Thursday, January 30, 2020

अफ्रीकी चीता लाने की तैयारियों की समीक्षा करेंगे वन मंत्री श्री सिंघार

  • नौरादेही के जंगलों में ग्रास लैण्ड विकसित करने का काम शुरू



भोपाल। वन मंत्री श्री उमंग सिंघार ने अफ्रीकी चीता भारत लाने के संबंध में प्राप्त अनुमति का स्वागत किया है। श्री सिंघार चीता पुनरू स्थापना के लिये गठित कमेटी की बैठक में चीता लाने से पहले की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा करेंगे। मंत्री के निर्देश पर नौरादेही के जंगलों में ग्रास लैण्ड विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत और मध्यप्रदेश में पहले चीते पाये जाते थे, जो अब समाप्तप्राय हो चुके हैं। केन्द्र सरकार ने चीतों की पुनरू स्थापना के लिये मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर और नौरादेही अभयारण्य के साथ राजस्थान के अभयारण्य को चुना था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए एक आवेदन दायर किया था कि दुर्लभ चीता देश में लगभग विलुप्ति की कगार पर है। इसलिये अफ्रीका के नामीबिया से चीता लाने की अनुमति दी जाये। एनटीसीए ने चीतों के लिये देश में सबसे अनुकूल वन के रूप में कूनो-पालपुर और नौरादेही का चयन किया था। एनटीसीए चीता मंगवाने से पहले क्षेत्र का अध्ययन करेगी।
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Wednesday, January 29, 2020

जनसहयोग से पन्ना जिला होगा कुपोषण से मुक्त: कलेक्टर

  •   कामयाबी के लिये जन जागरण व जन समर्थन जरूरी 
  •   युवाओं की टीम ने 50 कुपोषित बच्चों को लिया गोद


संकल्प गार्डेन में आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथि। 

अरुण सिंह,पन्ना। किसी भी बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिये जन जागरण व जन समर्थन जरूरी होता है। अकेले सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से शत-प्रतिशत कामयाबी हासिल करना संभव नहीं होता। कुपोषण के मामले में भी यह बात लागू होती है। यही वजह है कि जिले से कुपोषण की समस्या को जड़ मूल से खत्म करने के लिये संजीवनी अभियान के माध्यम से आम जनता का सहयोग हासिल करने के साथ-साथ जागरूक करने का काम भी किया जा रहा है। इसके बड़े ही उत्साहजनक और सार्थक नतीजे आने शुरू हुये हैं। यह बात कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा ने संकल्प गार्डन में आयोजित कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन के जनकल्याणकारी कार्यक्रमों को तभी शत-प्रतिशत सफल किया जा सकता है जब उसमें आम जन का सहयोग मिले। पन्ना जिले में जब हमारे सामने कुपोषण की गंभीर होती समस्या की बात सामने लाई गई तो उसी समय से कुपोषण को खत्म करने बावत् मेरे मन में चिंतन शुरू हुआ। विचार मंथन के बाद कुपोषण के कलंक को जिले से मिटाने के लिये संजीवनी अभियान शुरू किया गया। जिसमें जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों व आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये भी पहल की गई। इसका परिणाम यह हुआ कि बड़ी संख्या में लोग स्वप्रेरणा से आगे आकर कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उन्हें सुपोषित बनाने की मुहिम में जुडऩे लगे। संजीवनी अभियान पन्ना जिले में अब एक जन अभियान बन चुका है जिससे दूरदराज ग्रामीण अंचलों में भी कुपोषण के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। कलेक्टर ने कार्यक्रम के आयोजक युवक कांग्रेस नेता वैभव थापक व उनकी टीम के प्रयासों तथा 50 कुपोषित बच्चों को गोद लिये जाने की अनुकरणीय पहल को सराहा और कहा कि इससे निश्चित ही इस अभियान को और गति मिलेगी।

कार्यक्रम में मौजूद आँगनबाड़ी कार्यता, कुपोषित बच्चे व  परिजन।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण के साथ किया गया। कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि जब कुछ दिन पहले बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ संबंधी एक कार्यशाला आयोजित की गई तो उसमें बड़ी संख्या में जिले के दूरस्थ अंचलो से भी जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिकों ने पहुंच कर कुपोषण से ग्रसित बच्चों को गोद लेने एवं उनकी सेहत की देख-रेख करने की घोषणा की। उस दिन की गई घोषणा को चरित्रार्थ करने का काम श्री थापक और उनकी टीम द्वारा किया गया है जो अत्यंत ही सराहनीय है। उन्होने कहा कि अब इसमें किसी भी तरह की शंका नहीं है कि पन्ना को कुपोषण से मुक्त करने का अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है इसलिये अब कामयाबी निश्चित है। उन्होने कार्यक्रम आयोजक वैभव थापक को भगवान जुगल किशोर की प्रतिमा भी एक स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की। इस दौरान पन्ना ग्रामीण एवं अजयगढ़ क्षेत्र की विभिन्न आँगनबाड़ी केन्द्रों में दर्ज कुपोषित बच्चे जिनकी संख्या 50 थी उनको अलग-अलग लोगों ने गोद लेने की रस्म अदायगी करते हुये उन्हे पोषण आहार भी भेंट किया। कार्यक्रम को वरिष्ठ नेता रामकिशोर मिश्रा, पं. मुरारी लाल थापक, शिवजीत सिंह, मीना सिंह यादव, लक्ष्मी दहायत, मनीष मिश्रा, अनीष खान, मंगला भाले, सत्यजीत सिंह, देवीप्रसाद दीक्षित, युसुफ बेग, संतोष तिवारी, धीरेन्द्र पाठक, विवेक व्यास आदि लोगों ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी ऊदल सिंह, शीला सिंह परिहार, सहायक संचालक ज्योति पाण्डेय, अशोक विश्वकर्मा, गौरव चंसोरिया, आशीष शर्मा, करूणा अवस्थी, सुनील अवस्थी, शशिकांत दीक्षित, पुरूषोत्तम जडिय़ा, डॉ.प्रमोद श्रीवास्तव, हीरालाल विश्वकर्मा, राजेन्द्र कुमार धामी, गणेश जडिय़ा, पवन पाठक, महेश सिंह परमार, सुन्दरलाल रैकवार, अज्जू गर्ग, जगतपाल सिंह, अक्षय जैन, पूनम मिश्रा, बहादुर सिंह, राजाबाबू पटेल, सुनील रजक, सत्यम उपाध्याय, छोटू त्रिपाठी, सौरभ रैकवार, अंकित पाराशर, रियासत खान, विमलेश सेन, रोहित शर्मा, सिद्धार्थ शर्मा, अनुराग मिश्रा, आनंद बाजपेई, अलोक शर्मा, विकास तिवारी, प्रतीक परमार, निखिल, सुभांश तिवारी, कामता नगायच, सुरेन्द्र सेन, सुन्दरम गर्ग, राहुल तिवारी, शरद शर्मा सहित काफी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका उपस्थित रही। कार्यक्रम का  सफल संचालन आयुषी चौरसिया द्वारा किया गया।
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विलुप्त हो चुके चीते की मध्यप्रदेश में दिखेगी रफ़्तार ?

  • सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले से फिर जागी उम्मीद 
  • 73 साल पहले भारत की धरती से विलुप्त हो चुका था चीता


अरुण सिंह, पन्ना। भारत की धरती से 73 साल पहले विलुप्त हो चुका चीता अब मध्यप्रदेश के कूनो या नौरादेही के जंगलों में फिर से रफ्तार भरता दिखेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में भारत में अफ्रीका से चीता को लाकर बसाने की अनुमति दे दी है जिससे चीतों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद किये जाने की उम्मीद जागी है। मालुम हो कि 1947 में आखिरी तीन चीतों के शिकार के बाद रफ़्तार का पर्याय यह अनूठा वन्य जीव भारत से विलुप्त हो चुका है। हालांकि कोर्ट ने पहले उनके लिए उपयुक्त ठिकाने की तलाश करने को कहा है। इसके लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है, जो हर चार महीने में इससे जुड़ी प्रगति रिपोर्ट कोर्ट को देगी। विशेषज्ञों के मुताबिक देश में चीता को अंतिम बार 1947 में देखा गया था, जब सरगुजा महराज ने देश में बाकी बचे तीन चीतों को एक शिकार में मार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीकी चीतों को बसाने की यह अनुमति राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से दाखिल की गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। जिसमें अफ्रीकी देश नामिबिया से चीतों को लाने को लेकर अनुमति मांगी गई थी। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर में एशियाई शेरों की जगह चीता को बसाने के एक प्रस्ताव को खारिज भी कर चुका था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय पीठ के इस ताजा आदेश से चीता को लाने की उम्मीद फिर जगी है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए निश्चित ही यह एक बड़ी खबर है। अगर सब कुछ सही दिशा में चला तो अफ्रीका के नामीबिया के चीते मध्यप्रदेश के कूनो या नौरादेही के जंगलों में दौड़ते हुए दिखाई पड़ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि दुनिया में बड़ी बिल्लियों की आठ प्रजाति पाई जाती हैं। इनमें से जेगुआर और प्यूमा दो ऐसी प्रजातियां हैं जो केवल अमरीकी महाद्वीप में पाई जाती है। भारत की वन्यजीवन की खूबसूरती और विशेषता रही है कि बाकी छह प्रजातियां---शेर यानी लायन, बाघ यानी टाइगर, तेंदुआ यानी लेपर्ड, हिम तेंदुआ यानी स्नो लेपर्ड, बादली तेंदुआ यानी क्लाउडेड लेपर्ड और चीता कभी भारत के अलग-अलग जंगलों में स्वच्छंद विचरण किया करते थे। लेकिन अंधाधुंध शिकार और पर्यावास छिनने के चलते इनमें से चीता भारत से विलुप्त हो गया। माना जाता है कि 1947 में अंतिम तीन चीते मार डाले गए थे। इसके बाद संभवतः 1952 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया। चीता एकमात्र बड़ा जानवर है जो हाल की सदियों में भारत से विलुप्त हुआ है। इससे पहले शेर लगभग विलुप्ति की कगार पर पहुंचकर वापसी कर चुके हैं। चीता को दोबारा भारत में बसाने की कार्ययोजना पर लगभग दस साल पहले काम शुरू किया गया था। उस समय भारत में तीन स्थानों राजस्थान के शाहगढ़ और मध्यप्रदेश के नौरादेही और कूनोपाल पुर के जंगलों में इन्हें बसाने की योजना थी। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश नामीबिया में जाकर चीते देख भी आए थे। लेकिन, कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के चलते चीता के आने पर रोक लग गई। दरअसल,सुप्रीम कोर्ट में गिर के शेरों की कुछ आबादी को अन्यत्र बसाने को लेकर बहस चल रही थी। गुजरात सरकार इसका विरोध कर रही थी। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना था कि शेरों की आबादी को बचाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान यह मुद्दा आया कि कूनोपाल पुर में शेरों को बसाया जाना है। इस पर गुजरात सरकार ने कहा कि वहां पर तो चीते बसाए जाने हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उस समय बाहर से लाकर किसी प्रजाति को बसाए जाने पर रोक लगा दिया था। वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने शेरों की आबादी के एक हिस्से को कूनो पालपुर में बसाने के निर्देश दिए। यह भी एक अलग किस्सा है कि किस तरह से बीते छह सालों में सुप्रीम के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया। शेर अपने छोटे से घर में कसमसा रहे हैं। अच्छी खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी को अफ्रीका से चीता लाकर बसाने के पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। बस एक्सपर्ट पैनल को हर चार महीने में इसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी होगी। इसके बाद अब चीते की वापसी का रास्ता पूरी तरह से खुल चुका है। अगर ऐसा होता है तो यह भी एक बड़ी ऐतिहासिक परिघटना होगी, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी होंगी।

Tuesday, January 28, 2020

थानों में शालीनता से सुनी जायेगी फरियादी की बात: आईजी

  •   महिलाओं व बच्चियों की रिपोर्ट पर होगी त्वरित कार्यवाही
  •   आईजी अनिल शर्मा कार्यभार संभालने के बाद पहली बार पहुँचे पन्ना
  •   पुलिस महकमे से संबंधित विषयों पर पत्रकारों से की चर्चा


आईजी सागर अनिल शर्मा पत्रकारों से चर्चा करते हुये, साथ में डीआईजी व एसपी।
अरुण सिंह, पन्ना। सागर सम्भाग के नवागत पुलिस महानिरीक्षक अनिल शर्मा कार्यभार संभालने के बाद मंगलवार को पहली बार पन्ना पहुँचे। यहां उन्होंने जिले के पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर अपराधों की समीक्षा करते हुये आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। बैठक के बाद आईजी श्री शर्मा ने जिले के पत्रकारों से यहां घटित होने वाले अपराधों, कानून व्यवस्था की स्थिति सहित विभिन्न विषयों पर रूबरू चर्चा कर जानकारी हासिल की। इस मौके पर डीआईजी अनिल माहेश्वरी व पन्ना के पुलिस कप्तान मयंक अवस्थी भी मौजूद रहे।
आई जी अनिल शर्मा 
पुलिस महानिरीक्षक श्री शर्मा ने अपनी प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुये कहा कि मेरा यह प्रयास होगा कि सागर पुलिस जोन के सभी थानों में फरियादी की बात शालीनता के साथ सुनी जाये। महिलाओं और बच्चियों से जुड़ मामलों पर त्वरित कार्यवाही हो तथा उनकी रिपोर्ट तत्काल लिखी जाये, यह सुनिश्चित किया जायेगा। श्री शर्मा ने कहा कि थानों में किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक रूप से न बैठाया जाये, इस संबंध में दिशा-निर्देश दिये गये हैं। बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं की चर्चा करते हुये आईजी ने कहा कि यह समस्या हर कहीं है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना एक बड़ी चुनौती है, इस दिशा में जरूरी उपाय किये जा रहे हैं। श्री शर्मा ने कहा कि सड़क मार्गों पर कुछ प्वाईंट ऐसे होते हैं, जहां सर्वाधिक हादसे घटित होते हैं। ऐसे स्थलों को चिह्नित कर वहां जरूरी उपाय किये जायेंगे ताकि दुर्घटनाओं पर प्रभावी रोक लग सके।
आईजी श्री शर्मा ने कहा कि सूचना तकनीक के इस युग में अपराधों की प्रकृति में भी बदलाव आया है। अब साइबर अपराध ज्यादा घटित हो रहे हैं। इससे निपटने के लिये पुलिस को दक्ष बनाने के साथ-साथ सीसीटीव्ही कैमरे लगाये गये हैं। अपराधों के नियंत्रण तथा अपराधियों की पहचान करने में ये कैमरे अत्यधिक मददगार साबित हुये हैं। साइबर अपराधों को पकडऩे के मामले में पन्ना पुलिस की स्थिति काफी बेहतर है।

अवैध उत्खनन माइनिंग का विषय

समूचे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में रेत माफियाओं द्वारा किये जा रहे अवैध उत्खनन की ओर पत्रकारों द्वारा ध्यान आकृष्ट कराये जाने पर आईजी श्री शर्मा ने कहा कि अवैध उत्खनन पुलिस का नहीं बल्कि माइनिंग का विषय है। फिर भी जहां-जहां से शिकायतें मिल रही हैं, वहां-वहां रेत माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। आपने बताया कि पन्ना जिले में स्थिति नियंत्रण में है, छतरपुर से जरूर शिकायतें मिल रही हैं, जिसकी समीक्षा की जायेगी। पन्ना जिले में पुलिस स्टाफ की कमी, पुलिस कर्मियों के लिये आवास व्यवस्था तथा पेयजल समस्या की ओर भी आईजी का ध्यान आकृष्ट कराया गया। श्री शर्मा ने आश्वस्त किया कि पुलिस कर्मियों की समस्याओं का निराकरण किया जायेगा। मालुम हो कि श्री शर्मा ने उज्जैन डीआईजी के पद से पदोन्नत होकर अभी हाल ही में बतौर आईजी सागर रेन्ज के रूप में कार्यभार गृहण किया है। उनका यह पन्ना जिले का पहला दौरा है।
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हमें भूखे मारने को तैयार है क्लाईमेट क्राईसिस...

  • क्लाईमेट क्राईसिस ने पूरे मौसम चक्र को बिगाड़ करके रख दिया
  • राजस्थान, गुजरात और पंजाब में टिड्डी दलों का तगड़ा अटैक



ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। इसके बाद हमारे देश में भी क्लाईमेट क्राईसिस को लेकर थोड़ी बहुत बातें की जाने लगी हैं। पर साहेब, ऑस्ट्रेलिया की आग को भूल जाइये। क्लाईमेट क्राईसिस हमें भी भूखे मारने को तैयार बैठी है। कैसे....
देश में इस बार राजस्थान, गुजरात और पंजाब में टिड्डी दलों का तगड़ा अटैक हुआ है। लाखों करोड़ों की संख्या में आने वाले ये कीट किसानों की आजीविका को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं। यह समस्या कितनी बड़ी है, शहरों में रहने वाले शायद इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि टिड्डी दलों के हमले से बचाने के लिए दिल्ली से तिगुने आकार के बराबर क्षेत्रफल में कीटनाशकों का छिड़काव किया गया है। इसके बावजूद यह कीट फसलों को भारी नुकसान पहुंचा चुका है। टिड्डियों का हमला कोई नई बात नहीं है। लेकिन, जिस तरह का हमला इस बार हुआ यह नई बात है। जिस तरह से उनकी संख्या बढ़ी है, जिस तरह से उनका खतरा बढ़ा है, उसमें कई नई बातें हैं जो क्लाईमेट क्राईसिस के गहराने की तरफ इशारा करती है।
आपको शायद यकीन नहीं हो कि यह कीट कितनी तेजी से बढ़ता है। इसके एक झुंड में अस्सी लाख तक कीट हो सकते हैं। जो कि एक दिन में ही ढाई हजार लोगों के बराबर या दस हाथियों के बराबर खाना खा सकता है। अपने पहले प्रजनन काल में यह कीट बीस गुना बढ़ता है, दूसरे प्रजनन काल में 400 गुना और तीसरे प्रजनन काल में 16 हजार गुना बढ़ जाता है। टिड्डी दलों का हमला तमाम प्रकार के अकालों के लिए जिम्मेदार रहा है। इस कीट के पनपने के लिए नमी वाले वातावरण की जरूरत होती है। इस बार हमारे यहां राजस्थान में तो बिना बरसात वाली बरसात तो रिकार्ड हुई है इसी प्रकार की बिना मौसम वाली बरसात अरब सागर और लाल सागर के        आसपास के कई हिस्सों में हुई है। इसके चलते टिड्डियों के पनपने के लिए बेहद मुफीद स्थिति बनी है। इसी के चलते वे पहले से कई गुना ज्यादा बड़ी संख्या में हमला बोल रही है। कहने की जरूरत नहीं है कि बिना मौसम वाली बरसात के पीछे कारण क्या है।
क्लाईमेट क्राईसिस ने पूरे मौसम चक्र को बिगाड़ करके रख दिया है। इसके चलते या तो बारिश का मौसम देर से शुरू हो रहा है या जल्दी शुरू हो रहा है। कहीं तो बारिश होती नहीं। कहीं होती है तो बहुत ही थोड़े समय में बहुत ही ज्यादा पानी बरस रहा है। जिसका नतीजा सूखा और बाढ़ के तौर पर तो हम देखते ही हैं। टिड्डी दलों के हमले के तौर पर भी देख रहे हैं। समुद्र का तापमान बढ़ने से उसमें उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या में इजाफा हो रहा है। जो कि आसपास के क्षेत्रों में तबाही और बारिश ला रहे हैं। जाहिर है कि ये कुछ नतीजे हैं जो अभी हमारे सामने आए हैं। ऐसे ही न जो कि कितने नतीजे अभी आने बाकी है। फिर भी हम जरूरी मुद्दों पर सोचने की बजाय गैर-जरूरी विषयों पर गाल बजाने में ही जुटे हुए हैं। क्योंकि जिन लोगों को हमने चुन कर भेजा है उन्हें संकट का सामना करना पसंद नहीं है। बल्कि वे संकट को बढ़ाने की इच्छा रखते हैं।
(इस लेख के कई तथ्य और तर्क प्रख्यात पर्यावरणविद सुनीता नारायण के लेख से लिए गए हैं। उनका आभार। चित्र इंटरनेट से। )
@ कबीर संजय की फेसबुक वॉल से 

Monday, January 27, 2020

मछली का अवैध शिकार करते जाल सहित आरोपी गिरफ्तार

  •   वन परिक्षेत्र पन्ना कोर के अकोला बफर का मामला
  •   आरोपी वन्यजीवों के शिकार का भी कर रहा था प्रयास


अवैध शिकार करने वाला आरोपी साथ में वनकर्मी।

अरुण सिंह,पन्ना। वन परिक्षेत्र पन्ना कोर के अकोला बफर क्षेत्र में अवैध रूप से मछलियों का शिकार करने वाले आरोपी को जाल सहित गिरफ्तार किया गया है। आरोपी द्वारा मछलियों में चूहामार दवा मिलाकर वन्यजीवों व पक्षियों का भी शिकार करने का प्रयास किया जा रहा था।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने जानकारी देते हुये बताया कि परिक्षेत्र पन्ना कोर के सर्किल अकोला बफर अन्तर्गत करई जामुन तलैया में अलील खां पिता चाँद खां 35 वर्ष निवासी देवगाँव थाना गुनौर जिला पन्ना द्वारा मछलियों का अवैध शिकार किया जा रहा था जिसे वनकर्मियों द्वारा मौके पर ही पकड़ा गया। आरोपी युवक से पूछताछ किये जाने पर पता चला कि उक्त युवक मछली मारकर उसमें चूहामार जहर मिलाकर तलैया के किनारे रखकर अन्य वन्यजीव व पक्षियों का शिकार करने का प्रयास कर रहा था। आरोपी को मौके पर परिक्षेत्र पन्ना कोर/बफर के कर्मचारियों द्वारा कार्यवाही करते हुये वन अपराध प्रकरण क्र. 741/22 दिनांक 24/01/2020 पंजीबद्ध किया गया है। आरोपी व्यक्ति के पास से 80 नग चूहामार दवा में लिप्त मृत मछलियां एवं मछली मारने का जाल जब्त किया जाकर आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया। न्यायालय द्वारा आरोपी को जेल भेजा गया है। मृत मछलियों का सेम्पल लेकर विष परीक्षण हेतु फॉरेन्सिक लैब भेजा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि करई जामुन तलैया के पास गत 22 जनवरी 2020 को ही अस्थाई कैम्प का उद्घाटन किया गया था। अस्थाई कैम्प बनने से सुरक्षा बढ़ी है तथा आरोपी द्वारा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के पूर्व ही उसे मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया है। इस कार्य में अस्थाई कैम्प श्रमिका स्वरूपा गौड़ का योगदान सराहनीय रहा, जिसके द्वारा दी गई त्वरित सूचना के आधार पर वनरक्षक, परिक्षेत्र सहायक एवं परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा मौके पर पहुँचकर कार्यवाही की गई।
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समूचे जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस

  •   जिला मुख्यालय में कलेक्टर ने ध्वजारोहण कर ली परेड की सलामी
  •   नौनिहालों ने प्रस्तुत की आकर्षक पीटी और सांस्कृतिक कार्यक्रम
  •   उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को किया गया पुरूस्कृत


 मुख्य समारोह में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा परेड की सलामी लेते हुये।

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना सहित समूचे जिले में गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया गया। पन्ना में मुख्य समारोह स्थानीय पुलिस परेड मैदान में आयोजित किया गया। यहां आयोजित मुख्य समारोह में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा ध्वजारोहण किया गया। ध्वजारोहण के उपरान्त परेड की सलामी तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के प्रदेश की जनता के नाम संदेश का वाचन किया गया। मंच से ही अतिथियों द्वारा रंग-बिरंगे गुब्बारे आसमान में छोड़े गये। राष्ट्रगान, मार्चपास्ट के आयोजन के उपरान्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं परिजनों को शाल, श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। इसके उपरान्त नौनिहालों द्वारा आकर्षक पीटी का प्रदर्शन किया गया।

 स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति का दृश्य।
 समारोह में स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया गया। बच्चों के जज्बे को वहां उपस्थित सभी ने सलाम किया। इस अवसर पर 1 हजार छात्र-छात्राओं द्वारा एक साथ पीटी का प्रदर्शन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति शुरू की गई इनमें कनिष्ठ वर्ग में सरस्वती उमावि पन्ना, लिस्यु आनन्द विद्यालय पन्ना एवं महर्षि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पन्ना द्वारा प्रस्तुति दी गई। इसी प्रकार वरिष्ठ वर्ग में नेशनल पब्लिक स्कूल पन्ना, जवाहर नवोदय विद्यालय पन्ना, बालिका छात्रावास पन्ना द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई। वहीं खेल एवं युवक कल्याण में प्रशिक्षणरत बच्चों द्वारा मलखम्ब का प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर विभिन्न विभागों द्वारा शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की झांकी का प्रदर्शन किया। इसमें आदिम जाति कल्याण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जल संसाधन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, महिला एवं बाल विकास, जिला शिक्षा केन्द्र, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग, नगरपालिका, उद्यानिकी, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र आदि विभागों द्वारा आकर्षक झांकियां निकालकर लोगों को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई।

 उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों व छात्र-छात्राओं को पुरूस्कृत करते कलेक्टर।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों एवं संस्थाओं को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत अक्षत कुमार खरे को राष्ट्रीय बालीबाल प्रतियोगिता, कु. कनिष्का शुक्ला टेबिल टेनिस, अरविंद यादव राष्ट्रीय बालरंग प्रतियोगिता के लिये पुरूस्कृत किया गया। जिला पंचायत पन्ना से बालागुरू के आईएएस एवं संजय सिंह परिहार प्रभारी अधिकारी मनरेगा को मनरेगा राष्ट्रीय सम्मान 2019, अशोक चतुर्वेदी उप संचालक सामाजिक न्याय को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा वयोश्रेष्ठ सम्मान 2019, सरपंच/सचिव ग्रारोस, उपयंत्री ग्राम पंचायत कल्दा एवं सरपंच/सचिव ग्रारोस उपयंत्री ग्राम पंचायत मोहन्द्रा को उत्कृष्ट गौशाला निर्माण, अवधेश मिश्रा एवं गोरीशंकर गुप्ता समन्वयक जनपद पंचायत पन्ना को उत्कृष्ट गौशाला निर्माण के लिये पुरूस्कृत किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना में उत्कृष्ट कार्य के लिये मोती सिंह सहायक विकास विस्तार अधिकारी जनपद पंचायत शाहनगर, गोरीशंकर गुप्ता पचायत समन्वयक जनपद पंचायत पन्ना, गौरव सराफ  सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी को सीएम हेल्पलाईन की शिकायतों का निराकरण, कुलदीप द्विवेदी स्टेनो कलेक्टर आदेशों निर्देशों का तत्परता से पालन, राधाकृष्ण गोस्वामी सहायक ग्रेड-3 उमावि पहाड़ीखेरा संकुल केन्द्रों में लेखा का उत्कृष्ट संधारण करने पर पुरूस्कृत किया गया।
परेड में सब इंस्पेक्टर निवास सिंह को प्रथम, सब इंस्पेक्टर कृष्ण मवाई एवं सब इंस्पेक्टर अंजली राजपूत को द्वितीय, सीनियर एनसीसी में अण्डर आफिसर तरूण कुमार राय प्रथम, जूनियर डिवीजन एनसीसी में सर्जेन्ट घनश्याम यादव को द्वितीय, जूनियर एनसीसी छात्रा विंग में सर्जेन्ट नेहा रैकवार को प्रथम, रेडक्रास गल्र्स में आकांक्षा रजक को द्वितीय, गाईड दल में कु. अलमीन खातून को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है। कनिष्ठ वर्ग में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लिस्यु आनन्द उमावि पन्ना को प्रथम, महर्षि उमावि पन्ना को द्वितीय तथा सरस्वती उमावि पन्ना को तृती स्थान प्राप्त हुआ। वरिष्ठ वर्ग में बालिका छात्रावास को प्रथम, जवाहर नवोदय विद्यालय एवं नेशनल पब्लिक स्कूल को संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। झांकी के प्रदर्शन में जिला पंचायत को प्रथम, टाईगर रिजर्व एवं महिला बाल विकास को संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान तथा जिला शिक्षा केन्द्र को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। सम्पन्न हुये कार्यक्रम में जिला अधिकारी, जनप्रतिनिधि, पत्रकार, गणमान्य नागरिक, आमजन, छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन प्रो. बी. श्रीवास्तव, व्याख्याता प्रमोद अवस्थी तथा अध्यापिका मीना मिश्रा द्वारा किया गया।

हीरा खनन परियोजना में शान से लहराया तिरंगा


ध्वजारोहण करते हुये परियोजना प्रबंधक।
 एनएमडीसी लिमिटेड हीरा खनन परियोजना में राष्ट्र का 71वां गणतंत्र दिवस पूरे हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया। प्रात: 9 बजे परियोजना खेल-मैदान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि तथा महाप्रबंधक राजीव शर्मा और विशिष्ट अतिथि एवं परियोजना के वरिष्ठतम कर्मचारी श्रीमती कुसुम मिश्रा द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय-ध्वज फहराया गया। इस अवसर पर परियोजना के सभी विभागाध्यक्ष, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के सहायक समादेशक, डायमण्ड इव्स क्लब, मझगवां की अध्यक्षा श्रीमती सपना शर्मा, दोनों मजदूर संघ एमपीआरएचकेएमएस के महामंत्री समर बहादुर सिंह  और पीएचकेएमएस के महामंत्री भोला प्रसाद सोनी और अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे। समारोह स्थल पर परियोजना कर्मचारियों, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान तथा उनके परिवार के सदस्य, डीएव्ही पब्लिक स्कूल, मझगवां के प्राचार्य, शिक्षक एवं विद्यार्थीगण और मझगवां के रहवासियों की भारी संख्या में उपस्थिति थी।
ध्वजारोहण के साथ ही डीएव्ही पब्लिक स्कूल, मझगवां के विद्यार्थियों ने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया। इसके उपरान्त मुख्य अतिथि तथा महाप्रबंधक ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और विद्यार्थियों की संयुक्त सलामी गारद का निरीक्षण किया। इस अवसर पर अपने संदेश में मुख्य अतिथि तथा महाप्रबंधक राजीव शर्मा ने हीरा खनन परियोजना की संचालन अवधि को बढ़ाये जाने के संबंध में बताते हुये कहा कि परियोजना संचालन हेतु विविध आवश्यक स्वीकृति एवं क्लियरेंस हेतु आवेदन समयबद्ध तरीके से पूर्ण कर दी गई है तथा विभिन्न विभागों से अनुमति की प्राप्ति के प्रयास प्रबंधन द्वारा उच्च-स्तर पर जारी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी हीरा खनन परियोजना एक सर्व-कल्याणकारी, सर्व-प्रगतिकारक पथ पर अग्रसर होगी, जो कि सभी कर्मचारियों के विवेकपूर्ण निर्णयों व श्रेष्ठ कार्य-कौशल से प्रशस्त होगा। कार्यक्रम में डीएव्ही पब्लिक स्कूल, मझगवां के विद्यार्थियों ने रंगा-रंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।  इस उपलक्ष्य में परियोजना कर्मचारियों, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों तथा डीएव्ही पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों सहित महिलाओं के लिये विविध क्रीड़ा प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया गया।  डायमण्ड इव्स क्लब, मझगवां की सदस्याओं ने अध्यक्षा श्रीमती सपना शर्मा के नेतृत्व में परियोजना चिकित्सालय में अस्वस्थ-जनों के बीच फल वितरित किया। गणतंत्र दिवस के अवसर पर शाम को काव्य-संध्या का का भी आयोजन किया गया।
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Saturday, January 25, 2020

नायब तहसीलदार 25 हजार रू. की रिश्वत लेते गिरफ्तार

  •   लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने की कार्यवाही
  •   रेत से भरे ट्रेक्टर-ट्राली को छोडऩे माँगी थी रिश्वत
  •   साहब के साथ चौकीदार को भी लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा


 लोकायुक्त पुलिस टीम तथा घेरे में नायब तहसीलदार।

अरुण सिंह,पन्ना। लोकायुक्त पुलिस द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ की जा रही ताबड़तोड़ कार्यवाहियों के बावजूद भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे। अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर सुॢखयों में रहने वाले पन्ना जिले के गुनौर में 25 जनवरी को सुबह लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने दबिश देकर नायब तहसीलदार सहित उनके चौकीदार को रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार किया है। नायब तहसीलदार रविशंकर शुक्ला जिनके पास तहसीलदार का भी प्रभार है, उन्होंने रेत से भरी ट्रेक्टर-ट्राली को छोडऩे के लिये रिश्वत माँगी थी। लेकिन यह रिश्वत उन्हें भारी पड़ गई और अपने ही आवास में वे लोकायुक्त पुलिस के हत्थे चढ़ गये।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में हुई बातचीत के मुताबिक ट्रेक्टर-ट्राली को छुड़वाने के लिये रिश्वत की राशि लेकर शिक्षक बृजबिहारी प्रजापति सुबह नायब तहसीलदार के आवास में पहुँचा। आवास में मौजूद चौकीदार देवी दयाल दहायत 21 वर्ष ने घूस की रकम ली, उसी समय लोकायुक्त पुलिस की टीम ने दबिश देकर प्रभारी तहसीलदार रविशंकर शुक्ला तथा रिश्वत की राशि लेने वाले चौकीदार को रंगेहाँथ पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस की टीम दोनों को तुरन्त पुलिस थाना गुनौर ले गई जहां उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की गई। मालुम हो कि वर्ष 2020 की यह पहली कार्यवाही है जिसमें प्रभारी तहसीलदार रिश्वत लेते पकड़े गये। इसके पूर्व जिला मुख्यालय पन्ना के नवीन कलेक्ट्रेट भवन में आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक को घूस लेते पकड़ा गया था। शनिवार 25 जनवरी को हुई ट्रेप की यह कार्यवाही लोकायुक्त डीएसपी सागर राजेश खेड़े के नेतृत्व वाली टीम ने की है।

ट्रेक्टर-ट्राली छोडऩे माँगे थे 40 हजार

रिश्वत लेने के मामले में लोकायुक्त पुलिस के हत्थे चढ़ चुके प्रभारी तहसीलदार रविशंकर शुक्ला ने गुनौर निवासी शिक्षक बृजबिहारी प्रजापति से ट्रेक्टर-ट्राली छोडऩे के एवज में 40 हजार रू. की माँग की थी। मामले की शिकायत शिक्षक द्वारा सागर में लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय में की गई, तदुपरान्त ट्रैप कार्यवाही की योजना बनी। इसकी भनक प्रभारी तहसीलदार को नहीं लग पाई फलस्वरूप आदत के मुताबिक उन्होंने चौकीदार के माध्यम से रिश्वत की राशि अपने ही आवास में ली और पकड़े गये।

गुनौर तहसील मुख्यालय सहित जिले में हड़कम्प

लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम द्वारा की गई इस ट्रैप कार्यवाही के तुरन्त बाद सोशल मीडिया के जरिये खबर फैल गई। जिससे गुनौर तहसील मुख्यालय सहित जिले में हड़कम्प मचा रहा। भ्रष्टाचार में लिप्त कई अधिकारियों के माथे पर चिन्ता की लकीरें दिखने लगी हैं। उन्हें फिक्र इस बात की है कि वे भी किसी दिन इसी तरह यदि धरे गये तो क्या होगा? सोशल मीडिया में लोकायुक्त पुलिस की इस धमाकेदार कार्यवाही को लेकर पूरे दिन टीका-टिप्पणियों का दौर चलता रहा। एक सज्जन ने समसामयिक टिप्पणी करते हुये कहा कि भ्रष्टाचारियों ने लोकतंत्र एवं मानवता को परेशान किया हुआ है। उन्होंने लोकायुक्त टीम को उनकी इस कार्यवाही के साथ-साथ 71वें गणतंत्र दिवस की लगे हाँथ बधाई भी दी है।
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Friday, January 24, 2020

अधिकारियों की मिलीभगत से रेत का हो रहा अवैध उत्खनन:विधायक

  •  जनसभा में पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने लगाया आरोप
  • कलेक्ट्रेट का घेराव कर भाजपाईयों ने राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन



 प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपाइयों का पन्ना में धरना कार्यक्रम। 

अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश व्यापी धरना कार्यक्रम के तहत आज पन्ना में भारतीय जनता पार्टी द्वारा इन्द्रपुरी कालोनी स्थित चन्द्रशेखर पार्क में आमसभा आयोजित हुई। सभा के पश्चात् पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप ङ्क्षसह के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट का कार्यकर्ताओं द्वारा घेराव किया गया एवं राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया कि मध्यप्रदेश में जब से कमलनाथ की सरकार अस्तित्व में आई है तभी से दुराग्रह पूर्ण तरीके से विभिन्न प्रकार की अनुचित कार्यवाहियां की जा रही हंै। कभी अतिक्रमण के नाम तो कभी माफि या उन्मूलन के नाम पर कांग्रेस की सरकार या तो अपने राजनैतिक विरोधियों को परेशान कर रही है या फि र आम जनता के बीच भय का वातावरण पैदा कर भ्रष्टाचार के नये-नये तरीके निकाल रही है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि प्रदेशभर में माफि या के नाम जो कार्यवाही हो रही है, उसमें कांग्रेस से जुड़े लोगों के अवैध अतिक्रमण छोड़े जा रहे हैं, जबकि भाजपा से जुड़े लोगों द्वारा वैध कागज दिखाये जाने के बावजूद उनके निर्माण तोड़े जा रहे हैं।
विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस को घेरते हुये कहा कि जिलेभर में रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है कांग्रेस के नेता ही एक-दूसरे के विरोध में ज्ञापन सौंप रहे हैं। जिले भर में चल रहे विकास के कार्यों को कांग्रेस की सरकार ने रोक दिया है। कांग्रेस की सरकार अवैध उत्खनन को रोकने में असफ ल रही है। अवैध उत्खनन को रोकने के नाम पर अधिकारी रात-रात भर बालू से भरे ट्रकों के पीछे घूमते रहते हंै और फि र उन्हें ऐसा क्या मिल जाता है कि उन्हीं ट्रकों को छोड़ देते हैं। बेचारी आम जनता अपने कामों के लिये कार्यालय में चक्कर लगाती रहती है और अधिकारी नहीं मिलते। यदि कोई ईमानदार अधिकारी अवैध उत्खनन पर लगाम लगाता है तो माफि याओं द्वारा उसे धमकियां दी जाती हैं या सरकार उस अधिकारी का ट्रांसफर कर देती है। उन्होंने जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों के स्थानांतरण पर बोलते हुये कहा कि पन्ना में चिकित्सकों की कमी थी और जो थे उनके भी ट्रांसफर कांग्रेस सरकार ने कर दिये। पन्ना में कृषि महाविद्यालय व इंजीनियरिंग कालेज खोले जाने की प्रक्रिया सरकार अभी तक प्रारंभ नहीं कर पाई। मड़ला से झिन्ना जाने वाले मार्ग पर रहने वाले लोगों को वन विभाग के अधिकारी परेशान कर रहे हैं। पक्की सड़कों का निर्माण नहीं होने दे रहे हैं। मैंने स्थानीय लोगों की समस्याओं से मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया था पर उनके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई।
धरना सभा को पूर्व विधायक राजेश वर्मा, सुशील त्रिपाठी, श्रीकांत त्रिपाठी, प्रमोद तिवारी, बृजेन्द्र गर्ग, चतुरेश सेन, मानवेन्द्र सिंह, वीरू चतुर्वेदी ने भी संबोधित किया। मंच पर पार्टी के वरिष्ट नेता पूर्व जिलाध्यक्ष जयप्रकाश चतुर्वेदी, बाबूलाल यादव, जिलाध्यक्ष रामबिहारी चौरसिया, विधायक पवई प्रहलाद लोधी, विवेक मिश्रा, रूप नगायच, स्नेहलता पराशर, रामलाल लखेरा, विनोद तिवारी एडवोकेट, मानवेन्द्र सिंह, अंकुर त्रिवेदी, अशोक तिवारी, पी.सी.यादव, मलखान सिंह, संजय सुल्लेरे, रामकरण द्विवेदी, सौरभ श्रीवास्तव, ललित गुप्ता, उमेेश सोनी, चाणक्य रैकवार, शिवशंकर द्विवेदी, अरविन्द द्विवेदी, अजय पाठक, दिलीप शिवहरे, राजकुमार वर्मा, चन्दन सपेरा, शंशाक वर्मा, भरत गुप्ता, शीलू श्रीवास्तव, ऊषा सोनी, कैलाश गुप्ता आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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Thursday, January 23, 2020

रेत खदानों से 15 ट्रक व 3 एलएनटी मशीनें जब्त

  •   कलेक्टर की अगुवाई में बीती रात हुई छापामार कार्यवाही
  •   प्रशासन की बड़ी कार्यवाही से रेत कारोबारियों में हड़कम्प


 रेत खदान क्षेत्र में कार्यवाही के दौरान थाना प्रभारी से चर्चा करते कलेक्टर।

अरुण सिंह,पन्ना। रेत के अवैध उत्खनन को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले अजयगढ़ क्षेत्र की रेत खदानों में बीती रात्रि कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की अगुवाई में छापामार कार्यवाही की गई। इस बड़ी प्रशासनिक कार्यवाही के दौरान केन नदी में रेत का अवैध उत्खनन करर ही तीन एलएनटी मशीनों को जहां जब्त किया गया वहीं रेत से भरे 15 ट्रकों को भी पकड़ा गया है। देर रात तक चली इस ताबड़तोड़ कार्यवाही के बाद से रेत के कारोबार में लिप्त लोगों में हड़कम्प मचा हुआ है।
जब्त एलएनटी व रेत से भरा ट्रक।
उल्लेखनीय है कि अजयगढ़ क्षेत्र से प्रवाहित होने वाली केन नदी की मोहाना, जिगनी, बीरा व रामनई रेत खदानों में बड़े पैमाने पर भारी भरकम मशीनों से अवैध उत्खनन किये जाने की खबरें लगातार समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही थीं। लेकिन खनिज व राजस्व अधिकारियों द्वारा कार्यवाही के नाम पर महज खानापूॢत की जाती रही, जिससे अवैध उत्खनन पर प्रभावी अंकुश लगने के बजाय दिनोंदिन और बढ़ता ही जा रहा था। बुधवार व गुरूवार की दरम्यानी रात्रि कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा योजनाबद्ध तरीके से छापामार कार्यवाही की गई। इस कार्यवाही में खनिज, राजस्व व पुलिस का अमला भी शामिल रहा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अजयगढ़ पहुँचकर कलेक्टर ने छापामार कार्यवाही के लिये तीन टीमों का गठन कर उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश देकर रवाना किया। थाना प्रभारी अजयगढ़ अरविन्द कुजूर व खनिज अमले को लेकर कलेक्टर स्वयं रेत खदानों में पहुँचकर एलएनटी मशीनों व रेत से भरे ट्रकों को पकड़वाया। दी गई जानकारी के मुताबिक मोहाना रेत खदान से एक एलएनटी मशीन व एक ट्रक, जिगनी रेत खदान से दो एलएनटी मशीन तथा रामनई रेत खदान से रेत से भरे 14 ट्रक पकड़े गये। इस तरह से इस कार्यवाही में कुल 3 एलएनटी मशीन तथा 15 ट्रक जब्त हुये हैं। इन सभी जब्त वाहनों को चन्दौरा पुलिस चौकी में खड़ा कराया गया है।
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बाघों के पुराने रहवासों की बढ़ाई जा रही सुरक्षा

  •   पन्ना कोर के झलाई बफर में बनाया गया अस्थाई कैम्प
  •   क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने किया कैम्प का उद्घाटन


 अस्थाई कैम्प का अवलोकन करते क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया,साथ में सहा. संचालक श्री शर्मा व अन्य ।

 अरुण सिंह,पन्ना । 

बाघों के पुराने रहवासों व विचरण क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने तथा वन्य प्राणियों सहित बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बफर क्षेत्र के जंगलों में अस्थाई कैम्प बनाये जा रहे हैं। यह अभिनव पहल कोर जैसी सुरक्षा बफर क्षेत्र के जंगल में मुहैया कराये जाने की मंशा से शुरू की गई है। बुधवार 22 जनवरी को अकोला बफर क्षेत्र से लगे झलाई बीट में क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने अस्थाई कैम्प झाल नाला का उद्घाटन किया। यह इलाका सदियों से बाघों का प्रिय रहवास रहा है तथा आज भी कोर क्षेत्र से निकलकर बाघ यहां आते रहते हैं। अस्थाई कैम्प के बन जाने से इस पूरे इलाके की चौबीसों घण्टे जहां निगरानी हो सकेगी वहीं बाघों सहित वन्य प्राणियों व जंगल की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

उल्लेखनीय है कि पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बाघों की निरंतर बढ़ रही संख्या के चलते अनेकों बाघ अपने लिये इलाके की तलाश में बाहर निकल रहे हैं। कोर से लगे बफर क्षेत्र के तकरीबन एक हजार वर्ग किमी के जंगल में मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के कई बाघ विचरण कर रहे हैं। इन बाघों को बफर क्षेत्र में अनुकूल वातावरण तथा कोर जैसी सुरक्षा प्रदान करने के लिये संवेदनशील स्थलों पर अस्थाई सुरक्षा कैम्प बनाने का सिलसिला शुरू किया गया है, जो अनवरत् जारी है। 

कोर से लगे बफर क्षेत्र के जंगल में इस तरह की प्रक्रिया विगत एक वर्ष पूर्व अकोला बफर से शुरू की गई थी, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आये हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक यह वन क्षेत्र पूरी तरह से उजड़ा हुआ था, जंगल की जगह मैदान नजर आ रहे थे। लेकिन बीते एक साल में ही यह उजड़ा हुआ वन क्षेत्र पेेड़-पौधों और झाडिय़ों से आच्छादित हो गया है। हरियाली बढऩे तथा छिपने की पर्याप्त व्यवस्था होने से अब अकोला बफर में बाघ, तेंदुआ व भालू जैसे वन्य जीवों के साथ-साथ चीतल, सांभर, नीलगाय जैसे शाकाहारी वन्य प्राणी भी प्रचुरता के साथ दिखने लगे हैं। इस बफर क्षेत्र में पर्यटन भी शुरू किया गया है, बाघों का दीदार होने तथा अनेकों प्राकृतिक मनोरम स्थलों की मौजूदगी के चलते बफर क्षेत्र का यह इलाका अब पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है।

झलाई बीट में हैं 5 पुराने तालाब व नाला 



नाले के किनारे घनी झाडिय़ां जहां विचरण करते हैं वन्य प्राणी।

पानी की उपलब्धता के मामले में बीट झलाई बफर का जंगल काफी समृद्ध है। यहां पर जहां 5 पुराने तालाब हैं, वहीं अमझिरिया की पहाड़ी से शुरू होने वाला झाल नाला भी निकलता है। गर्मी के दिनों में भी इस जंगल में पानी की उपलब्धता बनी रहती है, यही वजह है कि वन्य प्राणियों की मौजूदगी के लिहाज से झलाई बीट का जंगल खासा महत्व रखता है। 

परिक्षेत्र अधिकारी लालबाबू तिवारी ने बताया कि यहां दो तालाब ऐसे हैं जहां पूरी गर्मी पानी रहता है। पूर्व में यह वन क्षेत्र सामान्य वन मण्डल के अन्तर्गत था, फलस्वरूप पर्याप्त सुरक्षा प्रबन्ध न होने के कारण जंगल व वन्य प्राणियों की माकूल सुरक्षा नहीं हो पाती थी। लेकिन अब अस्थाई चौकी के बन जाने से जंगल भी नहीं कटेगा और वन्य प्राणी भी सुरक्षित रहेंगे।

ग्रामीण भी संरक्षण में निभा रहे भूमिका


क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने बताया कि बफर क्षेत्र के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण व वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिये जागरूक किया जा रहा है। उन्हें यह अहसास कराया जा रहा है कि जंगल यदि नहीं बचा तो उनकी जिन्दगी भी मुसीबतों से घिर जायेगी। यह बात ग्रामीणों की समझ में आने लगी है और वे अब स्वप्रेरणा से जंगल व वन्य प्राणी संरक्षण के कार्य में रूचि लेने लगे हैं। 

बफर क्षेत्र में स्थित ग्रामों के अनेकों लोग सुरक्षा श्रमिक के रूप में लगन और मेहनत से कार्य कर रहे हैं। अस्थाई कैम्प झाल नाला का निर्माण सुरक्षा श्रमिक स्वामी प्रसाद यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया है, जिसके निर्माण में जंगल में सहजता से उपलब्ध सामग्री का ही उपयोग किया गया है। शून्य बजट वाला यह अस्थाई कैम्प अब जंगल तथा वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

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Wednesday, January 22, 2020

नीलगाय का शिकार करने वाले चार आरोपी गिरफ्तार

  • दक्षिण वन मण्डल अन्तर्गत वन परिक्षेत्र पवई में हुआ था शिकार 
  • आरोपियों ने मांस निकालकर जंगल में फेंक दिया था नीलगाय का चमड़ा 


 नीलगाय का शिकार करने वाले आरोपी साथ में वन अमला।

अरुण सिंह,पन्ना। जिले के दक्षिण वन मण्डल अन्तर्गत वन परिक्षेत्र पवई में पिछले दिनों हुये नीलगाय के शिकार मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों ने शिकार की घटना को अंजाम देने के बाद नीलगाय के मांस को आपस में बाँटकर उसके चमड़े को जंगल में ही फेंक दिया था, ताकि वन अमला उन तक न पहुँच सके। लेकिन गहन छानबीन और तहकीकात करने के बाद आरोपी बच नहीं पाये। वन अमले ने शिकार में लिप्त रहे चारो आरोपियों को दबोच लिया है, जो अब सीखचों के भीतर हैं।
घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार पवई वन परिक्षेत्र के बीट दक्षिण मोहडिय़ा के कक्ष क्र. पी-638 में वन्य प्राणी नीलगाय का 11 जनवरी 2020 को शिकार करके उसका चमड़ा आरोपियों द्वारा फेंक दिया गया था। मामले में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2, 9, 39 के तहत वन अपराध प्रकरण क्र. 714/02 दिनांक 20-01-2020 पंजीबद्ध किया गया था। घटना का संबंध वन परिक्षेत्र शाहनगर एवं पवई से जुड़ा होने के कारण वन मण्डलाधिकारी दक्षिण पन्ना श्रीमति मीना मिश्रा द्वारा वन परिक्षेत्र अधिकारी श्रीमति श्वेता सिंह की अगुवाई में टीम का गठन किया गया। इस टीम ने 21 जनवरी की सुबह ग्राम ढेंसाई के टन्टा चौधरी पिता हल्काई चौधरी 60 वर्ष, सुखीलाल पिता धुन्धी चौधरी 32 वर्ष निवासी ढेंसाई, बद्री चौधरी पिता गोरे लाल चौधरी 35 वर्ष निवासी महेबा(बोरी) तथा हीरा लाल पिता लूना चौधरी 40 वर्ष निवासी ढेंसाई थाना शाहनगर को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई। पूछताछ में आरोपियों ने नीलगाय का शिकार कर उसके चमड़े को बीट दक्षिण मोहडिय़ा वन परिक्षेत्र पवई में कक्ष क्र. पी-638 में फेंका जाना स्वीकार किया। प्रकरण में संलिप्त आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां से सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
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Tuesday, January 21, 2020

चित्रकूट परिक्रमा मार्ग में प्राचीन बीहर-जलस्रोत पर महंत का कब्जा !


चित्रकूट। चित्रकूट परिक्रमा मार्ग में प्राचीन बीहर-जलस्रोत पर महंत का कब्जा है।  चित्रकूट में आधी परिक्रमा मार्ग पर राजाओं ने इस जलस्रोत बीहर का निर्माण वर्षों पूर्व जन हितार्थ,धर्मार्थ-परोपकार के लिए कराया था। ’ परिक्रमा मार्ग में उपेक्षित पड़े इस बीहर पर चित्रकूट के दिग्गज महन्त की नजरें इनायत क्या हुई आम धर्मार्थियों के लिए बने जलस्रोत पर पर्यटन विभाग के नियमों को धता बतलाकर महन्त जी के शिष्य का अनाधिकृत कब्जा हो गया है। बतलाते चले निर्मोही आखड़े के वर्तमान महंत श्री ओमकार दास हैं। इन्होंने अपना उत्तराधिकारी दीपक दास को बनाया था। पूर्व में इस अखाड़े के महंत रामआसरे दास थे। निर्मोही अखाड़ा शुरुआत से चित्रकूट के बड़े धर्माधीश की गद्दी रही है। परिक्रमा मार्ग में बिरजाकुण्ड नाम से यह स्थान आधी परिक्रमा के पहले आज भी बदहाल सूरत में मौजूद है।


उल्लेखनीय है इस स्थान पर पहले निर्मोही अखाड़ा का अघोषित कब्जा था। उसके बाद तत्कालीन महंत ने अपने एक शिष्य को वहाँ पर एक कमरा बनाकर रख दिया। कब्जे की बुनियाद रखने के लिए वहीं छोटे से कमरे में मूर्ति स्थापित की और अखंड श्री राम धुन चालू करवा दी। यह कुछ वैसा था जैसे अन्य स्थानों पर अवैध कब्जे के लिए होता है। इस स्थान पे पर्यटन विभाग ने यहाँ पर लोगो के लिए दो टीनशेड बनवाये थे। वर्तमान महंत ने पूरे परिसर को बंद करवाने के साथ ही बीहर-जलस्रोत के बाहरी ओर कमरे बनवाकर उसे बंद कर दिया है। सदर मुख्यालय कर्वी से जुड़े पत्रकार साथी व स्थानीय नागरिकों की माने तो यह रुबिरजाकुंड पर्यटन विभाग के निगरानी में है। परिक्रमा मार्ग में ऐसे छोटे बड़े कुंड मसलन सीता कुंड पर भी सरकार ने रंग-रोगन करवाने के अतिरिक्त उन्हें पुनर्जीवित-रिवाइवल करने के लिए कुछ नहीं किया है यह अलग बात है सरकार,प्रशासन अक्सर चित्रकूट को पर्यटन हब बनाकर वहां के जलस्रोतों को सहेजने का दावा करती है।


 श्रीराम की तपोवन नगरी में यूँ तो अब वनवासी भी आधुनिक हुए है लेकिन विडंबना ये है कि महन्त,मठाधीश, धर्माधीश भी भू-माफियागिरी में संलिप्त है। उन्हें सरकार के न तो एंटी भू माफिया कानून की फिक्र है और न इस राम के एजेंडे को साधने वाली राजनीति में चित्रकूट के प्राचीन स्थलों को बचाने में रुचि है। अविरल बहने वाली माता मंदाकनी पर ज़िस तरह केंद्रीय, राज्य सरकार से सम्मानित धर्म गुरुओं ने आश्रम,संस्थान बनाकर नदी,नीर,जंगल की अस्मिता पर प्रहार किया है वह यह साबित करता है कि चित्रकूट का वर्तमान कलेवर प्रभु राम के वनवासी जीवन से जुड़े तमाम अवशेषों,परिक्रमा मार्ग को कंक्रीट के विकास की चौहद्दी में कैद करने पर आतुर है। पुराने लोगों ने वर्षों पूर्व माता मंदाकनी का जो पाट-विस्तार,परिक्रमा मार्ग की प्राकृतिक सुंदरता देखी है उसे वे भावी पीढ़ी को हस्तांतरित नहीं करना चाहते। शायद अन्य व्यापारिक धर्मनगरी की तर्ज पर चित्रकूट के राम अवशेषों को बड़े होटल,धर्म गद्दी, लकदक आश्रम में तब्दील होना वक्त की मांग हो ? बड़ी बात है चित्रकूट को नगरनिगम बनाने की कवायद शुरू कर चुकी है। ऐसे में बिरजाकुंड,सीताकुंड जैसे जलस्रोत और एनजीटी,जबलपुर उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद मंदाकनी की भूमि पर खड़े भामाशाहों के अभेद भवन, आश्रम,संस्थानों पर कभी कोई कार्यवाही होगी क्या, यह बड़ा सवाल है ? अलबत्ता यह होता दिखाई तो नहीं पड़ता है।
@ बाँदा से आशीष सागर दीक्षित।

विलुप्त हो चुकी है अब यह चिड़िया


हम अपने इर्द-गिर्द मौजूद चिड़ियों के संगीत को तो अनसुना करते रहते हैं लेकिन यही संगीत की आवाज जब थम जाती है तो हमे सन्नाटा सुनाई देने लगता है। 2019 की समाप्ति ने कई प्रजातियों की समाप्ति की घोषणा भी की। इन्हीं में शामिल है बहमास की बहामा नटहैच चिड़िया। 2019 में पहली बार जैव-विविधता और पारिस्थितिकी सेवाओं के अंतरराज्यीय विज्ञान नीति मंच (आईपीबीईएस) ने विस्तृत रिपोर्ट में कहा था कि हम 6वीं बार सामूहिक प्रजातियों की विलुप्ति के कगार पर पहुंच रहे हैं। अब तक धरती पर डायनासोर समेत अन्य पांच प्रजातियों की सामूहिक विलुप्ति हो चुकी है।
बहामास में बहामा नटहैच चिड़िया (सिट्टा पुसिल्ला इंसुलरिस) संभवतः विलुप्त हो चुकी है। डोरियन तूफान से पहले सितंबर में सिर्फ दो बहामा नटहैच चिड़िया बची थी। डोरियन तूफान पांचवी श्रेणी का था जिसने स्थानीय जीव-जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाया है। 2019 में हुई सभी विलुप्तियों के बारे में एक आम बात ज्ञात हुई कि विलुप्ति द्वीप पर ज्यादा हैं। वहीं, द्वीपों पर लगातार खतरा बढ़ रहा है। एक बड़ा तूफान, कोई हलचल और प्राकृतिक आपदा का इनपर बड़ा नुकसान हो सकता है। मिसाल के तौर ऑस्ट्रेलियाई स्तनधारी चूहों के घर अत्यधिक पानी के चलते बर्बाद हो गए।
एक दिलचस्प बात यह है कि 2019 में एक भी वनस्पति विलुप्त नहीं हुई है। इस पर शोध जारी है। रॉयल बोटानिकल गार्डेन, कीव के निक लुघाडा का कहना है कि यह बहुत ही जटिल है कि वनस्पतियों की विलुप्ति के बारे में कोई फैसला ले लिया जाए। सबसे पहली मुश्किल विविधता में मौजूद ऐसे प्लांट की खोज की जाए। वहीं, कुछ प्लांट के बीज जमीन में पड़े रहते हैं जो बाद में स्फुटित हो जाते हैं। 1753 में स्पीशिज प्लांट्रम में आधे से ज्याद प्रजातियों को दोबारा खोज लिया गया था। इसलिए हमें बड़ा सावधान रहना पड़ता है। 571 प्लांट ऐसे हैं जिनपर विलुप्ति का खतरा है लेकिन इस वर्ष प्लांट की विलुप्ति का कोई मामला नहीं आया है। आईपीबीईएस में यह चेताया गया है कि यदि भूमि संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की गंभीरता को समझ कर उचित कदम न उठाए गए तो पारिस्थितिकी को यह हानि मानवजाति के लिए खतरा पैदा कर देगी।
डाउन टू अर्थ से साभार 

Monday, January 20, 2020

देश से प्रेम करें मगर आँखें बंद करके नहीं..



पने देश से प्रेम करें मगर आँखें बंद करके नहीं... आँखें खुली रखकर। जब अपना राष्ट्रगीत जन गण मन गाएँ तो रबीन्द्रनाथ ठाकुर को याद करें जिन्होंने इस गीत को लिखा था और जिन्होंने अपने जीवनकाल में राष्ट्रवाद से ऊपर मानववाद को रखा। इसी सिद्धांत की जमीन पर वे महात्मा गांधी से असहमत हुए। ये वही रवीन्द्रनाथ थे जिन्होंने परंपरा और पश्चिमी सभ्यता के बीच डोलते आधुनिक भारतीय मानस को समझा और अपने उपन्यास गोरा के नायक की रचना की।
गोरा एक ऐसे कट्टर और रूढिवादी हिंदू युवक की कथा है, जो अंततः  इस पहचान से मुक्त होकर एक सामान्य मानवीय अस्तित्व रह जाता है। हिंदू धर्म, जाति और कर्मकांड में दुराग्रह की सीमा तक आस्था रखने वाले युवक गोरा को जब पता चलता है कि वह हिंदू की जगह आयरिश माता-पिता की संतान है, तो एक झटके के साथ उसकी धर्म-जाति की पहचान धराशायी हो जाती है और वह जाति, रंग और धर्म विहीन मनुष्य रह जाता है। उसे लगता है कि वह एक संकीर्ण सत्य से मुक्त होकर बृहत सत्य के सामने आ खड़ा हुआ है।
जब राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान दें तो कर्नाटक के भूवैज्ञानिक पिंगली वेंकैया और आर्यसमाजी लाला हंसराज को याद करें, जिन्होंने महात्मा गांधी के निर्देश पर झंडे का डिजाइन तैयार किया था। ध्वज को सम्मान दें तो आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल यानी सिस्टर निवेदिता को भी याद कर लें। ब्रिटिश लेखिका और महिला एक्टीविस्ट डा. एनी बेसेंट और भीखाजी जी रूस्तम कामा जैसी महिलाओं को भी याद करें। इन सबका भारत के राष्ट्रीय ध्वज में योगदान रहा है। भीखाजी कामा ने ही जर्मनी में पहली बार भारत का तिरंगा फहराया था।
वामपंथ को गाली देने से पहले भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी के लेख मैं नास्तिक क्यों हूँ, बम का दर्शन और लेनिन की मृत्यु वार्षिकी पर तार को भी वक्त निकालकर पढ़ लें। स्टूडेंट पढ़ते नहीं यह कहकर दांत पीसने से पहले भगत सिंह का ही लेख विद्यार्थी और राजनीति भी पढ़ लें। जहां वे कहते हैं, वे पढ़ें। जरूर पढ़ें। साथ ही पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करें और जब जरूरत हो तो मैदान में कूद पड़ें और अपने जीवन को इसी काम में लगा दें।देश के क्रांतिकारियों के नाम का इस्तेमाल करने से पहले उनके विचारों को भी जान लें। जब देश के सर्वोच्च प्रतीकों को सलाम करें तो याद रखें कि अशोक के तमाम शिलालेखों में पाया जाने वाले चक्र बौद्ध धर्म के दर्शन से निकला है। यह दुःख और दुःख से निर्वाण का प्रतीक है।
जब भारतीय सेना के बारे में सोचें तो देश के तमाम प्रांतों से आए उन सैनिकों के बारे में सोचें जिनसे उस सेना का निर्माण हुआ है। जब देश के बारे में सोचें तो उन आदिवासियों के बारे में भी सोचें जिन्होंने हमारे जंगलों और हरी-भरी धरती को अपने खून-पसीने से सींचा है। उन मल्लाहों के बारे में सोचें जिनका हमारी नदियों से मछली की तरह रिश्ता है। मिट्टी के बरतन बनाने वालों, लोहा कूटने वालों, पत्थर तोड़ने वालों, नालियों को साफ करने वालों के बारे में भी सोचें। वे आपके देश का एक अटूट हिस्सा हैं।
किसी भी  जिम्मेदार और संवेदनशील इनसान को अपने देश से प्रेम होता है। लेकिन देश आपका ड्राइंगरूम नहीं है और न ही देशप्रेम कोई रिमिक्स सांग है कि उसे जैसा चाहेंगे वैसा इस्तेमाल करेंगे। देशप्रेम की भी शर्ते है। दिमाग के दरवाजे तो खोलने होंगे। आप देशभक्ति को एक ढाल की तरह नहीं इस्तेमाल कर सकते कि जिसकी बात पसंद न आए झट से देशद्रोही साबित कर दो। देशभक्ति एक आवरण भी बन चुका है। कोई भी तर्क-कुतर्क हो उसके ऊपर देशभक्ति का आवरण चढ़ाकर पेश कर दें ताकि या तो सामने वाला लाचार हो जाय या फिर जवाब देते ही देशप्रेम पर सवाल खड़े कर दिए जाएं। यह बिल्कुल उसी तरह से है, जैसे पुरानी फिल्मों में खलनायक हीरो की मां या उसके छोटे भाई को खींचकर अपने आगे खड़ा कर देते थे कि अगर एक भी गोली चलाई तो पहले इनको लगेगी।
जब देश सोचें तो आसमान में बादलों से भी ऊपर उड़ते परिंदे की तरह सोचें न कि कुएं में बैठे किसी मेढ़क की तरह जो सोशल मीडिया पर आए मैसेज इधर से उधर फारवर्ड करता रहता है।
@Dinesh Shrinet की वाल से..

कल्दा पठार के जंगल व वनस्पतियों पर मंडरा रहा संकट

  •   वन सम्पदा का भण्डार फिर भी यहाँ के आदिवासी बेवश व लाचार
  •   बड़े पैमाने पर अनियंत्रित उत्खनन से खूबसूरत जंगल हो रहा तबाह



अरुण सिंह,पन्ना। हरी-भरी वादियों और खूबसूरत घने जंगलों से समृद्ध रहा पन्ना जिले का कल्दा पठार धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रहा है। इस इलाके में खनिज व वन संपदा का विपुल भण्डार है, फिर भी यहां निवास करने वाले आदिवासी बेवश, लाचार और गरीब-गुरवा हैं। राजनीतिक रसूखवाले लोग सरकारी मानकों की अनदेखी कर मनमाने तरीके से उत्खनन करके करोड़ों कमाते हैं और यहां रहने वाले आदिवासी बदहाली का दंश झेलने को मजबूर हैं। यदि यही आलम रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में यहां नदी, पहाड़ व जंगल इतिहास बन जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर समुद्र तल से तकरीबन दो हजार फिट की ऊँचाई पर स्थित कल्दा पठार को पन्ना जिले का पचमढ़ी कहा जाता है। लगभग 5 सौ वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस पठार में अधिसंख्य आबादी आदिवासियों की है। जिनका जीवन पूरी तरह से जंगल व वनोपज पर ही निर्भर है। प्रकृति के सानिद्ध में नैसर्गिक जीवन जीते हुये यहां के आदिवासी सदियों से जंगल को अपनी इबादतगाह मानते रहे हैं। लेकिन तथाकथित विकास व उत्खनन से जुड़े लोगों की दखलंदाजी बढऩे से यहां के रहवासियों का इबादतगाह तेजी से उजड़ रहा है। अवैध व अनियंत्रित उत्खनन तथा जंगल की कटाई से पठार के नैसर्गिक सौन्दर्य पर भी ग्रहण लगने लगा है।


वनों की अवैध कटाई तथा अधाधुंध उत्खनन से यहां प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली वनौषधियां व हरीतिमा तिरोहित हो रही है। आश्चर्य की बात है कि राजनीतिक दलों में बड़े ओहदों पर बैठे लोग जो गरीबों और आदिवासियों के कल्याण का दम भरते हैं उन्हें उजड़ते जंगल व गायब होते पहाड़ नजर नहीं आते, जिनके बिना यहां के आदिवासियों का जीवन संभव नहीं है। कल्दा पठार का जंगल व यहां की हरी-भरी वादियां आदिवासियों की जिंदगी है, उनको उनकी जिंदगी से बेदखल किया जाना घोर अन्याय ही नहीं अपराध भी है। जंगल की अवैध कटाई व अधाधुंध उत्खनन आदिवासियों के नैसर्गिक जीवन व उनकी संस्कृति पर हमला है, जिसे रोका जाना चाहिये। कल्दा पठार के आदिवासियों ने बताया कि यदि बाहरी लोगों की दखलंदाजी बंद हो जाये तो हम यहां जंगल में खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
इन्होंने बताया कि पठार के जंगल से यहां के वाशिंदों को इतना वनोपज मिल जाता है कि जिन्दगी बिना बाधा व परेशानी के चल जाती है। यहां महुआ, अचार, आंवला, हर्र व बहेरा जैसे वनोपज प्रचुरता में पाया जाता है। श्यामगिरी, रामपुर, मैनहा, धौखान, पिपरिया, जैतीपुरा, टीकुलपोंडी भोपार, कुसमी, झिरिया व डोंडी में ही 50 ट्रक से भी अधिक महुआ का संग्रहण हो जाता है। इसके अलावा अचार व महुआ गोही से भी आदिवासियों को अच्छी आय हो जाती है। अमदरा, मैहर, कल्दा, पवई व सलेहा के व्यापारी आदिवासियों से वनोपज खरीद लेते हैं। वन अधिकारियों ने जानकारी देते हुये बताया कि कल्दा पठार के श्यामगिरी का बांस पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध रहा है। यहां का जंगली बांस सालिड बैम्बू कहलाता था, जिसकी बहुत मांग थी। कागज इण्डस्ट्री ने इस बांस को बहुत पसंद किया और बड़े पैमाने पर इस बांस की सप्लाई कागज मिलों को हुई जिससे बांस का जंगल खत्म हो गया। कल्दा पठार के खत्म हो चुके ठोस बांस को फिर से पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। पठार के जंगल को लोक संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिये, ताकि यहां की वन संपदा व प्राकृतिक वैभव सुरक्षित रह सके।


शहद के उत्पादन में हुई भारी कमी

कल्दा पठार के घने मिश्रित वनों में कुछ वर्षों पूर्व तक प्रचुर मात्रा में तकरीबन सौ कुन्टल शहद का उत्पादन होता था, लेकिन विगत कुछ वर्षों से यहां के जंगलों की मधुमक्खियां नाटकीय ढंग से लुप्त हो रही हैं। नतीजतन शहद के उत्पादन में भारी कमी आई, अब बामुश्किल 25-30 कुन्टल शहद का ही उत्पादन हो पा रहा है। मधु मक्खियों का तेजी से लुप्त होना इस बात का संकेत है कि यहां विकास के नाम पर विनाश हो रहा है। पर्यावरण को बेहतर बनाने तथा वनस्पतियों के वजूद को कायम रखने में मधुमक्खियों का अहम योगदान होता है। मधुमक्खियां सिर्फ  शहद का ही संग्रह नहीं करतीं अपितु वे अपने साथ फूलों के परागकण दूसरे फूलों तक पहुँचाकर वनस्पतियों को उगने में सहायता पहुँचाती हैं।
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Sunday, January 19, 2020

ज्यादा सोना आपकी सेहत के लिये खतरनाक



अक्सर हमसे कहा जाता है कि सोना एक बेहतरीन दवा है। लेकिन, एक नई स्टडी से पता चला है कि ज्यादा सोना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। दिन में ज्यादा बैठना और व्यायाम नहीं करना और इसके साथ साथ एक रात में 9 घंटे से ज्यादा सोना धूम्रपान और शराब पीने से भी ज्यादा खतरनाक है। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा बैठे रहने वाले इंसान की जल्दी मृत्यु की 4 गुना ज्यादा संभावना रहती है। पिछले कुछ सालों में ऐसे कई प्रमाण मिले हैं जो यह साबित करते हैं कि ज्यादा देर तक बैठना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। पहले की शोधों से भी पता चला है कि ज्यादा सोना आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इस बार यह स्टडी सिडनी यूनिवर्सिटी में की गई है जिसने बैठने और सोने दोनों पर एक साथ अध्ययन किया है।
 यूनिवर्सिटी आफ सिडनी में सीनियर रिसर्च फेलो और स्टडी के लेखक डॉक्टर मेलांडी डिंग ने बताया, जब आप श्रम या व्यायाम भी नहीं करते हैं तो आपके शरीर पर तीन तरफा मार पड़ती है। हमारी स्टडी से पता चलता है कि हम जितना पीने और अस्वस्थ खानपान की आदत को गंभीरता से लेते हैं उतनी ही गंभीरता से हमें सोने बैठने और व्यायाम करने को लेना चाहिए।
डॉ डिंग और शोधकर्ताओं की एक टीम ने 45 और इससे बड़ी उम्र के 2,30,000 से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य पर अध्ययन किया। यह स्टडी ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी स्टडी है। शोधकर्ताओं ने जीवन शैली के उन व्यवहारों का विश्लेषण किया जिसके बारे में जाना जाता है कि इससे बीमारी का खतरा बढ़ता है। इनमें धूम्रपान करना, अत्यधिक पीना, घटिया खानपान और शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहना भी शामिल था। स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि 7 घंटे से कम सोना भी धूम्रपान और शराब पीने की तुलना में 4 गुना ज्यादा खतरनाक है । यह भी बताया गया कि दिल की बीमारियां डायबिटीज और कैंसर समेत अन्य गैर संचारी रोग दुनिया भर में 3.8 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान लेती है। संक्रामक रोगों की तुलना में यह बीमारियां ज्यादा लोगों की जान लेती है।
 अगर ज्यादा निद्रा हो जाएगी तो उसका परिणाम होगा कि दिन भर आप में एक ताजगी का अभाव रहेगा, शरीर बहुत शिथिल मालूम होगा, मस्तिष्क भारी मालूम होगा। और अगर निद्रा कम हुई तो वह कम निद्रा पूरा होने की दिन भर कोशिश करेगी और उसकी वजह से आप दिनभर उनींदे अनुभव करेंगे। नींद आपको कम करना नहीं है आपको तो पूरा लेना है जितना आपके लिए जरूरी मालूम हो। कम से कम 7 घंटा - कम से कम प्रत्येक के लिए जरूरी। ज्यादा से ज्यादा 8 घंटे, कम से कम 6 घंटे, इससे कम नहीं, इससे ज्यादा नहीं, सामान्यतः। अगर आप बहुत ठीक से सम्यकरूपेण 24 घंटे का जीवन जिये हैं, तो यह हो सकता हैं नींद आपकी 6 घण्टे में पूरी हो जाये। वह अपने आप 6 घंटे में पूरी हो जाती हो और 6 घंटे के बाद आपको कोई वजह न मालूम होती हो पड़े रहने की, तो उसका अर्थ यह है कि आप इतने शांत हैं और आप इतने व्यवस्थित हैं कि शरीर के बहुत से सेल्स नहीं टूट रहे हैं, और इसलिए नींद आपकी अल्प हो गई है।
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Saturday, January 18, 2020

अनूठे अंदाज में यमराज ने बताया यातायात के नियम

  •   यातायात नियमों का उलंघन करने वालों को दी चेतावनी
  •   पुलिस लाइन में सड़क सुरक्षा सप्ताह का हुआ समापन
  •   कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को किया गया पुरूस्कृत


यातायात नियमों का उलंघन करने वाले वाहन चालकों को चेतावनी देते हुये यमराज। 

अरुण सिंह,पन्ना। सड़क सुरक्षा सप्ताह के समापन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में यमराज ने अनूठे अंदाज में लोगों को यातायात नियमों से अवगत कराया। यातायात नियमों का उलंघन करने वाले वाहन चालकों को चेतावनी देते हुये यमराज ने कहा कि यदि नियमों का पालन नहीं किया तो मैं तुम्हें यमलोक ले जाऊँगा। उन्होंने लोगों को हिदायत दी कि यातायात नियमों का उलंघन करना तथा दुपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट न पहनना आपकी जिन्दगी के लिये घातक हो सकता है। यातायात सड़क सुरक्षा सप्ताह के समापन कार्यक्रम में पहुँचकर यमराज ने लोगों को जागरूक करते हुये समझाईश भी दी।
उल्लेखनीय है कि 11 जनवरी से 17 जनवरी तक चले यातायात सड़क सुरक्षा सप्ताह के समापन अवसर पर यातायात पुलिस ने कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुये। उनके साथ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बीकेएस परिहार और एसडीओपी आर.एस. रावत भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन करते हुये रक्षित निरीक्षक ने लोगों को यातायात के प्रति जागरूकता हेतु चलाये गये अभियान की जानकारी दी। उपस्थिति लोगों को एक लघु फि ल्म के माध्यम से जागरूक किया गया। उक्त फिल्म में जिले के ही एक दुर्घटना पीडि़त व्यक्त की कहानी बताई कि किस तरह छोटी सी लापरवाही के चलते उसका पूरा जीवन खराब हो गया। इसके बाद स्थानीय कलाकारों के माध्यम से नाट्य प्रस्तुति भी दी गई। जिसमें कलाकरों ने व्यंगात्मक संवादों के साथ यातायात नियमों की जानकारी देने के साथ-साथ लापरवाही से होने वाली हानि के बारे में बताया। इसी के साथ यमराज की भूमिका में आये कलाकार मोहनलाल जडिय़ा ने बेहद अनूठे अंदाज में लोगों को संबोधित किया। यम के कैरेक्टर में नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से कई अहम सवाल लोगों से किये। इसी के साथ यातायात के नियमों का पालन नहीं करने के बेहद घातक परिणामों की जानकारी दी।


इस दौरान पुलिस अधीक्षक पन्ना मयंक अवस्थी ने लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि यातायात के नियमों का पालन करना हम सब का दायित्व है। यह नियम पुलिस या प्रशासन से बचने के लिये नहीं, बल्कि आपकी सुरक्षा के लिये है। लोगों का चालान सिर्फ  इसलिये किया जाता है, ताकि वे नियमों का पालन करें और सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि पुलिस की मंशा यह है कि लापरवाही के चलते किसी घर में किसी की मौत न हो जाये। यही कारण है कि हम निरंतर जागरूकता अभियान चलाते हैं। यातायात सड़क सुरक्षा सप्ताह पर विशेष ध्यान देकर लोगों को प्रेरित करते हैं। जागरूकता अभियान के दौरान स्कूली बच्चों को जानकारी देते हैं, ताकि वे परिवार में संवाद कर लोगों को जागरूक करें। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा सप्ताह के तहत आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरूस्कृत भी किया गया। इसमें महारानी दुर्गा राज्य लक्ष्मी स्कूल में आयोजित हुई निबंध प्रतियोगिता में सोनिया खान प्रथम, ओमिका त्रिवेदी द्वितीय, ाशिया नाजमीन तृतीय स्थान पर रहीं। वहीं चित्रकला में नाहिदा परवीन प्रथम, शाईना परवीन द्वितीय, शालिनी शर्मा तृतीय स्थान पर रहीं। इनके अलावा आयुषी शुक्ला, मनीषा रावत, दिव्यांशी शिवहरे, नीलम प्रजापति, किमी जैन को भी पुरूस्कृत किया गया। कार्यक्रम के दौरान नेशनल पब्लिक स्कूल की छात्रा अंजली कुशवाहा, सुखेन्द्र पटेल, दिव्या बागरी, खुशी गुप्ता, सत्या मंगलम, मानसी कष्यप को पुलिस अधीक्षक ने पुरस्कार दिया। इनके अलावा शासकीय आरपी उत्कृष्ट विद्यालय पन्ना की छात्रा आयुशी रावत, आरती अहिरवार, फ हीम अहम, अर्पिता, मुस्कान चौरसिया, संतोष कुशवाहा, कविता शर्मा सहित कई बच्चों को पुलिस अधीक्षक ने प्रमाण पत्र व पुरूस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान यातायात प्रभारी सहित यातायात पुलिस स्टाफ  व पुलिसकर्मी, शिक्षकगण व पत्रकार उपस्थित रहे। बताया
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Friday, January 17, 2020

गन्दगी और दूषित पानी से विषाक्त हुई किलकिला नदी

  •   नदी के जहरीले पानी से उगाई जा रही हैं सब्जियां
  •   सब्जियों के साथ घर-घर पहुँच रहे बीमारियों के जीवाणु
  •   नदी में पहुँचता है शहर की गन्दी नालियों और सीवर का दूषित पानी


गन्दे नाले में तब्दील हो चुकी किलकिला नदी।

अरुण सिंह,पन्ना। पवित्र नगरी पन्ना के निकट से प्रवाहित होने वाली किलकिला नदी का पानी बुरी तरह से दूषित और विषैला हो चुका है। पूरे पन्ना शहर की नालियों और सीवर का गन्दा एवं दूषित पानी इस नदी में पहुँचता है। इतना ही नहीं आस-पास के लोग नदी में कूड़ा-कचरा भी फेंकते हैं जिससे यह नदी जिसे किसी समय प्रणामी धर्मावलंबियों की गंगा कहा जाता था वह अब गन्दे नाले में तब्दील हो चुकी है। नदी के इसी दूषित व जहरीले पानी का उपयोग बड़े पैमाने पर सब्जियां उठाने में किया जा रहा है। जिसका सेवन कर नगर के लोग तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बड़ी देवी मन्दिर पुल से लेकर रानीबाग तक किलकिला नदी के दोनों तरफ स्थित भूमि में सब्जियों का उत्पादन होता है। इन खेतों की सब्जियां प्रतिदिन पन्ना शहर में घर-घर पहुँचती हैं, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खतरनाक व हानिकारक हैं। नदी के गन्दे पानी से सींचकर उमाई जा रही सब्जी अपने साथ अनेकों बीमारियों के जीवाणु लोगों तक पहुँचा रही है। अच्छी सेहत के लिये हरी सब्जियों का सेवन बेहतर माना जाता है, लेकिन किलकिला नदी के विषैले पानी से उगाई जा रही हरी सब्जियां सेहत के लिये फायदेमंद होने के बजाय बीमारियां परोसने में मददगार साबित हो रही हैं।
मालुम हो कि एनजीटी के स्पष्ट आदेश हैं कि सीवर के पानी से सिंचाई कर सब्जियां न उगाई जायें। इस संबंध में प्रदेश सरकार को एनजीटी ने बीते साल आदेशित करते हुये कहा था कि प्रदेश में कहां-कहां सीवर के पानी से सब्जियों का उत्पादन किया जाता है, इसका पता लगाया जाये, क्योंकि सीवर के गन्दे पानी से उगाई जाने वाली साब्जियां लोगों के स्वास्थ्य के लिये खतरनाक हैं। एनजीटी ने सीवर के पानी से उगाई जाने वाली सब्जियों पर रोक लगाने के आदेश दिये हैं। लेकिन एनजीटी के इस अहम व जन स्वास्थ्य से जुड़े आदेश का पन्ना जिले में पालन नहीं किया गया। नतीजतन शहर के आस-पास ही लगभग 2सौ एकड़ भूमि में नदी के दूषित और विषाक्त हो चुके पानी को सींचकर तरह-तरह की सब्जियां उगाई जा रही हैं। इन खेतों में उगने वाली पूरी सब्जियों की खपत पन्ना शहर में ही हो रही है।

नदी के पानी में हैं खतरनाक बैक्टीरिया


 नाले के द्वारा किलकिला नदी में आ रहे गन्दे पानी का दृश्य।

किलकिला नदी में भरा पानी पन्ना शहर की नालियों व सीवर का है, जिसमें बीमारी फैलाने वाले खतरनाक बैक्टीरिया हैं। यह बैक्टीरिया पानी के साथ खेत में पहुँचते हैं। सब्जियां तैयार होने पर पानी के साथ पौधे में पहुँचे बैक्टीरिया किसी न किसी रूप में सब्जियों में भी मौजूद रहते हैं, जिसका सेवन करने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। मौजूदा समय किलकिला नदी के दोनों तरफ स्थित खेतों में आलू, टमाटर, मिर्च, मूली, बैगन, गोभी, पत्तागोभी, पालक, मैथी, लाल भाजी, जैसी सब्जियां लहलहा रही हैं। देखने में हरे भरे और सुन्दर दिखने वाली ये सब्जियां सेहत की दृष्टि से बेहद खतरनाक हैं।

सूँघने पर सब्जियों से आती है दुर्गन्ध


नदी किनारे खेत में लगी पत्तागोभी की फसल।
नदी का पानी इस कदर दूषित और दुर्गन्धयुक्त है कि नदी के किनारे कुछ देर तक खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है। इस पानी को सींचकर उगाई जा रही सब्जियों को सूंघने पर दुर्गन्ध स्पष्ट रूप से महशूस की जा सकती है। हरी सब्जियों विशेषकर पालक, मैंथी, धनिया, मूली व पत्तागोभी को संूघकर ही पता लगाया जा सकता है कि इन्हें किलकिला नदी के पानी से उगाया गया है। सब्जी उगाने वाले कृषक यहां की सब्जी लेकर जब बाजार पहुँचते हैं तो वे इस बात को छिपाने का प्रयास करते हुये यही बताते हैं कि सब्जी दूसरी जगह से लाई गई है। कृषि वैज्ञानिकों का भी यह कहना है कि सीवर के गन्दे पानी में बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया होते हैं, इस पानी का उपयोग कर उगाई जाने वाली सब्जियां स्वास्थ्य के लिये हानिप्रद साबित हो सकती हैं।
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Tuesday, January 14, 2020

तेज रफ्तार बस पलटी, एक दर्जन यात्री घायल

  •   पन्ना-सतना मार्ग पर बहेरा के पास हुआ हादसा
  •   घायलों का जिला चिकित्सालय में चल रहा इलाज
  • हादसे में पुरुषों के साथ महिलायें भी हुई घायल 

पन्ना - सतना मार्ग पर बहेरा गांव के पास हुये हादसे का द्रश्य। 

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 10 किमी दूर पन्ना-सतना मार्ग पर मंगलवार की दोपहर सुखेजा बस सर्विस की तेज रफ्तार यात्री बस बहेरा गाँव के पास अनियंत्रित होकर पलट गई। हादसे में एक दर्जन से भी अधिक यात्री घायल हुये हैं जिनमें पुरूष व महिलायें शामिल हैं। घायलों में गम्भीर रूप से घायल एक यात्री को प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने मेडिकल कॉलिज रीवा के लिये रेफर किया है। मिली जानकारी के मुताबिक सुखेजा बस सर्विस की यात्री बस क्र. एमपी-19पी-1182 पन्ना से यात्रियों को लेकर सतना की ओर जा रही थी। जैसे ही यह बस एनएच-39 में बहेरा गाँव के पास पहुँची उसी समय तेज गति होने के कारण अनियंत्रित होकर पलट गई। यात्री बस के पलटने पर घटना स्थल पर चीख-पुकार मच गई। बस में सवार कई यात्री लहूलुहान हो गये।
दोपहर लगभग ढाई-तीन बजे यात्री बस के पलटने पर वहां मौजूद लोगों ने कोतवाली पुलिस को सूचना देते हुये बस में फँसे यात्रियों को बाहर निकाला। हादसे में घायल कुछ यात्री निजी साधनों का सहारा लेकर सतना के लिये रवाना हो गये जबकि हादसे में घायल हुये अन्य यात्रियों को एम्बुलेंस की मदद से जिला चिकित्सालय पन्ना में भर्ती कराया गया, जहां घायलों का इलाज चल रहा है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोपहर लगभग 3 बजे यह यात्री बस सतना के लिये रवाना हुई थी। पन्ना से तकरीबन 10 किमी दूर जैसे ही यह बस बहेरा गाँव के निकट पहुँची तो अनियंत्रित होकर पलट गई। भीषण हादसे के चलते बस में सवार कई यात्री लहूलुहान हो गये। हादसे की जानकारी मिलते ही कोतवाली थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँच गये। पुलिस की मदद से सभी घायलों को जिला चिकित्सालय पहुँचाया गया।
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पन्ना टाइगर रिज़र्व में रेड अलर्ट

  • 13 जनवरी से 16 जनवरी तक नहीं मिलेगा अवकाश 
  • वन कर्मचारियों को सघन गस्ती के दिये गए आदेश 



अरुण सिंह,पन्ना। मकर संक्रान्ति पर्व को दृष्टिगत रखते हुये पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र में रेड अलर्ट घोषित किया गया है। उपसंचालक पन्ना टाईगर रिजर्व जरांडे ईश्वर रामहरि ने कोर व बफर क्षेत्र के सभी वन परिक्षेत्राधिकारियों को इस आशय के निर्देश दिये हैं।  मकर संक्रान्ति के परिप्रेक्ष में पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर एवं बाहरी इलाकों में सुरक्षा को लेकर 13 जनवरी से 16 जनवरी तक रेड अलर्ट घोषित किया गया है, ताकि शिकार की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाई जा सके। जारी आदेश में कहा गया है कि मकर संक्रान्ति के अवसर पर किसी भी प्रकार का शिकार न हो पाये इस हेतु वनकर्मी अपने क्षेत्रों में सघन गश्ती करें। उन्होंने वन परिक्षेत्र अधिकारियों से कहा है कि वे अधीनस्थों को अपने स्तर पर निर्देशित करें। इस अवधि में किसी भी कर्मचारी को किसी प्रकार का अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाइगर रिज़र्व में मौजूदा समय 55 से भी अधिक बाघ हैं जो कोर क्षेत्र के अलावा बफर व आसपास के जंगलों में भी विचरण कर रहे हैं। हाल के दिनों में बफर सहित सामान्य वन क्षेत्र के जंगल में शिकार की हुई घटनाओं से पार्क प्रबंधन बाघों की सुरक्षा को लेकर सचेत हुआ है। बफर क्षेत्र में जहाँ निगरानी चौकियां स्थापित कर सुरक्षा प्रबन्ध सुद्रढ़ किये जा रहे हैं वहीँ वन क्षेत्र से लगे ग्रामों में लोगों को जागरूक कर वन व वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने उनकी मदद ली जा रही है।
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Monday, January 13, 2020

भारतीय संस्कृति, कला और इतिहास से संबंधित पुस्तकों की माँग पूरे विश्व में

  • मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने भोपाल लिटरेचर एण्ड आर्ट फेस्टिवल में किया पुस्तकों का विमोचन




भोपाल। भारतीय संस्कृति, कला और इतिहास से संबंधित पुस्तकों की माँग पूरे विश्व में है। इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश को लीड लेना चाहिये क्योंकि मध्यप्रदेश में संस्कृति और कला की विविधता व्यापक रूप में विद्यमान है। चम्बल, निमाड़, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में संस्कृति और कला की विविधता व्यापक रूप से देखने को मिलती है। नगरीय विकास और आवास मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने भारत भवन में हार्टलेण्ड स्टोरीज, भोपाल लिटरेचर एण्ड आर्ट फेस्टिवल के समापन कार्यक्रम में यह बात कही। श्री सिंह ने पर्यावरण, विज्ञान और रिश्ते-नाते श्रेणी में लिखी गई विभिन्न कहानियों के लेखकों को पुरस्कृत किया। उन्होंने अनेक पुस्तकों का विमोचन भी किया। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पूरा विश्वास है कि इस फेस्टिवल का स्वरूप हर साल बढ़ता जायेगा। उन्होंने कहा कि अगले फेस्टिवल में प्रदेश की जनजातीय और धार्मिक कहानियों को भी बेहतर स्थान मिलेगा। श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी, राहत इंदौरी, हरिशंकर परसाई जैसी अनेक हस्तियों के लिये जाना जाता है।

विद्यार्थी अध्ययनशील बनें सफलता जरूर मिलेगी 


श्री सिंह ने विद्यार्थियों से कहा कि अध्ययनशील बनिये सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक ऐसी संस्था हो, जिसमें इस क्षेत्र में कार्य करने वाले विद्यार्थियों को बेहतर मार्गदर्शन मिल सके। श्री सिंह ने लेखकों की किताबों का जिक्र करते हुए खुले मन से उनकी प्रशंसा की। श्री सिंह ने श्री वर्तुल सिंह की
भोपालनामा, श्री श्रेयांश दीक्षित की व्हेन आई मेट माई सेल्फ, डॉ. रीमा आहूजा की प्री इन्डिपेंडेंस इण्डिया, कु. ईशा वाश्यम दास की मर्डर एट मूनलाइट कैफे एण्ड अदर स्टोरीज, श्री रघुराज राजेन्द्रम् की थ्री एस एण्ड अवर हेल्थ और बारह वर्ष की जुड़वा बहन भव्या और नव्या सिंह की पोस्ट मिलेनियल टेल्स पुस्तक का विमोचन किया। मंत्री श्री सिंह ने स्टोरी राइटिंग कॉम्पटीशन के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। स्टोरी राइटिंग पर्यावरण, विज्ञान और रिश्ते-नातें विषय पर की गई। उन्होंने कुंवर इन्द्रजीत सिंह, ऋचा श्रीवास्तव, अनीता चौकसे, सुमित, कुलदीप शर्मा, रामकिशोर त्रिपाठी, सारा सैय्यद, झनक सिंह, प्रांजल राय, अमित गुप्ता, पूर्वा चौकसे, लोकेश गुलियानी, श्रीमती संतोष बकाया, प्रशांत चटर्जी, आशीष सहाय श्रीवास्तव, आईसा सिकंदर, अमृता मोटवानी, कृति केसरी, जरीबा खातून, अदीना सैय्यद, सलीका श्रीवास्तव, सोमेश भगवानी, प्रज्ञा चौधरी, योगेश शर्मा और अक्षय शर्मा को पुरस्कृत किया। उन्होंने जूरी के सदस्यों श्रीमती सीमा रायजादा और मंगला गौरी को भी सम्मानित किया।
कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी, मसूरी के संचालक श्री संजीव चौपड़ा ने कहा कि शहर की पहचान सिर्फ किलों और झीलों से ही नहीं, बल्कि वहाँ के साहित्य और लोगों के व्यवहार से भी प्रदर्शित होती है। श्री गौरव चन्द्रा ने फेस्टिवल के आयोजन के संबंध में जानकारी दी। वरिष्ठ पत्रकार श्री अभिलाष खाण्डेकर ने रायपुर स्मार्ट सिटी में बनाई गई अत्याधुनिक लायब्रेरी का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी लायब्रेरी भोपाल और इंदौर में भी बननी चाहिए। इस दौरान साहित्य और कला-प्रेमी दर्शक उपस्थित थे।
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