- जंगल में घुसपैठ के साथ-साथ अब भोजन पर भी हिस्सेदारी
- आखिर पन्ना टाईगर रिज़र्व में इस समय यह हो क्या रहा है ?
बाघिन का शिकार वह चीतल जिसका एक हिस्सा काटकर शिकारी ले गये। |
अरुण सिंह,पन्ना। वन्य प्राणियों के रहवास में घुसपैठ करने के साथ-साथ शिकारी अब उनके भोजन पर भी हक जताने लगे हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में अमानगंज बफर के मझौली बीट में बाघिन ने एक चीतल का शिकार किया। अपने पसंदीदा इस शिकार को थोड़ा चखने के बाद बाघिन वहीं आस पास जब सुस्ताने लगी तो शातिर शिकारियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए बाघिन के शिकार से ही अपना हिस्सा निकाल लिया। इस तरह जंगल में अपनी भूख मिटाने के लिए शिकार तो बाघिन ने किया लेकिन दावत शिकारियों ने उड़ाई। जाहिर है कि श्रम करके शिकार करने वाली बाघिन को भोजन से वंचित रहना पड़ा, क्योंकि शिकारियों से बचे चीतल के शरीर का आज बकायदे पोस्टमार्टम किया जाकर नियमानुसार उसे जला दिया गया है।
यह अजीबोगरीब घटना वहां की है जिसे वन्य प्राणियों के लिए सबसे सुरक्षित और मानवीय दखल से मुक्त माना जाता है। बीते कुछ महीनों से पन्ना टाईगर रिजर्व में जिस तरह से बाघों की संदिग्ध मौतें हुई हैं तथा एक वयस्क नर बाघ का शिकारियों द्वारा सिर काटे जाने की घटना प्रकाश में आई है, तब से पन्ना टाईगर रिजर्व सुर्खियों में बना हुआ है। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स जहां मामले की तहकीकात में जुटी है वहीं प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी आलोक कुमार भी हाल ही में पन्ना का दौरा कर यहां के हालातों का जायजा लिया है। ऐसे समय जब कथित तौर पर पन्ना टाइगर रिजर्व का प्रबंधन व मैदानी अमला हाई अलर्ट पर है उस समय बाघिन द्वारा किये गये शिकार पर शिकारियों द्वारा हाथ साफ किये जाने की घटना न शिर्फ़ चौंकाने वाली है अपितु चिंता में भी डालने वाली है। अब तो लोग यह कहने लगे हैं कि आखिरकार पन्ना टाइगर रिजर्व में यह सब हो क्या रहा है ? यहां की निगरानी व्यवस्था व सुरक्षा तंत्र क्या अप्रभावी हो चुका है ? शिकारियों की आखिर हिम्मत कैसे पड़ गई कि वे बेखौफ होकर बाघिन का ही निवाला उसी के घर से छीन कर ले गये।
गौरतलब है कि पार्क प्रबंधन बाघों का कुनबा बढ़ने पर उसका श्रेय लेने में जब पीछे नहीं रहता तो शिकार सहित इस तरह की विचित्र घटनाओं की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पन्ना की जनता व वन्यजीव प्रेमियों को यह बताना चाहिए कि आखिरकार यह सब क्यों और किन कमियों के चलते हो रहा है। पन्ना के विकास को दांव पर लगाकर अथक श्रम व सामूहिक प्रयासों से जो कामयाबी मिली है उसे पन्नावासी अब खोना नहीं चाहते। इसलिए सरकार व वन महकमे के जिम्मेदार आला अफसरों को चाहिए कि वे पन्ना टाइगर रिजर्व की पटरी से उतर चुकी व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए शीघ्र कारगर कदम उठायें। यहां का मैदानी अमला वही है जिनके अथक प्रयासों से पन्ना को चमत्कारिक सफलता मिली है। जाहिर है कि कमी मैदानी अमले में नहीं बल्कि सुविधाभोगी अधिकारियों में है जो अपने दायित्व का निर्वहन ईमानदारी से नहीं कर रहे। प्रदेश सरकार को ध्यान देना चाहिए कि रिजर्व वन क्षेत्रों में काबिल, वन्य प्राणियों के संरक्षण में रुचि रखने वाले, मेहनती और उत्साही अधिकारियों की पदस्थापना हो। नकारा, अयोग्य और गुटबाजी को बढ़ावा देने वाले सुविधाभोगी अधिकारियों से टाइगर रिजर्व मुक्त रहें तभी कुछ बेहतर की उम्मीद की जा सकती है।
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