Monday, September 28, 2020

बाघिन ने चीतल का किया शिकार, दावत शिकारियों ने उड़ाई

  •  जंगल में घुसपैठ के साथ-साथ अब भोजन पर भी हिस्सेदारी
  •  आखिर पन्ना टाईगर रिज़र्व में इस समय यह हो क्या रहा है ?

बाघिन का शिकार वह चीतल जिसका एक हिस्सा काटकर शिकारी ले गये। 

अरुण सिंह,पन्ना। वन्य प्राणियों के रहवास में घुसपैठ करने के साथ-साथ शिकारी अब उनके भोजन पर भी हक जताने लगे हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में अमानगंज बफर के मझौली बीट में बाघिन ने एक चीतल का शिकार किया। अपने पसंदीदा इस शिकार को थोड़ा चखने के बाद बाघिन वहीं आस पास जब सुस्ताने लगी तो शातिर शिकारियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए बाघिन के शिकार से ही अपना हिस्सा निकाल लिया। इस तरह जंगल में अपनी भूख मिटाने के लिए शिकार तो बाघिन ने किया लेकिन दावत शिकारियों ने उड़ाई। जाहिर है कि श्रम करके शिकार करने वाली बाघिन को भोजन से वंचित रहना पड़ा, क्योंकि शिकारियों से बचे चीतल के शरीर का आज बकायदे पोस्टमार्टम किया जाकर नियमानुसार उसे जला दिया गया है।

 यह अजीबोगरीब घटना वहां की है जिसे वन्य प्राणियों के लिए सबसे सुरक्षित और मानवीय दखल से मुक्त माना जाता है। बीते कुछ महीनों से पन्ना टाईगर रिजर्व में जिस तरह से बाघों की संदिग्ध मौतें हुई हैं तथा एक वयस्क नर बाघ का शिकारियों द्वारा सिर काटे जाने की घटना प्रकाश में आई है, तब से पन्ना टाईगर रिजर्व सुर्खियों में बना हुआ है। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स जहां मामले की तहकीकात में जुटी है वहीं प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी आलोक कुमार भी हाल ही में पन्ना का दौरा कर यहां के हालातों का जायजा लिया है। ऐसे समय जब कथित तौर पर पन्ना टाइगर रिजर्व का प्रबंधन व मैदानी अमला हाई अलर्ट पर है उस समय बाघिन द्वारा किये गये शिकार पर शिकारियों द्वारा हाथ साफ किये जाने की घटना न शिर्फ़ चौंकाने वाली है अपितु चिंता में भी डालने वाली है। अब तो लोग यह कहने लगे हैं कि आखिरकार पन्ना टाइगर रिजर्व में यह सब हो क्या रहा है ? यहां की निगरानी व्यवस्था व सुरक्षा तंत्र क्या अप्रभावी हो चुका है ? शिकारियों की आखिर हिम्मत कैसे पड़ गई कि वे बेखौफ होकर बाघिन का ही निवाला उसी के घर से छीन कर ले गये।

गौरतलब है कि पार्क प्रबंधन बाघों का कुनबा बढ़ने पर उसका श्रेय लेने में जब पीछे नहीं रहता तो शिकार सहित इस तरह की विचित्र घटनाओं की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पन्ना की जनता व वन्यजीव प्रेमियों को यह बताना चाहिए कि आखिरकार यह सब क्यों और किन कमियों के चलते हो रहा है। पन्ना के विकास को दांव पर लगाकर अथक श्रम व सामूहिक प्रयासों से जो कामयाबी मिली है उसे पन्नावासी अब खोना नहीं चाहते। इसलिए सरकार व वन महकमे के जिम्मेदार आला अफसरों को चाहिए कि वे पन्ना टाइगर रिजर्व की पटरी से उतर चुकी व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए शीघ्र कारगर कदम उठायें। यहां का मैदानी अमला वही है जिनके अथक प्रयासों से पन्ना को चमत्कारिक सफलता मिली है। जाहिर है कि कमी मैदानी अमले में नहीं बल्कि सुविधाभोगी अधिकारियों में है जो अपने दायित्व का निर्वहन ईमानदारी से नहीं कर रहे। प्रदेश सरकार को ध्यान देना चाहिए कि रिजर्व वन क्षेत्रों में काबिल, वन्य प्राणियों के संरक्षण में रुचि रखने वाले, मेहनती और उत्साही अधिकारियों की पदस्थापना हो। नकारा, अयोग्य और गुटबाजी को बढ़ावा देने वाले सुविधाभोगी अधिकारियों से टाइगर रिजर्व मुक्त रहें तभी कुछ बेहतर की उम्मीद की जा सकती है।

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Saturday, September 26, 2020

पन्ना जिले में आज मिले 31 कोरोना पॉजिटिव मरीज

  •  लापरवाही के चलते तेजी से बढ़ रही संक्रमण की रफ़्तार 
  •  जिले में संक्रमित पुष्ट मरीजों की संख्या अब हुई 639 

कोविड केयर सेंटर पुराना पन्ना का निरीक्षण करते कलेक्टर संजय कुमार मिश्र। 


अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना संक्रमण की रफ़्तार अब दिनों दिन बढ़ रही है। शनिवार को आज जिले में 31 कोरोना पॉजिटिव मरीज मरीज मिले हैं, जो एक ही दिन में मिलने वाले पॉजिटिव मरीजों की बड़ी संख्या है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना द्वारा आज जारी की गई हेल्थ बुलेटिन में बताया गया है कि शनिवार 26 सितम्बर को जिले में 31 नये कोरोना पॉजिटिव प्रकरण पाये गये हैं। जिसके अन्तर्गत पन्ना शहर में 13 प्रकरण, अजयगढ़ में 2, देवेंद्रनगर में 1, अमानगंज में 1, पवई में 12 तथा शाहनगर में 2 पॉजिटिव प्रकरण पाये गये हैं। इस तरह से अब जिले में कोरोना पॉजिटिव प्रकरणों की पुष्ट संख्या छः सौ के पार 639 हो गई है। दी गई जानकारी के मुताबिक अब तक जिले में 498 मरीज संक्रमित होने के उपरांत स्वस्थ हो चुके हैं, फलस्वरूप कोरोना के एक्टिव पुष्ट प्रकरणों की संख्या वर्त्तमान में 138 है। जिनका जिले के विभिन्न कोविड संस्थानों में चिकित्सकों की देखरेख में उपचार चल रहा है।          

कोरोना के चलते कलेक्टर से अब सीधे नहीं मिल सकेंगे लोग 

जिले में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुये अब आम जन कलेक्टर से सीधे नहीं मिल सकेंगे। कलेक्टर कार्यालय में विभिन्न कार्यो के लिए आने वाले लोगों को जिन्हें सीधे कलेक्टर संजय कुमार मिश्र से बातचीत करनी हो या कोई समस्या सुनानी हो तो अब कलेक्टर कक्ष में जाकर मिलने के बजाय कलेक्टर कार्यालय में आम आदमी से बातचीत करने के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत कोई भी व्यक्ति कलेक्टर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत कर सकेगा। यह व्यवस्था कोरोना वायरस संक्रमण रोकथाम को दृष्टिगत रखते हुए की गयी है। 

कोविड केयर सेंटर पुराना पन्ना में देखी व्यवस्थायें 

कलेक्टर संजय कुमार मिश्र द्वारा शासकीय मॉडल स्कूल पन्ना में स्थापित कोविड केयर सेंटर का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। उन्होंने वहां पर कोविड पॉजिटिव मरीजों के लिए की गयी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। वहां भर्ती कोविड पॉजिटिव व्यक्ति से चर्चा कर उसको उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने उसके स्वास्थ्य के संबंध में चर्चा करते हुए पूछा की दवाएं, भोजन एवं अन्य सुविधाए उपलब्ध हो रही हैं की नहीं। संबंधित द्वारा बताया गया कि सेंटर में दवा, भोजन एवं अन्य सुविधाएं यहां तैनात कर्मचारियों द्वारा समय समय पर उपलब्ध कराई जा रही है। कलेक्टर श्री मिश्र ने कोविड केयर सेंटर में ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों से चर्चा कर वहां की व्यवस्थाओं एवं मरीजों के संबंध में जानकारी ली। 

कोरोना संक्रमण रोकने उपाय सभी लोग अपनायें -कलेक्टर

कलेक्टर  संजय कुमार मिश्र ने जिले के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सभी की सहभागिता जरूरी है। व्यक्ति स्वयं के स्वास्थ्य की रक्षा करने के साथ अन्य लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा तभी कर सकता है जब वह कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए जारी दिशानिर्देशों का कडाई से पालन करेगा। उन्होंने कहा कि व्यवसायी, निजी संस्थान, शासकीय कार्यालयों में कार्यरत व्यक्ति मास्क नहीं तो बात नहीं के सिद्धांत को अपनायें। सभी लोग आपस में 06 फिट की दूरी रखने के साथ चेहरे पर मास्क लगायें। हांथों को सेनेटाइज करें अथवा बार बार साबुन से हांथों को धोते रहें। कही भी भीड के रूप में एकत्र न हों। इसी प्रकार आयोजित होने वाले निजी एवं सार्वजनिक कार्यक्रमों में निर्धारित संख्या से अधिक लोग शामिल न हों। ऐसा करने से स्वयं के साथ अन्य लोगों के जीवन की रक्षा की जा सकती है। इस सब के लिए आमजन की सहभागिता आवश्यक है। शासन द्वारा अपने स्तर पर आम आदमी की सुरक्षा के लिए प्रभावी प्रयास कियेजा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मास्क न लगाने वाले व्यक्तियों पर चालानी कार्यवाही करते हुए 100 रूपये की वसूली की जायेगी। इसके अलावा कोरोना संबंधी दिशानिर्देशों का पालन न करने पर अर्थदण्ड के साथ अन्य नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।

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Friday, September 25, 2020

तेंदुआ के शिकार मामले में एक संदिग्ध गिरफ्तार

  •  सतना की डॉग स्क्वायड टीम ने पकड़ा संदिग्ध 
  •  पिछले हिस्से में कूल्हे के पास लगा था तार का फंदा

चार वर्षीय मृत मादा तेंदुआ का पोस्टमार्टम से पहले का चित्र। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में तेंदुआ के शिकार मामले में आज वन अमले द्वारा एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है। तार के फंदे में फंसने के कारण गुरुवार को 4 वर्षीय वयस्क मादा तेंदुआ की मौत हो गई थी। आज अपरान्ह मृत तेंदुआ का पोस्टमार्टम वन मंडलाधिकारी दक्षिण पन्ना श्रीमती मीना मिश्रा की मौजूदगी में पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। पोस्टमार्टम के उपरांत वन अधिकारियों की उपस्थिति में तेंदुआ का दाह संस्कार हुआ।

 मामले की जानकारी देते हुए वन मंडलाधिकारी दक्षिण पन्ना श्रीमती मीना मिश्रा ने बताया कि टाइगर स्ट्राइक फोर्स सतना की डॉग स्क्वायड टीम ने घटनास्थल का जायजा लेकर सर्चिंग की थी, फलस्वरुप डॉग ने उस खेत तक पहुंचा दिया जहां फंदा लगा था। इस खेत से तकरीबन आधा किलोमीटर दूर नीम के पेड़ में फंदा सहित तेंदुआ का शव बरामद हुआ था। अधिकारियों ने खेत के मालिक मचली प्रजापति 55 वर्ष निवासी पटना तमोली को गिरफ्तार किया है। मामले में इस संदिग्ध आरोपी से पूछताछ की जा रही है।

फंदा से तेंदुआ के अंदरूनी अंग व चमड़ा हुआ डैमेज

 

आरोपी की तलाश हेतु सर्चिंग करती सतना की डॉग स्क्वायड टीम। 

डीएफओ श्रीमती मिश्रा ने बताया कि पोस्टमार्टम से स्पष्ट हुआ कि मादा तेंदुआ की मौत पिछले हिस्से में कूल्हे के पास फंदा लगने से हुई है। अत्यधिक कसाव होने के कारण तेंदुए का चमड़ा व अंदरूनी अंग डैमेज हो गये हैं। फंदा के कारण ब्लड सरकुलेशन भी रुक गया था, जिससे तेंदुआ की मौत हो गई थी। मौके पर आज टाइगर स्ट्राइक फोर्स सतना की डॉग स्क्वायड टीम जब पहुंची तो डॉग नीम के पेड़ जहां तेंदुआ का शव मिला था, वहां से लगभग 500 मीटर दूर स्थित खेत तक ले गया। इसी खेत में फंदा लगाया गया था। जिसमें फंसने के बाद मादा तेंदुआ फंदा सहित नीम के पेड़ में चढ़ गया, जहां उसकी मौत हो गई।

 विश्रामगंज वन परिक्षेत्र में भी मिला मादा तेंदुआ का शव 

दक्षिण वन मंडल पन्ना के सलेहा वन परिक्षेत्र में फंदा से फंसने के चलते 4 वर्षीय मादा तेंदुआ का पोस्टमार्टम होने के कुछ देर बाद ही उत्तर वन मंडल पन्ना के विश्रामगंज वन परिक्षेत्र में रक्सेहा के पास एक अन्य मादा तेंदुआ का शव मिलने की खबर आ गई। बताया गया है कि यह मादा तेंदुआ भी लगभग 4 वर्ष का है, जिसकी मौत आज सुबह हुई है। इस मृत तेंदुआ का पोस्टमार्टम भी पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। ऐसी आशंका जताई गई है कि इस मादा तेंदुआ की मौत किसी बीमारी की चपेट में आने के कारण हुई है। बीमारी कौन सी है तथा इससे अन्य वन्य प्राणियों पर संक्रमण का तो कोई खतरा नहीं है, इस बावत अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। पोस्टमार्टम के बाद मृत तेंदुआ के शव से जांच हेतु सैंपल लिये गये हैं, जिन्हें बरेली, जबलपुर व सागर भेजा जायेगा। जांच रिपोर्ट आने पर ही बीमारी के संबंध में सही जानकारी हासिल हो सकेगी।

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फंदे में फंसा तेंदुआ नीम के पेड़ में चढ़ा, हुई मौत

  •  नहीं थम पा रहीं वन्य जीवों के शिकार की घटनायें 
  •  आखिर हो क्या रहा, क्यों बेखौफ हो चुके हैं शिकारी  

नीम के पेड़ में फंदे से लटका मृत तेंदुआ। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में अब वन्य प्राणियों की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। पन्ना टाइगर रिज़र्व सहित आसपास के जंगलों व आबादी वाले क्षेत्रों में जिस तरह से आये दिन शिकार एवं वन्य प्राणियों की संदिग्ध मौत की घटनायें सामने आ रही हैं, उससे तो यही संकेत मिलता है। आख़िरकार यह हो क्या रहा है, शिकारी इतने बेखौफ क्यों हो चुके हैं? दक्षिण वन मंडल अंतर्गत सलेहा वन परिक्षेत्र के ग्राम पटना तमोली में तार के फंदे से फंसकर एक युवा तेंदुए की मौत हो गई है। मृत तेंदुआ की उम्र दो से ढाई वर्ष बताई जा रही है। वन मंडल अधिकारी दक्षिण श्रीमती मीना मिश्रा ने बताया कि गुरुवार 24 सितंबर को अपराह्न लगभग 2:30 बजे पटना तमोली गांव के इंदिरा आवास कॉलोनी स्थित नीम के पेड़ में तेंदुआ के चढ़े होने की जानकारी मिली थी। सूचना मिलते ही वन परिक्षेत्र अधिकारी राम सिंह पटेल तुरंत मौके पर पहुंचे और वायनाकुलर से देखा तो पता चला कि तेंदुआ वायर से फंसा हुआ है। श्रीमती मिश्रा ने बताया कि मामले की जानकारी तुरंत पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक व रेस्क्यू टीम को दी गई तथा मैं स्वयं मौके पर पहुंची। लेकिन जब तक रेस्क्यू टीम पहुंची तेंदुआ की फंदे का कसाव होने से मौत हो चुकी थी।  

डीएफओ श्रीमती मिश्रा ने बताया कि आज मृत तेंदुए का पोस्टमार्टम कराया जाएगा, तभी स्थिति स्पष्ट होगी। वन मंडल अधिकारी ने आशंका जताई है कि गांव के आसपास के खेत में तेंदुआ फंदा में फंसा होगा और फंसने के बाद तार सहित नीम के पेड़ में चढ़ गया। आसपास सर्चिंग की जा रही है तथा यह पता लगाया जा रहा है कि किस जगह पर फंदा लगाया गया था, इसमें डॉग की भी मदद ली जा रही है। आपने बताया कि वायर में लकड़ी का एक बड़ा टुकड़ा भी फंसा हुआ है जिसके घिसटने के निशान मौजूद हैं। मृत तेंदुआ नर है या मादा अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई। पेड़ से नीचे उतारे जाने के बाद ही इस बात का पता चलेगा। डीएफओ ने बताया कि फंदा तेंदुआ के पिछले हिस्से पेट के पास लगा है। मरने के बाद भी तेंदुआ जीवंत नजर आ रहा था, दूर से देखने पर ऐसा नहीं लग रहा कि वह मर चुका है। डीएफओ ने बताया कि आज जैसे ही पोस्टमार्टम हो जायेगा घटना की पूरी जानकारी दी जायेगी।

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Thursday, September 24, 2020

कितना रहस्यपूर्ण और जटिल है मक्का की परागण क्रिया : बाबूलाल दाहिया


पद्मश्री बाबूलाल दाहिया जी मक्का के भुट्टे दिखाते हुए। 


अरुण सिंह, पन्ना। घर, आँगन और खेत में हर कहीं उगने वाला मक्का जिसके दानों को आग में भूनकर हम सब बड़े चाव से खाते हैं, उसकी परागण क्रिया कितनी जटिल और रहस्यपूर्ण है यह जानना भी उतना ही दिलचस्प है। मक्का की जटिल परागण क्रिया को यदि पद्मश्री बाबूलाल दाहिया जी अपनी जुबानी बतायें तो उसका आनंद भी मक्का के स्वाद से कम नहीं है। आमतौर पर ठेठ बघेली में बतियाने वाले पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कृषक बाबूलाल दाहिया जी ने जैव विविधता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। इन्होने धान की अनेकों किस्मों को न सिर्फ संरक्षित किया है अपितु जैविक खेती को बढ़ावा देने व मोटे अनाजों को सहेजने का भी कार्य किया है।  सतना जिले के पिथौराबाद गांव के निवासी श्री दाहिया बघेली के ख्यातिलब्ध कवि भी हैं। विंध्य और बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कभी बहुलता में उगाये जाने वाले मोटे अनाजों के बारे में उनका परम्परागत ज्ञान अतुलनीय है। परंपरागत देशी धान की बिसरा दी गईं न जाने कितनी किस्मों को आपने बड़े जतन के साथ सहेजने और संरक्षित करने का जहाँ काम किया है वहीँ सावा, काकुन ,कुटकी, कोदो , ज्वार, बाजरा , मक्का जैसे  मोटे अनाज अपने खेत में उगाकर खेती के पुराने परम्परागत ज्ञान की अलख जगाये हुये हैं। मोटे अनाजों की जैविक खेती का महत्व  व इसका मानव जीवन और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस बावत भी दाहिया जी लोगों को जागरूक करते हैं।

दाहिया जी बताते हैं कि मेरे हाथ मे जो मक्के का भुट्टा है उसमें एक ही भुट्टे में तीन रंग हैं।  सफेद, काला और पीला । बहुत से लोगों को यह न मालुम होगा कि एक ही भुट्टे में अलग-अलग रंग के दाने कैसे बन गये ? पर यह सब आप के मक्के में भी बन सकता है। दर असल मक्के के भुट्टे चार अलग अलग रंग के होते हैं ? वह रंग हैं सफेद, पीला, लाल और काला। मक्के की परागण क्रिया बड़ी जटिल है। आपने देखा होगा कि उसमें पुष्प तो पौधे के ऊपर आते हैं पर भुट्टे मध्य भाग में लगते हैं। जब ऊपर पुष्प आ रहे होते हैं तभी मध्य भाग में भुट्टे का आकार बन कर उसके ऊपर झालर नुमा सफेद ललामी युक्त रेशे भी दिखने लगते हैं। 

भुट्टे के ऊपर लटक रहा वह हर रेशा भुट्टे में सम्भावित दाने के खाँचे से जुड़ा रहता है और जैसे ही परागण कण उस रेशे में पड़े वह उन्हें दाने के खाँचे तक पहुंचा  देता है। यदि परागण उसी पौधे के कणों से हुआ तब तो दाने का रंग एक जैसा उसी प्रजाति के अनुरूप होगा। किन्तु अगर परागण  कण पास ही उगे अन्य  प्रजाति के लाल, काले आदि मक्का पौधों से आकर उस रेशे में पड़ेगा तो वह रेशा दाने के भ्रूण में अन्य प्रजाति के परागण को पहुंचा देगा। फलस्वरूप जितने किस्म के मक्के के पुष्प के परागण कण उसके रेशों में पड़ेंगे दाने का रंग मेरे हाथ में रखे भुट्टे की तरह कई रंग का हो जायेगा।

डॉ. बिनीता देवी लाल दाने वाले भुट्टों के साथ। 


सोसल मीडिया के खेती किसानी ग्रुप में दाहिया जी द्वारा दी गई इस जानकारी पर एकेएस यूनिवर्सिटी में जेनेटिक्स एण्ड प्लांट ब्रीडिंग विभाग की प्रमुख डॉ. बिनीता देवी ने रोचक और ज्ञानवर्धक प्रतिक्रिया दी है। जिसकी सराहना करते हुये दाहिया जी ने कहा है कि मैडम जी आपका काम बहुत ही अच्छा है। डॉ. बिनीता देवी ने लाल मक्का विकसित करने के लिये दाहिया जी को बधाई देते हुए इस सन्दर्भ में बताया है कि उन्होंने भी लाल मक्का विकसित करने का कार्य उस दौरान किया जब वे बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी में जेनेटिक्स एण्ड प्लांट ब्रीडिंग विभाग में पदस्थ थीं। आपने बताया कि वे मक्का की इस प्रजाति को व्यावसायिक खेती के अनुरूप विकसित करने के कार्य में लगी हैं। उनके इस कार्य की पद्मश्री दाहिया जी ने सराहना की है। 

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मेरा काम वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट है, मैन मैनेजमेंट नहीं : भदौरिया

  •  जनसमर्थन से बाघ संरक्षण की सोच को क्षेत्र संचालक ने किया खारिज 
  •  प्रेस वार्ता में बताया वर्ष 2017-18 की तुलना में दोगुनी हुई बाघों की संख्या

पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर क्षेत्र में आयोजित प्रेसवार्ता का द्रश्य। 

अरुण सिंह,पन्ना।  मेरा काम वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट है, मैन मैनेजमेंट नहीं। पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर क्षेत्र में बुधवार 23 सितंबर की शाम आयोजित प्रेसवार्ता में क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि कुशल प्रबंधन का ही यह परिणाम है कि वर्ष 2017-18 की तुलना में मौजूदा समय यहां दोगुने से भी ज्यादा बाघ हैं। इस तरह से क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने जनसमर्थन से बाघ संरक्षण वाली सोच को सिरे से खारिज कर दिया है।

 उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 10 किलोमीटर दूर अकोला बफर के प्रवेश द्वार पर आयोजित इस प्रेस वार्ता को लेकर मीडिया से जुड़े लोगों में भारी उत्सुकता थी। क्योंकि बीते 9 माह के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व में जिस तरह से 5 बाघों सहित तेंदुओं की संदिग्ध मौतें हुई हैं, उसको लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे थे। विगत 9 अगस्त को केन नदी में सिर कटा वयस्क नर बाघ का शव मिलने के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व सुर्खियों में बना हुआ है। जिसको लेकर जांच भी शुरू हो गई है। विशेष गौरतलब बात यह है कि इस घटनाक्रम के बाद चल रही जांच के बीच प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) आलोक कुमार अचानक 22 सितंबर की रात पन्ना पहुंचते हैं और 23 सितंबर को पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा करते हैं। पीसीसीएफ का पन्ना दौरा और उसी दिन शाम को प्रेसवार्ता आयोजित होने पर मीडिया कर्मियों को यह उम्मीद थी कि आलोक कुमार जी प्रेस वार्ता में शिरकत करेंगे। जिससे उठ रहे सवालों तथा आशंकाओं और कुशंकाओं का पटाक्षेप हो जायेगा। निर्धारित समय पर 3 बजे पत्रकार प्रेस वार्ता स्थल अकोला बफर प्रवेश द्वार पर उत्सुकता और सवालों के साथ पहुंच गये। तकरीबन एक डेड घंटे तक इंतजार करने के बाद क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया अकेले पहुंचे। पीसीसीएफ पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा कर वहीं से भोपाल रवाना हो गये। इस तरह पत्रकारों को निराश होना पड़ा और क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया की प्रेस वार्ता हुई। इस प्रेस वार्ता में पत्रकारों द्वारा जो सवाल उठाए गये उनका माकूल जवाब भी उन्हें नहीं मिला। श्री भदौरिया ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को जरूर सिलसिलेवार गिनाया लेकिन ज्वलंत सवालों को या तो अनसुना कर दिया या फिर उनका कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।

आपसी संघर्ष में बाघों की हुई है स्वाभाविक मौत

 क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने साफ शब्दों में कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व वापस 2009 की तरफ नहीं बल्कि आगे बढ़ रहा है। आपने बताया कि यहां बाघों की संख्या में सतत वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2017-18 की तुलना में मौजूदा समय यहां दोगुने से भी अधिक बाघ हैं। इसका ब्यौरा देते हुए आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व में 5 संस्थापक बाघों के अलावा 58 बाघों का पन्ना में जन्म हुआ है। जिनमें 27 वयस्क बाघ (नर 14, मादा 13) तथा 27 अर्ध वयस्क (नर 9,मादा 16 एवं दो अज्ञात) तथा 9 शावक हैं। इस तरह से पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदा समय 63 बाघ मौजूद हैं। बाघों की मौत के सवाल पर आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में क्षमता से अधिक बाघ हैं। प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में यहां 6 बाघों की मौजूदगी संभव है। इस लिहाज से 30 से 35 अधिकतम बाघों के लिए जगह है। अधिक बाघ होने से आपसी संघर्ष के चलते मौतें हुई हैं जो स्वाभाविक है। मानव व वन्य प्राणियों के बीच द्वन्द की स्थिति पर श्री भदौरिया ने कहा कि समन्वय बनाकर रहेंगे तो बचेंगे नहीं तो किसी एक को खत्म होना होगा।

कुशल प्रबंधन से बढ़ा हांथियों का कुनबा

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ हाथियों का कुनबा भी बढ़ा है। श्री भदौरिया ने बताया कि वर्ष 2017-18 तक कुल 13 हांथी थे लेकिन कुशल प्रबंधन के कारण हथिनी मोहनकली एवं रूपकली ने एक-एक बच्चे को जन्म दिया है। जिससे हाथियों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है। आपने बताया कि केन घड़ियाल अभयारण्य में पूर्व में मात्र एक घड़ियाल था। गत वर्ष चंबल अभ्यारण मुरैना से 25 घड़ियाल के बच्चों को केन नदी में छोड़ा गया है। जब उनसे मौजूदा समय घड़ियालों की स्थिति तथा उनकी संख्या तथा रहवास के संबंध में सवाल किया गया तो वे सवाल को टाल गये। इसकी जगह उन्होंने बताया कि मानव वन्य प्राणी द्वंद को टालने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा ग्रामों में स्ट्रीट लाइट लगाने का नवाचार किया गया है। बफर क्षेत्र के ग्राम खमरी, मरहा एवं मझौली में स्ट्रीट लाइट लगाई गई है। आपने यह भी बताया कि वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु दूरस्थ अंदरूनी क्षेत्रों में 83 नवीन पेट्रोलिंग कैंप स्थापित किए गये हैं।


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Wednesday, September 23, 2020

आप हमें कभी भूल नहीं पायेंगे !



अपनी पत्नी के साथ आर. श्रीनिवास मूर्ति। 

।। अरुण सिंह।। 

खूबियां इतनी तो नहीं हममें कि तुम्हें याद आयेंगे, पर इतना तो भरोसा है हमें खुद पर, आप हमें कभी भूल नहीं पायेंगे। यह पंक्तियां किसकी है मुझे यह तो नहीं मालूम लेकिन इस बात का इल्म जरूर है कि याद उन्हें किया जाता है जिन्हें विस्मृत कर दिया गया हो, भुला दिया गया हो। पर जो भूले ही न हों उन्हें भला कैसे याद किया जाये। मई 2009 से जून 2015 के दरम्यान तकरीबन 6 वर्ष के कार्यकाल में कोई व्यक्ति कुछ ऐसा कर गुजरता है जिसे करिश्मा कहा जाता है। जी हां वह व्यक्ति हैं पन्ना टाइगर रिजर्व के तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति, इनके जीवन में 23 सितंबर का खास महत्व है क्योंकि यह तारीख उनका जन्म दिवस है। आज उस समय के हालात चलचित्र की तरह एक बार फिर घूम गये हैं। 
 देश और दुनिया में बदनाम और पूरी तरह से बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व को फिर से आबाद करने के  चुनौतीपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी सरकार ने सीधे, सरल और सादगी पसंद इसी वन अधिकारी आर श्रीनिवास मूर्ति को सौंपी थी। उस समय किसी को भी भरोसा नहीं था कि पन्ना के जंगल में वनराज की दहाड़ सुनाई देगी तथा नन्हें शावक अपनी मां के साथ चहल- कदमी करते हुए नजर आयेंगे। लेकिन जो असंभव सा दिखता हो वह संभव हो जाये, उसी को तो करिश्मा कहते हैं जो पन्ना में घटित हुआ। लेकिन इसके पीछे गहरी समझ, ईमानदार प्रयास और पन्ना के गौरव को फिर हासिल करने का जज्बा था। इसी जज्बे का ही प्रभाव था कि विपरीत माहौल अनुकूल बनता चला गया। किसी व्यक्ति का जीवन जब सच्चाई, ईमानदारी और जनकल्याण के लिए समर्पित हो जाता है तो वह जो बोलता और करता है उसका लोगों पर जादुई असर होता है। श्री मूर्ति के संदर्भ में मैंने तो ऐसा ही कुछ महसूस किया। उन्होंने अधिकारियों व मैदानी अमले में ऊर्जा का संचार करने के लिए "जय हिंद" के उदघोष की शुरुआत की। जब भी वनकर्मी व अधिकारी मिलते या फिर विदा होते तो जय हिंद बोलते थे। यह परंपरा अभी भी चल रही है लेकिन शब्दों में जब प्रांण और जीवंतता न हो तो शब्द मुर्दा हो जाते हैं। जो उद्घोष उस समय लोगों में उत्साह और ऊर्जा का संचार कर देता था वह अब सिर्फ परंपरा और आदत का हिस्सा बन गया है। जंगल वही, लोग भी वही लेकिन अब हालात बदले - बदले से हैं। प्रकृति ने पन्ना में सृजन की अनूठी मिसाल पेश की है लेकिन हम प्रकृति की लय के अनुरूप चलने के बजाय विपरीत दिशा में यात्रा करने लगे हैं। नतीजतन एक बार फिर 10 वर्ष पूर्व वाले हालात दिखने लगे हैं। श्री मूर्ति व उनकी उस समय की टीम ने सफलतापूर्वक अपना काम पूरा कर न सिर्फ पन्ना को आबाद किया अपितु देश व दुनिया में इस अनोखी उपलब्धि के लिए पन्ना को प्रसिद्धि भी मिली। अब जब एक बार फिर बाघों व वन्यजीवों की सुरक्षा व संरक्षण पर खतरा मंडराने लगा है, उस समय पन्ना के जागरूक व समझ रखने वाले लोगों का यह दायित्व और जिम्मेदारी है कि वह पन्ना के गौरव (बाघ) को बचाने के लिए आगे आयें और अनुकूल वातावरण बनायें। जय हिंद !
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Tuesday, September 22, 2020

कोरोना के प्रति लापरवाही अब पड़ रही है भारी

  •   बीते 22 दिनों में सर्वाधिक लोग हुए कोरोना से संक्रमित 
  •  दिनों दिन बिगड़ रहे हालात फिर भी हम नहीं ले रहे सीख 
  •  जिले में 576 हुई कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या


अरुण सिंह,पन्ना।
जब जिले में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला प्रकाश में नहीं आया था, तब इस महामारी से बचाव के लिए हर संभव उपाय किये जा रहे थे। अपना काम धंधा छोड़कर लोग घरों में कैद थे तथा सड़कों व बाजार में सन्नाटा पसरा रहता था। लेकिन कोरोना संक्रमण की रफ्तार जैसे-जैसे तेज हुई और प्रतिदिन जांच में पॉजिटिव मरीज निकलने लगे, उसे दृष्टिगत रखकर बचाव हेतु सजगता बरतने के बजाय हम और लापरवाह होते गये। इसका परिणाम यह हुआ कि अब जिले का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा जहां संक्रमण न फैल चुका हो। हालात यह हैं कि बीते 22 दिनों से रोजाना दर्जनों की संख्या में कोरोना पॉजिटिव मरीज निकल रहे हैं, कोविड केयर सेंटर संक्रमित मरीजों से भरे पड़े हैं।

 उल्लेखनीय है कि देश व प्रदेश के साथ ही जिले में जब 23 मार्च को लॉक डाउन हुआ, उस समय पन्ना में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला नहीं था। संक्रमण का पहला मामला 2 मई 20 को प्रकाश में आया, जिसे सुनकर जिले में सनाका खिंच गया था। लोग बचाव हेतु एहतियाती कदम उठाने के साथ-साथ संयम भी बरतने लगे थे। मार्च से लेकर जून तक जिले भर में कोरोना संक्रमण के महज 34 मामले थे। लेकिन जुलाई के महीने से संक्रमण ने जो रफ्तार पकड़ी तो वह थमने के बजाय दिनों दिन तेज गति से फैलता ही जा रहा है। हालात यह हैं कि सितंबर के महीने में महज 22 दिनों में 305 कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं। इस तरह से जिले में कोरोना पॉजिटिव प्रकरणों की संख्या बढ़कर 576 हो गई है।

आज मंगलवार को मिले दो दर्जन पॉजिटिव

शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोकने के लिए प्रभावी पहल व प्रयास न होने से स्थिति बेकाबू हो रही है। जिले में मंगलवार 22 सितंबर को भी कोरोना संक्रमण के 24 मामले निकले हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि आज जिले में 24 नये कोरोना पॉजिटिव प्रकरण पाये गये हैं। जिसके अंतर्गत पन्ना शहर में 11 मामले, पवई के ग्राम मुराछ में 6, ग्राम लुधनी में एक, अमानगंज के वार्ड क्रमांक एक में एक, अजयगढ़ के ग्राम सिंहपुर में 4 तथा अजयगढ़ में ही एक अन्य पॉजिटिव प्रकरण पाया गया है। इस तरह से अब तक 576 पुष्ट मरीज पाये जा चुके हैं। जिनमें 398 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। मौजूदा समय जिले में एक्टिव पुष्ट प्रकरणों की संख्या 175 है। जिले में अब तक कोरोना संक्रमण के चलते 3 मरीजों की मौत भी हो चुकी है।

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Monday, September 21, 2020

दो शावकों के साथ दिखी बाघिन पी-141

  • प्रकृति अपना काम कर रही, प्रबंधन भी अपना दायित्व निभाये   

पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-141 अपने दो नन्हें शावकों के साथ। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। बाघों की संख्या बढ़ने से कई बाघ अपने लिए अनुकूल रहवास की तलाश में कोर क्षेत्र से बाहर भी निकल रहे हैं। नये शावकों के जन्म लेने तथा उनके वयस्क होने पर बाहर निकलने का सिलसिला भी अब और तेज हो गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिनें प्रतिवर्ष शावकों को जन्म दे रही हैं, जिससे बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। इसी के साथ वयस्क नर बाघों में इलाके को लेकर आपसी संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ी हैं।

 क्षेत्र संचालक के.एस. भदोरिया द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-141 अपने दो नन्हें शावकों के साथ देखी गई है। इस बाघिन को शावकों के साथ हिनौता वन परिक्षेत्र के उत्तर हिनौता बीट में विचरण करते हुए देखा गया है। बताया गया है कि बाघिन व उसके दोनों शावक पूर्णरूपेण स्वस्थ हैं। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि बाघिन के साथ देखे गए शावकों की उम्र लगभग ढाई माह है, जो बाघिन पी-141 के दूसरे लिटर की संतान है। इस बाघ ने अपने पहले लिटर में भी दो शावकों को जन्म दिया था, जो पन्ना टाइगर रिजर्व में स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे हैं। प्राकृतिक रूप से बाघों की लगातार बढ़ रही संख्या जहाँ शुभ संकेत है, वहीँ वन क्षेत्रों में शिकार की घटनायें व मानवीय दखलंदाजी बढ़ना चिंता की बात है। प्रकृति अपना काम बखूबी कर रही है, लेकिन बेहतर सुरक्षा और वन्य प्राणियों विशेषकर बाघों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना तथा इस दिशा में निरन्तर प्रयासरत रहना प्रबंधन की जवाबदारी है। अपने दायित्यों के निर्वहन में वर्त्तमान प्रबंधन कितना कामयाब रहा इसका मूल्यांकन प्रबंधन को खुद करना होगा और जो भी गलतियां हुई हैं उन पर पर्दा डालने अथवा ध्यान भटकाने के बजाय ईमानदारी से सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। पन्ना टाइगर रिज़र्व की बेहतरी तथा बाघों की सुरक्षा के लिये यह जरुरी है।    

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हथिनी रूपकली का मादा शिशु अब करने लगा चहल - कदमी

  •  नारियल के तेल से शिशु की प्रतिदिन होती है मालिश
  •  हर एक घंटे के अंतराल में पीती रहती है मां का दूध

तीन दिन का नन्हा मादा शिशु अपनी मां का दूध पीते हुये। 

अरुण सिंह,पन्ना। किसी कुनबे में जब भी कोई नन्हा मेहमान आता है तो वहां का माहौल बदल जाता है। नन्हे मेहमान की मौजूदगी तथा उसके नटखट क्रियाकलापों को देखकर हर किसी का मन प्रफुल्लित हो जाता है। कुछ ऐसा ही खुशनुमा माहौल इन दिनों पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता हांथी कैम्प का है, जहां हथिनी रूपकली ने गत 18 सितंबर को सुबह एक खूबसूरत मादा शिशु को जन्म दिया है। पूरे 3 दिन की हो चुकी हथिनी रूपकली थी यह नटखट बेटी अब कैंप में चहल-कदमी भी करने लगी है, फल स्वरुप महावत व चाराकटर इस नन्हे शिशु पर चौबीसों घंटे नजर रखते हैं। हथनी रूपकली के अलावा कैंप में मौजूद दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला इस नन्हे मेहमान की देखरेख दादी मां की तरह कर रही है।

 उल्लेखनीय है कि चार माह पूर्व 27 अप्रैल 20 को एक दूसरी हथनी मोहनकली ने भी हिनौता हाथी कैंप में मादा शिशु को जन्म दिया था। यह मादा शिशु लगभग 5 माह की हो चुकी है। हाथियों के कुनबे में 3 दिन पूर्व तक यह सबसे छोटी सदस्य थी लेकिन अब नन्हे मेहमान के आने से कुनबे में अब इसकी गिनती सबसे छोटे सदस्य के रूप में नहीं रह गई। नन्हे शिशु की चहल-कदमी और शैतानियों का हथिनी मोहनकली की मादा शिशु जो लगभग 5 माह की है, वह पूरा आनंद लेती है। मालूम हो कि हिनौता हाथी कैंप में मौजूदा समय तीन दिन के मादा शिशु सहित छोटे- बड़े पांच बच्चे हैं जो अपनी शैतानियों से सहज ही सबका ध्यान आकृष्ट कर लेते हैं।

 पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता बताते हैं कि 45 से 50 वर्ष की हथिनी रूपकली का यह आठवां बच्चा है। हथनी रूप कली व अनारकली को सोनपुर (बिहार) से यहां लाया गया था। वर्ष 1992 में रूपकली ने पन्ना में अपने पहले बच्चे को जन्म दिया था। मौजूदा समय इस हथिनी के पांच बच्चे केन्या,अनंती, प्रहलाद, पूर्णिमा व तीन दिन पूर्व जन्मी मादा शिशु हैं, इनमें सिर्फ प्रहलाद इकलौता नर बच्चा है। इस हथिनी के तीन बच्चों हीरा, विंध्या और गौरी की विभिन्न कारणों के चलते मौत हो चुकी है। आपने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए हिनौता हाथी कैंप में बाहरी किसी भी व्यक्ति का प्रवेश पूर्णतया प्रतिबंधित है। यहां हाथियों व उनके बच्चों की देखरेख करने वाले महावत व चाराकटर हैंडवॉश के बाद ही बच्चे को हाथ लगाते हैं। हाथी कैंप व आसपास के क्षेत्र को सैनिटाइज किया गया है।

 हथिनी रूपकली को दी जा रही है विशेष डाइट

 

शिशु की नारियल तेल से मालिश करते महावत। 

मादा शिशु को जन्म देने वाली हथनी रूपकली की भी समुचित देखरेख व भोजन की विशेष व्यवस्था की जा रही है। डॉ गुप्ता के मुताबिक हथिनी अपने नवजात शिशु को पर्याप्त मात्रा में दूध पिला सके, इस बात को दृष्टिगत रखते हुए उसे सुबह व शाम को जहां दलिया खिलाया जाता है, वहीं गन्ना, गुड़ व पेड़-पौधों की पत्तियां भी खाने को दी जा रही हैं। नन्हा शिशु लगभग हर एक घंटे के अंतराल में अपनी मां का दूध पीता है तथा आसपास चहल कदमी भी करता रहता है। थकने पर वहीं लेट कर सो जाता है और फिर अठखेलियां करने लगता है। शिशु का हांथी पूरा ध्यान रखते हैं तथा महावत भी हर समय नन्हे शिशु की निगरानी करते हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि हथिनी रूपकली तथा उसका नन्हा शिशु दोनों स्वस्थ हैं। इनकी देखरेख करने वाले महावत और चाराकटर नन्हे शिशु की प्रतिदिन नारियल तेल से मालिश भी करते हैं ताकि उसकी मांस पेशियां जहां मजबूत रहें वहीं वह तरोताजा भी महसूस करे।

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Sunday, September 20, 2020

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वनों का होना आवश्यक - खनिज मंत्री

  • वनों में रहने वाले लोग वनों को हानि नहीं पहुंचाते
  • वनाधिकार पट्टों का मंत्री श्री सिंह ने किया वितरण 

 

वनाधिकार पट्टों के वितरण कार्यक्रम में मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह पट्टे वितरित करते हुये। 

अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश के साथ जिला स्तर पर वनाधिकार पट्टों का वितरण कार्यक्रम प्रदेश के खनिज साधन एवं श्रम विभाग मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वनों का होना आवश्यक है। वन ग्रामों का विस्थापन न करते हुए उन्हें वहीं मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिये। 

इस अवसर पर मंत्री श्री सिंह ने उपस्थितों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे वनवासी भाई लम्बे समय से जिस भूमि पर खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे थे उनके पास उसका कोई मालिकाना हक नही था। प्रदेश शासन द्वारा इन गरीब परिवारों के हित में निर्णय लिया गया कि इन्हें उस भूमि का मालिकाना हक दिया जाये। जिससे उस भूमि पर उनका अधिकार सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि वन ग्रामों में रह रहे लोगों को विस्थापित न करते हुए उनको उन्ही के गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। वनों में रहने वाले लोग वनों को हानि नहीं पहुंचाते। विशेषकर हमारे आदिवासी समाज के लोगों का जीवन वनों पर आधारित है। वनों से मिलने वाली फसलें आंवला, महुआ, चिरौंजी एवं अन्य औषधीय फसलों पर शासन द्वारा उनका अधिपत्य निर्धारित किया गया है। इसलिए इनके द्वारा वनों का संरक्षण किया जाता है। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा विभिन्न विकास कार्यो के लिए कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। जिससे क्षेत्र का विकास हो। उन्होंने कहा कि हमारे यहां के जंगलों में बांस पैदा होता है इस बांस से अनेक आकर्षक सामग्री तैयार की जा सकती है। इसलिए जिले में बांस शिल्प आधारित रोजगार को बढावा देने के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। यहां के जंगलों में पाए जाने वाली औषधीय फसलों में विशेषकर आंवला मुरब्बा के विक्रय के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके अलावा अन्य औषधीय फसलों के उत्पादन तैयार करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाना चाहिए। 

इस अवसर पर कलेक्टर संजय कुमार मिश्र द्वारा बताया गया कि वनाधिकार पट्टों के लिए जिले में त्रिस्तरीय समिति गठित की गयी थी। ग्राम स्तर की समिति द्वारा प्रकरणों को तैयार कर विकासखण्ड स्तरीय समिति को भेजा गया। इसके उपरांत विकासखण्ड स्तर पर जांच करने के उपरांत अनुशंसा सहित जिला स्तर पर भेजा गया। जिला स्तरीय समिति द्वारा 1264 वनाधिकार के प्रकरणों का अनुमोदन कर पट्टे तैयार किए गये। जिनका वितरण आज से किया जाएगा। कार्यक्रम स्थल पर 50 पट्टों का वितरण कर वनाधिकार पट्टे वितरण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष रविराज सिंह यादव ने कहा कि हमारे आदिवासी भाईयों की लम्बे समय से मांग थी कि उन्हें जिस भूमि पर खेती कर रहे हैं उसका मालिकाना हक मिले। उन्होंने राजस्व और वन भूमि के विवाद का निराकरण किये जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जिससे क्षेत्र के विकास कार्य न रूकें। सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में वन मण्डलाधिकारी द्वय श्रीमती मीना मिश्रा, गौरव शर्मा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बालागुरू के, अपर कलेक्टर  जे.पी. धुर्वे, बुन्देलखण्ड विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष जयप्रकाश चतुर्वेदी,  रामबिहारी चौरसिया,  सतानन्द गौतम के साथ जिला स्तरीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं हितग्राही उपस्थित रहे। 

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Saturday, September 19, 2020

बाघों की मौत व जाँच से पन्ना टाइगर रिज़र्व में हाई अलर्ट

  • सुरक्षा के चलते 7 वर्षीय बाघिन पी-433 का निकाला गया रेडियो कालर
  •  खाल सहित तीन आरोपियों की गिरफ़्तारी होने पर मची है खलबली  

रेडियो कॉलर निकाले जाने के बाद आराम करती बाघिन पी-433  


अरुण सिंह, पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में आज 7 वर्षीय बाघिन  पी-433 का रेडियो कॉलर निकाला गया है। क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना के तहत कान्हा से लाई गई अनाथ बाघिन टी-4 की तीसरे लिटर की संतान पी-433 का रेडियो कॉलर टाइट हो गया था। रेडियो कॉलर टाइट होने की बजह से बाघिन को परेशानी हो रही थी। मालुम हो कि जुलाई 2013 में जन्मी  इस बाघिन को 11 दिसंबर 2014 को रेडियो कॉलर पहनाया गया था, उस समय इसकी उम्र महज ढेड़ वर्ष थी।

उल्लेखनीय है कि बीते 8 माह के दौरान पन्ना टाइगर रिज़र्व में जिस तरह से संदिग्ध परिस्थितियों में एक रेडियो कॉलर युक्त बाघिन सहित 5 बाघों की मौत हुई है और केन नदी में सिर विहीन बाघ का शव मिला है, तभी से पन्ना टाइगर रिज़र्व सुर्ख़ियों में बना हुआ है। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एस.टी.एस.एफ) भोपाल एवं जबलपुर और वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जबलपुर के संयुक्त दल ने गत दिवस जबलपुर में 03 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से वन्य-प्राणी तेन्दुए की एक नग खाल और वन्यप्राणी चीतल की खाल बरामद हुई है। इन आरोपियों में दो पन्ना जिले के व एक आरोपी पडोसी छतरपुर जिले का है। इनकी गिरफ़्तारी के बाद से पन्ना टाइगर रिज़र्व सहित जिले में खलबली मची हुई है। लोगों को उम्मीद है कि बाघ का सिर काटने वाले आरोपी भी जल्द पकडे जायेंगे। जाँच टीमों द्वारा की जा रही छापेमारी व सक्रियता बढ़ने के बाद से पन्ना टाइगर रिज़र्व हाई अलर्ट पर है। 

बाघिन  पी-433 का रेडियो कॉलर निकाले जाने के सम्बन्ध में क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि इसके रेडियो कॉलर को हटाने हेतु काफी समय से प्रयास जा रहा था, किन्तु वह सही स्थान पर लोकेट नहीं हो पा रही थी। शनिवार को आज हिनौता परिक्षेत्र के गंगऊ बीट में लोकेशन मिलने पर तत्काल रेस्क्यू दल द्वारा मौके पर पहुंच कर बाघिन को सफलतापूर्वक ट्रंकुलाइज कर रेडियो कॉलर निकाला गया। रेडियो कॉलर टाइट होने के कारण उसके गले में 02 छोटे-छोटे घाव पाये गये, जिसका मौके पर उपचार किया गया। आवश्यक उपचार उपरान्त बाघिन को स्वछंद विचरण हेतु स्वस्थ्य हालत में वन क्षेत्र में छोड़ा गया तथा उसकी निगरानी निरंतर जारी है। आपने बताया कि बाघिन का स्वास्थ्य सामान्य पाया गया है। पूरी कार्यवाही क्षेत्र संचालक के मार्गदर्शन व जराण्डे ईश्वर रामहरि उप संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के नेतृत्व में डॉ. संजीव कुमार गुप्ता वन्यप्राणी चिकित्सक के तकनीकी मार्गदर्शन में पूर्ण की गई। कार्यवाही में डॉ. आर.के. गुरुदेव, सहायक संचालक पन्ना एवं अमर सिंह प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी हिनौता, हाथी महावतों एवं अन्य कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा।

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Friday, September 18, 2020

छूटे ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित कराया जायेगा

  •  खनिज साधन एवं श्रम विभाग मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने की घोषणा 
  • अजयगढ जनपद क्षेत्र में विभिन्न निर्माण कार्यो का किया लोकार्पण


 अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश के खनिज साधन एवं श्रम विभाग मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा जिला मुख्यालय के साथ अजयगढ जनपद पंचायत के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया गया। उन्होंने क्षेत्र के धरमपुर एवं खोरा में विभिन्न निर्माण कार्यो का लोकार्पण करते हुए कहा कि इस क्षेत्र के बहुत से गांव राजस्व ग्राम नही हैं। उन ग्रामों को शीघ्र ही राजस्व ग्राम घोषित कराया जाएगा। जिससे यहां विकास के विभिन्न कार्य हो सके। उन्होंने कहा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। अनेकों विकास कार्यो का शीघ्र ही शुभारंभ होने जा रहा है। 

मंत्री श्री सिंह ने धरमपुर में 20 लाख रूपये की लागत से निर्मित मंगल भवन, 2 लाख 60 हजार रूपये की लागत से निर्मित ग्राम पंचायत भवन की दुकान तथा 14 लाख रूपये की लागत से निर्मित सीसी रोड का लोकार्पण किया गया। इसी प्रकार ग्राम पंचायत खोरा में 27 लाख रूपये की लागत से निर्मित गौशाला भवन, 14 लाख रूपये की लागत से निर्मित पंचायत भवन एवं 20 लाख रूपये की लागत से निर्मित सामुदायिक भवन का लोकार्पण वैदिक रीति से पूजन एवं पट्टिका अनावरण कर किया गया। उन्होंने इस अवसर पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि क्षेत्र की आवागमन की समस्या शीघ्र ही दूर होने वाली है। धरमपुर से कालिंजर अन्तर्राज्यीय मार्ग का कार्य शीघ्र ही प्रारंभ किया जाएगा। क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के लिए विद्युत उप केन्द्र की स्थापना का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रूंझ बांध परियोजना का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जिले में श्रमोदय विद्यालय, कृषि महाविद्यालय प्रारंभ कराए जा रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधा के लिए जिला स्तर पर श्रम विभाग से संबंधित चिकित्सालय की स्थापना के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के बहुत से ग्राम अभी भी राजस्व ग्राम नही हैं इन्हें शीघ्र ही राजस्व ग्राम घोषित कराया जाएगा। जिससे विकास कार्य हो सके। 

विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में कुपोषित बच्चों को पोषण आहार, दुग्ध पैकेट, लाडली लक्ष्मी योजना के प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ माननीय् प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मोत्सव के अन्तर्गत मिठाई का वितरण किया गया। उन्होंने अजयगढ मुख्यालय पर विश्रामगृह में आमजनता से रूबरू होकर उनकी समस्याएं सुनी और हरसंभव निराकरण किए जाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। इस अवसर पर उन्होंने दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण के रूप में बैट्री चलित ट्रायसाइकिल एवं वैशाखी वितरित की। क्षेत्र में आयोजित सभाओं में जनप्रतिनिधि के रूप में  सतानन्द गौतम एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया। सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम जिला पंचायत अध्यक्ष रविराज सिंह यादव, रामबिहारी चौरसिया, जयप्रकाश चतुर्वेदी, बाबूलाल यादव के साथ अन्य जनप्रनिधि एवं शासकीय अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। 

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वन्य प्राणी तेन्दुआ और चीतल की खाल बरामद

  •  एसटीएसएफ ने किया 3 आरोपियों को गिरफ्तार
  • गिरफ्तार आरोपियों में दो पन्ना जिले के शामिल 

गिरफ्तार आरोपी तथा उनसे बरामद तेंदुआ व चीतल की खाल। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में बीते 8-9 माह के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में हुई पांच बाघों की मौत का मामला अभी निराकृत भी नहीं हो पाया और शिकार का एक बेहद सनसनीखेज मामला प्रकाश में आ गया। वन्य प्राणी तेंदुआ व चीतल की खाल सहित तीन आरोपियों को जबलपुर में गिरफ्तार किया गया है। चिंताजनक बात तो यह है कि गिरफ्तार हुये इन आरोपियों में दो पन्ना जिले के व एक आरोपी पडोसी छतरपुर जिले का है। जाहिर है कि आरोपियों ने शिकार की घटना को अंजाम यहीं आसपास के जंगल में दिया होगा। इन आरोपियों के पकडे जाने से यह भी स्पष्ट हो गया है कि पन्ना टाइगर रिज़र्व सहित आसपास के जंगल में शातिर शिकारियों का गिरोह सक्रिय है।   

 प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्रणी) ने आज जारी प्रेस नोट में बताया कि स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एस.टी.एस.एफ) भोपाल एवं जबलपुर और वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जबलपुर के संयुक्त दल ने गुरूवार को जबलपुर में 03 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से वन्य-प्राणी तेन्दुए की एक नग खाल और वन्यप्राणी चीतल की खाल अवैध रूप से होना पाया गया है। बताया गया है कि यह आरोपी फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर खालों को बेचने की फिराक में थे। गिरफ्तार किये गए आरोपी जितेन्द्र तिवारी पिता अंजनी तिवारी निवासी बृजपुर, जिला पन्ना, ओमप्रकाश सेन पिता प्रकाशचंद सेन निवासी सुनहरा, जिला पन्ना एवं उमेश पटेल पिता रामनारायण पटेल छतरपुर का रहने वाला है। गिरफ्तार आरोपियों से पूंछतांछ जारी है, मामले में अभी अन्य आरोपियों के भी पकडे जाने की संभावना है। प्रथम दृष्टया इसमें एक संगठित गिरोह के शामिल होने के प्रमाण मिले हैं, जिसकी विवेचना की जा रही है।

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पन्ना में हथिनी रूपकली ने दिया मादा बच्चे को जन्म

पन्ना टाइगर रिजर्व की हथिनी रूपकली अपने नवजात शिशु के साथ। 

अरुण सिंह,पन्ना। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में हथिनी रूपकली ने एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया है। यहां हाथियों के कुनबे में एक नये और नन्हे मेहमान के आ जाने से खुशी का माहौल है। इस नन्हे मेहमान के आ जाने से पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों का कुनबा बढ़कर 15 हो गया है। हांथियों के इस कुनबे में दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला भी शामिल है, जो पन्ना टाइगर रिज़र्व के लिये किसी धरोहर से कम नहीं है। 

पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने जानकारी देते हुए आज बताया कि 45 वर्षीय हथनी रूपकली ने 18 सितम्बर 20 की सुबह 5:10 बजे पन्ना टाइगर रिजर्व के परिक्षेत्र हिनौता स्थित हाथी कैंप में मादा शिशु को जन्म दिया है। नवजात शिशु का अनुमानित वजन 100 किलोग्राम है तथा हथनी व बच्चा दोनों पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। प्रसव के उपरान्त हथिनी व नवजात शिशु का स्वास्थ्य परीक्षण वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया गया है। मादा शिशु अपनी मां का दूध पीने के साथ-साथ कुनबे में शामिल नन्हे सदस्यों से अठखेलियां भी करने लगी है। कोरोना वायरस के संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए हाथी कैम्प व आसपास के क्षेत्र को सैनिटाइज किया गया है तथा नवजात शिशु के पास स्टाफ के अतिरिक्त किसी भी अन्य व्यक्ति का जाना प्रतिबंधित है। श्री भदौरिया ने बताया कि हथिनी रूपकली व उसके नन्हे शिशु की समुचित देखरेख तथा विशेष भोजन की व्यवस्था भी की जा रही है। हथिनी को दलिया, गुड, गन्ना तथा शुद्ध घी से निर्मित लड्डू खिलाये जा रहे हैं ताकि नन्हे शिशु को पर्याप्त दूध मिल सके। हथनी व उसके शिशु की चौबीसों घंटे देखरेख व निगरानी के लिए स्टाफ की तैनाती की गई है। वन्य प्राणी चिकित्सक भी समय-समय पर मां व शिशु दोनों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर रहे हैं।

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Tuesday, September 15, 2020

पन्ना शहर में हुई 12 चोरियों का खुलासा, 3 आरोपी गिरफ्तार

  • आरोपियों के कब्जे से 8 लाख रुपये से अधिक कीमत के आभूषण जप्त 
  •  नग बेचने के बहाने यह गिरोह सूने घरों को बनाता था अपना टारगेट 

मामले की जानकारी देते पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी तथा गिरफ्तार शातिर गिरोह साथ में पुलिस बल। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले शातिर गिरोह को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों से सोने-चाँदी के आभूषण जिसमें सोना लगभग 110 ग्राम एवं चाँदी करीब 02 किलो 100 ग्राम कीमती लगभग 08 लाख 34 हजार रूपये बरामद किया गया है। पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने जानकारी देते हुये आज बताया कि बीते कुछ समय में पन्ना शहर में लगातार चोरियाँ हो रही थी जिसको लेकर आम जनता में भय का महौल बन गया था। शहर में अज्ञात चोरो द्वारा लगातार रात में सूने घरों के ताला तोडकर जेवर एवं नगदी रूपये चोरी किये जा रहे थे। फरियादियों की रिपोर्ट पर थाना कोतवाली पन्ना में अज्ञात आरोपियो के विरूद्ध अपराध दर्ज किये जाकर पुलिस द्वारा विवेचना की जा रही थी। 

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि लगातार चोरी की घटनाओं को देखते हुए चोरियों का खुलासा एवं आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु पुलिस टीमो का गठन किया गया। सायबर टीम को भी चोरियों के खुलासा  एवं आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु सक्रिय किया गया। पुलिस टीम एवं सायबर सेल द्वारा कई संदेही व्यक्तियों से पूँछताछ की गई एवं शहर मे लगे सी.सी.टी.व्ही. कैमरों के फुटेज भी खंगाले गये। तमाम प्रयासों और मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर पुलिस ने तीन शातिर आरोपियों को गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। आरोपियों द्वारा शहर में अलग-अलग जगहों पर हुई चोरी की कुल 12 वारदातों को कबूल किया गया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपियो से पूँछताछ पर अन्य मामलों के भी खुलासा होने की संभावना है। गिरफ्तार हुये आरोपियों में शहीदुल शाह (नट) पिता रज्जाक शाह निवासी गढी मोहल्ला दमोह, आबिद अली (नट) पिता अल्ताब नट निवासी मठ्या तालाब के पास रानीगंज मोहल्ला पन्ना तथा छोटे खाँ उर्फ रशीद मोहम्मद पिता सोनू मोहम्मद निवासी बीडी कॉलोनी पुराना पन्ना हैं। आरोपियों से पूँछताछ पर अन्य मामलो के खुलासा होने की संभावना है। श्री अवस्थी ने बताया कि शहीदुल एवं आबिद के विरूद्ध अन्य जिलो में अपराध कायम हैं, जिनका अपराधिक रिकार्ड पृथक से निकाला जायेगा। उन्होंने पुलिस टीम को पुरुस्कृत करने की घोषणा की है। 

नग बेचने के बहाने तलाशते थे सूने घर 


आरोपियों से बरामद सोने - चाँदी के आभूषण। 

चोरी की वारदात को अंजाम देने से पहले यह शातिर गिरोह सूने घरों को चिन्हित कर लेता था। इसके लिये इन्होने घर-घर जाकर अंगूठी के नग बेंचने का तरीका अपना रखा था। शहर में घूमने के  दौरान सूने घरों को देखकर अपना टारगेट बनाते थे। यह गिरोह रात के समय सूने चिन्हित घर का ताला तोडकर चोरी की वारदात को अंजाम देते थे। इस गिरोह की गिरफ़्तारी में थाना प्रभारी कोतवाली पन्ना निरीक्षक अरूण सोनी, थाना प्रभारी देवेन्द्रनगर निरीक्षक धर्मेन्द्र कुमार सिंह, उनि एम.एल. यादव, उनि जे.एम. सिंह, उनि निरंकार सिंह, उनि राहुल यादव, सउनि एस.डी. सिंह, प्र.आर. रामकृष्ण पाण्डेय, शिवेन्द्र सिंह, अशोक शर्मा, प्रेमलाल पाण्डेय, सायबर सेल पन्ना से नीरज रैकवार, आशीष अवस्थी, धर्मेन्द्र सिंह राजावत एवं पुलिस टीम से आर. राजेश सिंह , लक्ष्मी यादव, रामपाल बागरी, बीरेन्द्र कुमार, दीपप्रकाश सोनकिया, राजीव मिश्रा, बृहमदत्त शुक्ला, सतेन्द्र बागरी, प्रदीप पाण्डेय, महेन्द्र चढार , शिशुपाल, विनय, रविकरन राजपूत, बृजेन्द्र रैकवार,वीरन , अरूण अहिरवार, रामभिखारी, बुद्ध सिंह , तेजभान,विमलेश, धरम सिंह, अरुण तिवारी चालक मुन्ना कोल, रवि खरे  का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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Monday, September 14, 2020

वनराज का सिर कटने के मामले की अभी नहीं सुलझी गुत्थी

  •   पांच सदस्यीय जांच टीम ने पन्ना में क्या पाया यह अभी रहस्य
  •  प्रधान मुख्य वन संरक्षक को सौंपी जाएगी रिपोर्ट तभी होगा खुलासा 


अरुण सिंह,पन्ना।
बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद कर नया इतिहास रचने वाले मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में वयस्क नर बाघ पी-123 का सिर काटे जाने की घटना ने वन्यजीव प्रेमियों को हिलाकर रख दिया है। इस घटना से राष्ट्रीय स्तर पर पन्ना टाइगर रिजर्व की छवि जहां धूमिल हुई है, वहीं मौजूदा प्रबंधन की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। मामले की जांच के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी द्वारा गठित पांच सदस्यीय जांच टीम गत 4 सितंबर को पन्ना पहुंची थी, जो छानबीन करने के बाद वापस लौट गई है। यह टीम पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा कर तथा वन कर्मियों व अधिकारियों के बयान लेकर किस निष्कर्ष में पहुंची है यह अभी रहस्य है। जांच टीम के वापस लौटने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि अभी वनराज के सिर काटने के मामले की गुत्थी सुलझी नहीं है।

मामले के संबंध में सोमवार को सायं प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी आलोक कुमार जी से संपर्क किए जाने पर आपने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जिन बातों का उल्लेख किया गया है उससे कंफ्यूजन था। यही वजह है कि हकीकत पता करने के लिए जांच दल गठित कर पन्ना भेजा गया था ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। आपने बताया कि इस जांच टीम ने हालातों का जायजा लेकर यह जानने का भी प्रयास किया है कि चूक और लापरवाही कहां हुई। पीसीसीएफ श्री कुमार ने बताया कि मंगलवार को जांच रिपोर्ट मेरे पास आएगी, इसका अध्ययन करने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। आपने स्वीकार किया कि पन्ना की घटना से वह भी खासा चिंतित हैं।

 मालुम हो कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी आलोक कुमार जी से हुई चर्चा के बाद यह स्पष्ट हुआ कि जांच टीम ने पन्ना में रहकर ऐसा कुछ नहीं किया जिससे राहत महसूस की जा सके। क्योंकि वनराज का सिर काटने वाले आरोपी कौन हैं इस रहस्य पर अभी भी पर्दा पड़ा हुआ है। क्या जांच टीम इस बात की पुष्टि करने के लिए आई थी कि बाघ का सिर मगर ने खाया या काटा गया ? यह तथ्य तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया था, जांच टीम का काम अपराधियों तक पहुंचने का था। यदि इस दिशा में उसे सफलता मिली है तब तो ठीक अन्यथा फिर जांच का कोई अर्थ नहीं निकलता। अपराधी पकड़े जाएं, उनके खिलाफ कार्यवाही हो तथा दोषी और लापरवाह अधिकारियों की जवाबदारी भी सुनिश्चित हो तभी यहां की बिगड़ी हुई व्यवस्था में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

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Sunday, September 13, 2020

पन्ना और मड़ला के बीच घाटी में बने ऐसा अंडरपास हाइवे

  •  विकास व सुरक्षित आवागमन के साथ वन्यजीवों को भी होगी सुविधा 
  • म.प्र. के ही पेंच बाघ अभ्यारणय में बना है देश का पहला अंडरपास हाइवे 



अरुण सिंह, पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना और मड़ला के बीच पन्ना टाइगर रिज़र्व के घने जंगल से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को आवागमन की द्रष्टि से बेहतर बनाने के साथ वन्यजीवों की जिंदगी को भी सहज व सुबिधा जनक की जा सकती है। म.प्र. के ही पेंच बाघ अभ्यारणय ने विकास और संरक्षण के बीच समन्वय का अनूठा रास्ता खोजा है। यहाँ वन्यजीव और विकास इन दोनों के बीच हमेशा से ही बहस होती रही है। पेंच टायगर रिजर्व इन सभी चर्चाओं को विराम देने में कामयाब हुआ है। देश में पेंच बाघ अभ्यारणय में बने 16 किलोमीटर लंबे राजमार्ग से इसका जवाब मिल गया है। पेंच टायगर रिजर्व की ही तर्ज पर यदि पन्ना और मड़ला के बीच घाटी में ऐसा अंडरपास हाइवे बन जाये तो तमाम समस्याओं का निराकरण हो सकता है। 

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के सिवनी-नागपुर राजमार्ग पर बना नया एलिवेटेड सडक़ संरक्षणवादियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। पेंच बाघ अभ्यारण्य के बीच से गुजरते हुए एलिवेटेड ओवरब्रिज से न केवल इन क्षेत्र के लोगों को लाभ हुआ है बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 के चारों तरफ वन्यजीवों को संरक्षित करने में भी मदद मिल रही है। मध्यभारत को देश में दीर्घकालिक बाघ संरक्षण के अच्छी क्षमतावाले क्षेत्रों में से एक के रुप में देखा जाता है। पेंच बाघ अभ्यारण्य में जंगली जानवरों के लिए देश का पहला समर्पित गलियारा बनाया गया है। जिससे कि मिटिगेशन उपायों के तहत मध्य भारत में जंगली जानवरों की मृत्यु दर को कम करने और बाघों की आबादी को बढ़ाने में लंबे समय तक मदद मिलेगी। पेंच बाघ अभ्यारण्य से सटे जंगलों के बीच से गुजरते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर 16.1 किमी लंबे एलिवेटेड सडक़ और पेंच नवेगांव, नागजीरा बाघ गलियारे पर वन्य जीवों को पार करने के लिए 9 क्रॉसिंग संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

अंडरपास से बेखौफ होकर गुजरता वनराज। 

ये देश में जानवरों के लिए बना पहला समर्पित अंडरपास है जो दुनिया में सबसे बड़ा अंडरपास भी है। इन गलियारों को जानवरों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है। डॉ. बिलाल हबीब वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने कहा कि ये अंडरपास विकास और वन्यजीवों के संरक्षण का सर्वोत्तम उदाहरण पेश करता है। जानवरों के लिए 5 अंडरपास और 4 माइनिंग पुलों समेत 9 क्रॉसिंग संरचनाएं बनाई गई हैं। रिसस मकाक और ग्रे लंगूर को छोडक़र 18 जंगली जानवरों की प्रजातियां इन अंडर पासों का उपयोग करते हुए पाई गईं। छोटे स्तनधारियों की सात प्रजातियों ने भी इस अंडरपास का उपयोग किया जिसमें भारतीय खरहे और जंगली बिल्ली के अलावा नेवले, पाम सिवेट, दुर्लभ रस्टी स्पॉटेड कैट, भारतीय साही भी शामिल हैं। इसके अलावा अंगुलेट प्रजाति के 5 जंगली जानवरों में चित्तीदार हिरण, गौर, नीलगाय, सांभर और जंगली सुअर भी इन अंडरपासों के नीचे से विचरण करते हुए नजर आए। इसके अलावा मांसाहारी वन्यजीवों में बाघ, तंदुए, जंगली कुत्ते, स्लॉथ बियर और सियार भी इन अंडरपास का कम या ज्यादा उपयोग करते हुए नजर आए। जंगली कुत्ते इन संरचनाओं को सबसे अधिक बार उपयोग करते हुए पाए गए। इसके बाद बाघ इन संरचना का उपयोग करते हुए देखे गए। नौ संरचनाओं में से 6 संरचनाओं का उपयोग करते हुए कुल 89 बार 11 बाघ इन अंडरपास और छोटे पुल के नीचे से गुजरे। ये संरचनाएं राजमार्ग के 16.1 किमी खंड के नीचे स्थित हैं। जो बाघों के रिजर्व और आसपास के जंगलों को जोड़ती हैं। ये अंडरपास भारत जैसे देश के लिए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मील के पत्थर साबित हो सकते हैं।

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Friday, September 11, 2020

क्या सचमुच अपने अतीत की ओर अग्रसर हो रहा पन्ना टाइगर रिजर्व !


।। अरुण सिंह ।।

 बाघ संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाने वाला मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व क्या सचमुच अपने अतीत की ओर अग्रसर हो रहा है।  बीते 8 माह के दौरान यहां 5 बाघों की जिन परिस्थितियों में मौत हुई है, उससे तो यही प्रतीत होता है कि यहां सब कुछ ठीक नहीं है। ताजा मामला पन्ना टाइगर रिजर्व के वयस्क नर बाघ पी- 123 का है, जिसका सिर कटा शव गत 9 अगस्त 20 को केन नदी में बहता हुआ मिला था। इस सनसनीखेज मामले का खुलासा होने के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व चर्चा में है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) मध्य प्रदेश ने 3 सितंबर 20 को जांच टीम गठित कर मामले की जांच के निर्देश दिये हैं। फल स्वरुप 4 सितंबर से पांच सदस्यीय जांच टीम पन्ना टाइगर रिजर्व में डेरा डाले हुए है, जिससे यहां हड़कंप का माहौल है।

 मालुम हो कि यहां के मौजूदा हालात और माहौल को देखकर पन्ना टाइगर रिजर्व का अतीत फिर याद आने लगा है। डेढ़ दशक पूर्व वर्ष 2002 से जनवरी 2009 के बीच यहां बिल्कुल ऐसा ही अफरा-तफरी भरा माहौल था। तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और तथ्यों को छिपाने की मानसिकता के चलते बाघों से आबाद रहने वाला यह खूबसूरत वनक्षेत्र शोकगीत में तब्दील हो गया था। उस समय केंद्रीय जांच कमेटी के मुखिया पी.के. सेन ने पन्ना टाइगर रिजर्व के मंडला स्थिति प्रकृति व्याख्या केंद्र में इस बात का खुलासा किया था कि पन्ना टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बचा। इस भीषण त्रासदी और राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व फिर कैसे आबाद हुआ, बाघ पुनर्स्थापना योजना को कैसे चमत्कारिक सफलता मिली तथा पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ संरक्षण के मामले में देश और दुनिया को कैसे राह दिखाई, कामयाबी की इस कहानी से हर कोई वाकिफ है। पन्ना के खोये हुए गौरव और प्रतिष्ठा को वापस लाने के लिए तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति, उपसंचालक विक्रम सिंह परिहार व पूरी टीम ने जिस लगन और निष्ठा से कार्य करते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व को वैश्विक ख्याति दिलाई, अब यहां पर उस कार्य संस्कृति का नितांत अभाव है। यही वजह है कि लोग अब खुलकर यह कहने लगे हैं कि पन्ना एक बार फिर अतीत की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है।

निश्चित ही यह समय पुनरावलोकन और गलतियों को सुधारने का है। हमें यह देखना होगा की पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता का राज क्या था? यदि इस पर गौर करें तो इसके पीछे अनुशासन, आपसी तालमेल और टीम वर्क की प्रगाढ़ भावना नजर आयेगी। उस समय आर.श्रीनिवास मूर्ति पन्ना की जनता को यह समझाने में कामयाब हुए थे कि वह हर हाल में यहां की धरोहर को वापस लायेंगे, नतीजतन उन्हें बाघों को फिर से आबाद करने के प्रयोग में व्यापक जन समर्थन भी मिला। दुर्भाग्य से आज हालात ठीक विपरीत हैं, यहां न तो अनुशासन है न आपसी तालमेल और न ही टीम वर्क की भावना नजर आती है। पिछले 2 वर्षों से तो पन्ना टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों के बीच ही खींचतान चल रही है। नतीजतन वन कर्मियों में भी आपसी गुटबाजी को बढ़ावा मिला है। अधिकारियों के बीच अहं और वर्चस्व की यह जंग दफ्तर से निकलकर जंगल तक पहुंच गई है, जिसके दुष्परिणाम आने ही थे जो देखने को मिल रहे हैं। वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने में महती भूमिका निभाने वाले तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति द्वारा कहा गया यह कथन गौरतलब है, उनके शब्दों में "मेरे लिए बाघ भगवान है और जो भी मेरे भगवान को मारने की कोशिश करेगा उसे इसका अंजाम भुगतना होगा। पदभार संभालते ही मैंने यह संदेश सबको दे दिया था। मेरे आस-पास कई तरह के लोग हैं और मुझे यह देखना है कि इनमें से कोई भी गलत आदमी न हो। अगर है तो मुझे ऐसे लोगों को पहचान कर उनके अपराधों के लिए उन्हें उत्तरदाई ठहराना होगा"।

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Thursday, September 10, 2020

सब्जी की खेती से जनवार गाँव के किसान की बदली तकदीर

  •  आदिवासी बहुल इस गांव ने फल-सब्जी उत्पादन के लिए बनाई पहचान 
  • कृषक लखनलाल सब्जी से प्रतिवर्ष औसतन 15 से 17 लाख रुपये कमा रहे 

जनवार गांव में कृषक लखनलाल के खेत का अवलोकन करते सहायक संचालक श्री भट्ट। 

अरुण सिंह,पन्ना। लगन, मेहनत और उन्नत कृषि तकनीक को अपनाकर यदि सही तरीके से खेती की जाये तो वह लाभ का धंधा बन सकती है। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आदिवासी बहुल ग्राम जनवार के किसान लखनलाल कुशवाहा ने यह साबित कर दिखाया है। इस कृषक की प्रगति और आय को देखकर गांव के अन्य दूसरे छोटे किसान भी सब्जी की खेती के प्रति आकर्षित हुए हैं जिससे इस जनवार की पहचान फल-सब्जी उत्पादक गांव के रूप में हो रही है।  

उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना के समीपस्थ ग्राम जनवार में कृषक लखनलाल कुशवाहा द्वारा लगभग 16-17 में एकड़ में उद्यानिकी की खेती की जा रही है। उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक महेन्द्र मोहन भट्ट एवं उ.वि.अधिकारी आर.टी. त्रिपाठी द्वारा लखनलाल के खेत में लगाई गई सब्जियॉ कद्दू, लौकी, गिलकी, ककड़ी, करेला का अवलोकन किया गया। श्री कुषवाहा द्वारा बताया गया कि वे प्रतिदिन देवेन्द्रनगर, सतना, पन्ना अमानगंज में टेम्पों से उपरोक्त सभी सब्जियॉ विक्रय करने के लिये ले जाते हैं, जिसके विक्रय से उन्हें प्रतिदिन 20 से 25 हजार रूपये आय प्राप्त होती है। कृषक द्वारा बताया गया कि लाकडाउन एवं खरीफ मौसम समाप्त होने तक लगभग 7-8 लाख रूपये की सब्जियॉ व फल उनके द्वारा विक्रय की जा चुकी है। वे प्रतिदिन अपनी सब्जियॉ ककडीध्लौकी लगभग 250 कैरेट दिल्ली भेजने की तैयारी में भी है। विभागीय अधिकारियों के मौके पर पहॅुचने से उनका मनोबल एवं उत्साह भी बढा है। आधुनिक एवं उन्नत किस्म की संकर सब्जियॉ लगाने हेतु अधिकारियों ने उन्हें मार्गदर्शन भी दिया है। सहायक संचालक उद्यान महेन्द्र मोहन भट्ट ने बताया कि आगामी रबी मौसम की सब्जियॉ लगाने हेतु कृषक द्वारा अभी से तैयारी कर ली गई है। मूली एवं धनियां की बोनी उनके द्वारा की जा चुकी है। प्याज (पीली पत्ती) एवं आलू लगाने की पूरी तैयारी कृषक द्वारा कर ली गई है। उन्होने उद्यानिकी अधिकारियो से समय सीमा में प्याज बीज 10 किलो तथा आलू बीज 50 क्विंटल लगाये जाने की मांग से भी अवगत कराया है। 

कृषक श्री कुशवाहा द्वारा उद्यानिकी विभाग से प्याज भंडारण गृह निर्माण एवं छोटा ट्रेक्टर अनुदान पर दिलाये जाने की मांग की गई है। सहायक संचालक उद्यान श्री भट्ट द्वारा आश्वासन दिया गया कि जब भी उक्त योजनाओं में लक्ष्य प्राप्त होते हैं आपको अनिवार्यतः लाभांवित किया जावेगा। वर्तमान में उनके पास घर में ही लगभग 60-70 क्विंटल प्याज भी विक्रय करने के लिये रखी हुई हैं। उन्होंने किसान भाईयों से उद्यानिकी की खेती करने की अपील की है क्योंकि जिन किसान भाइयों के पास कम जमीन है वे भी सब्जी की खेती करके अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं। 


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Wednesday, September 9, 2020

पन्ना के सिर विहीन बाघ मामले की क्या है सच्चाई?

  •  घटना स्थल सकरा और पठाई कैंप के बीच की उजागर हो कहानी
  •  टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने तथ्यों पर आखिर क्यों डाला पर्दा 
  •  जांच टीम ने यदि दोषियों को बचाया तो कैसे मिलेगा बाघों को न्याय

पन्ना टाइगर रिज़र्व के सिर विहीन बाघ पी-123 का शव।   

अरुण सिंह,पन्ना। देश और दुनिया को बाघ संरक्षण का पाठ पढ़ाने वाला मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व इन दिनों बाघों की मौतों को लेकर चर्चा में है। बाघों की धरती कहा जाने वाला यह इलाका 10 वर्ष पूर्व अवैध शिकार की घटनाओं पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पर्दा डालने की मानसिकता के चलते उजड़ गया था। जिसे फिर से आबाद करने में अनेकों लोगों ने रात दिन मेहनत की है, तब जाकर बाघ विहीन यह वन क्षेत्र गुलजार हुआ है। लेकिन यहां बाघों की लगातार हुई मौत विशेषकर वयस्क नर बाघ का सिर काटे जाने की घटना ने पर्यावरण और वन्यजीव प्रेमियों को चिंता में डाल दिया है। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पन्ना टाइगर रिजर्व को फिर से आबाद कराने में जिन लोगों की भूमिका व योगदान रहा है वे इस घटना से आहत हैं। सबकी बस एक ही मंशा है कि बाघ का सिर काटे जाने के मामले की सच्चाई उजागर हो तथा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही हो ताकि बाघों से आबाद हो चुका यह वन क्षेत्र उजड़ने से बच सके।

आखिर पन्ना टाइगर रिजर्व के सिर विहीन बाघ मामले की सच्चाई क्या है? इसे जानने और समझने के लिए हमें पीछे नजर डालनी होगी। कथित रूप से जिस दिन वयस्क नर बाघ पी-123 (जिसका सिर विहीन शव केन नदी में मिला) व बाघ पी-431 के बीच बाघिन टी-6 को लेकर आपसी संघर्ष हुआ, वह 7 अगस्त का दिन था। इस संघर्ष में बाघ पी-123 जख्मी होकर वन परीक्षेत्र गहरी घाट के बीट झालर में सकरा के पास केन नदी में गिर गया। बाघों के बीच हुए इस संघर्ष की घटना को वन कर्मियों द्वारा देखा गया था और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना भी दी गई थी। कुछ घंटों के बाद क्षेत्र संचालक के.एस.भदौरिया सहित पार्क के अधिकारी मौके पर पहुंचे और जख्मी बाघ की तलाश केन नदी सहित आसपास के जंगल में की गई, लेकिन वह नहीं मिला। इस घटना के तीसरे दिन सकरा से 8 किलोमीटर दूर पठाई कैंप के पास नर बाघ पी-123 का सिर विहीन शव नदी में तैरते हुए पाया गया। जाहिर है कि सकरा और पठाई कैम्प के बीच कुछ न कुछ घटित हुआ है, इसी रहस्य से पर्दा उठाया जाना जरूरी है ताकि मामले की सच्चाई उजागर हो सके।

अब यहां सवाल यह उठता है कि सिर विहीन बाघ के शव का 10 अगस्त को पोस्टमार्टम होने तथा उसका दाह संस्कार करने के बाद शाम को क्षेत्र संचालक द्वारा मामले को लेकर जो बयान जारी किया गया उसमें यह आशंका जताई गई थी कि बाघ का सिर नदी में शायद मगरमच्छ ने खाया होगा। उनका यह तर्क उसी दिन से सवालों के घेरे में है जिसका आज तक कोई जवाब नहीं दिया गया। आखिरकार घटना की वास्तविक स्थिति और सच्चाई को इस तरह मगरमच्छ की आड़ लेकर छुपाने का प्रयास क्यों किया गया? क्या क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने यह जानबूझकर किया या फिर अनजाने में लेकिन दोनों ही स्थितियां पार्क व बाघों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है। मामला जब मीडिया की सुर्खियों में आया और बाघ पी-123 की मौत व सिर गायब होने की घटना को लेकर सवाल उठे तब प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) मध्य प्रदेश आलोक कुमार ने मामले को संज्ञान में लिया और 3 सितंबर को आनन-फानन जांच कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए गये। मालूम हो कि आलोक कुमार बतौर क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व में रह चुके हैं। उनकी यहां पर पदस्थापना पन्ना को बाघों से आबाद कराने में महती भूमिका निभाने वाले श्रीनिवास मूर्ति का स्थानांतरण होने पर उनकी जगह पर हुआ था, जाहिर है कि पन्ना के बारे में उनकी समझ पर्याप्त होगी उन्हें ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं है। हां उनसे यह अपेक्षा जरूर है कि घटना की पूरी सच्चाई प्रगट हो उसे छिपाने व दबाने का कार्य न किया जाये।

बहुत कुछ बता रही है पोस्टमार्टम रिपोर्ट


 हिनौता वन परिक्षेत्र के पठाई कैंप के पास केन नदी में 9 अगस्त की शाम सिर विहीन बाघ का शव तैरता हुआ मिलता है। दूसरे दिन 10 अगस्त को वहीं नदी किनारे क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया व उप संचालक श्री जरांडे की मौजूदगी में शव का पोस्टमार्टम किया जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बाघ की मौत के बाद उसका सिर धारदार हथियार से काटा गया है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय पशु के संवेदनशील अंग (सेक्स ऑर्गन) भी धारदार हथियार से निकाले गये हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इतनी बड़ी सच्चाई प्रकट होने के बावजूद 10 अगस्त को जारी अधिकृत प्रेस नोट में इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है। इसे क्या समझा जाए, क्या यह तथ्यों को छुपाना नहीं है? घटना दिनांक 7 अगस्त से 9 अगस्त के दौरान सकरा से पठाई कैम्प के बीच की कहानी पर भी नजर डालना इस गुत्थी को सुलझाने के लिए जरूरी है। जांच टीम 4 सितंबर से अपने कार्य में जुटी है और मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने के साथ-साथ संबंधितों के बयान भी लिए हैं। इस टीम से मंगलवार को जब पत्रकार मिले तो उन्होंने जांच की प्रगति के बारे में तो कुछ नहीं बताया लेकिन यह जरूर कहा कि कुछ गलत हुआ है इसलिए हम यहां हैं।

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Tuesday, September 8, 2020

पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार ने नहीं किया प्रदेश का विकास

  •  भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने पन्ना में दिखाये आक्रामक तेवर 
  • आपने कहा कमलनाथ जी को प्रदेश की नहीं सिर्फ छिदवाड़ा की चिन्ता

पन्ना में आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों से चर्चा करते भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा। 

अरुण सिंह, पन्ना। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को सिर्फ छिदवाड़ा की चिन्ता है, यही कारण है कि उन्होंने बहुत बड़े बजट के निर्माण कार्य केवल छिदवाड़ा के लिये स्वीकृत किये। उन्हें प्रदेश के अन्य जिलों की चिन्ता नहीं थी सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र का ही विकास करते रहे, उनका प्रदेश के विकास और आम लोगों के काम में कोई रूचि नहीं थी। यह बात भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने आज सरकिट हाउस पन्ना में आयोजित प्रेसवार्ता में कही।उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अंतरकलह के कारण नष्ट हो रही है। भाजपा को लोग दोष न दें कांग्रेस सरकार अपनी ही गल्तियों से गिरी है। उन्होंने जनता के वादे पूरे नहीं किये, प्रदेश की जनता कमलनाथ की सरकार से नाराज थी उनके नेता नाराज थे, यही कारण था कि सरकार से विधायक अलग हुये और सरकार गिर गई। उन्होंने कहा कि जब कमलनाथ की सरकार थी तब उनके ही मंत्रीमंडल के मंत्री, नेता उनकी कार्यपद्धति पर प्रश्न खड़ा करते रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की कार्यप्रणाली पर चुटकी लेते हुये भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि वे सिर्फ छिदवाड़ा के लिये काम करते थे, यही कारण है कि वह पन्ना के एग्रीकल्चर कालेज को छिदवाड़ा ले गये थे अब मैं पुनः पन्ना में बनाने के लिये प्रयास कर रहा हॅू। श्री शर्मा ने कहा कि म.प्र. की कांग्रेस सरकार को पीछे से दिग्विजय सिंह चलाते रहे किसानों की ऋणमाफी नहीं हुई, जिससे जनता आज भी नाराज है। उन्होंने दावा किया कि  हम प्रदेश में होने जा रहे उपचुनाव में विकास के मुद्दे पर व 15 महीनें जो कांग्रेस ने भ्रष्टाचार किया उसे जनता के बीच में रखेंगे और चुनाव को लड़ेंगे, हमारी विजय सुनिश्चित है। आपने कहा किसी भी कीमत पर पन्ना में कृषि महाविधालय बनेगा। पन्ना में पर्यटन विकास की संभावनायें हैं, हम पन्ना को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेंगे। पन्ना में ऐसी व्यवस्था की जायेगी कि जो भी टाईगर रिजर्व जाये वह पन्ना से होकर जाये। पन्ना की पहचान एनएमडीसी हीरा प्रोजेक्ट व पन्ना टाईगर रिजर्व से है, इस कारण दोनों में समन्वय बनाकर जिले का विकास किया जायेगा। प्रदेश में हम 27 की 27 सीटें जीतेंगे और एक स्थायी विकास की सरकार म.प्र. को देंगे। उन्होंने  कहा कि पन्ना का विकास मेरी प्राथमिकता है।

सांसद ने कहा कि पन्ना में खुलेगा कृषि महाविद्यालय




 सांसद बी.डी. शर्मा की अध्यक्षता में आज जिला स्तरीय विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में संबंधित अधिकारियों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न विकास कार्यो में जहां भी मेरे सहयोग की आवश्यकता है मुझे बताया जाये, मैं हरसंभव मदद करूंगा। केन्द्र एवं राज्य से आवश्यक बजट आवंटन उपलब्ध कराने के लिए संबंधित विभाग के मंत्रियों से बात करके बजट उपलब्ध कराऊंगा जिससे चल रहे विकास कार्य तेजी से चलते रहें। उन्होंने राष्ट्रीय राज्य मार्ग के अधिकारियों से चर्चा करते हुए कहा कि जो भी सडक निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाए उसे समयसीमा में पूर्ण किया जाना चाहिए। जिससे लोगों को असुविधा न हो। उन्होंने सतना से पन्ना एवं पन्ना से खजुराहो रेल लाईन के कार्य के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि बजट अभाव के संबंध में जानकारी दी जानी चाहिए थी। जिससे मैं केन्द्र शासन से बजट उपलब्ध करा देता। शीघ्र ही बजट की उपलब्धता कराने का प्रयास करूंगा। कार्य में तेजी लाएं। स्थानीय स्तर पर कार्यो में किसी प्रकार का व्यवधान है तो इसकी जानकारी जिला प्रशासन को समय समय पर दी जानी चाहिए जिससे व्यवधान को दूर कर कार्य को गति प्रदान की जा सके। बैठक में हीरा उत्खनन परियोजना मझगंवा को आगामी समय में संचालित रखने के लिए स्वीकृति दिलाए जाने की बात कही। उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण रोकथाम के लिए की गयी कार्यवाही के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन अधिकारी, कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ कहा कि आगामी आने वाले समय में भी सक्रिय रूप से कार्यवाही जारी रखें जिससे जिले में कोरोना वायरस से कोई भी मौत न हों। उन्होंने जिले में पर्यटन सुविधाओं को विकसित करने की बात कही। जिससे जिले के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। जिससे क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने कृषि महाविद्यालय के अधिकारियों से चर्चा करने के उपरांत कहा कि क्षेत्र में शीघ्र ही कृषि महाविद्यालय प्रारंभ करने की कार्यवाही की जाये। 

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Sunday, September 6, 2020

किलकिला फीडर का कलेक्टर द्वारा किया गया निरीक्षण

  • फीडर का काम गुणवत्तायुक्त एवं समयसीमा में पूरा करने अधिकारीयों को दिये निर्देश 

किलकिला फीडर के निर्माण स्थल का निरीक्षण  करते हुए कलेक्टर। 

अरुण सिंह,पन्ना।  नगर के धरम सागर एवं लोकपाल सागर तालाब को वर्षा के जल से भरने के लिए किलकिला फीडर नहर बनाई जा रही है। इस नहर का कलेक्टर संजय कुमार मिश्र द्वारा मौके पर निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान कार्यपालन यंत्री जल संसाधन बी.एल. ददौरिया ने बताया कि यह नहर 5.5 किलो मीटर की बनाई जा रही है। इस परियोजना के लिए 06 करोड रूपये की राशि शासन द्वारा स्वीकृत की गयी है। इस राशि से किलकिला नदी उद्गम स्थल से धरम सागर एवं लोकपाल सागर तालाब तक नहर बनाई जाएगी। इस नहर से यह दोनों तालाब बरसाती पानी से भर जाया करेंगे। कलेक्टर श्री मिश्र ने कहा कि इस कार्य को गुणवत्तायुक्त एवं समयसीमा में पूर्ण कराया जाये। 

उल्लेखनीय है कि इन दोनों तालाबों से नगर को पेयजल उपलब्ध कराने के साथ लोकपाल सागर से किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। यदि यह दोनों तालाब अपनी पूर्ण क्षमता के साथ भर जाते हैं तो गर्मी के दिनों में पेयजल संकट से निजात मिल जाएगी। यह दोनों तालाब स्टेट समय से बने हुए हैं। इन दोनों तालाबों में जल संग्रहण एवं भण्डारण की व्यवस्था तत्कालीक समय में रही होगी। इसके उपरांत वर्ष 1970 में इन तालाबों को भरने के लिए नहर बनाई गयी थी। जो वर्तमान में पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। नहर के कुछ भाग पर लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है। कलेक्टर श्री मिश्र ने किलकिला उद्गम स्थल से लेकर धरम सागर तालाब तक की नहर का अवलोकन मौके पर संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ किया। उन्होंने कहा कि जो भी अतिक्रमण है उसे हटाने की कार्यवाही की जाएगी। अब बरसात का मौसम समाप्त होने जा रहा है। निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जाए। इस अवसर पर जल संसाधन के तकनीकी अधिकारियों के साथ पन्ना तहसीलदार सुश्री दिव्या जैन एवं संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। 

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Saturday, September 5, 2020

बुन्देली लोकविद्या के उस्ताद देशराज पटेरिया का निधन

  •   लोकगायकी की गंवई परंपरा को इन्होने दी है नई ऊंचाई 
  •  बुंदेलखण्ड क्षेत्र के इस लोक शिक्षक की कमी हमेशा खलेगी   



अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देली लोकविद्या के सरताज, लोकगायकी की गंवई परंपरा के उस्ताद व शिक्षक मशहूर बुंदेलखंडी लोक गायक देशराज पटेरिया का बीती रात हृदय गति रुकने से निधन हो गया है। लोकगायकी की गंवई परंपरा को नई ऊंचाई देने वाले देशराज पटेरिया के निधन से जो रिक्तता पैदा हुई है उसकी भरपाई संभव नहीं  है। शिक्षक दिवस को आज सुबह जैसे ही लोकविद्या के इस शिक्षक के निधन की खबर फैली, समूचे बुंदेलखण्ड क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। बुंदेलखण्ड क्षेत्र में इस अनूठे लोकगायक को पसंद करने वालों की खासी तादाद है, उनके लिये यह खबर किसी सदमे से कम नहीं है। सोसल मीडिया में सुबह से ही शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा हुआ है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को देशराज पटेरिया को दिल का दौरा पड़ा था, उसके बाद इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान शनिवार की सुबह 3.15 बजे उन्हें फिर दिल का दौरा पड़ा और उनकी हृदय गति रुक गई, जिससे उनका निधन हो गया। बताया गया है कि वे 4 दिन से छतरपुर के मिशन अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे। श्री पटेरिया अपने गायन में श्रृंगार, भक्ति और वीर रस का अद्भुत मिश्रण कर निराले अंदाज में प्रस्तुत करते थे, जिसे सुनकर लोग दीवाने हो जाते थे। लोकगायक देशराज पटेरिया की आवाज बुंदेलखण्ड की जनता के बीच अपनापन का बोध कराती थी। मुकेश कुमार को आदर्श मानने वाले देशराज पटेरिया का ऐसे चला जाना बुंदेलखण्ड ही नहीं अपितु समूचे मध्य प्रदेश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। श्री पटेरिया का जन्म छतरपुर जिले के नौगांव कस्बे के पास तिटानी गांव में हुआ था। 18 साल की उम्र से ही वो कीर्तन मंडलियों में भाग लेकर गांव-गांव गायन करने जाते थे। गायन कला के साथ-साथ उन्होंने प्रथम श्रेणी में हायर सेकंडरी की परीक्षा पास की. गायन कला में उनकी रूचि जागती गई और वे कीर्तनकार से लोक गीतकार हो गये। सबसे पहले उन्होंने 1976 में लोकगीत गाया था। लाखों दिलों पर राज करने वाले देशराज पटेरिया का सबसे पसंदीदा लोकगीत है- वो किसान की लली, खेत खलियान को चली... मगरे पर बोल रहा था कऊआ लगत तेरे मायके से आ गए लिबऊआ.. ऐसे सैकड़ों गीत हैं जो आज भी लोगों को मुंह जुबानी याद हैं। अनूठी प्रतिभा के धनी इस लोकगायक को प्रदेश की जनता हमेशा याद रखेगी। 

खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने जताया शोक 

प्रदेश के खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने लोक गायक देशराज पटेरिया के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा है कि  बुंदेलखंड को लोकगीतों के माध्यम से पहचान दिलाने वाले लोकगीत सम्राट श्री देशराज पटेरिया जी के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं।भगवान श्री जुगल किशोर जी से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति दे एवं परिवार को दुख सहन करने की शक्ति दे।

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Friday, September 4, 2020

बाघ की मौत व अंग गायब होने के मामले में जांच दल गठित

  •   अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने जांच कर प्रतिवेदन शीघ्र प्रस्तुत करने दिए निर्देश
  •  केन नदी में तैरते मिले सिर विहीन बाघ के शव का अब होगा सच उजागर 


अरुण सिंह,पन्ना। सच्चाई को कितना भी छिपाने और ढाकने का प्रयास किया जाये, एक न एक दिन वह पूरे तथ्यों के साथ प्रगट हो ही जाती है। ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में गत माह वयस्क नर बाघ पी-123 की हुई मौत व अंगों के गायब होने के मामले में हो रहा है।  राष्ट्रीय पशु बाघ की मौत तथा उसका सिर काटे जाने तथा कुछ अंगों के गायब होने के संबंध में ब्लॉग 'pannastories' पर मामले को प्रमुखता से उठाया गया था।  ब्लॉग में 3 सितंबर 2020 को 'बाघ का सिर मगर ने खाया या काटा गया, बड़ा सवाल' तथा 'बाघ पी-123 का कैसे हुआ सिर गायब, हो जाँच'  खबरें लिखी गई थीं। इन खबरों के आते ही पन्ना से लेकर भोपाल तक हलचल मच गई।  मामले को प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी मध्यप्रदेश ने गंभीरता से लिया और 3 सितंबर को ही उच्च स्तरीय जांच दल का गठन कर दिया गया। निश्चित ही यह स्वागत योग्य पहल है क्योंकि इससे मामले की असलियत उजागर हो सकेगी। 

जांच कमेटी के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी जेएस चौहान ने विधिवत आदेश जारी कर जांच दल में शामिल लोगों को निर्देश दिए हैं कि प्रकरण की विस्तृत जांच कर प्रतिवेदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी कार्यालय में शीघ्र प्रस्तुत करें। जारी आदेश में लेख किया गया है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में 9 अगस्त 20 को परिक्षेत्र हिनौता के अंतर्गत एक बाघ का शव तैरता हुआ पाया गया था। उक्त बाघ के शव से कुछ अंग नहीं पाये गये। मामले की जांच हेतु स्टेट टाइगर स्ट्रॉइक फ़ोर्स को निर्देशित किया गया है।  जांच दल में सुश्री मंजुला श्रीवास्तव अधिवक्ता वन्य प्राणी कानून विशेषज्ञ कटनी तथा डॉ प्रशांत देशमुख वन्य प्राणी चिकित्सक वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट भोपाल को भी शामिल किया गया है।  इस आदेश की प्रति सभी संबंधों सहित क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व को भेजी गई है।


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