Sunday, June 28, 2020

पन्ना की सबसे चहेती बाघिन पी-213 की मौत से उठे सवाल

  •  रेडियो कॉलर वाली बाघिन का सड़ी गली हालत में मिला कंकाल 
  •  10 वर्षीय इस बाघिन ने 6 बार दिया है शावकों को जन्म 
  •  पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने में इसका है अहम योगदान 
  •  संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से पार्क प्रबंधन में हड़कंप

                      ।। अरुण सिंह, पन्ना ।।

 
बाघिन पी-213 का सड़ चुका शव जो ट्रैकिंग दल को मिला।  

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे ज्यादा चर्चित और चहेती बाघिन पी- 213 की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से बाघों की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। पन्ना में बाघों के उजड़ चुके संसार को आबाद करने में अतुलनीय योगदान देने वाली इस बाघिन की अचानक मौत होने की खबर से पार्क प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। रेडियो कॉलर युक्त इस बाघिन के मृत शरीर का सड़ा गला अवशेष पन्ना कोर क्षेत्र के तालगांव सर्किल में रविवार की सुबह ट्रैकिंग दल को मिला है। रेडियो कॉलर वाली ब्रीडिंग टाइगर का इस तरह सड़ गल चुका अवशेष मिलने से बाघों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग सिस्टम के क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

बाघिन की मौत के इस सनसनीखेज मामले के संबंध में पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने जानकारी देते हुये बताया कि बाघिन पी- 213 का शव पन्ना कोर परिक्षेत्र के बीट महुआ मोड़ कक्ष क्रमांक पी 1345 में तालगांव से महुआमोड़ वनमार्ग पर बाघ अनुश्रवण दल को मिला है। मौके पर तहकीकात करने पर बाघिन के शव को घसीटने के निशान भी पाये गये हैं। उन्होंने बताया कि घसीटने के निशान का पीछा करने पर एक स्थान पर बाघों के आपसी मुटभेड़ के चिन्ह मिले हैं, जिससे प्रतीत होता है कि बाघिन की मृत्यु आपसी लड़ाई में हुई है। यदि इसे सच मान भी लिया जाय तब भी सवाल यह उठता है कि रेडियो कॉलर वाली बाघिन जिसकी चौबीसों घण्टे निगरानी होती है, उसका किसी बाघ से संघर्ष होने पर ट्रैकिंग दल को इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई ? बाघिन का शव सड़कर कंकाल में तब्दील हो गया फिर भी ट्रैकिंग दल घटना से अनजान बना रहा। क्या यह मॉनिटरिंग सिस्टम की असफलता या कहें घोर लापरवाही नहीं है ?  उल्लेखनीय है कि बाघिन पी-213 पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे ज्यादा चर्चित और चहेती बाघिन थी। तालगांव रेस्ट हाउस में आराम फरमाते हुए इस बाघिन की फोटो बीते माह सुर्खियों में रही है। स्वभाव से बेहद सीधी और पर्यटकों को सहजता से दिख जाने वाली यह बाघिन कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, इसलिए लोग इसे पन्ना की रानी कहकर पुकारते थे। पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद करने में अहम भूमिका निभाने वाली बाघिन पी- 213 बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत कान्हा से लाई गई बाघिन टी-2 की संतान है। बाघिन टी-2 ने अक्टूबर 2010 में इसी वन परिक्षेत्र में इसे जन्म दिया था। 

बाघिन की दो-तीन दिन पूर्व हो चुकी थी मौत

बाघिन पी- 213 की मौत का सबसे ज्यादा चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसकी मौत दो-तीन दिन पूर्व ही हो चुकी थी। लेकिन ट्रैकिंग दल सहित पन्ना टाइगर रिजर्व के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी भनक नहीं लग सकी। मालूम हो कि वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। उस समय यहां बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई। यह योजना बेहतर प्रबंधन और चुस्त मॉनिटरिंग सिस्टम के चलते कामयाबी की मिसाल कायम कर दी। मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र सहित बफर व टेरिटोरियल के जंगल में 60 से भी अधिक बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं। बाघों की यह संख्या पन्ना टाइगर रिजर्व के इतिहास में सर्वाधिक है। लेकिन अब इन बाघों की सुरक्षा पार्क प्रबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

 बाघिन की मौत से कैसे अनजान रहा ट्रैकिंग दल

 घटना के बाद सबसे अहम सवाल यह उठता है कि रेडियो कॉलर वाले बाघों की जब चौबीसों घंटे ट्रैकिंग दल द्वारा आधुनिक उपकरणों के माध्यम से निगरानी की जाती है तो फिर बाघिन की मौत होने पर ट्रैकिंग दल कैसे अनजान बना रहा ? दो-तीन दिन पूर्व 10 वर्षीय बाघिन की मौत हो जाती है और वन्य प्राणी उसके मृत शरीर को खाते व घसीटते हैं लेकिन ट्रैकिंग दल को इसकी भनक तक नहीं लग पाती। पूर्व क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति के समय यहां जो ट्रैकिंग सिस्टम था उसके मुताबिक रेडियो कॉलर वाले बाघ या बाघिन की रिपोर्ट ट्रैकिंग पार्टी से लेकर रेंजर, एसडीओ, डिप्टी डायरेक्टर व फील्ड डायरेक्टर तक को होती रही है। लेकिन मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व में किस तरह का ट्रैकिंग सिस्टम लागू है यह समझ से परे है।

बाघिन पी- 213 ने 6 बार दिया शावकों को जन्म 


नर बाघ पी-111 के साथ बाघिन पी-213 की फ़ाइल फोटो।   

पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे चहेती बाघिन पी- 213 ने अपने 10 वर्ष के जीवन काल में 6 मर्तबे शावकों को जन्म देकर पन्ना में बाघों के संसार को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमूमन यह बाघिन चार शावकों को जन्म देती रही है, जिनमें मादा शावकों की संख्या ज्यादा रही है। इस लिहाज से भी यह बाघिन पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी। इस बाघिन की बेटी पी- 213(22) चित्रकूट के जंगल में पहुंचकर वहां भी बाघों की नई आबादी को आबाद किया है। मौजूदा समय बाघिन पी- 213 के चार शावक हैं, जो 17 - 18 माह के हो चुके हैं और शिकार करने में दक्षता हासिल करने के बाद मां से अलग होकर स्वतंत्र रूप से विचरण करने लगे हैं।

मौत की वजह जानने भेजा गया सैंपल

 पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में माकूल सुरक्षा इंतजाम और चौबीसों घंटे ट्रैकिंग के बावजूद इस बाघिन की मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई अभी इसका पता नहीं चल सका है। मौके पर बाघिन के पाए गए अवशेषों का पोस्टमार्टम करने वाले वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि मौजूदा स्थिति में बाघिन की मौत का कारण नहीं बताया जा सकता। बाघिन के अवशेषों का सैंपल लेकर जांच हेतु सागर व जबलपुर भेजा जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने पर ही मृत्यु के कारण का खुलासा हो पायेगा।

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फैमली किसान बनाना अब वक्त का तकाजा

  • जैविक खेती को बढ़ावा देने वाले पद्मश्री बाबूलाल दाहिया का अनूठा सुझाव                        
  • फैमली किसान बनाने से जीवन में नहीं पड़ेगी फैमली डॉक्टर की जरूरत 


बिना रासायनिक खाद के जैविक पद्धति से उगाई गई फसल का द्रश्य। 


अरुण सिंह,पन्ना। जैविक खेती को बढ़ावा देने तथा परंपरागत देशी बीजों के संरक्षण हेतु अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले विंध्य क्षेत्र के कृषक पद्मश्री बाबूलाल दाहिया जी जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर केंद्रित अपने अनुभव साझा करते रहते हैं। अभी हाल ही में उन्होंने फैमली डाक्टर की तर्ज पर फेमली किसान बनाने का अनूठा सुझाव दिया है, जो निश्चित ही विचारणीय है। इस सम्बन्ध में उनका द्रष्टिकोण व सुझाव यहाँ पर यथावत प्रस्तुत है।
 यदि बिकसित मनुष्य को हम 1 करोड़ वर्ष का मान लें तो 99 लाख 90 हजार वर्ष वह बिना खेती का रहा। खेती और पशु पालन का इतिहास पिछले 10 हजार वर्ष के इधर का ही है। और ब्यवस्थित खेती तो मात्र 28 सौ वर्ष के आस पास से जब मनुष्य ने लौह अयस्क की खोज कर ली। क्योँकि पुरातत्व में जितने भी मनुष्य के
प्रागेतिहासिक काल के पुरावशेष हैं वह सब  नदियों के किनारे बसने के हैं। लौह की खोज के पहले वह मैदान में कुआँ नहीं खोद सकता था ? इसलिए नदियों के किनारे रहता और उन्हीं का पानी पीता था। इसमे भी कोई दूसरी राय नहीं कि जितने भी पालतू पशु हैं, जितने भी अनाज हैं, उन्हें जंगल से खोज कर लाने वाले हमारे कृषक पूर्वज ही हैं। और मजे की बात यह है कि उन पशुओ, उन अनाजो की एक भी पुरखे पुरखिने अब उस जंगल में नहीं हैं। इसलिए उनका बचाना भी जरूरी है।
पर जिन लोमड़ी ,लकड़बग्घा ,शियार  को उनने पालतू नहीं बनाया वह आज भी जंगल मे ही बिचरण करते हैं। और उन्हें आज भी कोई बैज्ञानिक पालतू नहीं बना सकता। पर मैदान में बसने और कुओं का पानी पीकर लौह अयस्क के उपयोग से न सिर्फ तरह तरह के उपकरण बने जिससे लघु उद्द्योग ब्यापार में तरक्की हुई ,बल्कि लकड़ी के हल में लौह फाल लग जाने के कारण खेती की भी उन्नत हुई और हमारी निर्भरता जंगल के फल, फूल, कन्द आदि के बजाय कृषि पर ही निर्भर हो गई। लेकिन आज हम जिस कृषि की बात करते हैं वह हमारे पुरखो की कृषि नहीं बल्कि 1966 के पश्चात आई हरित क्रांति की कृषि है।

यह ऐसी कृषि है जो देश की जीडीपी तो खूब बढ़ाती है ? क्यों कि एक साथ 7-8 प्रकार के अलग - अलग सेठों को खुशहाल करती है एवं हरा - भरा खेत देख सभी की तबियत मस्त कर देती है। किन्तु किसान के हिस्से में उसी अनुपात में लाभ आता है जितना डेयरी की 10-12 लीटर दूध देने वाली भैस  के पडेरु के हिस्से में दूध। लेकिन जो उपभोक्ता उस अनाज को खा रहे हैं दर असल वह खाने लायक बचा ही नहीं ?  क्यो कि उसमे क्रमिक विकास में रसायनिक खाद, कीट नाशक, नीदा नाशक, आदि कई तरह का जहर शामिल हो चुका है। जो सब्जियां खाते हैं उनमें यह सब रसायन तो पड़े ही हैं किन्तु हर हप्ते वह अलग से भी रसायन स्नान कर के आप के पास तक आती है।
मूंग को इस चित्र में देख ही रहे हैं कि उसके हरे भरे खेत को किस प्रकार रसायन से सुखाकर हारबेष्टिग योग बनाया जाता है ? अस्तु जरूरी है कि जिस तरह आप अपना फैमली डाक्टर बनाते हैं उस तरह एक फेमली किसान भी बनायें जो आप को रसायन रहित शुध्द अनाज और विशुद्ध सब्जी दे सके। यकीन मानिये यदि आप ने फैमली किसान बना लिया तो फिर फैमली डॉक्टर की जरूरत कम ही पड़ेगी। किन्तु फिर भी झूर शंख नही बजेगा। उसके लिए कुछ अतिरिक्त ब्यय करना पड़ेगा। क्यों कि आप के उस फैमली किसान के भी मुँह पेट है, बाल बच्चे हैं। हरित क्रांति आने के पहले हर कर्मचारी, हर उपभोक्ता अपनी आमदनी का 50 प्रतिशत भोजन में ही खर्च करता था। और तब हम कृषकों के पूर्वज उन्हें विशुद्ध अनाज सब्जियां देते थे। पर आज जब वह उपभोक्ता अपनी आमदनी के 5 प्रतिशत में ही काम चला रहा है तो हम कृषक उन्हें कितना रसायन युक्त दे रहे हैं ? सब कुछ सामने है। इसलिए बीच का रास्ता अपनायें और अपनी आमदनी का 15 प्रतिशत खर्च करें ? जिससे किसान भी खुश और वह भी खुश।
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Saturday, June 27, 2020

पन्ना जिले में बढ़कर 34 हुये कोरोना पॉजिटिव मरीज

  • शाहनगर के ग्राम कचौरी की महिला में कोरोना वायरस की हुई पुष्टि
  • अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की बैठक में कलेक्टर ने दी जानकारी 


अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की आयोजित जिला स्तरीय बैठक में जानकारी देते हुए कलेक्टर पन्ना। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। इन मरीजों में 26 मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। वर्तमान में 08 मरीज जिला हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती हैं उनका भी स्वास्थ्य ठीक है। उक्ताशय की जानकारी कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की आयोजित जिला स्तरीय बैठक में दी। उन्होंने बताया कि अभी तक जो भी कोरोना पॉजिटिव मरीज जिले में पाये गये हैं वे सभी प्रवासी हैं। विशेषकर दिल्ली से आने वाले लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। इन आने वाले प्रवासियों पर जिला प्रशासन द्वारा कडाई से निगरानी रखी जा रही है। जिसके कारण जिले में प्रवेश करने के साथ ही प्रवासियों की स्वास्थ्य जांच प्रारंभ कर दी जाती है। यदि कोई भी संदेहास्पद होता है तो उसे क्वारेंटाइन सेंटर में रखकर उसका सैम्पल लेकर परीक्षण किया जाता है। पॉजिटिव पाये जाने पर उसे कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि 27 जून को प्राप्त जांच रिपोर्ट में तहसील शाहनगर के ग्राम कचौरी की निवासी एक महिला उम्र 28 वर्ष में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। जिसके सभी प्राईमरी कॉन्टेक्ट हाई रिस्क व्यक्तियों को कोविड केयर सेंटर में आईसोलेट कर सैम्पल कलेक्ट कर जांच हेतु भेजे गये हैं। कोविड-19 पुष्ट केस के संबंधित क्षेत्र को कन्टेनमेंट जोन निर्धारित करने एवं संक्रमण के नियंत्रण हेतु आवश्यक कार्यवाही जिला प्रशासन के समन्वय से कार्यवाही की जा रही है। इसके साथ ही ब्लाक स्तरीय आरआरटी टीम द्वारा स्थल पर पहुंचकर स्क्रीनिंग, कॉन्टेक्ट हिस्ट्री, ट्रैवल हिस्ट्री एवं सैम्पलिंग की कार्यवाही की जा रही है।उन्होंने बताया कि आगामी 01 जुलाई से 15 जुलाई तक कोविड किल कार्यक्रम चलाया जाना है। इस कार्यक्रम के तहत शत प्रतिशत लोगों का सर्वे कर उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। इस कार्य के लिए 160 दल नियुक्त किये गये हैं। इन दलों के पास स्वास्थ्य जांच करने के उपकरण रहेंगे। जिससे वे प्रत्येक व्यक्ति का बुखार एवं आक्सीजन लेने की क्षमता की जांच आसानी से कर सकेंगे। पूर्व में किये गये सर्वे में सर्वे दल द्वारा व्यक्ति से पूछकर उसके स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी संकलित की जाती थी। अब सर्वे के दौरान मेडिकल दल द्वारा आवश्यक उपकरणों से स्वास्थ्य जांच की जायेगी। जो भी व्यक्ति कोरोना के लिए संदेहास्पद होगा उसे क्वारेंटाइन कर सैम्पल लिये जायेंगे। अब सैम्पलों की जांच जिला मुख्यालय में स्थापित ट्रू-नॉट यूनिट से की जाएगी। प्रतिदिन 40 नमूनों की जांच की जा सकेगी। कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि सर्वे करने वाले दलों को सहयोग प्रदान करें। सर्वे और जांच का कार्य पूर्ण हो जाने के उपरांत जिले में कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों की संभावनायें समाप्त हो जायेंगी।
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Wednesday, June 24, 2020

पन्ना जिले में बीते 24 घण्टे के दौरान मिले चार कोरोना पॉजिटिव मरीज

जिन इलाकों में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेते कलेक्टर साथ में अधिकारी। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में बीते 24 घण्टे के दौरान चार कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि पन्ना जिले में 23 जून को कोविड-19 के भेजे गये नमूनों के प्राप्त जांच रिपोर्ट में तहसील गुनौर के ग्राम गभौरा निवासी 48 वर्षीय व्यक्ति, अमानगंज वार्ड क्र-7 के निवासी 28 वर्षीय युवक एवं पन्ना शहर के पुलिस लाईन निवासी 32 वर्षीय व्यक्ति में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है एवं 24 जून को प्राप्त जांच रिपोर्ट में 01 व्यक्ति में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। इस प्रकार 24 घण्टों में पन्ना जिले में कुल 04 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाये जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि जिले में 24 जून को 189 व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार अब तक कुल 63868 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। आज शाम 4 बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 189 लोगों को होम क्वारेन्टाईन किया गया है। मौजूदा समय जिले में कुल 4966 व्यक्तियों को होम क्वारेन्टाईन में रखा गया है। अब तक 52743 व्यक्तियोें का होम कोरेन्टाईन पूर्ण किया गया। जिले में अब तक 984 नमूने लिए जा चुके हैं जिनमें 927 नमूने निगेटिव पाये गये हैं तथा 43 सैम्पल रिर्पाट अप्राप्त है,14 सेम्पल रिजेक्ट किये गये हैं। आपने बताया कि अब तक जिले में कोविड-19 के कुल 30 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। जिनमें से 22 मरीजों के उपचार उपरांत पूर्णतः स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने के उपरांत वर्तमान में कोविड-19 के एक्टिव पुष्ट केस की संख्या 08 है।

मरीजों के निवास स्थल कन्टेनमेंट क्षेत्र घोषित

 बीते 24 घण्टे के दौरान जिले में जो चार कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति पाये गये हैं उनके निवास स्थानों को कन्टेनमेंट क्षेत्र घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों में कर्फ्यू  की तरह कानून व्यवस्था लागू कर दी गयी है। क्षेत्र के लोगों से कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कहा है कि नियमों का कडाई से पालन करें। जिले की तहसील गुनौर के ग्राम गभौरा, अमानगंज के वार्ड क्र-07 तथा पन्ना नगर में पुलिस लाइन क्षेत्र में एक-एक कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति पाये गये हैं। इन क्षेत्रों को कन्टेनमेंट जोन घोषित किया गया तथा ये क्षेत्र पूरी तरह सील कर दिये गये हैं। इन क्षेत्रों से बाहर आना एवं अन्दर जाना पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है। क्षेत्र में प्रवेश के लिए प्रशासन से अनुमति प्राप्त करनी होगी। क्षेत्र के सभी निवासी अपने घरों में ही रहेंगे। घर से बाहर निकलकर कोई भी व्यक्ति नही घूमेगा। इन क्षेत्रों के सभी प्रतिष्ठान बंद कर दिये गये हैं। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रशासन द्वारा चिन्हित व्यक्ति द्वारा कराई जायेगी। क्षेत्र के निवासियों से अपेक्षा की गयी है कि वे कानून का कडाई से पालन करें। घबराए नहीं, कोरोना वायरस संक्रमण रोकने वाले उपायों को निरंतर अपनाते रहें। आपके पास पडोस में किसी भी व्यक्ति को सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ होने पर क्षेत्र में कार्य कर रही आशा, एएनएम व आंगनवाडी कार्यकर्ता को बतायें। उनके द्वारा क्षेत्र में भ्रमण कर रही आरआरटी टीम द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कर आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया जायेगा।

घबरायें नहीं सावधानी के साथ रहें: कलेक्टर

कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा ने जिले के आम आदमी, शासकीय सेवकों, जनप्रतिनिधियों से अपील करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस से घबरायें नहीं, पूरी सावधानी बरतें। आप सभी ने अभी तक पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। जिससे जिले में कोरोना वायरस का संक्रमण सामुदायिक स्तर पर नहीं हो सका। आगे आने वाले दिनों में भी सभी लोग इसी तरह पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे तो कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी तरह रोका जा सकता है। सभी लोग कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये बताये गये उपायों को अनिवार्य रूप से अपनायें। आपस में 6 फिट की दूरी बनाये रखें, मुंह एवं नाक में कपडा ढककर रखें, बार - बार हांथों को साबुन से धोयें, ऐसा करने से स्वयं और समाज के अन्य लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण से रोका जा सकता है।
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महिला के गले से सोने का मंगलसूत्र खींचने वाला आरोपी गिरफ्तार

  • नगरपालिका का सफाई कर्मचारी निकला चेन स्नेचिंग का आरोपी 
  • आरोपी सुबह -सुबह शहर की सडकों पर करता था सफाई का काम


घटना की जानकारी देते हुये पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी तथा पीछे नकाब पहने खड़ा आरोपी। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में चेन स्नेचिंग की घटना को अंजाम देने वाले आरोपी को पन्ना पुलिस ने आज गिरफ्तार किया है। चेन स्नेचिंग का आरोपी नगरपालिका पन्ना का सफाई कर्मचारी है जो प्रतिदिन सुबह शहर की सडकों पर सफाई का काम करता था। बीते रोज शहर के कटरा मोहल्ला निवासी महिला अपने पति के साथ सुबह 4.45 बजे मार्निंग वॉक पर गई थी, उसी समय  लगभग 5 बजे यूनियन बैंक के सामने मुंह बांधे हुये आरोपी महिला के पास से निकला और गले से सोने का मंगलसूत्र छीनकर पास वाली गली से भाग गया । फरियादिया की रिपोर्ट पर थाना कोतवाली में अप.क्र. 516ध्2020 धारा 392 भादवि का कायम किया गया।
पुलिस अधीक्षक पन्ना मयंक अवस्थी ने जानकारी देते हुये बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुये मैंने मौके पर पहुँचकर घटना स्थल का निरीक्षण किया और थाना प्रभारी कोतवाली को घटना स्थल के आसपास लगे सभी सी.सी.टी.व्ही. फुटेज खंगालने एवं  घटना स्थल के आस-पास रहने वाले नागरिको से पूँछताछ कर आरोपी को गिरफ्तार करने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। पुलिस द्वारा घटना के संबंध में आस-पास के लोगो से पूँछताछ की गई एवं संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों पर कडी नजर रखी जा रही थी, साथ ही घटना स्थल के आसपास के सी.सी.टी.व्ही.फुटेज खँगाले गये । सी.सी.टी.व्ही. फुटेज मे दिखने वाले सभी संदिग्धो से पूछताछ के दौरान एक व्यक्ति कुछ ज्यादा ही संदिग्ध अवस्था में दिखा जो घटना दिनांक के एक दिन पूर्व फरियादिया के आसपास देखा जा रहा था एवं घटना दिनांक को उसी कद काठी के व्यक्ति के द्वारा महिला के साथ चेन स्नेचिंग की घटना को अंजाम दिया गया।  जिसको आधार बनाकर  उस व्यक्ति के संबंध में आसपास के लोगो से पूँछताछ चल ही रही थी कि उसी दौरान मुखबिर द्वारा पुलिस को सूचना दी गई की उक्त हुलिया का व्यक्ति जिसका नाम कालू है वह बेनीसागर मोहल्ला में रहता है । उक्त सूचना प्राप्त होते ही पुलिस टीम द्वारा मुखबिर द्वारा बताये गये पते पर पहुँचकर जब कालू के संबंध में पूँछताछ कर रही थी तभी एक व्यक्ति पुलिस को देखकर भागने का प्रयास करने लगा। पुलिस टीम द्वारा तत्काल घेराबंदी कर उस व्यक्ति को पकडा गया जो कि नगर पालिका में अस्थाई तौर पर सफाई कर्मचारी है।  उक्त चेन स्नेचिंग की घटना के संबंध में पुलिस द्वारा सख्ती से पूँछताछ करने पर उसके द्वारा घटना को स्वयं के द्वारा कारित करना स्वीकार किया गया एवं छीने गये मंगल सूत्र को घर में छिपाकर रखना बताया।  पुलिस द्वारा कालू के घर जाकर  छिपाये गये मंगलसूत्र को जप्त किया जाकर कालू को पुलिस हिरासत में लिया गया। पुलिस अधीक्षक ने चेन स्नेचिंग की घटना को अंजाम देने वाले आरोपी को 48 घण्टे के भीतर गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को 10000 रूपये की ईनामी राशि से पुरस्कृत करने की घोषणा की है।
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Saturday, June 20, 2020

पेड़ - पौधे भी आपसे कुछ अपेक्षा रखते हैं ?

  • हमसे फल, फूल, छाया और ओषधि सब लें, लेकिन कम से कम इतना तो करें  

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आप के घरों के आस पास बगीचों, खेत या तलाब के मेड़ो आदि में आम, जामुन, नीम, महुआ, कैथा, बेल आदि कोई न कोई पेड़ अवश्य उगे होंगे, जो बारहो महीने आपको फल ,फूल ,हवा,छांव कुछ न कुछ देते रहते हैं। यह भी एक आश्चर्य है कि सभी पेड़ धरती में एक जैसे  उग कर बड़े होते हैं। वे सूर्य से रोशनी व बादलों से पानी भी एक जैसे ही ग्रहण करते हैं। पर फल, फूल अलग - अलग महीने में आते हैं। वे यह सब अपने लिए नहीं बल्कि  हमारे हित में ही ऐसा करते हैं।
 आज मनुष्य ने हर क्षेत्र में तरक्की कर प्रकृति को अपना गुलाम सा बना लिया है और सारी सुबिधा घर बैठे पा लेता है । पर हजारों साल पहले जब वह प्रकृति के समीप था तब इन पेड़ पौधों ने अलग अलग महीनों व अलग - अलग ऋतुओं में फल दे कर हमारे पूर्वजों का बड़ा उपकार किया है। इनके हमारे हित में किये गये संगठन को तो देखिये कि सावन मास में यदि आम जामुन फल दे रहे हैं तो भादो में कठजामुन ,अकोल्हा, क्वार - कातिक में कैथा ,सीताफल तो अगहन से फागुन तक बेर अमरूद  आदि फल देते हैं। उधर चौत, बैशाख  में यदि महुआ ,तेंदू  भोजन की आपूर्ति कर रहा है तो जेठ अषाढ़ में अचार आम  बेल आदि। इसी तरह कुछ पेडो में यदि चौत , बैसाख में पत्ते  आ जाते हैं तो कुछ में जेठ से भादो तक व कुछ पेड़ सदाबहार भी हैं। ताकि हमें बारहो महीने भोजन भी मिलता रहे और गर्मी में छाया व बरसात में हमारा पानी से बचाव भी होता रहे। जो कुछ नहीं दे रहे तो हवा और औषधि तो दे ही रहे हैं ? हमको इतनी सौगात देने के बाद  यह पेड़ पौधे हमसे भी कुछ अपेक्षा रखते हैं।

आम चाहता है कि आप मेरा फल तो खाइये पर मेरी सुरक्षा कवच लगी गुठली कहीं ऐसे स्थान में डाल दीजिए जहां मैं आसानी से उग कर दोबारा आप और आपकी  आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी बन सकूँ ? पीपल बरगद का कथन है क़ि चिड़ियों के बीट से उगने के कारण हमारे  पौधे आप के घर आंगन मुडेर में जम आते हैं तो आप हमें उखाड़ कर फेकने के बजाय किसी सड़क के किनारे या किसी तलाब की मेड में लगा सकते हैं। महुआ, नीम ,जामुन का कथन है कि हमारे बीज में तभी अंकुरण होता है जब पक कर झड़ने के बाद एक सप्ताह में पानी पड़ जाये। इसलिए हमारी गुठली को उस समय बाग बगीचे मैदानों में बिखेर दे जब पानी गिरने वाला हो। ताकि हम आराम से अंकुरित हो पेड़ बन जायें और हमारी छाया औषधि या फल आप को इसी तरह मिलते रहें। ऐसी ही कुछ अपने अनुरूप अपेक्षा कैथा ,बेल, अमरूद ,सीताफल ,करंज, अचार आदि तमाम पौधे भी करते हैं। अधिकांश पेड़ो में गर्मी में बीज बनता है। यदि उस बीज को हम एकत्र कर लें और गोबर मिट्टी को सान बीज के ऊपर उस मिट्टी का एक आवरण चढा कर गोली सी बना लें तो उस बीज को बोने में हमें सहूलियत होगी। क्यों कि यदि उस गोली को हम  जंगल मैदान बाग़ आदि में  कहीं भी बिखेर देंगे  तो वर्षा होते ही बीज मिटटी से खुराख लेकर आसानी से उग आयेगा और आराम से उसकी जड़े धरती को पकड़ लेंगी।
@बाबूलाल दाहिया 
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Thursday, June 18, 2020

पन्ना जिले के अजयगढ़ में भी मिले दो कोरोना पॉजिटिव

  •  जिले अब कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या हुई 25 
  •  अब तक 21 मरीज हो चुके हैं ठीक, चार मरीज भर्ती  


जिला चिकित्सालय के कोविड हेल्थ केयर सेंटर में दिशा निर्देश देते कलेक्टर कर्मवीर शर्मा। 

अरुण सिंह, पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है। देवेंद्रनगर के बाद जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड मुख्यालय में गुरुवार को आज दो कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। संतोष की बात यह है कि लगातार यहाँ कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बावजूद तेजी से संक्रमित मरीज ठीक भी हो रहे हैं। अब तक जिले में कोविड-19 के 21 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित नोबल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में निरंतर कार्यवाही जारी है। इनमें विदेश से आए 08 लोगों को पूर्व से ही कम्युलेटिव किया गया था। इन सभी यात्रियों का होम कोरेन्टाईन पूर्ण हो चुका हैै। जिले में 18 जून को 263 व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार कुल 62489 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। जिले में अब तक 62489 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि आज दिनांक को शाम 4 बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 263 लोगों को होम क्वारेन्टाईन किया गया है। अब तक जिले में कुल 5592 व्यक्तियों को होम क्वारेन्टाईन में रखा गया है। जबकि अब तक 51086 व्यक्तियोें का होम कोरेन्टाईन पूर्ण हो चुका है। डॉ. तिवारी ने बताया कि अब तक 800 नमूने लिए जा चुके हैं जिनमें 737 नमूने निगेटिव पाये गये हैं तथा 52 सैम्पल रिर्पाट अप्राप्त है। अब तक जिले में कोविड-19 के कुल 25 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। 04 पॉजिटिव व्यक्ति जिला चिकित्सालय में स्थापित आइसोलेशन सेंटर में भर्ती हैं। कुल मरीजों में 21 पॉजिटिव मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। वर्तमान में जिला चिकित्सालय के कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती मरीज भी स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि 18 जून को कोविड-19 के भेजे गये नमूनों में से 12 सैम्पलों की रिपोर्ट प्राप्त हुई है जिसमें विकासखण्ड अजयगढ के वार्ड क्रमांक 14 एवं वार्ड क्रमांक 01 निवासी 50 वर्षीय एवं 18 वर्षीय युवक में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। दोनों कोविड-19 पुष्ट केसों के संबंधित क्षेत्र को कन्टेनमेंट जोन निर्धारित करने एवं संक्रमण के नियंत्रण हेतु आवश्यक कार्यवाही जिला प्रशासन के समन्वय से की जा रही है। इसके साथ ही ब्लाक स्तरीय एवं जिला स्तरीय आरआरटी टीम द्वारा भी स्थल पर पहुंचकर स्क्रीनिंग, कॉन्टेक्ट हिस्ट्री, ट्रैवल हिस्ट्री एवं सैम्पलिंग की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले में अब  21 मरीजों के उपचार उपरांत पूर्णतः स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने के उपरांत वर्तमान में कोविड-19 एक्टिव पुष्ट केस की संख्या 04 है।

कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने किया अजयगढ़ के कंटेनमेंट क्षेत्रों का भ्रमण



अजयगढ़ तहसील मुख्यालय मे दो कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों के पाए जाने पर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा एवं पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी द्वारा क्षेत्र का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जाएजा लेने के साथ संबंधितों को आवश्यक निर्देश दिए । उन्होंने  कोविड-19 केयर सेंटर पहुंच कर वहां की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सेंटर में नियुक्त अधिकारी कर्मचारियों को सभी व्यवस्थाएं ठीक ढंग से रखने के निर्देश दिए। इन दोनों व्यक्तियों के निवास स्थल माधवगंज एवं लक्कड़ खाना क्षेत्र को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर सील कर दिया गया है । इन क्षेत्रों में कर्फ्यू के समान कानून व्यवस्था लागू  हो गई है। इन दोनों क्षेत्रों में न तो कोई व्यक्ति बाहर निकलेगा और न ही अंदर प्रवेश करेगा। सील किए गए क्षेत्र मे रहने वाले परिवार घरों से बाहर नहीं निकलेंगे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए प्रशासन द्वारा नियुक्त व्यक्ति ही सामग्री प्रदाय करेगा। दोनों कंटेनमेंट क्षेत्रों में दवा का छिड़काव कर सेनीटाइज किया गया है। कलेक्टर द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि दोनों क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों का ध्यान रखा जाए। दोनों कंटेनमेंट क्षेत्रों के सर्वे की कार्रवाई आज ही पूर्ण कर ली जाए । पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए की व्यवस्थाओं का कड़ाई से पालन कराया जाए।
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Tuesday, June 16, 2020

पन्ना जिले के देवेंद्रनगर में एक युवक निकला कोरोना पॉजिटिव

  • जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 23 हुई 
  • अब तक 21 पॉजिटिव मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर जा चुके हैं घर 

कोरोना संक्रमित मरीज पाये जाने के बाद कंटेनमेंट क्षेत्र का जायजा लेते कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक । 

अरुण सिंह,पन्ना। जिले में फिर एक कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला है। इस सम्बन्ध में मिली अधिकृत जानकारी के अनुसार देवेन्द्रनगर के एक 28 वर्षीय युवक में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। कोरोना पॉजिटिव पाया गया संक्रमित युवक विगत 13 जून को नोएडा उत्तर प्रदेश से अपने घर वापस लौटा था।  इस नये मामले के सामने आने के बाद जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 23 हो गई है। कुल मरीजों में 21 पॉजिटिव मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। मौजूदा समय 2 पॉजिटिव व्यक्ति जिला चिकित्सालय में स्थापित आइसोलेशन सेंटर में भर्ती हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित नोबल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में निरंतर कार्यवाही जारी है। इनमें विदेश से आए 08 लोगों को पूर्व से ही कम्युलेटिव किया गया था। इन सभी यात्रियों का होम कोरेन्टाईन पूर्ण हो चुका हैै। जिले में 16 जून को 314 व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार कुल 61846 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। जिले में अब तक 61846 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि इनमें आज शाम 4 बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 314 लोगों को होम क्वारेन्टाईन किया गया है। जिले में कुल 5538 व्यक्तियों को होम क्वारेन्टाईन में रखा गया है। अब तक 50497 व्यक्तियोें का होम कोरेन्टाईन पूर्ण किया गया। उन्होंने बताया कि  अब तक 720 नमूने लिए जा चुके हैं तथा 688 नमूने निगेटिव पाये गये हैं, 23 सैम्पल रिर्पाट अप्राप्त है एवं 09 सेम्पल रिजेक्ट किये गये। अब तक जिले में कोविड-19 के कुल 23 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। 02 पॉजिटिव व्यक्ति जिला चिकित्सालय में स्थापित आइसोलेशन सेंटर में भर्ती हैं।  वर्तमान में जिला चिकित्सालय के कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती मरीज भी स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि 16 जून को  21 सैम्पलों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें देवेन्द्रनगर मुख्यालय अन्तर्गत एक 28 वर्षीय युवक में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। कोविड-19 पुष्ट केस के संबंधित क्षेत्र को कन्टेनमेंट जोन निर्धारित करने एवं संक्रमण के नियंत्रण हेतु आवश्यक कार्यवाही जिला प्रशासन के समन्वय से की जा रही है। इसके साथ ही ब्लाक स्तरीय एवं जिला स्तरीय आरआरटी टीम द्वारा भी स्थल पर पहुंचकर स्क्रीनिंग, कॉन्टेक्ट हिस्ट्री, ट्रैवल हिस्ट्री एवं सैम्पलिंग की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले में अब तक कोविड-19 के कुल 23 पुष्ट मरीज पाए जा चुके हैं जिनमें से 21 मरीजों के उपचार से पूर्णतः स्वस्थ होने के उपरांत अस्पताल से डिस्चार्ज कर होम आईसोलेट कर दिया गया। वर्तमान में कोविड-19 पुष्ट केस की संख्या 02 है।

कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने किया कंटेनमेंट क्षेत्र का निरीक्षण

गुनौर एवं देवेंद्रनगर तहसील में एक - एक कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति पाये जाने पर उनके निवास स्थल वाले क्षेत्रों को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर क्षेत्र को चारों तरफ से पूरी तरह सील किया गया है। गुनौर के सिली एवं देवेंद्रनगर के  वार्ड क्रमांक एक सलेहा रोड कंटेनमेंट क्षेत्र में कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा एवं पुलिस अधीक्षक  मयंक अवस्थी द्वारा संबंधित अधिकारियों के साथ भ्रमण किया गया।  भ्रमण के दौरान की गई व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए कलेक्टर ने टीम को निर्देश दिए की दोनों पॉजिटिव व्यक्तियों के प्रथम संपर्क एवं द्वितीय संपर्क वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर आवश्यक कार्यवाही करें। जिन व्यक्तियों के सैंपल लिया जाना है उनके सैंपल लिये  जायें। इन दोनों क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करें।इन दोनों पॉजिटिव व्यक्तियों को जिला कोविड-19  हेल्थ केयर सेंटर मे भर्ती कराने के साथ दोनों का उपचार प्रारंभ कर दिया गया है। दोनों कंटेनमेंट क्षेत्रों में आवाजाही पूर्णता प्रतिबंधित कर दी गई है ,यहां कर्फ्यू जैसी कानून व्यवस्था लागू की गई है।
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Monday, June 15, 2020

बाहर से आने वाले हर प्रवासी की हो रही है निगरानी

  • गुनौर के कोरोना पॉजिटिव  क्षेत्र कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित
  • कंटेनमेंट क्षेत्र में न कोई प्रवेश करेगा न बाहर जायेगा 



कंटेनमेंट घोषित क्षेत्र को सेनेटाइज्ड करने के साथ  उसे सील किये जाने का द्रश्य। 

अरुण सिंह,पन्ना। कोरोना मुक्त जिला घोषित किये होने पर लोग अपनी ख़ुशी का इजहार कर ही रहे थे कि दिल्ली से पन्ना पहुंचे एक प्रवासी मजदूर के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आ गई। लैब से कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट प्राप्त होते ही संबंधित को जिला मुख्यालय के कोविड हेल्थ केयर सेंटर लाया गया। संबंधित क्षेत्र को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर पूरे क्षेत्र को सेनेटाइज्ड करने के साथ सील कर दिया गया है। अब इस क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति न तो प्रवेश पाएगा और न ही कोई भी व्यक्ति इस क्षेत्र से बाहर जाएगा। क्षेत्र के लोगों को आवश्यक सामग्री की पूर्ति प्रशासन द्वारा नियुक्त किए गए व्यक्तियों द्वारा की जाएगी। कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मिलते ही जिला मुख्यालय से जिला स्तरीय आरआरटी टीम द्वारा स्थल पर पहुंचकर नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की कन्टेक्ट हिस्ट्री, टेवल्स हिस्ट्री, स्क्रीनिंग करने के साथ सेम्पलिंग की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी है।
प्राप्त अधिकृत जानकारी के अनुसार  जिले में 15 जून को 691 व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार कुल 61532 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। जिले में अब तक 61532 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें आज शाम 4 बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 691 लोगों को होम क्वारेन्टाईन किया गया है। अब तक 684 नमूने लिए जा चुके हैं तथा 667 नमूने निगेटिव पाए गए हैं तथा 10 सैम्पल रिर्पाट अप्राप्त है एवं 07 सेम्पल रिजेक्ट किए गये। अब तक जिले में कोविड-19 के कुल 22 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। 01 पॉजिटिव व्यक्ति जिला चिकित्सालय में स्थापित आइसोलेशन सेंटर में भर्ती है। कुल मरीजों में 21 पॉजिटिव मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। वर्तमान में जिला चिकित्सालय के कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती मरीज भी स्वस्थ हैं।

भ्रामक जानकारी फैलाने वालों पर होगी कार्यवाही

प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए जिले की राजस्व सीमाओं के अन्तर्गत धारा 144 प्रभावशील हैै। इस दौरान किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी तरह की अफवाह, भ्रामक जानकारी का प्रचार-प्रचार इलेक्ट्रानिक, मुद्रित अथवा स्वतः के द्वारा फैलाई जाती है उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने जिले के नागरिकों से अपील करते हुए कहा है कि किसी भी अफवाह या भ्रामक जानकारी से घबरायें नहीं। इस तरह की जानकारियों को आगे अन्य लोगों तक न पहुंचायें।  इसी प्रकार उन्होंने इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया, सोशल नेटवर्किंग, बेव मीडिया, ट्यूटर, आदि के संचालकों एवं ग्रुप संचालकों से अपेक्षा की है कि किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी या अफवाह का प्रचार-प्रसार न करें। यदि उनके पास इस तरह की जानकारी प्राप्त होती है तो उसे आगे न बढाते हुए जिला प्रशासनध्पुलिस प्रशासन को जानकारी दें। जिससे जिले में कानून व्यवस्था एवं लोक शांति स्थापित रहने के साथ संबंधित के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जा सके।

कार्यालय प्रमुखों को कलेक्टर ने दिये निर्देश

जिले के समस्त कार्यालय प्रमुखों को कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा निर्देश दिये गये हैं कि कार्यालयों में कोविड-19 के संचरण को रोकने के आवश्यक उपाय अनिवार्य रूप से अपनायें। कोविड-19 संचरण संबंधी रोकथाम के उपायों का कार्यालयों में प्रदर्शन भी किया जाये। उन्होंने कहा कि कार्यालय में 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों, डायबिटीज, हायपरटेंशन, हृदय से संबंधी बीमारी एवं अन्य संचारी रोग से लक्षित व्यक्ति, गर्भवती महिलाओं को अतिआवश्यक कार्य छोडकर अन्य कार्य घर पर ही करने की सलाह दी जाये। कार्य स्थल पर दो व्यक्तियों के बीच 6 फिट की दूरी बनाये रखें। कार्य स्थल पर थूकना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।  कार्यालय में प्रवेश के पूर्व अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा हैण्ड सेनेटाईजर व सभी थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य रूप से की जाये। कार्यालयों में केवल वे ही व्यक्ति प्रवेश करेंगे जिन्हें कोविड-19 का कोई लक्षण उत्पन्न नहीं हुआ है। जिन क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है वहां निवास करने वाले व्यक्ति कार्यालय का कार्य घर से ही करेंगे। वाहन चालक फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए सेवाएं देंगे। वाहन को एक प्रतिशत सोडियम हायपोक्लोराईट के घोल से विसंक्रमित किया जाये। सभी व्यक्तियों द्वारा मास्क का उपयोग किया जाये।
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Sunday, June 14, 2020

कोरोना मुक्त हुआ पन्ना जिला, सभी 21 पॉजिटिव मरीजों की छुट्टी

एकलौती बची कोरोना पॉजिटिव मरीज के ठीक होने पर उसे पुष्प गुच्छ भेंटकर विदा करते चिकित्सक। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना जिला रविवार 14 जून को कोरोना पॉजिटिव मरीजों से मुक्त हो गया है अब जिले में एक भी पॉजिटिव मरीज नहीं है। यह खुशखबरी देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल. के. तिवारी ने बताया कि प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों से पन्ना पहुंचे लगभग 60000 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी, जिनमें से 660 लोगों के सैंपल जांच हेतु भेजे गए थे। इनमें 21 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले थे। इन सभी पॉजिटिव मरीजों का पन्ना जिला चिकित्सालय के कोबिड केयर सेंटर में इलाज हुआ और सभी पॉजिटिव मरीज पूर्ण स्वस्थ होकर घर चले गए हैं। एकमात्र पॉजिटिव मरीज की नेगेटिव रिपोर्ट आने व पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर आज उसकी भी छुट्टी कर दी गई है। इस तरह से अब जिले में मौजूदा समय एक भी एक्टिव मरीज नहीं है। उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले में पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज 2 मई को मिला था जो महाराष्ट्र के धरावी से पन्ना आया था। उसके बाद पॉजिटिव मरीज कुछ दिनों के अंतराल में निरंतर मिलते रहे और देखते ही देखते पॉजिटिव मरीजों की संख्या 21 तक जा पहुंची। यहां तक कि जिला चिकित्सालय पन्ना की एक नर्स भी कोरोना से संक्रमित पाई गई। लेकिन जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की प्रभावी रणनीति व चिकित्सक दल के अथक प्रयासों से कोरोना संक्रमण की चौन को खत्म करने में सफलता मिली। जो पॉजिटिव मरीज जिले में पाए गए उनका बेहतर ढंग से इलाज हुआ, फलस्वरुप शत-प्रतिशत मरीज स्वस्थ होकर अपने घर वापस चले गये। अंतिम बचे कोरोना पॉजिटिव मरीज के स्वस्थ होने पर आज पुष्प वर्षा के साथ उसकी सम्मानजनक ढंग से विदाई की गई। सीएमएचओ डॉ. तिवारी ने जिला प्रशासन व चिकित्सक स्टाफ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सभी का योगदान अतुलनीय था। उन्होंने जिलावासियों से अनुरोध किया है कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाएं तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। डॉक्टर तिवारी ने कहा कि 6 फीट की दूरी बनाकर रखें तथा साबुन से हाथ धोते रहें। सतर्कता व नियमों का पालन ही कोरोना से बचाव का सर्वोत्तम तरीका है।
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Saturday, June 13, 2020

कोरोना संक्रमण के बीच आखिर क्यों खोले जा रहे टाइगर रिजर्व ?

पन्ना टाइगर रिज़र्व का मंडला स्थित प्रवेश द्वार। 

अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना सहित प्रदेश के सभी टाइगर रिज़र्व 15 से 30 जून तक पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुलने जा रहे हैं। कोविड-19 कोरोना संक्रमण से वन्य प्राणियों को बचाने के लिए मार्च में ही सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के भ्रमण हेतु बंद कर दिए गए थे। लंबे लॉकडाउन के दौरान पर्यटकों की धमाचौकड़ी थमने से वन्य प्राणियों ने जहां राहत की सांस ली थी, वहीं मानवीय हस्तक्षेप खत्म होने से वे स्वच्छन्द रूप से अपना नैसर्गिक जीवन जीने लगे थे। लेकिन तकरीबन ढाई माह तक चले इस लंबे लॉकडाउन के बाद अचानक सरकार ने 15 जून से टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के सभी कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना व सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रवेश द्वार पर्यटकों के भ्रमण हेतु खोलने का निर्णय लिया है जो आश्चर्यजनक है।
 यहां  विचारणीय बात यह है कि ढाई माह पूर्व 20-25 मार्च के आसपास टाइगर रिजर्व पर्यटकों के भ्रमण हेतु क्यों बंद कर दिए गए थे ? क्या अब वन्य प्राणियों में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा नहीं है ? जबकि कोरोना महामारी को द्रष्टिगत रखते हुये ही टाइगर रिज़र्व इसलिये बंद किये गये थे ताकि वन्यप्राणी विशेषकर बाघ संक्रमण से बचे रहें। लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिये बंद करने का फैसला इसलिये लिया गया था क्योकि अमेरिका के एक चिड़ियाघर में कोरोना से एक बाघ संक्रमित पाया गया था। उस समय अपने देश व प्रदेश में गिनती के ही कोरोना पॉजिटिव केस थे, इसके बावजूद सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिये बंद करने का निर्णय लिया गया। पहले की तुलना में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या अब बहुत अधिक यानि लाखों में है जो निरंतर बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में पर्यटकों के भ्रमण हेतु टाइगर रिजर्व को खोलना कहां तक उचित है ? ऐसा करना आखिर किसके हित में है तथा ऐसी कौन सी इमरजेंसी है कि गिनती के कुछ दिनों हेतु महीनों से सुरक्षित और आइसोलेट टाइगर रिजर्व तथा वहां विचरण करने वाले वन्य प्राणियों को खतरे में डाला जा रहा है। सामान्य दिनों में भी बारिश के समय 15 जून से सभी टाइगर रिजर्व बंद हो जाते हैं, यदि बारिश नहीं हुई तभी 15 जून के बाद अधिकतम 30 जून तक पर्यटन होता है। ऐसी स्थिति में महज कुछ दिनों के लिए पर्यटन शुरू कर आखिर जंगल के खुशनुमा माहौल व वन्य प्राणियों की जिंदगी व शांति में खलल क्यों पैदा की जा रही है ? यदि इस दौरान वन्य प्राणियों में संक्रमण फैला तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा ?
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Tuesday, June 9, 2020

बफर क्षेत्र के विकास से ग्रामीणों को मिलेगा लाभ : बृजेंद्र प्रताप सिंह

  •  अकोला बफर की संरक्षण गतिविधियों को पन्ना विधायक ने सराहा 
  •  जंगल का भ्रमण कर नवनिर्मित पेट्रोलिंग कैंप का किया लोकार्पण


पेट्रोलिंग कैम्प के लोकार्पण अवसर पर विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह साथ में क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया व अन्य। 

अरुण सिंह, पन्ना।  पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में बिगड़े वनों के सुधार व संरक्षण के लिए शुरू की गई गतिविधियां सराहनीय हैं। इन क्षेत्रों में वन व वन्य प्राणियों का संरक्षण होने तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलने से इसका लाभ ग्रामवासियों को भी मिलेगा। यह बात पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने अकोला बफर क्षेत्र में नवनिर्मित पेट्रोलिंग कैंप के लोकार्पण अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि अकोला बफर के जंगल को देखकर उन्हें अत्यधिक प्रसन्नता हुई, यहां वनों के सुधार और संरक्षण हेतु जिस तरह के अभिनव प्रयास हुए हैं उसकी जितनी भी सराहना की जाए वह कम है। इस तरह के प्रयास अन्य दूसरे वन क्षेत्रों में भी होना चाहिए।
 उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना के निकट स्थित पन्ना बफर यह जंगल अवैध कटाई व मवेशियों की धमाचौकड़ी के कारण पूरी तरह से उजड़ गया था।इस उजड़े हुए क्षेत्र को फिर से हरा-भरा और वन्य प्राणियों के रहवास हेतु अनुकूल बनाने की पहल डेढ़ वर्ष पूर्व जनवरी 2019 में क्षेत्र संचालक के.एस. भदोरिया द्वारा की गई। उस समय किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि उजड़ा हुआ यह वन क्षेत्र इतनी जल्दी न सिर्फ हरा - भरा हो जाएगा बल्कि इस इलाके में वन्य प्राणी भी निर्भय होकर विचरण करने लगेंगे। डेढ़ वर्ष पूर्व शुरू की गई पहल के जो परिणाम अब दिखाई दे रहे हैं उसे देखकर लोग हैरत में हैं। इससे यह साबित होता है यदि जंगल की थोड़ी भी देखरेख की जाए और अवैध कटाई रोक दी जाए तो प्रकृति शीघ्रता से उजड़े हुए क्षेत्र को सजा संवार कर फिर से हरा भरा कर देती है। पन्ना वन परिक्षेत्र का अकोला बफर इसका जीता-जागता उदाहरण है।


बराछ पेट्रोलिंग कैम्प का लोकार्पण करते हुये  विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह। 

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के.एस. भदोरिया, उपसंचालक जरांडे ईश्वर रामहरि के साथ पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह, पर्यावरण प्रेमी हनुमंत सिंह रजऊ राजा, सुनील गुरु व भाजपा नेता विनोद तिवारी ने सोमवार को सायं अकोला बफर के जंगल का भ्रमण किया। यहां के प्राकृतिक मनोरम स्थलों व जंगल में आये निखार को देख विधायक श्री सिंह सहित अन्य सभी लोग मंत्रमुग्ध हो गये। विधायक श्री सिंह ने क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया से कहा कि वन व पर्यावरण संरक्षण के कार्य में ग्रामीणों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए ताकि उनका जंगल से न सिर्फ जुड़ाव हो बल्कि उन्हें लाभ भी मिले। विधायक जी ने यह भी कहा कि ग्रामीणों की फसलों का नुकसान न हो इस दिशा में भी रणनीति बनाई जानी चाहिए तथा क्षति होने पर शीघ्रता से उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। इस संबंध में क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने शासन के प्रावधानों और नियमों के संबंध में विधायक जी को अवगत कराया। श्री भदौरिया ने बताया कि मवेशियों का शिकार होने के मामलों में पीड़ित व्यक्ति को त्वरित रूप से एक सप्ताह में मुआवजा प्रदान कर दिया जाता है।

पेट्रोलिंग कैंप का विधायक ने किया अवलोकन 


नवनिर्मित पेट्रोलिंग कैम्प का लोकार्पण करने के बाद विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने भवन का अवलोकन किया। उन्हें बताया गया कि यह स्थाई कैम्प साढे़ पांच लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है। कम लागत में इतना अच्छा पेट्रोलिंग कैम्प का निर्माण कराये जाने पर विधायक ने प्रसन्नता जताई। उन्होंने मौके पर मौजूद ईको विकास समिति अकोला, बराछ और डोभा के पदाधिकारियों से भी चर्चा की। समिति के सदस्यों ने बताया कि अब यहां के जंगल में अवैध कटाई और शिकार के मामले नहीं होते। ग्रामवासी जंगल की अहमियत को समझने लगे हैं तथा संरक्षण गतिविधियों में सहयोग भी कर रहे हैं। अकोला बफर के जंगल को फिर से हरा-भरा बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले वन परिक्षेत्र अधिकारी लालबाबू तिवारी ने ग्रामवासियों से मिल रहे सहयोग व संरक्षण में उनकी भागीदारी से विधायक जी को अवगत कराया।

 अब यहां बाघ परिवार का रहता है बसेरा 


पहाड़ी की चट्टानों में बने प्राचीन शैल  का अवलोकन करते हुये। 

पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण अनेकों बाघ आसपास के क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। अकोला बफर का यह जंगल मौजूदा समय बाघों का पसंदीदा स्थल बन चुका है। यहां करधई का शानदार जंगल तथा प्राकृतिक नालों में अविरल बहने वाली जलधार शाकाहारी वन्य जीवों के साथ - साथ शिकारी वन्य प्राणियों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। मौजूदा समय इस बफर क्षेत्र के जंगल में अपने तीन शावकों के साथ बाघिन व एक नर बाघ डेरा डाले हुए है। इस बाघ परिवार ने तो इस जंगल को ही अपना रहवास बना लिया है। सोमवार को विधायक श्री सिंह जब पेट्रोलिंग कैम्प का लोकार्पण करने पहुंचे, उस समय बाघ ने किसी मवेशी का शिकार किया था। घना जंगल होने के कारण बाघ के दीदार तो नहीं हुए लेकिन शावकों के साथ बाघिन और बाघ की मौजूदगी वहीं किल आस-पास होने के संकेत मिल रहे थे।
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Sunday, June 7, 2020

कोरोना मुक्त होने की दिशा में अग्रसर हुआ पन्ना जिला

  • कुल 20 पॉजिटिव मरीजों में से 15 मरीजों के स्वस्थ होने पर हुई छुट्टी
  • कोरोना मुक्त हुये लोगों का गुलदस्ता भेट कर किया गया उत्साहवर्धन 


कोरोना मुक्त हो चुके युवक को गुलदस्ता भेट कर उसका उत्साहवर्धन करता चिकित्सक दल। 

अरुण सिंह,पन्ना। धैर्य, साहस और समझदारी के साथ किसी भी संकट का यदि एकजुटता के साथ मुकाबला किया जाय तो कामयाबी जरूर मिलती है। पन्ना जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर उपजे संकट से यह बात चरितार्थ हुई है। मई के महीने में हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों के आने पर जिस तरह कुछ ही दिनों के अंतराल में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ते हुये 20 तक पहुंची थी, उसे देखते हुये लोग चिंतित और अनजाने भय से ग्रसित हो गये थे। लेकिन बेहतर रणनीति, प्रबंधन व उपचार से जल्दी ही 15 मरीज पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। वर्तमान में सिर्फ 05 कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती हैं, जिनकी स्थिति संतोषजनक है। सबसे ज्यादा ख़ुशी की बात यह है कि बीते कई दिनों से जिले में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है। मरीजों के शीघ्र स्वस्थ होने से चिकित्सक दल भी उत्साहित है और उनके द्वारा यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि जल्दी ही पन्ना जिला कोरोना मुक्त हो जायेगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज 05 व्यक्तियों को पूर्णतः स्वस्थ हो जाने पर कोरोना हेल्थ केयर सेंटर से छुट्टी देकर घर भेजा गया। जब इन व्यक्तियों को कोरोना हेल्थ केयर सेंटर से छुट्टी देकर घर भेजा जा रहा था उस समय कोरोना हेल्थ केयर सेंटर के चिकित्सा दल द्वारा गुलदस्ता भेट करते हुए तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तिवारी ने बताया कि पन्ना जिले में  20 कोरोना मरीजों के सामने आने पर यह आशंका जताई जाने लगी थी कि आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में पॉजिटिव मरीज निकल कर सामने आयेंगे। लेकिन यह आशंका तब निर्मूल साबित हुई जब संदिग्ध लोगों के सैंपल जाँच के लिये सागर भेजे गये और सभी जांच रिपोर्ट नेगेटिव प्राप्त हुई। नये पॉजिटिव मरीज न मिलने पर सभी ने राहत की सांस ली है। अब पन्ना जिले के लोगों को उस पल का इंतजार है जब शेष बचे 05 मरीजों के पूरी तरह स्वस्थ होने की अधिकृत घोषणा होगी और उन्हें भी ससम्मान घर भेजा जायेगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एलके तिवारी ने जिले वासियों से अपील करते हुए कहा है कि अभी कोरोना बीमारी आगामी दो-तीन माह तक चलता रहेगा, इसलिए सावधानी रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में मास्क का उपयोग अवश्य करें साथ ही साबुन से हाथ साफ करते रहें, ताकि किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो सके। उन्होंने कहा कि कोरोना की बीमारी से घबराना नहीं है, इसका उपचार संभव है।
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Friday, June 5, 2020

पन्ना के सुप्रसिद्ध रथयात्रा समारोह में कोरोना का साया

  •   धार्मिक आयोजन स्नान यात्रा में इस बार नहीं दिखी रौनक 
  •   सिर्फ गिनती के ही कुछ लोगों ने किया परंपरा का निर्वहन 
  •   परम्परानुसार लू लगने से भगवान जगन्नाथ हुये बीमार 
  •   अब पूरे 15 दिनों के लिए बंद रहेंगे मंदिर के कपाट


लू लगने से बीमार भगवान जगन्नाथ स्वामी सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुये। 

अरुण सिंह,पन्ना। मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध म.प्र. के पन्ना नगर में अनूठी धार्मिक परम्परायें प्रचलित हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना इफेक्ट ने यहाँ के सभी तीज त्योहारों और धार्मिक समारोहों की रौनक छीन ली है। भव्यता, धूमधाम और राजशी ठाठबाट के साथ मनाये जाने वाले रथयात्रा महोत्सव में भी कोरोना का साया मंडरा रहा है। मालुम हो कि ठीक जगन्नाथपुरी की तर्ज पर यहां निकलने वाली रथयात्रा महोत्सव की परम्परा डेढ़ सौ वर्ष से भी अधिक पुरानी है। परम्परानुसार पवित्र तीर्थों के सुगंधित जल से स्नान करने के कारण जगत के नाथ भगवान जगन्नाथ स्वामी लू लगने से आज बीमार पड़ गये हैं। भगवान के ज्वर पीड़ित होने का यह धार्मिक आयोजन स्नान यात्रा के रूप में पन्ना के श्री जगन्नाथ स्वामी मन्दिर में आज पहली बार श्रद्धालुओं की गैरमौजूदगी में बिना बैण्ड बाजे के सन्नाटे में   सम्पन्न हुआ। आज के इस आयोजन में महाराज राघवेन्द्र सिंह के अलावा मन्दिर समिति के 7 - 8  लोग व पुजारी शामिल रहे। भगवान के बीमार पडने के साथ ही रथयात्रा महोत्सव का शुभारंभ हो गया है।

कोरोना के साये में संपन्न हुये घटयात्रा कार्यक्रम का द्रश्य। 

उल्लेखनीय है कि डेढ़ शताब्दी से भी अधिक पुरानी हो चुकी पन्ना के रथयात्रा महोत्सव की स्नान यात्रा कोरोना संकट के चलते फीकी रही। राजशाही जमाने से चली आ रही परम्परा के अनुसार आज सुबह 9 बजे बड़ा दीवाला स्थित जगदीश स्वामी मंदिर में भगवान की स्नान यात्रा के कार्यक्रम की शुरूआत हुई। पन्ना राज परिवार के सदस्य सहित मंदिर के पुजारियों तथा गिनती के कुछ खास लोगों द्वारा गर्भगृह में विराजमान भगवान जगदीश स्वामी उनके बड़े भाई बलभद्र, बहन देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को आसन में बैठाकर मंदिर प्रांगण स्थित लघु मंदिर में बारी-बारी से लाकर विराजमान कराया गया। भगवान की स्नान यात्रा में पहुंचने पर पहली बार  बैण्डबाजों व आतिशबाजी से उनका स्वागत नहीं किया गया। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर भीतर से ताला जड़ दिया गया था ताकि श्रद्धालु अन्दर न आ सकें। ऐसी स्थिति में भगवान की स्नान यात्रा के दौरान मंदिर प्रांगण में  गूंजने वाली जय-जयकार भी सुनाई नहीं दी। मंदिर के पुजारियों तथा ब्राम्हणों द्वारा वेद मंत्रों के साथ भगवान की पूजा अर्चना की गई तथा हजार छिद्र वाले मिट्टी के घड़े से भगवान को स्नान कराया गया। स्नान के साथ ही मान्यता के अनुसार भगवान लू लग जाने की वजह से बीमार पड़ गये। ।जिन्हे सफेद पोशाक पहनाई गई और भगवान की भव्य आरती की गई। भगवान के स्नान यात्रा के बाद चली आ रही परम्परा के अनुसार मिट्टी के घट श्रद्धालुओं को लुटाये जाने की परम्परा का निर्वहन श्रद्धालुओं की गैरमौजूदगी के कारण नहीं हो पाया। मंदिर के बाहर खड़े कुछ श्रद्धालुओं को घट प्रदान किये गये जिन्हें वे खुशी के साथ सुरक्षित तरीके से अपने घर ले गये। वर्षभर खुशहाली की कामना के साथ अपने घर के पूजा स्थल में प्राप्त घट को रखकर उन्हें पूजा जायेगा। कार्यक्रम के बाद बीमार पड़े भगवान को फिर से बारी-बारी करके आशन में बैठाते हुये मंदिर के गर्भगृह के अंदर ले जाकर विराजमान कराया गया और मंदिर के पट 15 दिन तक के लिये बंद हो गये। भगवान के बीमार हो जाने के बाद अब श्रद्धालुओं को 15 दिन तक उनके दर्शन प्राप्त नहीं होंगे। मंदिर के पुजारी ही मंदिर के अंदर प्रवेश कर बीमार पड़े भगवान की पूजा अर्चना करेंगे। 15 दिन तक बीमार पड़े भगवान सफेद वस्त्रों में ही रहेंगे। अमावस्या के दिन भगवान को पथ प्रसाद लगेगा और इसके बाद अगले दिन भगवान की धूप कपूर झांकी के रूप में जाली लगे पर्दे से श्रद्धालुओं को दर्शन प्राप्त होंगे तथा दोज तिथि से भगवान की रथयात्रा शुरू हो जायेगी।
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पर्यावरण संरक्षण अब हमारा चुनाव नहीं, आवश्यकता है

  • पृथ्वी कहती है, मुझ से कुछ लो तो कुछ वापस भी करो 
  • मनुष्य जाति को अब सीखना होगा जीने का सलीका 




पर्यावरण की रक्षा करना अब हमारा चुनाव नहीं, आवश्यकता हो गई है। मनुष्य के हाथों में विज्ञान की इतनी बड़ी ताकत आ गई और वह नहीं जान सका कि उसका कैसे उपयोग किया जाए। वह प्रकृति को जीतने लगा। वह भूल गया कि प्रकृति भिन्न नहीं है, उसका ही विस्तार है। विज्ञान के विकास के साथ मानव जीवन से विस्मय गायब हुआ, मासूमियत नदारद हुई। जैसे ही आदमी के हाथ में विध्वंसक अस्त्र-शस्त्र आ गए, उसने सबसे पहली चोट की पर्यावरण पर। आधुनिक मनुष्य एक असंतुलित प्राणी है। आधुनिक आदमी बाह्य को नष्ट करने में इसलिए उतारू हो गया है क्योंकि उसका आंतरिक जीवन ध्वस्त हुआ पड़ा है। पूरी धरती पर आतंकवाद, युद्ध पिपासा और अपराध यूं ही नहीं बढ़े हैं, ये हमारी चित्तदशा का प्रतिफलन हैं। ओशो कहते हैं - प्रकृति को जीतने का प्रयास कर मनुष्य जाति संकट में पड़ गई है।
हम पृथ्वी से केवल लेते हैं, उसे वापस कुछ नहीं लौटाते। प्रकृति एक पूर्ण चक्र है रू एक हाथ से लो, तो दूसरे हाथ से दो। इस वर्तुल को तोड़ना ठीक नहीं है। लेकिन हम यही कर रहे हैं -सिर्फ लिये चले जा रहे हैं। इसीलिए सारे स्त्रोत सूखते जा रहे हैं। धरती विषाक्त होती जा रही है। नदियां प्रदूषित हो रही हैं, तालाब मर रहे हैं। हम पृथ्वी से अपना रिश्ता इस तरह से बिगाड़ रहे हैं कि भविष्य में इस पर रह नहीं पाएंगे। आधुनिक विज्ञान का रवैया जीतने वाला है। वह सोचता है कि धरती और आकाश से दोस्ती कैसी, उस पर तो बस फतह हासिल करनी है। हमने कुदरत का एक करिश्मा तोड़ा, किसी नदी का मुहाना मोड़ दिया, किसी पहाड़ का कुछ हिस्सा काट लिया, किसी प्रयोगशाला में दो-चार बूँद पानी बना लिया और बस प्रकृति पर विजय हासिल कर ली। जैसे प्लास्टिक को देखो। उसे बना कर सोचा, प्रकृति पर विजय हासिल कर ली। कमाल है, न जलता है, न गीला होता है, न जंग लगती है - महान उपलब्धि है। उपयोग के बाद उसे फेंक देना कितना सुविधाजनक है। लेकिन मिट्टी प्लास्टिक को आत्मसात नहीं करती। एक वृक्ष जमीन से उगता है। मनुष्य जमीन से उगता है। तुम वृक्ष को या मनुष्य को वापस जमीन में डाल दो तो वह अपने मूल तत्वों में विलीन हो जाते हैं। लेकिन प्लास्टिक को आदमी ने बनाया है। उसे जमीन में गाड़ दो और बरसों बाद खोदो तो वैसा का वैसा ही पाओगे।
अमेरिका के आसपास समुद्र का पूरा तट प्लास्टिक के कचरों से भरा पड़ा है। और उससे लाखों मछलियां मर जाती हैं, उसने पानी को जहरीला कर दिया है। पानी की सजीवता मर गई। और यह खतरा बढ़ता जा रहा है कि दिन ब दिन और अधिक प्लास्टिक फेंका जाएगा और पूरा जीवन मर जाएगा। पर्यावरण का अर्थ है संपूर्ण का विचार करना। भारतीय मनीषा हमेशा श्पूर्णश् का विचार करती है। पूर्णता का अहसास ही पर्यावरण है। सीमित दृष्टि पूर्णता का विचार नहीं कर सकती। एक बढ़ई सिर्फ पेड़ के बारे में सोचता है। उसे लकड़ी की जानकारी है, पेड़ की और कोई उपयोगिता मालूम नहीं है। वे किस तरह बादलों को और बारिश को आकर्षित करते हैं। वे किस तरह मिट्टी को बांध कर रखते हैं। उसे तो अपनी लकड़ी से मतलब है। वैसी ही सीमित सोच ले कर हम अपने जंगलों को काटते चले गए और अब भुगत रहे हैं। अब आक्सीजन की कमी महसूस हो रही है। वृक्ष न होने से पूरा वातावरण ही अस्तव्यस्त होता जा रहा है। मौसम का क्रम बदलने लगा है और फेफड़ों की बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं।
सुना है कि पुराने जमाने में प्रशिया के राजा फ्रेडरिक ने एक दिन देखा कि खेत-खलिहानों में पक्षी आते हैं और अनाज खा जाते हैं। वह सोचने लगा कि ये अदना से पंछी पूरे राज्य में लाखों दाने खा जाते होंगे। इसे रोकना होगा। तो उसने राज्य में ऐलान कर दिया कि जो भी पक्षियों को मारेगा उसे इनाम दिया जाएगा। बस प्रशिया के सारे नागरिक शिकारी हो गए और देखते ही देखते पूरा देश पक्षी विहीन हो गया। राजा बड़ा प्रसन्न हुआ। उत्सव मनाया -उन्होंने प्रकृति पर विजय पा ली। पर अगले ही वर्ष गेहूँ की फसल नदारद थी। क्योंकि मिट्टी में जो कीड़े थे और जो टिड्डियां थीं, उन्हें वे पक्षी खाते थे और अनाज की रक्षा करते थे। इस बार उन्हें खाने वाले पंछी नहीं थे सो उन्होंने पूरी फसल खा डाली। उसके बाद राजा को विदेशों से चिड़ियाएँ मंगानी पड़ीं। यह सृष्टि परस्पर निर्भर है। उसे किसी भी चीज से खाली करने की कोशिश खतरनाक है। न हम निरंकुश स्वतंत्र हैं, और न परतंत्र हैं। यहाँ सब एक दूसरे पर निर्भर हैं। पृथ्वी पर जो कुछ भी है, वह हमारे लिए सहोदर के समान है। हमें उन सबके साथ जीने का सलीका सीखना होगा।
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Tuesday, June 2, 2020

जिले में 500 बेड क्षमता के कोविड केयर सेंटर स्थापित

  • पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या को देख की गई व्यवस्था  
  • कलेक्टर ने निरीक्षण कर संबंधितों को दिये आवश्यक निर्देश

व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद चिकित्सकों को दिशा निर्देश देते हुये कलेक्टर श्री शर्मा। 

अरुण सिंह,पन्ना। कोविड-19 महामारी के प्रदेश में संक्रमण की घोषणा के साथ जिले में कोरोना वायरस संक्रमण रोकथाम एवं कोरोना संदिग्धों को कोविड केयर सेंटर में भर्ती करने के लिए पूरी तैयारी कर ली गयी है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा जिला चिकित्सालय एवं मदर टेरेसा हास्पिटल में कोविड हेल्थ केयर सेंटर स्थापित कराकर 100 एक्टिव मरीजों के उपचार की व्यवस्था कराई गयी है। बीते कुछ दिनों के दौरान जिस तादाद में कोरोना पॉजिटिव मरीज जिले में मिले हैं उसे द्रष्टिगत रखते हुये प्रशासन द्वारा सभी जरुरी इंतजाम व चिकित्सकीय व्यवस्थायें की जा रही हैं। मिली जानकारी के मुताबिक जिला चिकित्सालय में 45 बेडों के लिए पाइप लाइन डालकर आक्सीजन की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा अन्य बेडों पर चलित आक्सीजन सिलेण्डर के माध्यम से आक्सीजन की व्यवस्था की गयी है। यहां पर महिला एवं पुरूषों के लिए पृथक-पृथक वार्डो की व्यवस्था है। इन वार्डो को सर्वसुविधायुक्त बनाया गया है।
जिला मुख्यालय एवं अनुभाग मुख्यालयों में कोविड केयर सेंटर भी स्थापित किये गये हैं। जिला मुख्यालय पर 02, अजयगढ में 02, गुनौर में 01, पवई में 02 सर्वसुविधायुक्त कोविड केयर सेंटर स्थापित किये जा चुके हैं। इसके अलावा जिले में कोविड केयर सेंटरों के लिए भवन सुरक्षित रखे गये हैं। वर्तमान में 500 बेड क्षमता के कोविड केयर सेंटर स्थापित हैं। इन सभी सेंटरों के साथ चिकित्सा दल, सुरक्षा दल के लिए कक्ष स्थापित हैं। सभी में सीसीटीव्ही कैमरा, मनोरंजन के लिए टीव्ही स्थापित किए गए हैं। सभी में पेयजल, साफ सफाई, शौचालय, प्रकाश की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। सभी सेंटरों के लिए प्रशिक्षित कर्मचारी नियुक्त कर दिये गये हैं।
कलेक्टर श्री शर्मा ने गुनौर के महाविद्यालय में स्थापित केयर सेंटर का निरीक्षण 01 जून को रात्रि में पहुंच कर किया। यहां की गयी व्यवस्थाओं का सूक्ष्म अवलोकन करने के साथ मौके पर उपस्थित अनुविभागीय अधिकारी, चिकित्सक, तहसीलदार एवं संबंधितों को आवश्यक निर्देश देते हुए कहा कि सेंटर हर समय कोविड संबंधी व्यक्तियों को भर्ती करने के लिए तैयार रहें। जिला चिकित्सालय परिसर में स्थापित किए गए कोविड परीक्षण केन्द्र का भी कलेक्टर श्री  शर्मा द्वारा अवलोकन किया गया।  केन्द्र में स्थापित की गयी ट्र नॉट मशीन का अवलोकन किया और मौके पर उपस्थित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तिवारी को निर्देश दिए कि इस केन्द्र को दो दिवस के अन्दर पूरी तरह परीक्षण के लिए तैयार कर लें। जिससे कोविड पॉजिटिव मरीजों के सैम्पल लेने में सुविधा हो। यह मशीन कोविड पॉजिटिव मरीज के प्रथम सम्पर्क, द्वितीय सम्पर्क एवं संदिग्ध व्यक्तियों का परीक्षण कर यह बताएगी कि कुल परीक्षण किए गए व्यक्तियों में कोरोना पॉजिटिव होने की संभावना किन व्यक्तियों में है। जिनका सैम्पल लेकर प्रयोगशाला भेजा जाना आवश्यक है।
कलेक्टर श्री शर्मा ने जिला चिकित्सालय के विभिन्न वार्डो का अवलोकन कर वहां की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी हासिल की। उन्होंने नवनिर्मित ट्रामा केयर सेंटर का निरीक्षण किया। वहां जो भी कक्ष खाली हैं उनमें सामान्य मरीजों को भर्ती करने के निर्देश दिये। इसी प्रकार डॉक्टरों के बैठने की व्यवस्था का जायजा लेने के साथ दवा वितरण केन्द्र का अवलोकन किया गया। उन्होंने निर्देश दिए कि चिकित्सालय में आने वाले सामान्य मरीजों को अच्छी तरह से उपचार मुहैया कराया जाये। नियमित रूप से चिकित्सक वार्डो का भ्रमण कर मरीजों की देखरेख करें। उन्होंने डायलेसिस केन्द्र, एक्स-रे, ड्रेसिंग रूम आदि का अवलोकन करने के साथ चिकित्सालय को साफ सुथरा रखने के निर्देश दिये।
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चिरौंजी दूर कर सकती है वनवासियों की आर्थिक विपन्नता

  •   पकने से पहले ही कच्चे आचार की हो जाती है तुड़ाई 
  •   वनोपज के अवैज्ञानिक दोहन से होता है भारी नुकसान
  •   प्रतिबंध के बावजूद अधाधुंध तुड़ाई की होड़ पर नहीं लगा अंकुश


पन्ना टाइगर रिज़र्व के बफर क्षेत्र में चिरौंजी के पेड़ से फल तोड़ती आदिवासी महिला। 

अरुण सिंह,पन्ना। वन सम्पदा से समृद्ध पन्ना जिले में वनोपज के संग्रहण की उचित प्रक्रिया न अपनाये जाने के चलते भारी नुकसान होता है। पकने से पहले अचार व आंवला जैसे वनोंपज को तोडने की होड़ से उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। फलस्वरूप वनोंपज की उचित कीमत नहीं मिल पाती। जिले में चिरौंजी संग्रह एवं प्रोसेसिग के क्षेत्र में स्वरोजगार व रोजगार की काफी संभावना है। अगर योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाए, तो इससे हजारों लोगों को काम मिल सकता है, साथ ही अर्थोपार्जन के माध्यम से उनकी आमदनी भी बढ़ाई जा सकती है। चिरौंजी के बीजों में वनवासियों की आर्थिक विपन्नता दूर करने की क्षमता है।

उल्लेखनीय है कि विकास की दौड़ में पन्ना भले ही बहुत पीछे है पर प्राकृतिक रूप से पन्ना जिला बहुत समृद्ध है। प्रकृति ने पन्ना को कई अनुपम उपहार दिये हैं, जिनमें वनोपज भी शामिल है। कुल भू भाग के 47 फीसदी वनक्षेत्र वाले इस जिले में हर सीजन में प्रचुर मात्रा में वनोपज का उत्पादन होता है। वनों के आसपास स्थित सैकड़ों ग्रामों में लाखों परिवारों के लिए वनोपज संग्रहण आज भी अजीविका का मुख्य स्रोत है। तेंदूपत्ता और महुआ को छोड़ दें तो पिछले कुछ वर्षों में आंवला, अचार, तेंदू, हर्र तथा बहेरा आदि वनोपज के संग्रहण में वनवासियों को अब पहले जैसा लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि आंवला, अचार, तेंदू, हर्र, बहेरा के मूल्य में लगातार वृद्धि हो रही है। वनोपज संग्रहण में अथक परिश्रम करने के बावजूद अपेक्षित लाभ न होने का मुख्य कारण वनोपज का अवैज्ञानिक विदोहन है। यानि कि अचार, तेंदू, आंवला के पकने से पहले उसकी तुड़ाई कर उसे संग्रहित किया जा रहा है। स्थिति यह है कि जिले में  उत्तर वनमण्डल, दक्षिण वनमण्डल एवं टाईगर रिजर्व के बफर जोन एरिया में कच्चे अचार की तुड़ाई को लेकर मई के महीने में होड़ सी मची रही। सुबह से बूढ़े, बच्चे, महिलायें और जवान हर कोई जंगल जाकर ज्यादा से ज्यादा अचार की तुड़ाई कर उसका संग्रहण करने में जुटें हुये थे। आंख मूंदकर कच्चे अचार को तोडने की वृत्ति का मुख्य कारण यह है कि यदि अचार के पकने का इंतजार किया तो कोई दूसरा उसे तोड़ ले जायेगा। अचार के संग्रहण में एक - दूसरे से आगे निकलने की इसी होड़ के कारण हाल के वर्षों में अचार का अवैज्ञानिक विदोहन बढ़ा है। परिणामस्वरूप कच्चा अचार तोड़कर वनोपज संग्राहक अपना ही आर्थिक नुकसान कर रहे हैं।

जंगल से कच्चे अचार तोड़कर घर के बाहर सुखाती आदिवासी युवती।

एक वनवासी महिला ने बताया कि पिछले वर्ष उसने 150 रूपये किलो की दर से अचार बेंचा था। इस बार उसे समय से पहले अचार तोडना पड़ा है। चूंकि अन्य लोगों ने अचार तोडना शुरू कर दिया था। अचार कच्चा होने से उसमें अच्छी तरह से चिंरौजी भी नहीं आ पाई है। इस महिला सहित अन्य संग्राहकों की मानें तो इस बार का अचार शायद ही कोई 50 रूपये किलो खरीदने के लिए कोई तैयार हो। चूंकि जो अचार तोड़ा जा रहा है उसमें से 80 फीसदी में चिंरौजी नहीं आ पाई है। वहीं अचार का आकार अभी छोटा है। संग्राहकों को यह भलीभांति पता है कि इस आग उगलती गर्मी में कठिन परिश्रम कर जंगल में वे जिस अचार को तोडने की होड़ में जुटे हैं उसकी बिक्री से उनकी मेहनत का वास्तविक मूल्य भी नहीं मिल पायेगा। पर विडम्बना यह है कि किसी में इतना धैर्य और संयम नहीं कि वह अचार सहित अन्य वनोपज की तुड़ाई के लिए उसके पकने तक का इंतजार करे। संग्राहकों के दिमाग में तो दिनरात एक ही बात चल रही है कि कैसे वे दूसरे से अधिक वनोपज की तुड़ाई कर उसका संग्रहण करने में सफल हों। इस अंधी होड़ में वनोपज संग्राहक अपना आर्थिक नुकसान करने के साथ-साथ जैव विविधता को तथा वनों को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि समय से पूर्व वनोजप की तुड़ाई कर उसका संग्रहण करना वनोपज (जैव विविधता का संरक्षण एवं पोषणीय कटाई) नियम 2005 के अंतर्गत प्रतिबंधित है। लेकिन प्रतिबंध प्रभावी तरीके से लागू न होने के कारण वनोपज संग्राहक इसका उल्लंघन कर रहे हैं।
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पन्ना में स्टाफ नर्स मिली कोरोना पॉजिटिव

  •  अब जिले में क्रोना संक्रमित मरीजों की संख्या हुई 20
  •  बीते 4 दिनों से लगातार मिल रहे कोरोना पॉजिटिव मरीज


पन्ना में कोविड केयर सेंटर का जायजा लेते हुए कलेक्टर कर्मवीर शर्मा साथ में सीएमएचओ डॉ. तिवारी।  

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते 4 दिनों में सर्वाधिक 16 मरीज पाये गये हैं। जिला चिकित्सालय पन्ना में कार्यरत एक स्टाफ नर्स के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के साथ ही जिले में मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 20 हो गई है।
 मालूम हो कि जिले में पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज ठीक एक माह पूर्व 2 मई को मिला था, जो मुंबई से पन्ना आया था। इसके बाद से लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं, अकेले बरबसपुरा गांव में ही 9 मरीज मिलें हैं, जिससे यह छोटा सा गांव हॉटस्पॉट्स में तब्दील हो गया है। जिला मुख्यालय पन्ना में दो पॉजिटिव मरीज मिले हैं जिनमें एक स्टाफ नर्स है।कोरोना संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी करने वाली इस स्टाफ नर्स की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के साथ ही जिला चिकित्सालय में हड़कंप मचा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि स्टाफ नर्स के प्राथमिक कांट्रैक्ट का पता लगाया जा रहा है। देर रात इसकी पॉजिटिव रिपोर्ट आई है इसलिए गाइडलाइन के मुताबिक रेस्पॉन्स टीम काम करने में जुटी है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किये गये प्रेस नोट में बताया गया है कि 31 मई को 24 सैंपल भेजे गये थे जिसमें एक स्वास्थ्य कर्मचारी जो सैंपल कलेक्शन ड्यूटी पर था उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनके प्राइमरी कांटेक्ट की ट्रेसिंग की जा रही है। अब तक कुल 20 पॉजिटिव केस आ चुके हैं, जिनमें तीन स्वस्थ हो चुके हैं। जिला अस्पताल के कोविड केयर सेंटर में 17 मरीज भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है। पॉजिटिव पाई गई स्टॉफ नर्स शहर के धाम मोहल्ला की निवासी है। पूर्व में मिला शहर का पहला कोरोना पॉजिटिव भी इसी मोहल्ले का है, इसलिए पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है तथा इलाके में प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस द्वारा जरूरी एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं।

हाई रिस्क विलेज बरबसपुरा का कलेक्टर ने किया भ्रमण


हाई रिस्क विलेज बरबसपुरा में हालात व व्यवस्थाओं का जायजा लेते कलेक्टर श्री शर्मा। 

हाई रिस्क विलेज में तब्दील हो चुके पन्ना तहसील के ग्राम बरवसपुरा में अब तक 9 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। यहाँ दिल्ली से आये प्रवासी श्रमिकों में कोरोना संक्रमित मरीज पाये गये थे। कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित इस गांव का कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने भ्रमण कर यहाँ के हालात व व्यवस्थाओं का जायजा लिया  है। गांव को चारों ओर से पूरी तरह सील कर दिया गया है। गांव के लोगों को कलेक्टर के निर्देशानुसार निशुल्क खाद्यान्न सामग्री, बच्चों के लिए दूध, माक्स एवं दैनिक उपयोग की अन्य सामग्री निशुल्क उपलब्ध कराई गई हैं। ग्राम में पेयजल व्यवस्था के लिए टैंकर तथा ग्राम में स्थापित हेण्डपम्प को हर बार सेनीटाइज कराने, ग्राम के लोगों के लिए चलित शौचालय की व्यवस्था कराई गई है। ग्राम के लोगों को समझाइश दी गई कि वे घरों पर ही रहें। गांव के लोगों को बताया गया कि उनके स्वास्थ की देखभाल के लिए चिकित्सक दल नियुक्त किया गया है।

कलेक्टर द्वारा किया गया मरीज परीक्षण केंद्र का निरीक्षण

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा जिला चिकित्सालय में कोविड-19 के प्राथमिक परीक्षण के लिए स्थापित की जा रही मशीन का निरीक्षण किया गया। इस मशीन से  इस बात का परीक्षण किया जायेगा की किस व्यक्ति का कोरोना पॉजिटिव होना संभावित है और उसका नमूना प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा जाना चाहिये। कलेक्टरश्री शर्मा ने परीक्षण केंद्र का निरीक्षण करने के साथ संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये। श्री शर्मा द्वारा जिला चिकित्सालय में तैयार कराये गये कोविड-19 केयर बार्डो का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने संबंधितो को निर्देश दिये कि इन बार्डो को हर समय कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती करने के लिए तैयार रखा जाये। इन बार्डो में पाईप लाइन द्वारा प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था 45 बेड़ों के लिए 24 घंटे चालू रहेगी।  इसके अलावा अन्य वेडो पर सिलेंडर द्वारा ऑक्सीजन प्रदाय की व्यवस्था की गई है । बार्डो में सीसीटीवी कैमरा, गैलरी में मनोरंजन के लिए टीवी सेट स्थापित किये गये हैं ।महिला एवं पुरुष के लिए अलग - अलग बार्ड एवं शौचालय स्थापित किये गये हैं। बार्डो को सर्व सुविधा युक्त बनाया गया है। कलेक्टर श्री शर्मा ने बताया कि जिला मुख्यालय पर एक्टिव मरीजों के लिए 100 बेड़ों की व्यवस्था की गई है ।इसके अलावा जिला मुख्यालय एवं जिले के राजस्व अनुभागो मे भी कोविड-19 केयर सेंटर स्थापित हैं जिन्हें पूरी तरह से सर्व सुविधा युक्त बनाया गया है।
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Monday, June 1, 2020

एलोपैथी न हौम्योपैथी सबसे कारगर सिम्पैथी: डॉ. मिश्रा

  • कोरोना पर विजय पाने वाले समाज के लिये मिसाल और मार्गदर्शक बनेंगे 
  • चिरायु से 108 मरीज डिस्चार्ज हुए, अब तक कुल एक हजार मरीज हुए स्वस्थ


मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा

चिरायु अस्पताल में कोरोना संक्रमित 108 मरीजों के स्वस्थ होने और घर रवानगी पर अपनी शुभकामनाएँ देते हुए गृह, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने अपेक्षा जताई कि वे सभी समाज के लिये मिसाल बनेंगे। कोरोना को हराने में वे मार्गदर्शन करेंगे। मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि न एलोपैथी न हौम्योपैथी सबसे अधिक कारगर है सिम्पैथी। उन्होंने कहा कि कोरोना से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। आवश्यकता है सावधानी रखने की और कोरोना चक्र को तोड़ने की। उन्होंने चिरायु अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ सहित सभी कोरोना योद्धाओं की सराहना की। मंत्री डॉ. मिश्रा ने प्रसन्नता व्यक्त की कि चिरायु अस्पताल एक हजार से अधिक मरीजों को स्वस्थ कर सकुशल घर भेजने वाला देश का प्रथम अस्पताल बन गया है।

मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि कोरोना असाध्य बीमारी नहीं है। हम सावधानी रखकर इसे आसानी से हरा सकते हैं। हमें कोरोना के मरीजों के उपचार के साथ ध्यान देने, उन्हें आराम देने और प्यार देने की जरूरत है। सबसे सरल और आसान उपाय अपनापन और प्यार के साथ बीमारी का उपचार करना है। कोरोना स्वयं कोई मारक रोग नहीं है। यह घातक तब हो जाता है, जब मरीज किसी अन्य बीमारी से भी ग्रसित हो। उन्होंने कोरोना पीड़ितों से अपने आत्मबल को मजबूत बनाने की अपील की, जिससे कोरोना को आसानी से हराया जा सके। मंत्री डॉ. मिश्रा ने चिरायु अस्पताल के सीएमडी डॉ. अजय गोयनका की सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि आज देश में ऐसा कोई अस्पताल नहीं है जहाँ इतनी अधिक संख्या में मरीजों के भर्ती होने के बाद एक प्रतिशत से भी कम की मृत्यु दर दर्ज की गई हो। उन्होंने कहा कि यह डॉ. गोयनका और उनकी टीम के निरंतर अथक परिश्रम का प्रतिफल है।

भारतीय संस्कृति से टूटेगा कोरोना का चक्र


मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि स्वयं खाना प्रकृति है, छीनकर खाना विकृति है, भूखे रहकर दूसरों को खिलाना हमारी संस्कृति है। कोरोना संक्रमण के दौरान जिस प्रकार से लोगों ने अपनी सेवाएँ दी हैं वह अकल्पनीय है। सभी ने हर स्तर पर हर संभव मदद की है। भारतीय संस्कृति से ही हम कोरोना को हराने में सफल हुए हैं। तुलसी की चाय हो या काली मिर्च का काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कारगर उपाय है। कोरोना का प्रभाव अब-तक गाँवों में असर नहीं दिखा पाया है। कोरोना का असर शहरी क्षेत्रों में ही दिखाई दिया है। यह सब भारतीय संस्कृति का प्रभाव है। मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि सावधानियाँ नहीं बरतने पर कोराना का असर हुआ है। गाँव में सावधानियाँ बरती जा रही हैं और कोरोना बेअसर हो रहा है।

स्वस्थ लोगों ने बेहतर इलाज के लिये अस्पताल और सरकार का आभार माना


श्री धनराज खंडेलवाल ने कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद मध्यप्रदेश सरकार और चिरायु अस्पताल द्वारा उपचार के लिये की गई बेहतर व्यवस्थाओं के लिये आभार व्यक्त किया। श्रीमती रानी समतानी ने कहा कि वे जिन्दगी की जंग जीतने आई थीं और आज सरकार और डॉक्टरों की मदद से जंग जीतकर जा रही है। डॉ. नीतू सिंह ने भी अपने पिताजी के स्वस्थ होने पर धन्यवाद दिया।
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