ओपीडी में मिलें। इसके बाद उनसे मुलाकात का सीएम का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री चाहते तो डॉ लहरी से उनके ओपीडी में मिल सकते थे लेकिन वीवीआईपी की वजह से वहां मरीजों के लिए असुविधा पैदा हो सकती थी।
जानकार ऐसा भी बताते हैं कि यदि कहीं मुख्यमंत्री सचमुच मिलने के लिए ओपीडी में पहुंच गए होते तो डॉ लहरी उनसे भी मरीजों के क्रम में ही मिलते और मुख्यमंत्री को लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ता। बताया जाता है कि इससे पहले डॉ लहरी तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी इसी तरह न मिलने का दो टूक जवाब देकर निरुत्तरित कर चुके हैं। सचमुच श्धरती के भगवानश् जैसे डॉ लहरी वह चिकित्सक हैं, जो वर्ष 1994 से ही अपनी पूरी तनख्वाह गरीबों को दान करते रहे हैं। अब रिटायरमेंट के बाद उन्हें जो पेंशन मिलती है, उसमें से उतने ही रुपए लेते हैं, जिससे वह दोनो वक्त की रोटी खा सकें। बाकी राशि बीएचयू कोष में इसलिए छोड़ देते हैं कि उससे वहां के गरीबों का भला होता रहे। उन्हें किसी भी दिन शहर के अन्नपूर्णा होटल में पच्चीस रुपए की थाली का खाना खाते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही वह आज भी बीएचयू में अपनी चिकित्सा सेवा निःशुल्क जारी रखे हुए हैं। डॉ लहरी को आज भी एक हाथ में बैग, दूसरे में काली छतरी लिए हुए पैदल घर या बीएचयू हास्पिटल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है। वह इतने स्वाभिमानी और अपने पेशे के प्रति इतने समर्पित रहते है कि कभी उन्होंने बीएचयू के बीमार कुलपति को भी उनके घर जाकर देखने से मना कर दिया था।
ऐसे ही डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। तमाम चिकित्सकों से मरीजों के लुटने के किस्से तो आए दिन सुनने को मिलते हैं लेकिन डॉ. लहरी देश के ऐसे डॉक्टर हैं, जो मरीजों का निःशुल्क इलाज करते हैं। अपनी इस सेवा के लिए डॉ. लहरी को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में चौथे सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार श्पद्म श्रीश् से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ लहरी ने सन् 1974 में प्रोफेसर के रूप में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अपना करियर शुरू किया था और आज भी वह बनारस में किसी देवदूत से कम नहीं हैं। बनारस में उन्हें लोग साक्षात भगवान की तरह जानते-मानते हैं। जिस ख्वाब को संजोकर मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की स्थापना की, उसको डॉ लहरी आज भी जिन्दा रखे हुए हैं।
वर्ष 2003 में बीएचयू से रिटायरमेंट के बाद से भी उनका नाता वहां से नहीं टूटा है। आज, जबकि ज्यादातर डॉक्टर चमक-दमक, ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे हैं, लंबी-लंबी मंहगी कारों से चलते हैं, मामूली कमीशन के लिए दवा कंपनियों और पैथालॉजी सेंटरों से सांठ-गांठ करते रहते हैं, वही मेडिकल कॉलेज में तीन दशक तक पढ़ा-लिखाकर सैकड़ों डॉक्टर तैयार करने वाले डॉ लहरी के पास खुद का चारपहिया वाहन नहीं है। उनमें जैसी योग्यता है, उनकी जितनी शोहरत और इज्जत है, चाहते तो वह भी आलीशान हास्पिटल खोलकर करोड़ों की कमाई कर सकते थे लेकिन वह नौकरी से रिटायर होने के बाद भी स्वयं को मात्र चिकित्सक के रूप में गरीब-असहाय मरीजों का सामान्य सेवक बनाए रखना चाहते हैं। वह आज भी अपने आवास से अस्पताल तक पैदल ही आते जाते हैं। उनकी बदौलत आज लाखों गरीब मरीजों का दिल धड़क रहा है, जो पैसे के अभाव में महंगा इलाज कराने में लाचार थे। गंभीर हृदय रोगों का शिकार होकर जब तमाम गरीब मौत के मुंह में समा रहे थे, तब डॉ. लहरी ने फरिश्ता बनकर उन्हें बचाया।
डॉ लहरी जितने अपने पेशे के साथ प्रतिबद्ध हैं, उतने ही अपने समय के पाबंद भी। आज उनकी उम्र लगभग 75 साल हो चुकी है लेकिन उन्हें देखकर बीएचयू के लोग अपनी घड़ी की सूइयां मिलाते हैं। वे हर रोज नियत समय पर बीएचयू आते हैं और जाते हैं। रिटायर्ड होने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें इमेरिटस प्रोफेसर का दर्जा दिया था। वह वर्ष 2003 से 2011 तक वहाँ इमेरिटस प्रोफेसर रहे। इसके बाद भी उनकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए उनकी सेवा इमेरिटस प्रोफेसर के तौर पर अब तक ली जा रही है। जिस दौर में लाशों को भी वेंटीलेटर पर रखकर बिल भुनाने से कई डॉक्टर नहीं चूकते, उस दौर में इस देवतुल्य चिकित्सक की कहानी किसी भी व्यक्ति को श्रद्धानत कर सकती है।
रिटायर्ड होने के बाद भी मरीजों के लिए दिलोजान से लगे रहने वाले डॉ. टीके लहरी को ओपन हार्ट सर्जरी में महारत हासिल है। वाराणसी के लोग उन्हें महापुरुष कहते हैं। अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद 1974 में वह बीएचयू में 250 रुपए महीने पर लेक्चरर नियुक्त हुए थे। गरीब मरीजों की सेवा के लिए उन्होंने शादी तक नहीं की। सन् 1997 से ही उन्होंने वेतन लेना बंद कर दिया था। उस समय उनकी कुल सैलरी एक लाख रुपए से ऊपर थी। रिटायर होने के बाद जो पीएफ मिला, वह भी उन्होंने बीएचयू के लिए छोड़ दिया। डॉ. लहरी बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें अमेरिका के कई बड़े हॉस्पिटल्स से ऑफर मिला, लेकिन वह अपने देश के मरीजों की ही जीवन भर सेवा करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। वह प्रतिदिन सुबह छह बजे बीएचयू पहुंच जाते हैं और तीन घंटे ड्यूटी करने के बाद वापस घर लौट आते हैं। इसी तरह हर शाम अपनी ड्यूटी बजाते हैं। इसके बदले वह बीएचयू से आवास के अलावा और कोई सुविधा नहीं लेते हैं।
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Monday, July 13, 2020

पन्ना जिले के सभी 58 कोरोना पॉजिटिव मरीज हुये स्वस्थ

  •  बीते 24 घण्टे में नहीं मिला एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज 
  •  कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कहा कोरोना हारेगा और पन्ना जीतेगा


पन्ना जिले के अजयगढ़ कोविड केयर सेन्टर में स्वस्थ हुये 6 मरीज घर जाते हुए। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में मौजूदा समय एक भी एक्टिव कोरोना संक्रमित मरीज नहीं है। बीते 24 घण्टे में यहाँ कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं मिला। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एल.के. तिवारी ने बताया कि जिले में अब तक 58 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं, जो समुचित देखरेख व इलाज से पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित नोबल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में निरंतर कार्यवाही जारी है। जिले में 13 जुलाई को 132 सेम्पल टेस्ट किये गये। अब तक 1993 सैम्पलों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। वर्तमान समय जिले में एक भी एक्टिव कोरोना पॉजिटिव मरीज नही हैं। जिले के कोविड केयर सेंटरों में संदिग्ध 08 व्यक्तियों को रखा गया है। जिले में 29 कान्टेन्मेंट क्षेत्र घोषित हैं। वही 15 क्षेत्रों को कन्टेन्मेंट क्षेत्र से मुक्त करते हुए सामान्य क्षेत्र घोषित किया गया है। सक्रिय कन्टेन्मेंट क्षेत्र 14 हैं।
कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा ने जिले के निवासियों से अपील करते हुए कहा है कि किल कोरोना सर्वे दल आपके घरों में पहुंच रहे हैं। इन दलों को बगैर किसी डर के अपनी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दें। यदि आप इधर के 20 दिनों में जिले से या प्रदेश से बाहर गये थे या आये हैं तो इसकी जानकारी भी इन दलों को दें। यदि आपके पडोस में कोई भी व्यक्ति सर्दी, जुखाम, बुखार से पीडित है अथवा बाहर से आया है उसकी जानकारी भी दलों को दें। यह सर्वे कार्य एक जुलाई से प्रारंभ हो गया है जो 15 जुलाई तक निरंतर चलेगा। इस सर्वे कार्य में आप लोग सभी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे तो कोरोना हारेगा और पन्ना जीतेगा।
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खनिज संपदा से समृद्ध पन्ना जिले को मिलेगी नई पहचान

  •  पन्ना से बृजेंद्र प्रताप सिंह बने खनिज साधन, श्रम विभाग के मंत्री 
  • सूची जारी होने के साथ ही जिले में ख़ुशी और उत्साह का माहौल 


खनिज साधन, श्रम विभाग के कैबिनेट मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह। 

अरुण सिंह,पन्ना। लम्बी जद्दोजहद के बाद मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार के 11वें दिन विभागों का बंटवारा कर दिया है। इसी के साथ विभागों के बंटवारे को लेकर सोशल मीडिया में चल रहा कयासों और अनुमानों का दौर भी ख़त्म हो गया है। बहुप्रतीक्षित विभागों के इस बंटवारे में पन्ना विधान सभा क्षेत्र के जनप्रिय एवं ऊर्जावान विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह को खनिज साधन, श्रम विभाग के कैबिनेट मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनके कैबिनेट मंत्री बनने से खनिज संपदा से समृद्ध पन्ना जिले को नई पहचान मिलेगी।
विभागों के बंटवारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से स्वास्थ्य विभाग छीनकर सिंधिया समर्थक डॉ. प्रभुराम चौधरी को दे दिया है। सिंधिया समर्थकों को उनकी पसंद के विभाग दिए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पास सामान्य प्रशासन, जनसंपर्क, नर्मदा घाटी विकास, विमानन समेत ऐसे विभाग रखे हैं जो किसी अन्य मंत्री के पास नहीं हैं। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद शनिवार को शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि रविवार को नये मंत्रियों को विभाग मिल जायेंगे। रविवार को मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो सका, फलस्वरूप अनुमानों और कयासों का दौर जारी रहा। रविवार को देर रात्रि तक लोग बेसब्री के साथ मंत्रियों के विभागों की सूची का इंतजार करते रहे, यह इंतजार सोमवार 13 जुलाई की सुबह तब ख़त्म हुआ जब विधिवत रूप से अधिकृत सूची जारी हुई।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में 2 जुलाई को 28 मंत्रियों को शामिल किया था। मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा के 16 मंत्रियों में 7 पुराने और 9 नए चेहरे शामिल किये गये थे। कांग्रेस के बागी खेमे से कुल 14 मंत्री हो गये हैं। इसी साल मार्च में कुल 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया था। शिवराज सरकार में अब 25 कैबिनेट और आठ राज्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री को मिलाकर 34 मंत्री हैं। भाजपा सूत्र बताते हैं कि ग्वालियर-चंबल की सबसे ज्यादा सीटों पर उपचुनाव होना है। सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया, ऐंदल सिंह कंसाना, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह मंत्री बनाए गए हैं। इसमें ऐंदल सिंह कंसाना सिंधिया समर्थक नहीं माने जाते हैं।

पन्ना जिले में ख़ुशी और जश्न का माहौल 

प्रदेश मंत्रिमंडल का 2 जुलाई को विस्तार होने पर जब पन्ना जिले से बृजेंद्र प्रताप सिंह को कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व मिला तो समूचे जिले में उत्साह की लहर दौड़ गई। मंत्री बनने के बाद जिले में बृजेंद्र प्रताप सिंह के प्रथम आगमन पर जिस तरह से स्वागत हुआ उसी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों में कितना उत्साह व ख़ुशी है। सोमवार की सुबह जब विभागों के बंटवारे की सूची जारी हुई और लोगो को पता चला कि बृजेंद्र प्रताप सिंह को खनिज साधन, श्रम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो लोग ख़ुशी से झूम उठे। खनिज संपदा से समृद्ध पन्ना जिले में असीम सम्भावनायें हैं, जिसका मंत्री जी बेहतर तरीके से जिले के हित उपयोग करेंगे ऐसी उम्मीद है। इनके मंत्री बनने से रोजी और रोजगार के नये अवसरों का भी सृजन होगा तथा अवैध उत्खनन पर प्रभावी अंकुश लगने के साथ सुनियोजित तरीके से खनिज संपदा के पर्यावरण हितैषी वैज्ञानिक दोहन को बढ़ावा मिलेगा। हीरा व पत्थर खदानों के सन्दर्भ में जिले को विकास की ओर अग्रसर कराने व एक नई पहचान दिलाने वाली नीति बनेगी, ऐसी अपेक्षा है।
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Friday, July 10, 2020

पन्ना में मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने प्राकृतिक स्थलों का होगा विकास

  •  बैठक में मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने दिये निर्देश 
  •  कलेक्टर श्री शर्मा द्वारा प्रस्तुत पन्ना नगर विकास कार्ययोजना को मंत्री जी ने सराहा 


नगर विकास कार्ययोजना संबंधी बैठक में मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह साथ में अधिकारीगण।  

अरुण सिंह,पन्ना।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में पर्यटन विकास की विपुल संभावनायें मौजूद हैं। लेकिन इस दिशा में अभी तक  प्रभावी और ठोस पहल न होने से अपेक्षाओं व उम्मीदों के अनुरूप यहां कार्य नहीं हुआ। लेकिन अब पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद  पन्नावासियों की उम्मीदें एक बार फिर जागृत हुई हैं। मंत्री जी की अध्यक्षता में आज आयोजित पन्ना नगर विकास कार्ययोजना संबंधी बैठक में उन्होंने चल रहे विकास कार्यों तथा आगामी कार्ययोजनाओं के बारे में अधिकारियों से गहन चर्चा कर जिस तरह से दिशा निर्देश दिये हैं उससे उनके इरादे स्पष्ट हो गये हैं। बैठक में सर्वप्रथम मंत्री श्री सिंह का कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी, क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिज़र्व के.एस. भदौरिया, वनमण्डलाधिकारी द्वय श्रीमती मीना मिश्रा, गौरव शर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के ने पुष्पगुच्छ भेटकर स्वागत किया। इसके उपरांत कलेक्टर श्री शर्मा द्वारा पन्ना नगर विकास के लिए तैयार की गयी कार्य योजना एवं वर्तमान में स्मार्ट सिटी अन्तर्गत चल रहे कार्यो पर प्रकाश डाला। मंत्री श्री सिंह द्वारा पन्ना नगर विकास के लिए तैयार की गयी कार्ययोजना की सराहना करते हुए कहा कि पन्ना के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधार के लिए जो भी कार्य किये जा सकते हैं उन्हें कराया जाये।


पन्ना का सुप्रसिद्ध बलदाऊ जी का मंदिर।  

बैठक में कलेक्टर श्री शर्मा द्वारा बताया गया कि पन्ना के 5 मंदिरों का विकास, धरम सागर तालाब के किनारे पाथवे पिचिंग, सोलर लाईट, पार्क आदि का निर्माण, पहाडकोठी के ऊपर वृक्षारोपण, पन्ना व्यू-प्वाईंट, नगर के मुक्तिधाम स्थलों का विकास, उनमें पडी खाली भूमि से आय आर्जित करने का कार्य, नगर के मुख्य मार्गो में डिवाइडर का कार्य, पन्ना के धार्मिक, प्राकृतिक, ऐतिहासिक स्थलों का पर्यटन स्थल के रूप में विकास करने, राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में आने वाले पर्यटको को पन्ना नगर तक लाने, इको टूरिज्म, एडोटोरियम हाल, नजरगबाग स्टेडियम आदि के कार्य कराये जाने की कार्ययोजना तैयार की गयी है। इसके अलावा नगर के रथयात्रा महोत्सव, शरदपूर्णिमा महोत्सव, होली एवं बुन्देली उत्सव के रूप में छत्रसाल महोत्सव को भव्य रूप से मनाने एवं पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रचार-प्रसार करने की योजना है। बैठक में नगर की भीडभाड को कम करने के लिए एकांगी मार्ग बनाने, नगर के बाहर नया बस स्टैण्ड बनाने, 100 बिस्तर का नवीन चिकित्सालय भवन निर्माण, अजयगढ रोड से सतना मार्ग को जोडने के लिए वायपास रोड बनाने पर चर्चा की गयी। बैठक में वनाधिकार, प्रधानमंत्री ग्राम सडक, किल कोरोना आदि विषय पर चर्चा की गयी। कलेक्टर श्री शर्मा ने बताया कि नगर विकास के कार्य नगरपालिका, स्मार्ट सिटी, लोक निर्माण, वन विभाग, राष्ट्रीय उद्यान आदि के सहयोग से कराए जा रहे हैं। मंत्री श्री सिंह ने तैयार की गयी कार्ययोजना के अनुसार कार्य कराने की सराहना करते हुए कहा कि पन्ना के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पर्यटन को बढावा दिया जाना चाहिए। पन्ना जिले में पर्यटन विकास की अच्छी  संभावनायें हैं। नियमित पर्यटन के अलावा मानसून पर्यटन के लिए कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाये। सम्पन्न हुई बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष  रविराज सिंह यादव के साथ विभिन्न विभागों के जिला प्रमुख उपस्थित रहे।

मानसून पर्यटन की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी घोषणा 


बारिश के मौसम में पन्ना के जलप्रपात का मनोरम द्रश्य। 

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत 5 वर्ष पूर्व पन्ना प्रवास के दौरान यह घोषणा की थी कि पन्ना शहर के आस-पास स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थलों व जल प्रपातों का विकास कर यहां मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्रयास किये जायेंगे ताकि बारिश के मौसम में जब पन्ना टाईगर रिजर्व के गेट पर्यटकों के भ्रमण हेतु बंद हो जायें, उस समय भी पर्यटक यहां आकर प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनन्द ले सकें। इससे यहां पर रोजगार के नये अवसरों का जहां सृजन होगा, वहीं मन्दिरों के शहर पन्ना को एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री जी की इस सोच व घोषणा की पन्नावासियों ने सराहना की थी, लेकिन 5 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल व प्रयास नहीं हुये। मालुम हो कि पन्ना शहर के आस-पास 10 किमी के दायरे में प्राकृतिक व ऐतिहासिक महत्व के ऐसे अनेकों स्थल व जल प्रपात हैं, जिनको यदि पर्यटकों की दृष्टि से विकसित कर दिया जाये तो ये स्थल आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से 10 किमी. की दूरी पर सड़क मार्ग के निकट स्थित लखनपुर सेहा का घना जंगल तथा ऊँची मीनार जैसा नजर आने वाला यहां का मशरूम राक देखने जैसा है। जैव विविधता से परिपूर्ण इस मनोरम स्थल में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद हैं। फिर भी आश्चर्य इस बात का है कि अभी तक प्रकृति की इस अनूठी और विस्मय विमुग्ध कर देने वाली कृति की ओर शासन व प्रशासन का ध्यान नहीं गया। यदि इस स्थल का समुचित विकास हो जाये तो यह देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।
गौरतलब है कि पन्ना जिले को प्रकृति ने अनुपम सौगातों से नवाजा है। यहां के हरे-भरे घने जंगल, अनूठे जल प्रपात व गहरे सेहे देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं कि यहां इतना सब है फिर भी यह इलाका उपेक्षित और पिछड़ा क्यों है? पन्ना शहर में जहां प्राचीन भव्य व विशाल मन्दिर हैं, वहीं इस जिले में ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की भी भरमार है। प्रकृति तो जैसे यहां अपने बेहद सुन्दर रूप में प्रकट हुई है। यदि इन सभी खूबियों का सही ढंग से क्षेत्र के विकास व जन कल्याण में रचनात्मक उपयोग हो तो इस पूरे इलाके का कायाकल्प हो सकता है। पन्ना शहर के बेहद निकट स्थित लखनपुर का सेहा एक ऐसा स्थान है जो इस जिले को पर्यटन के क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान दिलाने की क्षमता रखता है। लखनपुर सेहा के अलावा पन्ना शहर के ही निकट गौर का चौपड़ा, खजरी कुड़ार गाँव के पास चरही, कौआ सेहा, बृहस्पति कुण्ड सहित अनेकों स्थल हैं जो उपेक्षित पड़े हैं। यदि इन मनोरम स्थलों को विकसित किया जाकर सही तरीके से प्रस्तुत किया जाये तो पर्यटक यहां खिंचे चले आयेंगे। इन सभी स्थलों को चिह्नित करते हुये वहां तक सुगम मार्ग व बुनियादी सुविधायें यदि उपलब्ध करा दी जायें तो ये स्थल बारिश के मौसम में पर्यटकों से गुलजार हो सकते हैं।
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Thursday, July 9, 2020

पन्ना की राजनीति में यह तस्वीर दे रही शुभ संकेत

  •  मंत्री बनने के बाद बृजेंद्र प्रताप सिंह पहुंचे महदेले जी के घर
  •  सुश्री कुसुम सिंह महदेले ने आत्मीय स्वागत कर दिया आशीष


मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह को मिठाई खिलाकर आशीर्वाद प्रदान करतीं पूर्व मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले। 

अरुण सिंह,पन्ना।  बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना जिले में बुधवार को प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के प्रथम आगमन पर सिमरिया से लेकर पन्ना तक जिस तरह से अभूतपूर्व स्वागत हुआ, वह निश्चित ही अविस्मरणीय रहेगा। कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। जगह-जगह हुए आत्मीय स्वागत के बीच सबसे ज्यादा सुखद और पन्ना की राजनीति में सकारात्मक बदलाव का संकेत देने वाली तस्वीर सफर बाग कहे जाने वाले पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुश्री कुसुम सिंह महदेले के निवास में तब देखने को मिली, जब मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह जिज्जी से आशीर्वाद लेने उनके घर पहुंचे। दीदी ने भी एक अभिभावक की तरह न सिर्फ अच्छा काम करने का आशीर्वाद दिया अपितु फूल के पंखुड़ियों की वर्षा कर आत्मीय स्वागत भी किया। जिन्होंने भी यह दृश्य देखा वे भाव विभोर हो गये और इसे पन्ना जिला ही नहीं अपितु समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए शुभ संकेत माना।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले की राजनीति में तीन दशक तक वर्चस्व कायम रखने वाली पूर्व मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले उम्र के उस पड़ाव में पहुंच चुकी हैं कि उन्हें सक्रिय राजनीति से दूरी बनानी पड़ी। सुश्री महदेले की राजनीतिक विरासत को संभालने वाला उनके परिवार में तमाम प्रयासों के बावजूद कोई आगे नहीं आ पाया। कहा जाता है कि बदलाव प्रकृति का नियम है और रिक्तता प्रकृति का स्वभाव नहीं है। शायद यही वजह है कि सुश्री महदेले के रिक्त हुए स्थान को भरने का अवसर कर्मठ, लगनशील, उच्च शिक्षित और क्षमतावान विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह को मिला है। पन्ना जिले के लिए निश्चित ही यह गर्व करने की बात है कि यहां से जीते विधायक को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इस सुखद बदलाव पर पूर्व मंत्री सुश्री महदेले ने न सिर्फ प्रसन्नता जाहिर की है बल्कि युवा मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह को मिठाई खिलाकर पूरे अधिकार के साथ कहा है कि पन्ना के विकास को अब और गति मिलेगी। राजनीति में ऐसा बड़प्पन और उदारता आज के इस दौर में कम ही देखने को मिलती है। जिज्जी ने अपने आत्मीय व्यवहार से यह साबित कर दिया है कि वे पन्ना की बेटी हैं और उनका एक ही ध्येय व इच्छा है कि पन्ना का चहुमुखी विकास हो।

बृजेंद्र प्रताप सिंह ने बनाई है विकास पुरुष की छवि 


प्रथम आगमन पर हुये आत्मीय स्वागत का द्रश्य। 

कैबिनेट मंत्री बने बृजेंद्र प्रताप सिंह राजनीति में सक्रिय रहकर कम समय में जो ख्याति और मुकाम हासिल किया है, वह कम ही लोगों को नसीब होता है। पवई विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्य मंत्री के रूप में इन्होंने विकास के जितने कार्य किये हैं वह अपने आप में एक मिसाल है। पवई क्षेत्र से इनके विमुख होते ही वहां विकास की रफ्तार थम सी गई है। यहां के लोग आज भी बृजेंद्र प्रताप सिंह को विकास पुरुष के रूप में याद करते हैं। पवई से पन्ना तक के राजनीतिक सफर में बृजेंद्र प्रताप सिंह ने बहुत कुछ सीखा है। अब उनके व्यक्तित्व में परिपक्वता और गंभीरता तो झलकती ही है, विनम्रता भी स्वाभाविक गुण बन चुका है। उन्हें पता है कि विनम्र होकर ही सफलता की सीढ़ी चढ़ी जा सकती है। वे यह भी जानते हैं कि सफलता के लिए कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है, इसके लिए कठिन श्रम व संघर्ष जरूरी है। सफल होने के लिए शॉर्टकट अपनाने वाले लोग निश्चित रूप से शार्ट (छोटे) हो जाते हैं और भीड़ में खो जाते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपनी पूरी क्षमता का उपयोग विकास और जनकल्याण के लिए करने का संकल्प लिया है। वे राजनीति में रहते हुए समाज को अपना सर्व श्रेष्ठ देने की मंशा रखते हैं, शायद उनकी सफलता का राज भी यही है।
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Wednesday, July 8, 2020

गरीबों की हरसंभव सहायता की जायेगी- बृजेन्द्र प्रताप सिंह

  •  श्री सिंह के प्रथम आगमन पर जगह - जगह  हुआ भव्य स्वागत
  •  मंत्री ने कहा राज्य शासन गरीबों को क्षेत्र में ही उपलब्ध करा रही काम
  •  श्रमिक भाई स्थितियां सामान्य होने तक घर-गांव में ही करें कार्य करें


मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के प्रथम आगमन पर हुये  भव्य स्वागत का द्रश्य। 

अरुण सिंह, पन्ना।
 प्रदेश के केबिनेट मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के प्रथम आगमन पर जिले की सीमा में प्रवेश के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं, समर्थकों व आम जनता द्वारा उनका  भव्य स्वागत किया गया। जिला मुख्यालय पर विभिन्न स्थानों पर स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थितों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार गरीबों की हरसंभव सहायता करेगी।
मंत्री श्री सिंह ने अपने उदबोधन में कहा कि पूरे देश में मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जिसने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए समर्थन मूल्य पर सबसे अधिक फसलों का उपार्जन किया है। जिससे किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सका है। उन्होंने कोविड-19 के संबंध में आमजनों से अपील करते हुए कहा कि इसके संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक उपाय अपनाएं। उन्होंने जिले के प्रवासी श्रमिकों से कहा कि कोविड-19 महामारी फैलने के साथ ही आप लोग कठिनाईयों का सामना करते हुए अपने घरों तक आ गए हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार ने महानगरों से आपको अपने घरों तक पहुंचाने में हरसंभव सहायता की है। उन्होंने कहा कि महानगरों ठेकेदार श्रमिक भाईयों को फिर से दिल्ली, बम्बई, गुडगांव आदि ले जाने के लिए आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिक भाई महानगरों की ओर अभी न जाएं। वहां के हालात ठीक नही हैं। राज्य शासन द्वारा आपके क्षेत्र में ही आपको काम उपलब्ध करा रही है। इसके लिए मनरेगा, रोजगार सेतु, गरीब कल्याण रोजगार कल्याण आदि योजनाएं संचालित की गयी हैं। श्रमिक भाई जब तक महानगरों की स्थितियां सामान्य नही हो जाती तब तक अपने घर-गांव में रहकर ही कार्य करें। राज्य सरकार द्वारा अनेक तरह से आप लोगों की मदद कर रही है।
राज्य शासन द्वारा महानगर से आपके गांव तक पहुंचाने का काम करने के साथ आपको आर्थिक मदद एवं खाद्यान्न आदि से मदद की गयी है। गरीबों की आगे भी मदद की जाएगी। इसलिए प्रदेश के गरीब मजदूर महानगरो की ओर काम की तलाश में न जाएं। प्रदेश शासन द्वारा गरीबों को अधिक से अधिक कार्य उपलब्ध करा रही है। मंत्री श्री सिंह का स्वागत पन्ना जिले की सीमा से प्रारंभ हुआ। गांव रैकरा, सिमरिया, थाना तिगड्डा, श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर, पुरैना रोड, देवरा रोड, तिघरा मोड, चिकला मंदिर, निवारी गेट होते हुए अमानगंज मुख्यालय में जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। इसके उपरांत अमानगंज से पन्ना मुख्यालय प्रस्थान करते समय मार्ग में पडने वाले ग्रामों में भव्य स्वागत किया गया। स्वागत कार्यक्रमों में जिला पंचायत के अध्यक्ष रविराज सिंह यादव, उपाध्यक्ष माधवेन्द्र सिंह, पवई विधायक प्रहलाद लोधी के साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।
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मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह आज आयेंगे पन्ना

  •  प्रथम आगमन पर जगह - जगह होगा आत्मीय स्वागत 
  •  सिमरिया से लेकर पन्ना तक समर्थकों ने बनवाये स्वागत द्वार 
  •  स्वागत के दौरान सोशल डिस्टेंस का रखा जायेगा पूरा ध्यान 


कैबिनेट मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश की नवगठित शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाये गये पन्ना विधान सभा क्षेत्र के जनप्रिय विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह के बुधवार 8 जुलाई को अपने गृह जिले में प्रथम आगमन पर जगह -  जगह उनका आत्मीय स्वागत किया जायेगा। ख़ुशी के इस अवसर को यादगार बनाने के लिये पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही उनके समर्थकों और चाहने वाले लोगों द्वारा तोरण द्वार बनाकर स्वागत की जोरदार तैयारियां की गई हैं। जिले के लोग उच्च शिक्षित और विकास के लिए समर्पित कर्मठ स्वभाव वाले कैबिनेट मंत्री की सौगात मिलने से उत्साहित हैं जिसका नजारा मंदिरों के शहर पन्ना में नजर आ रहा है। सिमरिया से लेकर पन्ना तक स्वागत की तैयारियों तथा लोगों के उत्साह को देखते हुये पार्टी संगठन द्वारा एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण को द्रष्टिगत रखते हुये समर्थकों व शुभचिंतकों से अनुरोध किया गया है कि स्वागत के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें तथा फूलमाला की जगह पुष्प गुच्छ भेंट कर अपने लाड़ले मंत्री का स्वागत करें। कैबिनेट मंत्री के जिले में प्रथम आगमन को देखते हुये प्रशासन द्वारा भी सभी जरुरी इंतजाम किये जा रहे हैं।  
पन्ना आगमन के सम्बन्ध में मिली अधिकृत जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश शासन के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह 08 जुलाई को भोपाल से प्रस्थान कर अपरांह 1.30 बजे सिमरिया आयेंगे। मंत्री श्री सिंह सिमरिया में आयोजित स्थानीय कार्यक्रमों में भाग लेंगे। इनमें सिमरिया तिगडा, रेस्ट हाउस, श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर, पुरैना रोड, देवरा रोड, तिघरा मोड, चिखला मंदिर, निवारी गेट एवं रैकरा गेट में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेंगे। अपरांह 02 बजे सिमरिया से प्रस्थान कर अपरांह 2.30 बजे अमानगंज आयेंगे। यहां आयोजित स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेने के बाद अपरांह 03 बजे अमानगंज से पन्ना के लिए प्रस्थान कर अपरांह 3.30 बजे पन्ना आयेंगे। पन्ना में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेने के बाद रात्रि विश्राम पन्ना में करेंगे। मंत्री श्री सिंह के शेष कार्यक्रम पृथक से जारी किये जायेंगे। कैबिनेट मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के प्रथम आगमन को अविस्मरणीय बनाने की भाजपा जिलाध्यक्ष रामबिहारी चौरसिया, विष्णु पण्डे, हनुमंत सिंह रजऊ राजा, सुरेन्द्र सिंह कल्याणपुर, जिला पंचायत उपाध्यक्ष माधवेन्द्र सिंह, तरुण पाठक, विनोद तिवारी, अजेन्द्र सिंह बुन्देला, दिलीप शिवहरे,  रामबाबू सिंह, जितेन्द्र सिंह चौहान, कमल लालवानी सहित अनेकों लोगों ने अपील की है।
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Tuesday, July 7, 2020

रहस्मयी पेड़ जिसके तने पर कट लगते ही निकलती है पानी की धार

  •  प्रकृति की गोद में छिपे हुये हैं अनगिनत रहस्य 
  •  औषधीय गुणों से भरपूर होता है इस बृक्ष का पानी 


बृक्ष के तने में कट लगते ही निकली जलधार से प्यास बुझाता युवक। 

अरुण सिंह,पन्ना। प्रकृति की गोद में न जाने कितने रहस्य आज भी छिपे हुये हैं, जिनसे हम अनजान हैं। सोसल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी दिग्विजय सिंह खाती ने कुछ दिन पूर्व अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था जिसे लोग जमकर लाइक और शेयर कर रहे हैं। उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘यह पेड़ मुश्किल हालात में आपकी प्यास बुझा सकता है। आप देख सकते हैं कि एक शख्स पेड़ के तने पर कट लगाता है, जहां से पानी की तेज धार निकलती है. इसके बाद लोग बारी-बारी से उस पानी को पीते हैं। ये पानी पीने लायक तो ही औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह वृक्ष दक्षिण भारत के जंगल में पाये जाते हैं। तमिलनाडु के जंगलों में ये ज्यादा पाये जाते हैं। बताया जाता है कि फॉरेस्टर और बायोलॉजिस्ट भी अब तक इसके पीछे की वजह तलाश नहीं सकें हैं। वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों को इस रहस्य मय बृक्ष की खूबियों का इल्म है। गर्मियों में जल संकट के समय आदिवासी इस बृक्ष के तने में प्राकृतिक रूप से संग्रहित जल से अपनी प्यास बुझाते हैं।

पानी के लिये तने पर कट लगाता आदिवासी। 

उल्लेखनीय है कि टर्मिनेलिया फैमिली के इस बृक्ष के लिये स्थानीय लोग साज,सदौरा,बारसाज, मर्द व मट्टी आदि नामों का भी उपयोग करते हैं। मगर की पीठ जैसी दिखने वाली इस अनूठे और रहस्यमयी बृक्ष की मोटी छाल के कारण इसे क्रोकोडायल बार्क ट्री के नाम से भी जाना जाता है। इस बृक्ष की पत्तियों को मवेशी बड़े चाव से खाते हैं तथा इसमें गोंद भी निकलता है। आदिवासी समुदाय के लोग इस बृक्ष को औषधीय गुणों से युक्त मानते हैं तथा इसकी पत्ती, छाल व पानी का उपयोग ओषधि के रूप में भी करते हैं। जानकारों के मुताबिक औषधीय गुणों वाले साज बृक्ष के तने से निकलने वाले पानी से पेट सम्बन्धी कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं। बृक्ष के तने पर थोड़ा सा कट लगते ही पेड़ से पानी निकलने लगता है, वो भी बिल्कुल नल की तरह, जिसे आप आसानी से पी सकते हैं।

धरती पर मनुष्य से ज्यादा पेड़ - पौधों का हक़  

इस धरती पर पेड़, पौधों और बनस्पतियों का वजूद लाखों वर्षों से है। मनुष्य धरती पर बहुत बाद में आया, फिर भी वह धरती पर सिर्फ अपना हक़ जता रहा है और उसी के अनुरूप व्यवहार भी करता है। जब कि सच्चाई यह है कि पेड़ - पौधे न हों तो धरती पर इंसान का अस्तित्व मिटते देर नहीं लगेगी। पेड़ हमें ऑक्सीजन देने के अलावा फल और तपती धूप में छांव देता है।  पेड़ के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्यास बुझाने के लिये हम जल का सीधे प्रयोग कर लेते हैं, जब कि जल से भोजन व ऑक्सीजन प्राप्त करने हेतु हमें पेड़ - पौधों की मदद लेनी होती है। इस तथ्य से सभी परिचित हैं कि पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं। उसी भोजन से चींटी से लेकर हाथी तक का पेट भरता है। पौधों में उपस्थित हरा पदार्थ यानि क्लोरोफिल या पर्णहरित सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर जल के अणु को तोड़ता है। जल के अणु के टूटने से बनी हाइड्रोजन से कार्बन डाइ ऑक्साइड का अपचयन होने से कार्बोहाइड्रेट बनते हैं। इस कार्बोहाइड्रेट के रुपांतरण से ही पौधों में विविध प्रकार के पदार्थ बनते हैं, जिनमें से कई को हम भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। पौधों में जल के अणु के टूटने से ऑक्सीजन भी बनती है। पौधे ऑक्सीजन को वायुमंडल में छोड़ देते हैं। वहीं ऑक्‍सीजन हमें जीवित रखती है। स्पष्ट है कि जल ही वह पदार्थ है जो हमारी भूख, प्यास मिटाने के साथ ही हमारे श्वांस को चलने देता है। पौधे बोलते नहीं, मगर पानी के महत्त्व को बहुत अच्छी तरह उजागर करते हैं। वे जल प्राप्त करने के लिये सभी प्रयास करते हैं, मगर पानी का दुरुपयोग नहीं करते। प्राप्त पानी को संभल-संभल कर खर्च करते हैं। पौधे पानी के महत्त्व को बहुत अच्छी तरह उजागर करते हैं। पानी को बरतने को लेकर पौधों में इतनी प्रवीणता उत्पन्न हो गई है कि हम पौधों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
वह वीडियो जो इन दिनों खूब शेयर किया जा रहा है -



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Sunday, July 5, 2020

समूचे प्रदेश में चमका पन्ना का हीरा

  •  मध्य प्रदेश शिक्षा मंडल 10वीं बोर्ड में चतुर कुमार ने अर्जित किया प्रथम स्थान
  •  साधारण कृषक के बेटे ने अपने स्कूल व जिले का किया नाम रोशन
  •  जिले के 5 बच्चों  का प्रदेश की प्रवीण्य सूची में  नाम दर्ज


गांव में अपने पिता के साथ छात्र चतुर कुमार त्रिपाठी। 

अरुण सिंह,पन्ना। प्रतिभा सुविधाओं का मोहताज नहीं होती, यह साबित किया है पन्ना जिले के छोटे से गांव बसई के होनहार छात्र चतुर कुमार त्रिपाठी ने, जिसने प्रदेश की प्रवीण्य सूची में प्रथम स्थान अर्जित किया है। साधारण कृषक रामानंद त्रिपाठी के पुत्र चतुर कुमार त्रिपाठी ने मध्य प्रदेश शिक्षा मंडल 10वीं बोर्ड परीक्षा में 400 में 400 अंक अर्जित कर अपने नाम को न सिर्फ चरितार्थ किया है अपितु परिवार व जिलावासियों को गर्व करने का अवसर भी दिया है। शासकीय हाई स्कूल बड़ागांव के इस प्रतिभाशाली छात्र ने अभावों और असुविधाओं के बीच रहकर भी आज जो मुकाम हासिल किया है उससे विद्यालय के साथ-साथ समूचे पन्ना जिले का नाम भी रोशन हुआ है। होनहार छात्र चतुर कुमार त्रिपाठी के अलावा  जिले के चार अन्य बच्चों ने प्रदेश की प्रवीण्य सूची में  नाम दर्ज करा कर जिले को गौरवान्वित किया है।

कलेक्टर ने सभी बच्चों को किया सम्मानित


प्रदेश की प्रवीण्य सूची में दर्ज जिले के बच्चों को सम्मानित करते कलेक्टर। 

हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में शामिल बच्चों में जिले के 5 बच्चों  ने प्रदेश की प्रवीण्य सूची में  नाम दर्ज करा कर जिले का नाम रोशन किया है। इनमें चतुर कुमार त्रिपाठी शासकीय हाई स्कूल बड़ागांव ने 400 में 400 अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान पर रहे । विनीत सिंह बागरी रैंबो पब्लिक स्कूल पन्ना ने 300 में 299 अंक प्राप्त कर तीसरे स्थान पर हैं ।वही यशवर्धन यादव एवं रामप्रकाश प्रजापति शासकीय मांडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अजयगढ़ ने 400 में 396 अंक प्राप्त कर सातवां स्थान प्राप्त किया है । विपुल कुमार जयसवाल रेंबो पब्लिक स्कूल पन्ना ने 300 में 296 अंक प्राप्त कर नौवां स्थान प्राप्त किया है। पन्ना कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा ने सभी छात्रों को सम्मानित करते हुए उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है । पुलिस अधीक्षक  मयंक अवस्थी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत  बाला गुरु के ने भी बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी, बच्चों के अभिभावक भी उपस्थित रहे।
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Saturday, July 4, 2020

पन्ना जिले में एक साथ मिले 11 कोरोना पॉजिटिव मरीज

  • जाँच बढ़ने के साथ ही संक्रमित मरीजों की संख्या में होने लगा इजाफा 
  • दो पुलिस कर्मी सहित बैंक कर्मचारी भी पाया गया कोरोना पॉजिटिव


जिले के अजयगढ़ में कन्टेन्मेंट क्षेत्र घोषित इलाके का द्रश्य। 

अरुणसिंह, पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अब तेजी से बढ़ने लगी है। शनिवार 4 जुलाई को एक साथ 11 पॉजिटिव मरीजों के मिलने से जिले में संक्रमितों की संख्या आधा सैकड़ा के पार पहुँच गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एल.के.तिवारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार अजयगढ तहसील के विश्रामगंज में दो कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। विश्रामगंज के तीन वाहन चालक भी कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। इनमें एक झारखण्ड से एवं दूसरा व्यक्ति गुजरात के अहमदाबाद से आया था। कान्टेनमेंट क्षेत्र में ड्यूटी करने वाले दो पुलिस कर्मी भी पॉजिटिव पाये गये हैं। यह पुलिस कर्मी स्क्रीनिंग कार्य में सहयोग कर रहे थे। नगर पंचायत अजयगढ के दो सफाई कर्मचारी पॉजिटिव पाये गये हैं। शाहनगर विकासखण्ड में एक बैंक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। यह कर्मचारी कटनी से प्रतिदिन शाहनगर अपडाउन करता था। इस प्रकार स्क्रीनिंग सेंटर में सहयोगी के रूप में कार्य करने वाला एक कर्मचारी भी पॉजिटिव पाया गया है। इन सभी कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों का स्वास्थ्य स्थिर है। जिन क्षेत्रों से यह व्यक्ति पाये गये हैं उन क्षेत्रों को चिन्हित कर कान्टेनमेंट एरिया घोषित कर दिया गया है। इन सभी के प्रथम सम्पर्क वाले व्यक्तियों की पहचान की कार्यवाही की जा रही हैै।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिले में 04 जुलाई को 11 पॉजिटिव सैम्पल पाये गये हैं, इनमें 10 सागर लैब एवं एक पन्ना लैब के हैं। आज दिनांक को 199 की जांच की जा चुकी है। अब तक 1347 सैम्पलों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। आज एक कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को डिस्चार्ज कर दिया गया है, इस तरह अब तक जिले में 33 व्यक्ति स्वस्थ हो चुके हैं। जिले में कुल 16 कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति का उपचार किया जा रहा है। इनमें 10 जिला अस्पताल के कोविड केयर सेंटर में तथा 6 लोगों का उपचार अजयगढ के कोविड केयर सेंटर में किया जा रहा है। जिले के कोविड केयर सेंटरों में संदिग्ध 52 व्यक्तियों को रखा गया है। आपने बताया कि जिले में 21 कान्टेन्मेंट क्षेत्र घोषित हैं। जिले में कुल होम क्वारेंटाइन 1552 व्यक्तियों को किया गया है।

अफवाह या भ्रामक जानकारी फैलाना अपराध : कलेक्टर

कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के संकट से सारी दुनिया के साथ हम सब भी जूझ रहे हैं। जिसके चलते जिले में धारा 144 लागू की गयी है। आम आदमी की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बहुत सारी छूट भी दी गयी है, जिसका लाभ सभी लोग उठा रहे हैं। सभी से अपेक्षा की जाती है कि दी गयी छूट का लाभ उठाएं किसी भी अफवाह या भ्रामक जानकारी को फैलने से रोकें। यह भ्रामक जानकारियां लोग स्वयं अथवा सोशल मीडिया, वाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर, इन्स्ट्राग्राम आदि माध्यमों से भी फैला सकते हैं। इनसे सावधान रहते हुए इसकी जानकारी तत्काल प्रशासनिक अमले अथवा पुलिस को दें। जिससे ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जा सके।

कोविड-19 रोकथाम के उपाय अपनाना अनिवार्य

कोविड-19 विश्व महामारी घोषित होने के साथ प्रदेश को कोविड-19 संक्रमित घोषित किया गया। उसी दिन से जिले में कोविड-19 रोकथाम के उपाय प्रभावी रूप से लागू किये गये हैं। कलेक्टर द्वारा जिले के लोगों से अपील की गयी है कि कोरोना वायरस संक्रमण रोकथाम के उपाय अनिवार्य रूप से अपनायें। उन्होंने कहा कि जिले की राजस्व सीमाओं के अन्तर्गत सभी सार्वजनिक स्थलों, कार्य स्थलों, परिवहन के दौरान फेस कव्हर पहनना अनिवार्य है। इसी प्रकार सार्वजनिक स्थलों पर व्यक्तियों के बीच 6 फिट की दूरी बनाए रखनी होगी। दुकानों में ग्राहकों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए एक साथ 05 से अधिक व्यक्तियों को अनुमति नही दी जायेगी। सार्वजनिक स्थलों पर इकट्ठा होना कोई भी आयोजन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। लोगों को बार-बार साबुन से हांथ धोना अनिवार्य है। सार्वजनिक स्थलों पर शराब, पान, गुटखा, तम्बाकू आदि सेवन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। कार्य स्थलों, सार्वजनिक स्थलों पर साफ सफाई की व्यवस्था, थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजर एवं हांथ धोने की व्यवस्था रखना अनिवार्य होगा।

सर्वे दल द्वारा पूछी जा रही जानकारी अवश्य बतायें 

जिले में एक जुलाई से किल कोरोना अभियान के तहत सर्वे का कार्य प्रारंभ हो गया है। जिले में सर्वे दलों द्वारा घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है। इस संबंध में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने जिले के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि आपके यहां जानकारी प्राप्त करने के लिए आने वाले सर्वे दलों को आवश्यक जानकारियां उपलब्ध करायें। आपके द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी स्वयं के साथ लोक कल्याण से जुडी हो। सार्वजनिक हित से जुडी जानकारी छिपाना दण्डनीय अपराध है। उन्होंने यह भी कहा है कि आपके आस पडोस, नगर में कोई भी प्रवासी व्यक्ति आता है तो उसकी जानकारी भी सर्वे दल को दें। इसके अलावा हेल्पलाईन नम्बर 9425383728 पर जानकारी देकर जिला प्रशासन का सहयोग करें।
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Friday, July 3, 2020

जंगलों से पोषित हैं भारत की अधिकांश नदियां

  • वनों के विनाश का परिणाम है मौजूदा जल संकट 
  • पानी की कमी असली समस्या है, जल-प्रदूषण नहीं




लोग नदियों के प्रदूषण के बारे में चिंतित हैं क्योंकि अमेरिका और यूरोप इसके बारे में बात करते हैं, लेकिन हमें सबसे अहम मुद्दे से नहीं चूकना चाहिए जिसका हमारी नदियां सामना कर रही हैं। नदियों में लगातार हो रही जल की कमी और उत्पन्न जल संकट पर सदगुरु का नजरिया अलहदा व विचारणीय है। आप भी जाने इस विषय पर वे क्या कहते हैं -
भारत में एक बड़ी समस्या यह है कि हर कोई सोचता है कि वह पर्यावरण विशेषज्ञ है, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे समाचर पत्र में एक लेख पढ़ लेते हैं या उन्होंने टेलिविज़न पर दो मिनट के लिए कुछ देखा है। अभी, हम प्रदूषण के बारे में चिंतित हैं क्योंकि अमेरिका और यूरोप प्रदूषण के बारे में बात कर रहे हैं। हमें यह बीमारी है कि जो कुछ भी अमेरिका या यूरोप में कहा जाता है, भारतीय उसे दोहराना चाहते हैं। यह फैशन हो गया है। इस देश में अंग्रेजी बोलने वाले लोगों के साथ यही एक बड़ी समस्या है। चाहे वह एक पत्रकार हो या एक तथाकथित पर्यावरण वैज्ञानिक हो, उन्हें एक सीधी बात समझाने में भी बहुत कठिनाई होती है, क्योंकि उनके दिमाग में हर समय यूरोप और अमेरिका नाचता है।
असली समस्या प्रदूषण नहीं है। हमें यह समझना चाहिए कि अगर नालों का पानी नदियों में जाना बंद हो जाता है, तो ज्यादातर नदियां नहीं बहेंगी। उदाहरण के लिए यमुना को ही लें। उसमें 90 प्रतिशत पानी नालों का है। अगर आप सारे नालों के पानी को रोक दें, तो कोई यमुना नहीं रहेगी। एक उष्णकटिबंध देश की वास्तविकताएं उस देश से बहुत अलग होती हैं, जिसकी जलवायु समशीतोष्ण है। हम जिस अक्षांश पर हैं, और हमारी जिस किस्म की जमीन है, यह बहुत अलग है। बुनियादी रूप से, हमें यह गलतफहमी है कि नदियां पानी का स्रोत हैं। नहीं। इस देश में नदी, तालाब, या झील पानी का स्रोत नहीं है। पानी का स्रोत सिर्फ एक हैय यह मानसून की बारिश है। नदियां, तालाब, झील और कुएं पानी का गंतव्य स्थान हैं, स्रोत नहीं।
हर साल मानसून की बारिश लगभग 3.6 से 4 लाख करोड़ टन पानी बादलों से गिराती है। जब यह एक हराभरा वर्षावन या उष्णकटिबंध वन था, तो हमने इस पानी के ज्यादातर हिस्से को भूजल के रूप में थामे रखा और इसे नदियों, तालाबों, झीलों में धीरे-धीरे रिसकर जाने दिया। तो नदियां बहती रहीं। पिछले सौ सालों में, इस उपमहाद्वीप पर मानसून में गिरने वाले पानी में कोई बहुत महत्वपूर्ण कमी नहीं आई है। लेकिन ज्यादातर नदियों में पानी औसतन 40 प्रतिशत कम हो गया है। कृष्णा 60 प्रतिशत से ज्यादा कम हो गई है। नर्मदा 55 प्रतिशत से ज्यादा कम हो गई है। गंगा 40 प्रतिशत से ज्यादा कम हो गई है।
हमें यह समझने की जरूरत है कि यूरोप की नदियां अधिकतर ग्लेश्यिर से निकलती हैं या उससे पोषित हैं, जबकि भारत की नदियां जंगलों से पोषित हैं। भारत की सिर्फ चार प्रतिशत नदियां ग्लेश्यिर से पोषित हैं, यह सिर्फ ऊपर उत्तर में है। उन ग्लेश्यिर से पोषित नदियों में से ज्यादातर पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती हैं। गंगा में सिर्फ थोड़ा सा पानी ग्लेशियर से आता है, बाकी सारी नदियां वन-पोषित हैं। गंगा की घाटी भारत के 26 प्रतिशत क्षेत्र में फैली हुई है और उसमें भारत की एक तिहाई खेती होती है। भारतीय रेल को बनाने में हमने उस पूरे क्षेत्र में वनस्पतियों को तहस-नहस कर दिया है। सत्तर सालों में हमने गंगा घाटी में 78 प्रतिशत वृक्ष-आच्छादन को गिरा दिया है, और आप उस नदी के बहने की आशा करते हैं? आप अब भी प्रदूषण की बात कर रहे हैं? अगर हम अपने मन में तय कर लें, तो हम दो-तीन साल में प्रदूषण को ठीक कर सकते हैं। यह कोई बड़ी बात नहीं है। अगर हम पैसों का निवेश करने को तैयार हैं, तो हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि पानी साफ हो। लेकिन जब एक नदी सूख जाती है तो इसे पुनर्जीवित करने में कई दशकों का प्रयास लगेगा। इसे इतनी आसानी से पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता। सिर्फ इसलिए कि हमने आज कुछ विचित्र करना तय किया है, तो नदी कल ही फिर से नहीं बहने लगेगी। लेकिन आप चाहे जिस भी तरह से इस बारे में बात करने की कोशिश करें, हर कोई प्रदूषण के बारे में बात करना चाहता है, क्योंकि शहरों के लोग प्रदूषण से पीड़ित हैं और सारे निवेश, बिजली, और गपशप की ताकत भी शहरी लोगों के हाथों में है। वैसे, अब, उन्होंने पानी की कमी के बारे में बात करना शुरू कर दिया है क्योंकि शहरों में पीने का पानी नहीं बचा है। हाल में नीति आयोग के द्वारा जारी की गई संयुक्त जल प्रबंधन सूचकांक ( CWMI )रिपोर्ट के अनुसार कई बड़े शहरों में 2020 तक कोई भूजल नहीं रहेगा, जिसमें दिल्ली, बैंगलूरु, चेन्नई, हैदराबाद शामिल हैंय इससे लगभग दस करोड़ लोग प्रभावित होंगे।
इस धरती पर कोई दूसरी आबादी पानी के लिए इतनी परेशान नहीं है जितनी भारत की आबादी। यहां पर दुनिया की आबादी के 17 प्रतिशत लोग हैं, जबकि दुनिया का लगभग सिर्फ 3.5 प्रतिशत जल संसाधन यहां उपलब्ध है। किसी भी समय पर, किसी भी आबादी को अपने भूजल संसाधन के 15 से 20 प्रतिशत से अधिक को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। लेकिन आज, हमारे इस्तेमाल का 80 प्रतिशत से अधिक पानी भूजल स्रोतों से आता है। उसके बावजूद, ज्यादातर शहर बारिश से डरते हैं और वे पुराना गाना ‘रेन रेन गो अवे’ गा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि बाढ़ आ जाएगी। वे नहीं जानते कि शहर में बाढ़ से कैसे निपटें, क्योंकि शहरों की संरचना बाढ़ से निपटने के लिए नहीं बनी है। अगर पानी बरसता है, और अगर पर्याप्त वनस्पति और पेड़-पौधे मौजूद हों, तो कोई जल भराव नहीं होगा। अगर हम 10,000 पेड़ लगाते हैं, तो लगभग 3.6 करोड़ लिटर भूजल जमा हो जाएगा। तो अब, कावेरी घाटी में, हमने कावेरी कॉलिंग के हिस्से के रूप में 242 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य बनाया है। अंततः नदी के बहने के लिए विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का लगाना जरूरी है। इससे पहले कि हम मर जाएं, हमें इसे कर दिखाना चाहिए।
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